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पूर्व गृहमन्त्री कह रहेथे सबके नाम लेने में समय लगेगा..लेकिन मंच गिरने में समय नही लगा...

पूर्व गृहमन्त्री कह रहेथे सबके नाम लेने में समय लगेगा..लेकिन मंच गिरने में समय नही लगा...
धरना के दौरान मंच गिरा,पूर्वमंत्री सहित कई नेता गिरे
सागर । सागर जिले के खुरई में भाजपा के धरना  प्रदर्शन के दौरान  उस समय अफरातफरी मच गई जब  मंच नेताओं की अधिकता के चलते धड़ाम से गिरा । मंच गिरने से  पूर्व गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ,सांसद राजबहादुर सिंह  ,विधायक महेश राय सहित दर्जनों नेता नीचे गिरे। इसके बाद स्टूल पर खड़े होकर पूर्व मनत्री ने भाषण दिया। कुछ नेताओं को मामूली चोट भी आई।
 एमपी के पूर्व गृहमन्त्री भूपेन्द्र सिंह ने अपने विधानसभा क्षेत्र खुरई में विभिन्न समस्याओं को लेकर आज धरना प्रदर्शन रखा था । जिसमें सांसद राजबहादुर सिंह सहित अनेक नेता मौजूद थे ।जब भूपेंद्र सिंह अपना  भाषण दे रहे थे । उन्होंने कुछ नेताओं के नाम लिए फिर कहा कि सभी का नाम लेने में समय लगेगा ।इतना कहना था कि मंच ने गिरने में समय नही लगाया। उसी समय मंच भरभरा गया और सारेनेता नीचे जा गिरे।इसमे कुछ नेताओं को मामूली चोट भी आई। जिनका इलाज भी कराया गया। इसके बाद पूर्व गृहमन्त्री ने एक स्टूल पर खड़े होकर भाषण दिया।
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मुक्केबाजी में देश को पहला रजत दिलाने वाले पंघाल सागर के महार रेजिमेंट में हैं नायब सूबेदार

मुक्केबाजी में देश को पहला रजत दिलाने वाले पंघाल सागर के महार रेजिमेंट में हैं नायब सूबेदार
सागर. विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में भारत को पहला रजत पदक दिलाने वाले अमित पंघाल का सागर से गहरा नाता है। वे महार रेजिमेंट में नायब सूबेदार के पद पर पदस्थ हैं। उन्होंने पहली बार विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा लिया है और ओलंपिक के लिए भी क्वालीफाई हो गए हैं। इससे पहले पंघाल ने एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था।
रूस के एकातेरिनबर्ग शहर में शनिवार शाम 52 किलोग्राम वर्ग से मुक्केबाजी के मुकाबले में पंघाल भले ही स्वर्ण पदक से एक कदम पीछे रह गए लेकिन उन्होंने पहली बार देश के लिए रजत जीतकर इतिहास रच दिया। यह खबर लगते ही महार रेजिमेंट सेंटर में सेना के अधिकारी और जवानों में भी दिनभर उत्साह का माहौल रहा। महार रेजिमेंट के इस जवान ने अब तक मुक्केबाजी में कई पदक हासिल कर देश, रेजिमेंट और सागर का नाम रोशन किया है।

महार रेजिमेंट सेंटर में पूरा किया सैन्य प्रशिक्षण 
अमित पंघाल हरियाणा के रोहतक जिले के मायना गांव में 16 अक्टूबर 1995 में पैदा हुए और 13 अगस्त 2017 में महार रेजिमेंट में शामिल हुए। उन्होंने सागर स्थित महार रेजिमेंट सेंटर में 34 सप्ताह का कड़ा सैन्य प्रशिक्षण पूरा किया और इसके बाद वे नायब सूबेदार बने।
अब तक अर्जित किए कई विश्वस्तरीय सम्मान -
रेजिमेंट के नायब सूबेदार पंघाल ने 2017 में प्रशिक्षण के दौरान एशियाई बॉक्सिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था। उन्होंने बल्र्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में पांचवा स्थान, बुल्गारिया के स्टैंडजा में 2018 में स्वर्ण पदक, कॉमनवैल्थ गेम 2018 में रजत पदक और सितंबर 2018 में ही 18वें एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक अर्जित किया था।

रेजिमेंट में उत्साह, अब खेलों पर और देंगे जोर -
महार रेजिमेंट सेंटर के डिप्टी कमांडेंट कर्नल प्रदीप कुमार चौबे का कहना है कि उन्हें शनिवार को नायब सूबेदार पंघाल के देश के लिए रजत पदक अर्जित करने की खबर लगी थी। इसके बाद पूरे रेजिमेंट में न केवल अधिकारी और जवान बल्कि प्रशिक्षण में शामिल नवसैनिकों में भी उत्साह है। रेजिमेंट खेल विधाओं में अव्वल खिलाडिय़ों के प्रशिक्षण के लिए और भी व्यवस्थाएं जुटाएगी ताकि वे आगे बढ़कर देश और रेजिमेंट का नाम दुनिया में रोशन करें।

(संजय शर्मा,पत्रिका)
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लंका जीकर आये रहली के लालों का हुआ सम्मान,हैंडबॉल में किया नाम रोशन

लंका जीकर आये रहली के लालों का  हुआ  सम्मान,हैंडबॉल में किया नाम रोशन
सागर। कहते है पंखों में नही होसलो से उड़ान होती है होसलो की उड़ान का यह छात्र उदाहरण है जिसमे संसाधनों के आभाव को दरकिनार कर साबित कर दिया कि संकल्प से हर  सफलता संभव है।।पुरानी कहावत है कि दुष्कर कार्य होने पर कहा जाता है कि कौन लंका जीत सकते है। रहली के एक ही क्लास कक्षा 12 के छात्रों ने अपने दृढ़ संकल्प से जिला राज्य और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम रोशन किया।रहली के दो छात्रों ने श्रीलंका में आयोजित अंर्तराष्ट्रीय स्टूडेंट ओलेपिक टूर्नामेंट में हेंडबाल प्रतियोगिता में हर्षित पिता श्रीकांत सोनी,सिद्धार्थ पिता महेंद्र खरे नेे भारत का प्रतिनिधित्व किया था। दोनों छात्रों ने शानदार प्रदर्शन करते हुये जीत हासिल की ओर परिवार नगर देश का गौरव बढाया।श्रीलंका सरकार द्वारा दोनों छात्रों को गोल्ड मेडल एवं प्रमाण पत्र से सम्मानित किया। सिद्धार्थ खरे ने बताया कि 20 जून को पंजाब में स्टेत स्तर पर पतियोगिता हुई थी। जिसमें तीसरा स्थान लगा था। उसके बाद मेल पर अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर खेलने जाने का संदेश आया तो खुशी का ठिकाना नही रहा। सिद्धार्थ ने बताया कि श्रीलंका के कोलंबो में तीन टीमो के बीच मैच हुआ था ।जिसमें पहले श्रीलंका को हराया फिर बंग्लादेश को हराया।सिद्धार्थ ने खुशी जाहिर करते हुये नगर के सभी माता पिता से अपील की है कि बच्चों को उनके रुचि के हिसाब से पढने ओर जिस विधा में वह जाना चाहते है प्रोत्साहित करे।वही हर्षित ने बताया कि परिवार का सबसे अधिक सहयोग मिला जिस कारण अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर इस मुकाम को पाया है। हर्षित का कहना है कि मेहनत ओर लगन से सबकुछ पाया जा सकता है माता पिता ओर परिवार सहित विद्यालय में गुरुजनों का सहयोग के लिये सभी का आभार प्रकट किया। 
वही हर्षित सोनी और सिद्धार्थ खरे के माता पिता ने भी अपने लालो के लंका जितने पर गर्व करते हुए सभी अभिभवकों से अपने बच्चो की रुचि अनुसार उन्हें आगे बढ़ने में सहयोग करने की अपील की है।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर रहली का नामरोशन करने वाले ईंन होनहारों  का  रहली में ढोल ढमाकों के साथ स्वागत हुआ। लोगो ने इनपर फूल बरसाए।

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आसन ही योग नही है योग के सभी अंगों को अपनाए तभी शारीरिक,मानसिक सुख मिलेगा ,अनुशासन बढ़ेगा स्वामी निरंजनानंद जी सरस्वती

आसन ही योग नही है योग के सभी अंगों को अपनाए तभी शारीरिक,मानसिक सुख मिलेगा ,अनुशासन बढ़ेगा स्वामी निरंजनानंद जी सरस्वती
सागर । पद्मभूषण स्वामी निरंजनानंद जी सरस्वती ने कहा है कि योग विधा को अपनी जीवन शैली में लगातार अपनाना होगा। तभी  शारीरिक,मानसिक और अनुशासनात्मक उन्नति होगी और बेहतर समाज बनेगा । योग में आसन ही सब कुछ नही है । इसके सभी अंगों को अपनाना होगा।  स्वामी निरंजनानंद आज सागर में योग निकेतन योग प्रशिक्षण संस्थान सागर में चार दिवसीय योग शिविर के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे । 
इस मौके पर सांसद राजबहादुर सिंह,विधायक शेलेन्द्र जैन , डॉ मीना पिम्पलापुरे,सेठ नरेश चंद जैन, कपिल मलैया ,देवी प्रसाद दुबे ,अनिल जैन नेनधाराऔर सुरेंद्र सुहाने ने स्वागत किया। 
स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान में लोग प्रदूषित वातावरण में जीवन व्यततीत कर रहे है । हमे तन और मन दोनो प्रदूषण से मुक्ति लेनी होगी ।मन के विकारों को दूर करना होगा।  इसके लिए सम्पूर्ण योग को निरन्तर अपनाना होगा ।योग को आंतरिक व्यवहार में अपनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अब योग का प्रचार बहुत हो गया है ।घर घर योग शब्द गूंज रहा है ।योग साधना की जरूरत है ।इसी के अनुरूप बिहार योग विधालय में योग साधक प्रशिक्षित हो रहे है । उन्होंने बताया कि किसी अच्छे उद्देश्य के लिए एक पागलपन की तरह कार्य किया जाए तो निश्चित ही उसके परिणाम मिलते है । आज सागर में जो योग दिख रहा है ।वह विष्णु आर्य के इसी उद्देश्य का उदाहरण है ।  
सागर के योग निकेतन की देश मे पहचान
उन्होंने सागर के योग निकेतन की सराहना करते हुए कहा कि मेरे गुरु जी यहां आए अब मुझे अवसर मिला । आज पूरे देश मे योग के क्षेत्र में जब चर्चा होती है तो योग निकेतन और योगाचार्य विष्णु आर्य का नाम सम्मान से लिया जाता है । अब सागर में बड़ा संस्थान बनाने की जरूरत है ।
अविभाजित मध्यप्रदेश का गौरव है स्वामी निरंजनानंद जी 
संस्थान के संचालक योगाचार्य विष्णु आर्य ने बताया कि 50 साल पहले इस संस्थान की आधारशिला  परमहंस स्वामी सत्यानन्द जी सरस्वती के मार्गदर्शन पर रखी गई थी । आज यह पूर्ण आकार ले चुका है । संस्था के 50 साल में योग क्षेत्र से जुड़े अनेक  विद्वानों का मार्गदर्शन मिला है ।उन्होंने बताया कि यह गौरव की बात है कि स्वामी निरंजनानंद जी अविभाजित एमपी के राजनांदगांव के है । जल्दी ही योग के क्षेत्र में निकल पड़े और आज बिहार योग विवि सहित अनेक प्रकल्पों के संचालन में मार्गदर्शन दे रहे है ।
सागर में योग का बड़ा संस्थान बनेगा:विधायक जैन
इस मौके पर विधायक शेलेन्द्र जैन ने कहा कि शहर में अब योग कार्यक्रमो के लिए बड़ी  जगह की जरूरत है । इसके लिए सामूहिक प्रयास  होंगे । उन्होंने विधायक निधि से 20 लाख रुपये तक देने की बात कही । उन्होंने कहा कि सागर में 50 वर्ष पूर्व एक  छोटी यात्रा शुरू हुई जो अब बढ़ा करवा बन गयाहो है ।इसे  और अधिक विस्तार किया जाना चाहिए ।

