गहोई वैश्य समाज सागर द्वारा राष्ट्रकवि श्री मैथिली शरण गुप्त जी की 139 वीं जयंती का आयोजन
तीनबत्ती न्यूज : 04 अगस्त ,2025
सागर: गहोई वैश्य समाज सागर द्वारा राष्ट्रकवि श्री मैथिली शरण गुप्त जी की 139 वीं जयंती हर्ष और उल्लास के साथ मनाई गई । इस भव्य कार्यक्रम के अध्यक्ष गहोई वैश्य समाज सागर के संरक्षक श्री नर्मदा प्रसाद ददरया ,मुख्य अतिथि रिटायर्ड डिस्ट्रिक्ट जज श्री राज्यवर्धन नीखरा,विशिष्ट अतिथि श्रम न्यायालय सागर के वरिष्ठ न्यायाधीश श्री विनायक नीखरा रहे । मंचासीनअतिथियो में गहोई वैश्य समाज सागर के संचालक मंडल के अध्यक्ष सुरेन्द्र सुहाने ,गहोई वैश्य समाज सागर के संचालक मंडल के पूर्व अध्यक्ष महेंद्र कुमार गुप्ता,श्रीदेव जगमोहन लाल गहोई वैश्य पंचायती ट्रस्ट सागर के अध्यक्ष मनोज डेंगरे, गहोई वैश्य महिला मंडल सागर की अध्यक्षा श्रीमती रश्मि खरया,नवयुवक गहोई वैश्य समाज सागर के अध्यक्ष श्री चंदन सुहाने, एवं सागर नगर के प्रतिष्ठित डॉ.श्री राजेंद्र चौदा उपस्थित थे।
सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन द्वारा कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ हुआ और राष्ट्रकवि श्री मैथिलीशरण गुप्त जी की पुष्पार्रचना की गई। तत्पश्चात आंचल सांवला, शिखा कसाव,शिल्पी चौदा और शालिनी बृजपुरिया के द्वारा सामूहिक सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई।
इसके बाद मंचासीन अतिथियों का पुष्पगुच्छ ,नारियल और शाल और स्मृति चिन्ह भेंट करके स्वागत और सम्मान किया गया । आप सभी के अभिनंदन हेतु स्वागत गीत प्रस्तुत किया रश्मि बिलैया ने प्रस्तुत किया। सभी सम्मानित अतिथियों ने सभा को संबोधित किया । संरक्षक श्री नर्मदा प्रसाद ददरय ने राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। मुख्य अतिथि डिस्ट्रिक्ट जज श्री राज्यवर्धन नीखरा ने कहा कि हमें बच्चों को अपनी संस्कृति और संस्कार सिखाने चाहिए।उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि आज हमारे परिवार के अधिकांश बच्चे बाहर निकल जाते हैं और पुश्तैनी व्यवसाय आदि पुरानी पीढ़ी के साथ ही थम जाते हैं। विशिष्ट अतिथि सागर नगर के वरिष्ठ न्यायाधीश विनायक नीखरा ने कहा कि मेहनत और गहन लगन जिसके पास हों वे अपने जीवन में सदा सफ़ल होकर ऊंचाइयों पर प्रतिष्ठित होते हैं इसलिए आज के युवाओं में धैर्य और लगन की नींव अवश्य डालनी चाहिए । संचालक मंडल के अध्यक्ष ने सुरेन्द्र सुहाने ने सामाजिक कार्यों और समारोह में युवाओं की नगण्य उपस्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि हमारे ही परिवार के बच्चों को सामाजिक दायित्व निभाने हेतु प्रेरित करने की आवश्यकता है,साथ ही साथ श्री सुहाने ने अपने उद्बोधन में चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि एक समय था जब हमारे समाज में राष्ट्रकवि श्री मैथिली शरण जी गुप्त जी जैसी शख्सियत हुआ करती थी गहोई वैश्य समाज के अनेक परिवारों में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हुआ करते थे और आज के समय हमारे लोगों की सामाजिक कार्य एवं राजनीति में भागीदारी घटती जा रही है, समाज को वापस राजनीति और समाज सेवा की मुख्य धारा में लाना पड़ेगा । इसके अलावा हमारे सभी अन्य मंचासीन अतिथियों ने अपने वक्तव्य में राष्ट्रकवि श्री मैथिली शरण गुप्त जी के साहित्य जगत में दिए योगदान पर आधारित वक्तव्य दिए ।
समाज सेवी और आध्यात्मिक गुरु श्रीमती शशि बृजपुरिया ने कहा कि कविताएं रचनाकार के अंतस से प्रस्फुटित होती हैं और उन्होंने अपने सिलाई कढ़ाई निःशुल्क सिखाने की व्यवस्था पर प्रकाश डाला समाज में महिलाओं की महती भूमिका और योगदान पर विचार रखे । सागर समाज की प्रतिष्ठित साहित्यकार श्रीमती डॉ. सरोज गुप्ता ने राष्ट्रकवि गुप्त जी पर विवेचनात्मक आलेख का प्रभावशाली वाचन किया ।
कार्यक्रम के दूसरे चरण में गहोई वैश्य महिला मंडल सागर के योगदान से कवयित्री सम्मेलन आयोजित किया गया। रूबी ददरया ने लोक गायन शैली में श्री गुप्त जी के व्यक्तित्व कृतित्व को गीत रूप में प्रस्तुत किया । ज्योति झुड़ेले ने विरह गीत कैसे बताऊं री सखी , छाया सेठिया ने हम शिक्षक हैं शिक्षा की तस्वीर बदल देंगे ,सुधा रूसिया ने गुप्त जी पर रचना पढ़ी, दीप्ति गुप्ता और आंचल गुप्ता ने प्रकृति गीत ,सुमन झुड़ेले ने आ गया मलयज समीरण ले सुगंधों की पिटारी विरह गीत सुनाया,वैभवी नीखरा ने गुप्त जी पर प्रेरक रचना प्रस्तुत की। अन्य कवित्रियों में अंशुल ददरया,रेणु कठल,उषा इन्दुर्ख्या आस्था तपा और रश्मि बिलैया ने मोहक काव्यपाठ किया । गहोई वैश्य महिला मंडल सागर द्वारा सभी को स्मृति चिन्ह भेंट किए गए। श्री ओमप्रकाश रूसिया ने श्री गुप्त जी पर वाचन के पश्चात सभी का आभार ज्ञापित किया।
एवं कार्यक्रम के अंत में स्वल्पाहार के साथ भव्य समारोह का समापन किया गया । मंच संचालन सुश्री सुमन झुड़ेले ने किया ।
______





कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें