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प्राचार्य जेल में और उच्च शिक्षा विभाग ने कर दिया ट्रांसफर

प्राचार्य जेल में और उच्च शिक्षा विभाग ने कर दिया ट्रांसफर
छतरपुर । तवादले में की एक और तस्वीर सामने आई है । जिसमे एक प्राचार्य को सजा होने पर जेल भेजा गया। उधर  दूसरे दिन भोपाल मे  उच्च शिक्षा विभाग ट्रांसफर हो गया।  छत्तरपुर जिले के  नोगाव के शासकीय नवीन कॉलेज के प्राचार्य रहे डॉ नवरतन प्रकाश निरंजन को उत्तर पुस्तिकाओं में हेरफेर छेड़छाड़ के मामले में अदालत ने 16 साल की कठोर कैद की सजा के साथ 2 लाख के  जुर्माने  की सजा सुनाई और जेल भेज दिया गया।  राजनीति विज्ञान के प्राध्यापक डॉ निरंजन को छह मॉर्च को सजा सुनाई गई थी। 
उधर  उच्च शिक्षा विभाग  भोपाल ने प्रशासकीय आधार पर प्राचार्य,प्राध्यापकों और सहायक प्राध्यापकों की तवादला सूची  7 मार्च  की शाम को जारी की । इस सूची  में प्राचार्य एन पी निरंजन को शासकीय कालेज नौगांव से राजा हरपाल सिंह  महाविद्यालय हरपालपुर ट्रांसफर   कर गया। 

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मोबाइल फोन में हुआ विस्फोट ,10 साल की छात्रा घायल, चार्ज होने पर फोन उठाते समय

मोबाइल विस्फोट से 10 साल की छात्रा घायल, चार्ज होने पर फोन उठाते समय
छतरपुर। मोबाइल फोन के फटने की घटनाएं बढ़ रही है । खासतौर से चार्जिंग के समय । अक्सर फोन गर्म हो जाते है । जो खतरनाक भी साबित हो सकते है । ऐसा ही एक मामला 
 छतरपुर जिले के राजनगर तहसील के बसारी गांव का सामने आया है । कक्षा 5वीं में पढ़ने वाली 10 साल किरण पटेल मोबाईल फोन  फटने से घायल हो गई । जिसे गंभीर हालत में जिला अस्पताल लाया गया है। जहां उसका प्राईमरी इलाज के बाद ग्वालियर मेडिकल के लिए रेफर कर दिया है।
चार्जिंग के दौरान गर्म हुआ मोबाइल फोन
 किरण को मोबाइल में गेम का बहुत शौक है और वह मोबाइल चार्ज के लिए लगाए हुए थी। चार्ज होने पर जैसे ही वह पर मोबाइल उठाया और तभी अचानक विस्फोट हो गया जिससे उसके कान और दाहिनी आंख में गंभीर चोटें आईं है। खून से लथपथ किरण को परिजन जिला अस्पताल लेकर आये है। जहां आई सर्जन (आंखों के डॉक्टर) ने उसका चेकअप और प्राइमरी ट्रीटमेंट किया गया। यहां इलाज संभव नहीं था जिससे उसे ग्वालियर मेडिकल रैफर किया गया है।
किरण  के पिता लखन लाल पटेल के मुताबिक  किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि मोबाईल फट जाएगा। डॉक्टर जीएल अहिरवार का कहना है कि ब्लास्ट इतना तेज था कि उसकी आंख बचना लगभग मुश्किल सा है। आंख से लगातार खून बह रहा है। प्राथमिक उपचार के बाद उसे ग्वालियर रेफर कर दिया गया।

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होली के फिल्मी डायलॉग जिन्हें आज भी नहीं भूली है दुनिया

होली के फिल्मी डायलॉग जिन्हें आज भी नहीं भूली है दुनिया
होली और सिनेमा का अपना अलग नाता है ।होली को याद करते ही फिल्मी डायलाग गूंजने लगते है । भारतीय सिनेमा में होली पर लिखे गए ऐसे तमाम डायलॉग हैं जो न सिर्फ काफी लोकप्रिय हुए बल्कि आज भी बच्चे-बच्चे की जुबान पर ये डायलॉग होते हैं। होली की मस्ती में ऐसा ही नजारा देखने अब मिलेगा ।
बॉलीवुड ने जितनी खूबसूरती से होली के त्योहार को पर्दे पर उतारा है वो वाकई काबिल-ए-तारीफ है. ऐसी तमाम फिल्में, गाने, वीडियो और सीक्वेंस हैं जो होली के इर्द गिर्द बने हैं. साथ ही भारतीय सिनेमा में होली पर लिखे गए ऐसे तमाम डायलॉग हैं जो न सिर्फ काफी लोकप्रिय हुए बल्कि आज भी बच्चे-बच्चे की जुबान पर ये डायलॉग होते हैं। 
अमजद खान का हिट डायलाग
होली कब है... कब है होली, कब??
जितनी सुपर हिट  फ़िल्म "शोले"। उसके उतने ही  डायलाग  जुबान पर। साल 1975 में रिलीज हुई फिल्म शोले का ये डायलॉग आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है. फिल्म में इस डायलॉग को गब्बर सिंह का किरदार निभा रहे एक्टर अजमद खान ने बोला था.

-कल हम होली खेलेंगे... लेकिन इस होली में गुलाल की बजाए धुंआ उड़ेगा. 
पिचकारियों से रंग नहीं बंदूकों से गोलियां निकलेंगी. गीतों की जगह चीखें और लाज की जगह लाशें टपकेंगी.साल 1989 में आई फिल्म इलाका में ये डायलॉग अमरीश पुरी ने बोला था.

बचपन से आज तक मैंने कभी होली नहीं खेली... लेकिन अब खेलूंगा... खून की होली.
साल 1999 में रिलीज हुई फिल्म इंटरनेशनल खिलाड़ी में अक्षय कुमार का बोला ये डायलॉग भी काफी पसंद किया गया था और आज भी लोगों को याद है.
 फ़िल्म डर्टी पिक्चर  का डायलाग  होली खेलने का शौक है पर तेरी पिचकारी में दम नहीं
आज के दौर का चर्चित डायलाग है। 
इसी घर में आएगी आपकी डोली... एंड विशिंग यू ए वेरी हैप्पी होली.
रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण स्टारर फिल्म रामलीला का ये होली डायलॉग भी काफी पसंद किया गया. फिल्म साल 2013 में रिलीज हुई थी। जिसे नई जनरेशन कुछ ज्यादा ही पसंद करती है।


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बोनट और सीट के नीचे रखी 273 किलो चांदी के जेवर जब्त

बोनट और सीट के नीचे  रखी  273 किलो चांदी के जेवर  जब्त
झाबुआ। इंदौर अहमदाबाद हाईवे रोड़ पर झाबुआ पुलिस ने चांदी की अवैध खेप ले जारहे में एक वाहन को पकड़ा । जिसमे से करीब 273  किलो चांदी के आभूषण जब्त किए हैं। इसमे तीन आरोपियों को हिरासत में लिया है। ज्वेलरी की कीमत एक करोड़ 17 लाख रुपये  आंकी गई है। यातायात पुलिस प्रभारी सुबेदार कोमल मीणा ने मुखबीर की सूचना पर करीब  जेवरात तस्करी होते हुए बरामद किया। इनको पार्सल की शक्ल में पैकेट बनाकर रखा गया था। झाबुआ की यातायात पुलिस ने यह कार्रवाई कोतवाली थाना क्षेत्र के फूलमाल चौराहे पर की। बढ़े ही शातिराना ढंग से आरोपियों ने जीप के पिछले हिस्से और सीट के नीचे कैबिन बनाकर सोने-चांदी के जेवल छुपाकर ले जाया जा रहा था। यही नही आरोपियों ने गाड़ी के बोनट में भी जेवरात छिपा रखे थे। पुलिस के अनुसार जब्त किये गए सामान में अधिकांश चांदी के जेवरात है। जिनका करीब 273 किलो वजन है। पुलिस के अनुसार गुजरात के राजकोट से यह माल प्रदेश में रतलाम और इंदौर सप्लाय होना था। मामले को लेकर पुलिस ने आयकर विभाग के अधिकारियों को सूचना दे दी है। जिसके बाद अगली कार्रवाई आयकर विभाग के ओर से की जाएगी। पुलिस ने तस्करी के मामले में वाहन के चालक समेत 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। व्यापारियों का कहना है कि इनके कागजात है। पुलिस ने कोर्ट में पेश करने के लिए कहा है ।
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एटीएम में ब्लास्ट कर लूटे छह लाख रुपये , जले-फटे नोट भी मिले

