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स्वास्थ कर्मियों के हितो के संरक्षण हेतु विशाल वाहन रैली ,मेडिकल कॉलेज में प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्तियों का किया विरोध


स्वास्थ कर्मियों के हितो के संरक्षण हेतु विशाल वाहन रैली ,मेडिकल कॉलेज में प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्तियों का किया विरोध



 
क्योंकि सभी स्वास्थ्य कर्मी ऐसा मानते हैं कि चिकित्सा शिक्षा और इलाज अगर प्रशासनिक अधिकारियों के हाथ में दिए जाते हैं तो इनकी गुणवत्ता ,गरिमा गिरेगी क्योंकि प्रशासनिक अधिकारी इस क्षेत्र के विशेषज्ञ नहीं है जिसके कारण अनावश्यक दबाव होने से मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस, पीजी, नर्सिंग पैरामेडिकल इत्यादि की पढ़ाई का स्तर एवं मरीजों के इलाज का स्तर गिरेगा जो कि पूरे समाज के हित में नहीं है.
शासन चाहे तो चिकित्सकों को प्रबंधन के कोर्स आयोजित कर उनको प्रशासन और प्रबंधन के गुर सिखा सकता है किंतु शासन ऐसा नहीं कर रहा इस कारण स्वास्थ्य कर्मियों ने मजबूर होकर शांतिपूर्ण तरीके से वाहन रैली आयोजित कर बात शासन तक पहुंचाने की है.।वाहन रैली में हजारों की संख्या में स्वास्थ्य कर्मी और वाहन उपस्थित थे माहौल इस कदर बन गया है कि अब जब भी स्वास्थ्य कर्मियों के हितों की बात होगी इस रैली को जरूर याद किया जाएगा।




वैसे तो प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति के विरोध में पूरे मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं लेकिन सागर में किसी ने कल्पना भी नहीं की थी इस प्रकार  सभी संगठन एकजुट होकर इस प्रकार से धूम मचा देंगे.
मेडिकल सँगठनो के अनुसारआशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आज की रैली के बाद शासन जरूर अपनी नीतियों  में परिवर्तन करेगा एवं सदैव स्वास्थ्य कर्मियों के हितों का ध्यान रखेगा एवं तत्काल मेडिकल कॉलेज में प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्तियों पर रोक लगाएगा. क्योंकि आज शासन प्रशासन ने देख लिया है की सभी स्वास्थ्य कर्मी एकजुट हैं और अपने हक सुरक्षित रखने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं ।


० डॉ सर्वेश जैन



                    ० डॉ उमेश पटेल

रैली को चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य से संबंधित सभी संगठनों का सहयोग प्राप्त हुआ ,वाहन रैली का आधार स्तंभ रहे उनमें  डॉक्टर सर्वेश जैन, डॉक्टर मनीष जैन, डॉ राजेंद्र चौदा, डॉ उमेश पटेल.
है।  सहयोगी संगठनों मे इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ,जिला चिकित्सालय के चिकित्सक, इंडियन डेंटल एसोसिएशन, जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ,नीमा,नर्सिंग होम एसोसिएशन, फार्मासिस्ट एसोसिएशन, केमिस्ट एसोसिएशन, एमआर संघ , एम आर यूनियन नर्सिंग स्टाफ एसोसिएशन, पैरामेडिकल एसोसिएशन, आयुष मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन, होम्योपैथिक चिकित्सक संघ ,बीएमसी का क्लर्क स्टाफ एसोसिएशन, एमबीबीएस छात्र ,नर्सिंग छात्र, पैरामेडिकल छात्र, बीएचएमएस छात्र, वार्ड बॉय, सफाई कर्मी ,सुरक्षाकर्मी, सफाई मजदूर ट्रेड यूनियन ,स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य कर रही अन्य समाजसेवी संस्थाएं प्रमुखता से सम्मिलित हुए
कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर उमेश पटेल के द्वारा एवं आभार डॉ मनीष जैन के द्वारा व्यक्त किया गया.।
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गोवर्धन रैकवार म.प्र.मछुआ कांग्रेस के पुनः प्रदेश उपाध्यक्ष नियुक्त


