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चार पीढियों से पर्यावरण को बचाने बांटते है मिट्टी की गणेश मूर्ति



चार  पीढियों से पर्यावरण को  बचाने बांटते है मिट्टी की गणेश मूर्ति  


सागर। । धार्मिक दृष्टि और पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिहाज से मिटटी  की प्रतिमा  का महत्व है।पर्यावरण संकट से बचने की बात तो आज गाँव से लेकर विश्व मंच पर भी होती है जागरूकता अभियान भी चलाये जाते है कई बार सरकार इसका बीड़ा उठाती है तो कभी कभार एक आम आदमी भी बड़ी पहल अकेले ही करता है। ऐसा ही कुछ किया है सागर के ताम्रकर परिवार ने जो  चार  पीढियों से पर्यावरण को  बचाने हर गणेश उत्सव पर मिट्टी की गणेश मूर्ति को बांटते है।  आज गणेश चतुर्थी पर पूरे   श्रध्दा  भाव से मिटटी के गणेश लेने श्रद्धालु उमड़े। आज सुबह से करीब दो हजार मूर्ति बांट चुके है।

                          सागर के इतवारा बाजार के स्वर्गीय रामेस्वर ताम्रकार का परिवार यह काम कर रहा है। उनके बेटे और मोहल्ला के लोग मिलकर भगवान गणेश की मूर्ती बनाते है। यह  परिवार  मिटटी की आकर्षक और पूर्ण अकार की भगवान श्री गणेश की  प्रतिमा को बनाकर निःशुल्क  श्रदालुओ को बाँटते  है।  यह संख्या हजारो में होती है।   जिससे गणेश विशर्जन के कारण पर्यावरण दूषित न हो और उत्सव का रंग भी बना रहे।मिटटी के गणेश को बांटकर ये परिवार पर्यावरण को सहेजने का काम पिछले 100 साल से कर रहा है। गणेश मूर्ती लेने के लिए घर के पास मंदिर में    लम्बी कतार आज के दिन लगी ।  इनके पास  पहले एक पीतल का साँचा था मिटटी के गणेश की बढती मांग के कारण अब तीन सांचे बनवा लिए ,ताकि अधिक से अधिक संख्या में लोग गणेश प्रतिमा को ले सके ।  

                         सांचे में शुद्ध काली मिटटी    को डालते है और गणेश जी की मूर्ती निकलती है। श्री गणेश की बैठी हुई यह मूर्ती होती है। पुरे स्वरूप में गणेश जी है ,इसमें रिध्धि और सिध्धि और चूहा सब बना हुआ है। मिटटी के ये गणेश दस दिन तक ज्यो के त्यों बने रहते है।   लोग पुरे श्रद्धा भाव से इसे ले जाते है।  सबसे  बड़ी  बात यह है की इनका कोई पैसा नहीं लिया जाता है . 

वर्तमान में प्लास्टर ऑफ़  पेरिस  और  केमिकल  रंगो का प्रचलन है।  इसी की मूर्तिया बनाई जाती है।  जो पर्यावरण को  बुरी तरह से  प्रदूषित कर रही है। इस परिवार के शंकर ताम्रकार ने बतया की पिछली  चार  पीढ़ियों से यह परम्परा चली आ रही है।  मिटटी की ये मूर्ति शुद्ध होती है।  पानी में भी ये आसानी से घुल जाती है। करीब चार से पांच हजार की संख्या में  निशुल्क केला के पत्ते पर वितरित करते है।  बाटने के पहले इनको   मंदिरों में पूजा के लिए भेजते है उसके बाद सभी को देते है। 




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पाँचवा स्तंभ ।अब तो गणेश जी सद्बुद्धि दें ताकि दुनिया बन सके पर्यावरण मित्र

Eco-Friendly: गणेश जी बनाने के पहले दुनिया बने पर्यावरण मित्र


  • ब्रजेश त्रिपाठी


आजकल सोसल मीडिया से लेकर सब दूर हेश टेग के साथ साथ बॉक्स आइटम में लिखा आ रहा है.. "इको फ्रेंड गणेश जी.."अब मूढ़ मति कलजुगी संसार को श्री गणेश जी सद्बुद्धि दें कि दुनिया इकोफ्रेंड बने न कि प्रभु श्री गणेश जी.. श्री गजानन महाराज तो सनातन काल से प्रकृति उपासना के साक्षात वाहक है..!!!
           फूल चढ़े दूब चढ़े और चढ़े मेवा..यह सब प्रकृति से तादाम्य का ही सुर है प्रभु को सेवा में पूजन अर्चन में पर्यावरण ही प्रिय है..शादी व्याह - तिलकोत्सव लेकर स्थानीय पूजन में गाय के गोबर की रचना भी प्रकृति पूजन का सबसे बड़ा प्रतीक है.. मायावी संसार खुद तो सुधरना नही चाहता उल्टे प्रभु स्वरूप को लेकर ज्ञान पेल रहा है..!!!
         तिलक महाराज ने भी श्री गणेशोत्सव परम्परा में सनातनी स्वरूप और प्रतीकों को ही बनाये रखा था.. यह स्वरूप ही सालो साल सजता आया है लेकिन मार्केट ने इसमे घुसपैठ करके केमिकल गिरी को चमका दिया है..!!!
          माटी पूजन हमारी अमिट  थाती रही है..भूमि पूजन के बिना कोई भी पूजन परम्परा का शुभारम्भ ही नही होता क्योकि जीवन का आरम्भ और अंत उसी में समाहित है ..लेकिन अब मिट्टी के बजरिकरण(रेत सीमेंट) के चलते शुद्ध मिट्टी भी दूभर हो गई है..!!!
       हमने अकेली माटी या गाय का गोबर ही नही खोया है बल्कि अपनी प्रकृति से ही खिलवाड़ की है इस खेल के चलते ही मूर्ति कारों को प्लास्टर ऑफ पेरिस जैसे कृत्रिम आसान उपायों को आजमाने की मोहलत मिली और रंगीन चकाचौन्ध ने इस मोहलत को अंधाधुंध धंधे में बदल दिया नतीजा हमारे सामने है..!!!
      इस नतीजे का कुछ घटिया लोगों ने आस्था विरोध के रूप में ऐसा दुष्प्रचार किया कि वह विसर्जन के समय की तस्वीरों को सोशल मीडिया पर धर्म पर चटखारे लेकर पोस्ट करने लगे जबकि यह निहायत ही गैर जिम्मेदाराना कृत्य है क्योकि इसके लिए आस्था नही बल्कि मुनाफाखोरी की भूख की   लपलपाहट दोषी है..!!!
         आज जब प्रायोजित रूप से हमारे पर्व, उत्सवधर्मिता को निपट कुत्सित लोगों की गैंग के द्वारा हर स्तर पर हतोसाहित करने का अभियान सनातन चेतना को कुंद करने के उद्देश्य से चलाया जा रहा हो तब हम सबको अपने प्रतीकों के प्रति ज्यादा सचेत रहने की जरूरत है और इसे हम सनातन तरीकों से ही हासिल कर सकते हैं न कि केमिकल्स रंग रोगन से..!!!
    धर्म की जय हो.. अधर्म का नाश हो.. प्राणियों में सद्भाव हो.. विश्व का कल्याण हो..गौ माता की जय हो ..हर हर महादेव के जयकारे के साथ ..घर घर मे श्री गणेश कीजिये ..जय श्री गणेश..आप सभी को श्री गणेश उत्सव की अग्रिम बधाई ..!!!

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श्री गणेश जी स्थापना का मुहूर्त

श्री गणेश जी स्थापना का मुहूर्त



2 सितंबर को भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है। इसे गणेश चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों के अनुसार इस दिन गजमुख भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इस दिन को कलंक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। जो इस दिन गणेशजी की पूजा करेगा गणपति उनकी सभी मनोकामना पूरी करेंगे।


गणेश चतुर्थी का नियम है कि जिस दिन दोपहर के समय चतुर्थी तिथि हो उस दिन ही गणेश चतुर्थी का पूजन किया जाना चाहिए। मंगलवार और रविवार को चतुर्थी होने पर इसका महत्व काफी बढ़ जाता है। इस वर्ष चतुर्थी तिथि का आरंभ सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक है जो शुभ फलदायी है।
गणेश चतुर्थीः गणेश पूजन विधि

 पहला मुहूर्त

सोमवार को गणेश चतुर्थी होने के कारण सुबह 7 बजकर 30 मिनट से 9 बजे तक राहुकाल रहेगा। इसलिए सुबह 6 बजे से साढ़े सात बजे के बीच गणेश प्रतिमा की स्थापना कर सकते हैं।
 दूसरा मुहूर्त

सुबह 9 बजे से लेकर 10 बजकर 30 मिनट तक मूर्ति स्थापना के लिए दूसरा शुभ मुहूर्त है। 10 बजकर 30 मिनट से यमगंड आरंभ हो जाएगा जो 12 बजे तक रहेगा। यमगंड के दौरान शुभ कार्य नहीं करना चाहिए, इसलिए शुभ लाभ के लिए इस दौरान प्रतिमा की स्थापना हो सके तो नहीं करना चाहिए।

 सर्वोत्तम मुहूर्त

दोपहर का समय गणेश स्थापना के लिए उत्तम माना जाता है। 12 बजे से 1 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल है। इस समय के समाप्त होने के बाद यानी 1 बजकर 31 मिनट से 3 बजे का समय सबसे उत्तम रहेगा। इस शुभ समय के बाद भी 4 बजकर 30 मिनट तक गणेश प्रतिमा स्थापना औऱ पूजन का कार्य किया जा सकता है।
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रोटरी आहार केंद्र का जिला अस्पताल में फिर शुरू

रोटरी आहार केंद्र का जिला अस्पताल में फिर शुरू 

सागर ।  सागर के  जिला अस्पताल में रोटरी क्लब ऑफ सागर  द्वारा  बहुत ही अलप राशि मात्र दस रूपए खाना मिलेगा। इसका विधिवत पुनः शुभारम्भ रोटरी क्लब के पूर्व गवर्नर नरेश चंद जैन द्वारा किया गया। रोटरी क्लब ऑफ सागर २००४ से निरंतर खाना खिलाता आया है. अभी तक लगभग १२ लाख लोगो खाना खिला चुका है। रोटरी आहार केंद्र को पुनः शुरू कराने में कमिश्नर और कलेक्टर की  भूमिका महत्वपूर्ण रही है। आहार में  अमित मोदी  चावल का सहयोग मिला।  कार्यक्रम में रोटरी गवर्नर नरेश चंद जैन ,  रोटरी  अध्यक्ष  विनीत ताले वाले , सचिव नीमेश भाई ,सिविल सर्जन विक्रम सिंह तोमर, सर्जन आर सी   मिश्रा , डॉ जीवन लाल ,पूर्व सिविल सर्जन अरुण सराफ , डॉ प्रॉमिस जैन,ऋषभ समैया ,डॉ अशोक जैन ,जी ऐल  अग्रवाल ,सुरेंद्र पंचरतन , अमित मोदी ,  कमल जैन ,एवं शहर के गणमान्य नागरिक मौजूद थे। 
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हरितालिका तीज व्रत ऐसे मनाए

हरितालिका तीज व्रत ऐसे मनाए

देशभर के विद्वत धर्मशास्त्रियों ने शास्त्र को प्रमाण बनाकर तृतीया तिथि के क्षय के कारण उपस्थित वाद का मोचन किया है...  धर्मसिन्धु एवम निर्णय सिंधु के अनुसार चतुर्थी एवं हस्त नक्षत्र से युक्त तृतीया ही सौभाग्यदायिनी है... द्वितीया के साथ तृतीया व्रती को अभीष्ट प्रदान नही करेगी एवं शास्त्र सम्मत भी नही है... पारण का विधान भी चित्रा नक्षत्र में है...

