विश्वविद्यालय के लिए एलुमनाई अनमोल खजाने की तरह हैं जिससे विश्वविद्यालय जिंदा रहता है- प्रो. नीलिमा गुप्ता

विश्वविद्यालय के लिए एलुमनाई अनमोल खजाने की तरह हैं जिससे विश्वविद्यालय जिंदा रहता है- प्रो. नीलिमा गुप्ता

सागर, डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती सभागार में गौर उत्सव के अंतर्गत गौर व्याख्यानमाला का आयोजन विश्वविद्यालय एलुमनाई एसोसिएशन के तत्त्वावधान में किया गया जिसका विषय था भारतीय ज्ञान परंपरा एवं चरित्र निर्माण था । मुख्य वक्ता विवि के पूर्व कुलपति प्रो एस पी व्यास थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो नीलिमा गुप्ता ने की. मंच पर प्रो. आर के त्रिवेदी, प्रो. के एस पित्रे एलुमनाई एशोशिएसन के अध्यक्ष मौजूद रहे.
कुलपति प्रो नीलिमा गुप्ता ने कहा कि आज विश्वविद्यालय की ख्याति पूरे शहर, प्रदेश और हर जगह व्याप्त है. उन्होंने कहा कि एलुमनाई विश्वविद्यालय के लिए वह चीज है जिससे विश्वविद्यालय जिंदा रहता है। उन्होंने कहा कि हमारी प्राचीन गुरुकुल परंपरा में व्यक्ति का व्यक्तित्व विकास गुरु ही करते हैं । यदि हम शिक्षा को आगे ले जाना चाहते हैं तो हमें एलुमनाई को साथ में लेना होगा। एक अच्छा शिक्षक समस्या से पार ले जाता है. हमें यह सोचना है कि जिंदगी में हम क्या करना या पाना चाहते हैं तभी हम लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। हमें चाहिए कि लाख आंधियां चलें लेकिन दीपक जलता रहे, इस तरह के श्रम और दृढ़ संकल्प से ही लक्ष्य हासिल होता है।

सार्थक जीवन ही सफलता का पैमाना है - प्रो. व्यास


कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो व्यास ने कहा कि जिंदगी में यह मायने नहीं रखता कि हम जिंदगी में कितने सफल हुए, बल्कि मायने यह रखता है कि जिंदगी हमने कितने सार्थक ढंग से जी है। उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा में बुद्ध, कबीर, गांधी तथा तुलसीदास का उल्लेख करते हुए बताया कि हमारी भारतीय ज्ञान परंपरा में सच को पहचानने तथा ज्ञान को अर्जित करना इन मनीषियों ने आसान किया है। कबीर ने वह कहा जो उन्होंने देखा. जब मैं था तब हरि नहीं अब मैं हूं हरि नाही । यही दर्शन है । जो हमने देखा है वही सत्य है. ज्ञान के आयोजन से व्यक्ति का चरित्र निर्माण और व्यक्तित्व विकास होता है जो उसके मानव धर्म निभाने में दिखता है । उन्होंने कहा कि सर हरिसिंह गौर नाम उन सर्वोपरि महान दानवीर में से एक है जो जानते थे कि हमने शिक्षा पा लिया तो सब कुछ पाया जा सकता है। 

स्वागत भाषण एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो. के एस पित्रे ने दिया.  सचिव प्रो. पुणतांबेकर ने एसोसिएशन का विवरण प्रस्तुत किया और जनवरी 2023 में आयोजित की जाने वाली मेगा मीट का भी विवरण प्रस्तुत किया. दिया. उन्होंने 75 पेंटिंग्स भेंट करने के संकल्प को पूर्ण करते हुए विश्वविद्यालय को अपनी बनाई पेंटिंग्स भेंट की. प्रो.ओपी अग्रवाल ने कार्यक्रम में एलुमनाई एसोसिएशन को पुनः जीवंत करने के लिए कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता का धन्यवाद किया और प्रो. व्यास का परिचय प्रस्तुत किया। संचलान डॉ शालिनी चोइथरानी ने किया. पूर्व छात्र अमरकांत जैन ने आभार प्रकट किया। कार्यक्रम में प्रो.चंदा बेन, प्रो सुबोध जैन, प्रो पाटिल, कुलसचिव संतोष सोहगौरा, विवि के कई शिक्षक, छात्र और अधिकारी मौजूद रहे.  कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के शिक्षकगण तथा समस्त छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।

गौर की आत्मकथा का हिंदी में अनुवाद करने वाले राजेश श्रीवास्तव को धन्यवाद ज्ञापित

इस दोरान सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ सर हरी सिंह गौर की आत्मकथा " Seven Lives" का हिंदी भाषा में अनुवाद करने के लिए कुलपति प्रोफ़ेसर नीलिमा गुप्ता ने अनुवादक और पत्रकार राजेश श्रीवास्तव का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस मौके पर पत्रकार सुदेश तिवारी सहित विवि के  शिक्षक , अधिकारी आदि मोजूद रहे।


कुलपति ने किया गौर साहित्य प्रदर्शनी का उद्घाटन 

विश्वविद्यालय के जवाहर लाल नेहरू ग्रंथालय परिसर में डॉ. हरीसिंह गौर से संबंधित साहित्य की प्रदर्शनी का उद्घाटन विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने किया. यह प्रदर्शनी अगले दो दिन लगेगी. इस प्रदर्शनी में डॉ. हरीसिंह गौर द्वारा लिखित पुस्तकों, चित्रों एवं अन्य दुर्लभ साहित्य आगंतुकों के लिए लगाई गई है जिससे डॉ. गौर के विराट व्यक्तित्व के आयामों को जाना- समझने में मदद मिलेगी.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें