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नगर निगम का विशेष सफाई अभियान जारी, वाहनों एवं व्यक्तियों को किया जा रहा है सेनेटाईज

नगर निगम का विशेष सफाई अभियान जारी,  वाहनों एवं व्यक्तियों को किया जा रहा है सेनेटाईज
सागर। कोरोना वायरस संकमण के बचाव हेतु नगर निगम आयुक्त श्री आर.पी.अहिरवार के निर्देषानुसार प्रारंभ किये गये विशेष सफाई अभियान के तहत् विभिन्न वार्डो में सफाई का कार्य के तहत् नाला सफाई के बाद कचरे एवं मलवे को साफ कराने, कीटनाषक दवाईयों का छिड़काव करने, विभिन्न स्थानों पर चूना लाईन बनाने तथा फागिंग करने का कार्य किया जा रहा है इसके साथ ही नगर निगम की स्वच्छता टीम द्वारा बाहर से आने वाले व्यक्तियों एवं वाहनों को सेनेटाईज किया जा रहा है। साथ ही प्रतिदिन वार्डो में फागिंग करायी जा रही है। रविवार को बाघराज वार्ड स्थित बीड़ी अस्पताल की संपूर्ण सफाई, प्रकाश व्यवस्था, एवं जिला चिकित्सालय में , गौर वार्ड विवेकानंद पार्क, नगर निगम स्टेडियम एवं डी.एन.सी.बी.स्कूल प्रागंण की सफाई, अम्बेडकर बस्ती में फांिगग, कीटनाशक दवाईयों का छिड़काव, इंद्रानगर मेन की सफाई सहित विभिन्न स्थानों पर नालियों की सफाई के बाद कीटनाशक दवाईयांे का छिड़काव एवं चूने की लाईनें की गई। कोरोना वायरस संक्रमण के बचाव हेतु नगर निगम के अधिकारियों द्वारा लगातार लोगों को घरों में रहने के लिये समझाईस दी जा रही है। इसके साथ मोतीनगर चैराहे सहित सभी जोन के अंतर्गत आने वाले वार्डो में लोागें को स्वच्छता टीम द्वारा सिनेटाईज कराने का कार्य निरंतर किया जा रहा है। 

पढ़े: डर की महामारी या महामारी का डर..! होम क्वेरेंटाइन में एबीपी न्यूज़ के वीडियो जर्नलिस्ट होमेंद्र देशमुख की कहानी

सागर टेन्ट एसोशियेशन 3 लोडर वाहन माईक एवं अनाऊंसमेंट सिस्टम के 14 अप्रैल तक उपलब्ध करायेगा
सागर। कोरोना वायरस संकमण के बचाव एवं सुरक्षा हेतु सागर शहर के सभी वार्डो में नागरिकों को जागरूक करने के लिये सागर टेंट ऐसाशियेशन ने 3 लोडर वाहन, माईक एवं अनाऊंसमेंट सिस्टम सहित 14 अप्रैल तक प्रातः 7 बजे से रात्रि 9 बजे तक उपलब्ध करायेगा। इन वाहनों से अनाऊंसमेंट के अलावा आवश्यकता अनुसार परिवहन का कार्य भी लिया जायेगा। प्रथम चरण में चांदनी टेंट, एन.आर.टेंट हाऊस एवं र्मा हरसिद्वी फ्लावर तथा शर्मा टेंट पे लोडर वाहन उपलब्ध कराया है जो सोमवार से सागर शहर के विभिन्न वार्डो में अनाऊंसमेंट करेगा। 
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लाकडाउन सेवादल काँग्रेस ने बांटा असहायों को राशन

लाकडाउन सेवादल काँग्रेस ने बांटा असहायों को राशन
सागर। लॉक डाउन के मद्देनजर, रोज कमाने खाने वाले लोग, जिन के पास राशन कार्ड पर्ची या राशन कार्ड उपलब्ध नही है या किसी अन्य कारणों से राशन व्यवस्था नही हो पा रही है, उनके लिये राशन उपलब्ध कराने सागर विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी रहे नेवी जैन ने जरूरतमंद लोगों को अपनी ओर से घर-घर राशन उपलब्ध कराने का अभियान शुरू किया है , जिसके तहत आज सागर शहर के नरयावली नाका वार्ड, और मोहन नगर वार्ड में सेवादल शहर कांग्रेस अध्यक्ष सिंटू कटारे, ब्लाक अध्यक्ष नितिन पचौरी ने, वही छत्रसाल नगर अम्बेडकर वार्ड में पुष्पेंद्र सिंह राजपूत (रानू ठाकुर) ने, मोमिनपुरा भगवानगंज में रशीद राइन एव साजिद राइन ने, कांच मंदिर वविवेकानंद वार्ड में बिली रजक ने , राशन घर घर पोहचकर लोगो की मदद की तो खाली पेट लोगो ने राशन पाकर उन्हें खूब धन्यवाद सहित आशीर्वाद दिया। इस पर नेवी जैन ने  कहा हमारा बी.एस. जैन परिवार 4 पीढ़ियों से    सागर जिले की जनता की सेवा करता आ रहा है, और  ईस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए  जब भी मेरी आव्यशकता होगी में सागर वासियों के सेवा में तत्पर  उपस्तित रहूँगा।
जिला शहर कांग्रेस सेवादल अध्यक्ष सिंटू कटारे और ब्लाक अध्यक्ष नितिन पचौरी द्वारा शहर के नरयावली नाका वार्ड,भगतसिंह वार्ड और मोहननगर वार्ड के अत्यंत निसहाय और कमजोर वर्ग के परिवारों को राशन की व्यवस्था करायी गयी जिनमे दो परिवार ऐसे मिले जो जिला उन्नाव और दमोह के पास के एक गांव के है उनकी भी राशन की व्यवस्था करायी गयी 
राशन ( दाल, आटा) के इतंजाम मे भाई नेवी जैन का विशेष सहयोग रहा ।सेवादल अध्यक्ष द्वारा दूध और बिस्किट का भी वितरण किया गया ।जिसमें राहुल व्यास,आदित्य पटेरिया, नवीन यादव,अंकुर यादव, शैलेन्द्र नामदेव सहित सेवादल परिवार के सदस्यों का विशेष सहयोग रहा।
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डर की महामारी या महामारी का डर..! होम क्वेरेंटाइन में एबीपी न्यूज़ के वीडियो जर्नलिस्ट होमेंद्र देशमुख की कहानी

डर की महामारी या महामारी का डर..!

होम क्वेरेंटाइन में एबीपी न्यूज़ के वीडियो जर्नलिस्ट होमेंद्र देशमुख की कहानी
 
'डर'…! यह मात्र एक 'शब्द' है । डरिये नही .., बल्कि 'डर' से जीतना है । 'डर' असल मे एक मनोवैज्ञानिक भाषा-कोष का गढ़ा हुआ शब्द है । 'डर' मजे की भी चीज है । अक्सर लोग पैसे खर्च कर के डरावनी फ़िल्म देखने सिनेमाघरों में जाते थे । "डर" का मजा लेते थे । आजकल डराने वाली फिल्में कम आ रही हैं क्योंकि शायद फ़िल्म वाले और जनता समझती है कि अब वो उतने बेवकूफ नही जो पर्दे पर चल रही चलचित्र को डरने के लिए पैसे खर्च करें ।
एक कहानी सुनी है। एक भूत नगर के चौकीदार से बाहर ही टकरा गया । उसने गांव में आने का कारण पूछा । भूत ने कहा आज मुझे पांच सौ लोगों को मारना है । क्योंकि उसको रोकना मुश्किल था । वह नगर के अंदर चला गया । वापस लौटा तो ,चौकीदार ने पूछा तुम पांच सौ लोगों को मारने आए थे और पंद्रह सौ को मार दिया । यह सरासर नाइंसाफी है !
भूत ने कहा- क्या करूँ मैंने तो पांच सौ ही मारे, लेकिन वहां छुप -छुप कर सब देख रहे थे । वो खुद ही मर गए । उनको मैंने नही , उनके 'डर' ने मारा है । मेरा कोई दोष नही ।
'डर' डरने का नही , असल मे मजा लेने की चीज है । डरावनी फिल्मों का मनोविज्ञान यही कहता है । पर अगर मजा नही ले सकते तो उससे बचने को सावधानी भी तो कहते हैं ।
12 मार्च 2020 को यह वैश्विक महामारी घोषित हुआ । पर मीडिया में होने के और लगातार मास्क लगाए लोगों के चेहरे मुझे डराते नही बल्कि हर पल सावधान करते थे । मामला उतना आसान नही था जितना अखबार और टीवी पर दिखते थे । सब को ऐसे खबर बताते समय एक मर्यादा की भाषा अपनानी पड़ती है । और हम सावधानियों को 'डर-किनार' (दरकिनार) करते जाते हैं । क्योंकि हम समझते हैं कि हम उन डरपोकों में नही जो मास्क लगाए घूम रहे हैं । खुद मीडिया के वीडियो जर्नलिस्ट (कैमरामैन) होने के कारण , साथ काम कर रहे , दिल्ली से आए एक पत्रकार को मैंने दस मार्च को मास्क लगाए देखा । मैं तो पहली फुर्सत मिलते ही एक मास्क खरीद लाया । दो तीन दिन और किसी को लगाते नही देखा तो मैंने भी अपना भी 'डर' पोस्टपोंड कर दिया । लेकिन मैंने किसी से भी हाथ मिलाना बंद कर दिया । केवल नमस्कार ! थोड़ा आपसी दूरी की सावधानी बनाने की कोशिश शुरू कर दी । कभी सीएम हाउस के बाहर, कभी शिवराज चौहान हाऊस, कभी बीजेपी और कभी कांग्रेस कार्यालय ,विधानसभा ,होटलें और एयरपोर्ट । सब जगह भीड़ और तेजी से संक्रमण या वाहक बनने का खतरा । कई बार नमस्कार करने पर मेरा मजाक भी उड़ा । पर मुझे क्या..!

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ब्रजेश राजपूत/सुबह सवेरे में ग्राउंड रिपोर्ट

पड़ोसियों के घर आना जाना यहां तक कि जाते-आते बातें करना बंद कर दिया क्योंकि 3 बीएचके अपार्टमेंट के दो फ्लैट के दरमियां दूरी एक फ़ीट भी नही थी ।ऐसे मे आमने-सामने बात करने का सवाल ही नही , ऊपर से मप्र की राजनीति और सत्ता-बदल के संग्राम में रोज अलसुबह निकलने और देर रात वापसी की अनियमित थकान भरी दिनचर्या ।
मुझे पता था , पड़ोसियों की नजर में मैं गलत कर रहा हूं ,यह शिकायत किसी दिन आएगी । पर मैं कारण बता कर पैनिक नही फैलाना चाहता था । मैंने गलतफहमी दूर करने की जिम्मेदारी मेरी पत्नि को दे दी पर शायद ही उनसे संतुष्ट हों .. मुझे परवाह भी नही थी क्योंकि लगता था , ज्यादा मेल-मिलाप से मैं ही उन तक वाइरस फैलाने का अपराधी बन सकता था ।
लगातार , तेज होती भीड़भाड़ वाली राजनैतिक गतिविधियों के बीच मीडिया कवरेज के कारण मैंने शायद पंद्रह मार्च को घर मे अपना कमरा और बिस्तर अलग कर लिया । वापस जाकर कपड़े अलग रखना । फिर बाद में रोज खुद साफ करना ,आदत बन गई थी । खैर, एक दिन बाद सेनेटाइजर खरीद कर गाड़ी में रख लिया । पर, बड़े कंजूसी भी करते रहे । मास्क और सेनेटाइजर सील बंद शोभा बढ़ा रहे थे । उन्नीस मार्च को मुख्यमंत्री कमलनाथ के निवास पहुँचते पहुँचते आखिर सेनेटाइजर का बोतल खोल ही लिया । लगा इतने बड़े आदमी को हमारी वजह से कोई खतरा नही होना चाहिए । मैं इतना सतर्क रहा कि सबसे दूर अलग बैठा ,अपने बजाय मेरे क्रम के पहले , जो माइक उनके गिरेबान को छू रही थी उसे बिना निकाले मैंने उसी से अपना भी काम चला लिया ।
सेफ डिस्टेन्स और सेल्फ अवेर्नेस, डर नही ! डर की जीत है । पर अवेर्नेस और सावधानी ही इस महामारी का बचाव है यह पूरी तरह इस दिन तक समझ मे आ चुका था । वापस आफिस आने पर मेरे वरिष्ठ ब्रजेश जी ने मुझे एक मास्क दिया कि उनके किसी शुभचिंतक ने भेजा है । मुफ़्त का मास्क था हमने तो तुरंत पहन लिया ।
दूसरे दिन मुख्यमंत्री निवास में बहुप्रतीक्षित और रहस्य से भरी प्रेसवार्ता थी । पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के निवास मास्क पहन कर पहुँचा मैं अकेला इंसान था ,वहां बगीचे में बैठे लोग मुझे देख कर बुदबुदाने लगे और बाहर से आये उस ग्रुप का लीडर उन्हें आवाज बुलंद कर समझाने लगा कि ये सब वहम है हम गांव के लोगों को डरने की जरूरत नही । बिल्कुल वैसे ही जैसे अंधेरी रात किसी सुनसान गली में हम हनुमान चालीसा पढ़ने लग जाते हैं । असल मे हनुमान चालीसा हमें बचाए न बचाए बल्कि उस सूनेपन में हमे अपने ही आवाज का साथ मिल जाया करता है ।
सायरन बजा हाथ धोने का, कलेक्टर ने की शुरुआत,सागर में हर तीन घण्टे में बजेगा

