राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष: सागर नगर में हुआ ऐतिहासिक एकत्रीकरण कार्यक्रम
▪️शहर के चार स्थानों से निकला पथ संचलन, नगर में जगह जगह पुष्पवर्षा कर किया स्वागत
तीनबत्ती न्यूज: 16 नवंबर, 2025
सागर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में रविवार को सागर नगर का ऐतिहासिक एकत्रीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस तारतम्य में विशाल पथ संचलन निकाला गया। घोष की धुन पर नगर के चार प्रमुख स्थानों वृन्दावन बाग मंदिर, मोराजी स्कूल, सरस्वती गार्डन मोतीनगर और कजलीवन मैदान सदर से चार धाराओं में पथ संचलन निकला। जो कटरा में एकत्र हुए और वहां से दो धाराओं में कोतवाली से होकर एलीवेटेड कारीडोर होते हुए सिटी स्टेडियम पहुंचा वहीं दूसरी धारा में स्वयंसेवक परकोटा, बस स्टेंड होते हुए सिटी स्टेडियम पहुंचे। जहां पर एकत्रीकरण के साथ मुख्य कार्यक्रम का आयोजन हुआ। नगर में पूर्ण गणवेश में जब स्वयंसेवक घोष की धुन पर एकसाथ कदमताल करते हुए अलग अलग मार्गो से निकले तो लोगों ने उनके ऊपर पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। गौरतलब है कि पथ संचलन कार्यक्रम में सागर नगर के आठ उपनगरों से करीब 45 बस्तियों के 2800 स्वयं सेवकों ने भाग लिया।
चार स्थानों से निकला विशाल पथ संचलन
सागर नगर के विशाल एकत्रीकरण और पथ संचलन कार्यक्रम में नगर के चार प्रमुख स्थानों से पथ संचलन निकाला गया। पथ संचलन में वृन्दावन बाग मंदिर प्रांगण से शुरू होकर स्वयं सेवक कृष्णगंज, शनीचरी, होते हुए कटरा पुलिस चौकी पहुंचे, वहीं कजलीवन मैदान से पथ संचलन शनिदेव मंदिर, भगवानगंज, राधा तिराहा होते हुए कटरा पहुंचा। वहीं पथ संचलन की तीसरी टोली मोराजी स्कूल से शुरू होकर सराफा बाजार, रामपुरा, विजय टाकीज चौराहा होकर कटरा पहुंची, वहीं सरस्वती गार्डन से एकत्र होकर टोली बड़ी माता मंदिर, विजय टॉकीज होते हुए कटरा पहुंची।
कटरा में चारों पथ संचलनों का संगम हुआ जो तीनबत्ती तक साथ चलकर पुन: यह पथ संचलन दो धाराओं में विभाजित होकर एक धारा तीनबत्ती, परकोटा होते हुए सिटी स्टेडियम पहुंची, वहीं दूसरी धारा तीनबत्ती से कोतवाली और एलेविटेड कारीडोर होते हुए सिटी स्टेडियम पहुंची। पथ संचलनों का जगह जगह पुष्पवर्षा करके स्वागत किया गया। सिटी स्टेडियम में पथ संचलन का एकत्रीकरण होकर समापन हुआ। यहां पर पूर्ण गणवेश में आए स्वयंसेवकों का शारीरिक प्रकट कार्यक्रम का आयोजन हुआ। सिटी स्टेडियम में आयोजित शारीरिक प्रगट कार्यक्रम में स्वयंसेवकों द्वारा समता, दंड, योगासन, सामूहिक व्यायाम, घोष प्रदर्शन किया।
बलिदानियों के बलिदान का सम्मान करें- ज्ञानी रंजीत सिंह
शारीरिक प्रकट कार्यक्रम के उपरांत बौद्विक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ज्ञानी रंजीत सिंह ग्रंथी गुरूद्वारा सरदार कॉलोनी व माननीय विभाग संघ चालक डॉ. गौरीशंकर चौबे रहे। नगर संघ चालक सुभाष कंडया , मुख्य वक्ता श्री बृजकांत जी प्रांत प्रचारक महाकौशल प्रांत रहे। मुख्य अतिथि ज्ञानी रंजीत सिंह जी ने अपने उद़बोधन में गुरू तेगबहादुर के बलिदान के संस्मरण सुनाए। उन्होंने बताया कि किस तरह से बलिदान देकर हमारे महान गुरूओं ने हिंदु धर्म की रक्षा की है। उन्होंने बताया कि जब औरंगजेब के जुल्म बढ़ गए तो फिर यह बात सामने आई कि अब कौन अपना बलिदान देगा, इस पर तेग बहादुर जी के पुत्र ने कहा कि पिताजी आपसे अच्छा बलिदानी कोई नहीं हो सकता, अपने पुत्र के वचनों को सुनकर गुरू तेगबहादुर अपने दो साथियों के साथ अपना बलिदान दिया। यह बलिदान हमें आज भी राष्ट्र प्रेम और हिंदु धर्म की रक्षा के लिए प्रेरित करता है। उन्होंने अपने कई संस्मरणों को सुनाते हुए धर्म की रक्षा करते हुए बलिदानियों के बलिदान दिवसों को सम्मान पूर्वक मनाने और सहभागिता करने की बात कही।
सामाजिक समसरता व कुटुम्ब प्रबोधन जीवन के प्रमुख सूत्र- बृजकांत जी
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रांत प्रचारक महाकौशल प्रांत ने अपने उद्बोधन में गुरू तेगबहादुर जी के 350 वें बलिदान दिवस और भगवान बिरसा मुंडा जी की 150 वी जयंती पर प्रकाश डाला। इस दौरान मंच पर भी इन महापुरूषों के चित्र लगाए गए थे। बृजकांत जी ने अपने उद्बोधन में सबसे पहले मातृशक्ति की महत्ता बताई। उन्होंने कहा कि संघ में जिस तरह से स्वयंसेवक का स्थान है, उससे उच्च स्थान मातृशक्ति का भी है। मातृशक्ति ही वह कड़ी है जो परिवार के अपने दायित्वों का सम्हालते हुए स्वयंसेवक को उसकी राष्ट्र निर्माण में भूमिका को मजबूत करने में अपनी मुख्य भूमिका निभाती है। बृजकांत जी ने कहा कि संघ पर बार-बार तत्कालीन सरकारों ने प्रतिबंध लगाए लेकिन इसके बाद भी संघ ने लगातार प्रगति की और वर्तमान में समाज के विविध क्षेत्रों में संघ के 46 अनुशांसिक संगठन कार्य कर रहे हैं।
बृजकांत जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि कुटुम्ब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समरसता, स्व (स्वदेशी) का बोध, नागरिक कर्तव्य पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सामाजिक समरसता और कुटुम्ब प्रबोधन मुख्य रूप से आवश्यक है। उन्होंने मातृशक्ति से अपने बच्चों को शिक्षित के साथ संस्कारित करने और अपने मूल्यों से जोडऩे की बात कही। श्री बृजकांत जी ने कहा कि हिंदू वह है जो अपने धर्म का संस्कृति का पालन करे, अपनी संस्कृति का पालन करे और अपने कर्तव्य का पालन करे।
कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन नगर कार्यवाह जीवन जी उपाध्याय द्वारा किया गया। इस दौरान सैकड़ों लोग व मातृशक्ति उपस्थित थे।
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