गोवर्धन रैकवार म.प्र.मछुआ कांग्रेस के पुनः प्रदेश उपाध्यक्ष नियुक्त




सागर। म. प्र. काग्रेंस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष श्री कमलनाथ जी की सहमति से फिशरमेन ( मछुआ ) कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष श्री सदाशिव भवरिया की अनुशंसा पर आल इंडिया फिशरमेन( मछुआ ) कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री टी एन प्रथापन के अनुमोदन से मछुआ कांग्रेस की प्रदेश कार्यकरणी की घोषणा की गई। जिसमें 5 उपाध्यक्ष 7 महासचिव 3 सचिव व 1 कोषाध्यक्ष के साथ 31 कार्यकारिणी सदस्यों की प्रदेश कार्यकारिणी भी घोषित की गई हैं। नव नियुक्त कार्यकारिणी में सागर जिले के वरिष्ठ कांग्रेस नेता श्री गोवर्धन रैकवार को मछुआ कांग्रेस का पुनः प्रदेश उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया हैं। श्री रैकवार की  नियुक्ति पर कांग्रेस कार्यकर्ताओ ने शीर्ष नेतृत्व का आभार व्यक्त करते हुये नव नियुक्त प्रदेश उपाध्यक्ष श्री गोवर्धन रैकवार को बधाई दी हैं।
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नगरीय विकास मंत्री भूपेन्द्र सिंह दिल्ली में मुख्यमंत्री परिषद की बैठक में देंगे प्रजेन्टेशन

नगरीय विकास मंत्री भूपेन्द्र सिंह दिल्ली में मुख्यमंत्री परिषद की बैठक में देंगे प्रजेन्टेशन

सागर। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह 3 जनवरी को नई दिल्ली में मुख्यमंत्री परिषद की बैठक में शामिल होंगे। मंत्री सिंह चीफ मिनिस्टर कॉन्कलेव में राज्य के लिये निर्धारित 28 सूत्रीय प्वाइंट के संबंध में मध्यप्रदेश में की गई कार्यवाही एवं एक्शन प्लान का प्रजेन्टेशन देंगे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह को मुख्यमंत्री परिषद की बैठक में शामिल होने के लिए नामित किया है।
मंत्री श्री सिंह नई दिल्ली में 3 जनवरी को सुबह 11 बजे जन-प्रतिनिधियों से भेंट करेंगे और 3 बजे मुख्यमंत्री परिषद की बैठक में शामिल होंगे। 
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सागर की तरह बेबस नहीं नदियों,झरनों की तरह बनो: नागर जी ★ गीता पाठ के साथ श्रीमद् भागवत कथा की पूर्णाहुति समापन


सागर की तरह बेबस नहीं नदियों,झरनों की तरह बनो: नागर जी
 
★ गीता पाठ के साथ श्रीमद् भागवत कथा की पूर्णाहुति समापन 


सागर| सागर में रहने वाले सागर से ही शुरू होते हैं| सागर का फैलाव तो करोड़ों कोस है लेकिन उसकी बेबसी है, जो वह किसी से कह नहीं सकता ।सागर की बेबसी यह है कि वह सब कुछ कर सकता है, लेकिन बह नहीं सकता। इससे तो लाख अच्छी नदियां और झरने हैं ,जो हिंदुस्तान की यात्रा तो करते हैं फिर चाहे वह भले ही सागर में समा जाए। उक्त अमृतमयी वचन संत कमल किशोर नागर जी ने पटकुई बरारू  वृंदावन धाम में श्रीमद् ज्ञानगंगा भागवत कथा की पूर्णाहुति के अवसर पर श्रद्धालुओं के समक्ष व्यक्त किए ।
श्रीमद् ज्ञानगंगा भागवत कथा सप्ताह के अंतिम दिवस कथा वाचक पं. कमल किशोर नागर जी ने कहा कि कथा यजमान ने  श्रद्धा भाव से जो पुरुषार्थ किया है  भुलाया नहीं जा सकेगा।  हमें हमेशा ध्यान रखना है कि छोटी सी व्यवस्था से संतुष्ट रहना है ।यदि विस्तार कर दिया तो सागर की तरह कर सकते हो, लेकिन फिर अव्यवस्था होती है ।ध्यान रखो कि सागर भी नदी, झरना की तरह बनना चाहता है  ,ताकि बह सके । सागर भी  तैयार होकर उठता है बहने के लिए, निकलता है लेकिन किनारे से टकराकर वापस लौट जाता है। सागर की बेबसी को समझ कर आप भी नदी, झरने की तरह बनो और धर्म कर्म की राह पर बहने का प्रयास करो। सत्कर्म के मार्ग पर चलोगे  तो नदी, झरने की तरह दूसरों के काम आओगे और खुद का भी उदधार करोगे।

