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सदगुरु म्हारे आंगना" : मुनि श्री क्षमा सागर जी समाधि दिवस पर 13 मार्च को समाधिष्ठ संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज को विनयांजलि▪️कबीर संगीत , जीवन शैली पर प्रदर्शनी, पारंपरिक वस्त्र पर चर्चा

"सदगुरु म्हारे आंगना" : मुनि श्री क्षमा सागर जी समाधि दिवस पर 13 मार्च   को समाधिष्ठ संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज को विनयांजलि
▪️कबीर संगीत , जीवन शैली पर प्रदर्शनी, पारंपरिक वस्त्र पर चर्चा

तीनबत्ती न्यूज : 11 मार्च ,2024
सागर :  मुनि श्री क्षमा सागर जी समाधि दिवस पर 13 मार्च  बुधवार को समाधिष्ठ संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज को विनयांजलि दी जावेगी। मैत्री समूह सागर के द्वारा भाग्योदय तीर्थ स्थित समाधि स्थल पर सर्वप्रथम प्रार्थना सभा का आयोजन सुबह सात बजे से किया गया है। जिसके पश्चात वर्णी भवन मोराजी मे सुबह साढे आठ बजे से विधान रखा गया है। दोपहर मे एक बजे से रात्रि दस बजे तक मोतीनगर चौराहा स्थित पद्माकर सभागार मे शाश्वत जीवन शैली प्रदर्शनी लगाई जा रही है। सायंकाल सात बजे से दस बजे तक सद्गुरू म्हारे आंगना  कबीर संगीत का आयोजन  किया जा रहा है। मैत्री समूह सागर से जुडे  राकेश जैन चच्चा, विवेक सिंघई, अमित चौधरी, सपना चौधरी, अर्पिता सिंघई, मनोज जैन, शशांक जैन ने पत्रकारो से चर्चा के दौरान बताया कि सागर में जन्में मुनि श्री क्षमासागर जी महाराज जी की समाधि १३ मार्च २०१५ को सागर में ही हुयी। १८ फरवरी २०२४ को उनके गुरु आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी की समाधि हुयी है। ऐसे गुरुओं को विनयांजलि देने और उनके आत्मीय स्मरण हेतु "सदगुरु म्हारे आंगना" कार्यक्रम का आयोजन मैत्री समूह, दिगम्बर जैन- समाज और अन्य सहयोगियों के साथ किया जा रहा है।

गुरु भक्ति पर केंद्रित होगा आयोजन


उन्होने बताया कि मुनि श्री के दसवे समाधि दिवस पर गुरू भक्ति पर केंद्रित कबीर संगीत मे  मालवाचंल के कालूराम बामनिया  को हाल ही मे पदमश्री राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया गया है।  वही अंतरराष्ट्रीय गायक अरूण गोयल  भी कबीर के जीवंत मौखिक परम्परा का हिस्सा है। उन्होने बताया कि दोपहर मे जैविक खेती और शहरी किचन गार्डन पर कार्यशाला रखी गई है। जैविक खेती और गौ पालन पर छतरपुर के गांधी आश्रम से दमयंती बहन का व्याख्यान होगा। मिलेटस के स्वास्थ्य लाभ और मिलेटस को बनाने के सही तरीके पर कार्यशाला मे उदयपुर के रोहित जैन जानकारी देगे। जल संवर्धन और वर्षा जल संरक्षण पर बडवानी के रहमत भाई तकनीक सामने रखेगे।  इस अवसर पर ही अमूर्त शिल्पी,समकालीन साहित्य और मुनिश्री क्षमासागर जी, शंका समाधान पुस्तको का विमोचन किया जावेगा। संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी  महाराज के समता पूर्वक समाधि पर भावपूर्ण विनयांजलि सभा मे इंदौर के वरिष्ठ पत्रकार चिन्मय मिश्र भारतीय पारंपरिक वस्त्र  और आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से चर्चा पर 
 वक्तव्य रखेगे।



पद्मश्री कालूराम बामनिया की होगी प्रस्तुति
श्री कालूराम बामनिया मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में उनके संगीत में अनेक भक्ति कवियों की ध्वनि और भावना का संगम है। उन्होंने 9 साल की उम्र में ही अपने पिता, दादा और चाचा के साथ मंजीरा सीखना शुरू कर दिया था। जब वे 13 वर्ष के थे, तब वे घर छोड़ कर राजस्थान चले गये जहाँ उन्होंने 2 वर्षों के लिए भ्रमणशील मिरासी गायक राम निवास राव के गीतों की एक विस्तृत सूची को समाहित किया। हाल ही में उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।
श्री अरुण गोयल एक प्रख्यात अंतरराष्ट्रीय गायक हैं, जो कबीर और अन्य भक्ति कवियों के गीतों को गाते हैं और मालवा, मध्य प्रदेश में कबीर के जीवंत मौखिक परंपरा का हिस्सा हैं। वह कबीर को बेहद सुंदर ढंग से समझाते हैं। वे वर्तमान में इंदौर में निवास कर रहे हैं। उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

शाश्वत जीवन शैली प्रदर्शनी

आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज का कहना था इंडिया को भारत बनाना है पर भारत सिर्फ नाम कहने से काम नहीं चलेगा, भारत के नाम में जो भा है वह ज्ञान है उसे हमें वापस जीवन में लाना है इस भारतीय ज्ञान को जो लोग आम जन तक लाने में लगे हैं, उन लोगों से बातचीत और उनके कार्यों की प्रदर्शनी है शाश्वत जीवन शैली प्रदर्शनी। यह प्रदर्शनी दोपहर 01 बजे से रात्रि 10 बजे तक सभी के लिए ओपन रहेगी है। प्रदर्शनी में कार्यशाला होगी और पुस्तकें होंगी।

