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शौक सत्संग का, मृत्यु मन की, रोग प्रेम का और भोग कर्मों का होः संत श्री नागर जी▪️मंत्री भूपेंद्र सिंह व श्रीमति सरोज सिंह ने की पूजा और गुरू आराधना


शौक सत्संग का, मृत्यु मन की, रोग प्रेम का और भोग  कर्मों का होः संत श्री नागर जी

▪️मंत्री भूपेंद्र सिंह व श्रीमति सरोज सिंह ने की पूजा और गुरू आराधना

         

खुरई। दुनिया में आए हैं तो यहां शौक सत्संग का होना चाहिए, मृत्यु मन की होना चाहिए, रोग प्रेम का और भोग कर्मों का लगाना चाहिए। व्यास गादी यह चेतना व प्रेरणा देती है कि हमें भोग मिष्ठान का नहीं अपितु अपने कर्मों का रखाना चाहिए ताकि मृत्यु तक हमारे कर्म थोड़े-थोड़े कटते चले जाएं। इसलिए मन उदास हो,देह में कष्ट हो तो समझो कि यह कर्मों का ही भोग लगता है। यह चेतना पूर्ण संदेश पूज्य संत श्री कमल किशोर जी नागर ने खुरई में श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस पर अपने मंगल प्रवचनों में कथा श्रावकों को दिए।


मुख्य यजमान दंपति नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह व श्रीमती सरोज सिंह द्वारा श्रीमद् भागवत जी की पूजा और गुरु आराधना के पश्चात कथा आरंभ हुई। संत श्री नागर जी की अमृतवाणी से कथा रसिकों का अनेक बार  अंतस भीग गया। उन्होंने आज भागवत के रचयिता महर्षि वेदव्यास के पुत्र शुकदेव जी की राजा पारीक्षित के राज्य में हुई कथा में स्वयं उनके पिता व्यास जी के श्रोता रूप में उपस्थित होने के संदर्भ से कथा का आरंभ किया। संत श्री ने कहा कि जब लोगों ने व्यास जी से जिज्ञासा की कि आप तो भागवत जी के रचयिता हैं तब भी अपने पुत्र की कथा में आते हैं। ऋषि व्यास जी ने उत्तर दिया कि मुझे अपनी कृति कंठस्थ याद है किंतु आज प्रातः संधि उपासन ध्यान करते हुए मैंने देखा कि स्वयं गोविंद जी इस कथा में उपस्थित होते हैं। मेरे युवा पुत्र शुकदेव की आत्मा निर्मल है, वह केले के पत्तों की लंगोटी मात्र धारण करता है और विरक्त हो चुका है। ऐसे कथावाचक की कथा में गोविंद जी स्वयं आ रहे हैं और मैं इसलिए आ रहा हूं कि कथा में आए गोविंद मुझे भी देख लेंगे। 
आप सभी जो भी अच्छा,पुण्य कर्म करते हैं भरोसा रखना उस भगवान ने स्वयं वचन दिया है कि जहां-जहां भी कथा होगी वहां मैं स्वयं आऊंगा। सदगुरु नागर जी ने तत्पश्चात भजन गाया,“जहां सत्संग होता है वहां भगवान आते हैं।“ उन्होंने कहा कि इस कथा पंडाल में भी साधुसंत, विद्वान, महात्मा, पुजारी, स्थानधारी सभी बैठे में मैं उन सभी को सादर प्रणाम करता हूं।


संत श्री ने बताया कि मुनि शुकदेव ने राजा पारीक्षित को शब्द दिए कि राजन ध्यान करने से भी महत्वपूर्ण है ध्यान का ध्यान रखना, चौबीसों घंटे प्रभु का ध्यान बना रहे। सूत अख्यायी कथा का सार सुनाते हुए शुकदेव जी बोले कि राजन मैं तुम्हें देवताओं का अमृत भी पिलवा सकता हूं। श्राप, मृत्यु, दुखों से बचा सकता हूं। लेकिन राजा पारीक्षित ने कहा कि मुझे न सिद्धि चाहिए न अमरत्व। यहां गंगा जी के किनारे सद्ग्रंथ और आप सामने हैं। देह त्यागने की ऐसी दिव्य जगह और कहां होगी। मैं ऐसा शुभ अवसर नहीं छोड़ना चाहता अपितु यह चाहता हूं कि मेरा शरीर यहीं छूटे। इस प्रकार शुकदेव जी ने राजा को गुहृय ज्ञान  दिया जिससे उनका अंतःकरण शुद्ध हुआ और जिज्ञासा समाप्त हो गई।


संत श्री नागर जी ने कहा कि राजा पारीक्षित को  कथा का सार यह मिला कि शरीर की मृत्यु होना मृत्यु नहीं है। मृत्यु हो जाती है पर मुक्ति नहीं होती। शरीर छूटने से पहले जिसकी गुहृय ज्ञान से मन की मृत्यु हो जाए वही पार हो सकता है। मन की मृत्यु मुक्ति है, तन की मृत्यु मुक्ति नहीं है चाहे हजार वर्ष की आयु क्यों न मिल जाए। नागर जी ने भजन के अंश सुनाए,“ माया मरी न मन मरा, मर-  मर गया शरीर।“


संत श्री नागर जी ने कहा कि कथाएं इच्छाओं को समाप्त करती हैं। उन्होंने कहा कि भक्ति की शुद्धता तभी तक रहती है जब तक कि भक्त अपने भगवान से अपनी पीड़ा,अपने कष्ट नहीं कहता। पुष्टिमार्ग की यह भी एक विधा है कि जी लेते हैं जैसा भी है, कहते नहीं किसी से। यह भाव बन जाना कि उससे भरत कहो, वह तो आनंदकंद है, वह सुनेगा तो उसे दुख होगा। यहां तो सभी अपने दुख दूर करने को तैयार बैठे हैं अपने दोष दूर करने को कोई तैयार नहीं दिखता। भगवान के समक्ष यह भी तो कभी मुख से निकालो कि मेरे दोष दूर करो। उन्होंने दृष्टिहीन कृष्ण भक्त सूरदास जी का उद्धरण बताते हुए कहा कि उनके माता पिता बचपन में ही नहीं रहे।  भाभी ने घर से भोजन की थाली पर से तिरस्कार करके निकाल दिया और मुंह का कौर तक थुकवा कर घर से निकाला पर सूरदास जी ने कभी प्रभु से शिकायत नहीं कि और कथा, भजन में लगे रहे। एक कथा में जाते हुए मार्ग में गहरे कुएं में गिर जाने पर भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं आकर लाठी का सहारा देकर उन्हें निकाला और वे पहचान गये कि प्रभु स्वयं आए हैं। तब सूरदास जी ने भगवान से जीवन में पहली बार अनोखी शिकायत की। सूरदास जी ने कहा कि मैंने अंधे होते हुए माता पिता का विछोह, परिवार का तिरस्कार, भूख प्यास, पीड़ाएं सभी भोग ली पर आपसे व्यक्त नहीं किया।   इनमें से कुछ भी मुझे भजन और कथा श्रवण से वंचित नहीं कर सका, मैंने हर क्षण गोविंद के गुण गाए। आप मेरे प्राण भी ले लीजिए पर मेरा कथा रस क्यों छुड़वा रहे हैं, मेरे कथा जाने के मार्ग में बाधाएं न आ सकें इतनी तो कृपा बनाए रखिए प्रभु। संत श्री नागर जी ने कहा कि इस कथा के सहारे अनेक लोगों का जीवन कट रहा है। कई बार मनुष्य हारने लगता है, टूट जाता है पर कथाओं से मिला ज्ञान हारे मन को संबल देता है।


सद्गुरु नागर जी ने सागर जिले में अपने अनुभवों के बारे में कहा कि सागर तो सागर जैसा ही है। यहां कथा सुनाने की मुझे याद आती है। जितनी कृष्ण भक्ति सागर में देखने को मिलती है वैसा सिर्फ वृंदावन जी में ही अनुभव होता है। सागर की कृष्ण भक्ति अद्वितीय है। मुख्य यजमान मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह के गुणों की प्रशंसा करते हुए श्री नागर जी ने कहा कि प्राचीन परंपरा है कि पुरुषार्थ करने वालों का नाम लेने से भी कृपा बनी रहती है। इस अवधि में कथा का पवित्र मनोरथ लेकर मंत्री भूपेंद्र सिंह जी यह आयोजन कर रहे हैं। व्यास गादी उन्हें सद्गुणों से सुशोभित देखती है। ऐसे यजमान बहुत कम दिखाई देते हैं। यजमान जितना सरल और गुणों से सुशोभित होता है उतना ही रस कथा में उतरता है। संत श्री नागर जी ने मंत्री भूपेंद्र सिंह को आशीर्वाद देते हुए कहा कि आप धन्य हों, आपकी आभा बनी रहे और आप ऐसे ही पुण्य कार्य करते रहें। खुरई के कथा पंडाल के व्यवस्थित और शांत वातावरण की भी सद्गुरु ने प्रशंसा की और कहा कि सन्नाटे में ही कथा का दिव्य रस बहता है।

ये रहे मोजूद

आज कथा पंडाल में भाजपा जिलाध्यक्ष गौरव सिरोठिया, मंत्री प्रतिनिधि लखन सिंह,रामनिवास माहेश्वरी, नगर पालिका अध्यक्ष नन्हींबाई अहिरवार, सागर नगरनिगम परिषद वृंदावन अहिरवार, पृथ्वी सिंह,  रश्मि सोनी, बलराम यादव, कल्लू यादव सहित गांव शहरों से पधारे हजारों महिला पुरुष श्रद्धालु शामिल हुए।



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पुस्तकालयों को सेवा प्रदाता कंपनी के रूप में नए सिरे से स्थापित करने की जरूरत: प्रो. ए. पी. सिंह▪️पुस्तकालय विज्ञान में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ

पुस्तकालयों को सेवा प्रदाता कंपनी के रूप में नए सिरे से स्थापित करने की जरूरत: प्रो. ए. पी. सिंह

▪️पुस्तकालय विज्ञान में  दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ 

सागर। राजा राममोहन राय लाइब्रेरी फाउंडेशन के महानिदेशक प्रो. ए. पी. सिंह ने कहा है कि वर्तमान दौर में पुस्तकालयों के समक्ष  कई तरह की चुनौतियां हैं. पाठकों का रुझान पुस्तकालय के प्रति लगातार कम हो रहा है. ऐसे में हमें इनकी पुर्नसंरचना की आवश्यकता है. नए कलेवर के साथ हमें एक सेवा प्रदाता कंपनी के तौर पर खुद को स्थापित करने की जरूरत है. तभी पुस्तकालय में  लोगों की आवाजाही वापस होगी.

 प्रो. सिंह डा. हरीसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय  के जवाहरलाल नेहरू केन्द्रीय पुस्तकालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय  राष्ट्रीय संगोष्ठी के उदघाटन सत्र में बीज वक्तव्य दे रहे थे. उन्होंने कहा कि अभी पुस्तकालय राज्य सूची के विषय हैं इसलिए उनका वैसा उन्नयन नहीं हो पाता. इन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए केंद्रीय सूची में लाने की जरूरत है. 

मुख्य अतिथि विधायक शैलेंद्र जैन ने कहा कि हम शीघ्र विधानसभा में प्रस्ताव लाकर मध्यप्रदेश में पुस्तकालय अधिनियम की शुरुआत का प्रयास करेंगे. पुस्तकालय किसी भी शैक्षणिक संस्थान की हृदयस्थली होते हैं. इन्हें समृद्ध करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि नई  पीढ़ी का जुड़ाव कैसे पुस्तकों के प्रति हो इस पर काम करने की जरूरत है. यह संगोष्ठी इस मायने में मील का पत्थर साबित होगी. 

संगोष्ठी का शुभारंभ सरस्वती वंदना से हुआ.  स्वागत उद्बोधन देते हुए संगोष्ठी के चेयरमैन  प्रो. इंचार्ज  डा. उमेश के. पाटिल ने संगोष्ठी की रुपरेखा प्रस्तुत की. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के पुस्तकालय विज्ञान के इतिहास में प्रथम बार इस स्तर की संगोष्ठी आयोजित हो रही है. इस विषय के छात्रों को इसका लाभ मिलेगा. अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कार्यवाहक कुलपति प्रो.वाय. एस. ठाकुर ने कहा कि  पुस्तकालयों को  अपनी सेवाओं की मार्केटिंग पर ध्यान देने की जरूरत है. डिजिटल युग के हिसाब से उन्हें अपने स्वरूप में आमूलचूल बदलाव करना होगा.


 संगोष्ठी के सचिव, डिप्टी लाइब्रेरियन डा. संजीव सराफ ने कहा कि इस संगोष्ठी का उद्देश्य  लाइब्रेरी साइंस विषय  को आज की जरूरतों के हिसाब  से  नए सिरे से  स्थापित करना है. लाइब्रेरी साइंस विषय को राष्ट्रीय क्षितिज पर स्थापित करने वाले विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. आर. जी. पराशर ने कहा कि बदलते दौर में पुस्तकालय ऑटोमेशन जरूरी है। 
कुलसचिव डॉ संतोष सहगौरा ने कहा कि प्रिन्टेड पुस्तको का अपना महत्व है, इनका स्थान कोई नहीं ले सकता। इस अवसर पर दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी के डॉ आर एन शर्मा, जीवाजी यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रति कुलपति प्रो जे एन गौतम, देवी अहिल्या विश्विद्यालय के प्राचीन गणित केंद्र के डायरेक्टर प्रो अनुपम जैन ने भी संबोधित किया।
संचालन डॉ संजीव सराफ, आभार डॉ मुकेश साहू ने किया। तकनीकी सत्रों का संचालन डॉ नीलम थापा, डॉ महेंद्र कुमार और डॉ अनुराग श्रीवास्तव ने किया।



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वेस्ट सेन्ट्रल रेल्वे मजदूर संघ सदैव कर्मचारियों के हितों की लड़ाई लड़ता रहेगा : अशोक शर्मा, महामंत्री

वेस्ट सेन्ट्रल रेल्वे मजदूर संघ सदैव कर्मचारियों के हितों की लड़ाई लड़ता रहेगा : अशोक शर्मा, महामंत्री

सागर। "कोरोना काल में जब डरी हुई दुनिया, अपने अपने घरों के अंदर थी ऐसे में मेरे रेल के जांबाज ट्रैक मेंटेनर कड़क ठंड में कई-कई किलोमीटर तक रेल पटरियों का निरीक्षण, परीक्षण व अनुरक्षण करते रहे। साथ ही रेल्वे के लाखों साथी अपने अपने काम पर थे । अपनी जान की परवाह किए बिना उन्होंने भारत की लाइफलाइन, भारतीय रेल को रुकने नहीं दिया। चाहे औषधि पहुंचाना हो, पेट्रोल डीजल की सप्लाई हो, अनाज की आपूर्ति हो, यात्रियों को ढोना हो, सारे काम रेल कर्मचारियों ने बदस्तूर किए। और बताते हुए बड़ा दुख हो रहा है कि इस दौरान हजारों रेल कर्मचारी संक्रमित होने के चलते काल-कलवित हो गए, बल्कि उनके,कई, परिवारजन भी संक्रमित होकर काल के गाल में समा गए। रेल के ट्रैक मेंटेनर साथी जो सर्दी, गर्मी, बरसात में जहरीले जंतुओं के बीच कई-कई किलोमीटर तक पटरियों का अनुरक्षण करते हैं ताकि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। सरहद पर शहीद होने वाले सिपाहियों से कहीं ज्यादा संख्या में ट्रैक पर रन ओवर हो जाते हैं, शहीद हो जाते हैं। किंतु अफसोस इतने के बावजूद भी सरकार ने हमें फ्रंटलाइन वर्कर का दर्जा नहीं दिया, शहीद का दर्जा देना तो दूर की बात है। एक तरफ बेतहासा होते निजीकरण से रेलवे की जहां गुणवत्ता कम हो रही है वहीं, यात्रियों की संरक्षा और सुरक्षा भी खतरे  के दायरे में आ रही है। एक रेल कर्मचारी जो अपना पूरा जीवन रेल की सेवा में ईमानदारी और समर्पण से लगा देता है उसके हिस्से में एनपीएस डाल दी गई है ओल्ड पेंशन स्कीम को 1 जनवरी 2004 के बाद से, समाप्त कर दिया गया है। बड़ी विषम परिस्थितियों में काम करने वाले रेल कर्मचारी पेंशन नहीं होने की स्थिति में उनके और उनके परिवार का भविष्य क्या होगा ..?? जबकि कर्मचारी की पेंशन उसके बुढ़ापे का सहारा उसकी लाठी होती है। ऐसी अनेकानेक मजदूरों की मांगों को लेकर वेस्ट सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ के झंडे तले हम लोग संघर्ष कर रहे हैं और हमें उम्मीद है कि हमारी मांगों को एक न एक दिन सरकार को मानना होगा क्योंकि यह उचित मांगे हमारा अधिकार है।" 

 रेलवे स्टेशन सागर में आयोजित पत्रकार वार्ता में वेस्ट सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ के महामंत्री एवं एनएफआईआर के असिस्टेंट जनरल सेक्रेटरी अशोक शर्मा ने व्यक्त किए । उनके साथ ही वेस्ट सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ के कार्यकारी अध्यक्ष श्री अनुज तिवारी भी मौजूद थे ज्ञात हो कि सागर उनका गृह नगर भी है। श्री तिवारी ने अपने वक्तव्य में कहा.." वेस्ट सेन्ट्रल रेल्वे मजदूर संघ सदैव कर्मचारियों के हितों की लड़ाई लड़ता आया है और आगे भी लड़ता रहेगा सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के विरोध में हमारा संघर्ष सतत चलता रहेगा।" ज्ञात हो कि कोटा अधिवेशन में पुनः निर्वाचन के बाद, श्री अशोक शर्मा एक दिन के सागर प्रवास पर आए थे। इस अवसर पर दिनांक 10.12.2022 को वेस्ट सेन्ट्रल रेल्वे मजदूर संघ की सागर शाखा ने उनका भव्य स्वागत कार्यक्रम आयोजित किया। एक जुलूस की शक्ल में ढोल नगाड़ों की आवाज के साथ रेल्वे स्टेशन सागर में स्थानीय कर्मचारियों के साथ बैठक आयोजित की गई। जिसमें विस्तार से उनकी समस्याओं को सुना गया, ज्ञापन लिए गए एवं अग्र कार्यवाही हेतु आश्वासन दिया गया।

 तत्पश्चात उक्त कर्मचारी नेता द्वय ने. सागर के बुद्धिजीवी एवं प्रतिष्ठित आमंत्रित ,पत्रकार जनों की प्रेस वार्ता को संबोधित किया एवं उपस्थित पत्रकारजनों के, प्रश्नों का जवाब दिया। इस अवसर पर स्वल्पाहार का भी आयोजन शाखा की तरफ से किया गया। कार्यक्रम में श्री मनोज जवार डिप्टी डिवीजनल सेक्रेटरी जबलपुर मंडल, सागर शाखा सचिव डॉ. मु. शमशाद, राघवेंद्र सिंह दीवान कोषाध्यक्ष, संजीव तिवारी संगठन सचिव, उपाध्यक्ष बीसी निरंजन, बी एस मीना, प्रभात रंजन, राजेन्द्र रैकवार, सहा. सचिव आर के कैन, अमित कुमार अग्रवाल, रामकेश, रविप्रकाश, राकेश शुक्ला, जसवंत, रमन साहू, रामेश्वर, महेंद्र, धर्मेंद्र, नीरज, बनीसिंह, विक्रम, संतोष, संदीप समेत विभिन्न विभागों के रेल कर्मचारीगण उपस्थित रहे। अंत में शाखा अध्यक्ष श्री एम के जैन द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया।



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श्री गणेश संस्कृत विद्यालय गढ़ाकोटा की सनातन समाज का आधार स्तम्भ : राजेन्द्र दास महाराज ▪️रसिक देव जू समाधिस्थल पर सत्संग समाज गायन में देशभर से संतों का हुआ आगमन

श्री गणेश संस्कृत विद्यालय गढ़ाकोटा की सनातन समाज का आधार स्तम्भ : राजेन्द्र दास महाराज 


▪️रसिक देव जू समाधिस्थल पर सत्संग समाज गायन में देशभर से संतों का हुआ आगमन 




गढाकोटा। गढ़ाकोटा के स्टेडियम  में चल रही श्रीमदभक्त माल कथा के पांचवें दिन कथा में श्रद्धालुजन भाव विभोर होकर कृष्ण जन्म पर नृत्य करते नजर आ रहे थे।पूज्य राजेन्द्र दास महाराज ने कई भक्तों के दृष्टांत बताते हुए भक्ति का मार्ग प्रशस्त किया।श्री गुरु बतायो धाम निष्ठा का स्वरूप है।इसलिए दास तो ऐसा मानता है कि भगवत रसिक जी बृंदाबन से कभी बाहर नही गये।बृज की प्राचीन लताएँ प्रकट हो गये।कोकिल क़ीर चकोर प्रकट हो गये।हम सबका हृदय ऐसा बन जाये कि जब बृंदाबन जाये तो वहाँ रहे ततपश्चात कही बाहर जाये भी तो हमारा चित्त बृंदाबन में ही रमा रहे।ललित मोहिनी देवी ,नरहरि स्वामी,सहित अनेक महापुरुष यहां जन्मे।महद पुरुषों का धरती पर विचरण दीन हीन जनों के कल्याणार्थ होता है।सन्त जन केवल मनुष्य नही अपितु पशु पक्षियों पर भी कृपा बरसाते है।




"बालापन से हरी भजे,जग से रहे उदास।तीर्थ आशा करत है कब आये हरिदास"वह अतीर्थ को तीर्थ और तीर्थ को सुतीर्थ बना देते है।ऐसे भगवन हरिदास सन्त आचार्य का प्रभाव होता है।रसिक भाव से कथा का श्रवण करने प्रतिदिन हजारों भक्तोँ की संख्यां बढ़ती जा रही है।मोहनदास जी निवेदन किया कि आप इस मार्ग से न जाये यहां नरभक्षी शेर रहता है इसलिए इस जंगल मे मनुष्य नही जाते है।इस पर भगवत रसिक जी ने कहा कि आप लोग भय मत खाये।भजन करने का प्रभाव सिर्फ मनुष्य नही अपितु दुष्ट से दुष्ट नरभक्षी जीव पर भी पड़ता है।

नाम जपत दशो दिशो।आप सब भजन के प्रभाव को देख लो।आज सिंह को हरी के शरणागत बनाना है।उस जमाने मे लाखों का वैभव त्यागकर गये थे।ऐसे वीतराग महापुरुष जब बृंदाबन में चलते है तो लगता है वैराग्य धारण कर देव चल रहे हो।

एक गृहस्थ ब्राह्मण भजन में लीन थे तभी एक विषधर शरीर पर लिप्त गया।भजन करते करते वह सभी जीव जंतु बापिस लौट गये।नारायण महाराज आये और बोले कि आपकी भजन ठाकुर जी को समर्पित हो गए।भगबत सेवा भजन करते समय अपनी सुधबुध खो जाना ही सच्ची भक्ति का मार्ग है। कथा सुनने में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ शामिल थी।
शाम 7 बजे से चित्र विचित्र की भजन संध्या का आयोजन किया गया।
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SAGAR: घोर लापरवाही और वित्तीय अनियमितता पर जनपद पंचायत का सहायक ग्रेड 3 सुधीर सिन्हा सस्पेंड

SAGAR:  घोर लापरवाही और वित्तीय अनियमितता पर जनपद पंचायत का सहायक ग्रेड 3 सुधीर सिन्हा सस्पेंड


सागर 9 दिसम्बर, 2022।  जनपद पंचायत सागर के पत्र के 3620 दिनांक 29.11. 2022 के साथ प्राप्त जांच प्रतिवेदन अनुसार श्री सुधीर सिन्हा सहायक ग्रेड-03 जनपद पंचायत सागर को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का पत्र क्रमांक / 608 / एफ20 / 22/5-16-20 / पंचा-2 / भोपाल दिनांक 28.11.2020 से जारी निर्देशों के अनुक्रम में जनपद पंचायत सागर के पत्र कं.1808 दिनांक 09.12.2020 के माध्यम से नवगठित नगर परिषद सुरखी में सम्मिलित ग्राम पंचायतों के खातों पर रोक लगाने व राशि आहरण न किये जाने एवं समस्त खातों को बंद करके राशि जनपद के खाते में समायोजित करने संबंधी दिये गये निर्देशों के बावजूद विघटित ग्राम पंचायतों की राशि जनपद के खाते में समायोजित न कर अनाधिकृत रूप से तत्कालीन सचिव जो अन्य ग्राम पंचायतों में पदस्थ हो चुके थे। उनके नाम का डोंगल चालू कर राशि 45,53,055/- रु.  का नियम विरुद्ध आहरण कराने, श्री सचिन दुबे तत्कालीन सचिव ग्राम पंचायत जसराज को जिला पंचायत कार्यालय द्वारा आदेश के 6165 दिनांक 23.12.2020 से निलंबित किये जाने के वावजूद निलंबित अवधि (लगभग 15 माह) का पूर्ण वेतन भुगतान करने, वर्ष 2008 के नियुक्त सचिवों को शासन के बिना नियम-निर्देशों के एरियर की राशि का भुगतान कराये जाने, ग्राम पंचायत पामाखेडी के तत्कालीन सचिव श्री राकेश दुबे का जनपद पंचायत में संवद्ध होने के वावजूद बगैर सक्षम अधिकारी की अनुमति से डोगल एक्टिवेट कर राशि राशि 20.88.177/- रु. दिनांक 20.07.2020 से 29.07.2020 तक (07 दिवस के अंतराल में) नियम विरुद्ध आहरित कराये जाने शासन की महत्वपूर्ण योजनाओं यथा- मुख्यमंत्री जन-कल्याण (संबल) योजना, करारोपण, कोर्ट केस, उपभोक्ता फोरम, विधिक सेवा शिविर आदि एवं वर्तमान में चल रही मुख्यमंत्री जन-सेवा अभियान के सौंपे गये कार्य को न कर बिना अनुमति के अनाधिकृत रुप से कार्यालय से अनुपस्थित रहने, श्रीमति अनीता ठाकुर सचिव ग्राम पंचायत मझगुवा अहीर को 01 वर्ष का अतिरिक्त समयमान वेतनमान का एरियर्स राशि लगभग 40,000/- रु. का भुगतान करने, नियम विरुद्ध 51 ग्राम पंचायत सचिवों को मनमाने तरीके से नियक्ति दिनांक से गणना कर नवीन अनमान का लाभ देने, श्री महेश सिंह सचिव ग्राम पंचायत पड़रिया को बिना सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति के निलंबन अवधि के स्वत्वों का भुगतान करने का दोषी पाया गया है। श्री सुधीर सिन्हा सहायक ग्रेड-3 का उक्त कृत्य पदीय दायित्वों एवं कर्त्तव्यों के निर्वहन में घोर लापरवाही एवं उदासीनता बरतने के साथ-साथ वरिष्ठ कार्यालय के आदेशों / निर्देशों की अवहेलना एवं घोर वित्तीय अनियमितता को प्रदर्शित करता है।
म.प्र. पंचायत सेवा (अनुशासन तथा अपील) नियम 1999 के भाग-दो : निलंबन के नियम 4 के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है। निलंबन अवधि में इनका मुख्यालय जनपद पंचायत जैसीनगर रहेगा तथा इन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता होगी।


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लाइब्रेरी प्रोफेशन बहुत महत्वपूर्ण है- प्रो प्राशर

लाइब्रेरी प्रोफेशन बहुत महत्वपूर्ण है- प्रो प्राशर

सागर। लाइब्रेरी प्रोफेशन बहुत पवित्र है, इसके माध्यम से आप शिक्षा के प्रसार में अपना योगदान दे सकते है। उक्त विचार डॉ हरीसिंह गौर विश्विद्यालय के पुस्तकालय विज्ञान विभाग के पूर्व विभाग अध्यक्ष और देश विदेश में पुस्तकालय विज्ञान के पुरोधा प्रो आर जी प्राशर का 14 साल बाद विभाग में आगमन पर कहे।उनकी उलेखनीय सेवाओं के लिए अभिनंदन  शाल, श्रीफल, पुष्गुच्छ, देकर समान भी किया गया। प्रो पराशर ने विभाग में 25 साल सेवा की है। आपके द्वारा पढ़ाये गए 100 से अधिक छात्र देश विदेश की लाइब्रेरी में उच्च पदों पर पदस्थ है। इस अवसर पर प्रो जे के मिश्रा, डॉ नीलम थापा, डॉ महेंद्र कुमार,इंदिरा गांधी टेक्निकल यूनिवर्सिटी के डिप्टी लाइब्रेरियन,डॉ घर्मेन्द्र सेंगर, सेंट्रल स्कूल के लाइब्रेरियन मनोज नेमा, डिप्टी लाइब्रेरियन संजीव सराफ, उपस्तित रहे।


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पाँच दिवसीय हार्टफुलनेस कार्यशाला का समापन

पाँच दिवसीय हार्टफुलनेस कार्यशाला का समापन 

सागर । योग शिक्षा विभाग एवं हार्टफुलनेस संस्था की पाँच दिवसीय कार्यशाला का समापन प्रो. आस्मिता गजभिए की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। प्रो. आस्मिता गजभिए ने कहा कि हार्टफुलनेस तकनीक से ध्यान का अर्थ है हृदय की गहराई में जाकर एकाग्रचित होना । योग में प्रचलित विभिन्न ध्यान की पद्धतियों में हार्टफुलनेस आधुनिक काल में योग में नवाचार है। इस पद्धति को भविष्य में संस्था द्वारा विश्वविद्यालय के योग विभाग से समझौता ज्ञापन कर इसे कौशल विकास पाठयक्रम के अंतर्गत शामिल करने का प्रयास किया जाएगा।


प्रार्थना से आत्म कल्याण और विश्व कल्याण संभव- सचिन दुबे

हार्टफुलनेस ट्रेनर सचिन दुबे ने कहा कि पृथ्वी तत्त्व में जो ऊर्जा का प्रवाह है उसे हम अपने शरीर के प्रत्येक अंग में धारण करते हुए अपने शरीर में नव प्राण का संचार करते हैं। इसके पश्चात एक प्रार्थना के माध्यम से हम आत्म कल्याण और विश्व कल्याण की भावना का प्रसार करते हैं। इससे वातावरण सकारात्मकता अनुभव करने लगते हैं जो धीरे-धीरे हमारी जीवनचर्या को व्यवस्थित बनाती जाती है।

हार्टफुलनेस ध्यान पद्वति समग्र विकास में सहायक प्रो. गणेश शंकर गिरी -


योग शिक्षा विभागाध्यक्ष प्रो. गणेश शंकर गिरी ने कहा कि योग में आई जागरूकता ने इस विषय को अनेक नई नई तकनीक और नामों से परिचित कराया है। हार्टफुलनेस उसी प्रकार की एक नवीन ध्यान पद्धति है जो व्यक्ति के समग्र विकास के लिए देश विदेश में प्रसिद्ध हो रही है। इस तकनीक के माध्यम से हम सभी अपने प्रति जागरूक होने का अवसर प्राप्त हुआ है जो हमारे जीवन का मार्ग करेगी। योग का सामान्य अर्थ ही जोड़ना है समन्वय है। हम इसी समन्वय और सहयोग की भावना से ऐसे सभी योग के अध्येताओं और संस्थाओं को विभागीय विद्यार्थीयों के मार्गदर्शन हेतु इन कार्यशालाओं का आयोजन करते रहते है ताकि सभी को ज्ञानवर्धन हो ।