धर्म के लिए घर से निकलो:-

 संत श्री नागर जी ने कहा कि लोग परिवार से बंधे हैं। धन दौलत ,जमीन, जायदाद के चक्कर में उलझे हैं ।धन कमाने की लालसा उतनी है कि उसमें ही सुख तलाशा जा रहा है ।जो सुख पाने के चक्कर में लगा रहा और धर्म सत्कर्म ध्यान में मन नहीं लगा, तो उसे आखिर में दुख अवश्य उठाना पड़ेगा। धर्म के लिए घर से बाहर निकलो और आग लगा दो ऐसी प्रॉपर्टी, संपत्ति को जो अपनी रक्षा के लिए आपको रोकती है। संत श्री ने कहा कि आजकल सबसे बड़ी समस्या है सुख के पीछे भागना, धन के पीछे भागना ।धन तो एक नर्तकी भी कमा लेती है। धन कमाओ तो दान पुण्य भी कमाते चलो। अंत समय में दुख नहीं सहना पड़ेगा और आराम से सद्गति मिलेगी।

समस्या पाने  की नहीं, छोड़ने की है:-

 संत श्री नागर जी ने कहा कि वर्तमान में समस्या कोई चीज पाने की नहीं बल्कि किसी का त्याग करने की है। जो आपाधापी में लगे रहे और उस पृथ्वी पर कीमती सामान छोड़ गए ,उन्हें फिर वापस आना पड़ेगा और जो झोपड़ पट्टी में रहे, भगवान में ध्यान लगाया ,ना कुछ लाए ना ले गए ,उन्हें लौटना नहीं है। यह युग  भी हल्का है और लोग की सोच भी हल्की है। हम खाए जा रहे हैं लेकिन त्यागने की इच्छा नहीं है ।जिस तरह भोजन ग्रहण करते हो, पेट में संग्रह करते हो और यदि अचानक मल के रूप त्यागने की बारी आ जाए तो व्यवस्थाएं जैसे लोटा ,एकांत जगह आदि तलाश लेते है। संग्रह के बारे में नहीं सोचा लेकिन त्यागने के बारे में कितना सोचना पड़ा।  व्यवस्थाएं करना पड़ी। ,इसलिए कोई भी वस्तु संग्रह करने के पहले उसके त्यागने पर ध्यान दो, त्याग करके भगवान के भजन में मन लगाओ तो जीवन तर जाएगा।

भजन करो तो देश के लिए आत्मा के लिए:-

संत श्री नागर  जी ने कहा कि हमेशा भजन करो तो यह ध्यान रखो कि अपने देश के लिए कर रहे हो। मेरा भारत महान बने ऐसी कामना रखो। भजन अपनी सीमा पर देश की रक्षा के लिए लगे जवानों के लिए करो ,ताकि वह यश कीर्ति प्राप्त करके लौटे और भारत का गौरव बढ़ाएं। भजन गाय के लिए करो और ऐसी भावना हो कि भारत में भी ऐसा सूर्य कभी निकले कि उस दिन एक भी गौ माता ना काटी जाए। भजन धर्म के लिए करो, यदि इस धरती पर धर्म रहेगा, सत्कर्म रहेंगे, तो सब जगह  सुख शांति समृद्धि होगी। आखिर में भजन अपनी आत्मा के लिए करो, इसलिए कि वह पवित्र रहे। धन की नहीं ,ईश्वर की लालसा आत्मा से निकले।ईश्वर से सदैव यही कामना करना कि मेरा देश और मेरी काया कभी पराधीन ना हो। भक्ति और भजन करोगे तो यह सब करने वाला भी ऊपर बैठा है, वह है गोविंद ।

पाषाण में ही परमात्मा का निवास:-

रुक्मणी ने दुर्गा के  रूप में मूर्ति की पूजा की थी तब उन्हें भगवान मिले। मूर्ति भले ही पाषाण की हो, लेकिन उसमें निवास भगवान का ही होता है। पाषाण में भगवान का नाम होता है ,इसलिए उसे पूजा जाता है। भगवान राम का नाम लिखकर, जब पत्थर पानी में तैरने लगे तो, मनुष्य भी राम का नाम लेकर इस बैतरणी  रूपी सागर को पार कर सकता है।

