डॉक्टर डे “की थीम LESSEN THE MORTALITY OF COVID -19 “ के अनुसार कोरोना (COVID-19) के प्रति लोगों को जागरूक कर मृत्युदर को कम करना : डॉ. राजेन्द्र चउदा

" डॉक्टर डे "की थीम 
LESSEN THE MORTALITY OF COVID -19 " के अनुसार कोरोना (COVID-19) के प्रति लोगों को जागरूक कर मृत्युदर को कम करना : डॉ. राजेन्द्र चउदा

सागर। आज डॉक्टर्स डे है। इस दफा  डॉक्टर्स डे की थीम है कि  वैश्विक बीमारी कोविड 19 के प्रति लोगो को जागरूक कर  मृत्युदर को कम करना है।  इससे जुड़े कुछ तथ्यों के बारे में डॉ राजेन्द्र ने बताया है ।  इनको लेकर कुछ सतर्कता जरूरी है।

★अगर आँकड़ो को देखा जाए तो लगभग 80% मरीज़ खुद ही बिना इलाज के ठीक हो जाते हैं , शेष 20% मरीज़ों को ही भर्ती करने की आवश्यकता पड़ती है , और इनमे से मात्र 2-5% (2.3%) लोगों का निधन होता है।

★अगर मरीज़ों को अन्य कोई रोग जैसे मोटापा , डॉयबिटीज , बी.पी., हार्ट अथवा श्वांस की कोई बीमारी है तो बीमारी से होने वाली मृत्यु की सम्भावना काफ़ी बढ़ जाती है.., डॉयबिटीज एवं हार्ट की बीमारी होने पर मरीज़ों में मृत्यु की सम्भावना 2.3% से बढ़कर क्रमशः 7.3% एवं 10% हो जाती है |

★डॉयबिटीज के मरीज़ों में प्रतिरोधक क्षमता की कमी के कारण कोरोना वायरस तेज गति से फैलता है एवं बीमारी से होने वाले complications भी ज़्यादा होते हैं...अतः मरीज़ की डॉयबिटीज शीघ्र  नियंत्रण करना पहली प्राथमिकता  होती है ।

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★कोरोना वायरस से वैसे तो मुख्यतः फेफड़े संक्रमित होते हैं , जिससे सर्दी , खाँसी , बुख़ार , निमोनिया आदि के साथ ही मरीज़ को साँस लेने में परेशानी होती है , तथा खून में उसका O2 saturation कम होने लगता है ..रिपोर्ट्स के अनुसार कोरोना मरीज़ों में हार्ट अटैक एवं हार्ट फ़ेल्यर की सम्भावना सामान्य मरीज़ों की तुलना में ज़्यादा होती है ..साथ ही वायरस के संक्रमण से हार्ट की मांसपेशियों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है (Myocarditis), जिससे हार्ट फैल जाता है जिससे हार्ट की कार्यक्षमता / खून पम्प करने की क्षमता में कमी हो जाती है ..जिसे Echo की जाँच से परखा जा सकता है ..यह अवस्था खून में Troponin एवं CRP की जाँच कराने से भी  पता चल जाती है।
★COVID के मरीज़ों में शरीर में खून का थक्का बनने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है ..इस कारण फेफड़ों एवं शरीर की नसों में थक्का बनता है...फेफड़ों में थक्का बनना (Pulmonary Embolism) एक मेडिकल इमर्जेन्सी होती है ,जिसका इलाज समय पर ना मिले तो मरीज़ की मौत हो सकती है ..D-Dimer test कराने से इस स्थिति का पता लग जाता है।
★HIV , Polio , Rabies , Measles वायरस की तरह COVID -19 का असर भी ब्रेन और ब्रेन की नसों पर हो सकता है ।

★COVID के मरीज़ों को सेप्टिक भी हो सकता है।

★यानि की शरीर के सभी अंग जैसे फेफड़ों , हार्ट , गुर्दे , एवं ब्रेन बीमारी से प्रभावित हो सकते हैं ..आवश्यकता है इसकी जानकारी सभी को देना जिससे लोग संभल के रहें ।

आपके अच्छे स्वास्थ्य की कामना के साथ.
★डॉ. राजेन्द्र चउदा..MD
सीनियर मेडिसिन विशेषज्ञ..सागर
•ब्लड प्रेशर • हृदय रोग • डॉयबिटीज
•थॉयरायड •ईकोकार्डियोग्राफ़ी

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1 टिप्पणी:

  1. Bhaisahab, congratulations and gud wishes on Doctors Day . Wish u success in your mission to reduce deaths due to Covid specially in people having comorboties.

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