आत्म निरीक्षण द्वारा सम्पूर्ण व्यक्तित्व का संयोजन संभव - डॉ. नितिन कोरपाल

डॉ. नितिन कोरपाल कहा कि योग अत्यंत गूढ़ और गहराई वाला विषय का संयोजन केवल उपाधी अर्जित करा सकता है वास्तविक ज्ञान तो विषय की अनुभूति और इसे अपनाने से प्राप्त अनुभवों से हमें मिलता है। उन्होंने कहा कि ज्ञान प्राप्त होने पर व्यक्ति आत्म निरीक्षण द्वारा स्वयं का आत्म विश्लेषण कर अपने अंदर अपरोधों को आत्म परिष्कार द्वारा शोधन कर आत्म विकास माध्यम से अपने सम्पूर्ण व्यक्तित्व का संयोजन करता है और यही योग का मुख्य लक्ष्य है। व्यक्तिव का समग्र विकास

प्रारम्भ में योगासन, प्राणायाम एवं योगिक प्रार्थनों का सामुहिक अभ्यास हुआ। स्नातक स्तर के विद्यार्थीयों ने शानदार योग प्रदर्शन किया। मिस प्राज्ञा साव के निर्देशन में मिस निहारिका ठाकुर एवं मिस मानसी मिश्रा द्वारा कृष्ण वन्दना पर नृत्य प्रस्तुत किया गया। मिस कृतज्ञा द्वारा हार्टफुलनेस पर एव कविता वाचन हुआ। सत्र का संचालन कृतज्ञा ठाकुर ने तथा आभार ज्ञापन डा० अरूण साव ने माना। हार्टफुलनेस के ट्रेनर श्री आर. के यादव, राजेन्द्र घोष, श्री संदीप शॉडिल्य, डॉ. नितिन कोरपाल, प्रज्ञा साव सहित बहुत संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे।


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नाबालिग के साथ जबरदस्ती शादी कर दुष्कर्म करने वाले को 20 साल की सजा

नाबालिग के साथ जबरदस्ती शादी कर दुष्कर्म करने वाले को 20 साल की सजा

शाजापुर। विशेष न्या‍याधीश, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम एवं चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश, शाजापुर म.प्र. द्वारा आरोपी मोहनलाल पिता शभूलाल राठौर, आयु 25 वर्ष, निवासी ग्राम सरेडी थाना खामखेडा जिला झालवाडा राजस्थान को भादवि की धारा 368 में दोषी पाते हुये 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 2,000/- रू के अर्थदण्ड  एवं भादवि की धारा 376(3) 20 वर्ष के सश्रम कारावास एवं रु. 2000 के अर्थदण्ड से दण्डित, पाक्सो एक्ट की धारा 5(j)(ii)/6 में 20 वर्ष के सश्रम कारावास और रु. 2000 के अर्थदण्ड से दण्डित, आरोपी कृपालसिंह पिता मांगीलाल जाति सोंधिया आयु 30 वर्ष निवासी ग्राम देहरीपाल थाना मोहनबडोदिया जिला शाजापुर को भादवि की धारा 363, 366(क) में दोषी पाते हुये 03-03 वर्ष का सश्रम कारावास और 2000/- रू के अर्थदण्ड, पाक्सो एक्ट की धारा 17 सहपठित धारा 5(j)(ii)/6 में 20 वर्ष के सश्रम कारावास एवं रु. 2000 के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। 
विशेष लोक अभियोजक श्री प्रतीक श्रीवास्तव, एडीपीओ शाजापुर ने बताया कि पीडिता के पिता ने दिनांक 08.04.2018 को अपनी पत्नि के साथ थाना मोहन बडोदिया में सूचना दी की उनकी लडकी ससुराल जाने का कहकर घर से कही चली गई है और ससुराल नहीं पहुंची आस-पास तलाश करने पर नहीं मिली, पुलिस द्वारा अज्ञात व्यक्ति के विरूद्ध धारा 363 में अपराध पंजीबद्ध किया। पीडिता को आरोपी मोहनलाल के कब्जे से दस्तयाब कर कथन लेखबद्ध किये गये, जिसमें पीडिता ने कथन में बताया है‍ कि आरोपी कृपाल उसे बहलाफुसलाकर आगर ले गया और एक खेत में बनी टापरी में अकेला छोडकर वापस आ गया। उसके बाद जबरदस्ती पीडिता की शादी मोहनलाल से करवा दी । आरोपी मोहनलाल ने पीडिता के साथ कई बार बलात्कार किया, बलात्कार के परिणाम स्वपरूप पीडिता गर्भवती हो गयी थी जिसके पश्‍चात बच्चाा भी हो गया। 
थाना मोहन बडोदिया के द्वारा सम्पूर्ण अनुसंधान पश्चात चालान सक्षम न्या‍यालय में प्रस्तुत किया गया था। अभियोजन की ओर से पैरवी प्रतीक श्रीवास्तव विशेष लोक अभियोजक शाजापुर द्वारा की गई। माननीय न्यायालय ने अभियोजन के द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य एवं तर्कों से सहमत होते हुये आरोपी को दण्डित किया ।



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