आखिर में 108 ही काम आएगी:-

 संत श्री ने कहा कि माला टांगने के लिए नहीं, फेरने की चीज है ।यदि माला टांग दी जाए तो आपकी जिंदगी भी टंगी रह जाएगी ।माला में 108 मनके रहते हैं और इससे जाप करने से हरि मिलते हैं। आजकल तो शासन ने भी 108 एंबुलेंस की व्यवस्था कर रखी है। इसको समझो जब आप किसी दुर्घटना या शारीरिक क्षति के शिकार होते हो ,तो 108 को फोन लगाते हो। वह तत्काल आकर आपको मुकाम तक पहुंचा देती है।  इसी तरह 108 मनकों की माला फेरोगे तो शासन की 108 की जरूरत नहीं पड़ेगी । ध्रुव ,प्रहलाद ने भी जप किया कष्ट के समय भगवान खड़े नजर आए । जाप करोगे तो भगवान अवश्य आएंगे ।करोड़ों की गाड़ी चलाने वाले गाड़ी में लगे 4 फुगगो की सुरक्षा के भरोसे हैं ,और जब गाड़ी ठुकती है तो 108 ही नजर आती है ।जीवन में माला के 108 मनको को अपनाओगे तो फिर भगवान से साक्षात्कार होगा, ना कि अस्पताल से ।भजन करते रहो और जीवन को सुखमय बनाओ।
नारी की किनारी में भगवान का वास:-

 संत श्री नागर जी ने कहा की बहू बेटियां साड़ी पहनती है और उसकी जो किनारी रहती है वह गिरधारी की होती है जिसके सिर पर किनारी रहती है उस पर भगवान की असीम कृपा होती है भगवान करे सब नारियों के सिर पर किनारी हो गिरधारी है तो नारी है, सनातन धर्म है। सब कुछ उसी से चल रहा है । दुशाशनो का काम तो है साड़ी खींचना, लेकिन किनारी है तो गिरधारी है ।और फिर कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा।

नीति धर्म भगवान को मत छोड़ो
:-

 संत नागर जी ने कहा कि राम जी जब वन को गए तो वह यह कुछ नहीं कह गए कि यह संभालना ,वह संभालना ,सिर्फ एक बात कह गए कि भरत जब आए तो उन्हें एक संदेश देना कि राज पाकर नीति नहीं तज देना। राज को पाकर  नीति पर चले यह धर्म का संदेश है। राज तो लंका में ,अयोध्या में भी था लेकिन एक जगह अनीति थी ,तो राज्य नष्ट हुआ है और दूसरी जगह नीति थी जिससे विजय हुई। रावण के पास महाशंख (दौलत) थी लेकिन वह उसे छोड़कर एक शंख वाले को नहीं पकड़ सका ।धन में शून्य बढ़ाने की ओर ध्यान देने की वजह, शंख वाले के प्रति भक्ति बढ़ाओगे तो राम अवश्य मिलेगे। ध्यान रखो कि राजनीति संख्या है और धर्म को शंख से जीता जा सकता है ।जो नीति पर चलते हैं, जो धर्म पर चलते हैं उनकी वजह होती है इसलिए राम को, धर्म को हमेशा पकड़ कर रखो  मनुष्य जीवन मिला है इसकी को पर्याप्त समझो और कुछ भी पाने के लिए भागम भाग मत करो।


फिर हो सकती है कथा:-

 संत श्री कमल किशोर नागर जी ने श्रीमद्भागवत कथा के यजमान श्रीमती राम श्री, श्याम केशरवानी का विभिन्न व्यवस्थाओं के लिए तारीफ की, धन्यवाद ज्ञापित किया एवं कहा की एक और यजमान ने अगले वर्ष इन्हीं दिनों में कथा कराने के लिए इच्छा व्यक्त की है। सागर तो सागर है और यहां के श्रद्धालुओं की इच्छा, भावनाओं को देखकर को इस पर विचार किया जा सकता है ।गीता पाठ के साथ पटकुई बरारू में श्रीमद् भागवत कथा का समापन हुआ।

नागर जी ने किया सम्मानित:-

 श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिवस पीडब्ल्यूडी मंत्री पंडित गोपाल भार्गव ने कथा का  रसास्वादन किया एवं पंडित नागर जी से भेंट की ।कथा के सफल आयोजन के लिए खनिज विकास निगम उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह मोकलपुर ,पंडित सुशील तिवारी , नरयावली विधायक प्रदीप लारिया राजेश केशरवानी, सोहन, मोहन, अनिमेष केशरवानी, राकेश राय, मदन सिंह राजपूत ,कृष्ण मोहन माहेश्वरी ,राजेंद्र बरकोटी, इंद्रराज सिंह केरबना, जगदीश गुरु, विनोद गुरु, प्रवीण केशरवानी आदि का पंडित नागर ने हाटकेश्वर धाम का प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मान किया।

