पेड़ लगाओ, जल बचाओ, प्लास्टिक हटाओ अभियान घर घर से प्रारंभ होना चाहिए : डा जी एस चौबे
तीनबत्ती न्यूज : 04 जून ,2025
सागर। लगभग 20 वर्ष पूर्व समाजसेवी डॉक्टर जी एस चौबे ने शहर के पत्रकारों, कलेक्टर एवं जनप्रतिनिधियों के सहयोग से लगभग एक वर्ष तक प्रतिदिन पर्यावरण संरक्षण संबंधी पोस्टर लगाकर लोगों को जागरूक करने जन चेतना अभियान प्रारंभ किया था। इसकी सफलता के बाद वर्तमान में पर्यावरण संरक्षण के लिए पेड़ लगाओ, जल बचाओ और प्लास्टिक हटाओ अभियान घर घर से प्रारंभ होना चाहिए। इस अभियान में मैं शहर के पत्रकार, जनप्रतिनिधि, अधिकारियों एवं सभी वर्ग के लोगों का सहयोग होना चाहिए।
समाजसेवी डॉक्टर जी एस चौबे ने आज मीडिया से चर्चा में बताया कि वर्तमान में पर्यावरण असंतुलन तेजी से बढ़ रहा है। जिसका दुष्प्रभाव प्रकृति एवं मनुष्य पर देखने को मिल रही है। पर्यावरण संतुलित रहे एवं लोग स्वस्थ रहे इसके लिए पर्यावरण के प्रति जागरूक होना बहुत जरूरी है। इसी को ध्यान में रखते हुए वर्तमान परिवेश में पेड़ लगाओ, जल बचाओ और प्लास्टिक हटाओ जन चेतना अभियान बहुत जरुरी हो गया है। इस कार्य में सभी की जनभागीदारी रहना चाहिए।
तीनबत्ती पर रोजाना लगता था पोस्टर
डॉ चौबे ने बताया कि लगभग 20 वर्ष पूर्व सन 2005 में पर्यावरण चेतना अभियान के तहत सागर के हृदय स्थल तीन बत्ती पर एक पोस्टर प्रतिदिन चस्पा होता था। जिसमें पेड़ और जीव के बचाव से संबंधित एक संदेश लिखा होता था। यह अभियान निरंतर 365 दिन तक चला था। इस कार्यक्रम की पोजना शहर के पत्रकारों ने बनाई थी और उसमें उस समय के कलेक्टर शिवशेखर शुक्ला एवं तत्कालीन सांसद वीरेंद्र कुमार में सहयोग किया था। ऐसा ही अभियान सभी के सहयोग से फिर से शुरू किया जाना चाहिए।
डॉ जी एस चौबे पेड़ लगाओ, जल बचाओ, प्लास्टिक हटाओ अभियान के बारे में बताया कि पेड़ संरक्षण के तहत सड़क मार्ग के दोनों ओर, वन विभाग की भूमि पर, बीहड़ों की रिक्त पड़ी भूमि, जलाशयों के चारों ओर, पर्यटक स्थलों पर एवं धार्मिक स्थलों पर पौधरोपण कर पर्यावरण को हरा भरा किया जा सकता है। घरों में भी धार्मिक मान्यता की पौध रोपित किए जा सकते हैं।
जल संरक्षण के उपाय सुझाते हुए डॉक्टर जीएस चौबे ने बताया कि मनुष्य और वनस्पतियों के लिए पानी अनिवार्य है। पानी के बिना प्रकृति शून्य है। जल संरक्षण के तहत वर्षा के जल की संरक्षित करने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग के लिए प्रेरित किया जाए ताकि भूजल स्तर बढ़ सके। सोख्ता गड्ढे भी बनाए जा सकते हैं। सूखे हुए कुरे, बावड़ी, तालाबों, पोखरों का जीर्णोद्धार कर गहरीकरण करने का कार्य करना होगा।
उन्होंने कहा कि पालीधीन पर्यावरण के लिए सबसे खतरनाक है। पालीथीन का उपयोग बंद करने की घरों से शुरुआत करना होगी। सूखे एवं गीले कचरे को अलग अलग रखना होगा। पालीथीन की जगह कपड़े, कागज के थैलों का प्रयोग करना होगा। व्यावसायिक संस्थानों को भी पॉलिथीन की दुष्परिणाम बताकर इसे बंद कर कपड़ा, कागज के बेग का उपयोग करने की प्रति जागरूक किया जाएगा।
पर्यावरण, जल संरक्षण, पालीथीन हटाओ जन चेतना अभियान के तहत विषय विशेषज्ञों, संस्थान, व्यक्तियों को एक मंच पर लाना होगा। जल संरक्षण से संबंधित सेमिनार आयोजित कर लोगों में बेतना जागृत करना होगी। इसके लिए एक बृहद कार्य योजना बनाने की आवश्यकता है। जिसमें सभी का सहयोग आवश्यक है।
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