दिग्विजय सिंह के पीछे पीछे हम मुख्यमंत्री निवास के द्वार पहुचे ,एक पुलिसाधिकारी ने मुझे इशारे से अपनी गाड़ी के पास बुलाया और अपने पीछे आकर हॉउस में प्रवेश करने सब को लेकर आने कहा । मैंने उनसे बात करते उनकी गाड़ी को हाथ लगा दिया उन्होंने तुरंत मुझे दूर हटने कहा और अपने पास से सेनेटाइजर निकाल कर मेरे हथेली पर उड़ेल दिया । और सतर्क रहने कहा । असल मे मैं थोड़ा डर गया ..! पर उसी क्षण फिर सतर्क भी हो गया । मेरे चेहरे पर मास्क लगा ही था । नमस्कार और डिस्टेन्स के साथ जितना सम्भव था , अंदर सबकुछ सावधानी बरतने की कोशिश की ।
इस्तीफे अगले दिन कोई खबर नही थी पर आफिस के लिए एक सेनेटाइजर का बॉटल छोड़ वापस घर आ गया । अगले दिन सवा छः बजे सुबह से रविवार जनता कर्फ्यू से निकल कर दोपहर लौट घर पर घण्टी बजाने का इंतज़ार कर रहे थे । आधे घण्टे पहले ही एक वरिष्ठ पत्रकार के सुपुत्री के इस महामारी के संक्रमण की खबर आ गई । हमारे वरिष्ठ ने मुझे फोन कर आगाह किया । वह उससे बड़ी खबर थी । उस युवती के पिता को भी शक के दायरे में लेकर आइसोलेट कर लिया जो एक पत्रकार हैं और वह सी एम हाऊस के उस बड़ी पत्रकार वार्ता में हम सब के साथ उपस्थित थे ।
हमने ऑफिस को बता दिया ,कहीं बाहर मत निकलो किसी से न मिलो घर मे भी सतर्क रहो । काटो तो खून नही ! इतना सुने और निढाल बैठ गए । अब शंख बजने लगे, पांच बज चुके थे। जिस घण्टी ताली और थाली बजाने को धूमधाम से कवर करने वाले थे वो नाद हमारे अपने मन को झकझोरने लगे । पर असल मे ये नाद सकारात्मक ऊर्जा लिए होते हैं ,उसका फायदा मुझे भी मिला और मैं शांत अकेले, कमरे में जाकर बैठ गया ।
ये मेरे क्वेरेंटाइन का पहला दिन था । मैंने घर के उसी कमरे से सब को बता दिया कि मुझसे और दूर रहें ।
बात क्वेरेन्टाइन की नही बात सम्भावित खतरे की थी । घर मे और ज्यादा डिटेल नही बताया । मैं नही जानता कि मेरी पत्नी ने क्या सोचा, बच्चे ने क्या सोचा । सब टीवी पर चल रहे भोपाल के पहले संक्रमित युवती की ब्रेकिंग न्यूज़ में खो चुके होंगे । अब बाकी सावधानियों के साथ हाल में डिस्टेन्स मेंटेन कर खाना खाना ,मेरी थाली अलग धुलवाना ,जूठन न छोड़ना आदि शुरू हो गया ।
अब तो संदेही पत्रकार के रिपोर्ट का बेसब्री से इंतज़ार था । दिन में दो बार फोन करते, सुबह अख़बारों में ढूंढते ,दोस्तो से पूछते । बेचैनी भरे , उम्मीद के तीन दिन और तीन रातें बीत गए । जबलपुर और इंदौर सहित देश भर के आंकड़े आते तो भोपाल का नाम नही होने पर थोड़ा सुकून पाते । 25 तारीख की सुबह पत्नी ने कमरे के बाहर दस्तक दी ,पड़ोसी अपने से बात नही करने का कारण पूछ रहे , आप दरवाजे के पास आकर बता दीजिए । हां-ना करते मैंने बता ही दिया कि भोपाल की पहली पाज़िटिव लड़की के पिता पत्रकार हैं इसलिए मैं आप सब से डिस्टेन्स मेंटेन कर रहा हूँ । अब बताने को एक सटीक कारण था ।
इसी दिन दोपहर 1 बजे उस इंतज़ार का कड़वा फल आ ही गया । दनादन ब्रेकिंग पटकने लगी वाट्सअप फेसबूक टीवी चैनल सब जगह । मेरे परिसर के पांचों फ्लैट की टीवियों से आवाज गूंजने लगी 'भोपाल में पत्रकार पॉज़िटिव ..!' पत्नी ने अपने डर को छुपाने का बहाना करते बनावटी और कुटिल मुस्कान लेते आकर पूछा – आप भी उस दिन सीएम हाउस में थे ना..!
ये सवाल का जवाब उनको भी पता था ..फिर भी पत्नी ने मुझसे हां करवा ही लिया..!
अब वो फ़्लैश बैक में याद करने लगीं ..धन्यभाग ..! जो आप अलग रह रहे थे ,छोटी मोटी लापरवाही हुई थी लेकिन वो इस वाइरस के सतर्कता की श्रेणी में नही आते थे ।
वरिष्ठ, मित्र ,कंट्रोल रूम और कलेक्टर साहब से बात हुई और हम होम क्वेरेंटाइन के आगे अब हम ऑफिसियली रूम क्वेरेंटाइन में चले गए ।
सेल्फ क्वेरेंटाइन की पहली रात एक बजे तक आई फोन के नोट में लिखे सारी डायरी पर नजर डालते रहे । कब कहाँ किससे मिले क्या सावधानी बरते, कितने समय और कब और किसने मेरे सामने छींक मारी..
जी..! पिछले 19 मार्च से मेरी निजी और सार्वजनिक गतिविधियों का मेरे फोन पर लेखा जोखा था । सब सुरक्षित जानकर लात तान सो गए । बा-मुश्किल एक नींद सोए ही थे कि रात लगभग तीन बजे ही आंख खुल गई ,एक शंका मन मे आई और फोन के नोट्स को फिर चेक करने लगे । क्या पता मुख्यमंत्री निवास के उस प्रसिद्ध पत्रकार-वार्ता में कहीं उन संक्रमित पत्रकार और महामारी के भोपाल से दूसरे पीड़ित से कहीं भीड़ में टकरा ही गए हों । थोड़ी ठंड सी लगने लगी , गला चुभने सा लगा । सांस फूलने सी लगी ..! थर्मामीटर मांगने पत्नी को जगाया , 98.4 डिग्री .. धत्त तेरे की सारा मन का वहम था । पत्नी ने डांटा देख नही रहे बाहर बारिश हो रही .. एक चादर और ले लो और चुपचाप सो जाओ ..!
देर सुबह कानों में आवाज गूंजी ..चाय बनाऊं या और सोओगे ..?
चाय पी , योगा किया और क्वेरेन्टाइन के बाद पहली सुबह पर एक भारी दिन चढ़ने लगा । दोपहर तीन बजे फिर बारिश शुरू हो गई और फिर चुपके से थर्मामीटर दबा कर बैठ गए । अब तो माप 94.7 डिग्री था । शाम की चाय के बाद किसी प्रवचन में 'डर' के भूत की कहानी सुनी और शायद मेरे मन से वह डर का भूत भी भाग गया ..! असल मे हमें उसी 'डर' से जीतना है ।  कहते हैं 1920 में भी महामारी फैली थी तब भी इसी डर ने लोगों को ज्यादा मारा था । महामारियों में यह 'डर' बड़ा नकारात्मक परिणाम देता है , शब्द ही ऐसा है ।  अब जो डरावनी फिल्में देखने को जागरूक जनता थियेटर में नही जाती वह इस डर से भला क्यों डरेगा ।
तो आप भी मान लीजिए, आजकल डरने का नही ल डर का मजा ले कर उसे जीतने के दिन हैं ।
वैसे रामसे ब्रदर्स इन दिनों कौन सा फ़िल्म बना रहे आप को पता है क्या..?

(लेखक होमेन्द्र देशमुख,एबीपी न्यूज़ भोपाल के वीडियो जर्नलिस्ट है)
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गृहस्थ संत सही दद्दाजी की पत्नी कुंती देवी पंचतत्व में विलीन, नम आंखों से लोगों ने दी अंतिम विदाई

गृहस्थ संत सही दद्दाजी की पत्नी कुंती देवी पंचतत्व में विलीन, नम आंखों से लोगों ने दी अंतिम विदाई
सागर।  गृहस्थ संत पं.देवप्रभाकर शास्त्री दद्दाजी की धर्मपत्नी श्रीमती कुंती देवी छोटी जिज्जी आज पंचतत्व में विलीन हो गयी।उनका देर रात्रि में दुखद निधन हो गया था।  सरकार द्वारा  पारित आदेश सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए दद्दा धाम कटनी में ही अंतिम संस्कार किया गया।  बड़े भैया डॉ अनिल त्रिपाठी ने उनकी पार्थिव देह को मुखाग्नि दी। आचार्य पूरन लाल जी शास्त्री,  कालिका प्रसाद पांडे ने पूरे विधि विधान के साथ अंतिम संस्कार डॉ अनिल त्रिपाठी से कराया ।सुबह 10बजे  डॉ सुनील त्रिपाठी जी के निवास से अंतिम यात्रा शुरू हुई
गमगीन था  शिष्य परिवार
जिज्जी शिष्य परिवार के सदस्यों को एक सूत्र में पिरोयी थी  रिश्तेदार व शिष्य परिवार की महिलायें गमगीन थी और रो रही थी। परिवार का भी रो रोकर बुरा हाल था। सभी लोग सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए डॉ अनिल त्रिपाठी डॉ सुनील जी त्रिपाठी नीरज त्रिपाठी संतोष पांडे  पूर्व मंत्री संजय पाठक सभी को सांत्वना दे रहे थे।दद्दा शिष्य मंडल सागर से डा.सुखदेव मिश्रा. वीरेन्द्र गौर. सुरेन्द्र सुहाने. उत्तम सिंह ठाकुर. राजकुमार तिवारी. शांतिस्वरूप दुबे. राजेन्द्र सुहाने. सुशील सुहाने. निकेश गुप्ता.संजीव श्रीवास्तव. अजय गर्ग.अज्जू साहू.मोहन कुशवाहा.शुभम तिवारी. कपिल तिवारी सहित बडी संख्या में गुरू भाई ने अंतेष्टि में शामिल हुए ।
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लॉक डाऊन में सागर जिले से बाहर जाने की अनुमति हेतु आवेदन प्रारूप जारी

लॉक डाऊन में सागर जिले से बाहर जाने की अनुमति हेतु आवेदन प्रारूप जारी
सागर । कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम एवं नियंत्रण दृष्टिगत रखते हुए लाॅक डाउन अवधि के दौरान जिले की सीमा से बाहर जाने हेतु अनुमति लेने के लिए आवेदन पत्र अपर जिला दण्डाधिकारी जिला सागर के नाम से ई-मेल आईडी vehiclepermissionsagar@gmail.com
पर भेज सकते है। साथ ही इसका हेल्पलाईन नंबर 7587968101 पर भी संपर्क कर सकते है। जिले में दिनाक 21 . 03 . 2020 को धारा 144 लागू किये जाने से आवागमन प्रतिबंधित किया गया है।

पढ़े: पुलिस कार्यप्रणाली की दो तस्वीरे

आवेदन पत्र में प्रार्थी को दिनांक . . . . . को जिला-सागर से . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . जाना है विवरण निम्नानसार है आवेदक का नाम, पिता, पति का नाम, वाट्सएप्प मोबाईल नंबर, ई - मेल आईडी, आधार कार्ड नंबर, अनुमति का प्रयोजन, अनुमति की समयावधि, यात्रा दिनांक, यात्रा दिनांक से न्यूनतम 2 दिवस पूर्व आवेदन प्रस्तुत करेंगे। वाहन का प्रकार एवं रजिस्ट्रेशन नंबर, वाहन में यात्रा कर रहे सदस्यों का विवरण, वाहन चालक का नाम एवं ड्राइविंग लायसेंस नंबर, चिकित्सीय दस्तावेज (यदि उपलब्ध हो)। है ।
संलग्नः - वाहन का रजिस्ट्रेशन , बीमा , ड्राइविंग लायसेंस , यात्रा कर रहे समस्त सदस्यों के आधारकार्ड की छायाप्रति । आवेदक - स्व घोषणा पत्र में शपथपूर्वक कथन करता हूँ कि आवेदन पत्र में वर्णित सभी तथ्य सही हैं . तथा यात्रा में शामिल कोई भी व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं है । यदि कोई भी व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित पाया जाता है तो मेरे विरुद्ध विधि कार्यवाही की जा सकेगी जिसकी संपूर्ण जमावदारी मेरी होगी ।
कार्यालय कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी सागर
 परीक्षण उपरांत आवेदक को कमांक 5 में वर्णित प्रयोजन के लिये जिला सागर की सीमा से . . . . . . . . . . . . . . . . . . . जाने की अनुमति दिनांक ........... 2020 के लिये प्रदान की जाती है एवं दिनांक . . . . . . . . . . . . . . तक वापस आने की अनुमति इन शर्तों पर प्रदान की जाती है कि यात्रा के दौरान प्रत्येक व्यक्ति मास्क लगाये रखे एवं समय समय पर अपने हाथों को साबुन या ैंदपजप्रमत से साफ करते रहेंगे । लौटते ही सर्वप्रथम अपना व समस्त सदस्यो का मेडिकल चेकअप करायेंगे तथा होम क्यारटाईन के नियमों का पालन करेंगे । क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी जिला सागर।
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दो तस्वीरे पुलिस की । एक पुलिस वाले का गाना " जिंदगी न बन जाए सभालो यारों.." तो दूसरे ट्रैफिक कर्मी ने कहा "हम मर भी जाये पर आप सुरक्षित रहेंगे

दो तस्वीरे पुलिस  की । एक पुलिस वाले का  गाना " जिंदगी  न बन जाए सभालो यारों.."
तो दूसरे ट्रैफिक कर्मी ने  कहा "हम मर भी जाये पर आप सुरक्षित रहेंगे"

★पुलिस आरक्षक देशभक्ति का गाना गाकर जर रहा है लाकडाउन कि अपील
" जिंदगी मौत न बन जाये सम्भालो यारो मुश्किलों में  है वतन....."

★ वही ट्रेफिक सिपाही अपनी जीप में स्पीकर बांधकर गलियों में लॉक डाऊन में घरों में रहने का संदेश देने के साथ ही कहता है कि हमारी मौत भी जाएगी लेकिन आप सुरक्षित रहेंगे..

सागर।सागर में  लॉक डाउन  के दौरान पुलिस काफी मुस्तेद है।  प्रशासन पूरी मुस्तेदी से लॉक डाउन में लोगो को घरों में रहने की कर रही अपील । लोग घरों में रहे इसके लिए पुलिस को बड़ी चुनोती का सामना करना पड़ रहा है। पुलिस की दो तस्वीरे ज्यादा चर्चा में हैं।
 पहली तस्वीर  सागर के मकरोनिया थाना के आरक्षक राउफ खान की है । रऊफ ने रात्रि में  देश भक्ति गाना गाकर लोगो से की घरों में रहने की अपील की है । रऊफ माईक लगाकर गाना गाते  " जिंदगी मौत न बन जाये सम्भालो यारो मुश्किलों में  है वतन....."
काफी वायरल भी हो रहा है। जिसकी सराहना भी हो रही है। 

पढ़े:सागर सम्भाग में लॉक डाऊन में नियमो का पालन पुलिस मुस्तेदी से कराने में जुटी:आईजी अनिल शर्मा
https://www.teenbattinews.com/2020/03/blog-post_921.html

दूसरी तस्वीर ट्रैफिक कर्मी अभिषेक चौबे की है । जो अपनी जीप में स्पीकर बांधकर घर से बाहर नही निकलने  और घरेलू उपायों को बताते है । साथ मे कहते है कि यदि हमने कोरोना की जंग जीत ली तो यह ऐसी  जीत होगी जिसमें लड़ाई  नही लड़नी पड़ी।हमारा काम ही ऐसा है पुलिस शपथ लेती है की चाहे महामारी यो कुछ भी हम मर जाये लेकिन आप सुरक्षित रहेंगे। आप घरों में रहिये । सुरक्षित रहेंगे। कुछ दिनों की ही बात है। अभिषेक चौबे अक्सर अपनी कार्यशैली को लेकर चर्चित रहते है।

★तीनबत्ती न्यूज़. कॉम★ 94244 37885
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सागर सम्भाग में लॉक डाऊन में नियमो का पालन पुलिस मुस्तेदी से कराने में जुटी:आईजी अनिल शर्मा

सागर सम्भाग में लॉक डाऊन में नियमो का पालन पुलिस मुस्तेदी से कराने में जुटी:आईजी अनिल शर्मा
सागर। सागर संभाग के पुलिस महानिरीक्षक अनिल शर्मा ने सम्भाग के सभी लोगो से अपील की है कि कोरोना जैसी संक्रामक बीमारी के दौर से  गुजर रहे है। ऐसे में लाकडाउन के नियमो के  कानूनों का पालन पुलिस  विभाग कर रहा है। इस समय आवश्यकता है कि सभी लोग घरों में रहे और निर्धारित समय सीमा में अपनी खरीदी करे।शासन और प्रशासन के निर्देशों का कड़ाई से पालन करे।  उन्होंने कहा कि कानून का पालन पुलिस सहजता और मुस्तेदी से कर रही है ।अनावश्यक सड़को पर नही निकले। ऐसे कोई कार्य न करे कि पुलिस को मजबूर होकर सख्ती उठानी पड़े। उन्होंने सभी पुलिस कर्मियों से कहा है कि ड्यूटी का पालन सहजता शालीनता से करे । जनमानस से सद्व्यवहार करे।
पढ़े:सायरन बजा हाथ धोने का, कलेक्टर ने की शुरुआत,सागर में हर तीन घण्टे में बजेगा

आई जी श्री शर्मा ने कहा की  कोरोना वायरस एक  दूसरे से फैलता है ।ऐसे में घर और बैठना ही सबसे बेहतर उपाय है । हमे सेनेटाईजर और मास्क का लगातार उपयोग करना चाहिए।शासन ने समय तय किया है । जिसमे किराना ,सब्जी, दूध आदि  खरीद सकते है । इस दौरान सोसल डिस्टेंस का पालन करे। शासन के निर्देशों का पालन कराने पुलिस विभाग मुस्तेदी से काम कर रहा है।
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सायरन बजा हाथ धोने का, कलेक्टर ने की शुरुआत,सागर में हर तीन घण्टे में बजेगा

सायरन बजा हाथ धोने का, कलेक्टर ने की शुरुआत,सागर में हर तीन घण्टे में बजेगा
सागर। कोरोना वायरस से निपटने का हैंड वाश और साफ सफाई का संदेश देने के लिए  प्रशासन एक नई  शुरूआत की है ।कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए जिला एवं पुलिस प्रशासन संयुक्त रूप से जिला वासियों को प्रत्येक 3 घंटे में सायरन बजाकर जागरूक करेगा।हर तीन घण्टे में सायरन बजेगा और लोग हाथ सफाया करेंगे और घरों में दरवाजे के हेडिल नल  आदि की साफ करेंगे। आज सिविल  लाइन चौराहा पर आज प्रातः 9:00 बजे से हाथ धुलाई एवं सायरन बजाने का कार्यक्रम प्रारंभ किया गया ।कलेक्टर श्रीमती प्रीति मैथिल नायक एसपी  अमित सांघी  , नगर निगम कमिश्नर आरपी अहिरवार सिटी मजिस्ट्रेट पवन बारिया सहित निगम का एवं अन्य कर्मचारी उपस्थित थे।

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हाथ धुलाई कार्यक्रम में पेट्रोल पंप  के कर्मचारी पुलिस अधिकारी कर्मचारी नगर निगम का अमला एवं अधिकारियों ने हाथ धोकर शहर वासियों को संदेश दिया।सायरन बजते ही लोगो ने घरों में भी इसका पालन किया। प्रशासन ने मोबाइल पर भी सायरन भेजा है बजाने के लिए।सायरन बजाने एवं हाथ धुलाई का कार्यक्रम प्रति 3 घंटे में आयोजित किया जाएगा।  समस्त लोगों से कलेक्टर  ने अपील की है कि वह सायरन बजते  ही अपने घरों में हाथ धोने एवं जरूरी सामान जैसे दरवाजे के हैंडल नल के हैंडल आदि को सेनेटाईज करें। 

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ऐसे चलेगा हाथ धोने का अभियान
कलेक्टर  प्रीति मैथिल नायक एवं पुलिस अधीक्षक श्री अमित सांघी ने जिले वासियों से अपील की है कि प्रातः 9:00 बजे,  12:00 बजे, 3:00 बजे,  शाम  6:00 बजे और रात 9:00 बजे पुलिस एवं प्रशासन के वाहनों से पूरे जिले में सायरन बजाकर जागरूक करेंगे।एवं स्पीकर की मदद से अपील करें कि आप लोगों को प्रत्येक 3 घंटे में अपने हाथों को सेनीटाइज करने के साथ घरों के दरवाजों के हैंडल, एल ड्राफ्ट,  नल के हैंडल,  गाड़ी के हैंडल,  स्टेरिंग एवं लगातार उपयोग कर रहे वस्तुओं को सैनिटाइज करें। उन्होंने समस्त दुकानदारों को निर्देश दिए हैं कि वे दुकान के काउंटर,  तराजू, बाट को भी सैनिटाइज करें। उन्होंने अपील की है कि समस्त नागरिक अपने-अपने घरों के बाहर पानी की बाल्टी,  साबुन रखें। घर के बाहर निकला हर आदमी हाथ धोकर ही घर में प्रवेश करें।
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ट्रकों से वापिस सागर लौटे लोहगड़िया जाति के 60 लोग, प्रशासन ने परीक्षण कर स्टेडियम में सुरक्षित किया

ट्रकों से वापिस सागर लौटे लोहगड़िया जाति के 60 लोग, प्रशासन ने परीक्षण कर  स्टेडियम में   सुरक्षित किया

सागर।कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पूरा देश लॉकडाउन हैं जिसके चलते प्रशासन भी हाई अलर्ट पर है हर आने जाने व्यक्तियों पर नजर रखी जा रही हैं। 
एमपी के सागर जिले से उत्तर प्रदेश की सीमा लेगई है । सागर के सीमावर्ती ग्राम मालथौन में बीती रात प्रशासन को जानकारी मिली थी लोगड़िया समाज के करीब 60 लोग बनारस से बापिस मालथौन ट्रकों से आय हैं ।जिसके तुरन्त बाद प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग के अमले ने पहुँचकर पहले तो उनका परीक्षण कराया उसके बाद उन्हें मालथौन से बाहर एक स्टेडियम में आइसोलेट कर दिया गया हैं।

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 सारे लोग टेंट लगाकर स्टेडियम में ही रह रहे हैं जब हमने उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि हम लोगो का परीक्षण पन्ना जिला में कर लिया गया था जिसका रिजल्ट भी नेगेटिव आया था । डर संदेश जैन के अनुसार इनका परीक्षण कराया जा रहा है। सुरक्षा की दृष्टि से उनको आइसोलेट किया गया हैं।आइसोलेट सभी लोगो को प्रशासन की तरफ से खाने पीने के साथ सभी प्रकार की व्यवस्था कर दी गयी हैं ।
सागर सम्भाग के कमिश्नर अजय  गंगवार ने बताया कि कुछ पलायन कर गए लोग वापिस आ रहे है। इनकी पूरी व्यवस्था की जा रही है।
★तीनबत्ती न्यूज़.कॉम
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ऐसी वीरानगी देखी नहीं कभी..... @ब्रजेश राजपूत/ सुबह सवेरे में ग्राउंड रिपोर्ट

ऐसी वीरानगी देखी नहीं कभी.....

@ब्रजेश राजपूत/ सुबह सवेरे में ग्राउंड रिपोर्ट 
वैसे सुबह तो रोज होती थी मगर इन दिनों की सुबह कुछ अलग है। नींद जल्दी खुलती है और खिडकी पर आते ही ढेर सारी चिडियों की चहचहाहट स्वागत करती है। खिडकी के एक तरफ गौरेया का तो दूसरी तरफ काली सी दर्जिन चिडिया का घोंसला बन रहा है। आपके उठने के पहले से ही उनका तिनके जमाने का काम शुरू हो जाता है जो शाम तक चलता रहता है। शाम होते ही चिडियों के वो दोनों परिवार गायब हो जाते हैं जो दिन भर अपना घरोंदा बनाने के लियेे लगे रहते हैं। मन में आता है कि इस नये आशियाने में आने से पहले वो जाने कहां रह रहे होंगे। ये घर तो उनकी परिवार की बढती जरूरत को पूरा करने के लिये बनाया जा रहा है। यदि परिवार नहीं बढ रहा होता तो शायद ये चिडिया भी हमारे घर के पास अपना घर नहीं बना रहीं होती और हम भी उनकी मन में उर्जा भरने वाली चहचहाहट से अंजान बने रहते। जब अपने घर के पास बन रहे इन घरोंदा की चर्चा हमने घर पर की तो ताने सुनने मिले अरे हमें तो पहले से ही मालुम है तुमको अब पता चला वैसे भी तुम्हारे पास इन सबको देखने का वक्त ही कहां है। 
इसलिये अब जब वक्त मिला है तो घर के आसपास गौर से देखना शुरू कर दिया है। तो बहुत सारी नयी बातें पता चलीं सोचा आपको ही बता दूं घर पर बताउंगा तो वही पुराना ताना सुनने मिलेगा अरे हमें तो मालुम था। एक रोज सुबह अखबार आने के पहले मधुर सी आवाज आने लगी वो आवाज भी ऐसी जिसे पाकिस्तानी गायिका रेशमा ने हीरो फिल्म के गाने में कहा था कि कोयल की कूक ने हूक उठायी। गौर किया तो देखा कि घर के बाहर के बाहर लगे चंदन और आंवले के पेड पर रोज सुबह दो कोयल आती हैं दोनों अलग अलग पेड पर बैठ कर कूकतीं हैं तो सचमुच में हूक सी उठती है। ये कोयलंे तो पहले भी आती होंगीं मगर तब अखबार आते ही दुनिया जहान की खबरों में व्यस्त हो जाते थे कोयल की कूक सुनने की फुरसत ही नहीं थी। मगर अब अच्छी बात ये है कि ये कोयल की कूक दिन भर सुनाई देती है। अभी जब लिख रहा हूं तब भी कोयल बाहर कूक रही है। ये आवाजें शायद अब इसलिये भी सुनाई दे पा रहीं हैं कि बाहर का कोलाहल कम हुआ है। गाडियों की आवाजें और उनके हार्न की कर्कश आवाजें कोयल की कूक का गला घोंट देतीं होंगीं। मगर कोयल की कूक का अहसास अदभुत है। ये हमारी प्रकृति है उसकी याद हमें तब ही आती है जब हमारे हमें याद करना भूल जाते हैं। वैसे मैं ये भी देख रहा हूं कि मेरे घर की छत पर रोज सुबह आकर दाना चुगने वाले कबूतरों की संख्या भी इन दिनों बहुत बढ गयी है। वैसे ये कबूतर मेरे घर के सामने के एक खाली पडे थ्री बीएचके एफ टाइप फलेट में लंबे समय से रह रहे हैं। वैसे तो ये चार कमरों का वीरान सा घर है मगर वहां कम से कम बारह से बीस कबूतर अपना ठिकाना बनाये हुये हैं। मैंने इतने सालों मंे उनको एक बार ही बेघर होते देखा था जब पडोस में शादी हुयी थी तो उस घर की साफ सफाई हुयी थी तब कुछ दिन उन कबूतरों ने यहंा वहंा के तारों पर बैठ कर दिन काटे थे मगर शादी निपटते ही उन कबूतरों को फिर उनके फलेट पर कब्जा मिल गया था। वैसे उनकी दिनचर्या भी यहीं है कि सुबह उठना दूसरे फलेट वालों की तरह उनको नौकरी पर तो जाना नहीं है मगर जहां जहां उनके मित्र परिवार उनको खाना डालते हैं वहां पर जाकर दाने चुगना और फिर फलेट के सामने की खिडकी या फिर वहां से गुजरते बिजली के तारों पर बैठकर चुहलबाजी करना। दिन भर वो अपने फलेट की खिडकी से हमको अपने आफिस से आते और जाते हुये देखते होंगे मगर इन दिनों उनकी आंखों में भी हमें देख आश्चर्य तो उभरता होगा कि क्या भाई आजकल दिन भर घर पर ही हो। सब राजी खुशी तो है। नौकरी औकरी तो नहीं ना छूटी। मगर वर्क एट होम करते हुये हम क्यों उनको करोना के नाम पर डरायें। उनकी दुनिया में करोना नहीं आया तो उसकी वजह यही है कि वो जरूरत का ही खाते पीते और छोटी सी जगह में रहकर गुजारा करते हैं। जबान और जमीन का लालच उनको नहीं है। 

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यदि करोना की वजह से हमारे शहरों में वीरानी पसरी है तो उसको दूर करने उन जगहों के पुराने रहवासी आने लगे हैं। जयपुर के गलता गेट इलाके में शुक्रवार की रात हिरणों का झंुड सडकों पर टहलता देखा गया। इटली के तटीय शहरों में डालफिन आकर अठखेलियां करने लगी हैं। इटली के ही शहर वेनिस मंे गोंडला यानिकी वहाँ चलने वाली नावें बंद हुयी तो वहां सुंदर हंसों के झुंड तैरते दिखने लगे। सिंगापुर के पार्कों में दौडभाग करते उदबिलाव के परिवारों के फोटो दिखे हैं। मगर सबसे सुकून देने वाला फोटो तो शिकागो के शेड एक्वेरियम का है जब बंद एक्वेरियम में टहलते दिखे एडवर्ड और एनी नामके दो पेंग्विन। जो शायद अपने साथियों से पूछते घूम रहे थे कि सुकून में तो हो। 
सच तो ये है कि करोना ने तबाही भले ही मचायी हो दुनिया में मगर ये वक्त है जब हम अपने आसपास देखें और उन प्राणियों को भी जगह दें जो प्रकृति ने उनको बख्शी है। 
रिसेट बटन दबाने का टाइम आ गया। 
ब्रजेश राजपूत, एबीपी न्यूज, भोपाल
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