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थाने के डस्टबिन में फंसा सांड का मुंह, फिर मचाया उपद्रव,पुलिसकर्मी ने जी मशक्कत

थाने के डस्टबिन में फंसा सांड का मुंह, फिर मचाया उपद्रव,पुलिसकर्मी ने जी मशक्कत
सागर। आम तौर पर थानों में जाने से लोग बचतेहै । लेकिन  सागर के  सिविल लाइन थाने में तस्वीर कुछ हट के दिखी। दरअसल यहाँ एक सांड थाने परिसर में आया और खाने की तलाश में बाहर रखे डस्टबिन में मुह डाल दिया। उसका मुंह डस्टबिन में फंस गया। फिर क्या था। सांड डस्टबिन उठाये  इधर उधर भागता रहा। थाने का स्टाफ भी हैरान कि क्या किया जाए। एक पुलिस कर्मी ने हिम्मत दिखाई और सांड को समस्या से निजात दिलाई। यही नही सांड ने थाने में रखे फर्नीचर ओर गमलों को भी तोड़ दिया। आरक्षक रामचंद्र दुबे ने  सांड का सामना करते हुए सांड के मुंह मे फंसे डस्ट बिन को उसके मुंह से बाहर निकाला।तब कही उस सांड की जान में जान आई और थाना स्टाफ ने भी राहत भरी सांस ली।काफी देर तक तमाशा चलता रहा। 
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सागर में जिला कार्यालय में पदस्थ सभी अधिकारियों/कर्मचारियों की छुट्टी पर लगा प्रतिबंध,कलेक्टर ने दिये आदेश

सागर में जिला कार्यालय में पदस्थ सभी अधिकारियों/कर्मचारियों की छुट्टी पर लगा प्रतिबंध,कलेक्टर ने दिये आदेश
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बुंदेली कलाकृतियों के रंग से सजाई केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 1 की दीवारें ,छावनी परिषद को दिया बुंदेली लुक

बुंदेली कलाकृतियों के रंग से सजाई केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 1 की दीवारें ,छावनी परिषद को दिया बुंदेली लुक
सागर। "हम हैं इंसान" ग्रुप के द्वारा शहर में प्रत्येक रविवार को चलाए जा रहे स्वच्छता अभियान के तहत,  इस रविवार, ग्रुप ने कैंट एरिया स्थित केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 1 में श्रमदान करके बिताया।
हमारा शहर, हमारी जिम्मेदारी समझ कर , हर रविवार को शहर सजाने में जुट जाती है "हम हैं इंसान" की टीम। इस बार "कैंट प्रशासन" एवं "हम हैं इंसान" टीम के संयुक्त तत्वावधान में युवाओं ने केंद्रीय विद्यालय स्कूल की बाहरी दीवारों के रंगरोगन कर, बुंदेली आकृतियों, तथा स्वच्छता के संदेशों से दीवारों को सजा दिया एवं छावनी परिषद के सामने पार्क में दिख रही गंदगी को भी साफ करके शहरवासियों को स्वच्छता का संदेश अपने कार्य के माध्यम से दिया।
ग्रुप के सदस्य साकेत मिश्रा ने बताया कि देश का निर्माण, स्कूलों की शिक्षा के माध्यम से ही होती है, जब स्कूलों में बच्चे अपने आसपास स्वच्छता का वातावरण देखेंगे तभी वे समाज में भी स्वच्छता लाएंगे। इसके अलावा उन्होंने रंग रोगन एवं चित्रकारी में इस्तेमाल होने वाली सामग्री उपलब्ध कराने एवं भरपूर सहयोग के लिए छावनी परिषद का धन्यवाद दिया।
अभियान में ये रहे शामिल
अभियान में शुभम श्रीवास्तव, व्योम श्रीवास्तव ,विक्रम बागरी, अश्वनी सैनी, सुरजीत सिंह,अमन श्रीवास्तव,मंगला नामदेव, शिवानी, चंदन अहिरवार, साकेत मिश्रा, शिवम श्रीवास्तव,सौरभ विश्वकर्मा, वरुण, राज गर्ग, देवेंद्र नामदेव, सलिल श्रीवास्तव, राहुल गोस्वामी, सौरभ श्रीवास्तव, पंकज श्रीवास्तव, विशाल जैन, पूजा, आकांक्षा गुप्ता, हिमांशु दुबे, , नितिन ,अंजलि गुप्ता,सोम श्रीवास्तव,हर्षित गुप्ता, भावना, प्रशांत श्रीवास्तव, नीलेश गौर, हर्षिता नायक,संकेत जैन शामिल हुए।
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एमपी।भोपाल, ग्वालियर, चम्बल उज्जैन, रीवा , होशंगाबाद, जबलपुर संभागों में वर्षा की संभावना

