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मुख्यमंत्री से मिले बीड़ी उधोगपति, मन्त्री भूपेंद्र सिंह और विधायक शेलेन्द्र जैन के साथ ★कोटपा एक्ट को बताया अव्यवहारिक ★उधर मन्त्री गोपाल भार्गव ने लिखा पत्र केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को

मुख्यमंत्री से मिले बीड़ी उधोगपति, मन्त्री भूपेंद्र सिंह और विधायक शेलेन्द्र जैन के साथ

★कोटपा एक्ट को बताया अव्यवहारिक

★उधर मन्त्री गोपाल भार्गव ने लिखा पत्र केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को



सागर। (तीनबत्ती न्यूज़  ) । कोटपा एक्ट के संसोधन के कारण बीड़ी कारोबार पर विपरीत असर पड़ने के कारण इसको रोकने को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से  नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह  के नेतृत्व में सागर विधायक  शेलेन्द्र जैन के साथ मध्य प्रदेश बीड़ी उधोग संघ की अध्यक्ष डॉ मीना पिम्पलापुरे और उद्योगपतियों ने मुलाकात की और एक ज्ञापन  दिया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इस मसले पर सहमति जताते हुए जनप्रतिनिधियों से चर्चा कर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन से चर्चा करने की बात कही। दूसरी तरफ लोकनिर्माण मन्त्री गोपाल भार्गव ने  कोटपा एक्ट में प्रस्तावित नियमावली को लेकर अव्यवहारिकता के सम्बंध में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्ष वर्धन को एक पत्र लिखा है। 
विधायक  शेलेन्द्र जैन ने बताया कि तम्बाकू एक्ट में किये जा रहे संसोधन अव्यवहारिक है ।जिन्का पालन करना बीड़ी श्रमिको सहित संस्थान को सम्भव नही है । इसलिए मुख्यमंत्री  से अनुरोध है कि आप भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्री से बात कर इन संसोधनों को रोके।  ताकि डूब की कगार पर चल रहे बीड़ी उद्योगो को बचाया जा सके। विधायक जैन ने बताया कि बीड़ी उद्योगों से लाखों श्रमिकों की रोजी रोटी पर बन आएगी। जिस पर  मुख्यमंत्री महोदय ने सहमति जताते हुए शीघ्र ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से बात करने की बात कही। 
इस अवसर पर श्रीमती मीना पिम्पलापुरे, बुन्देल सिंह बुंदेला,  अनिरुद्ध पिम्पलापुरे,रवि  गगरानी, रामावतार पाण्डे अंकित पालीवाल, अमित पटेल, लोकेश चौरसिया, चंद्रमोहन केशरवानी, महेंद्र शाह, रवि गगरानी, अमित जैन, पलाश जैन, यशवंत सिंह बुंदेला उपस्थित थे।


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मध्यप्रदेश बीड़ी उधोग संघ की अध्य्क्ष डॉ मीना पिम्पलापुरे ने बताया कि कोटपा, अर्थात् सिगरेट एंड अदर टबैको प्रॉडक्ट्स ऐक्ट क़ानून, २००३ में हाल ही में संशोधन कर केंद्रीय स्वास्थ एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने ३१-दिसम्बर-२०२० को नयी नियमावली जारी की है। इस संशोधित नियमावली के नियम बीड़ी उद्योग के लिए पूर्णतः अव्यवहारिक हैं। इन अव्यवहारिक नियमों का वर्णन इस पत्र के साथ संलग्न है। बीड़ी की पैकिंग की प्रक्रिया को रिलाई कहते हैं जो पूर्णतः हाथों से की जाती है न की मशीन से। कोटपा संशोधन के नियमों को रिलाई की प्रक्रिया में शामिल करना असम्भव है। इसके अतिरिक्त, बीड़ी से सम्बंधित सभी विक्रेताओं और पनवाड़ियों को पंजीयन की जटिल प्रक्रिया का सामना करना बहुत कष्टप्रद होगा। नयी नियमावल के तहत नियमों के उलंघन के दण्ड बहुत कठोर हैं और इनसे भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन मिलेगा। यदि ये संशोधन इनके वर्तमान स्वरूप में लागू किए गए तो बीड़ी का अंत निश्चित है। यदि बीड़ी ही नहीं रही तो राज्य सरकारों से टेंडरों में खरीदे गए तेंदू-पत्ते का क्या उपयोग रह जाएगा? बीड़ी मूलतः श्रम-आधारित ग्रामीण-कुटीर अनऑर्गेनाइस्ड सेक्टर का उद्योग है जो २.६ करोड़ तम्बाकू किसानों, ८५ लाख बीड़ी श्रमिकों, ४० लाख से अधिक आदिवासी-तेंदू पत्ता-संग्राहक परिवारों और ७५ लाख पनवाड़ियों के रोज़गार का माध्यम है। कोरोना-काल में इन श्रमिकों की स्थिति बहुत ही दयनीय हो गयी है। यदि कोटपा कीसंशोधित नियमावली ज्यों-के-त्यों लागू हुई तो ये श्रमिक रातों-रात बेरोज़गार हो जाएँगे। इस उद्योग को न तोबिजली और न ही पानी की आवश्यकता पड़ती है। । आपसे हमारा विनम्र निवेदन है कि आप कृपया उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुआ केंद्रीय स्वास्थ एवंपरिवार कल्याण मंत्रालय से कहें कि या तो वे बीड़ी उद्योग को कोटपा कानून के सभी नियमों से मुक्त रखें या फिर बीड़ी उद्योग से सम्बंधित सभी संगठनों को अपना पक्ष रखने का भरपूर समय (कम-से-कम
३१-मार्च-२०२१ तक) और अवसर प्रदान करें ताकि नए कोटपा नियमों में, बीड़ी उद्योग की जटिलताएँ समझते हुए, संशोधन कर इन्हें व्यावहारिक बनाया जाए।

लोकनिर्माण मन्त्री  भार्गव ने लिखा पत्र

बीड़ी मजदूरों  और कारोबार की हमेशा आवाज उठाने वाले लोकनिर्माण मन्त्री गोपाल भार्गव ने कोटपा एक्ट से प्रभावित होने वाले इस कारोबार को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को एक पत्र  लिखा है। पत्र में बीड़ी उधोग संघ द्वारा बताए सुझावों को प्रेषित किया है।  

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रश्मि ऋतु जैन बनी बार कौंसिल की नामांकन समिति की अध्यक्ष

रश्मि ऋतु जैन बनी बार कौंसिल की नामांकन समिति की अध्यक्ष

जबलपुर।  म.प्र. में अधिवक्ताओं की सबसे बडी संस्था स्टेट बार कौंसिल ऑफ म.प्र. में 14 जनवरी 21 को विभिन्न समितियो का गठन हो जाने के पश्चात नामांकन समिति के अध्यक्ष का
चुनाव प्रथम बैठक आयोजित कर किया गया।
नामांकन समिति के सदस्य श्री आर.के.सिंह सैनी ने अधिवक्ता श्रीमती रश्मि ऋतु जैन
सागर के नाम का प्रस्ताव अध्यक्ष पद हेतु रखा जिस पर सदस्य श्री राजेश व्यास भोपाल ने
समर्थन किया। इस तरह से तीन सदस्यीय कार्यकारिणी समिति के सदस्यो की सर्वसम्मति से अधिवक्ता श्रीमती रश्मि ऋतु जैन नामांकन समिति की अध्यक्ष चुनी गयी।
इस अवसर पर नामांकन समिति की नवनिर्वाचित अध्यक्ष श्रीमती रश्मि ऋतु जैन ने पद सम्हालते ही तीव्र गति से कार्य आरंभ करते हुये कहा कि वे म.प्र. के अधिवक्ताओ के हितार्थ सतत कार्य करेगी और शीघ्र स्टेट बार कौसिल कार्यालय पेपरलेस होगा और पूरा कार्यालय को
डिजिटल किया जायेगा साथ ही नये अधिवक्ता बनने हेतु ऑन लाईन फार्म जमा करने की प्रक्रिया शीघ्र अपनाई जायेगी, जिससे अब म.प्र. से आवेदको को जबलपुर नहीं आना पडेगा। इसके अतिरिक्त उन्होने पिछले 1595 नये नामांकन प्रकरणो की पुष्टि की तदोपरांत 252 नये अधिवक्ताओं का नामांकन किया एवं 4 सनद पुर्नबहाली के प्रकरणों पर विचार कर उनकी सनद की बहाली की।

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"महिला सम्मान" कार्यक्रम में दिलाई सुरक्षा और सम्मान की शपथ


