SAGAR : रिश्वतखोर पटवारी और उसके साथी को सजा▪️मकान का नामांतरण कराने के एवज में ली थी रिश्वत

SAGAR : रिश्वतखोर पटवारी  और उसके साथी को  सजा
▪️मकान का नामांतरण कराने के एवज में ली थी रिश्वत

 
सागर । न्यायालय-विषेष न्यायाधीष भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर श्री आलोक मिश्रा की न्यायालय ने मकान के नामांतरण के एवज् में रिष्वत लेने वाले आरोपी पटवारी अषोक अहिरवार को दोषी करार देते हुये भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम,1988 की धारा-7 के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास व 2,000/- रू. अर्थदण्ड एवं धारा-13(1)(डी) सपठित धारा 13(2) के तहत 04 वर्ष का सश्रम कारावास व 3,000/- रू. अर्थदण्ड एवं सह-आरोपी नारायण पटैल को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम,1988 की धारा-12 के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 2,000/- रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है उक्त मामले की पैरवी श्री श्याम नेमा, सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी ने की ।

घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि दिनांक 25.05.2017 को आवेदक गोविंद प्रसाद लोधी ने पुलिस अधीक्षक, लोकायुक्त कार्यालय सागर को एक लिखित शिकायत/आवेदन दिया कि उसकी मां राधारानी ने ग्राम तिगाौड़ा में ही तारा बाई जैन से पुराना मकान खरीदा था, जिसका नामांतरण कराने हेतु वह, अभियुक्त अशोक अहिरवार तत्कालीन पटवारी के पास गया, तो उसने नामांतरण के ऐवज में 2,000/-रु. की मांग की, आवेदक की मां राधारानी ने रिश्वत राशि देने से मना किया व लोकायुक्त कार्यालय में शिकायत हेतु लिखित सहमति दी, वह अभियुक्त को रिश्वत नहीं देना चाहती, बल्कि रंगे हाथों पकड़वाना चाहती है, अतः कार्यवाही किये जाने का निवेदन किया। आवेदन के साथ सहमति पत्र भी संलग्न किया गया । आवेदन में वर्णित तथ्यों के सत्यापन हेतु एक डिजीटल वाॅयस रिकाॅर्डर दिया गया इसके संचालन का तरीका बताया गया, अभियुक्त से रिश्वत मांग वार्ता रिकाॅर्ड करने हेतु निर्देशित किया तत्पश्चात् आवेदक द्वारा माॅगवार्ता रिकार्ड की गई एवं तकनीकि कार्यवाहियाॅ की गई एवं टेªप कार्यवाही आयोजित की गई नियत दिनाॅक को आवेदक द्वारा अभियुक्त को राषि दी गई व आवेदक का इषारा मिलने पर टेªप दल के सदस्य मौके पर पहुॅचे और । निरीक्षक विजय सिंह परस्ते ने अपना व टेªपदल का परिचय देकर अभियुक्तगण का परिचय प्राप्त करने के उपरांत, अभियुक्तगण से रिश्वत राशि के संबंध में पूछे जाने पर बताया गया कि सह-अभियुक्त नारायण पटैल ने अभियुक्त अशोक के कहने पर आवेदक गोविंद से लेकर रिश्वत राशि अपनी पहनी हुई शर्ट की बायीं जेब में रख ली है, तब मौके पर कार्यवाही प्रारम्भ की गई व प्रकरण में अन्य विधिवत कार्यवाहियाॅ की गई। विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्षा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-7 एवं धारा-13(1)(डी) सपठित धारा 13(2) का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेष किया। विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहाॅ विचारण उपरांत न्यायालय-विषेष न्यायाधीष भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर श्री आलोक मिश्रा की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपरोक्त सजा से दंडित किया है ।
                                                                                        

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें