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SAGAR: सावन का महीना : श्री राधा-कृष्ण के झूले बांटे निशुल्क

SAGAR: सावन का महीना : श्री राधा-कृष्ण के झूले बांटे निशुल्क

तीनवती न्यूज : 20 अगस्त, 2023
सागर । धर्म सेवा केवल धार्मिक स्थलों पर जाकर ही नहीं होती बल्कि इसके लिए मन में अगाध श्रद्धा और दूसरों को देने का भाव होनी चाहिए। शहर के मुकेश प्रजापति पिछले चौदह वर्षों से राधा.कृष्ण के झूले निशुल्क बांटकर ऐसा ही पुनीत काम बेहद खामोशी से कर रहे हैं। उनकी कलाकारी इतनी शानदार कि झूलों की डिमांड अब प्रदेश के कई शहरों से होने लगी है। मुकेश प्रजापति पेशे से मैकेनिक हैं और शहर में ही वर्कशॉप संचालित करते हैं। हर पुनीत कार्य की प्रेरणा के पीछे कोई न कोई वजह जरूर होती है और मुकेश को सेवाभाव की प्रेरणा अपने परिजनों से ही मिली।


दो साइज के झूले

श्री प्रजापति द्वारा दो प्रकार के झूले दो साइज में बनाये गये थे पहली मंदिर साईज और दूसरी घर में पूजास्थल के हिसाब से छोटी साइज। कार्यक्रम में छोटी साइज के झूले ही ज्यादा वितरित किये गये इनकी मांग भी ज्यादा होती है। उन्होंने बताया कि इस बार भी लोगों की डिमांड के अनुसार मंदिर साइज और छोटे झूले बनाये गये हैं जिनमें बड़े झूलों की लागत एक से डेढ़ हजार रुपए के बीच आती है और इसे बनाने में भी करीब एक सप्ताह लग जाता है। झूले में लड्डू गोपाल की मूर्ति के साथ ही झूले वितरित किये गये। 


बेटियों के सम्मान में हुआ निःशुल्क झूला वितरण

रविवार को सवान के महिने में अनोखा प्रजापति परिवार भगवान कृष्ण और राधाजी की मूर्तियों के साथ झूलों का निरूशुल्क वितरण किया गया। ये झूले प्रजापति परिवार पूरे एक साल तक बनता है। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की पहल के साथ झूले वितरित किये गये। इस बार बेटी बचाओए बेटी पढ़ाओं की तर्ज पर शासन की योजनाओं को कार्यक्रम में शामिल कर प्रजापित परिवार ने एक अनूठी पहल की। उन्होंने बताया कि अगले वर्ष से केवल बेटियों को ही झूलों का वितरण किया जायेगा।


कार्यक्रम का आयोजन 20 अगस्त को भूतेश्वर मंदिर के पास दोपहर 12 बजे से शुरू हुआ जिसमें महिलाओं, पुरूषों सहित बच्चों की भीड़ रही। बच्चों ने मनमोहक झांकी सजाते हुये राधा.कृष्ण की वेशभूषा में आयोजन को चार चॉद लगाया।
मकर संक्रांति से शुरू होता है पंजीयन
मुकेश प्रजापति बताते हैं कि चूंकि झूले बनाने में समय और पैसा लगता है इसलिए वे प्रतिवर्ष करीब 100 से 150 झूले ही बना पाते हैं। झूले प्राप्त करने के लिए मकर संक्रांति के पर्व पर केवल एक दिन के लिए ही पंजीयन किया जाता है। इसके बाद सावन माह में राधा.कृष्ण के झूले पंजीयन कराने वाले लोगों तक पहुंचा दिए जाते हैं। सबसे बड़ी बात यह है श्री प्रजापति और उनकी पत्नी माया झूले निर्माण से जुड़ी सारी व्यवस्था करती हैं। मुकेश बताते हैं कि वे झूले के लिए अपने वर्कशॉप को ही निर्माण स्थल बना लेते हैं। इस दौरान उन्हें अपना काम रोकना पड़ता है लेकिन झूले बनाकर लोगों में बांटने का आनंद अलग ही है।
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