समाजसेवी डॉ मीना पिम्पलापुरे ने कहा कि सागर के लिए यह गौरान्वित करने वाला अवसर है जब स्वामी श्री निरंजना नंद जी का मार्गदर्शन  मिला। योगाचार्य विष्णु आर्य  ने योग संस्थान को इस ऊँचाई तक पहुचाया है ।आज खुशी का अवसर है ।
कार्यक्रम में योग निकेतन में विधायकशेलेन्द्र जैन की विधायक  निधि से कराए गए निर्माण कार्यो का लोकार्पण स्वामी निरंजनानंद जी ने किया।
इस मौके पर गीतकार हरगोविन्द विश्व ने सम्मान पत्र का वचन किया।
देश/प्रदेश आए आये योग प्रेमी
कार्यक्रम में  स्वामी दीक्षा नंद विदिशा,डॉ उतमराव,रिटायर्ड एसपी वेद प्रकाश शर्मा,डॉ पष्पांजली शर्मा, देहरादून से अजातशत्रु, प्रो गणेश शंकर,रामनारायण यादव,वीरनारायण सिंह,अमित गुप्ता,जग्गनाथ गुरैया,वी पी पांडेय,मुकुंदेसाई,गगन ठाकुर,महेश नेमा,सुबोध आर्य,मगन सराफ ,अनिल सराफ,बद्री प्रसाद सोनी,रमेश सिंह ठाकुर,प्रमोद आर्य, मधुकर शर्मा,हरीसिंग ठाकुर,विंनोद तिवारी,एम डी त्रिपाठी,के कृष्णराव, नितिन कोरपाल,बसंत पांडे, अनिल वारी,पुरषोत्तम सोनी,सुशील तिवारी,आरती ताम्रकार,,ज्योति भार्गव दर्शनावारी,शांति देवी वारी,,ममता त्रिपाठी,,ज्योति आर्य,अलका आर्य,डॉ एम एस कूर्मवंशी,निर्जन पासवान,हेमराज साहू,आजये साहू,,कल्पना पाठक,रोहित साहू,,सहित भोपाल से स्वामी श्रद्धानंद, कृष्ण ,प्रतीक आर्य,पतिक्षा आर्य,प्रियांश आर्य,शिवांश आर्य, अनिल सोनी,भपेंद्र सराफ,देवकांत श्रीधर,धीरेंद्र अग्रवाल,रचना अग्रवाल,सतना   नेहा सोनी नेहा कुमारी,नम्रता चौहान,ममता चोधरी,अंशु जैन,मेघा,धनंजय जैन,उमाशंकर कोशिक,सांची,लोकेश चोधरी,रंजीत,अखिलेश विश्वकर्मा,आयुष आचार्य,प्रशांत खरे,सजन्त कुमार,हीरालाल शाक्य,सांची,उपेंद्र बाबू खत्री,श्याम तीखे,आकाश कुशवाहा,नीलू विश्वकर्मा,अभिनय सोनी,जाहर सिंह कुशवाहा,खुरई, सलोनी जैन,रचना चावला,सपना श्रीवास्तव,दीपमाला ,ललिता गौर,विशाल ठाकुर,रामकुमार रघुवंशी, हरिशंकर,भोपाल,,सविता मेहता,विंनोद सोनी,मनोहर सोनी,घनश्याम भिड़े,डॉ एस के रूसिया,,निर्मला गुप्ता,सरोज सोनी,सी एम वर्मा,विनीत तिवारी ,,,नित्य मूर्ति,,मंगलानंद,ब्रह्मदत्त,नित्यानंद,परमानंद, दमोह से डॉ संजय त्रिवेदी,संगीता त्रवेदी, नेहा सोनी, त प्रदेश के अनेक क्षेत्रों से लोग उपस्थित थे।

आगामी कार्यक्रम सागर में
 #24 सितम्बर को डॉ हरीसिंग गौर विवि और स्वामी विवेकानंद विवि में।कार्यक्रम आयोजित होगा।
#आदर्श गार्डन में 23,और 24 सितम्बर को 6.30बजे से योग साधना और शाम को 4 बजे से प्रवचन होंगे।
25 सितम्बर को सुबह कार्यक्रम का समापन होगा।
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‘पल पल दिल के पास’ रहे ‘द ज़ोया फैक्टर’ का ‘प्रस्थानम’


'पल पल दिल के पास' रहे 'द ज़ोया फैक्टर' का 'प्रस्थानम' 

