श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन भक्ति और प्रेम का अद्भुत समागम इंद्रेश उपाध्याय जी के दिव्य प्रवचन पर झूम उठा पंडाल

श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन भक्ति और प्रेम का अद्भुत समागम इंद्रेश उपाध्याय जी के दिव्य प्रवचन पर झूम उठा पंडाल


तीनबत्ती न्यूज: 25 नवंबर, 2025

सागर। श्री सिद्ध क्षेत्र बालाजी मंदिर प्रांगण, धर्म श्री अंबेडकर वार्ड में मुख्य यजमान श्रीमती अनुश्री शैलेन्द्र कुमार जैन विधायक सागर द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिवस का आयोजन भक्ति, प्रेम और आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण रहा। अंतरराष्ट्रीय कथा व्यास परम पूज्य इंद्रेश उपाध्याय जी महाराज के भजनों “ठाकुर जी और राधा रानी” पर पूरा पंडाल झूम उठा और हजारों की संख्या में भक्त भावविभोर हो गए।

महाराज जी ने कहा कि प्रेम में समय निकाला जाता है, और प्रेम का घाव ऐसा होता है जो भरने न पाए । वही सच्चे प्रेम की पहचान है। उन्होंने सागर के लोगों की प्रशंसा करते हुए कहा कि “सागर के लोग बड़े प्रेमी हैं, इनके प्रेम की गहराई नापी नहीं जा सकती।”

गिरिराज जी के प्रसंग पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि ठाकुर जी की भक्ति में ज्ञान, योग और वैराग्य तो है ही, लेकिन सहजता और सरलता सबसे महत्वपूर्ण तत्व हैं। आज का मानव आडंबर और दिखावे में उलझ गया है, इसलिए पहले स्वयं को योग्य बनाना और सुधारना अत्यंत आवश्यक है। महाराज जी ने कहा दूसरों की निंदा नहीं करनी चाहिए,सभी का वंदन करना चाहिए,। सरलता को अपनाने वाले को संसार की चतुराई से ठाकुर जी स्वयं बचाते हैं।


उन्होंने गिरिराज धारण की कथा का उल्लेख करते हुए बताया कि जब 7 वर्ष के कृष्ण ने 21 किलोमीटर लंबे पर्वत को उंगली पर उठा लिया, तब भी ब्रजवासियों ने उन्हें भगवान नहीं माना बल्कि उन्हें अपना प्यारा लाला ही माना—जहां प्रेम होता है, वहां पद और शक्ति का अभिमान नहीं रहता। राधा रानी के स्वरूप पर उन्होंने कहा कि ठाकुर जी आनंद को अपने भीतर भरकर रखते हैं, और वही आनंद किशोरी जी के रूप में प्रकट होता है।“ठाकुर जी और किशोरी जी दो देह और एक प्राण हैं।”

जीवनशैली के संदर्भ में उन्होंने कह की संध्या के समय सोना, पढ़ना, भोजन, सहवास और नई क्रिया नहीं करनी चाहिए। एकादशी के दिन अन्न सेवन करने से पूर्व पाप जागृत हो जाते हैं, इसलिए उस दिन अन्न ग्रहण वर्जित है। सागर की पहली कथा ‘रस’ थी और यह दूसरी कथा ‘रास’ है—रस में भक्त भगवान को खोजता है और रास में भगवान भक्त के पास आते हैं।

दुर्योधन- कौरव-पांडव प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने बताया कि किस प्रकार कृष्ण ने शक्ति और वैभव के बजाय प्रेम और धर्म के मार्ग को चुना। महाराष्ट्र की भक्त जनाबाई की कथा सुनाकर उन्होंने ठाकुर जी की सरलता का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया। जब ‘रास रचो है’ भजन गूंजा तो पंडाल में उपस्थित मंत्रीगण, विधायक दंपत्ति, सांसद और सभी श्रद्धालु झूम उठे।

25 नवंबर की कथा प्रातः 10 बजे से 12 बजे तक आयोजित की जाएगी।


ये हुए शामिल

कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा, कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, राज्य मंत्री धर्मेंद्र लोधी, सांसद डॉ. श्रीमती लता वानखेड़े, फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा, वरिष्ठ विधायक भूपेंद्र सिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष श्याम तिवारी, नगर निगम अध्यक्ष वृंदावन अहिरवार, श्रीमती पारुल साहू, संजीव अग्रवाल, सुधीर शर्मा, डॉ. अनिल तिवारी, जाहर सिंह, हरिराम सिंह, यश अग्रवाल, अर्पित पांडे, निकेश गुप्ता, जवाहर लाल जैन, अरविंद तिवारी, गोल्डी केसरवानी, धर्मवीर साहू, पंडित श्रीराम दुबे, पंडित शिव प्रसाद तिवारी, भरत तिवारी, डॉ. पी.एस. ठाकुर, विक्रम सोनी, कैलाश चौरसिया, सविता साहू, याकृति जड़िया, सुरेंद्र सुहाने, डॉ. ओ.पी. शिल्पी, मनोज जैन, अविनाश जैन सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।

विधायक जैन के साथ केंद्रीय जेल पहुंचे अंतर्राष्ट्रीय कथा व्यास इंद्रेश उपाध्याय जी


अंतर्राष्ट्रीय कथा व्यास परम पूज्य इंद्रेश उपाध्याय जी महाराज सोमवार को विधायक शैलेंद्र कुमार जैन के साथ केंद्रीय जेल सागर पहुंचे, जहां उन्होंने बंदी कैदियों से आत्मीय संवाद स्थापित किया। इस अवसर पर उनके साथ श्रीमती अनुश्री जैन, भाजपा जिलाध्यक्ष श्याम तिवारी एवं श्रीमती ऋतु तिवारी मुख्य रूप से उपस्थित रहीं। जेल अधीक्षक मानवेंद्र सिंह, पंडित पुजारीगण एवं कुछ कैदियों द्वारा पूज्य महाराज श्री का ससम्मान स्वागत किया गया। संवाद के दौरान महाराज श्री ने ‘गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो’ और ‘राधा गोरी गोरी’ जैसे भजनों से वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया।महाराज जी ने कहा कि “मानवों के बंदी गृह, यमराज के बंदी गृह से कहीं अच्छे हैं।” उन्होंने जीवन के सत्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वास्तविकता केवल परमात्मा और स्वयं व्यक्ति ही जानता है, इसके लिए किसी दूसरे को प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं है। कई बार जीवन में हमें उन गुनाहों की भी सजा मिलती है, जो हमने कभी किए ही नहीं। भीष्म पितामह के प्रसंग को बताते हुए उन्होंने कहा कि दर्शन और सीख हमेशा सम्मुख जाने से मिलती है। व्यक्ति जीवन में दुखों को देखकर परमात्मा से प्रश्न करता है, परंतु वही दुख हमें मजबूत बनाते हैं। उन्होंने कैदियों को प्रेरित करते हुए कहा कि “यहां रहकर अपना पुनर्निर्माण करें, कुछ नया सीखें, लिखना शुरू करें।” महाराज जी ने जीवन के अंतिम क्षणों का उल्लेख करते हुए बताया कि मृत्यु के निकट व्यक्ति को अंतिम सात मिनट में उसका पूरा जीवन चलचित्र की तरह दिखाई देता है। महाराज जी ने जेल परिसर में संचालित हथकरघा प्रकल्प एवं गौशाला का भी भ्रमण किया और कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि “अगली बार जब भी आऊंगा, कम से कम तीन दिन आपके बीच रहकर ही जाऊंगा और यहीं बाल भोग करूंगा।”

कथा व्यास पूज्य इन्द्रेश उपाध्याय जी महाराज ने सागर में विराजमान जैनाचार्य विशुद्ध सागर जी महराज के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया



कथा व्यास इन्द्रेश उपाध्याय जी सागर में विराजमान विराजमान पट्टाचार्य आचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज के दर्शन करने पहुंचे। कथा व्यास इन्द्रेश उपाध्याय जी पूज्य पट्टाचार्य जी ससंघ के श्रीफल भेंट कर दर्शन कर पूज्य पट्टाचार्य विशुद्ध सागर जी महराज के पाद प्रछालन किए। तत्पश्चात लगभग 15 मिनिट कथा व्यास इन्द्रेश उपाध्याय जी पूज्य पट्टाचार्य विशुद्ध सागर जी महराज के बीच आध्यात्मिक चर्चा हुई। पूज्य पट्टाचार्य विशुद्ध सागर जी महराज ने कथा व्यास इन्द्रेश उपाध्याय जी को स्वलिखित शास्त्र भेंट किए।

इस अवसर पर सागर विधायक शैलेन्द्र कुमार जैन एवं श्रीमती अनुश्री जैन,मनोज जैन ढोलक दीप्ति जैन ने भी पूज्य पूज्य पट्टाचार्य विशुद्ध सागर जी महराज के पाद प्रछालन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।


इस दौरान भाजपा जिला मीडिया प्रभारी श्रीकांत जैन,पार्षद प्रतिनिधि आशुतोष बजाज,प्रसुक जैन, मोनू गोपालगंज, सौरभ बूँद उपस्तिथ रहें।

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