ट्रेकियो टॉक ऐप " की मदद से मरीज व्यक्त कर पाएंगे मन की बात: उपचार तेज़ और प्रभावी करने में भी होगा कारगर ▪️बुंदेलखंड मेडिकल कालेज में बना एप

"ट्रेकियो टॉक ऐप " की मदद से मरीज व्यक्त कर पाएंगे मन की बात: उपचार तेज़ और प्रभावी करने में भी होगा कारगर

▪️बुंदेलखंड मेडिकल कालेज में बना एप 


तीनबत्ती न्यूज : 15 अक्टूबर 

सागर: बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज सागर के कान, नाक, गला विभाग की विभागाध्यक्ष एवं प्रोफेसर डॉ. रीमा गोस्वामी के मार्गदर्शन में डॉ. मधु शर्मा (थर्ड ईयर पी.जी.) ने सॉफ्टवेयर इंजीनियर के साथ मिलकर "ट्रेकियो टॉक" (Tracheo Talk) नामक एक ऐप विकसित किया है। इस ऐप का मुख्य उद्देश्य ट्रेकियोस्टोमी के मरीजों को बोलने और संवाद करने में मदद करना है।

ट्रेकियोस्टोमी क्या है:

यह एक आपातकालीन प्रक्रिया है जिसमें मरीज की सांस लेने की नली (Trachea) में छेद कर नली लगाई जाती है ताकि वे सांस ले सकें। ऐसा उन मरीजों के लिए किया जाता है जिन्हें मुंह या नाक से सांस लेने में दिक्कत होती है – जैसे कैंसर, संक्रमण, या लंबे समय से वेंटिलेटर पर रहने वाले मरीज।

Tracheo Talk ऐप की विशेषताएँ:

•हिंदी भाषा में सामान्य जरूरतों और शिकायतों के लिए पहले से तैयार वाक्यांश।

•मोशन पिक्चर्स के साथ होने के कारण अशिक्षित मरीज भी आसानी से इसका उपयोग कर सकते हैं।

•आपात स्थिति में स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को बुलाने के लिए कॉल बेल फीचर।

•मरीज की भावनाओं के लिए वेलनस स्कोर भी शामिल।


मोबाइल में कर सकते है डाउनलोड

बीएमसी मीडिया प्रभारी डॉ. सौरभ जैन ने जानकारी दी कि यह ऐप मोबाइल में इंस्टॉल किया जा सकता है और मरीज व उनके परिजन इसका उपयोग संवाद के लिए कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए मरीज “दर्द हो रहा है”, “सांस लेने में तकलीफ हो रही है”, “भूख लगी है” जैसी बातें आसानी से बता सकते हैं। इस ऐप की मदद से मरीज अपने मन की बात, भावनाएँ और आवश्यकताएँ आसानी से व्यक्त कर सकते हैं — जिससे उनकी देखभाल और उपचार तेज़ और प्रभावी हो सके।

डीन डॉ पीएस ठाकुर ने ऐप विकसित करने वाले तथा विभाग के डॉक्टर्स को बधाई देते हुए कहा कि इस ऐप की मदद से बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज सहित क्षेत्र के अन्य मरीजों को लाभ मिलेगा। इस ऐप का उपयोग लकवाग्रस्त एवं स्ट्रोक के मरीज भी कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि 

कॉलेज के आईटी प्रोफेशनल्स के साथ परामर्श के बाद, ऐप को निकट भविष्य में प्ले स्टोर में डाल दिया जाएगा। जिससे भविष्य में  उक्त बीमारियों से जूझ रहे दुनिया के किसी भी कोने के मरीज उनके उपचार को बेहतर बनाने में कर सकेंगे।

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