एमपी।भोपाल, ग्वालियर, चम्बल उज्जैन, रीवा , होशंगाबाद, जबलपुर संभागों में  वर्षा की संभावना 
सागर।मौसम विज्ञानी डॉ शैलेन्द्र नायक के अनुसार मौसम का पूर्वानुमान कुछ यूं रहेगा,  पिछले एक सप्ताह के दौरान, पूरे मध्य प्रदेश में शुष्क मौसम की स्थिति बनी रही। राज्य के उत्तरी भागों में मध्यम से घना कोहरा छाया रहा।
वर्तमान में, निम्न स्तरों में गुजरात के पूर्वी भागों में एक चक्रवाती परिचलन विकसित हुआ है और एक ऊपरी वायु द्रोणिका  अरब सागर के पूर्वी-मध्य भागों से लेकर राजस्थान के पूर्वी भागों तक फैला हुआ है, जो अरब सागर से नम हवाएँ प्रदान कर रहा है। चूंकि, यह प्रणाली  बनी रहेगी तीन से चार दिनों के दौरान मध्य प्रदेश में बनी रहेगी और शिफ्टिंग होगी। इसलिए मध्य प्रदेश के अधिकांश हिस्से कई स्थानों पर हल्की बारिश और गरज के साथ प्रभावित होंगे। एक या दो स्थानों पर ओलावृष्टि के साथ बारिश और गरज के साथ हल्की बौछारें पड़ सकती हैं। अगले 24 घंटों के दौरान, मध्य प्रदेश के पश्चिमी हिस्सों में, कहीं-कहीं   पर हल्की बारिश और गरज के साथ छींटे पड़ सकते हैं। इसके बाद, मध्य प्रदेश और मध्यप्रदेश के अन्य हिस्सों में दक्षिण पूर्व भागों को छोड़कर बारिश फैल जाएगी।
भोपाल, गुना, अशोकनगर, शिवपुरी, दतिया, भिंड, ग्वालियर, मुरैना, सतना, दमोह, उज्जैन, पन्ना, रीवा,सीधी , होशंगाबाद, जबलपुर, शहडोल आदि स्थानों पर बारिशों की संभावना है। इस तरह की गतिविधियां 28  दिसंबर तक चल सकतीं है। इस बीच, वायु द्रव्यमान के परिवर्तन के कारण रात के तापमान में 2 से 4 डिग्री की वृद्धि होगी, जबकि बादल और बारिश की उपस्थिति के कारण दिन के तापमान में कमी होने की उम्मीद है।
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जामिया से जबलपुर तक ये कैसा दिसंबर ब्रजेश राजपूत /सुबह सवेरे में ग्राउंड रिपोर्ट