 
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बिजली चोरी के प्रकरण में 6 माह का कारावास एवं 29 लाख का अर्थदण्ड


बिजली चोरी के प्रकरण में 6 माह का कारावास
एवं 29 लाख का अर्थदण्ड

सागर । मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी क्षेत्र के सौंसर  जिला छिंदवाडा में विद्युत अधिनियम की धारा 135 तथा 138 में दर्ज किए गए बिजली चोरी के प्रकरण में न्यायालय विशेष न्यायाधीश सौंसर द्वारा दोषी श्री बसंत बागडे को 6 माह का कारावास तथा 29 लाख 22 हजार 978 रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया है। ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने बिजली उपभोक्ताओं से आग्रह किया है कि बिजली का सही उपयोग करें और समय पर बिजली बिल जमा करें, जिससे इस तरह की अप्रिय स्थिति का सामना नहीं करना पड़े। कंपनी के मुख्य महाप्रबंधक-प्रवर्तन श्री अरविंद चौबे ने बताया कि कंपनी के उड़नदस्ता दल ने बारडे रोड सौंसर निवासी बसंत बागडे़ के परिसर में 23 जुलाई 2015 को छापा मारकर बडी़ बिजली चोरी का खुलासा किया था। आरोपी के परिसर में घरेलू कनेक्शन तथा फ्लेट रेट वाले बिना मीटर के पंप कनेक्शन से शादी के लान एवं उसके निर्माण कार्य में 57 हजार 115 वाट विद्युत का अवैध उपयोग पाया गया था।
अवैध उपयोग पाया गया था। उड़नदस्ता द्वारा विद्युत अधिनियम के तहत आरोपी के विरूद्व पंचनामा तैयार कर 9 लाख 74 हजार 326 रूपये की क्षतिपूर्ति राशि का अनंतिम निर्धारण किया गया था। आरोपियों द्वारा क्षतिपूर्ति राशि जमा नहीं करने पर आरोपी बसंत बागडे एवं वैभव बागडे़ के विरूद्व न्यायालय में पूरी मजबूती और साक्ष्यों के साथ परिवाद दाखिल किया गया था।
माननीय न्यायालय द्वारा गत दिवस प्रकरण में दोषी पाए जाने पर बसंत बागडे़ को विद्युत अधिनियम की धारा 135 के अपराध के लिए 06 माह के कारावास के दण्ड तथा उसके द्वारा प्राप्त वित्तीय लाभ 9 लाख 74 हजार 326 रूपये के तीन गुना अर्थात 29 लाख 22 हजार 978 रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। दोषी बसंत बागड़े द्वारा राशि जमा नहीं करने पर उसे दो माह के अतिरिक्त कारावास की सजा भी सुनाई गई। अपराध में सहभागी वैभव बागडे़ को भी 5000 रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।
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#ऑफ़_द_कैमरा बिछड़े साथी बारी बारी .. ( पुस्तक समीक्षा ) लेखक :देव श्रीमाली ★ ब्रजेश राजपूत /एबीपी न्यूज़

#ऑफ़_द_कैमरा

बिछड़े साथी बारी बारी .. ( पुस्तक समीक्षा ) 
लेखक :देव श्रीमाली
★ ब्रजेश राजपूत /एबीपी न्यूज़

२०२१ का साल बीत गया मगर बीता साल बहुत कुछ जिन्दगी में रीत गया. हमारी आपकी ज़िन्दगी में ऐसा खालीपन का दौर पहले कभी नहीं आया जो पिछले साल के दिनों में आया है. हम सभी ने कोई न कोई अपना खोया है. महामारी को अब तक हमने आपने किताबों उपन्यासों में पढ़ा था. मगर भोगा पिछले साल के दिनों में. इसी भोगे हुये और अपने खोये हुये साथी को याद करने की कोशिश की हैं ग्वालियर के वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली ने अपनी किताब बिछड़े कई बारी बारी में. 
महामारी ये देखकर नहीं आती की कौन क्या है. मंत्री, नेता, अभिनेता, अफसर और आम जनता तो इस बीमारी का शिकार हुये  मगर इस दरम्यान आम जनता घरों में सुरक्षित थी तो सड़कों पर वो सारे लोग अपना काम पूरी जिम्मेदारी से कर रहे थे जिनको बाद में कोरोना योद्ध्या कहा गया. पुलिस डाक्टर और प्रेस इसी श्रेणी में थे. मगर अफ़सोस है की इन तीनों दर्जे के लोग भी महामारी की चपेट में आने से बच न सके. मध्य प्रदेश में इस महामारी में जान गंवाने वाले प्रेस के तकरीबन अस्सी साथियों की कहानी या उनकी यादों को संजोया गया है बिछड़े कई बारी बारी में. 
भोपाल से लेकर इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर से लेकर मंदसौर, कटनी, छिन्दवारा, शहडोल, रायसेन, सीधी, धार, अलीराजपुर जैसे छोटे कस्बों के पत्रकारों की दुःख भरी कहानियां इस किताब के भीगे पन्नों में दर्ज की गई है. बात चाहे भोपाल के राजकुमार केसवानी की हो, शिव अनुराग पटेरिया, महेन्द्र गगन, कमल दीक्षित हों या फिर मनोज पाठक जैसे मददगार लोग या फिर इन्दौर के प्रकाश बियानी प्रभु जोशी मनोज बिनवाल या फिर ग्वालियर के शरद श्रीवास्तव,अनूप शर्मा, देवेन्द्र खंडेलवाल अनेक नाम हैं मगर सबकी कहानियां एक सी हैं कि इन सबको काम करते करते ये कोरोना की चपेट में आये और ख़बरें बनाते बनाते खुद खबर बन गए. 
ये अलग बात है कि दूसरों का नाम अपने अख़बारों में छापने वालों के नाम मरकर भी कई दफा अपने अखबार में भी नहीं छाप पाता. इस किताब की प्रस्तावना में पत्रकार रवीश कुमार ने लिखा है की मरने के बाद भी पत्रकार कई बार अपने संसथान की क्रूरता और दुसरे अख़बारों की उदासीनता का शिकार होता है. पत्रकार अपने साथी पत्रकार के बारे में भी नहीं लिख सकते की उसके इलाज में लापरवाही हुई है. आमतौर पर पत्रकार को बड़ा प्रभावशाली माना जाता है मगर इस किताब में अनेक किस्से हैं जिसमें आप पढेंगें की कोरोना की चपेट में आने के बाद उसे भी अस्पताल का बिस्तर मुश्किल से मिला और इलाज में लगे पैसों के लिए दोस्तों ने चन्दा कर पैसे चुकाए. 
कोरोना काल से पहले के सालों में पत्रकारिता संस्थानों की हालत बिगड़ी जिसका असर पत्रकार के परिवारों पर पड़ा. नौकरियां छूटी और पैसे मिलने कम हो गये ऐसे में कोरोना के दौर ने राजधानी और जिलों के पत्रकारों तो आर्थिक तौर पर तोड़ दिया. इस किताब के पन्नों में पत्रकारों की मौत की ख़बरें तो लिखीं ही गईं है मगर उन ख़बरों के बीच बेहद कम कमाई पर जीने वाले पत्रकार के दुःख दर्द को भी पाठक महसूस करेंगे. 
इस किताब के प्रारंभ में चर्चित लेखक पंकज चतुर्वेदी ने भी कहा है की एक आंचलिक पत्रकार के देहावसान के साथ ही उसके खबर के सूत्र, उसकी शैली और उसके संस्कार सभी का अंत हो जाता है जो समाज का गहरा नुक्सान होता है। 
पत्रकार का परिवार तो अकेला पड ही जाता है इसलिए ये किताब एक चेतावनी भी है की पत्रकारों के परिवारों को विषम परिस्थितियों में जीने के लिए अकेले छोड़ने के बजाये सरकार कोई नीति बनाये तो ये सच्ची शृधांजलि होगी कोविड काल में मारे गए मध्य प्रदेश के सौ से ज्यादा पत्रकारों के लिए.  अपने पत्रकार साथियों को याद करने की ये अच्छी पहल है जो ग्वालियर के ग्रामीण पत्रकारिता विकास संसथान ने इस किताब को निकाल कर की है. साधुवाद देव श्रीमाली और इस संस्थान  को … 

किताब   -  बिछड़े कई बारी बारी 
लेखक  - देव श्रीमाली 
प्रकाशक - लोकमित्र, दिल्ली 
कीमत   - २५० रूपये
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