रामानंदी परम्परा का मठ श्री वृन्दावन बाग सनातन संस्कृति को आगे बढ़ा रहा है : पातालपुरी पीठ के पीठाधीश्वर श्री बालकदास जी ▪️नेताओं और कॉलोनाइजर की नजर वृन्दावन बाग मठ की जमीन पर: लेकिन हम सनातन का केंद्र बनाएंगे : महंत नरहरिदास महाराज

रामानंदी परम्परा का मठ श्री वृन्दावन बाग सनातन संस्कृति को आगे बढ़ा रहा है : पातालपुरी पीठ के पीठाधीश्वर श्री बालकदास जी

▪️नेताओं और कॉलोनाइजर की नजर वृन्दावन बाग मठ की जमीन पर: लेकिन हम सनातन का केंद्र बनाएंगे : महंत नरहरिदास महाराज


तीनबत्ती न्यूज: 05 नवंबर, 2025

सागर: पातालपुरी पीठ के पीठाधीश्वर जगदगुरू श्री बालकदास जी महाराज ने कहा है कि धार्मिक मठ और मंदिर सनातन संस्कृति के केंद्र होते है। इनके माध्यम से हमारी संस्कृति और परंपराएं आगे नई पीढ़ियों को जोड़ने का दायित्व होता है। सागर ने रामानंदी परम्परा का श्री वृन्दावन बाग मठ इसको निभा रहा है । वृन्दावन बाग मठ राष्ट्र ,समाज और धर्मसेवा के क्षेत्र में लगातार कार्य कर रहा है। इसके कुछ प्रकल्प शुरू होने वाले है जो मठ की गरिमा को बढ़ाएंगे। वृन्दावन बाग मंदिर में चल रहे श्री रामचरित मानस सम्मेलन में पधारे  बालकदास जी महाराज आज मीडिया से चर्चा की। इस मौके पर वृन्दावन बाग के महंत नरहरिदास जी ने मठ की जानकारी दी।

समाज राष्ट्र और धर्म की सेवा

उन्होंने बताया कि हमारा उद्देश्य नई पीढ़ी की सनातन संस्कृति से जोड़ना और आगे बढ़ाना है। नई पीढ़ी दूर होती जा रही है। लेकिन अब बदलाव भी आ रहा है। युवा लोग जुड़ने लगे है। उन्होंने कहा कि हम  वर्ग भेद नहीं मानते है। सभी वर्ग संस्कृत वेद आदि पढ़े। इसके साथ जरूरी यह भी है कि जो परम्परा और अनुशासन है उसका पालन भी साधक करे। पातालपुरी पीठ इनको आगे बढ़ा रही है। जिसका उद्देश्य समाज राष्ट्र और धर्म की सेवा करना है।


वैष्णव गौरव की उपाधि से सम्मानित होंगे श्री नरहरिदास जी

उन्होंने बताया कि वृन्दावन बाग मठ के प्रकल्पों का आज अवलोकन किया है। मठ द्वारा सराहनीय प्रयास सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए किए जा रहे है। आने वाले समय में स्कूल, अस्पताल और धार्मिक प्रचार भी होगा। इसके लिए मठ के महंत श्री नरहरीदास जी को वैष्णव गौरव की उपाधि से सम्मानित किया जायेगा। 

संपूर्ण नेताओं और कॉलोनाइजर की नजर संपति पर : सनातन संस्कृति का केंद्र बनाएंगे 

वृन्दावन बाग के महंत श्री नरहरीदास ने बताया कि सागर की प्राईम लोकेशन पर जमीन आदि होने से नेताओं और कॉलोनाइजर की नजर है। हमारा उद्देश्य जमीन को मठ के अधीन कर उसको सेवा प्रकल्पों को शुरुआत करने की है। गरीब बच्चों को शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं देना शामिल है। इसके साथ ही तिली चौराहे के पास की 20 एकड़ की जमीन पर वेद, रामचरित मानस  और संत परम्पराओं का पठन पाठन आदि कराने  की योजना है। इसके साथ मठ की सारी संपति को अतिक्रमण से मुक्त कराकर सुरक्षित करना बड़ा दायित्व है। कुछ मामले अदालत में विचाराधीन है। हमें अदालत के आदेश का इंतजार है। हमारा लक्ष्य वृन्दावन बाग मठ को सनातन संस्कृति का केंद्र बनाना है। इसे पूरा करने में सभी। की मदद भी लेंगे।

वृंदावन बाग में  रामचरित मानस सम्मेलन का समापन


श्री देव वृंदावन बाग मठ में साकेत वासी महंत हरिभजन दास एवं महंत श्याम बिहारी दास की पुण्य स्मृति में  आयोजित पांच दिवसीय रामचरित मानस सम्मेलन के समापन अवसर पर मठ के महंत नरहरिदास महाराज को "वैष्णव गौरव" की उपाधि से संतों, महात्माओं की उपस्थिति में सम्मानित किया गया।
रामचरित मानस सम्मेलन के दौरान श्रीमद जगतगुरू बालक देवाचार्य जी महाराज काशी, एवं मारुति किंकर जी महाराज काशी ने मंच पर श्री वृंदावन बाग मठ के पीठाधीश्वर नरहरिदास  को शाल, श्री फल एवं सम्मान पत्र भेंटकर "वैष्णव गौरव" की उपाधि से सम्मानित किया। इस अवसर पर जगद‌गुरु बालक देवाचार्य ने कहा कि संकल्प लेकर उसे पूरा करने का सामर्थ्य  महंत नरहरीदास जैसे विरले लोगों में ही होता है। उन्होंने देव वृंदावन बाग मठ के विकास का जो संकल्प लिया था उसे एक वर्ष में ही पूर्ण करके दिखा दिया। बालक देवाचार्य ने बताया कि विगत एक वर्ष में महंत जी ने गौलोक वासी  महंत श्री श्याम बिहारी दास की परंपरा को जारी रखते हुए अपने प्रयासों से साधु, संत, गौ सेवा का निरंतर कार्य किया तो मठ के विकास में परिक्रमा मार्ग, गजपथ, राजपथ, भक्त निवास, संत निवास, भोजन शाला, गौ शाला, वृंदावन गार्डन, उत्तरी एवं दक्षिणी द्वार, मानस मंच एवं वृंदावन बाग के अधीनस्थ मंदिरों का विकास, सौंदर्यीकरण का कार्य किया  है। इन्हीं कार्यों के चलते वृंदावन बाग मठ  दिव्य और भव्य नजर आने लगा है। 
तिली तिराहा स्थित मठ की जमीन पर सर्वसुविधायुक्त आश्रम बनाने का संकल्प भी महंत हरिदास ने लिया है। इस आश्रम में शहर में घूमने वाले भिक्षुकों, अनाथ बच्चों, वृद्धों को आश्रय दिया जाएगा। मंहत श्री की  इन्हीं सेवाओं के चलते उन्हें "वैष्णव गौरव" की उपाधि से सम्मानित किया गया।

हजारों श्रोताओं ने किया मानस श्रवण

राम चरित मानस सम्मेलन के पांचवें एवं अंतिम  दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित हुए और मानस मर्मज्ञ पातालपुरी पीठाधीश्वर रामबालक दास  महाराज काशी, श्रीमद जगद्‌गुर श्री मारुति  किंकर काशी, सूरदास जी रामायणी दमोह, मानस भास्कर  पं. विद्यासागर पाण्डेय काशी एवं मानस माधुरी राजकुमारी महोबा की वाणी  से रामचरित मानस के अनसुने पहलुओं को सुनकर खुद को कृतार्थ किया।

तीन सौ साधु संतों को दी विदाई

वृंदावन बाग मठ में देश के विभिन्न प्रांतों से लगभग तीन सौ से अधिक साधु संत शामिल हुए। मानस सम्मेलन के समापन अवसर पर महंत नरहरिदास ने सभी साधु संतों को कंबल, द्रव्य दक्षिणा एवं श्री फल भेंटकर सम्मानित किया एवं भावभीनी विदाई दी। मानस सम्मेलन का संचालन आचार्य चंद्रभान तिवारी एवं डॉक्टर देवेंद्र गुरु ने किया।

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