जयंती खरे के काव्य संग्रह "सस्मिता" का लोकार्पण

जयंती खरे के काव्य संग्रह "सस्मिता" का लोकार्पण

सागर।  नगर‌ की‌ प्रसिद्ध कवयित्रियों में शुमार रहीं श्रीमती जयंती खरे "जया" की पुण्य तिथि जया एकादशी पर महिला काव्य मंच सागर द्वारा स्मृति - आयोजन तथा उनके द्वारा लिखी गईं कविताओं के संग्रह "सस्मिता" का विमोचन व लोकार्पण किया गया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि देश की ख्यात उपन्यासकारक डॉ.सुश्री शरद सिंह ने अपने विचार रखते हुए कहा कि ‌जयन्ती खरे ''जया'' की काव्य रचनाएं देश के प्रति, जगत के प्रति, प्रत्येक मानव के प्रति, प्रकृति के प्रति तथा स्वयं के प्रति शुभाकांक्षाओं से संवाद करती रचनाएं हैं। ''सस्मिता'' काव्य संग्रह की सभी रचनाएं मन को बहुत स्नेह से स्पर्श करती हैं और फिर पढ़ने वाले को अपना बना लेती हैं। ऐसा मधुर काव्यसृजन आजकल बिरले ही देखने को मिलता है। जयन्ती खरे जी के पिता अम्बिका प्रसाद ''दिव्य'' एक उच्चकोटि के साहित्यकार थे। उन्होंने कविताएं, कहानियां, उपन्यास लिखे साथ ही चित्रकारी में भी उनका रुझान था। ''खजुराहो की अतिरूपा'' उनकी एक प्रसिद्ध कृति है। ऐसे विद्वत साहित्यकार की पुत्री होते हुए कोमल संवेदनाओं का जयंती खरे में पाया जाना स्वाभाविक था। लेकिन जयन्ती खरे ने अपने पिता की लेखकीय छाया को अपने ऊपर नहीं पड़ने दिया, बल्कि अपने अनुभवों को सहेजते हुए अपना स्वतंत्र कल्पनालोक रचा।  
          अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए जाने-माने गीतकार व कवि डॉ. श्याम मनोहर सीरोठिया ने अपने उद्बोधन में कहा स्व. जयंती खरे जया जी की कविताएँ भावों की फुलवारी में शब्दों के महकते प्रसूनो की तरह हैं जिनकी सुगंध किसी भी युग एवं मौसम में कम नहीं हो सकती है।उन्होंने जो और जैसा जिया है वह कविताओं में दिया है।स्व जयंती खरे जी की कविताएँ, व्यक्ति , समाज एवं प्रकृति की त्रिवेणी में अवगाहन करती हुई साहित्य की सिद्ध धरोहर बन गईं हैं।
       अस्वस्थता के कारण उपस्थित न हो सके सागर विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष सुप्रसिद्ध साहित्यकार प्रो.सुरेश आचार्य ने अपने संदेश कहा कि भगवान की बनाई इस सृष्टि में स्त्री स्वयं एक कविता ही है। वह नया मनुष्य रचती है, नया संस्कार रचती है और नई नई सृष्टियां भी रचती है।‌ प्रकाशित हो अथवा न हो लेकिन मेरा मानना है कि हर स्त्री कविता से जुड़ी रहती है। उसका काव्य बच्चों की खीलखिलाहट में, भाई बहनों के लिए किए गए प्यार में और पति के लिए किए गए उत्तर दायित्व के निर्वाह में पहचाना जा सकता है। जयंती जी का यह नया काव्य संग्रह सस्मिता अपने अर्थ में हल्की मुस्कान वाला होता है जबकि सुस्मिता सुंदर मुस्कान होती है। भारतीय स्त्री सदा चेहरे पर स्मित मुस्कान धारण करती है। उसका सबसे बड़ा सद्गुण अपने परिवार के लिए मर मिटना होता है। आज जयंती जी हमारे बीच नहीं है तब इस पुस्तक विमोचन के अवसर पर उनका पूरा परिवार, मित्र, भाई बंधु, सखा उनकी स्मित मुस्कान का स्मरण कर रहे होंगे। मैं श्री जगदीश श्रीवास्तव जो शनीचरी के नाते मेरे बड़े भैया हैं, उनको इस प्रकाशन के लिए सादर प्रणाम करता हूं और उम्मीद करता हूं कि वह उनकी बची हुई और खोई हुई रचनाएं ढूंढ कर "अभिन्यास" के नाम से प्रकाशित करेंगे और जन अभिन्यास भी कहा जा सकता है जिसमें बड़े भैया और बच्चों के नाम आ जाएंगे।संदेश वाचन श्यामलम् अध्यक्ष उमाकांत मिश्र ने किया।
       विमोचित पुस्तक पर अपने समीक्षा वक्तव्य में कवयित्री डॉ.चंचला दवे ने कहा स्व.जया जी एक मानवीय सरोकारों से संतृप्त,एक नैतिक बल से पोषित कवयित्री हैं, संवेदना की भाव भूमि पर,अपना रचना सागर बनाती है।चिंतन और चेतना के धरातल पर स्व जया जी की कविताओं में एक व्यक्ति नहीं, पूरा परिवार, समाज, प्रकृति,देश द्दश्यमान है। विशिष्ट अतिथि संतोष श्रीवास्तव ने कहा मैं भाग्यवान  हूं कि देवलोकवासी आदरणीया स्व. जयन्ती खरे जी का सानिध्य मुझे उनके जीवन काल में मिलता रहा है।
आज पुन:मेरा सौभाग्य  है कि उनके काव्य संग्रह के लोकार्पण  के अवसर पर मुझे यह सम्मान  मिल रहा है।  इस अवसर पर स्व.जयंती जी के भाई जगदीश किंजल्क और बड़े पुत्र अमिताभ ने भी उनके जीवन से जुड़े संस्मरण साझा किए।
कार्यक्रम की शुरूआत अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण से हुई।तदुपरांत उपस्थित समस्त आगंतुकों और मंच ने स्व.जयंती जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। आयोजक संस्था महिला काव्य मंच की अध्यक्ष अंजना चतुर्वेदी तिवारी ने कार्यक्रम परिचय और स्वागत उद्बोधन दिया। स्व.जयंती जी की पुत्री सस्मिता ने ऑडियो गीत के माध्यम से तथा छोटी बहू रूपाली जैन श्रीवास्तव द्वारा विमोचित काव्य- संग्रह  सस्मिता की एक कविता के वाचन से उन्हें याद किया।
स्व. जयंती खरे जया के पति जे.सी. श्रीवास्तव ने उनका जीवन परिचय दिया। इस अवसर पर आयोजक संस्था द्वारा उनका शाल, श्रीफल, पुष्पमाला से सम्मान  भी किया गया। संचालन मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन सागर इकाई के अध्यक्ष आशीष ज्योतिषी ने किया और आभार प्रदर्शन संस्था सचिव डॉ. सुजाता मिश्र ने किया।
    कार्यक्रम में शिवरतन यादव,डॉ.महेश तिवारी, श्यामलम् अध्यक्ष उमा कान्त मिश्र, हरीसिंह ठाकुर,
आर के तिवारी,हरी शुक्ला, वीरेंद्र प्रधान,सुनीला सराफ, व्ही पी मिश्रा,माधव चंद्रा, डॉ.विनोद तिवारी,पूरन सिंह राजपूत, मुकेश तिवारी, पुष्पेंद्र दुबे कुमार सागर, डॉ.सुनील श्रीवास्तव,आनंद अकेला, दामोदर अग्निहोत्री, प्रभात कटारे, प्रदीप श्रीवास्तव,अवनींद्र खरे अंशुमन छतरपुर, श्रीवास्तव परिवार के सदस्य सहित अनेक लोग उपस्थित थे।

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