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अध्यात्म एवं लोक-जीवन में अद्वैत पर हुआ विचार-विमर्श अद्वैत वेदान्त पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का द्वितीय दिवस

अध्यात्म एवं लोक-जीवन में अद्वैत पर हुआ विचार-विमर्श
अद्वैत वेदान्त पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का द्वितीय दिवस
सागर । डाॅ. हरीसिंह गौर विष्वविद्यालय में चल रहे अंतर्राष्ट्रीय अद्वैत वेदान्त संगोष्ठी में दूसरे दिन विद्वानों, सन्तों और विचारकों ने आध्यात्मक और लोक-जीवन में अद्वैत सिद्धान्त की भूमिका और उसके महत्त्व को लेकर गहन चर्चा की। उन्होंने बताया कि भारत में वैदिक ज्ञान की जड़े बहुत गहरी हैं। वे जनमानस की चेतना में हैं और उसके रक्त में प्रवाहमान हैं। एक तरफ जहाँ विष्व की कई सभ्यताएँ नष्ट हो गईं वहीं भारत की ज्ञान परम्परा अक्षुण्ण रही। 
मोक्ष केवल वेदान्त को समझने से ही सम्भव है: स्वामिनी विद्यानन्द सरस्वती जी 
चतुर्थ तकनीकी सत्र: समकालीन आध्यात्मिक परम्परा में शंकर के अद्वैत वेदान्त का अंतरण विषय पर केन्द्रित था। सत्र की अध्यक्षता स्वामी अद्वेयानन्द सरस्वती ने की। मुख्य वक्ता के रूप में स्वामिनी विद्यानन्द सरस्वती, स्वामी हरीब्रह्मेन्द्रानन्द तीर्थ एवं स्वामी शुद्धिदानन्द जी रहे। स्वामिनी विद्यानन्द सरस्वती ने कहा कि षास्त्र आत्मज्ञान के प्रमाण हैं। उपनिषद् अद्वैत सिद्धान्त पर आधारित हैं। शास्त्रों से इस आत्मज्ञान को अर्जित करने के लिए गुरु आवष्यक है क्योंकि शास्त्र एक दर्पण की तरह है जिसमें हम अपना ही प्रतिबिम्ब देख पाते हैं। गुरु की दृष्टि सदा निरपेक्ष होती है। मोक्ष केवल वेदान्त को समझ पाने एवं आत्मसात कर पाने से ही सम्भव है।
स्वामी हरिब्रह्मेन्द्रानन्द तीर्थ ने अपने वक्तव्य में बताया कि आचार्य शंकर ने केरल में जन्म लेकर मध्यप्रदेष में आकर गुरु से दीक्षा ली और अपना सम्पूर्ण जीवन इस देष की संस्कृति के उद्धार में लगाया। संस्कृति की एकता को संरक्षित करने के लिए ही आचार्य शंकर ने पूरे देष का भ्रमण किया। आचार्य शंकर ने मठों के साथ-साथ मंदिरों की भी स्थापना की। बद्रीनाथ सबसे प्राचीन मंदिर है। यहाँ के मुख्य पुजारी को 'रावल' कहा जाता है। 'रावल' का चयन केरल राज्य के नम्बूदरी कुटुम्ब में से किया जाता है। पूजा व्यवस्था इस प्रकार है कि 'रावल' मंदिर के मुख्य पुजारी मात्र हैं। वे मंदिर परिसर में दक्षिणा नहीं ले सकते और न ही किसी से वार्तालाप कर सकते हैं। परिसर में पूजा एवं दक्षिणा का अधिकार स्थानीय पुजारियों को दिया गया। जिन मंदिरों में पूजा की व्यवस्था आचार्य शंकर द्वारा तय की गई वहाँ आज भी किसी प्रकार का कोई गतिरोध नहीं है।। 
सभी दर्षन ब्रह्म को खोजने का मार्ग: स्वामी शुद्धिदानन्द जी
स्वामी शुद्धिदानन्द जी के वक्तव्य के मूल में अद्वैत वेदान्त का रामकृष्ण संघ से सम्बन्ध रहा। रामकृष्ण संघ रूपी शरीर की आत्मा सर्वसमन्वयात्मक अद्वैत वेदान्त है। इस अवसर पर स्वामी विवेकानन्द के षिकागो भाषण के एक सौ पच्चीस वर्ष पूर्ण होने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस भाषण के माध्यम से ही अद्वैत का सिद्धान्त अखिल विष्व के समक्ष पहुँचा। 'गीता' के श्लोक 'यदा यदा हि धर्मस्य...' के सार को व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि सनातन परम्परा और समाज को अंधकार की गर्त में जाने पर ही आचार्य शंकर एवं स्वामी विवेकानन्द का अवतरण हुआ
स्वामी अद्वेयानन्द सरस्वती ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में अपने गुरु स्वामी चिन्मयानन्द जी के जीवन एवं संन्यास का वर्णन किया तथा उनके षिष्यों द्वारा चिन्मय मिषन की स्थापना का उल्लेख किया। अवतार की अवधारणा का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि सनातन परम्परा के निर्वाह में जो सन्त लगे हुए हैं वे नित्यावतार हैं। उन्होंने संदीपनी साधनालयों की स्थापना एवं उद्देष्यों पर प्रकाष डालते हुए कहा कि स्वामी चिन्मयानन्द जी का उद्देष्य आध्यात्म को सर्वजनों तक पहुँचाने का था न कि उसे संगृहित करने का। आधुनिक विषय एवं अनुषासनों को चिन्मया विद्यापीठ में भारतीय शास्त्रों से लिए गए ज्ञान से भी परिपूर्ण किया जा रहा है। 
स्वामी हरिब्रह्मेन्द्रानन्द तीर्थ ने आचार्य शंकर के मंडन मिश्र के साथ हुए शास्त्रार्थ की घटना का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इस षास्त्रार्थ में मंडन मिश्र की पत्नी निर्णायक थीं। इसमें शर्त यह थी कि जो भी शास्त्रार्थ में हारेगा वह जीतने वाले का षिष्य बन जायेगा। मंडन मिश्र की पत्नी को यह ज्ञात था कि उनके पति हार जाने पर घर छोड़कर चले जायेंगे। ।
पंचम तकनीकी सत्र: लोक एवं जनजातीय परम्परा में षंकर के अद्वैत वेदान्त का प्रतिबिम्ब पर केन्द्रित था। सत्र की अध्यक्षता स्वामी मुक्तानन्द पुरी ने की। वक्ता के रूप में डाॅ. कपिल तिवारी एवं श्री् मनोज श्रीवास्तव उपस्थित रहे।
लोकजीवन की चेतना के केन्द्र में है अद्वैत: डाॅ. कपिल तिवारी
भारतीय वाचिक परम्परा के अध्येता डाॅ. कपिल तिवारी ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारत के लोकजीवन  की चेतना के केन्द्र में अद्वैत है। अद्वैत ही उसका जीवन है। आम लोग अद्वैत को जानते नहीं बल्कि जीते हैं। जिस तरह से सूर्य का प्रकाष फैलता है वैसे ही वैदिक ज्ञान परम्परा के प्रकाष में भारत में जीवन दृष्टि विकसित हुई। भारत की दो ज्ञान परम्परायें श्रुति और श्रमण हैं। श्रुति ज्ञान परम्परा एक वैदिक उन्मेष है और आनंद-उत्सव से जुड़ी हुई है, जबकि श्रमण परम्परा दुख और अवसाद से संबंद्ध है। श्रमण परम्परा एषियाई देषों में तो खूब फली-फूली, परन्तु भारत में अपनी जड़ें नहीं फैला पाई। उन्होंने कहा कि श्रुति के षासन में ही ज्ञान के कई अनुषासन विकसित हुए जो वैदिक परम्परा का अनुगमन करते हैं। ऋषियों ने वैदिक ज्ञान को ही रसपूर्ण बनाकर 'रामायण' और 'महाभारत' जैसे लौकिक साहित्य की रचना की। उन्होंने लोकजीवन को परिभाषित करते हुए कहा कि लोक जीवन षटमात्रिकाओं: धरती, प्रकृति, स्त्री, नदी, गाय और भाषा का समन्वय है, लेेकिन आज ये ही सर्वाधिक प्रभावित हो रही हैं और इनके लोक-संबंधों में विकार पैदा किया जा रहा है। 
आचार्य शंकर भारत का भविष्य: मनोज श्रीवास्तव
भारतीय प्रषासनिक सेवा के अधिकारी और भारतीय वाङ्मय के चिंतक मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि आचार्य शंकर भारत का अतीत ही नहीं, भविष्य भी हैं। उन्होंने भारत के चारों कोनों को एक किया। भविष्य में उनका अद्वैत सिद्धान्त ही भारत को एकसूत्र में बांधेगा। उन्होंनेे कहा कि पष्चिम की दृष्टि में हमेषा लोक के प्रति तिरस्कार का भाव रहा है। हमारे यहाँ प्रकृति भी ईष्वरीय देन है। यहाँ लोक, द्वैत और गुरु के बीच द्वंद्व नहीं है। उनके बीच सत स्पंदन रहा है। अद्वैत के चलते ही आदिवासियों ने पेड़, पौधों को व्यक्तिषीलता दी। वस्तुनिष्ठ संसार से संबंध स्थापित किया। इस बात के प्रमाण हमारे लोकगीतों और लोक आख्यानों में मिलते हैं।
पश्चिमी विचारकों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि पष्चिम ने प्रकृति को 'कमोडिटी' माना गया। हमारे लोक जीवन में प्रकृति को पूजा गया और लोक ने उसके साथ संबंध स्थापित किया और समान का भाव पैदा किया। लोक आख्यानों मंे स्पष्ट रूप से यह बात देखने को मिलती है। हमारा लोक जीवन अद्वैत से ओतप्रोत रहा है। अद्वैत को उस लोकजीवन ने जिया है। लोक के पास अद्वैत अध्ययन से नहीं उसके अनुभव से आया है।
स्वामी मुक्तानन्द गिरी ने कहा कि भारत की संस्कृति में अद्वैत रचा बसा है और वन समाजों में भी इसके पदचिन्ह स्पष्ट नजर आते हैं। आदि शंकराचार्य ने वन समाजों में विषेष रूप से कार्य किया। जिसका उल्लेख हमें प्राप्त है। इस पर और शोध की आवष्यकता है।
इसके पूर्व रविवार षाम को आयोजित तृतीय तकनीकी सत्र षंकराचार्य के अद्वैत वेदान्त के पूर्व एवं पष्चात दार्षनिक विकास पर केन्द्रित था। इस सत्र की अध्यक्षता स्वामी अद्वेयानन्द सरस्वती ने की। मुख्य वक्ता के रूप में श्री श्याम मनोहर गोस्वामी, प्रो. वी. कुटुम्ब षास्त्री एवं डाॅ. मणि द्रविड़ शास्त्री उपस्थित रहे। 
षंकराचार्य ने विभिन्न द्वैतों में खोजा अद्वैत: श्री गोस्वामी
श्री श्याम मनोहर गोस्वामी ने अपने वक्तव्य में कहा कि अद्वैतवाद एक अनूठा उत्सव है। उत्सवप्रिया वै जनः - मनुष्य उत्सव प्रिय होते हैं। भारत में उत्सवों की भरमार है। जहाँ द्वैत होता है वहाँ अद्वैत से उत्सव हो जाता है। उत्(आनन्दस्य) सवः(प्रसवः) सः उत्सवः- ऐसे ही जहाँ अद्वैत का उत्सव होता है वहाँ द्वैत के आनंद का प्रसव होता है। उन्होंने अद्वैत के महत्त्व पर चर्चा करते हुए कहा कि कस्मात विभेभि? आत्मा ने सोचा मैं किससे डरूँ, मेरे अतिरिक्त कोई है ही नहीं। किसी भी स्थिति में जब हमें अद्वैत की अनुभूति होती है, वहाँ भय समाप्त हो जाता है। षंकराचार्य ने विभिन्न द्वैतों में अद्वैत को खोजा यह भारतीय इतिहास की महत्त्वपूर्ण घटना है। सर्वे वेदा यत्रैंक भवन्ति- जहाँ सारे वेद एक होते हैं, वह अद्वैत है। ज्ञानात्मक अद्वैत की स्थापना षंकराचार्य ने चारों दिषाओं में चार मठों की स्थापना कर की। जीव जो भी है उसका ब्रह्म के साथ अद्वैत है। सम्प्रदाय भले ही अलग-अलग हो और उनका एक-दूसरे के साथ संघर्ष हो परन्तु उनके देवता एक-दूसरे से प्रेम करते हैं। 
लौकिक भ्रम को दूर करना ही दर्षन का कार्य: प्रो. कुटुम्ब शास्त्री
प्रो. कुटुम्ब षास्त्री ने कहा कि अद्वैत प्रतिपादन सरल है पर अद्वैत स्थापना कठिन। उपनिषदों का तात्पर्य ही अद्वैत है। षंकराचार्य ने शास्त्रीय अनेेक प्रमाणों के माध्यम से अद्वैत का प्रतिपादन किया। जैसे लोक में मृगमारिचिका भ्रम होता है वैसा ही भ्रम ब्रह्म, जीव, जगत, तत्व में भी होता है। इस भ्रम को दूर करना ही दर्षन का कार्य है तभी अद्वैत का प्रतिपादन होता है। 
अद्वैत एक तत्व है: डाॅ. शास्त्री
डाॅ. मणि द्रविड़ षास्त्री ने अपने वक्तव्य में कहा कि कविः करोति काव्यानि अर्थं जानाति पण्डितः अर्थात कवि केवल काव्य करते हैं किन्तु उसका अर्थ विद्वान करते हैं। उन्होंने बताया कि शंकराचार्य के पूर्व भी अद्वैत का निरूपण था। शंकराचार्य लिखते हैं कि 'अस्य अनर्थहेतोः प्रहाणाय आत्मैकत्व विद्याप्रतिपत्तमे सर्वे वेदा आरभ्यन्ते'। इस वाक्य में आत्मैकत्व षब्द ही अद्वैत का निरूपण करता है। आत्मैकत्व अर्थात चैतन्य स्वरूप आत्मा एक है। उपनिषद इसलिए पढ़ा जाना चाहिए क्योंकि उससे व्यक्ति अपने वास्तविक स्वरूप को जानने का प्रयास करता है। उन्होंने बताया कि शंकराचार्य ने स्वतन्त्र अद्वैत का उल्लेख नहीं किया अपने पदवाक्य प्रमाणज्ञ जो बताते आये हैं उनका प्रतिपादन कर रहे हैं। अद्वैत एक तत्व है। लोक की दृष्टि में जो एकता दर्षन करते हैं, जो व्यवहार के लिए उपयुक्त है वही अद्वैत है। आनन्दमय ब्रह्म का प्रतीक है। एक आत्मा है, वह ईष्वर का प्रतीक है, वह अनेकानेक जीवों में है। आनन्दमय को समझने वाला व्यक्ति ब्रह्म हो जाता है।
सांस्कृतिक संध्या: कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध गायिका श्रीमती सुधा रघुरामन ने आचार्य शंकर के स्त्रोंतो का गायन किया। इस षास्त्रीय प्रस्तुति ने इस त्रिदिवसीय संगोष्ठी के प्रथम दिवस की गतिविधियों को एक ऊँचाई प्रदान की।
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छत्तरपुर में शादी समारोह से चोरी का मामला, चोर पकड़वाने वाले को 50 हजार का इनाम,

छत्तरपुर में शादी समारोह से चोरी का मामला, चोर पकड़वाने वाले को 50 हजार का इनाम
सागर।छत्तरपुर के  सिविल लाइन थाना क्षेत्र में पिछले सोमवार को    होटल  लॉ कैपिटल से रुपयों  से भरा  बैग चोरी होने की घटना में पीड़ित परिवार ने चोर को पकड़वाने वाले को 50 हजार रुपये का  इनाम देने की घोषणा की है। सागर निवासी नरेंद्र सोनी के पुत्र और भाजपा नेता नितिन सोनी का तिलक समारोह छतरपुर तमरयाई मोहल्ला निवासी प्रमोद सोनी
(सचिव छतरपुर स्वर्णकार समाज) के पुत्री के साथ हुआ था।कार्यक्रम  के दौरान  किसी ने रुपयों और से भरा बैग चुरा लिया।इसकी रिपोर्ट  सिविल लाइन थाना में दर्ज है। पुलिस आरोपियों की तलाश में जुटी है।
गिरोह में बच्चों के होने का संदेह
इस  मामले में एसपी तिलक सिंह  ने  आरोपियों को पकडऩे के लिए डीएसपी शैलेंद्र शर्मा के नेतृत्व में एक टीम गठित की है। घटना सीसीटीवी फुटेज में भी एक बच्चा और एक युवक नजर आ रहे है। पुलिस को  शादी समारोह में सक्रिय चोर गिरोह पर शक है। जो  वारदातें बच्चों द्वारा ही की जा रही है। होटल में लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच की तो दो सदिग्ध लोग एक सफेद कलर के बैग को लिए हुए दिखे। पुलिस अब दोनों सदिग्धों की तलाश में लगी है। 
50 हजार केनाम पकड़वाने वाले को
सागर बड़े बाजार निवासी नरेंद्र सोनी ने बताया कि  वे अपने बेटे भाजपा नेता नितिन सोनीके फलदान के कार्यक्रम मैं छतरपुर गए। वहां होटल ला कैपिटल से कार्यक्रम रखा गया जहां उनके क्रीम  बैग में 651000 नगर एवं क्रीम बैग में  मौजूद एक काला बैग था जिसमें ₹82000 नगद 22 ग्राम सोना जिसमें 20 ग्राम का सोने का सिक्का एक और एक 1 ग्राम के 2 सिक्के मौजूद थे और एक 127 ग्राम की चांदी की थाली क्रीम बैग में रखी हुई थी दो अज्ञात जनों द्वारा बहुत चालाकी से बैग उठा ले गए। आरोपियों का पता बताने वाले को 50 हजार रुपया इनाम दिया जाएगा और पुलिस का सराफा बाजार से संम्मान होगा।
(सीसीटीवी के आधार पर संदेहियों के फोटो)
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किसी और को पति बताकर राशि हडपने वाली महिला एवं एक अन्य को तीन-तीन साल की सजा

किसी और को पति बताकर राशि हडपने वाली महिला एवं एक अन्य को तीन-तीन साल की सजा
सागर। किसी और को अपना पति बताकर राष्ट्रीय परिवार सहायता राशि हडप करने के मामले में एक महिला सहित एक अन्य आरोपी को सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश नवनीत कुमार वालिया सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुए तीन-तीन वर्ष के सश्रम कारावास और अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है।
 जिला लोक अभियोजन के मीडिया प्रभारी ब्रजेश दीक्षित ने बताया कि आरोपी सुहागरानी पत्नि धनीराम सौंर उम्र 60 वर्ष निवासी ग्राम निपनिया थाना सानौधा ने अपने आप को चैदे सौंर का पति बताते हुए ग्राम पंचायत शाहपुर से उसका मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करवा लिया। इसके बाद आरोपी सुहागरानी ने नगर पंचायत शाहपुर में राष्ट्रीय परिवार सहायता योजना के अंतर्गत मिलने वाली दस हजार रूपए की राशि के लिए फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत कर राशि प्राप्त करने के लि आवेदन किया। जिसके बाद यूनियन बैंक शाहपुर में आरोपी ने सुहागरानी पत्नि चैदे के नाम से बैंक एकाउंट खुलवाया और पंचायत निधिी से 10 हजार रूपए का चैक प्राप्त कर राशि आहरित कर ली। मामले में एक अन्य आरोपी शैलेन्द्र सिह पिता शंभू ंिसह गौड उम्र 45 वर्ष निवासी शाहपुर थाना सानौधा ने आरोपी सुहागरानी का पहचानकर्ता बताते हुए बैंक में उसका खाता खुलवाने में मदद की। दिनांक 13.06.2008 को मुख्य नगर पालिका अधिकारी जेपी सेन ने इस मामले की शिकायत चैकी शाहपुर में दर्ज कराई थी। जिस पर पुलिस ने आरोपियों के विरूध मामला दर्ज करते हुए चालान न्यायालय में पेश किया। जहां विचारण उपरांत सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश नवनीत कुमार वालिया सागर की अदालत ने आरोपी सुहागरानी को भादवि की धारा 419 में एक वर्ष का सश्रम कारावास, 2 हजार अर्थदण्ड, धारा 420 एवं 468 में तीन-तीन वर्ष का सश्रम कारावास व 4-4 हजार अर्थदण्ड वहीं आरोपी शैलेन्द्र ंिसह को धारा 420/34 एवं 468/120बी तीन-तीन वर्ष का सश्रम कारावास और चार-चार हजार रूपए अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है। मामले की पैरवी अभियोजन की ओर से अतिरिक्त डीपीओ शिवसंजय ने की।
नाबालिग को बहला फुसलाकर भगाने वाले को 10 वर्ष का कठोर कारावास
सागर। नाबालिग को बहला-फुसलाकर भगाकर ले जाने और उसके साथ बलात्संग करने वाले एक आरोपी को अपर सत्र न्यायाधीश रघुबीर प्रसाद पटेल देवरी जिला सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुए 10 वर्ष के कठोर कारावास और अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है।
जिला लोक अभियेाजन के मीडिया प्रभारी ब्रजेश दीक्षित ने बताया कि दिनांक 02.01.2017 को अभियोक्त्री जो कि कक्षा सातवीं की छात्रा थी। अपनी सहेली के साथ स्कूल गई। शाम को 5 बजे जब अभियोक्त्री की सहेली वापिस लौट आई तो अभियोक्त्री के माता-पिता ने अभियोक्त्री के बारे में पूछा। सहेली ने बताया कि आरोपी हरिशंकर पिता बद्री प्रसाद गौड उम्र 23 वर्ष निवासी थाना तेंदूखेडा उसे अपनी मोटरसाईकिल से स्कूल छोडने के बहाने कही ले गया है। जिसके बाद थाना महाराजपुर में आरोपी के विरूध मामला दर्ज कर तलाश शुरू की गई। अभियोक्त्री के दस्तयाब होने के बाद आरोपी के विरूध अलग-अलग धाराओं में चालान न्यायालय में पेश किया गया। जहां विचारण उपरांत अपर सत्र न्यायाधीश रघुबीर प्रसाद पटेल देवरी जिला सागर की अदालत ने आरोपी हरिशंकर को दोषी करार देते हुए भादवि की धारा 376(2) में दस वर्ष के कठोर कारावास, एक हजार रूपए अर्थदण्ड, धारा 363 में तीन वर्ष के सश्रम कारावास, पांच सौ रूपए अर्थदण्ड, एवं धारा 366 ए में दोषी करार देेते हुए तीन वर्ष के सश्रम कारावास और पांच सौ रूपए अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है। मामले की पैरवी अभियोजन की ओर विशेष लोक अभियोजक कपिल पांडेय ने की।
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राष्ट्रीय शालेय कूडो प्रतियोगिता 16 से 20 दिसंबर तक सागर में

राष्ट्रीय शालेय कूडो प्रतियोगिता 16 से 20 दिसंबर तक सागर में 
 सागर ।कलेक्टर श्रीमती प्रीति मैथिल नायक की अध्यक्षता में कलेक्टर सभाकक्ष में समय सीमा की बैठक आयोजित की गई। बैठक में षिक्षा विभाग की समीक्षा के दौरान लोक षिक्षण संयुक्त संचालक  आरएन शुक्ला ने बताया कि 16 दिसंबर से 20 दिसंबर तक सागर में राष्ट्रीय शालेय कूडो प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें प्रतिभागियों को ठहरने, यातायात परिवहन, स्वास्थ्य सेवाएं, टेबिल, कुर्सी आदि व्यवस्थाओं को लेकर संबंधित विभागों के सहयोग की आवष्यकता होगी।  कलेक्टर ने संबंधित विभागों के अधिकारियों को निर्देष दिए कि कूडो प्रतियोगिता के आयोजन में आवष्यक सहयोग करें। जिससे सागर में प्रतियोगिता का आयोजन सफलतापूर्वक किया जा सके। बैठक में अपर कलेक्टर श्री मूलचंद वर्मा, जिला पंचायत सीईओ श्री चन्द्रषेखर शुक्ला, नगर निगम आयुक्त श्री आरपी अहिरवार, संयुक्त कलेक्टर श्रीमती अंजली शाह, डिप्टी कलेक्टर सुश्री अमृता गर्ग और विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
कलेक्टर श्रीमती मैथिल ने लोक षिक्षण संयुक्त संचालक श्री आरएन शुक्ला से प्रतिभागियों और अन्य व्यवस्थाआंे के संबंध में जानकारी ली। श्री शुक्ला ने बताया कि कूडो प्रतियोगिता में लगभग 1000 प्रतिभागी शामिल होंगे। कलेक्टर श्रीमती मैथिल ने निर्देष दिए कि प्रतियोगिता में शामिल होने वाले प्रतिभागियों के ठहरने, खाने-पीने आदि व्यवस्थाओं के अच्छे प्रबंध हो।
कलेक्टर ने सभी विभाग के प्रमुखों को निर्देष दिए कि आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के तहत लंबित प्रकरणों का शीघ्रता से निराकरण सुनिष्चित करंे। बैठक में कलेक्टर ने सीएम हेल्पलाईन के तहत प्राप्त षिकायतों की विभाग वार जानकारी ली और अधिकारियों को निर्देष दिए कि षिकायतों का तत्परता से निराकरण करें। उन्होंने विभिन्न विभागों के विभाग प्रमुखों को निर्देष दिए कि प्रभारी सचिव द्वारा ली गई बैठक में दिए गए दिषा निर्देषों का पालन करें। उन्होंने उर्जा विभाग और षिक्षा विभाग के अधिकारियों से लंबित प्रकरणों की जानकारी ली और निराकरण करने के निर्देष दिये । बैठक में स्वास्थ्य विभाग की भी समीक्षा की।
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वित्तीय घोटालों के लिए परिस्थितियाँ, प्रेरणा एवं व्यक्ति की प्रवृति जिम्मेदार : प्रो. राजेंद्र पी. श्रीवास्तव, यु.एस.ए.


वित्तीय घोटालों के लिए परिस्थितियाँ, प्रेरणा एवं व्यक्ति की प्रवृति जिम्मेदार : प्रो. राजेंद्र पी. श्रीवास्तव, यु.एस.ए.  
