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पितृपक्ष के आरंभ और अंत पर ग्रहण की खगोलीय घटना : सन 2006 तथा 1978 में भी पितृपक्ष से जुड़े थे दो ग्रहण ▪️सारिका घारू

पितृपक्ष  के आरंभ और अंत पर ग्रहण की खगोलीय घटना : सन 2006 तथा 1978 में भी पितृपक्ष से जुड़े थे दो ग्रहण 

▪️सारिका घारू 


तीनबत्ती न्यूज: 04 सितम्बर, 2025

रविवार 07 सितम्‍बर को पितृपक्ष के आरंभ की पूर्णिमा पर पूर्णचंद्रग्रहण की खगोलीय घटना होने जा रही है जिसे भारत में देखा जा सकेगा । इस पूर्णचंद्रग्रहण के 15 दिवस बाद 21 सितम्‍बर को पितृमोक्ष अमावस्‍या पर आंशिक सूर्यग्रहण की घटना होगी लेकिन इसे भारत में नहीं देखा जा सकेगा । नेशनल अवार्ड प्राप्‍त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने इस बारे में जानकारी देते हुये बताया कि इस तरह वैश्विक स्‍तर पर इस साल पितृपक्ष के आरंभ और अंत दोनो तिथियों पर ग्रहण की घटना होगी ।

सारिका ने कहा कि पितृपक्ष में दो ग्रहण की इस घटना के संबंध मे सोशलमीडिया मे प्रसारित किया जा रहा है कि 122 सालों बाद पितृपक्ष की शुरूआत और अंत ग्रहण की घटना से होने जा रहे हैं । इसके लिये 122 साल पहले सन 1903 में हुये दो ग्रहणों का उदाहरण दिया जा रहा है कि तब ये ग्रहण पितृपक्ष के आंरभ और अंत मे थे। जबकि वास्‍तविक्‍ता यह है कि सन 1903 में 21 सितम्‍बर  पितृमोक्ष अमावस्‍या को तो पूर्ण सूर्यग्रहण था इसके 15 दिन बाद 06 अक्‍टूबर 1903 को आंशिक चंद्रग्रहण हुआ । लेकिन 06 अक्‍टूबर को तो शरद पूर्णिमा थी और पितृपक्ष समाप्‍त हुये 15 दिन बीत चुके थे । इस तरह 122 साल पहले हुई घटना के गलत तथ्‍य प्रस्‍तुत करके आज की स्थिति में वैज्ञानिक तथ्‍यों पर ग्रहण लगाया जा रहा है ।सारिका ने कहा कि पितृपक्ष का आंरभ और समापन पर ग्रहण की घटना कोई दुर्लभ नहीं है इसके पहले इस प्रकार की घटना वर्ष 2006 मे हुई थी जबकि पितृपक्ष के आरंभ में 07 सितंबर 2006 भाद्रपद पूर्णिमा पर आंशिकचंद्रग्रहण था जो कि भारत में दिखा भी था । इसके 15 दिन बाद पिृतमोक्ष अमावस्‍या 22 सितम्‍बर 2006 को वलयाकार सूर्यग्रहण था जो कि भारत में नहीं दिखा । 

इसके पहले 1978 में भी यह हो चुका है जबकि पितृपक्ष का आरंभ 16 सितम्‍बर 1978 को पूर्ण चंद्रग्रहण से होकर 02 अक्‍टूबर 1978 को आंशिक सूर्यग्रहण के साथ समापन हुआ था। इसके पहले भी अनेक बार यह संयोग आता रहा है ।

सारिका ने निवेदन किया कि तथ्‍यों की बिना पड़ताल करे किसी समाचार को मसालेदार बनाना वैज्ञानिक तथ्‍यों को ग्रहण लगाने के समान है । आईये अपने पूर्वजों की स्‍मृति के इस पखवाड़े को मनाये पूर्ण श्रृद्धा और वैज्ञानिक जानकारी के साथ।


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