जामिया से जबलपुर तक ये कैसा दिसंबर

ब्रजेश राजपूत /सुबह सवेरे में ग्राउंड रिपोर्ट 

पत्रकारिता के दिनों के बीस साल सिर्फ टेलीविजन पत्रकारिता में गुजारने के बाद भी टीवी स्क्रीन पर पहले कभी ऐसा नजारा इतने दिनों तक लगातार नहीं देखा। जो भी चैनल चलाओ स्क्रीन पर अनेक विंडो में हिंसा ही दिख रही है। कही गाडियों में आग लगी है तो कहीं पुलिस लाठीचार्ज कर रही है कहीं पथराव कर भीड भाग रही है तो कहीं आंसू गैस के गोलेे छोडे जा रहे हैं। समाचार चैनलों की ऐसी जलती हुयी स्क्रीनें इतने दिनों मैंने पहले कभी देखी हो या नहीं पडता। मगर सबसे ज्यादा दिल दुखाने वाला दृश्य वो था जब बेंगलूरू में इंडिया आफटर गांधी जैसी चर्चित किताब लिखने वाले मशहूर इतिहासकार रामचंद्र गुहा को गांधी का पोस्टर हाथ में लेकर प्रदर्शन करते हुये पुलिस ने धकियाते हुये हिरासत में ले लिया। 
सच समझ नहीं आ रहा कि ये विरोध प्रदर्शन इतने हिंसक क्यों हो रहे हैं और यदि विरोध प्रदर्शन इस बडे पैमाने पर हो रहे हैं तो सरकार नागरिकता संशोधन कानून 2019 सीएए को लेकर नाराजगी और राप्टीय नागरिक रजिस्टर एनआरसी को लेकर जो आशंकाएं हैं उनको लेकर जनता को समझाने कोई क्यों नहीं आ रही। क्यों देश का एक बडा वर्ग वो भी अल्पसंख्यक इस आशंका में जी रहा है कि उसे अपने बाप दादा के देश में अपनी नागरिकता के लिये लडना पडेगा। 
भोपाल में विरोध प्रदर्शन तो हमने पहले भी देखे हैं मगर शुक्रवार को  इकबाल मैदान के सामने हुआ प्रदर्शन सबसे अलग था जहां पर नमाज पढने के बाद सैंक्रडों लोग बजाये अपने घर जाने के सडकों पर आ गये। उनमें से अधिकतर के हाथ में पंद्रह अगसत या छब्बीस जनवरी पर लहराने वाले प्लास्टिक के छोटे छोटे तिरंगे झंडे थे, वो नागरिकता कानून वापस लो के नारे तो लगा ही रहे थे हिंदू मुसलमान एकता के श्लोगन भी बुलंद कर रहे थे। मोती मसजिद चौराहे से लेकर कफर्यू माता के मंदिर तक पूरी गली खचाखच भरी थी। अधिकतर लोग काले कपडे पहने थे वो जोर जोर से तालियां बजा रहे थे और जेएनयू से चर्चित हुआ नारा लेके रहेंगे आजादी को गुंजायमान कर रहे थे। हजारों लोगों की इस भीड से थोडी दूर पर ही डरी सहमे प्रशासन के अधिकारी ख्रडे थे जो इस भीड के नेताओं से पहले भी कई दौर की बातचीत कर उनको शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने की गुजारिश कर चुके थे। भीड के हर कोने पर पुलिस जवान लाठी बंदूकें लेकर मुस्तैद थे और मानकर ही चल रहे थे कि बस थोडी देर बाद ही उनको सडकों पर इन सबको खदेडने और भागती भीड के पत्थर खाने की नौबत कभी भी आ सकती है। इस बीच में भोपाल के कुछ इलाकों में मोबाईल का इंटरनेट बंद हो चूका था। 