सिने विमर्श: विनोद नागर
बॉलीवुड के व्हाइट बोर्ड पर डस्टर से सप्ताह के दौरान प्रदर्शित फिल्मों के नाम साफ़ करते ही प्रायः उन फिल्मों का आकर्षण फीका पड़ जाता है. हर शुक्रवार नई फिल्मों के नए समीकरण चटख रंगों से लिखे जाते हैं. यह अनवरत प्रक्रिया दुनिया में सर्वाधिक फ़िल्में बनाने वाले भारतीय फिल्मोद्योग और उससे जुड़े विशाल दर्शक वर्ग में सिनेमा के प्रति नवोन्मेष जगाये रखती है. बॉक्स ऑफिस भी रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और विमानतल पर आती जाती गाड़ियों/ उड़ानों को निहारने की अनुभूति के लघुत्तम स्वरुप का पर्याय ही है. इस शुक्रवार 'छिछोरे' और 'ड्रीमगर्ल' की मौजूदगी में अलग अलग जॉनर की एक साथ तीन नई फ़िल्में- 'पल पल दिल के पास' 'द ज़ोया फैक्टर' और 'प्रस्थानम' रिलीज़ हुईं मगर पहले दिन एक करोड़ रुपये से अधिक कोई न कम सकी. 
'मेरा नाम जोकर' की घनघोर असफलता और 'बॉबी' की रिकॉर्ड तोड़ कामयाबी के बीच राज कपूर ने 1971 में 'कल आज और कल' बनाई थी. समसामयिक कहानी में कपूर खानदान की तीन पीढ़ियों को एक साथ देखना दर्शकों के लिये उस फिल्म का मुख्य आकर्षण बना था. तब 24 वर्षीय रणधीर कपूर को न केवल अपने पिता राज कपूर (46) और दादाजी पृथ्वीराज कपूर (65) के साथ अभिनय करने का, बल्कि इस फिल्म को निर्देशित करने का बिरला अवसर मिला था. करीब आधी सदी बाद फिर एक मौक़ा 83 वर्षीय सितारे धर्मेन्द्र (पूरा नाम धर्मेन्द्र सिंह देओल) के परिवार में आया. भले ही उनके उनके पोते करण देओल की पहली फिल्म 'पल पल दिल के पास' में परिवार की तीन पीढियां परदे पर नज़र न आयें मगर फिल्म की रिलीज़ के मौके पर मीडिया के जरिये सदाबहार धर्मेन्द्र की पहली पत्नी प्रकाश कौर और सनी देओल की पत्नी पूजा देओल का  दीदार लोगों के आकर्षण का केंद्र जरुर बना.  
बहरहाल, देओल परिवार ने 'बेताब' के छत्तीस साल बाद तीसरी पीढ़ी के पदार्पण के लिये भी न केवल रोमांटिक फिल्म का जॉनर ही चुना बल्कि छियालीस बरस पुरानी 'ब्लैकमेल' के रोमांटिक गीत के मुखड़े को फिल्म का टाइटल भी बनाया. काश, अगली पीढ़ी को इतनी अनुभव समृद्ध विरासत सौंपते हुए प्रस्तुतकर्ता के रूप में दादा धर्मेन्द्र और निर्देशक के बतौर पिता सनी देओल हिन्दी फिल्मों के कंटेंट आधारित मौजूदा परिदृश्य पर संजीदगी से विचार करते तो बात कुछ और होती. 'पल पल दिल के पास' महज खूबसूरत वादियों में फिल्माई गई प्रेम कहानी के बजाय किसी नए सामयिक विषय को छूकर गुजरती तो शायद धरम पौत्र और सनी पुत्र का पहला कदम ठोस ज़मीं पर पड़ता और ढाई किलो से ज्यादा वजनी हाथ की नई उम्मीदें जगतीं.
फिल्म की कहानी दिल्ली से मनाली आई विडियो ब्लॉगर सहर सेठी (सहर बम्बा) और ट्रेकिंग कंपनी संचालक करण सहगल (करण देओल) के बीच पर्यटन की रोमांचक गतिविधियों से जुड़ी नोकझोंक से शुरू होती है. अलग अलग मिजाज़ के बावजूद दोनों एक दूसरे की ओर आकर्षित होते हैं लेकिन सहर के बॉय फ्रेंड वीरेन नारंग (आकाश आहूजा) और परिजनों की नागवार हरकतें प्रेम में बाधक बनती हैं. कहानी में ट्विस्ट न होने से पूरी फिल्म में बर्फीले पहाड़ों, झरनों और हरीभरी वादियों से दर्शकों को लुभाने का प्रयास किया गया है. 
न तो फिल्म का अभिनय पक्ष दमदार है न गीत संगीत. करण देओल का सपाट चेहरा जरा भी प्रभावित नहीं करता. नायिका के लिये 400 लड़कियों में से चुनी गई सहर बम्बा अच्छी दिखती हैं. सनी देओल का निर्देशन पुत्रमोह से घिरा है. हालाँकि काश्मीर के पीर पंजाल, लाहौल स्पीति, कुंजम और रोहतांग दर्रे, चंद्रताल और मनाली के विहंगम दृश्यों के अलावा ग्रेटर नोएडा के बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट में कार रेसिंग का प्रसंग बखूबी फिल्माया गया है.    
सफलता परिश्रम से मिलती है या प्रारब्ध से यह तय करना बड़ा मुश्किल है. कभी कभी संयोग से मिली लगातार सफलता को किसी अक्षर, अंक, रंग, दिन या व्यक्ति विशेष से जोड़कर लोग अंधविश्वासी हो बैठते हैं. इसी बात को केंद्र में रखकर बनाई गई अभिषेक शर्मा निर्देशित 'द ज़ोया फैक्टर' इस हफ्ते प्रदर्शित हुई. लेकिन यह भारत के लिये तो दूर खुद सोनम कपूर के लिये लकी चार्म साबित नहीं हुई और न ही दक्षिण के स्वनामधन्य सितारे ममूटी पुत्र दुलकर सलमान को बॉलीवुड में धमाकेदार एंट्री  दिला पाने में सक्षम लगती है.  
फिल्म की कहानी एडवरटाइजिंग एजेंसी में काम करने वाली ज़ोया सिंह सोलंकी (सोनम कपूर) के इर्दगिर्द घूमती है, जिससे न उसका बॉस प्रभावित है न बॉयफ्रेंड. अनलकी मानकर सब उससे कन्नी काटते रहते है. तभी उसे भारतीय क्रिकेट टीम के साथ विज्ञापन शूट करने श्रीलंका जाने का अवसर मिलता है. मेहनत से मैच जीतने में भरोसा करने वाले कप्तान निखिल खोड़ा (दुलकर सलमान) को टीम के अन्य सदस्यों के अन्धविश्वासी रवैये से चिढ है. टीम के खिलाडियों को जब पता चलता है कि ज़ोया का जन्म उस वक़्त हुआ था जब भारत ने पहली बार क्रिकेट में विश्व कप जीता. ज़ोया की मौजूदगी में श्रीलंका मैच जीतते ही बीसीसीआई उसे अगले विश्व कप के लिये भारत का लकी चार्म मानते हुए टीम का शुभंकर बनाने की पेशकश करता है. क्या ज़ोया फैक्टर भारत को विश्व विजेता बना पाता है यही आगे की कहानी है.    
अनुजा चौहान के एक दशक पहले इसी नाम से आये अंग्रेजी उपन्यास पर आधारित यह फिल्म किसी भी स्तर पर प्रभावित नहीं करती. नेहा राकेश शर्मा और प्रद्युम्न सिंह की अधकचरी पटकथा ने अभिषेक शर्मा के निर्देशकीय कौशल को ज़ाया ही किया है. फिल्म में ज़ोया के पिता के रोल में संजय कपूर, मेहमान कलाकार के बतौर अनिल कपूर और नेरेशन में शाहरुख़ खान की आवाज़ भी कोई कमाल नहीं दिखा पाती.              
इसी शुक्रवार रिलीज़ हुई 'प्रस्थानम' संजय दत्त की तीसरी पत्नी मान्यता दत्त द्वारा निर्मित पहली (लेकिन निहायत उबाऊ) फिल्म है. तेलुगु में कोई एक दशक पूर्व 'प्रस्थानम' नाम से सुपर हिट फिल्म के हिन्दी रीमेक को भी मूल निर्देशक देव कट्टा ने ही निर्देशित किया है. रसूखदार राजनेता बल्देव प्रताप सिंह (संजय दत्त) और उसके दो बेटों आयुष्मान सिंह (अली फज़ल) और रघुवीर सिंह (सत्यजीत दुबे) के बीच सद और असद प्रवृत्तियों के टकराव की घिसीपिटी कहानी असंख्य बार परदे पर दोहराई जा चुकी है. वर्षों बाद प्रकट हुईं मनीषा कोइराला ने इसमें संजय दत्त की पत्नी की भूमिका निभाई है. फिल्म में जैकी श्रॉफ पुलिस अधिकारी और चंकी पाण्डेय डॉन बने हैं.
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पानी पानी रामपुरा और वो डगमग बोट की सवारी,,,

पानी पानी रामपुरा और वो डगमग बोट की सवारी,,,,,

( सुबह सवेरे में ग्राउंड रिपोर्ट )
इस बार हमारे मध्यप्रदेश में गजब पानी गिर रहा है। ये कालम लिख रहा हूं और बाहर पानी बरस रहा है। हो सकता है आप जब ये पढ रहे हो तब भी बाहर पानी गिर रहा हो। सावन गीला होकर निकल गया भादो में भी ऐसी बरसात अर्से से नहीं देखी थी। ऐसा लगता है कि अबकी बारिश विराट कोहली हुयी जा रही है जो अपने अगले पिछले सारे फार्मेटों के रिकार्ड पानी में बहाने को उतारू है। और ऐसी बारिश में सबसे मुश्किल होता है हमारे टीवी का कवरेज। पानी गिरते में भागो, पानी गिरते में आप भीगो मगर कैमरा बचाते हुये विजुअल शूट करो और फिर उस गीले मौसम पर सूखी सी कहानी लिखकर भेजो। इस बार लगातार पानी किसी जगह पर कम ही गिरा है, ऐसे में यदि कहीं पानी की चेतावनी है और हम वहंा जायें तो जरूरी नहीं कि मौसम विभाग की भविष्यवाणी सच साबित हो। 
बारिश की मेहरबानी इस बार मंदसौर और उससे जुडे जिले नीमच पर ज्यादा रही। जैसे हमारे भोपाल में बारिश का पैमाना भदभदा का गेट खुलना है वैसे ही मंदसौर में ज्यादा बारिश तब मानी जाती है जब शहर के बीच बहने वाली शिवना नदी अपने किनारे से करीब तीस फीट की उंचाई पर बने पशुपतिनाथ मंदिर में प्रवेश कर शिवजी की सात फीट उंची आठ मुंह वाली मूर्ति को डुबो कर जलाभिषेक करे। जैसे इस बार भदभदा के गेट कितनी बार खुले कोई याद नहीं रख रहा वही हाल मंदसौर में शिवना के पशुपितनाथ के जलाभिषेक का रहा। छह बार से ज्यादा शिवना का पानी मंदिर में आया। मंदसौर पुराण इसलिये भी कि इस बरसते मौसम में दूसरी बार मंदसौर जाना हुआ जब हमारे सहयोगी मनीष पुरोहित ने कुछ विजुअल्स भेजे जिनमें शहर के कई इलाकों में जबरदस्त पानी भरा दिख रहा था। देखकर लगा कि हालात ओर बिगड सकती है तो इस बार सडक मार्ग से ही मंदसौर निकल पडे क्योंकि पिछली बार सरकारी हैलीकाप्टर से राजस्व मंत्री के साथ गया था तो आना जाना पता नहीं चला मगर आठ घंटे बाद जब मंदसौर पहुंचे तो फिर वही कहानी दोहरायी गयी शहर के पानी भरे इलाकों से पानी उतर चुका था रह गयी थी कीचड गाद और जनता की पानी के बाद की गटठर भर परेशानिया। जो टीवी के लिये बहुत बेहतर कहानी नहीं मानी जाती। टीवी को तो दूर दूर तक भरा हुआ अथाह पानी और उसमें कुछ एक्शन होते हुये होना चाहिये। जिससे विजुअल देख हैरानी होे और यदि वहां बचाव का काम हो रहा हो तो उत्सुकता झलके कि डूबने वाले बच पायेंगे या नहीं। मंदसौर में ऐसा कुछ नहीं था तो ऐसे में याद आये हमारे नीमच के राजेंद्र सिंह राठौर। उन्होंने पहले सूचना की थी कि नीमच जिले के रामपुरा कस्बे में गांधीसागर बांध का बेक वाटर दीवार तोड कर आ गया है और तकरीबन आधे शहर को डुबो दिया है। कई सारे लोगों को पानी में डूबे घरों से निकाल कर राहत शिविरों में पहुंचाया है। बस फिर क्या था मंदसौर छोड निकल पडे नीमच के रामपुरा। बीस हजार की आबादी वाला रामपुरा कस्बा पिछले शनिवार की रात जब सो रहा था तब गांधी सागर बांध के सरोवर का पानी गुस्से में ऐसा उफनाया कि शहर और बांध के बीच बनी दीवार या रिंग वाल को तोडकर गलियों और बाजारों में ऐसे घुसा कि लोगों को लेने के देने पड गये। रातोंरात लोगों को अपने घर छोडकर उंचाई में बसे अपने करीबियों के घर या धर्मशालाओं में जाना पडा। हम जब पुलिस की जीप के पीछे राजपुरा मोहल्ला की संकरी गलियोें में गाडी चला कर जब लाल बाग बाजार पहुंचे तो वहां का नजारा देखकर हैरान रह गये। सामने बाजार की गलियां थीं और उनमें पानी घुटनों से लेकर गले गले तक पानी भरा हुआ था। जिन दुकानों से पानी उतर रहा था वहंा दुकान खोलने के बाद की बर्बादी दिख रही थी। पूरा सामान पानी से तरबतर था चाहे वो मेडिकल की दुकान हो या फिर किराने की शाप। पानी ने बर्बाद करने में  कुछ नहीं छोडा था। अब पानी में जायंे कैसे तो वहीं मिले युवा पत्रकार कमलेश मालवीय ने सामने से आ रही एक छोटी सी नाव में मुझे और हमारे कैमरामेन अभिषेक शर्मा को जल्दी जल्दी चढा दिया। ये नाव कोई बचाव  दल वाली नाव तो थी नहीं जो पूरे वक्त संतुलन में रहती। ये तो मछुआरों की नाव थी जिसके दोनों सिरों पर दो नाविक बैठे थे ओर बीच में मैं, अभिषेक, राठौर जी और कमलेश। धीरे धीरे डग मग होते हुये ये नाव लाल बाग बाजार की गलियों में मंथर गति से चल रही थी और हमें दिख रहे थे गलियांे के दोनों तरफ के सूने मकान जिनमें पहली मंजिल तक पानी भरा था। बैठे बैठे अभिषेक का कैमरा चल रहा था और मेरी कामेंटी जिसमे मैंने कहा कि यहां सामने खडे लोग कमर कमर तक डूबे हैं तो ये बात सुनकर उनमें से एक पानी में उतरा तो उसके गले से उपर पानी आ गया दरअसल वो मकान के किनारे बने चबूतरे पर खडे थे। एक दो रहवासी तो हमारी नाव के किनारे किनारे तैर भी रहे थे। मकान और दुकानों में पानी भरा था कुछ कच्चे मकान ढह गये थे। टीवी का गजब विजुअल था ऐसे में जब एक बार नाव जोरों से डगमागायी तो लगा कि आज यहंा पर खटलापुर का सीन बना। समझ में आ गया कि गलती तो कर बैठे थे बिना किसी सावधानी ओर लाइफ जैकेट के छोटी नाव में दनन से सवार हो गये थे जल्दी खबर देने के चक्कर में मगर किसी तरह राम राम कर नाव का ये चक्कर पूरा हुआ और जब वापस नाव से किनारे उतरे तब जान में जान आयी। उधर नाव से ही भेजे गये ये सारे विजुअल्स जब चैनल पर  थोडी देर बाद ही चले तो जान को खतरे में डालने का डर कुछ कम हुआ। वैसे कमलेश ने बताया है कि एक हफते बाद भी रामपुरा में पानी पूरा उतरा नहीं है जनरेटर से पंप चलाकर पानी बांध में डाला जा रहा है। 

(ब्रजेश राजपूत, एबीपी न्यूज, भोपाल )
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