Editor: Vinod Arya | 94244 37885

गौर उत्सव : संबद्ध महाविद्यालयों का सांस्कृतिक कार्यक्रम : ऐतिहासिक रक्तदान शिविर का आयोजन ▪️डॉ. गौर का मानना था कि आधुनिक शिक्षा को अपनाए बिना समाज का विकास संभव नहीं : पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह

गौर उत्सव : संबद्ध महाविद्यालयों का सांस्कृतिक कार्यक्रम : ऐतिहासिक रक्तदान शिविर का आयोजन

▪️डॉ. गौर का मानना था कि आधुनिक शिक्षा को अपनाए बिना समाज का विकास संभव नहीं : पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह


तीनबत्ती न्यूज: 21 नवंबर, 2025

सागर । डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के संस्थापक महान शिक्षाविद् एवं प्रख्यात विधिवेत्ता, संविधान सभा के सदस्य एवं दानवीर डॉ. सर हरीसिंह गौर के 156वें जन्म दिवस के उपलक्ष्य में दिनांक 19 नवंबर से 26 नवंबर तक ‘गौर उत्सव’ 2025 का आयोजन किया जा रहा है । गौर उत्सव कार्यक्रम में अंतर्गत विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों का सांस्कृतिक कार्यक्रम स्वर्ण जयंती सभागार में आयोजित किया गया । कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वाय. एस ठाकुर ने अध्यक्षता की एवं मुख्य अतिथि पूर्व गृहमंत्री विधायक भूपेंद्र सिंह ठाकुर, गौर उत्सव समन्वयक प्रो. आशीष वर्मा, डॉ. एन.पी सिंह, डॉ. आशीष पटेरिया एवं विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. एस पी उपाध्याय  मंचासीन थे । 


कुलपति प्रो. वाय एस ठाकुर ने सभी संबद्ध महाविद्यालयों से पधारे विद्यार्थियों का स्वागत करते हुए युवाओं की भूमिका, एन सी सी के महत्व तथा उद्यमिता को बढ़ावा देने पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि युवा शक्ति ही देश के विकास की सबसे बड़ी आधारशिला है और यदि युवाओं को सही दिशा, अनुशासन और अवसर मिले तो भारत विश्व पटल पर और अधिक मजबूती से उभरेगा। कुलपति ने अपने संबोधन में कहा कि नेशनल कैडेट कोर केवल एक प्रशिक्षण इकाई नहीं है, बल्कि यह युवाओं में अनुशासन, नेतृत्व क्षमता, देशभक्ति और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना विकसित करने का सशक्त माध्यम है। 

_____________

वीडियो देखने क्लिक करे

सागर: मस्जिंद की जमीन पर खुदाई में निकली भगवान की मूर्तिया

________________


दान से स्थापित एशिया का पहला विवि: भूपेंद्र सिंह


कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक  भूपेंद्र सिंह ने बताया कि पूरे एशिया में ऐसा केवल एक विश्वविद्यालय है जो किसी एक व्यक्ति के दान से स्थापित हुआ है। वह व्यक्ति थे डॉ. हरिसिंह गौर, जिन्होंने शिक्षा के महत्व को समझते हुए इस महान विश्वविद्यालय की स्थापना की। वे न केवल एक उत्कृष्ट शिक्षाविद थे बल्कि विधि के महान ज्ञाता भी थे। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति और नागपुर विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में भी सेवा दी। उन्होंने बताया कि उस समय इस विश्वविद्यालय में जो विषय संचालित होते थे, वे भारत की किसी अन्य यूनिवर्सिटी में नहीं पढ़ाए जाते थे। उस समय विश्वविद्यालय से 160 संबद्ध कॉलेज जुड़े हुए थे। क्रिमिनोलॉजी और फार्मेसी जैसे विषय उस समय देश की किसी अन्य यूनिवर्सिटी में उपलब्ध नहीं थे। वहीं लगभग 25 प्रतिशत छात्र विदेशी हुआ करते थे, जो इस विश्वविद्यालय की अंतरराष्ट्रीय पहचान को दर्शाता है। उन्होंने अपने छात्र जीवन को याद करते हुए बताया कि वे वर्ष 1978 में छात्र राजनीति में आए थे। उस समय विश्वविद्यालय में लगभग 15,000 छात्र अध्ययनरत थे और वे छात्रसंघ के कई पदों पर रहे। 