चतुर्थी हस्त नक्षत्र सहिताया तु सा तृतीया फलप्रदा
सोमवार को तृतीया का पूर्ण मान, हस्त नक्षत्र का उदयातिथि योग तथा सायंकाल चतुर्थी तिथि की पूर्णता तीज पर्व की महत्ता को बढ़ाती है । हस्त नक्षत्र में तीज का पारण वर्जित है, जबकि रविवार 01 सितंबर को व्रती महिलाओं को 02 सितंबर दिन सोमवार के भोर में पारण हस्त नक्षत्र में ही करना पड़ेगा, 03 सितंबर दिन मंगलवार के भोर में चित्रा नक्षत्र का पारण सौभाग्य-वृद्धि में सहायक माना गया है। अतः *सर्वसिद्ध हरितालिका तीज व्रत चतुर्थी युक्त तृतीया एवं हस्त नक्षत्र के कारण  02 सितंबर, सोमवार को ही मान्य है ।
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श्रमणों की परंपरा को आगे बढ़ाया आचार्य शांति सागर ने


श्रमणों की परंपरा को आगे बढ़ाया आचार्य शांति सागर ने



सागर ।आचार्य श्री निर्भय सागर महाराज ने कहा कि चरित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शांति सागर महाराज 20 वीं सदी के ऐसे आचार्य है जिन्होंने श्रमणों की परंपरा को आगे बढ़ाया.
अंकुर कॉलोनी मकरोनिया में विराजमान आचार्य श्री ने रविवारीय धर्मसभा में कहा कि ब्रिटेश एवं मुगलकाल में सडक़ों पर नग्न मुनियों की पदयात्रा को रोका जाता था तो आचार्य शांति सागर आये और उन्होंने संकट,कष्ट, परिग्रह, उपसर्गों को सहन कर दिल्ली से संतों की यात्रा संर्पूण देश में प्रारंभ कराई जिसके कारण संर्पूण देश में दिगंबर मुनि हर जगह गांव-गांव में दिखाई दे रहे है और 21 वीं सदी में आचार्य विद्यासागर जी उस परंपरा को अपूर्व साधना से पल्लवित कर रहे है. आचार्य श्री शांति सागर महाराज के समाधि दिवस पर आचार्य श्री निर्भय सागर महाराज ने कहा कि अपने 25 वर्ष के मुनि जीवन में 10 हजार उपवास कर अनेक गुरूकुल खुलवाए व तीर्थों का जीणोद्धार कराया. धर्मसभा से पूर्व दशलक्षण जन जागरण यात्रा युवा जैन मिलन के निर्देशन में आदर्श नगर मकरोनिया से चंद्रप्रभु जिनालय के दर्शन कर वापिस पहुंचे.विद्या भवन में समाधि दिवस पर क्षुल्लक चंद्रदत्त सागर ने कहा कि जैन जगत के सर्वोच्च आचार्य है, आचार्य शांति सागर. जिनकी वजह से हम जैन संतों को देख रहे, दर्शन कर पा रहे है. ग्रंथो का प्रकाशन एवं समाज तथा धर्म की रक्षा के लिए संर्पूण देश में संस्कार संस्कृति को फैलाया है. मुनिश्री हेमदत्त सागर, क्षुल्लक सूर्यदत्त सागर महाराज विराजमान रहे. मनोज जैन लालो ने बताया कि ज्ञान सागर पाठ्यशाला के बच्चों व सभी संस्थाओं ने आचार्य शांति सागर की पूजन संपन्न की. ब्र. लवली दीदी ने पूजन कराई एवं ब्र. सुनील भैया ने दसलक्षण शिविर के बारे में जानकारी दी.
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जैनोदय में मरीजों का निशुल्क परीक्षण


जैनोदय में मरीजों का निशुल्क परीक्षण 


सागर.।युवा जैन मिलन अंकुर शाखा मकरोनिया द्वारा संचालित श्री जैनोदय औषधालय डॉक्टर निहारिका जैन द्वारा 30 मरीजों का निशुल्क परीक्षण किया गया. जिसमें मरीजो का ब्लड प्रेशर एब्लड शुगर और दवाएं निशुल्क प्रदान की गई. डॉक्टर जैन द्वारा बताया गया की सभी आयु वर्ग के लोग अपना स्वास्थ्य परीक्षण करवाने आए, जिसमें महिलाएं, पुरुष और बच्चे शामिल हैं. कुछ लोगों के लिए शुगर की जांच में प्रारंभिक तौर पर डायबिटीज का पता चला एवं बच्चों में वायरल की बीमारी से ग्रसित बच्चे ज्यादा संख्या मे औषधालय आए, कुछ  महिलाओं में पहली बार ब्लड प्रेशर की जांच द्वारा पता चला की उनका ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है, इसके लिए डॉक्टर जैन द्वारा कुछ  ब्लड प्रेशर कम करने के टिप्स एवं दवाएं दी गई जिससे ब्लड प्रेशर को नार्मल किया जा सके. इस दौरान युवा जैन मिलन के कार्यकारी अध्यक्ष सुकुमाल जैन नैन्धरा, अध्यक्ष प्रसन्न जैन, डॉ नम्रता जैन, कोषाध्यक्ष युवा वीर संयम जैन, मंत्री युवा वीर सुनील जैन , मृदुल जैन, समर्पित जैन, उपस्थित रहे.
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युवा जैन मिलन ने निकाली जागरण रैली

युवा जैन मिलन ने निकाली जागरण रैली
 
सागर ।युवा जैन मिलन अंकुर शाखा द्वारा बीसवीं सदी के महानायक, दिगंबर मुद्रा के धनी, चरित्र चक्रवर्ती आचार्य 108 शांति सागर महाराज के समाधि दिवस के अवसर पर जन जागरण रैली  का आयोजन अंकुर कॉलोनी में आचार्य श्री निर्भय सागर महाराज के मार्गदर्शन में विद्या भवन अंकुर कॉलोनी से होती हुई, चंद्रा प्रभ जिनालय से होती हुई विद्या भवन अंकुर कॉलोनी में रैली का समापन हुआ.
रैली में सुनील भैया, युवा जैन मिलन के अध्यक्ष  प्रसन्न जैन, कार्यकारी अध्यक्ष  सुकमाल जैन  नैन्धरा,  मृदुल जैन, मनोज जैन लालो,  राजेश जैना जैन, विमल बिलानी  अध्यक्ष  ट्रस्ट कमेटी, एमसी जैन मडदेवरा, डीके जैन प्राचार्य, प्रोफेसर अमर चंद जैन, डॉ नम्रता जैन, संजय शक्कर, सीमा बीएसएनएल, श्रीमती सीमा भाईजी संयम जैन कोषाध्यक्ष, सुनील जैन मंत्री, अशोक जैन, और बड़ी संख्या में महिलाये, पुरुष और पाठशाला के बच्चे, रैली में सम्मिलित हुए. आचार्यश्री निर्भय सागर महाराज प्रकाश डाला और बताया यही वह  बीसवीं सदी के महानायक है जिन्होंने दिगंबर मुद्रा को रखते हुए दिगंबर मुनि प्रथा को आगे बढ़ाया जिसके कारण ही आज 21वीं सदी में  हमें चलते फिरते भगवन आचार्य विद्यासागर महाराज मिले हैं, जिन्होंने जैन धर्म की पताका को सर्वोच्च शिखर पर ले जाने का कार्य किया है.
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नई परिवहन नीति एमपी में लागू नही होगी,कुछ संशोधनों के बाद होगी:परिवहन मंत्री

नई परिवहन नीति एमपी में लागू नही होगी,कुछ संशोधनों के बाद होगी:परिवहन मन्त्री


सागर । आज से देशभर में लागू  नई परिवहन  नीति एमपी में अभी  लागू नही होगी।  इस नीति में परिवहन की दरों और  जुर्मानों  कोलेकर कुछ केंद्र और राज्य सरकार में  मतभेद बने है। ।परिवहन मंत्री गोविन्द राजपूत ने आज सागर में मीडिया  से कहा कि  परिवहन विभाग के कमिश्नर को अन्य राज्यो में  प्रावधानों का अध्ययन कराने के लिए निःर्देश दिए है ।  उसकी रिपोर्ट के बाद लागू होगी ।एक हफ्ते में यह रिपोर्ट आ जायेगी । 
             परिवहन मंत्री के मुताबिक  कुछ जुर्माने अधिक है। शराब पीकर वाहन चलाने का जुर्माना ठीक है । लेकिन कुछ मामलों में छात्र छात्राओं को लेकर उचित नही है। प्रदेश की जनता पर अतिरिक्त बोझ नही पड़े इसका ध्यान रखा जा रहा है । जिसके लिए बदलाव जरूरी है । दरो और जुर्मानों को लेकर मन्त्री /विधायको सहित कई लोगो के फोन इस सम्बंध में  आये है । परिवहन मंत्री राजपूत ने साफ कहा कि  अभी एमपी में  जुर्मानों की पुरानी दरे ही लागू रहेंगी।
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मुरैना में चंबल की रेत से भरे वो धडधडाते टैक्टर

