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भारतीय संस्कृति प्राचीन संस्कृति है : प्रवीण गुप्ता जी प्रांत प्रचारक महाकौशल प्रांत

भारतीय संस्कृति प्राचीन संस्कृति है : प्रवीण गुप्ता जी प्रांत प्रचारक महाकौशल प्रांत 

सागर। सुरेश जी जोशी (भैया जी) निवर्तमान सरकार्यवाह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, द्वारा लिखित पुस्तक-" हमारा सांस्कृतिक चिंतन" का विमोचन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ संपर्क विभाग सागर द्वारा सागर में आज मैजिस्टिक प्लाजा  में आयोजित पुस्तक विमोचन कार्यक्रम संपन्न हुआ। हमारा सांस्कृतिक चिंतन  पुस्तक का विमोचन करते हुए मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ महाकौशल प्रांत के प्रांत प्रचारक  श्री प्रवीण गुप्ता  ने कहा  कि हमारी भारतीय संस्कृति चिर प्राचीन सनातनी संस्कृति है। विश्व पटल पर मिस्र रोम यूनान जैसी कई संस्कृतियों का उद्गम हुआ लेकिन ज्यादा समय तक संस्कृतिया अपने मूल रूप में नहीं रही और वे विलुप्त हो गई, लेकिन भारतीय संस्कृति सनातन समय से प्रारंभ होकर आज भी अपने मूर्त रूप में विश्व पटल पर है जिसको हम सभी आत्मसात कर अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते हैं। वास्तव में भारतीय संस्कृति चिर प्राचीन  संस्कृति है उन्होंने कहा कि  सभ्यताऐं समय अनुसार परिवर्तनशील रहती है लेकिन संस्कृति  सदैव अपने मूल रूप में रही है।
इस अवसर पर श्रीमान गौरीशंकर जी विभाग संघचालक मुख्य वक्ता के रूप में श्रीमान प्रवीण गुप्त प्रांत प्रचारक महाकौशल प्रांत एवं विशिष्ट अतिथि श्री संतोष जैन चेयरमैन वीटी ग्रुप सागर का उद्बोधन प्राप्त हुआ।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सागर संपर्क विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बड़ी संख्या में प्रबुद्ध जन एवं मातृशक्ति उपस्थित रहे
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सामंजस्य पूर्ण समाज के लिए वैकल्पिक विवाद समाधान व्यवस्था पर ब्राउस में राष्ट्रीय सेमिनार न्यायालयों में जीतने वाली भी जिंदगी में हार रहे हैं - बलराज मलिक

सामंजस्य पूर्ण समाज के लिए वैकल्पिक विवाद समाधान व्यवस्था पर ब्राउस में राष्ट्रीय सेमिनार 

न्यायालयों में जीतने वाली भी जिंदगी में हार रहे हैं - बलराज मलिक

महू। भारत में न्याय की समृद्ध परंपरा रही है परिवार, कुटुंब, समाज, ग्राम पंचायत और धार्मिक संस्थाओं में भी विवादों का निपटारा होता रहा है वैकल्पिक विवाद समाधान न्याय व्यवस्था के लिए इनको खुद तैयार करना चाहिए और यहां से न्याय के सिद्धांतों को पहचाना जा सकता है, उक्त विचार वेबीनार के प्रमुख अतिथि श्री सत्यपाल जैन, एडीशनल सॉलीसीटर जनरल आफ इंडिया ने व्यक्त किए उन्होंने कहा कि लोगों के मानसिकता पर काम करने काम करने की जरूरत है और लोगों को संवैधानिक अधिकारों की बजाए संवैधानिक कर्तव्यों पर भी ज्यादा ध्यान देना होगा। वे सामंजस्य पूर्ण समाज के लिए वैकल्पिक विवाद समाधान व्यवस्था राष्ट्रीय सेमिनार में बोल रहे थे जिसका आयोजन डॉ बी आर अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय महू ने किया था। एडीआर विषेषज्ञ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली प्रो. रूही पाल ने विशिष्ट वक्ता के रूप में बोलते हुए कहा कि वर्तमान न्याय व्यवस्था यानी एडवर्सरियल सिस्टम ऑफ जस्टिस बना रहे इसके लिए अल्टरनेटिव डिस्प्यूट रेजोल्यूशन सिस्टम की भूमिका है। स्थापित न्याय व्यवस्था को मजबूत करने एडीआर में सभी को सहयोग देना चाहिए और भागीदारी करना चाहिए। 
सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के सीनियर एडवोकेट श्री जी वी राव ने एडीआर के लिए एक नोडल एजेंसी बनाने की वकालत की ताकि एडीआर को व्यवस्थित तरीके से पूरे देश में न्याय के लिए लागू किया जा सके, यह न्यायालयों की बैक लॉक को पूरा करने में सहयोग करेगा। जीजीएस इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय नई दिल्ली के डीन  प्रो. अफजल वानी ने मानवीय मूल्यों पर आधारित न्यायिक व्यवस्था तथा वर्तमान न्यायिक व्यवस्था की जगह एडीआर को विकल्प तथा प्राथमिकता के आधार पर रखने पर जोर दिया। उन्होंने कहा एडीआर न्याय का मुख्य आधार हो तथा अदालतों  को लोग अल्टरनेटिव के तौर पर उपयोग करें उन्होंने कहा की भारतीय न्याय की ट्रेडिशनल विधि को मानवीय मूल्यों के आधार पर आगे बढ़ाया जाए ताकि सबको न्याय सुलभ उपाय मिल सकें।
डॉ बी आर अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय महू की साम्यरस समाज के लिए कानून और न्याय शोधपीठ के मानद प्रोफेसर बलराज सिंह मलिक  ने अपने प्रस्तवना वक्तव्य में कहा कि हमारी न्यायिक व्यवस्था की चाहना सर्व शुभ और सबके लिए न्याय की कामना है इस कामना को जमीन पर उतरने में अभी काफी सफर तय करना है आज के न्यायिक व्यवस्था में काम करने वाले सभी संबंधितों में थकान आ रही है, अदालतों में करोड़ों प्रकरण पेंडिंग हैं। उन्होंने कहा यह शोध पीठ भारत सहित  विश्व में मानवीय परिवार के लिए एक वरदान साबित होगी। इससे व्यवस्था में लगे हुए सभी लोगों तक पहुंचने का प्रयास करेंगे तथा यूनिवर्सल ह्यूमन वैल्यूज पर ट्रेनिंग प्रोग्राम हर कानून के विद्यार्थी न्यायाधीशों तथा वकीलों तक लेकर जाएंगे ताकि सहअस्तित्व सहज न्याय के स्वरूप को पूरी मानव जाति के सामने रखा जा सके। अस्तित्व सहज न्याय की समझ न्यायिक व्यवस्था में लगे हुए हर भागीदार को हो जाए। शोध को डॉक्युमेंटेड करके उसको पूरी मानव जाति के सामने प्रस्तुत किया जाएगा।  उन्होंने कहा मुझे लगता है इस शोध पीठ की चर्चा भविष्य में पूरे विश्व स्तर पर होगी है तथा ब्राउस की पहचान एवं भागीदारी पूरी न्यायिक व्यवस्था के लिए जानी जाएगी। उन्होंने कहा की न्याय की परिणीति भाईचारा बरकरार रखने और बढ़ाने के रूप में होना ही न्याय है।  आज की न्यायिक व्यवस्था में कोर्ट में केस जीतने वाला भी आखिरकार मानसिक तौर से जीवन में हार जाता है। 
 ब्राउस के डीन डा. डी के वर्मा जी ने कहा स्वागत और निष्कर्ष रूप में कहा कि मध्यस्थ दर्शन सहअस्तित्ववाद से एक न्यायिक व्यवस्था को दुरुस्त करने में एक बहुत अच्छी उम्मीद की किरण मिली है। प्रो. सुरेन्द्र पाठक जी ने वेबीनार का संचालन किया और मानद प्रोफेसर बलराज सिंह मलिक ने अंत में धन्यवाद प्रस्ताव रखा।
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कोरोना काल में कार्पोरेट घरानों ने लूट मचाई ★ रघु ठाकुर की किताब ' कोरोना काल ' का विमोचन

कोरोना काल में कार्पोरेट घरानों ने लूट मचाई

★ रघु ठाकुर की किताब ' कोरोना काल ' का विमोचन

लखनऊ । प्रख्यात समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर ने कहा है कि कोरोना काल में एक ओर जहाँ करोड़ों लोगों का रोजगार छिना वहीं कार्पोरेट घरानों ने लगभग 43 लाख करोड़ का मुनाफा कमाया। 
प्रकृति ने कोरोना के जरिये लोगों को जो पीड़ा पहुंचाई है उससे कहीं ज्यादा व्यवस्था की लापरवाही ने उसे कष्ट दिये । 
रघु ठाकुर आज लखनऊ में कैफ़ी आज़मी एकेडमी में पुस्तक ' कोरोना काल ' के विमोचन के अवसर पर  मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। 
कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्यसभा के सांसद संजय सिंह कर रहे थे । 
आयोजन श्रीमती अनीता सिंह के प्रयासों से संपन्न हुआ। 
इस अवसर पर प्रख्यात विचारक व लखनऊ विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग के अवकाश प्राप्त प्रोफेसर रमेश दीक्षित, सेवानिवृत्त न्यायधीश बी डी नकवी, साहित्यकार मुकेश वर्मा ( भोपाल) सोशलिस्ट विचारक शाहनवाज कादरी, प्रसिद्ध समाजवादी चिंतक राजनाथ शर्मा ( बाराबंकी) ने भी संबोधित किया। 
मंच पर लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्यामसुंदर यादव, लोहिया- सदन पुस्तकालय ( भोपाल) की निदेशक डॉ शिवा श्रीवास्तव, समाजवादी साथी मुकेश चंद्रा की विशेष उपस्थिति रही । कार्यक्रम का संचालन जयन्त सिंह तोमर ने किया। 

रघु ठाकुर ने कहा कि विचारक शुमाखर ने अपनी पुस्तक ' स्माल इज़ ब्यूटीफुल ' में लिखा है कि गति कोई विकास नहीं है। सरकार ऐसे प्रयास करे जिससे लोगों के जीवन में गुणात्मक प्रभाव दिखाई दे । 
राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कहा कि निरंकुश सत्ता के खिलाफ नागरिकों को खड़े होने की जरूरत है। रघु ठाकुर जैसा खांटी समाजवादी ही निरंकुश सत्ता के विरुद्ध लोगों का नेतृत्व कर सकते हैं। संजय सिंह ने कहा जिन्होंने देश के लिए त्याग किया है, जेल गये हैं, उनके विषय में लोगों को बताना जरूरी है। इसके विपरीत ऐसे लोगों को देशभक्त बताया जा रहा है जो आजादी की लड़ाई में कभी जेल न जाकर स्वतंत्रता सेनानियों की मुखबिरी करते रहे। 
राजनाथ शर्मा ने डॉ लोहिया से जुड़े संस्मरण सुनाते हुए कहा कि वे भूख हड़ताल के विरोधी थे ।  उनकी निजी बैंक खाता तक नहीं था। वे पांच सितारा संस्कृति के विरोधी थे । राजनाथ शर्मा ने कहा मौलिक परिवर्तन तो जनता ही लाती है । ट्रेड यूनियन मूवमेंट से सामाजिक परिवर्तन नहीं होता। 
प्रोफेसर रमेश दीक्षित ने गाधीं के रामराज्य का उल्लेख करते हुए कहा इस्लाम के शुरुआती चार खलीफाओं जैसी सादगी के समय को गांधीजी रामराज्य ही मानते थे । उन्होंने कहा कि जनता पार्टी की सरकार के समय उसी दल की छात्र इकाई ने ' वादा निभाओ दिवस ' मनाया था। हर दल में ऐसा आंतरिक लोकतंत्र रहना चाहिए। 
रघु जी के विचारों से ऐसा वातावरण बन सकता है जिनकी ताजी रचना 
' कोरोना काल ' में ' मेरा शहर ' ' नारी ' जैसी रचनाओं को प्रेरणादायी बताया। 
अवकाश प्राप्त जज बी डी नकवी ने कहा क्रोनी कैपिटलिज्म के दुष्चक्र में फंसे हमारे देश को हिन्दू धर्म की सहिष्णुता, इस्लाम जैसी समता, इसाई धर्म जैसा सेवा भाव व सिख्ख धर्म जैसी सामुदायिक सेवा या चैरिटी की जरूरत है। हमें सारी दीवार गिरानी होंगी। 
शहनवाज कादरी ने कहा कोरोना काल सरकारी लापरवाही का जीता जागता नमूना रहा रघु जी जैसे नेता ही अब भीड़ की चिंता किये बगैर देश का नेतृत्व कर सकते हैं।
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प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रमों के लिए तैयार हो रहा है ई-कंटेंट : मंत्री डॉ मोहन यादव ★ 10 नवंबर तक एक हजार से अधिक मॉड्यूल होंगे तैयार

प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रमों के लिए तैयार हो रहा है ई-कंटेंट : मंत्री डॉ मोहन यादव

★ 10 नवंबर तक एक हजार से अधिक मॉड्यूल होंगे तैयार 

भोपाल। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव  ने बताया कि प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रमों के लिए प्रथम चरण में सभी संकायों के 17 मुख्य विषयों का ई-कंटेंट तैयार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 10 नवंबर तक एक हजार से अधिक ई-कंटेंट मॉडल तैयार किए जाने की कार्य-योजना है। प्रथम वर्ष के लिए लगभग 1500 मॉड्यूल्स के ई-कंटेंट तैयार करने का लक्ष्य है। द्वितीय चरण में कुछ अन्य विषयों पर भी कंटेंट तैयार किए जाएंगे। डॉ. मोहन यादव ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आधार पर ई-कंटेंट उपलब्ध कराने वाला मध्यप्रदेश संभवत देश का पहला राज्य होगा।

उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रदेश के महाविद्यालयों में विद्यार्थियों को कोर्स की किताबों के अलावा पढ़ाई के लिए ई-मटेरियल भी उपलब्ध होगा। ऑनलाइन माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले इसके संपूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं। डॉ. यादव ने कहा कि तैयार किए जा रहे कंटेंट विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियम अनुसार वीडियो व्याख्यान, ई-टेक्स्ट, मूल्यांकन के प्रश्न तथा अन्य विषय-वस्तु के संदर्भ उपलब्ध होंगे।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश की शासकीय, अशासकीय विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों के नियमित शिक्षकों, अतिथि विद्वानों द्वारा यह कार्य नि:शुल्क किया जा रहा है। इस कार्य के लिए लगभग 1400 शिक्षकों से आवेदन प्राप्त हुए। इन शिक्षकों के लिए सात बैंचों में 6 दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम आयोजित किया गया। इसमें कुल 1056 शिक्षकों को सफलतापूर्वक एफडीपी पूर्ण करने पर प्रमाण-पत्र जारी किया गया।

17 विषयों पर तैयार हो रहा ई-कंटेंट

विभिन्न चयनित शिक्षकों को 17 विषयों वनस्पति शास्त्र, प्राणी शास्त्र, रसायन शास्त्र, भौतिक शास्त्र, गणित, संस्कृत, अंग्रेजी साहित्य, आधार पाठ्यक्रम, राजनीति विज्ञान, भूगोल, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, इतिहास, भू-गर्भ शास्त्र, हिंदी, वाणिज्य, टेक्सटाइल तथा क्लॉथिंग पाठ्यक्रमों का मॉड्यूल वार विभाजन कर कंटेंट तैयार करने का कार्य सौंपा गया है। शेष विषयों में शिक्षकों की संख्या कम होने के कारण पुनः आवेदन आमंत्रित किए जाएंगे। इसके अलावा मुख्य तथा अन्य विषयों के साथ वैकल्पिक विषयों पर भी ई-कंटेंट तैयार किया जा रहा है। व्यवसायिक विषयों के पाठ्यक्रम उपलब्ध होने पर उनके भी ई-कंटेंट तैयार किए जाएंगे।
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सांसद राजबहादुर सिहं संसद की स्थाई समिति परिवहन, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय के सदस्य मनोनीत

सांसद राजबहादुर सिहं संसद की स्थाई समिति परिवहन, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय के सदस्य मनोनीत

सागर ।  सांसद राजबहादुर सिंह संसद की प्रमुख स्थाई समिति परिवहन पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय में पुनः सदस्य मनोनीत हुए हैं ।
भारतीय संसद, राज्यसभा सचिवालय, नई दिल्ली ने सांसद सिंह की नियुक्ति संबंधी आदेश प्रसारित किये है.
सांसद राजबहादुर सिंह वर्तमान में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय में केन्द्रीय स्थाई समिति सदस्य और पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के हिंदी सलाहकार समिति में सदस्य भी है ।
साथ ही म.प्र.शासन द्वारा शासकीय इंदिरा गांधी इंजीनियरिंग महाविद्यालय सागर में साधारण सभा में भी सदस्य मनोनीत किये जा चुके है ।
सांसद सिंह के पुन: परिवहन, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय में प्रमुख स्थाई समिति सदस्य मनोनीत होने पर क्षेत्र के  समस्त पदाधिकारी, कार्यकर्ताओं एवं गणमान्य नागरिकों ने बधाई दी है ।
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आचार्य श्री अपने चारित्र के दम पर शिखर पर विराजित हैं-मुनि श्री निर्ग्रन्थ सागर

आचार्य श्री अपने चारित्र के दम पर शिखर पर विराजित हैं-मुनि श्री निर्ग्रन्थ सागर
सागर ।आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने लाखों करोड़ों लोगों को मार्ग प्रदर्शित किया है उनके आशीर्वाद से जैन धर्म की ध्वजा पूरे विश्व में लहरा रही है वे महामानव हैं और अपने ज्ञान के माध्यम से मोह मार्ग को अलग कर मोक्ष मार्ग की ओर सब को बढ़ा रहे हैं। यह बात भाग्योदय तीर्थ में मुनि श्री निर्ग्रन्थ सागर महाराज ने अपने प्रवचन में कही। 
उन्होंने कहा कि गुरुदेव के अनंत उपकार हैं जब से वे उनके जीवन में आए हैं तो दिशा भी बदली और दशा भी बदल गई उनके आशीर्वाद से हथकरघा, चिकित्सा, सेवा, गौशालाये, पत्थरों के बड़े-बड़े जिनालय, आयुर्वेदिक चिकित्सालय के अलावा अनेक प्रकल्प अहिंसा के क्षेत्र में चलते हुए लोगों को आत्मनिर्भर कर रहे हैं। आचार्य श्री युगदृष्टा है और उनका ज्ञान हिमालय की ऊंचाई से भी ज्यादा है। 
इस अवसर पर मुनि श्री  प्रशस्त सागर महाराज ने कहा कि समय की दुर्लभता को जो जानता है वह व्यक्ति मनुष्य के जन्म की दुर्लभता को जानता है जिनके गुणों के आगे शब्द भी हार मान जाते हैं ऐसे आचार्य महाराज ने एक बिहार के दौरान किसी ने कहा था कि धूप में चलने पर चेहरे के भाव अलग हैं और पेड़ के नीचे छांव में बैठने पर चेहरे के भाव अलग दिख रहे हैं तो गुरुदेव ने कहा था पेड़ के जीवन में खुशी कब आती है पेड़ सब सहन करता है और वह छाव दे रहा है उन्होंने कहा कि एक इंद्री जीव से लेकर पंच इंद्री जीव तक पूरे विश्व में भ्रमण कर रहे हैं लेकिन मनुष्य को छोड़कर बाकी जीव के जीवन का उद्देश्य क्या है यह उन्हें नहीं मालूम सिर्फ एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण कर रहे हैं मनुष्यों को मनुष्य पर्याय मिली है इसकी सार्थकता का उन्हें भान होना चाहिए परंतु मनुष्य के पास मन है इसलिए वह इस पर विचार नहीं कर पा रहा है मनुष्य जीवन को प्रमाद में खो दिया है मनुष्य जन्म दोबारा प्राप्त करने में बहुत कठिनाई होती है वृक्ष ने आपको छांव दी है लेकिन आपने वृक्ष को क्या दिया है हमें अपनी मनुष्यता की दुर्लभता का ध्यान नहीं है आचार्य भगवन हमेशा पर के उपकार की भावनाओं के साथ सोचते हैं हर जीव के कल्याण की बात सोचते हैं वे शरीर को नहीं पर्याय को नहीं बल्कि आत्मतत्व को देखते हैं तिथि के हिसाब से 20 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा पर आचार्य श्री का 76 वां जन्मदिन है तारीख के हिसाब से आज 10 अक्टूबर को आचार्य श्री का जन्मदिन था इस अवसर पर आचार्य श्री की महा पूजन सैकड़ों लोगों ने भाग्योदय के पंडाल में की।
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