ई-गवर्नेंस में डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय देश में सबसे आगे, समर्थ पोर्टल के सभी माड्यूल्स सक्रिय ▪️शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित कार्यशाला में विश्वविद्यालय की सराहना

ई-गवर्नेंस में डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय देश में सबसे आगे, समर्थ पोर्टल के सभी माड्यूल्स सक्रिय

▪️शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित कार्यशाला में विश्वविद्यालय  की सराहना


तीनबत्ती न्यूज : 02 मई ,2025

सागर. डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर को राष्ट्रीय स्तर पर एक और उपलब्धि मिली है. विश्वविद्यालय अब ई-गर्वर्नेंस में भी देश में अग्रणी शैक्षणिक संस्थान बन गया है. विश्वविद्यालय में शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी दिशा निर्देशों के तहत ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लांच किये गए समर्थ पोर्टल के सभी मोड्यूल्स सक्रिय हैं जिनके माध्यम से सभी आवश्यक क्षेत्रों में ऑनलाइन माध्यम से कार्य संचालित हो रहे हैं. समर्थ ई-गवर्नेंस सिस्टम शिक्षा मंत्रालय द्वारा शुरू की गई एक डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) पहल है जिसका उद्देश्य उच्च शिक्षा संस्थानों में एक कुशल और कम लागत में प्रभावी संसाधन नियोजन प्रणाली को लागू करना है। यह एकीकृत प्रबंधन प्रणाली है जिससे उच्च शिक्षा की सभी इकाईयां एक ही प्लेटफ़ॉर्म पर एक ही प्राविधि से कार्य करेंगी.



डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय ने समर्थ ईआरपी मॉड्यूल को लागू करने का सौ फीसदी लक्ष्य हासिल किया है। इसके कुशल क्रियान्वयन के लिए विश्वविद्यालय ने समर्थ कार्यान्वयन समिति की स्थापना की, प्रशिक्षण आयोजित किया और पुरानी मैनुअल प्रक्रियाओं को चरण बद्ध तरीके से बंद करते हुए डिजिटल प्रणाली का उपयोग शुरू किया. इसमें कुल 44 मोड्यूल हैं जैसे प्रवेश रिकॉर्ड, परीक्षा, वित्त, वित्त, आरटीआई, पेंशन, एकेडमिक बैंक ऑफ़ क्रेडिट, फ़ाइल प्रबंधन इत्यादि. गौरतलब है कि विगत वर्षों से अब तक विश्वविद्यालय के शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक शाखाओं में सभी कार्य ऑनलाइन माध्यम से प्रारम्भ किये गये और ई-गवर्नेंस की दिशा में प्रगति की है. एकेडमिक बैंक ऑफ़ क्रेडिट के क्रियान्वयन के लिए शिक्षा मंत्रालय द्वारा कुलपति को सम्मानित भी किया गया है. 

  


शिक्षा मंत्रालय के तत्त्वावधान में पीएम-ऊषा के तहत बहु-विषयक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालयों पर नई दिल्ली स्थित आईसीएआर के ए.पी. शिंदे सिम्पोजियम सभागार में 30 अप्रैल एवं 1 मई, 2025 को राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई को पूसा रोड, आयोजित की गई. केंद्रीय शिक्षा एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार ने कार्यशाला का उद्घाटन किया. कार्यशाला में उच्च शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. विनीत जोशी, शिक्षा मंत्रालय के अपर सचिव श्री सुनील कुमार बरनवाल, एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रो. टीजी सीताराम, एनईटीएफ के अध्यक्ष प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे, यूजीसी के पूर्व अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति और विश्वविद्यालयों के कुलपति इस कार्यक्रम में उपस्थित थे.

कार्यशाला में डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर, मध्य प्रदेश की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय में समर्थ के सभी मोड्यूल्स के क्रियान्वयन की प्रक्रिया की यात्रा को साझा किया. उन्होंने कहा कि डिजिटल युग के पहले सभी कार्य मैनुअल ढंग से होते थे जिसमें काफी समय लगता था. किसी भी रिकॉर्ड को रियल टाइम में प्राप्त करना पहले एक बड़ी चुनौती थी. किसी भी संस्थान की कार्यपद्धति में अचानक बदलाव करना एक बड़ी चुनौती होती है. उन्होंने कहा कि हमने विश्वविद्यालय के गवर्नेंस में मैनुअल कार्य पद्धति को जारी रखते हुए चरणबद्ध तरीके से प्राथमिकता अनुसार एक-एक मोड्यूल्स पर कार्य करना प्रारम्भ किया और पुराने और मैनुअल ढंग से क्रियान्वित होने वाले कार्यों को हम डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर लाने में सफल हुए. प्रवेश के रिकॉर्ड, परीक्षा और उनके परिणाम, वेतन, पेंशन, सभी तरह के अवकाश, नियुक्ति के फॉर्म इत्यादि सहित सभी गतिविधियाँ समर्थ एकीकृत पोर्टल के माध्यम से किये जा रहे हैं. उन्होंने इसके क्रियान्वयन में आ रही चुनौतियों को साझा करते हुए इसके सफल क्रियान्वयन की रणनीतियों की भी चर्चा की. उन्होंने यह भी कहा कि इसके लिए सभी कर्मचारियों, अधिकारियों एवं शिक्षकों का प्रशिक्षण भी आवश्यक है. डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय ने कई चरणों में प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया. इसमें आ रही समस्याओं के समाधान के लिए वीडियो लिंक भी वेबसाईट पर उपलब्ध किये. सभी आवश्यक जानकारियों को त्वरित प्रक्रिया के तहत साझा किया. विश्वविद्यालय के आई टी सेल को तकनीकी संसाधन उपलब्ध कराये गये और सेल के अधिकारियों और कर्मचारियों ने लगातार कार्य करते हुए विश्वविद्यालय को ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में शिखर पर लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों के प्रमुखों और प्रतिनिधियों को उनके संस्थानों में सौ फीसदी ई-गवर्नेस लागू करने के लिए प्रेरित किया.

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