MP में प्रजापति (कुम्हार) जाति के दो दर्जे : SC और OBC पर हाईकोर्ट ने केंद्र-राज्य सरकार और आयोग को थमाया नोटिस, माँगा जवाब
▪️सागर के विनोद प्रजापति ने हाइकोर्ट में लगाई थी जनहित याचिका (WP)
तीनबत्ती न्यूज: 16 सितंबर, 2025
सागर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को प्रजापति (कुम्हार) जाति के राज्य में अलग-अलग वर्गीकरण को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस विसंगति के कारण कुम्हार समुदाय के कई लोग शिक्षा और रोजगार के अवसरों से वंचित रह गए हैं, और अदालत से पूरे मध्य प्रदेश में कुम्हार जाति को अनुसूचित जाति के रूप में समान मान्यता देने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
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प्रदेश के इन जिलों में अलग-अलग कैटेगिरी
सागर जिले के याचिकाकर्ता विनोद प्रजापति ने कहा कि छतरपुर, दतिया, पन्ना, रीवा, सतना, शहडोल, सीधी और टीकमगढ़ जिलों में कुम्हार जाति को अनुसूचित जाति (एससी) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, जबकि अन्य जिलों में यह अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के अंतर्गत आती है।
समाज में शिक्षा और रोजगार के मामलों में भी परेशानी
राज्य सरकार द्वारा कुम्हार समाज को लेकर की ग़ई इस विसंगति के कारण कुम्हार समुदाय के कई लोग शिक्षा और रोजगार के अवसरों से वंचित रह गए हैं। याचिकाकर्ता ने अदालत से पूरे मध्य प्रदेश में कुम्हार जाति को अनुसूचित जाति के रूप में समान मान्यता देने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने कुम्हार (प्रजापति) जाति के राज्य में अलग-अलग वर्गीकरण को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है।
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प्रदेश में सागर संभाग के अलग अलग जिलों में एससी और ओबीसी में सूचीबद्ध है प्रजापति समुदाय
याचिकाकर्ता ने अदालत से यह घोषणा करने का आग्रह किया है कि कुम्हार जाति को पूरे मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए। यह याचिका सागर जिले के समाजसेवी वा अधिवक्ता विनोद प्रजापति द्वारा दायर की गई थी, जो सागर जिले के रहने वाले हैं। याचिका में कहा गया है कि मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में कुम्हार जाति को अनुसूचित जाति (एससी) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, जबकि अन्य जिलों में इसे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
हाईकोर्ट ने सरकार सहित इन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा
अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर उनसे याचिका पर जवाब देने को कहा है। यह मामला अब अदालत में विचाराधीन है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भारत में जाति एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा है। जाति व्यवस्था सदियों से भारतीय समाज का हिस्सा रही है, और इसने लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। अभी भी भारत में यह एक प्रमुख सामाजिक मुद्दा है।
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