योग एक अनुशासन है - योगाचार्य डा. विष्णु आर्य ★बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में हुआ वेबिनार


योग एक अनुशासन है - योगाचार्य डा. विष्णु आर्य

★बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में हुआ वेबिनार

वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की मानसिक स्वास्थ्य के लिए गठित कोविड़ टास्क फोर्स द्वारा अंतराष्टीय योग दिवस पर शांति सदभाव और खुशहाली की कुंजी विषय पर बेविनार का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि जाने माने योगाचार्य योग निकेतन-योग प्रशिक्षण संस्थान सागर के संचालक और योग के क्षेत्र में विवेकानंद पुरूस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध योगाचार्य डा. विष्णु कुमार आर्य थे। उन्होनें योग को विश्व का एकमात्र ऐसा दर्शन बताया जो मानवता के लिए समर्पित है। आपने कहा कि योग एक अनुशासन है और भारत विश्वगुरू बना रहे इसके लिए जीवन में अनुशासन जरूरी है।  आपने कहा कि अपने शरीर, विचार, मन, रहन सहन, खान पान, इंद्रियों और आहार विहार पर अनुशासन बेहद जरूरी है तभी मनुष्य स्वस्थ्य रह सकता है। आपने बताया कि योग के 195 सूत्र है और 4 भाग है तथा महान योगी पतंजलि ने योग को व्यवस्थित किया था। आपने कहा कि बैर की भावना निकलने को ही अहिंसा कहते है। किसी के प्रति कोई द्वेष न रहे ऐसी चेष्टा करनी चाहिए। आपने कहा कि सत्य हमेशा प्रिय ही बोलना चाहिए। चेतना को उध्र्वगामी बनाना ही ब्रहाचर्य है। आपने कहा कि मन के विचारों को रोकना नही चाहिए वरन् उन्हें निकालना चाहिए क्योंकि मन बेहद चंचल होता है अतः मन से दोस्ती करना ही ध्यान है और ध्यान हमारे जीवन मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। योगाचार्य डा. विष्णु आर्य ने बेवीनार के दौरान बहुत से कठिन आसनों को बेहद सरलता से करते हुए सभी का मन मोह लिया। डा. आर्य के यौगिक ज्ञान को बीएचयू के शिक्षकों, कर्मचारियों, अधिकारियों एवं छात्रों ने बेहद पसंद किया। ज्ञातव्य है काशी हिन्दू विश्वविद्यालय एशिया का सबसे बडा आवासीय विश्वविद्यालय है जहां पर 30 हजार से ज्यादा छात्र अध्ययन करते है तथा इसकी स्थापना भारतरत्न महामना पंडित मदनमोहन मालवीय के प्रयासों से हुई थी। 

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 मुख्य वक्ता प्रख्यात मनोचिकित्सक और कोविड टास्क फोर्स के अध्यक्ष खुशहाली गुरू के नाम से जनप्रिय प्रो. संजय गुप्ता ने कहा कि योग सिर्फ आसन और प्राणायम तक सीमित नहीं है वरन् यह जीवन जीने की कला है और संपूर्ण जीवन शैली है। आपने योग की समग्रता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि योग के आठ अंग होते है लेकिन आम जनता सिर्फ आसन और प्राणायाम को ही योग समझती है जोकि ठीक नही है अतः इस त्रंुटि को दूर करना चाहिए। आपने कहा कि खंुशहाली का एकमात्र सूत्र ही योग है और योग लोगों को जोडने का कार्य करता है अतः हमे जीवन में इसे अपनाना चाहिए तथा इसकी समग्रता से परिचित होना चाहिए। आपने कहा कि वर्तमान कोविड काल में पुनः लोगों का ध्यान योग की ओर गया है और जो सचमुच योगी था उसे कोरोना छू भी नही पाया। आपने कहा कि शारीरिक स्वास्थ के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी योग बेहद जरूरी है।

कार्यक्रम में विजुअल आर्ट के संकाय प्रमुख प्रो. हीरालाल प्रजापति,  प्रो. के.के.सिंह, चीफ प्राक्टर प्रो. आनंद चैधरी, प्रो तारासिंह, डा. रामकुमार दांगी, डा. पुष्पा कुमारी मालवीय, डा. अमिता, डा. कुष्णकुमार सिंह, डा. हर्षा सिंह, का विशेष सहयोग रहा। संचालन डिप्टी लाइब्रेरियन डा. संजीव सराफ तथा आभार कामर्स विभाग के प्रो. अखिल मिश्रा ने किया।

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