नागपंचमी : बुंदेलखंड के महाकाल धाम ख़ेजरा में विराजे हैं नागचंद्रेश्वर भगवान
तीनबत्ती न्यूज: 27 जुलाई, 2025
सागर: नागपंचमी पर भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन की लालसा रखते हैं और उज्जैन नही जा पा रहे है तो इस कामना को सागर के समीप रिथत महाकाल धाम खैजरा
Mahakal Dham Khejra Darbar पहुंचकर पूर्ण कर सकते हैं सागर से 25 किमी दूर झांसी रोड पर बादरी के पास खेजरा दरवार महाकाल मंदिर में भगवान नागचंद्रेश्वर जी विराजमान हैं उज्जैन की प्रतिकृति के रूप में यहां 7 जुलाई 2024 में पुष्य नक्षत के दिन भगवान नागचंद्रेश्वर की प्रण प्रतिष्ठा की गई थी इस साल भी मंदिर में भक्तों के लिये भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन हो सकेगे नागपंचमी की पूर्व संध्या 28 जुलाई को भगवान नागचंद्रेश्वर के मंदिर के पट रात्रि 12 बजे खुल जाएंगे मंदिर के पट नागपंचमी पर 29 जुलाई को रात्रि 12 बजे तक दर्शन के लिए खुले रहेंगे पंडित हिमांशु तिवारी ने बताया की उज्जैन की प्रतिकृति के रूप मे यहां काल भैरव बाबा की प्ररणा भगवान नागचंद्रेश्वर की प्राण ,प्रतिठा की उनहोने बताया की भगवान नागचंद्रेश्वर की दर्शन मात्र से काल सर्प दोष पिर्तदोष दैहिक देवीक तापिक भोतिक क ई प्रकार के रोगो व बाधाओं से मुकित मिलती है भगवान नागचंद्रेश्वर महाकाल धाम खेजरा दरवार में मंदिर की तीसरी मंजिल पर प्रतिषठापित है इस साल नागपंचमी श्रावण शुक्ल पक्ष पंचमी के दिन मंदिर खुलेगा मंदिर में नागचंद्रेश्वर की वैसी ही अद्भुत प्रतिमा है।
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इस मंदिर से जुड़ी खबर पढ़े:
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ऐसा है महाकाल धाम खेजरा
उज्जैन के बाबा महाकाल मंदिर की तर्ज पर मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड अंचल के सागर में बांदरी रोड पर खेजरा धाम में हूबहू मंदिर का निर्माण हो रहा है। यह सिद्ध क्षेत्र अब महाकाल धाम खेजरा दरबार (Mahakal Dham Khejra Darbar) के नाम से प्रसिद्ध है। वैदिक दृष्टि से इसका निर्माण चल रहा है। श्रद्धालुओं की खूब भीड़ अब उमड़ती श्रावण मास में भगवान भोलेनाथ की आराधना के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी है।
1904 में हुई धाम की स्थापना, 121 साल पुराने मंदिर को 2013 से मिला भव्य स्वरूप : सिर्फ पुष्प नक्षत्र में होता है निर्माण
खैजरा धाम दरबार की स्थापना सन 1904 में ब्रह्मलीन पंडित श्री हरप्रसाद तिवारी जी द्वारा कराई गई थी उनके बाद ब्रह्मलीन पंडित श्री शिवराम तिवारी जी द्वारा संचालन किया गया। उनके बाद ब्रह्मलीन पंडित अमृत प्रसाद तिवारी जी द्वारा सन 2010 तक संचालन रहा। वर्तमान में पंडित श्री महेश तिवारी वैद्यजी द्वारा देख रेख की जा रही है। यहां पर काल भैरव एवं महाकाल की स्थापना भी पहले से है। तब मंदिर का स्वरूप बेहद छोटा था। 2013 से मंदिर निर्माण केवल पुष्य नक्षत्र में कराकर उसको विकसित किया गया, उसके बाद वर्तमान स्वरूप सबके सामने है। महाकाल की मूर्ति, प्रवेश स्थल से लेकर काफी कुछ उज्जैन की तरह हूबहू काम जनसहयोग से किया गया है। महाकाल की वैदिक मंत्रों से प्रतिष्ठा की गई है।










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