मुरैना में चंबल की रेत से भरे वो धडधडाते टैक्टर
( सुबह सवेरे में ग्राउंड रिपोर्ट ) /ब्रजेश राजपूत
तो सर, दूध की कहानी तो निपटा ली अब चंबल की रेत के अवैध उत्खनन पर भी घंटी बजा ही दीजिये। ये थे हमारे मुरैना के मित्र उपेंद्र गौतम। अरे छोडो यार कितनी बार चंबल का उत्खनन दिखायेंगे। अरे नहीं सर अब तो बहुत बेधडक बेखौफ हो रहा है। चलिये कहानी करने नहीं सिर्फ देखने और आपके लिखने के लिये ही चलिये। अच्छा कब चलें। सुबह पांच बजे। अरे यार इतनी सुबह। हां सारे अवैध काम रात के अंधेरे या तडके सुबह ही होते है। और अगली सुबह साढे पांच बजे हम अंबाह से मुरैना आने वाली सडक पर थे और सामने से आ रहे थे कतार में एक के बाद रेत से भरे हुये ट्रैक्टर। इन ट्रैक्टरों की गति ऐसी थी जैसे वो किसी रेस में भाग रहे हों। ट्रैक्टरों की हेडलाइट जल रही थी। कुछ में गाने बज रहे थे। हर टैक्टर में डाईवर के अलावा दो सहयोगी बैठे हुये जो इधर उधर चैकन्नी निगाह रखे हुये थे। करीब पंद्रह टैक्टरों के काफिले के आगे मोटरसाइकिल पर सवार होकर दो लोग चल रहे थे जिनका काम भी इस कारवां के लिये रास्ता साफ करना था। ये सारे टैक्टर चंबल की नदी से रेत निकालकर मुरैना शहर में प्रवेश कर रहे थे। कुछ के ग्राहक शहर के लोग थे तो कुछ दूसरी जगहों पर जाने वाले थे। मगर जायेगे बीच शहर से ही निकल कर जहां पर कलेक्टर एसपी के बंगले हैं उनके सामने से होते हुये। किसी बात का कोई डर नहीं। मुरैना में सुबह की सैर करने वाले लोग और सेना पुलिस में भर्ती होने की तैयारी में दौड लगा रहे युवा इन टैक्टरों को आसानी से राह दे रहे थे। जिस तरफ से वो गुजर रहे थे उसकी दूसरी तरफ खडे होकर हमारे साथी कैमरामेन होमेंद्र उसे हमारी इनोवा की आड में जल्दी जल्दी शूट किये जा रहे थे। उपेंद्र बुदबुदाये सर स्पीड देखिये भला कोई रोक सकता है इनको। अब आप जितनी जल्दी हो सकते है उतर कर पीटीसी मारिये और ये टैक्टर वाले कुछ समझ पाये उससे पहले ही निकल लीजिये। बस फिर क्या था होमेद्र को इशारा किया और गाडी से उतरने वाला ही था कि हमारा डाईवर जो अब तक चुप था बोल पडा सर इनके पास हथियार भी होते हैं जरा जल्दी करियेगा तब तक मैं गाडी चालू रखूंगा। उपर वाले को याद किया और गाडी के सामने खडे होकर कुछ बोलना शुरू किया तो गले से आवाज ही अजीब सी निकलने लगी। सुबह उठकर बिना चाय और गरम पानी के भागे जो थे। खैर जैसे तैसे एक दो रिटेक में पीटीसी हुआ तब तक टैक्टर पर रेत लेकर आ रहे काफिले के लोग कुछ कुछ समझने लगे थे वो दूसरी तरफ से गालियां देने लगे थे। मगर ये हमें भी मालुम था कि इतनी स्पीड में टैक्टर रोकने का दुस्साहस वो नहीं कर सकते थे। हमने अपना काम किया और गाडी दबा कर बीच शहर में आ गये। उपेंद्र ने बताया कि वैसे तो चंबल के घाटों से मुरैना में आने का मुख्य रास्ता एनएच ही है मगर वहां पुलिस और वन विभाग की तैनाती होती है इसलिये ये टैक्टर वाले नये नये रास्ते से चलते हैं। इन दिनों ये इस रास्ते पर हैं मगर यहां पुलिस का पहरा लगा तो रास्ता बदल देंगे मगर हां आयेगे रोज ही क्योंकि इनके पास कुछ और काम नहीं हैं और इस काम में पैसा बहुत है। मुरैना में चंबल के किनारे के गांवों में टैक्टर खेती के कामों के लिये बल्कि रेत की ढुलाई के लिये ही खरीदे जा रहे हैं। ये बिना लागत का काम है। सुबह चंबल से रेत भरो शहर में पटको,  नकद पैसे पीटो और दिन भर दूसरे काम करो। कहां होगा ऐसा सुख। पुलिस का डर तो भिंड मुरैना के के लोगों में वैसे भी कम होता है। इसलिये धडल्ले से चल रहा है ये सब। मैंने कहा चलो अब ये सब छोडो जरा शहर से बाहर चलकर चंबल के शाट ले लेते हैं। मुरैना के बाहर आगरा मुंबई रोड पर बना चंबल का पुल के उस पार धौलपुर यानिकी राजस्थान लगता है और इस तरफ हमारा एमपी। भारी बारिश में भी चंबल में वो उफान नहीं था जिसके लिये वो जानी जाती है। नदी किनारे बडे बडे गढढे दिख रहे थे जिनसे रेत निकाली गयी होगी। दरअसल चंबल नदी के किनारे में घडियाल सेंचुरी है। ये घडियाल अंडे चंबल की रेत पर ही देते है। घडियालों को बचाने और पर्यावरण की बेहतरी के लिये सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से चार सौ पैंतीस किलोमीटर चंबल के घाटों पर से रेत निकालने पर पूरी पाबंदी है। मगर धडल्ले से रेत निकाली जाती है क्योंकि चंबल की रेत के खरीदार मध्यप्रदेश से ज्यादा राजस्थान में है। रेत से भरा टैक्टर ढाई हजार रूप्ये में तो रेत से भरा टक पचास से सत्तर हजार रूप्ये में बिकता है। चंबल की रेत की खुदाई करो कौन रोक रहा है ये सोच कर गांव के युवक दबंग इस काम में शामिल हैं और उनके ट्रक टैक्टरों को पुलिस और वन विभाग से छुडवाने के लिये नेता मंत्री तो हैं ही। इस तरीके से नीचे से उपर तक पूरा गठबंधन है। मगर ये क्या हम पुल पर खडे हैं और वहीं से दिख रहे थे टैक्टर चंबल के किनारों से रेत निकालते हुये थोडी देर में ही हमें दिखी जेसीबी मशीन जो घाट की ओर जा रही थीं और वहीं पर बनी थी पुलिस चौकी जो घाटों पर इन अवैध गतिविधियों को रोकने के लिये बनी थी मगर वहां पर पुलिस जवान सुबह के नित्य कर्मो में व्यस्त था उसे नहीं थी परवाह कि कौन कहां आ रहा और जा रहा था। मगर लौटते में कुछ और देखना बाकी था। नदी से लौटते में शहर के बाहर हाईवे पर वन और पुलिस विभाग की जांच चौकी है जहां पर रेत से भरे टक ओर टैक्टर रोकने के लिये रखी रहती है लोहे के कांटे वाली प्लेट जिसे खींच कर रोड पर लाया जाता है तो टक के टायर पंचर किये जाते हैं थोडी देर पहले ही एक रेत से भरे टक को रोका गया था उसकी रेत सडक पर फैली थी। वहां तैनात जवानों ने बताया कि हर दिन एक दो ट्रक टैक्टर हम ऐसे ही रोक लेते हैं। देखकर अच्छा लगा कि कहीं तो रेत से भरे टक और टैक्टर रोके जा रहे हैं। 
(लेखक ,एबीपी न्यूज, के विशेष संवाददाता है)
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