 जैविक खेती और शहरी किचन गार्डन पर कार्यशाला -1:00 से 2:00 बजे

देसी बीज : आजादी से पहले देश में 2 लाख तरह के चावल थे उसमें से आज कुछ 2000 तरह के चावल ही बचे हैं बाकी 99% चावल किस्में विलुप्त हो गई। अभी बची किस्मों को बचाने के लिए महेश शर्मा जी जैसे कुछ लोगों ने अपना जीवन लगा रखा है, उन्ही में से कुछ 400 तरह के देसी चावल और मोटे अनाज (मिलेट्स) की प्रदर्शनी जन स्वास्थ्य सहयोग संस्था के माध्यम से

महेश शर्मा जी सन 2003 से "जन स्वास्थ्य सहयोग" बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के साथ 70 गांवो में बैगा आदिवासियों के साथ काम करते है इसके साथ ही 100 बेड का अस्पताल भी गनियारी में है जहा वहा के ओ पी डी मे रोज 250 से 300 मरीज आते है जिन्हे दवाई के साथ जैविक खेती ओर मोटे अनाज (मिलेट्स) उगाने और खाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। संस्था ने वहा के 400 देसी विलुप्त होते धान के बीजों को भी संरक्षित किया है। महेश शर्मा जी 2017 से अनुपपुर के पास एक गाव में अपनी स्वयं की जमीन पर कोदो, कुटकी, रागी की सफल खेती कर रहे है और दूसरे किसानों को भी इन मिलेट्स की खेती के लिए तैयार कर रहे है।
▪️जैविक खेती और गौ पालन: छतरपुर के गांधी आश्रम से दमयंती बहन से जैविक खेती, देसी किचन गार्डन के बारे में जानेंगे।

▪️ मिलेट्स के स्वास्थय लाभ और मिलेट्स को बनाने के सही तरीके पर कार्यशाला-2:00 से 3:00 बजे उदयपुर के बेनीयन रुट्स के रोहित जैन से जानेंगे मिलेट्स और मेडिसिन फ्री लाइफ के बारे में जानेंगे।
▪️ आत्मीय स्मृतियां- आचार्यश्री विद्यासागर जी पर वक्तव्य दोपहर 3 बजे 5 बजे तक

▪️भारतीय पारंपरिक वस्त्र और आचार्य श्री विद्यासागर जी से चर्चा पर चिन्मय मिश्र जी का व्याख्यान

 देसीकपास हमारे देश में कई लोग देसी कपास के सूत के कपड़े के उद्योग से जुड़े थे। कपड़ा ऐसा था जो शरीर और
पर्यावरण दोनो के लिए अच्छा था, इसीलिए आचार्थी ने हथकरघा पर जोर दिया। उन्ही कपड़ों के सुताई, बुनाई, प्राकृतिक रंगाई और छपाई को ले कर हमारे देश में 30 वर्षों से कार्य कर रहे चिन्मय मिश्र  से जानेंगे कपड़े की कहानी उन्ही की जुबानी। 
श्री चिन्मय मिश्र  इंदौर में वरिष्ठ पत्रकार हैं। वर्तमान में विनोबा भावे द्वारा सन 1936 में स्थापित, ग्राम
सेवा मंडल, गोपुरी, वर्धा के अध्यक्ष हैं। वह नर्मदा आंदोलन जैसे क्षेत्र के विभिन्न सामाजिक आंदोलनों से निकटता से जुड़े रहे हैं। वह सर्वोदय प्रेस के कार्यकारी संपादक रहे हैं और राज्य में सर्वोदय मंडल के प्रमुख हैं। वह दैनिक समाचार पत्रों में उभरते मुद्दों पर नियमित रूप से लिखते हैं। मध्यप्रदेश आदिवासी लोक कला अकादमी के लिए वर्ष 1991 से लोक एवं आदिवासी कलाओं के क्षेत्र में कार्य किया है। भारतीय पारंपरिक वस्त्र परंपरा पर 10 वर्षों तक संकलन और 300 केंद्रों का अध्ययन कर "अंकन" और "तंतुजा" जैसी भारतीय पारंपरिक वस्त्र की छपाई और बुनाई पर पुस्तक लिखी।

▪️जल संवर्धन और वर्षा जल सरक्षण पर कार्यशाला-5:00 से 6:00 बजे

आचार्य श्री हमेशा जल संवर्धन के लिए कहते थे, उनका कहना था भारत में नदियों को लोग इसलिए पूजते हैं क्योंकि वह निरंतर बहती है तो उसका पानी शुद्ध रहता है और वह जन कल्याण करती है, पर आज नदिया सूखती जा रही और जो बची है वो प्रदूषित हो चुकी है। नर्मदा नदी के पानी के जल संवर्धन पर कार्य करें बड़वानी - से मंथन अध्यन केंद्र के रहमत भाई से जानेंगे जल संवर्धन की तकनीक।
▪️ भारतीय ज्ञान पर छपी कई दुर्लभ किताबो को ले कर आ रहे है इंदौर से बेनीयन ट्री पब्लिकेशन

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एडिटर: विनोद आर्य
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+91 94244 37885

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