सागर। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की विदेशी प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के मूर्धन्य प्राध्यापकों के ज्ञान का लाभ भारतीय छात्रों को प्रदान करने वाली योजना " ग्लोबल इनीशिएटिव ऑफ़ एकेडेमिक नेटवर्किंग "( ज्ञान ) के तहत डॉ हरीसिंग गौर केन्द्रीय विवि सागर के  वाणिज्य  विभाग द्वारा " वित्तीय विवरणों के प्रकटीकरण के नियम और वित्तीय घोटालों " विषय पर चार दिवसीय कार्यक्रम शुरू हुआ।
इसका शुभारंभअमेरिका के केन्सास विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ़ बिजनेस के प्रो राजेंद्र पी श्रीवास्तव और  कुलपति प्रो आर पी तिवारी ने किया।
 वाणिज्य विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो डी के नेमा ने स्वागत भाषण दिया | इस ज्ञान कोर्स के समन्वयक प्रो जी एल पुणताम्बेकर ने अमेरिका से पधारे प्रो राजेंद्र पी श्रीवास्तव का अकादमिक परिचय दिया | इसके पश्च्यात प्रो राजेंद्र पी श्रीवास्तव ने कोर्से की महत्ता एवं उपादेयता तथा एक सप्ताह चलने वाले इस कोर्स में शामिल किये जाने वाले विविध विषयों की जानकारी दी |
 कुलपति प्रो आर पी तिवारी ने कोर्स के विषय की प्रशंसा करते हुए कहा कि इसमें शामिल किये गए डिस्कशन सेशन निश्चय ही देश के सभी क्षेत्रों में होने वाले वित्तीय घोटालों के व्यवहारिक समाधान प्रदान करने में मदद करेगी | उन्होंने ज्ञान कोर्स स्वीकृत होने में विश्वविद्यालय की अच्छी स्थिति के लिए विश्वविद्यालय के ज्ञान समन्वयक प्रो देवाशीष बोस को बधाई दी पर विविध विषयों पर विदेशी विद्वानों से संपर्क का लाभ विश्वविद्यालय के गुणवत्तापूर्ण शोध में मिले, इसका प्रयास होना चाहिये |
इस ज्ञान के प्रथम एवं द्वितीय सत्र में प्रो राजेंद्र पी श्रीवास्तव ने उन तीन कारकों की विस्तार से व्याख्या की जो वित्तीय घोटालों को जन्म देते हैं | उन्होंने अपने शोध पत्र के परिणामों के माध्यम से बताया कि घोटालों से मिलाने वाला लाभ ( इंसेंटिव), घोटाला करने की प्रेरणा देने वाली परिस्थितियां और सबसे महत्वपूर्ण तत्व व्यक्ति की प्रवृती वे तत्व हैं जो घोटालों जन्म देते हैं | इन तीन परिस्थितियों में से 2 स्थितियां तो लगभग सभी प्रकरणों में मिल जाती है परन्तु कुछ् प्रकरणों में एकल एक परिस्थिति ही होती है परन्तु व्यक्ति की अनुकूल प्रवृती अन्य परिस्थितियों को निर्मित कर लेती है |
प्रो श्रीवास्तव ने  अपने दूसरे व्याख्यान में भारत और दुनिया में इन घोटालों को रोकने के लिए किये गये उपायों को प्रदर्शित करते हुए बड़े ही उपयुक्त उदाहरणों से घोटाले के तीनों तत्वों को नियंत्रित करने के लिए उपाय बताये परन्तु उन्होंने अंत में यह भी कहा कि अभी वित्तीय घोटालों को नियंत्रित करने का कोई फूल –प्रूफ तरीका नही खोजा जा सका है और यही इस ज्ञान कोर्स की आवश्यकता को प्रतिपादित करता है | 
 इस कोर्स में विश्वविद्यालय के वाणिज्य, अर्थशास्त्र, प्रबंध अध्ययन विभाग के शिक्षक, शहर के चार्टर्ड एकाउंटेनट  शोध छात्र और अन्य छात्र के साथ ग्वालियर तथा केरल से भी शिक्षक प्रतिभागी भाग लेने आये हैं | आगामी सत्रों में ज्ञान विषय के विविध आयामों को छुआ जावेगा | इस सम्पूर्ण कार्यक्रम की सफल व्यवस्था डॉ शालिनी चोइथ रानी, मनोहर सिंह, नीतू कुशवाहा और गीतांजली दांगी  व अन्य शोध छात्रों ने की |
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डॉक्टर गौर को भारत रत्न देने एवं क्षिप्रा एक्सप्रेस को प्रतिदिन चलाने की मांग को लेकर होगा जन संघर्ष:-रघु ठाकुर

डॉक्टर गौर को भारत रत्न देने एवं क्षिप्रा एक्सप्रेस को प्रतिदिन  चलाने की मांग को लेकर होगा जन संघर्ष:-रघु ठाकुर
सागर।सर्वदलीय नागरिक संघर्ष मोर्चा का एक दिन का धरना आज तीन मडिया पर संपन्न हुआ मोर्चा के संरक्षक रघु ठाकुर ने  कहा कि अब भारत रत्न डॉ हरिसिंह गौर को मिलने का समय आ गया है हम सबकी जिम्मेदारी है और उनका ऋण भी है की अब डॉक्टर गौर एवं मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न दिलाने बुंदेलखंड की जनता एक हो जाए और भारत के प्रधानमंत्री और संसद को हिलाने का काम करें।
इस आवाज को जन संघर्ष की आवाज बनाना होगा और वह दिन दूर नहीं होगा जब बुंदेलखंड की जनता भारत रत्न गौर साहब को हासिल कर लेगी उन्होंने कहा कि हमारे साथ बहुत अन्याय हो रहा है आज बुंदेलखंड को आबादी के अनुपात में    बजट में हिस्सा चाहिए रेल लाइनों में भी अनुपातिक हिस्सा चाहिए और साथ ही स्वीकृत रेल लाइनों पर जल्दी काम शुरू होना चाहिए छपरा एक्सप्रेस गाड़ी जो बहुत संघर्ष के बाद चली थी उसको प्रतिदिन चलाएं रेल मंत्री को चाहिए कि दक्षिण भारत के लिए भी सागर से गाड़ी शुरू करें बीना में शताब्दी गाड़ी का स्टॉपेज तत्काल मंजूर हो। पूर्व विधायक सुनील जैन ने कहा कि बुंदेलखंड की उपेक्षा बर्दास्त नहीं कि जाएगी हम मोर्चा की प्रत्येक जनहितैषी नीतियों के साथ रहे हैं और भविष्य में भी रहेंगे।
धरने को काँग्रेस के कार्यकारी अध्य्क्ष सुरेन्द्र सुहाने, पंकज सिंघई,राजकुमार कोरी,रफीक गनी, मोर्चा के संयोजक डॉ बद्री प्रसाद, शिव सेना के पप्पू,कैलाश दाउ, तिवारी,सहित अनेक लोगों ने सम्बोधित किया।इस अवसर पर पप्पू गुप्ता, अशोक चौधरी,अनवर खान राजेश यादव आदि मौजूद रहे।आभार वयोवृद्ध चिंतक सुखदेव तिवारी  एवं संचालन रामकुमार पचौरी ने किया।
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आध्यात्म एवं विज्ञान के समन्वय होगा सर्वोदय: स्वामी परमानन्द जी, अद्वैत उत्सव में पूर्व सीएम शिवराज चौहान का संम्मान

आध्यात्म एवं विज्ञान के समन्वय होगा सर्वोदय: स्वामी परमानन्द जी,
अद्वैत उत्सव में पूर्व सीएम शिवराज चौहान का संम्मान
सागर। महामण्डलेष्वर स्वामी परमानन्द गिरी जी महाराज ने कहा कि आज कल्याण के सभी साधन सुलभ हैं। विज्ञान ने सारी सुविधाएँ दी हैं लेकिन विज्ञान के कारण ही बर्बाद भी हो सकते हैं। जब आध्यात्म और विज्ञान मिलते हैं तभी सर्वोदय होता है। यदि विज्ञान और राजनीति मिल जाये ंतो सर्वनाष भी हो सकता है। आज राजनीतिक हाथों में आणविक शक्ति होने का असर हमें देखने को मिल रहा है। महामण्डलेष्वर स्वामी परमानन्द गिरी महाराज ने डाॅ. हरीसिंह गौर वि. वि., सागर और संस्कृति विभाग, मध्यप्रदेष द्वारा  संयुक्त रूप से आयोजित तीन दिवसीय अद्वैत उत्सव के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि सन्तों के हाथ में ही शस्त्र होने चाहिए। विज्ञान भी एक शस्त्र है। 
अद्वैत सिद्धान्त का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि द्वैत एवं अद्वैत एक दूसरे से जुड़े हैं। द्वैत नहीं है तो अद्वैत को कैसे देखेंगे। उन्होंने कहा कि अद्वैत ही व्यक्ति को आत्मावान बनायेगा और भारत को विष्वगुरू के रूप में स्थापित करेगा।
 अद्वेतवाद आज भी प्रासंगिक:सुरेश सोनी
 सत्र के मुख्य वक्ता सुरेष सोनी ने कहा कि सामाजिक जीवन में अद्वैत का ज्ञान कैसे बढे़, आज इस बात पर चिंतन करने की आवष्यकता है। विष्व भर में बढ़ रही समस्याओं के हल के लिए अद्वैत का सिद्धान्त आज अधिक प्रासंगिक है। समाज में विभेद की दृष्टि होने के कारण ही समस्यायें पैदा हो रही हैं। हमनें प्रकृति को भोग्य मानकर इसका दोहन किया लेकिन हमारे यहाँ प्रकृति के साथ एकात्मता का भाव था। एकात्मता का यह चिंतन आध्यात्म, अर्थषास्त्र, कला एवं समाज शास्त्र में दिखता भी है। आज आवष्यकता इस बात की है कि भारत अद्वैत सिद्धान्त के आधार पर सम्पूर्ण विष्व को दिषा और व्यवहार का दर्षन दे।
 
अद्वैत भारत की माटी और जड़ों में है: शिवराज सिंह
 पूर्व मुख्यमंत्री  षिवराज सिंह चैहान ने कहा कि अद्वैत भारत की माटी और जड़ों में है। 'सियाराम में सब जग जानी' ये विचार हमारे यहाँ प्राचीन समय से ही चला आ रहा है। समस्त विद्वतजन इस विचार को ही समाज में भेद-भाव को मिटाने वाला बताते हैं। सारी दुनिया एक परिवार है यही अद्वैतवाद है। धर्म की जय हो, अधर्म का नाष हो, प्राणियों में सद्भावना हो विष्व का कल्याण हों यही अद्वैतवाद हैै। यह सबकी मंगल की कामना करने वाला सिद्धान्त है। 
पूर्व केन्द्रीय मंत्री डाॅ. सत्यपाल सिंह ने कहा कि  भारतीय दर्षन परम्परा की जितनी भी अवधारणाएँ हैं वे कहीं न कहीं ईष्वर के अस्तित्व को ही प्रमाणित करती हैं। प्रकृति मानव अस्तित्व में कितनी महत्त्वपूर्ण है यह सिद्ध करने के लिए बताया कि ब्रह्म सभी जगह विद्यमान है। सत्य से साक्षात्कार करना है तो आवरण हटाना होगा ।
जगत पूज्य है, भोग नहीं:
  स्वामी परमात्मानंद सरस्वती ने कहा कि आज विष्व आर्थिक और धार्मिक एवं सांस्कृतिक युद्ध से जूझ रहा है। स्वयं को सर्वश्रेष्ठ बताने की होड़ है। आज आवष्यकता है कि हम किसी एक सिद्धान्त को मानें परन्तु सम्मान समस्त सिद्धान्तों का करें। उन्होंने बताया कि जब हम यह कहते हैं कि 'ब्रह्म सत्य, जगत मिथ्या' तब मिथ्या से हमारा अभिप्राय इसके शाब्दिक अर्थ से नहीं होता। नामरूप मिथ्या वस्तु की सत्यता से ही सम्बन्धित है। मिथ्या का आधार ही सत्यता से है। 
मानव और प्रकृति के बीच समन्वय है अद्वेत:कुलपति
 कुलपति प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी ने कहा कि अद्वैत वेदान्त दर्षन ने भारतीय संस्कृति और सभ्यता के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है और मानव एवं प्रकृति के बीच एक सामंजस्य स्थापित करने में भी इस दर्षन की महती भूमिका रही है। अद्वैत उत्सव 2019 के समन्वयक एवं प्रख्यात दर्षनाचार्य प्रो. अम्बिकादत्त षर्मा जी ने अद्वैत उत्सव के आयोजन की भूमिका पर प्रकाष डालते हुए कहा कि विष्व में जितने भी दर्षन अस्तित्व में हैं, उनमें से सर्वश्रेष्ठ दर्षन है अद्वैत वेदान्त का दर्षन जो सार्वभौमिक एकात्मता(न्दपअमतेंस व्दमदमेे) को विषिष्ट रूप से प्रतिपादित करता है।
इनका हुआ सम्मान 
कार्यक्रम में चिन्मय इंटरनेषनल फाउंडेषन, वेलियानाड, केरल, आर्ष विद्या गुरुकुलम, अनाईकट्टी, तमिलनाडु, अद्वैत शारदा, श्रृंगेरी शारदा पीठ, कर्नाटक, अद्वैत आश्रम, रामकृष्ण मिषन, मायावती, उत्तराखण्ड, आदि शंकर ब्रह्म-विद्या पीठ, सोमाश्रम, उत्तरकाषी(हिमालय), पूर्व मुख्यमंत्री  षिवराज सिंह चैहान और सुप्रसिद्ध चित्रकार वासुदेव कामथ, मुम्बई को अद्वैत सिद्धान्त के प्रचार-प्रसार में महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए  सम्मानित किया गया।
आभार प्रभारी कुलसचिव संतोष सोहगौरा ने व्यक्त किया। संचालन श्री विनय उपाध्याय ने किया।
प्रथम सत्र
प्रथम तकनीकी सत्र षंकराचार्य जी के जीवन, दर्षन एवं मठामनाय परम्पराओं पर केन्द्रित था। इस सत्र की अध्यक्षता स्वामी परमात्मानन्द सरस्वती जी ने की तथा मुख्य वक्ता थे डाॅ. बलदेवानंद सागर। सागर जी ने अपने वक्तव्य में शंकराचार्य की जीवन की मुख्य बातें बताते हुए कहा कि आठ वर्ष की आयु में शंकराचार्य को चारों वेदों का ज्ञान, 12 वर्ष की आयु में शास्त्र ज्ञान तथा 16 की आयु में शंकर भाष्य रचना कर दी। मात्र 32 वर्ष की आयु में उन्होंने मोक्ष प्राप्ति की परन्तु इस छोटे से जीवनकाल में उन्होंने 4 प्रमुख मठों की स्थापना की जो कि आज भी वैदिक परम्पराओं और वैदिक दृष्टि के गढ़ हैं।  
परमात्मानंद सरस्वती जी ने हिन्दू दृष्टि के बारे में बात करते हुए इस बात पर जोर दिया कि हिन्दू दृष्टि व्यक्ति केन्द्रित नहीं अपितु धर्म केन्द्रित है। हिन्दू जीवन शैली परमसत्य दर्षन का मार्ग है जो कि पष्चिमी धर्म की अवधारणा द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सकता।
दूसरा सत्र
द्वितीय तकनीकी सत्र षंकराचार्य के अद्वैत वेदान्त के पूर्व एवं पष्चात दार्षनिक विकास पर केन्द्रित था। इस सत्र की अध्यक्षता स्वामी समवित सोमगिरी जी ने की तथा वक्ता थे श्री मुकुल कानितकर एवं डाॅ. महेश चंद्र षर्मा जी। श्री कानितकर जी ने अपने वक्तव्य में स्वामी विवेकानन्द जी का संदर्भ देते हुए कहा कि कैसे पष्चिमी ज्ञान परम्परायें सनातन ज्ञान परम्परा से भिन्न हैं। भारतीय ज्ञान परम्परा में एकात्म दृष्टि को अपने जीवन में आत्मसात करके परम्परागत रूप से अद्वैतवाद स्थापित करने को संस्कार कहते हैं। किसी भी परिवर्तन का आधार विचार और स्वाध्याय होना चाहिए। तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भारत यदि सदियों से अपने अस्तित्व को संजो पाया है तो उसका मुख्य कारण है कि धर्म हमारे आचरण एवं व्यवहार का हिस्सा है। 
डाॅ. महेष चंन्द्र षर्मा जी कहा कि भारतीय राजनीति में पष्चिमी राजनीति का असर दिखायी देता है। इसीलिए शंकराचार्य एवं उनके कार्य हमारे लिए प्रेरणास्रोत हैं। 
स्वामी समवित सोमगिरी जी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि प्रत्येक व्यक्ति अनंत की यात्रा पर अग्रसर है और यदि उसकी दृष्टि वैदिक ज्ञान से पुष्ट नहीं है तो उसका भटकना तय है। ब्रह्म ज्ञान सब को हो सकता है यदि उसकी दृष्टि ठीक है। 
कलाकृतियों कीप्रदर्शनी
कार्यक्रम स्थल पर अद्वैत सिद्धान्त को प्रतिपादित करते हुए कलाकृतियों एवं पुस्तकों की प्रदर्षनी भी आयोजित की गई है। संगोष्ठी में देष-विदेष के तीन सौ से अधिक विद्वान प्रतिभागी, चित्रकार एवं रंगकर्मी प्रतिभागिता कर रहे हैं।
ये रहे मौजूद
कार्यक्रम में पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह,विधायक शेलेन्द्र जैन ,प्रदीप लारिया,सुधीर यादव, सहित अनेक नागरिक गण उपस्थित थे।

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भारत बचाओ रैली के सिलसिले में सेवादल कांग्रेस की बैठक

भारत बचाओ रैली के सिलसिले में सेवादल कांग्रेस की बैठक
सागर। आगामी 14 दिसम्बर को दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित भारत बचाओ आंदोलन रैली को सफल बनाने की रूपरेखा बनाने के लिए कांग्रेस सेवादल महिला विंग यूथ बिग्रेड की संयुक्त बैठक साहू धम॔शाला बडा बाजार आहूत की गई ।बैठक की अध्यक्षता अध्यक्ष  रेखा चौधरी ने की।
 उन्होंने कहा कि  सेवादल को अनुशासन के साथ और समय पर पहुंचने एवं कांग्रेस पार्टी द्वारा निर्देशित आदेश का पालन करना है। प्रदेश सचिव अमित दुबे राम जी ने कहा कि सेवादल के साथियों को रैली में जाने के लिए जो भी जिम्मेदारी मुझे मिलेगी उसे निर्वाहन करना हम सब की जबाब दारी है ।कार्यवाहक अध्यक्ष जितेंद्र सिंह चावला ने कहा कि सेवादल के अध्यक्ष सिंटू कटारे को बहुत बधाई शुभकामनायें देते हुए सेवादल के लिए हरसंभव मदद करने को तैयार हूँ। डाॅ संदीप सबलोक  ने कहा कि दिल्ली में आयोजित सभी रैली सम्मेलनों मे सागर सेवादल ने बढचढ कर भाग लिया है। सेवादल के पूव॔ अध्यक्ष सुरेन्द्र सुहाने ने कहा कि सेवादल सागर ने 1984 की रैली में ऐतिहासिक सफलता पूर्वक काय॔ किया था। 
।पूव॔ विधायक सुनील जैन ने कहा कि सेवादल को आने जाने के लिए अल्पाहार की वयवस्था हमारी रहेगी एवं सागर विधानसभा चुनाव लडें। भाई नेवी जैन ने कहा कि सेवादल के लिए हरसंभव मदद करने को तैयार हूँ । काय॔क्रम का संचालन प्रदेश संयोजक विजय साहू ने किया। काय॔क्रम की शुरुआत वंदेमातरम गायन एवं समापन पर राष्ट्रगान द्वारका चौधरी ने कराया ।
बैठक में ये रहे मौजूद
बैठक में  पप्पू गुप्ता, हेमकुमारी पटेल डाॅ दिनेश पटैरिया नरेश बोहरे ओंम प्रकाश पांडेय  दीनदयाल तिवारी  राजेश यादव  राजीव अग्निहोत्री सेवादल के ब्लाक अध्यक्ष नितिन पचौरी प्रीतम यादव आनंद हैला कोषाध्यक्ष पदम जैन देहाती उपाध्यक्ष चंद्रभान अहिरवार मुकुल शर्मा रानू ठाकुर अरुण चकिया मोनू गुप्ता चौधरी आमिर हुसैन राईन फैजल परवेज फहीम अंसारी मजहर हासमी आदिल राईन पवन घोषी सचिन सेन अन्नू घोषी वसीम खान कमलेश मछंदर मिथुन घारु रोहित वाल्मीकि राहुल जाटव असद खान मनु सोनी हेमेश बाल्मीकि अरविंद सेंगर राम गोपाल यादव विलली रजक सूर्या यादव राहुल वाल्मीकि सौरभ वाल्मीकि अमर वाल्मीकि अंकित सनकत सचिन सेन मीरा अहिरवार लीला अहिरवार रुबी अहिरवार पूनम अहिरवार जमीर पठान शुभम् उपाध्याय वृजेश पटेल संदीप लडिया शेख ताज संजय  चौधरी आदि कार्य कर्ता उपस्थित थे।
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पूर्व सीएम शिवराज सिंह का पुतला जलाया कांग्रेसियों ने,किसानों को उकसाने में लगे है शिवराज:पूर्व मंत्री सुरेंद्र चोधरी

पूर्व सीएम शिवराज सिंह का पुतला जलाया कांग्रेसियों ने,किसानों को उकसाने में लगे है शिवराज:पूर्व मंत्री सुरेंद्र चोधरी
सागर। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा पिछले दिनों  मुख्यमंत्री  कमलनाथ पर अशोभनीय व अभद्र भाषा का प्रयोग किये जाने के विरोध में जिला युवा कांग्रेस के तत्वाधान में म.प्र.कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री  सुरेन्द्र चौधरी की अगुवाई में पुतला दहन किया गया।
कांग्रेसजन शिवराज सिंह का पुतला लेकर नारेबाजी करते हुए निकले। इसके बाद पुतला फूंका। पूर्व मन्त्री सुरेंद्र चोधरी ने कहा कि शिवराज सिंह ने अशोभनीय भाषा का प्रयोग किया है । यह निंदनीय है । मन्त्रीयो का घेराव करने जैसे बयान के जरिये वे किसानों को उकसाने का काम कर रहे है । भाजपा को चाहिए कि वे केंद्र सरकार से किसानों को राहत राशि और यूरिया को उपलब्ध कराने में मदद करे। युवक काँग्रेस अध्यक्षअसरफ खान, मयंक तिवारी युवा काँग्रेस अध्यक्ष अशरफ खान ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह के व्यान से भाजपा का असली चहरा सबके सामने आ गया।
ये रहे शामिल
पुतला  दहन कार्यक्रम में जितेंद्र चावला,अमित राम जी दुबे,अखिलेश मोनी केशरवानी,सुरेंद्र चोबे, राशिद खान, चौधरी  शौकत अली, रामजी दुबे जेेेरवारा,रामदयाल चोवे,शरद पुरोहित,आर आर. पारासर, शरद राजा सेन, अनिल कुर्मी, मुन्ना विश्वकर्मा, सुरेन्द्र करोसिया, निखिल चौकसे , पुरुषोत्तम शिल्पी, उत्तमराव तायड़े, रवि उमहिया, कुंदन जाट, अबरार सौदागर, जयराम खटीक,सुनील सिंह भदौरिया, वीरेंद्र चौधरी,प्रभात भंडारी, शिवा राठौर,साजिद राईन,सन्ना भाईजान, वीरेंद्र महावते,एजाज राईन, मुल्ले चौधरी,संदीप चौधरी, रोहित वर्मा,धीरज खरे, सत्यम चतुर्वेदी,पप्पू चौधरी,एम. आई. खान, गोपाल तिवारी,नाथूराम चौधरी,रिम्पी गर्ग,राहुल जैन, मनोज लखेरा, सुरेश जाटव,अंकुर गुप्ता,रशीद राइन,गोलू पचौरी, राहुल जाटव, मनु सोनी,राजकुमार, बबलू चौधरी, मदन सेन, संजय रोहिदास, नवीन वर्मा,राहुल राजपूत,सिज्जु निहारिया, चक्रेश रोहितआनंद अहिरवार,मोहन अहिरवार, सुनील कुमार, रघुवीर अहिरवार, पुष्पेंद्र राठौर,गंगाराम अहिरवार, राजकुमार,रोहित सिंह, नरेश राय, अनिकेत शुक्ला, राज कोरी,हिमांशु रैकवार, मनीष सेन, विशाल पटेल,अनिल सेन, जानी खान,छोटू साहु, सहित बड़ी संख्या में कांग्रेसजन मौजूद थे।

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हम हैं इंसान टीम ने सी.आर मॉडल को दिया खूबसूरत नया स्वरूप

हम हैं इंसान टीम ने  सी.आर मॉडल को दिया खूबसूरत नया स्वरूप
सागर।मेरा शहर मेरी जिम्मेदारी विचार के साथ पिछले तीन माह से ये ग्रुप सागर को सुंदर और स्वच्छ बनाने का अथक प्रयास कर रहा है।  प्रत्येक रविवार को सुबह 9:00 बजे से ग्रुप के युवा काम में लग जाते हैं। 
बड़े बाजार स्थित सी.आर. मॉडल स्कूल में स्वच्छता अभियान चलाया। स्कूल के मैदान में चारों ओर गंदगी पसरी हुई थी।शाम होते ही शराबी यह डेरा डाल लेते है जिससे मैदान में डिस्पोजल, शराब की बोतलें अन्य कचरा फैला रहता है। गंदगी के कारण मैदान में कोई टहलना भी पसंद नहीं कर रहा था। स्थानीय लोगों ने इस समस्या से जनप्रतिनिधियों को कई बार अवगत कराया, लेकिन मैदान की साफ-सफाई की ओर ध्यान नहीं दिया गया। तत्पश्चात हम हैं इंसान ग्रुप ने मैदान की साफ-सफाई करने का निर्णय लिया।आज मैदान की सफाई के बाद दीवारों की पुताई कर बुंदेली आकृतियों के साथ स्वछता के संदेश लिखे। 
ग्रुप के सदस्य प्रशांत श्रीवास्तव ने बताया कि हमारा ऐसा मानना है कि सागर को स्वच्छ रखना हमारी जिम्मेदारी है और इसे हम बखूबी निभा रहे हैं साथ ही आमजन से अपील करते है सागर को स्वच्छ और सुंदर बनाने में अपना योगदान दें और शहर को गंदा ना करें और ना ही लोगों करने दें। प्रशासन से आग्रह है कि स्कूल मैदान में शराब पीने वालो और गंदा करने वालो पर शक्त कार्यवाही करें।
 अभियान में ये रहे शामिल
 शुभम श्रीवास्तव, अश्वनी सैनी, प्रशांत, व्योम, हेमन्त, शिवम, साकेत, व्योम,अश्वनी,हेमन्त ,सौरभ,प्रह्लाद,राहुल सोनी,आशुतोष सोनी,सुधीर,आदित्य,अनमोल,प्रियांशु,राजा पांडे,आकांक्षा,आनंद,चंदन,आशुतोष,अम्बर आदि शामिल हुए।
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