उधर जबलपुर में पुलिस पर पथराव और उनमें कई पुलिस कर्मियां के घायल होने की खबरें वाटस एप पर आ ही चुकीं थीं। जिले के कलेकटर और एसएसपी सांस थाम कर मौके पर लगातार हो रही नारेबाजी ओर विरोध में होने वाले हुंकार को सुनकर सहम से रहे थे। हम मीडिया के कई साथी भी मौके पर पहुंचकर कैमरा उठाकर और माइक छिपाकर माहौल को देख रहे थे। सुबह घर से स्वेटर पहनकर निकले थे मगर यहंा पर माहौल की गर्मी में पसीने से छूट रहे थे। इस भीड में कुछ बुजुर्ग किनारे खडे हो दुआ पढ रहे थे तो हम कुछ ना होने की दुआ कर रहे थे। हमारा माइक देखकर कुछ उत्साही बोलने को उतावले थे जब हमने बात नहीं की तो ताना मारने लगे अरे आप तो खबर बनाने आये हो हमने कहा खबर ना बने ये देखने आये हैं। नो न्यूज इज गुड न्यूज होती है ये हमको पत्रकारिता की कक्षाओं में पढाया जाता है। मगर यहां किसी भी क्षण खबर बन सकती है। और जब खबर बनती है तो हम मीडिया वाले पुलिस और भीड दोनों के निशाने बनते हैं। इसलिये हवाईयां तो हमारे चेहरे पर भी उड रहीं थी कि ये विरोध शांति से निपट जाये। इस तनाव में ही कुछ युवा रैली की शक्ल में आंबेडकर और मोलाना अबूल कलाम आजाद के छोटे छोटे पोस्टर लेकर चले आ रहे थे। जिनमें से जब हमने बात की तो उनमें से अधिकतर ने यही कहा कि ये कानून संविधान की भावना के खिलाफ है हमारा कानून धर्म के आधार पर किसी को कोई रियायत नहीं देता मगर धर्म के आधार पर पहले नागरिकता और उसके बाद एनआरसी की आहट से ये सारे लोग बैचेन और नाराज थे। उधर मोबाइल पर लगातार महाराप्ट और यूपी के शहरों में हालात बिगडने की खबरेें आ रहीं थीं। एमपी को हम ाशांति का टापू कहते है मगर एक दिन पहले खंडवा और शुक्रवार को जबलपुर में हुये बवाल की खबरें बता रहीं थी कि होशियारी से काम नहीं लिया गया तो शांति का टापू मिनटों में अशांति का अडडा बन जायेगा। खैर कुछ घंटों के तनाव के बाद लोग अपने अपने घरों को लौटने लगे ओर हमने भी अपने साथियों सहित दफतर का रूख किया। मगर दफतर आकर जलती हुयी स्क्रीन को देखकर डर लगा। यूपी के अनेक शहरों में तो हिंसा की खबर थी ही दिल्ली में हमारे साथी वरूण के लाइव चैट में देखते ही देखते हिंसा हो उठी। दरियागंज में शाम के अंधेरे में कारों में लगी आग के डरावने विजुअल आने लगे। घर पहुंचते पहुंचते जबलपुर में कफर्यू लगने की खबर भी आ गयी। इन सारे विजुअल्स को देखकर यहीं लगा कि ऐसा कैसा कानून और उसका डर कि जामिया से लेकर जबलपुर तक विरोध हो रहा है। और उधर सरकार है कि अपनी जनता पर ही सख्ती पर उतारू हैं। होना ये चाहिये था कि इन विरोध करने वालों को समझाया जाता और उनके डर को दूर किया जाता। हम जानते हैं कि सदभाव बनाने में सालों लगते हैं बिगाडने का काम कुछ मिनिटों में ही हो जाता है। साल के आखिर में ये बवाल सुखद नहीं है। भोपाल की युवा कवियित्री श्रुति कुशवाहा की कविता की इन पंक्तियों में गहरा अर्थ छिपा है। 
कितना है बेजार दिसंबर, अबके कैसा यार दिसंबर। 
कोशिश हैं कि सब बंट जायें, उठने वाले सिर कट जायें, 
कहने वाले लब सिल जाएं, बढने वाले पग घट जायें, 
कितना है बदकार, दिसंबर अबके कैसा यार दिसंबर। 
ब्रजेश राजपूत, एबीपी न्यूज ,भोपाल
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हार्ट अटैक:ठंड में रखे इन बातों का ध्यान:डॉ राजेन्द्र चउदा

हार्ट अटैक:ठंड में रखे इन बातों का ध्यान:डॉ राजेन्द्र चउदा

दिल के दौरे की घटनाएं तेजी से बढ़ रही है । इसको लेकर कुछ सतर्कताये जरूरी है ।एक ऐसे ही मामले से कुछ तथ्य सामने आए । जानिए क्या होता है और क्या करना चाहिए।
#हार्ट अटैक में First Hour बहुत महत्वपूर्ण है.. क्योंकि हार्ट अटैक से होने वाली मृत्यु First Hour में सबसे ज़्यादा होती है।हार्ट अटैक बिना ECG जाँच के भी पकड़ में आ जाता है।

हार्ट अटैक होने पर ..एक गोली Disprin , एक गोली Clopidrogel 300 mg एवं एक गोली Atorvastatin 40 mg तुरंत देना है..इससे अटैक से होने वाली मृत्यु को कम किया जा सकता है।

#अटैक ..हार्ट को खून प्रवाहित करने वाली धमनियों में खून का थक्का जमने से होता है...।

अगर अटैक होने के 90 minutes के अंदर Throbolytics दिए जायें तो हार्ट की धमनियों में जमा खून का थक्का घुल जाता है।

कई बार  दुर्भाग्य रहता है कि Throbolytics देने के बावजूद धमनी नहीं खुलति है।

#ECG देखकर यह पता चल जाता है कि किस धमनी में ब्लॉक है..एवं दवा देने के बाद धमनी खुली या नहीं खुली।अगर दवा से धमनी नहीं खुलती है तो Angioplasty एवं Stenting ही मरीज़ को बचाने का एक आख़िरी Option बचता है।

हार्टअटैक के रोगियों के लिए सुझाव.

1.ठंड के दिनों में हार्ट अटैक की सम्भावना ज़्यादा होती है....ठंड से बचें एवं अन्दर इनर पहिनें।

2.ठंडे पानी से ना नहायें..गुनगुने पानी से नहायें।

3.रात में अगर बाहर निकलना पड़ता है तो कान को ढंक कर रखें..

4.ठंड में नसें सिकुड़ी रहती हैं..इसलिए BP बढ़ जाता है...एवं हार्ट अटैक , लकवा जैसी बीमारियों का ख़तरा ज़्यादा हो जाता है।

5.ठंड में BP के मरीज़ों की दवाइयाँ बढ़ाना पढ़ सकती है। अतः अपने डॉक्टर से BP चेक करवाकर अपनी दवा की मात्रा Adjust करवाएँ।

6.ठंड में हार्ट अटैक एवं लकवा के मरीज़ों को संभल के रहना चाहिए ।क्योंकि दुबारा हार्ट अटैक का ख़तरा रहता है..अटैक के मरीज़ों को दुबारा अटैक ना हो....इसके लिए उन्हें कुछ दवाइयाँ हमेशा लेना पड़ती हैं....इन दवाओं को लेने में ना नुकुर ना करें।

7.अगर हार्ट के मरीज़ों को साँस भी फूलती है ..तो तुरंत अपने डॉक्टर को दिखलाएँ.।

8..शरीर को 7 घंटे की नींद ज़रूरी है।

9..पखाना जाते समय ज़ोर ना लगायें..ज़ोर लगाने से हार्ट पर जोर पड़ता है।

10..मानसिक तनाव हार्ट अटैक के मुख्य कारणों में से एक है...अतः प्रसन्न रहें.।

11.मोटापा , ब्लड प्रेशर , डायबिटीज़ , एवं कोलेस्ट्रोल हार्ट अटैक के मुख्य कारण हैं..इन्हें नियंत्रित रखें।

12..बीड़ी सिगरेट पीने वालों को हार्ट अटैक एवं लकवा की सम्भावना सामान्य लोगों की तुलना में ज़्यादा होती है..अतः बचें.।

13.अगर आपके परिवार में किसी को 40 साल की उम्र में ही हार्ट अटैक आ चुका है तो आप अपनी पूर्ण जाँच करवाएँ ।

14..अगर आपका BP एवं Sugar बहुत ज़्यादा है.. तो व्यायाम करने से पहिले इसे कंट्रोल करें..अन्यथा नुक़सान हो सकता है।

15.हार्ट अटैक में दर्द निवारक दवायें जैसे ( Diclofenac ,Nimusulide, Brufen ,Combiflam ,Dynapar आदि ) देने से जान जाने का ख़तरा कई गुना बढ़ जाता है..अतः इनका सेवन न करें ।
डॉ. राजेन्द्र चउदा.मेडिसिन विशेषज्ञ,सागर
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