 एटीएम में ब्लास्ट कर लूटे  छह लाख रुपये , जले-फटे नोट भी मिले

दमोह । दमोह जिले के  पटेरा थाने के  ग्राम देवडोगरा में एक SBI के एटीएम में  शुक्रवार की रात को ब्लास्ट कर अज्ञात चोरो ने  5 लाख 96 हजार लूट लिए। मौके पर 500 के नोट जली फटी हालत में  एटीएम के पास मिले। बम डिस्पोजल,एफएसल,डॉग स्काट टीम पटेरा  जांच कर रही है।  घटनास्थल पर दमोह एस पी हेमंत चौहान एडिशनल एसपी विवेक कुमार लाल एसडीओपी पथरिया केबी उपाध्याय हटा एसडीओपी सविता उपाध्याय एफएसएल एक्सपर्ट किरण सिंह एसबीआई के कर्मचारी मौके पर पहुंचकर मुआयना किया। इस घटना में  बूथ के परखच्चे उड़ गए।
दमोह एस पी हेमंत चौहान ने बताया कि इस तरह की घटनाएं आसपास हुई है । किसी गिरोह ने वारदात को अंजाम दिया है । पुलिस ने अज्ञात शोरो के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है ।
सागर सम्भाग में तेजी से एटीएम लूटने की घटनाएं बढ़ी है । पिछले दिनों बांदरी में एक गिरोह ने एटीएम को लूटा था। हरियाणा का गिरोह निकला था। 
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अथ श्री राजनीति कथा.... ब्रजेश राजपूत /सुबह सवेरे में ग्राउंड रिपोर्ट

अथ श्री राजनीति कथा....
ब्रजेश राजपूत /सुबह सवेरे में ग्राउंड रिपोर्ट 
वो शाम की भोपाल से दिल्ली जाने वाली इंडिगो की फलाइट थी। इसमें दो ऐसे किरदार थे जो एक दूसरे से परिचित तो थे ही जो एक दूसरे के विरोधी भी थे विधानसभा के फलोर से लेकर चुनावी सभाओं और सार्वजनिक मंचों पर एक दूसरे के खिलाफ आग उगलते थे एक सूबे के सीएम रह चुके थे तो दूसरे सूबे के सामंत थे दोनों एक ही काम से दिल्ली जा रहे थे दोनों अपनी अपनी पार्टी की सेवा पर थे एक को अपना काम बनाना तो दूसरे को वही काम बिगाडना था आमने सामने पडे तो मुस्कुराये और अभिवादन किया मगर एक दूसरे को लेकर दोनों सशंकित भी हुये दोनों ने अपने अपनों को काल किया अरे वो भी है फलाइट में दोनों  को एक दूसरे से सतर्क रहने और अपने काम की भनक दूसरे को नहीं मिलने की चेतावनी मिली मगर दोनों समझ रहे थे कि दोनों एक ही मिशन पर हैं,, मिशन होली।
मिशन होली के किरदारों को राजधानी दिल्ली के बाहर उस बडे पांच  सितारा रिसार्ट में ठहराया गया था जो अपनी भव्यता और विशालता के लिये जाना जाता है। यहाँ  के अलग अलग कमरों में किरदार आकर ठहरते जा रहे थे कुछ को रूके एक दिन हुआ था तो कुछ दो दिन से ठहर कर यहां की अलौकिक सुविधाओं का उपभोग कर रहे थे। एक विशाल काया वाले किरदार ने आते ही इस रिसार्ट में स्पा की मांग की और दो दिन में ही उस पांच सितारा स्पा में हजारों रूप्ये का बिल बनवा दिया। मुफत की हडडी पर कबडडी का अलग ही मजा है तो बिना पैसों की परवाह किये सब इस रिसार्ट में आने वाले उन अच्छे दिनों की कल्पना करने में मगन थे और साथ मिलते ही अपना टाइम आयेगा का सुर मिलाते थे। ये सारे जनता से जुडे लोग थे मगर जनता की सेवा की शपथ और विचारधारा की बंदिश को रोज शाम सोडे में घोलकर पी रहे थे। ये किरदार अपने साथियों की संख्या दहाई में होने तक यहाँ  इंतजार कर रहे थे संख्या पूरी होने पर इनको किसी दूसरे दक्षिणी राज्य में जाकर ऐसी ही कुछ दिन और एकांतवास में फाइव स्टार तपस्या कराने की योजना तैयार थी। इन किरदारों के कुछ साथी जो प्रदेश के उत्तरी संभाग से जुडे थे हवाई जहाज से ना जाकर अपनी गाडी से ही यहाँ  पहुंचने का आश्वासन दे चुके थे मगर रात में रस रंजन करते हुये उनको पहुंचने में देरी हुयी तो देर रात वो दक्षिण दिल्ली के एक सरकारी ठिकाने पर जा ठहरे। सुबह उनको अपने इन साथियों से मिलने की योजना थी। रिसोर्ट में ठहरे किरदारों में एक दबंग महिला भी थी जो अपनी बिंदास शख्सियत के चलते सुर्खियों में रहती थी वो भी एक दिन पहले अपनी बेटी के  साथ यहाँ आ गयी थी मगर मिशन होली को जिस गोपनीयता से अंजाम दिया जा रहा था उतनी ही गोपनीयता से उन पर नजर भी रखी जा रही थी। इन किरदारों के विरोधियों ने पहले दिल्ली फिर भोपाल में ये बात फैलानी शुरू कर दी कि कुछ लोग जनता के साथ छल करने जा रहे हैं और इसके लिये इन किरदारों को करोडों रूप्ये का नजराना दिया जा रहा है। ये किरदार इस शोर शराबे के बाद भी जाग जाते तो इनका मकसद कामयाब हो जाता मगर ऐशो आराम में दिमाग भी थोडा सुस्त हो जाता है। इन सबकी नींद तब उडी जब एक रात यहां पर अचानक हंगामा होने लगा। यहां ठहरे किसी किरदार के सुरक्षा कर्मी ने यहां की सारी लोकेशन जिन लोगों को दी वहीं लोग इंडिगो की फलाइट से भागे भागे आये और सीधे यहाँ  पहुंचे। इन लोगों ने आरोप लगाया कि इन सारे किरदारों को बंधक बनाया गया है मगर जो बंधक थे वो बंधक होने के लिये ही यहां आये थे इसलिये उनमें से कोई भी उनको कठित तौर पर छुडाने पहुँचे  लोगों के साथ आने को तैयार नहीं थे। पहले इन लोगों को एक आदिवासी बुजुर्ग किरदार दिखे उनको उनके कमरे में घुसकर उनकी उमर और विचारधारा का हवाला देकर पैर छूकर वापस चलने को कहा मगर जो लोग इनको लाये थे उनको खबर लग गयी और फिर क्या था कथित बंधक के संरक्षकों और कथित रक्षकों के बीच होने लगी हुज्जत झुमा झटकी गाली गलौज, बंधक जाने को तैयार नहीं ऐसे में रक्षक ढीले पड गये उनके सामने ही बुजुर्गवार को दूसरे कमरे में जाया गया जहाँ पहले से ही तीन दूसरे किरदार ठहरे थे। रक्षक पार्टी ने फिर दबंग महिला किरदार के कमरे क रूख किया क्योंकि उम्मीद थी कि वो वाकई बंधक होगी मगर ये क्या ये कथित बंधक भी इन रक्षकों को खरी खोटी सुनाने लगी। ऐसे में रक्षक फिर ढीले पड गये मगर एक मौका ऐसा आया कि रक्षकों ने कमरा बंद कर महिला का संवाद उनसे करा दिया जिनके कहने पर ये इनको छुडाने आये थे और ऐसे में काम आयी महिला की बेटी जिसने मां को इस लडाई झगडे के बीच निकल चलने को कहा जैसा कि आजकल होता है ऐसी मारामारी में पीडित पक्ष का सहारा मोबाइल का वीडियो कैमरा ही होता है तो लगातार इन सारे दश्यों की रिकार्डिंग की जाने लगी। ये रिकार्डिग सुबह सुबह समाचार चैनलों पर हैडलाइन के रूप में चली। उधर रक्षक लोग इस किरदार को लेकर उसी सरकारी रिहाइश पर पहुन्चे  जहां पर देर हो जाने के कारण गुरूग्राम के गु्रप से जुडने जा रहे किरदार आकर थोडी देर के लिये रूके हुये थे। रक्षकों को मुंहमांगी मुराद मिल गयी कुल मिलाकर चार किरदार हो गये जिनको बंधक बनाने का दावा किया जा रहा था उधर इस मारामारी में गुरूगांव के चार किरदारों को उनके साथी दक्षिणी राज्य के और आलीशान एकांतवास में ले गये। उधर हाथ आये बंधकों को रक्षक शान से सरकारी पुष्पक विमान में बैठाकर राजधानी लाये। उधर दक्षिण गये बंधक एकांतवास के ऐश का भंडाफोड होने पर घबडाये हैं और उनमें से एक किरदार वापस आये हैं। इस वापसी को लोकतंत्र की जीत बताया जा रहा हैं मगर मेरी नजर में लोकतंत्र तो उसी दिन हार गया जब ये किरदार नजराना लेने इस रिसार्ट में पहुंचे थे। 
( कथा के किरदार काल्पनिक हैं यदि किसी का साम्य होतो वो केवल संयोग है )
ब्रजेश राजपूत, एबीपी न्यूज़ भोपाल
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