डा गौर विश्वविद्यालय : मेंटेनेंस के अभाव में जर्जर होते आवास: किराए के मकानों में रहे शिक्षक
▪️कई फीट लंबे उगे पेड़ पौधे, जहरीले जीवजंतु पनपे
तीनबत्ती न्यूज: 05 नवंबर, 2025
सागर। डॉ. हरीसिंह गौर केन्द्रीय विवि सागर ( Dr Gour University Sagar ) में देखरेख के अभाव में शिक्षकों के लिए आवंटित होने वाले पचास से अधिक आवासों की हालत बेहदजर्जर होती जा रही है। बदहाली का शिकार बने इन आवासों का लंबे समय से मेंटेनेंस नहीं हुआ। दूसरी तरफ शिक्षक इनमें रहने की बजाय शहर में रहने मजबूर है। पूर्व कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता के कार्यकाल में इन भवनों को मरम्मत के लिए कोई राशि आवंटित नहीं को गई। वर्तमान में भी यही स्थिति बनी हुई है। विवि में लगभग एक दशक पहले कैंपस स्थित शिक्षकों के आवास की मरम्मत के लिए राशि जारी हुई थी और कुछ आवासों में मरम्मत भी कराई गई थी।
देखरेख का अभाव, पैसा नहीं हुआ आवंटित
डा गौर विवि में बने आवासी का पिछले कुछ साल से राशि नहीं मिलने से रखरखाव नहीं हुआ। कुछ का मेंटेनेंस हुआ। लेकिन उसके बाद से इन भवनों को लावारिश अवस्था में छोड दिया गया है जिससे कई आवास इस हालत में है कि उनमें बड़े-बड़े पेड़ उग आए है और इन मकानों के अंदर जाना भी आसान नहीं है। गेट पर ताले और अंदर बड़े बड़े पेड़ उगे हुए है। मकान से ऊंचे उठ गए है। कई आवासों में घुसने तक जगह नहीं बची है।
देखरेख की जिम्मेदारी
आवासों की देखरेखऔर मरम्मत की जिम्मेदारी विवि इंजीनियरिंग विभाग के पास है। लेकिन राशि के अभाव में यह विभाग भवनों की देखरेख नहीं कर पा रहा है। कुछ माह पहले विवि प्रशासन के निनर्देश पर आवास आवंटन समिति ने 55 से अधिक शिक्षकों को आवास आटित किये थे किन्तु आवासों की खराब हालत देखकर 52 शिक्षकों ने इन आवासों में रहने पर असमर्थता जताते हुए अपने आवंटन निरस्त करा लिए।
उसके बाद से आवास लावारिश स्थिति में है पेड़ पौधे कचरा, क्षतिग्रस्त दिवारे, आवास के अंदर रहने वाले जीवजन्तु और उनकी तरफ ध्यान देने की किसी को फुर्सत नहीं है। विवि में इंजीनियरिंग विभाग में कर्मचारियों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। फंड के अभाव और कम कर्मचारियों के कारण कैंपस स्थित इन आवासों की देख रेख नहीं हो पा रही है यही हाल टीचर्स हॉस्टल का भी है वहां भी कमरे क्षतिग्रस्त हो रहे है। विवि के वर्तमान कुलसचिव एस पी उपाध्याय और वर्तमान प्रभारी कुलपति प्रो. वाईएस ठाकुर को भी इन क्षतिग्रस्त आवासों की मरम्मत कराने में कोई रुचि नहीं है। विवि के जिम्मेदार अधिकारी प्रो. नीलिमा गुप्ता के कार्यकाल में आवास मरम्मत कार्य के लिए राशि आवंटित कराने के मामले में क्यों चुष्पी साधे रहे यह भी शोथ का विषय है। देखरेख के अभाव में करोड़ों रुपए कीमत वाले यह आवास जर्जर और अनुपयोगी होते जा रहे हैं।
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