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ग़ज़लकार डॉ. वर्षा सिंह के छठवें ग़ज़ल संग्रह "ग़ज़ल जब बोलती है" का विमोचन

 ग़ज़लकार डॉ. वर्षा सिंह के छठवें ग़ज़ल संग्रह "ग़ज़ल जब बोलती है" का विमोचन
सागर। सुप्रसिद्ध कवयित्री व ग़ज़लकार डॉ. वर्षा सिंह के छठवें ग़ज़ल संग्रह "ग़ज़ल जब बोलती है" का विमोचन समारोह रविवार को आदर्श संगीत महाविद्यालय में संपन्न हुआ।श्यामलम् द्वारा आयोजित इस गरिमामय आयोजन में मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि निर्मल चंद निर्मल ने कहा कि वर्षा सिंह हिंदी की श्रेष्ठ ग़ज़लकार तो हैं ही, साथ ही उन्होंने सागर के कवि लेखकों को अपनी कलम से उजागर किया है। सागर के किस कवि में क्या गहराई है, वर्षा सिंह के पास इसका अनुमानित नाप ।डॉ.हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो.सुरेश आचार्य ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि डॉ.वर्षा सिंह के ग़ज़ल संग्रह "ग़ज़ल जब बात करती है" में उनकी समाज चिंता, पर्यावरण की परवाह, क्षय होते हुए मानव मूल्य और आधुनिकता के चक्कर में सांस्कृतिक मूल्यों को चोट पहुंचाने की तकलीफ को साफ पहचाना जा सकता है। एक अच्छी रचनाकार होने के नाते उन्हें  भारतीयता की गहरी पहचान है।प्रेम,विरह और चिंताएं उनकी रचनाओं में स्पष्ट पहचानी जा सकती हैं। वे देश की बड़ी कवयित्रियों में शामिल हैं। बुंदेलखंड भी उनकी रचनाओं से झांकता है।हमें उनसे बड़ी उम्मीदें हैं।

इस अवसर पर डॉ. श्याम मनोहर सिरोठिया के समीक्षा आलेख का वाचन करते हुए विशिष्ट अतिथि साहित्यकार डॉ.महेश तिवारी ने कहा कि सामाजिक मूल्यों के विखंडन की दौड़ में प्रेम का संदेश देती हुई डॉ.वर्षा सिंह की ग़ज़लें खरे सोने जैसी प्रमाणित हैं। ये बुद्धि कौशल से साहित्य पीठिका पर रखे गये अप्रतिम सृजन का शानदार स्वरूप हैं, जो पाठक के मन को प्रभावित करती हैं,अपना मुरीद बना लेती हैं।
सागर विश्वविद्यालय में संस्कृत विभाग के सहा. प्राध्या. डॉ शशि कुमार सिंह ने संग्रह पर समीक्षा करते हुए कहा कि डा. वर्षा सिंह का ग़ज़ल संग्रह " गजल जब बात करती है" वर्तमान हिन्दी ग़ज़ल का एक श्रेष्ठ निदर्शन है।  यह ग़ज़ल संग्रह ग़ज़ल के मानकों पर खरा उतरता है तथा प्रेम के साथ साथ मनुष्यता का संदेश भी देता है। कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक भावप्रकाशन इस ग़ज़ल संग्रह की प्रमुख विशेषता है।
आदर्श दुबे ने समीक्षा आलेख में वर्षा जी की शायरी को भीड़ से अलग बताते हुए कहा कि उनकी शायरी जहां रिवायती लहज़े को आसानी से,आसान ज़बान में ढालती है वहीं नए ज़दीद लहज़े और नए प्रयोगों को भी अपने ढंग से अपनाती है।
कार्यक्रम में ग़ज़लकार डॉ. वर्षा सिंह का आयोजक संस्था श्यामलम् द्वारा शाल,श्रीफल,पष्पगुच्छ भेंट कर अभिनंदन  किया गया।कवि आर.के.तिवारी ने स्वरचित अभिनंदन गीत का गायन किया।श्यामलम् सचिव कपिल बैसाखिया ने वर्षा सिंह का जीवन परिचय वाचन किया।
डॉ.वर्षा सिंह ने श्यामलम् संस्था के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि प्रत्येक शहर में ऐसी जागरूक संस्थाएं हों तो साहित्य पर कभी कोई संकट नहीं आ सकता। अपनी ग़ज़लों के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मैं समाज में जो कुछ घटित होता देखती हूं उसे ही अपनी ग़ज़लों में पिरोती हूं। इसीलिये मुझे आम बोलचाल की भाषा में ग़ज़ल कहना पसंद है।
कार्यक्रम का प्रारंभ मां सरस्वती की पूजा अर्चन तथा बाल सरस्वती सुश्री ऐश्वर्या दुबे द्वारा सरस्वती वंदना गायन से हुआ।डॉ.सुश्री शरद सिंह,डॉ.चंचला दवे,सुनीला सराफ,नंदिनी चौधरी,नीतू नयन,ममता भूरिया, श्रीमती चतुर्वेदी, नम्रता फुसकेले व देवकी भट्ट नायक दीपा ने अतिथियों को पुष्प गुच्छ भेंट कर उनका स्वागत किया श्यामलम् अध्यक्ष उमाकांत मिश्र ने स्वागत उद्बोधन दिया।कवि राधा कृष्ण व्यास ने अंजीर का पौधा भेंट किया।बुंदेलखंड हिन्दी साहित्य संस्कृति विकास मंच द्वारा भी सम्मान किया गया।
कार्यक्रम का गरिमामय संचालन डॉ.अंजना चतुर्वेदी तिवारी ने किया तथा सुश्री डॉ.शरद सिंह ने आभार प्रदर्शन किया।
ये रहे मौजूद
इस अवसर पर शिवशंकर केसरी,पं.शंभुदयाल पाण्डेय,डॉ.जीवनलाल जैन,डॉ.उदय जैन, लक्ष्मी नारायण चौरसिया, प्रो.के.एस.पित्रे, डॉ. आशुतोष मिश्र,डॉ.कन्हैया त्रिपाठी,डॉ.आशीष द्विवेदी,अंबिका यादव, डॉ.नवनीत धगट,हरी सिंह ठाकुर,डॉ.राकेश शर्मा,डॉ.रामरतन पांडेय, डॉ.सतीश पांडेय, डॉ.भुवनेश्वर तिवारी,के.एल. तिवारी अलबेला,डॉ. ऋषभ भारद्वाज,रवींद्र दुबे कक्का,मुकेश निराला, राजेंद्र दुबे कलाकार,पप्पू तिवारी,पूरन सिंह राजपूत, डॉ.अरविंद गोस्वामी,शमीम बानो,डॉ.अभिषेक ऋषि,आर.के.चतुर्वेदी,आज्ञा संतोष तिवारी, अयाज़ सागरी,एम.शरीफ, असरार अहमद, डॉ.एस.आर.श्रीवास्तव,सुबोध श्रीवास्तव, विश्वनाथ चौबे, पुष्पदंत हितकर, ज.ला.राठौर प्रभाकर,‌ टी.आर.त्रिपाठी,पुष्पेंद्र दुबे,वीरेंद्र प्रधान,हरी शुक्ला,कुंदन पाराशर, अशोक तिवारी अलख, शैलेष‌ शुक्ला,पैट्रिस फुसकेले, मितेन्द्र सिंह सेंगर,रमेश दुबे,भगवान दास रायकवार ,देवीसिंह राजपूत,जी.एल.छत्रसाल, अखिलेश शर्मा,अतुल श्रीवास्तव,अंबर चतुर्वेदी चिंतन, गोविंद दास नगरिया,प्रभात‌ कटारे नलिन जैन, गणेश चौरसिया सहित बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
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पूर्व निगम अध्यक्ष त्रिलोकीनाथ कटारे "आत्मा" गवर्निग बोर्ड में डायरेक्टर नियुक्त

पूर्व निगम अध्यक्ष त्रिलोकीनाथ कटारे "आत्मा" गवर्निग बोर्ड में डायरेक्टर नियुक्त

सागर। मध्यप्रदेश सरकार के किसान कल्याण तथा कृषि विकास एवं उद्यानिकी तथा खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय द्वारा नगर निगम के पूर्व अध्यक्ष त्रिलोकीनाथ कटारे को एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट एजेंसी "आत्मा" में गवर्निग बोर्ड का डायरेक्टर नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति प्रदेश के सीएम कमलनाथ जी के निर्देश पर कृषि मंत्री श्री सचिन यादव ने की है।
 नेता त्रिलोकी कटारे की इस नियुक्ति पर जिला कांग्रेस अध्यक्ष रेखा चौधरी, पूर्व विधायक सुनील जैन भूपेंद्र सिंह मोहासा म डॉ संदीप सबलोक वरिष्ठ नेता प्रभुदयाल बिरथरिया अजय परमार मुन्ना चौबे रामनाथ यादव जितेंद्र सिंह चावला अमित रामजी दुबे स्वदेश जैन चक्रेश सिंघई दीनदयाल तिवारी राजकुमार पचौरी दीपक दुबे ताहिर खान साबिर कुरेशी पम्मा अतुल नेमा राजाराम सरवैया विजय साहू लक्ष्मीनारायण सोनकिया डॉ दिनेश पटेरिया गोवर्धन रैकवार रितेश पांडे अक्षय दुबे आदिल राइन शुभम उपाध्याय साजिद राइन आदि ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए श्री त्रिलोकी कटारे को अपनी बधाई दी है। 
  
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कांग्रेसी एक दूसरे को निपटाने में लगे है और प्रदेश की जनता निपट रही है, गोपाल भार्गव बने रहेंगे नेता प्रतिपक्ष:पूर्व सीएम शिवराज सिंह

 कांग्रेसी एक दूसरे को निपटाने में लगे है और प्रदेश की जनता निपट रही है, गोपाल भार्गव बने रहेंगे नेता प्रतिपक्ष:पूर्व सीएम शिवराज सिंह

सागर । एमपी में ज्योतिरादित्य सिंधिया और सीएम कमलनाथ के बीच आपसी तनाव की खबरों पर पूर्व सीएम शिवराज चौहान का कहना है कि सब एक दूसरे को निपटाने में लगे है और जनता का नुकसान हो रहा है । पूरे प्रदेश का कबाड़ा हो रहा है।  इसमे जनता निपट रही है । सिंधिया के भाजपा में आने की अटकलों पर कहा कि में काल्पनिक बातों पर नही बोलता। 
वही  मीडिया में एमपी में नेता प्रतिपक्ष को बदले जाने सम्बंधी चल रही पोस्टो को लेकर कहा कि नेता प्रतिपक्ष गोपाल जी ही रहेंगे। पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान सपत्नीक सागर में  संत रविशंकर महाराज के  सानिध्य में चल रहे धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे थे ।इस मौके पर पूर्व ग्रहमंत्री भूपेंद्र सिंह और विधायक प्रदीप लारिया आदि मौजूद थे।
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सिंधिया समर्थक मंत्री प्रधुम्न सिंह ने कहा कि यदि कोई वचनपत्र रह गया तो जनता के हितों के लिए लड़ना पड़ेगा....... सिंधिया के बयान का समर्थन किया तोमर ने

सिंधिया समर्थक मंत्री प्रधुम्न सिंह ने कहा कि यदि कोई वचनपत्र रह गया तो जनता के हितों के लिए लड़ना पड़ेगा.......
सिंधिया के बयान का समर्थन किया तोमर ने

सागर। पूर्व केंद्रीय मन्त्री जयोतिरादित्य सिंधिया के उस बयान में कि  वचनपत्र पूरा नही हुआ तो सड़को पर उतरेंगे। इसके समर्थन में कमलनाथ सरकार के मन्त्री और सिंधिया समर्थक प्रधुम्न सिंह तोमर भी दिखे। 
खाद्य मंत्री प्रधुम्न सिंह तोमर ने मीडिया से इस सवाल पर कहा कि जिस कार्यक्रम में श्री सिंधिया ने यह बयान दिया उसमे में मौजूद था। सिंधिया ने था कहा कि कांग्रेस सरकार के वचनपत्र हम सब मिलकर पूरा करे रहे है। अगर कोई वचन पत्र अधूरा रह गया तो जनता केहितो के लिए संघर्ष करेंगे। निश्चित रूप से सिंधिया जी ने जो बात कही है सही है । वचन पत्र रह गया तो जनता के हितों के लिए संघर्ष करना पड़ेगा।
सत्यापन में मिले है भारी राशन कार्ड,काम जारी

खाद्य मन्त्री तोमर ने बताया कि राशन कार्डों का सत्यापन का काम चल रहा है कई जगह बोगस कार्ड  मिले हॉइ । अभी काम पूरा नही हुआ है । स्वछता सर्वेक्षण और चुनाव आदि के कारण प्रभावित हुआ है। जल्दी हो पूरा आंकड़ा सामने आएगा। फर्जी राशन कार्डों में भाजपा का माफिया लगा था। 

राशन दुकानो से मिलेगे सेनेटरी पेड, दो  जिलों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू
प्रदेश में राशन दुकानों से महिलाओं की सुरक्षा और स्वच्छता के मद्देनजर ईंन दुकानों से सेनेटरी पेड उपलब्ध कराया जाएगा। एमपी के दो जिलों छिंदवाड़ा और ग्वालियर से पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। इनकी रिपोर्ट के बाद सभी जगह लागू किया जाएगा।

इस मौके पर युवक कांग्रेस के नेता अरविंद सिंह राजपूत अनिल पिपरा आदि ने प्रधुम्न सिंह तोमर का स्वागत किया।
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Idea

कुत्तों द्वारा बच्चों शारीरिक क्षति पहुचाने जैसी घटनाओं को लेकर मानव अधिकार आयोग सख्त,हाईकोर्ट में दायर की रिट पिटीशन

#मध्यप्रदेश मांनव अधिकार आयोग के अध्यक्ष ने बताया 
# जेल में स्वास्थ्य और सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की 
सागर । मध्यप्रदेश में  कुत्तों द्वारा बच्चों आदि  को नोचने जैसी घटनाओं डॉग बाईट को लेकर 
मॉनव अधिकार आयोग सख्त दिख रहा है । ईंन घटनाओ में क्षतिपूर्ति राशी और सुरक्षा को लेकर। ऐसे मामले को लेकर आयोग ने हाईकोर्ट की शरण ली है।
आयोग के अध्यक्ष नरेंद्र कुमार जैन और सदस्य सरबजीत सिंह,रिटायर्ड आईपीएस ने आज मीडिया में चर्चा की । अध्यक्ष जैन ने कहा कि आयोग की ओर से रिट पिटीशन दायर की थी। जिसमे हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव सहित सम्बंधित अफसरो को नोटिस जारी किए है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस पर कोई ध्यान नही दिया। बजट कीकमी की  बात कही। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों के हितों के लिए बजट आड़े नही आना चाहिए।
जेल और पुलिस हिरासत में मौत पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि ऐसे मामलों में सरकार की जिम्मेदारी स्वास्थ्य और सुरक्षा की है । कैदियों की मौत पर आर्थिक मदद मिलना चाहिए। ऐसे प्रकरण बढ़े हैं। यदि सरकार निर्णय नही लेती है तो आयोग हाईकोर्ट का सहारा लेगा।

बाईट। नरेंद्र कुमार जैन, अध्यक्ष मानव अधिकार आयोग ,मध्यप्रदेश 
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फिर उसी गांव में पांच साल बाद घँटी बजाना ब्रजेश राजपूत/सुबह सवेरे में ग्राउंड रिपोर्ट

फिर उसी गांव में पांच साल बाद घँटी बजाना 
ब्रजेश राजपूत/सुबह सवेरे में ग्राउंड रिपोर्ट 
ये हमारे चैनल के कार्यक्रम घंटी बजाओ का ही मजा है कि हम ना केवल खबर दिखाते हैं बल्कि उस खबर का पीछा करते हुये उसके असर पर भी नजर रखते हैं। यूं तो घंटी बजाओ मुहावरा नहीं जुमला ही है। मुगल काल के शासक जहांगीर के काल में न्याय के लिये घंटा बजाने की कहानी तो हम सबने सुनी है मगर सरकारी योजनाओं की पोल खोलकर घंटी बजाते हुये केंद और राज्य सरकारों की नींद खोलने का ये प्रयास एबीपी न्यूज चैनल का है। 
ये नयी सोच का कार्यक्रम जो तीन साल पहले शुरू हुआ और इसमें अब तक चार करोड लोग एक खास नंबर पर मिस काल कर अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं। इस कार्यक्रम के प्रोडयूसर नृपेन्द्र सिंह याद करते हैं कि हम जनता के नाम पर खर्च किये गये पैसों का पीछा करने वाला ऐसा शो बनाना चाहते थे जो जनता को बताये कि आपके लिये सरकार ने जो लाखों करोडों रूप्ये खर्च किये हैं उसकी सच्चाई क्या है और साथ ही जनता को मंच देकर टीवी में दोतरफा संवाद शुरू करना चाहते थे। कार्यक्रम के दर्शक अपना वीडियो भी डालते हैं जो उनके नाम के साथ दिखाया जाता है। खैर अब घंटी बजाना मुहावरा बन गया है। राष्ट्र निर्माण के लिये रोज करो मतदान के श्लोगन वाले इस कार्यक्रम की लोकप्रियता का आलम ये है कि लोग हमसे तो ठीक अब दूसरे चैनल के रिपोर्टरों से भी कहते हैं कि आप इस घोटाले की घंटी बजाइये। 
इस बार घंटी बजाओ की लंबी भूमिका इसलिये क्योंकि पिछले दिनों एक ऐसा अनुभव  हुआ तो रिपोर्टरों की जिंदगी में कभी कभी ही होता है। खबर जो सामने आयी वो ये थी कि हमारे एमपी में 2014 से पिछले साल तक प्रदेश के पचास हजार से ज्यादा गांवों  में जो नब्बे लाख छप्पन हजार शौचालय बनाये गये हैं। इन शौचालयों की हालत जानने 21 हजार सर्वे करने वालों को जब जमीन पर उतारा गया पता चला कि करीब साढे चार लाख घरों में ये शौचालय हैं ही नहीं। साथ ही साढे पाँच लाख शौचालय ऐसे भी सामने आये जो किसी काम के नहीं थे यानिकी तेजी से लक्ष्य पूरा करने के लिये फाइलों का पेट भर कर आंकडे बाजी कर दी गयी मगर या तो शौचालय जमीन पर हैं ही नहीं या फिर आनन फानन में बस बना दिये गये क्योंकि सरकारी आदेश पूरा करने के लिये बनाने थे। सरकार स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर शौचालय बनाने पर बारह हजार रूप्ये का अनुदान देती है ऐसे में ये कई सौ करोडों का भ्रष्टाचार भी है। 
