तकनीकी का चरमोत्कर्ष मानवता की मौत: रघु ठाकुर,
शंकरदत्त चतुर्वेदी स्मृति व्याख्यानमाला में
सागर। समाजवादी चिन्तक रघु ठाकुर ने कहा है कि पूर्वकालीन संस्कृति में वेतन रहित गुरुओं का दौर था। हिंदुस्तान की शिक्षा पर सबसे बड़ा हमला ब्रिटिश काल में हुआ।जैसी शिक्षा होती है वैसा समाज हो जाता है,जैसा समाज होता है वैसी शिक्षा हो जाती है।भारतीय शिक्षा इंसान को बनाने की, इंसानों को गढ़ने की थी। उन्होंने कहा कि नई तकनीक का दौर भगवान का विस्थापन कर देगा। नई तकनीक में हर कार्य मशीन करेगी तो भगवान का क्या कार्य हुआ।अब मास्टर की जरूरत नहीं पड़ेगी। इंटरनेट से शिक्षा मिलेगी। तकनीकी शिक्षा के दौर में गुरु नाम की चीज नहीं होगी। तकनीकी का चरमोत्कर्ष मानवता की मौत है। वैश्वीकरण में सरकारी शिक्षा खत्म हो रही है। शिक्षा का निजीकरण हो रहा है।
श्री ठाकुर पं.मोतीलाल नेहरू उच्चतर माध्यमिक शाला के प्राचार्य रहे आदर्श शिक्षक स्व.शंकर दत्त चतुर्वेदी की स्मृति में "शिक्षा और समाज" विषय पर आयोजित व्याख्यानमाला को सम्बोधित कर रहे थे। प्रो.उदय जैन इसके मुख्य अतिथि तथा आर.के.तिवारी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। साहित्यकार प्रो.सुरेश आचार्य ने अध्यक्षता की।
अतिथियों द्वारा स्मृति दीप प्रज्ज्वलन व स्व. चतुर्वेदी के चित्र पर माल्यार्पण पश्चात् बुंदेली गायक शिव रतन यादव ने स्मृति गीत का गायन किया। अतिथि स्वागत हरी सिंह ठाकुर, अमित तिवारी,अंजना तिवारी और मुकेश तिवारी ने किया।श्यामलम् अध्यक्ष उमाकांत मिश्र ने कार्यक्रम परिचय दिया।स्व.चतुर्वेदी की पुत्री डॉ.अंजना चतुर्वेदी तिवारी ने स्वागत उद्बोधन दिया।आर.के.तिवारी ने स्व.चतुर्वेदी का जीवन परिचय दिया। दीपक तिवारी ने काव्य पाठ किया।
रीवा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. उदय जैन ने इस अवसर पर स्व. चतुर्वेदी के संस्मरण साझा करते हुए कहा कि वे मेरे गुरु थे। म्युनिसिपल हायर सेकेंडरी स्कूल में उनसे शिक्षा प्राप्त करने का गौरव मुझे प्राप्त है। विधायक शैलेंद्र जैन ने चतुर्वेदी परिवार से अपने पारिवारिक संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि स्व.चतुर्वेदी उनके पिता के गुरु थे। अंग्रेजी शिक्षक के रूप में उनका कोई सानी नहीं था।वे एक अनुशासन प्रिय आदर्श शिक्षक के रूप में जाने जाते रहे।
इस अवसर पर शासकीय हाई स्कूल कुड़ारी की प्राचार्य डॉ.अंजना पाठक को'शंकरदत्त चतुर्वेदी शिक्षा सम्मान 2019' से विभूषित किया गया।साथ ही रघु ठाकुर और डॉ.अंजना चतुर्वेदी तिवारी को भी सम्मानित किया गया।
प्रो. सुरेश आचार्य ने कहा संपूर्ण भारतीय शिक्षा पद्धति पर अगर सबसे कम नियंत्रण किसी का रहा है तो वे अध्यापक हैं और सर्वाधिक नियंत्रण राजनीतिक क्षेत्र का रहा है जिसका परिणाम यह है कि भारतीय शिक्षा पद्धति ने अपनी गरिमा खो दी है।कार्यक्रम का संचालन चंचला दवे ने तथा आशीष ज्योतिषी ने आभार माना।
ये रहे उपस्थित
इस अवसर पर निर्मल चंद निर्मल,लक्ष्मी नारायण चौरसिया,डॉ.गजाधर सागर,डॉ.महेश तिवारी,डॉ.श्याम मनोहर सिरोठिया, डॉ राजेश दुबे,डॉ.वर्षा सिंह,डॉ.सुश्री शरद सिंह,डॉ.आनंद प्रकाश त्रिपाठी,ऋषभ समैया जलज,डॉ.शशि कुमार सिंह,सुनील भाई पटेल,डॉ.ए.के.पटेरिया, डॉ.नरेंद्र सिंह ठाकुर,डॉ.अरविंद बोहरे,डॉ.आर. के.पाठक,गोवर्धन पटेरिया,आर.के.चतुर्वेदी,इं. दुर्गेश गर्ग, दीपक तिवारी देवरी,डॉ.आलोक चौबे,डॉ. ऋषभ भारद्वाज,कपिल बैसाखिया, कुंदन पाराशर,संतोष पाठक,पी.आर.मलैया, वीरेंद्र प्रधान,टी.आर.त्रिपाठी,डॉ.सतीश पांडे, दामोदर अग्निहोत्री,शैलेंद्र ठाकुर,डॉ.रजनीश जैन,डॉ.नलिन जैन,वृंदावन राय सरल,डॉ.यू.के. चौबे,कैलाश तिवारी विकल,अतुल श्रीवास्तव, पुष्पदंत हितकर,के.एल.तिवारी अलबेला, मुकेश निराला, प्रभात कटारे, राघव रामकरण, आदर्श दुबे, रमेश दुबे,अभिनव दत्त दुबे, आशीष गौतम सहित बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।