"महिला सम्मान" कार्यक्रम में दिलाई सुरक्षा और सम्मान की शपथ

सागर। महिलाओं की सुरक्षा और उनके सम्मान पर केंद्रित एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसके मुख्य अथिति पुलिस अधीक्षक अतुल सिंह ने सम्मान और सुरक्षा की शपथ दिलाई। वही  मानवता एक प्रयास की टीम द्वारा नुक्कड नाटक के माध्यम से जहां एक ओर
महिलाओं को संकटपूर्ण स्थितियों मे पुलिस सहायता प्राप्त करने के तरीको की जानकारी दी वहींपरिवार मे पुरुष सदस्यों को भी महिलाओं के प्रति अपने दृष्टीकोण मे बदलाव करने की प्रेरणा दी।
इस दौरान महिला सम्मान का गान हआ व विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं मे उपलब्धि अर्जित करने वाले कुल 20 महिला प्रतिभागियों को मुँख्य अतिथि द्वारा मेडल व प्रशंसा प्रत्र से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम मे अंत मे महिला सुरक्षा व सम्मान हेतु शपथ दिलाई गई व शपथ पत्र उपस्थित सभी अतिथियों व प्रतिभागियों द्वारा हस्ताक्षर अभियान संचालित किया गया। वीनू राणा ,अति0 पुलिस अधीक्षक विक्रम सिंह सागर, अति0 पुलिस अधीक्षक विक्रम सिंह कुशवाह  बीना, जिला खेल एवं युवा कल्याण
अधिकारी, नगर पुलिस अधीक्षक एमपी प्रजापति  सागर, निरीक्षक संगीता सिंह, प्रभारी महिला सेल सागर, निरीक्षक उपमा सिंह, थाना प्रभारी गोपालगंज, आरक्षक ज्योति तिवारी बाल अपराध शाखा सहित निर्भया का दल एवं महिला खिलाडियों की प्रमुख रूप से उपस्थिति रही।
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अटल भूजल योजना अंतर्गत सागर संभाग के 672 ग्राम पंचायतों की जल सुरक्षा योजना बनायेगा म.प्र. जन अभियान परिषद्

अटल भूजल योजना अंतर्गत सागर संभाग के 672 ग्राम पंचायतों की जल सुरक्षा योजना बनायेगा  म.प्र. जन अभियान परिषद्

★ भूजल स्तर बढाने के लिए ग्रामीणों की मदद से तैयार होगी कार्ययोजना

सागर।  जल संसाधन विभाग मध्यप्रदेश द्वारा बुंदेलखंड अंचल में भूजल संकट से प्रभावित सागर, दमोह, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़ एवं निवाड़ी जिले के 9 विकासखंडों यथा सागर, पथरिया, छतरपुर, नौगांव, राजनगर, बल्देवगढ़, पलेरा, अजयगढ़ एवं निवाड़ी में अटल भू-जल योजना संचालित है। इस योजना के अंतर्गत चयनित विकासखंडों के 672 ग्राम पंचायतों में जनभागीदारी से ग्राम स्तरीय जल सुरक्षा योजना(वाटर सेक्योंरिटी प्ला न) तैयार करने का कार्य म.प्र. जन अभियान परिषद् को विभाग द्वारा सौंपा गया है। इस कार्य हेतु 5 वर्षों के दौरान विभाग द्वारा परिषद् को 11.25 करोड रूपये की राशि आवंटित की जावेगी। योजनामें चिन्हित गतिविधियों का भारत सरकार एवं राज्य सरकार की प्रचलित योजनाओं जैसे मनरेगा, पीएमकेएसवाई, बुंदेलखंड पैकेज, आईडब्ल्यूएमपी इत्यादि के कन्वर्जेंस से क्रियान्वयन जावेगा। अटल भू-जल योजना में स्टेट प्रोजेक्ट  मैनेजमेंट यूनिट द्वारा डिस्ट्रिक्ट इंप्लीमेंटेशन पार्टनर के रूप में कार्य हेतु म.प्र. जन अभियान परिषद का चयन किया गया है।


इस सम्बन्ध में शासन स्तर से समस्त स्वीकृतियां प्राप्त करने के उपरांत स्टेट प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट, अटल भू-जल योजना एवं म.प्र. जन अभियान परिषद् के मध्य समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए। स्टेट प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट, अटल भू-जल योजना की ओर से प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. जितेंद्र जैन तथा म.प्र. जन अभियान परिषद् की ओर से कार्यपालक निदेशक डॉ. धीरेन्द्र कुमार पाण्डेय द्वारा समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए। इस अवसर पर परिषद् के उपाध्यक्ष श्री विभाष उपाध्याय, महानिदेशक श्री बी.आर. नायडू, उपनिदेशक अमिताभ श्रीवास्तव एवं टास्क मेनेजर्स दरियाव सिंह सूर्यवंशी, डॉ. सुनीता गुप्ता, सैयद शाकिर अली जाफरी, डॉ. प्रियंका दुबे व डॉ. प्रवीण शर्मा उपस्थित रहे।

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इस अवसर पर परिषद् के उपाध्यक्ष श्री विभाष उपाध्याय द्वारा अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा गया कि सतही एवं भूजल की कमी निकट भविष्य में मानवजाति के अस्तित्व पर बहुत बड़ा खतरा बन कर सामने आयेगी, अतः यह बहुत आवश्यक है कि समय रहते इस दिशा में कार्य किया जावे। शासन द्वारा इस दिशा में उठाये गए कदम सराहनीय है। महानिदेशक श्री बी.आर. नायडू ने कहा कि परिषद् द्वारा ग्राम स्तर पर स्वैच्छिक संगठनों एवं सामुदायिक नेत्रत्व्कर्ताओं का वृहद नेटवर्क निर्मित किया गया है जो सामुदायिक सहभागिता से समाज विकास के कार्य में संलग्न है तथा इस नेटवर्क के माध्यम से अटल भूजल परियोजना का कार्य प्रभावीरूप से किया जा सकेगा। कार्यपालक निदेशक डॉ. धीरेन्द्र कुमार पाण्डेय द्वारा बताया गया कि परिषद् द्वारा पूर्व में भी आओ बनाये अपना मध्य प्रदेश अभियान के अंतर्गत प्रदेश के समस्त विकासखंडों में सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से जल संरक्षण हेतु जल स्रोतों की साफसफाई एवं गहरीकरण का कार्य किया गया है जिसमे परिषद् द्वारा गठित प्रस्फुटन समितियों एवं मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास पाठ्यक्रम के छात्रों के महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 

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कानून के अनुसार साहू समाज हित में करेगें कार्य : जगन्नाथ गुरैया

कानून के अनुसार साहू समाज हित में करेगें कार्य : जगन्नाथ गुरैया

सागर ।  श्री देवबांके बिहारी मंदिर साहू समाज ट्रस्ट को लेकर चल रहे विवाद के दौरान आज कमेटी अध्यक्ष एवं पदाधिकारियों ने कहा कि वह अनवरत समाज हित में कार्य करते आ रहे है और आगे भी नियमानुसार न्यायालय के निर्देशों के तहत ही कार्य करेगें.
 ट्रस्ट कमेटी अध्यक्ष जगन्नाथ गुरैया ने पत्रकारों से चर्चा में कहा कि उन्हें समाज द्वारा ट्रस्ट के विधान अनुसार कराए गए चुनाव के बाद यह पद सौंपा गया था और नियमानुसार 2023 तक वर्तमान ट्रस्ट का कार्यकाल है. कतिपय लोगों द्वारा राजनैतिक दुर्भावनावस समाज की बैठक के दौरान दबाव बनाया गया. लेकिन एसडीएम कोर्ट ने कथित इस्तीफे में छिपे डर को भांपते हुए हमारी आपत्ति को गंभीरता से लेेकर हितबद्ध पक्षकार माना है.

श्री गुरैया ने कहा कि कतिपय लोगों द्वारा समाज को गुमराह किया जा रहा है. इन्होने शासन की लीज की जगह को नियम विरूद्ध किराए पर देने टेंडर भी बुला लिए. उनके इस कृत्य का ट्रस्ट कमेटी द्वारा विरोध किया गया. इसी के तहत एसडीएम एवं सिटी मजिस्ट्रेट के यहाँ आवेदन दिया गया जिसके बाद ही एसडीएम कार्यालय ने धारा 145 के तहत कार्रवाई की गई है. प्रकरण में प्रशासन द्वारा मोतीनगर थाना पुलिस से भी जाँच करायी थी. श्री गुरैया के अनुसार ट्रस्ट कमेटी द्वारा ना तो संरक्षक को पत्र सौंपा गया ना ही कोई चॉबी. चूंकि अब समाज का सामुदायिक भवन बनकर लगभग तैयार हो चुका है, उसपर ही अपना हक जताने यह कथित प्रयास हो रहे है.
ट्रस्ट के व्यवस्थापक ईश्वर लाल साहू ने पिछले सालों की गतिविधियों और अन्य जानकारियों से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि तत्कालीन अध्यक्ष बीड़ी साहू के निधन के बाद जगन्नाथ गुरैया को अध्यक्ष बनाया गया था। पूरे कार्यकाल में किसी तरह की गड़बड़ियां नही हुई है।  कुछ लोग ट्रस्टी बनकर सामुदायिक भवन पर कब्जा जमाना चाहते है। वर्तमान में मामला न्यायालय में विचाराधीन है। अध्यक्ष का सन 2023 तक कार्यकाल है।  हम अदालत का सम्मान करते है। यहां जो भी निर्णय होगा हम नमाज के हितों के लिए अक्षरशः पालन करेंगे। 
इस मौके पर पधाधिकारी गण रामकुमार साहू
घासीराम राम साहू,  उमाशंकर अशोक साहू
प्रभुदयाल साहू अरविंद साहू ,बिंदु साहू सहित समाज के  अनेक  लोग मौजूद थे ।
उल्लेखनीय है कि सामुदायिक भवन के कथित विवाद को लेकर साहू समाज के दूसरे पक्ष कमेटी ने दो दिन पहले कुछ मामलों को उठाया था। 
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प्रदेश के 19000 संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों का 26 जनवरी से चरणबद्ध आंदोलन