मजे की बात ये है कि देश को स्वच्छ बनाने और जनता को स्वच्छता का पाठ पढाने के लिये बनायी गयी इस योजना में तैयार शौचालय की हितग्राही के साथ फोटो खींचकर सरकारी साइट पर अपलोड की गयी और इसे जिओ टैगिग भी की गयी ताकि गलती और भ्रष्टाचार की गुंजाइश कम से कम हो। राजनेता और लेखक शशि थरूर अपनी किताब  "अंधकार काल"में बताते हैं कि हमारे पुराने अंग्रेज शासकों को इस बात का बडा गुमान था कि उनके शासन में भ्रष्टाचार की गुंजाइश जरा भी नहीं होती क्योंकि उनका शासन पूरा लिखत पढत में चलता था। सारे आदेश लिख कर दिये जाते और उनका पालन भी लिख कर किया जाता। पर हम भारतीय तो भ्रष्टाचार के नये नये रिकार्ड और नवाचार करने के लिये ही जाने जाते हैं तभी तो मशहूर व्यंगकार शरद जोशी पहले ही लिख गये है हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमार। 
तो घंटी बजाओ शो के लिये जब हम इस योजना की पडताल करने निकले तो सिहोर के साथी नितिन ठाकुर के कहने पर उस जिले के बावडिया नौवावद जा पहंुचे। गांव में गाडी के प्रवेश करते ही कैमरामेन साथी होमेंद्र देशमुख बोल उठे सर ये तो वही गांव है जहां हम कुछ साल पहले आये थे तब भी शायद शौचालय की कहानी ही थी। हमने कहा चलो देखते हैं गांव में पहुंचते ही गांव के युवकों ने पहचान लिया थोडी देर में ही इंटरनेट के डाटा के प्रताप के चलते यू टयूब पर 13 अप्रेल 2015 को एबीपी न्यूज पर चली कहानी मोबाइल पर दिखा दी। पांच साल पहले की गयी कहानी के सारे किरदार सामने ही दिखने लगे थे। बुजुर्ग गांव वालों के चेहरों पर झुर्रियां जरूर बढ गयीं थी मगर खुशमिजाजी और संतोप में ही सुख तलाशने की चमक अब तक बरकरार थी। तब इस गांव में एक भी शौचालय नहीं था और गांव की महिलाओं ने पास के समाजसेवी एमएस मेवाडा की अगुआई में कलेक्टेट तक टैक्टर में भरकर जाकर हमें चाहिये शौचालय के नारे बुलंद किये थे। हमने तब इस गांव में जाकर कहानी कर चैनल के प्राइम टाइम पर दिखायी थी। 
अब इस गांव में अधिकतर घरों में  शौचालय तो दिख रहे थे। गांव की वो सास भी खुश दिखीं जो पांच साल पहले हमारी कहानी में कह रही थीं कि हमारे घर में शोचालय नहीं होने से बहु मायके चली गयी है और अब आने को तैयार नहीं है। घरों में बहुयें तो वापस आ गयीं है उनके बच्चे भी हो गये है। मगर जो ाशौचालय जल्दबाजी में बने थे उनकी हालत खस्ता हो गयी। अधिकतर शौचालयों के दरवाजे टूटे हुये थे और आड के नाम पर प्लास्टिक की बोरी के परदे लटके हुये थे। गांव के लोग अब इन शौचालयों की मरम्मत की मंाग करने लगे तब उनको समझाना पडा कि सरकार ने बारह हजार रूप्ये में जो ये शौचालय बनाये हैं अब उनकी मरम्मत साफ सफाई के लिये फिर सरकार नहीं आयेगी ये जिम्मेदारी तो आपको ही उठानी पडेगी। हां इस गांव में वैसे तीन लोग मिले जिनके घरों में शौचालय के नाम पर पैसे निकाले गये मगर शौचालय मौके पर नहीं मिला। खैर पूरे प्रदेश में हुये इस भारी भ्रष्टाचार की हमने शुक्रवार को घंटी बजायी मगर उस गांव में जाकर ये अच्छा लगा कि गांव के लोग हमें और हमारे चैनल को बहुत  आत्मीयता से इस बात के लिये याद कर रहे थे कि आपने आकर घंटी बजायी तो शौचालय बने। पत्रकारिता के करियर में किसी रिपोर्टर के लिये इससे बढकर संतुष्टि कोई दूसरी नहीं हो सकती। 
ब्रजेश राजपूत,एबीपी न्यूज़,भोपाल
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