प्रदेश के 19000 संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों  का 26 जनवरी से चरणबद्ध आंदोलन 

सागर। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के अंतर्गत प्रदेश के प्रत्येक गाँव तक स्वास्थ्य सेवायें मुहैया कराने वालेलगभग 19000 संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियो की राज्य सरकार द्वारा लगातार अनदेखी से निराश होकर एक बारफिर मजबूरन आंदोलन की राह पर अग्रसर हो रहे है। 

सविदा संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के पदाधिकारी ब्रजेश तिवारी और जितेंद्र सिंह तोमर ने आज पत्रकारों से चर्चा में बताया कि 
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा आयुष चिकित्सक,फार्मासिस्ट लेबटेक्निशियन, डाटा इन्ट्री ऑपरेटर, एन.टी.ई.पी..एन.वी.व्ही.डी.बी.पी. डी.पी.एम.यू. युनीट, बी.पी.एम.,बी.सी.एम.,
स्टॉफ नर्स, ए.एन.एम, सपोर्ट स्टाफ , एड्स नियंत्रण सहित विभिन्न परियोजनाओ मे 5 से 20 वर्षों तक सेवायें दे रहे है। हम संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी पिछले लगभग एक दशक से अपने सुरक्षित भविष्य की मांग को लेकर सरकार सेगुहार लगाते रहे हैं।
संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों के हितों की रक्षा हेतु निम्नलिखित तीन मांगे प्रमुख है । जिनकी पूर्ति के लिए प्रदेश के 19000 संविदाकर्मी प्रदेशव्यापी चरणबद्ध आंदोलन का प्रारंभ कर रहे है:संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ द्वारा कर्मचारियों के सुरक्षित भविष्य को लेकर 42 दिन की हडताल की गई थी । उक्त आंदोलन का प्रतिफल म0प्र0 शासन द्वारा 5 जून 2018 को सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा संविदा
कर्मचारियों के लिए एक नीति जारी की गई थी जिसमे 1.14.5 के अनुसार संविदा कर्मचारियों का मासिकपारिश्रमिक, समकक्ष नियमित पदों के वेतनमान के न्युनतम का 90 प्रतिशत वेतन निर्धारित किया जाए एवं शासन की अन्य सुविधाएं प्रदान की जाए। इस नीति का लाभ लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण विभाग, महिला बाल विकास विभाग, लोक सेवा प्रबंधन, पशु पालन विभाग, खेल युवा कल्याण विभाग, राजस्व विभाग एवं पुलिस कॉपरेशन
विभाग के संविदा कर्मचारियों को राज्य सरकार द्वारा दिया जा रहा है। किन्तु आज दिनांक तक प्रदेश के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों पर यह नीति लागु नही की गई है।

संघ की मांगें

1.मध्यप्रदेश शासन की कैबिनेट में पारित सामान्य प्रशासन के क्रमांक C&5&2/203
18/1/ आदेशानुसार 5 जनू 2018 की नीति के कंडिका 1.14.5 के अनुसार समकक्ष नियमित पदों केवेतनमान का न्यूनतम 90 प्रतिशत वेतनमान राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के समस्त संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों को देने का तत्काल आदेश प्रसारित करवाने का कष्ट करें। म०प्र के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा पद समाप्ति, अप्रेजल अथवा किसी अन्य विभागीय प्रक्रिया के चलते लगभग 2600 संविदा कर्मचारियों को वर्षों तक सेवायें देने के बाद निष्कासित कर दिया गया था।अनेक वर्षों से ध्यानाकर्षण एवं विरोध प्रदर्शन के परिणाम स्वरूप वर्ष 2019 मे समस्त निष्कासित कर्मचारियों की वापसी हेतु 2019 में आवेदन लेकर चरणबद्ध तरीके से केडर वाइस बहाली की प्रकिया जारी की गई
थी। परन्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा उक्तबहाली प्रकिया को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

2. म0प्र0 के एन.एच.एम. द्वारा गत वर्ष प्रारंभ की गयी निष्कासित बहाली की प्रक्रिया को पुनः प्रारंभ करते हुए आवेदन जमा करने वाले समस्त निष्काषित कर्मचारियों को शतप्रतिशत वापसी का आदेश प्रसारित करनेका कष्ट करें।
म0प्र0 के एन.एच.एम. द्वारा जिला स्वास्थ्य समिति स्तर पर सारे नियमों व प्रक्रियाओं का पालन करतें हुयें सपोर्ट स्टाफ पदों पर भर्तियां की गई थी. उक्त समस्त सपोर्ट स्टाफ द्वारा एन.आर.सी. सहित अन्य स्वास्थ्य संस्थाओं में शासन की मंशानुसार उत्कृष्ट सेवायें सतत प्रदान कर रहे है। गत वर्ष अचानक ही राज्य एन.एच.
एम. द्वारा उक्त सपोर्ट स्टाफ कर्मचारियों को आउटसोर्स में करने आदेश जारी किये।  जो कि किसी भी स्थितीमें न्याय संगत नही है।
3. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के चतुर्थ श्रेणी सपोर्ट स्टाफ कर्मचारियों को आउट सोर्स ऐजेंसी में किया गया है । उन्हें राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मे पुनः वापस करने का आदेश प्रसारित करने का कष्ट करें।

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उपरोक्त तीन मांगो को लेकर संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा प्रेस वार्ता का यह आयोजन प्रदेश केसमस्त 52 जिला मुख्यालयों पर किया गया है। संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ  मुख्यमंत्री से यह निवेदन करते है कि आगामी एक सप्ताह में प्रदेश के 19000 संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी परिवारो के अंधकारमय भविष्य को दृष्टिगत
रखते हुए तीनों मांगो पर सकारात्मक कार्यवाही करते हुए आदेश जारी करने का कष्ट करें।
प्रदेश के 19000 संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा यह निर्णय भी लिया गया है कि यदि 25 जनवरी2021 तक उक्त मांगों का निराकरण नहीं होता है तो संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा चरणबद्ध आंदोलनगणतंत्र दिवस के दिन से प्रारंभ किया जायेगा ।
:26 जनवरी 2021 (गणतंत्र दिवस) :- समस्त जिला मुख्यालयों में ध्वजारोहण के समय संविदा टोपी
पहनकर कार्यक्रम में उपस्थिति देना एवं समारोह के बाद प्रदेश में कोविड ड्युटी के दौरान शहीद हुएसंविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों को मौन रखकर श्रद्धाजंली अर्पित करना।
30 जनवरी 2021 :- सभी संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी सामुहिक अवकाश पर रहकर समस्त 52 जिला मुख्यालयों में कर्मचारियों की रैली प्रमुख मार्गों से होकर निकालेंगें जिस दौरान थाली एवं ताली बजाकरप्रदर्शन करेंगें एवं जिला कलेक्टर महोदय को ज्ञापन सौपेंगे।
.4 फरवरी 2021 :- सभी संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी अपने ब्लॉक स्तर पर अपने अपने सभी जनप्रतिनिधियोंको ज्ञापन सौपेंगे।
8 फरवरी 2021 :- समस्त संविदा कर्मचारी भोपाल में एकत्रित होंगे तथा नवनिर्मित एन.एच.एम. बिल्डिंगकी भूमि एवं भवन की पुजा व कलश स्थापना करेंगे तथा प्रदेश सरकार एवं उच्च अधिकारियों की सद्बुद्धि हेतु ईश्वर से प्रार्थना भी करेंगे।सरकार इन सब के बाद भी कर्मचारियों की मांगों का निराकरण नहीं करती है तो प्रदेश के 19000 संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी अनिश्चितकालीन हडताल पर जाने के लिए मजबूर होगें । जिससे प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर होने वाले दुष्प्रभावों के लिए शासन व प्रशासन को जिम्मेदार माना जाऐगा।



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