छात्र जीवन में जेल गए

उन्होंने यह भी साझा किया कि प्रथम वर्ष के छात्र रहते हुए उन्हें 15 दिन जेल जाना पड़ा और बाद में उन्हें पूरे 9 महीने तक जेल में रहना पड़ा। उन्होंने कहा कि यदि डॉ. गौर चाहते तो वे यह विश्वविद्यालय दिल्ली जैसे बड़े शहर में भी स्थापित कर सकते थे, लेकिन उन्होंने अपनी जन्मभूमि सागर को चुना ताकि अपने क्षेत्र के लोगों को शिक्षित कर सकें। वे जानते थे कि हर माता-पिता अपने बच्चों को बाहर भेजने में सक्षम नहीं होते, इसलिए उन्होंने स्थानीय स्तर पर उच्च शिक्षा का सशक्त केंद्र विकसित किया। डॉ. गौर का यह योगदान अतुलनीय है। उन्होंने यह इच्छा भी प्रकट की कि डॉ. गौर विश्वविद्यालय के लिए स्पष्ट बायलॉज बनाए जाएं और मध्यप्रदेश के छात्रों को आरक्षण का लाभ मिले। साथ ही उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का कुलपति स्थानीय होना चाहिए, जो यहां जन्मा हो और डॉ. गौर की भावना को सही रूप में समझ सके। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इस विश्वविद्यालय को बधाई नृत्य में पूरी दुनिया में प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ था, जो अत्यंत गर्व की बात है। डॉ. गौर का मानना था कि आधुनिक शिक्षा को अपनाए बिना समाज का विकास संभव नहीं है। यदि हम उनके विचारों को अपने जीवन में अपनाएं तो निश्चित रूप से सफलता प्राप्त कर सकते हैं।



उन्होंने गर्वपूर्वक बताया कि स्टैनफोर्ड की जारी सूची में विश्वविद्यालय के 11 शिक्षक शामिल हैं, जो हम सभी के लिए सम्मान और गौरव का विषय है। उन्होंने ऐतिहासिक योगदानों का उल्लेख करते हुए बताया कि जब भारत में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना नहीं हुई थी, तब डॉ. गौर ने इसकी आवश्यकता पर आवाज उठाई, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट की स्थापना संभव हो सकी। महिलाओं को वकालत का अधिकार भी डॉ. गौर के प्रयासों से ही 1923 में प्राप्त हुआ। डॉ. गौर ने डाक टिकट छापने का प्रस्ताव रखा, जिसके परिणामस्वरूप नासिक में पहली डाक टिकट छपाई के लिए डाकखाने की स्थापना की गई। अंत में उन्होंने सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभावों पर भी प्रकाश डाला और बताया कि किस तरह लोग भ्रामक जानकारी का शिकार बन जाते हैं, जिससे समाज में भ्रम और गलतफहमी फैलती है। 




सांस्कृतिक कार्यक्रम में टाइम्स कॉलेज, दमोह ने कृष्ण रासलीला, आर एल एम कॉलेज, खुरई ने समूह नृत्य, पं बृजकिशोर पटैरिया महाविद्यालय मालथौन ने बस्तर नृत्य, विद्यादेवी आर्केस्ट्रा कॉलेज जुनारादेव ने लोकनृत्य (ग्रुप डांस), सुन्दरलाल श्रीवास्तव कॉलेज मकरोनिया ने समूह नृत्य, ठा. फेरन सिंह कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय शाहपुर ने समूह नृत्य, ऐरीसेन्ट कॉलेज ऑफ ऐजूकेशन बीना ने नृत्य (नारी शक्ति), लिटिलस्टेप कॉलेज ऑफ साइंस एण्ड टक्नोलॉजी बोरगांव सौसर ने मराठी नृत्य (चंदा), ओमश्री महाविद्यालय सागर ने सेमीक्लासीकल फ्री स्टाईल डांस, पं बीबीएम कॉलेज बीना ने ग्रुप डांस, टाइम्स कॉलेज दमोह ने सामूहिक नृत्य, आर एल एम कॉलेज खुरई ने एकल नृत्य (समूह), पं वृजकिशोर पटैरिया महाविद्यालय. मालथौन ने स्किट (मोबाइल से दूरी), लिटिलस्टेप कॉलेज ऑफ साइंस एण्ड टक्नोलॉजी बोरगांव सौसर ने हिन्दी ग्रुप डांस, पं बृजकिशोर पटैरिया महाविद्यालय, मालथौन ने बधाई नृत्य आदि महाविद्यालयों द्वारा मनमोहक प्रस्तुति दी है । कार्यक्रम का संचालन प्राचार्य डॉ. अवनीश मिश्रा ने किया एवं आभार डॉ. अजय श्रीवास्तव ने व्यक्त किया । इस अवसर पर विश्वविद्यालय के संबद्ध महाविद्यालयों के शिक्षक, अधिकारी कर्मचारियों सहित नगर के गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे ।

विश्वविद्यालय में 156वीं गौर जयंती पर ऐतिहासिक रक्तदान शिविर का भव्य आयोजन



156वीं गौर जयंती के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय स्वास्थ्य केंद्र द्वारा प्रथम बार एक विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता माननीय कुलपति प्रो. वाय.एस. ठाकुर ने की तथा विशिष्ट अतिथि गृहमंत्री एवं खुरई विधायक श्री भूपेंद्र सिंह रहे। शिविर के मुख्य संयोजक विश्वविद्यालय के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अभिषेक कुमार जैन रहे। उनके साथ डॉ. किरण माहेश्वरी, डॉ. भूपेंद्र कुमार पटेल एवं विश्वविद्यालय का स्वास्थ्य विभाग सक्रिय भूमिका में रहा।

नई ऊँचाइयाँ—156 यूनिट रक्त संग्रह

विश्वविद्यालय परिवार ने मिलकर 156 यूनिट जो दोपहर 2:00 बजे ही पूर्ण हो गया रक्त संग्रहित कर डॉ. हरीसिंह गौर को श्रद्धा-सुमन अर्पित किए, जो 156वीं जयंती का विशेष प्रतीक रहा। रक्तदान शिविर में व्यापक सहभागिता करते हुए डॉ. जैन ने बताया इस शिविर में विश्वविद्यालय के शिक्षकों, अधिकारियों, कर्मचारियों तथा छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक रक्तदान किया। विशेष रूप से छात्राओं की सहभागिता सर्वाधिक रही, जिसने इस आयोजन को अनूठी ऊर्जा प्रदान की। कार्यक्रम में यह भी प्रस्ताव रखा गया कि गौर जयंती पर प्रतिवर्ष रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाए, ताकि समाज सेवा की यह श्रृंखला निरंतर जारी रहे।

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अनेक वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे, जिसमें गौर जयंती मुख्य समन्वयक प्रो. आशीष वर्मा एवं उप समन्वय प्रो. यूके पाटिल, प्रॉक्टर श्रीमती चंदाबेन, प्रभारी वित्त अधिकारी श्री हिमांशु पांडे, प्रो. मनवेंद्र पहावा, श्रीमती अस्मिता, श्रीमती संध्या पटेल, श्रीमती रेखा गर्ग सोलंकी, क्षेत्रीय स्वास्थ्य संचालक श्रीमती नीना गिडियन, मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी ममता तिमोरी, संयुक्त  संचालक स्वास्थ्य श्रीमती सुशीला यादव, रक्तबीर समीर जैन सभी ने रक्तदान शिविर के सफल आयोजन की प्रशंसा करते हुए इसे विश्वविद्यालय की मानवीय संवेदनाओं का प्रतीक बताया।शिविर में चिकित्सा सहयोग हेतु बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के डॉ. अमर गंगवानी,जिला अस्पताल के डॉ. महेश जैन एवं उनकी टीम उपस्थित रहे। विश्वविद्यालय स्वास्थ्य केंद्र से अरुण सारोठिया जयप्रकाश श्रीमती छोटी लोधी, वंदना, ममता प्रमोद, दुर्गेश, अर्जुन रैकवार तथा श्री भगत सिंह का विशेष सहयोग रहा, जिनके योगदान से शिविर सुचारु रूप से संचालित हुआ।

रक्तदान समाज सेवा का सर्वोच्च दान 

पूर्व गृहमंत्री  भूपेंद्र सिंह ने कहा कि “रक्तदान समाज सेवा का सर्वोच्च दान है। जिस प्रकार हम वृद्ध जनों की सेवा को पुण्य मानते हैं, उसी प्रकार रक्तदान भी मानवता के लिए अनमोल योगदान है।” उन्होंने बताया कि उनके कार्यालय में भी रक्त सुविधा हेतु विशेष केंद्र संचालित होता है तथा वे स्वयं निरंतर रक्तदान शिविरों से जुड़े रहते हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय की इस पहल की सराहना की और भविष्य में सहयोग देने का आश्वासन भी दिया।


 कुलपति प्रो. वाय एस. ठाकुर ने कहा कि रक्तदान जीवनदान है। विश्वविद्यालय न केवल शिक्षा का केंद्र है बल्कि समाज सेवा के नए मानक स्थापित करने का भी माध्यम है। उन्होंने घोषणा की कि हर वर्ष गौर जयंती पर रक्तदान शिविर आयोजित किया जाएगा, ताकि यह परंपरा लगातार आगे बढ़ती रहे। विश्वविद्यालय का यह 156वीं गौर जयंती रक्तदान शिविर मानवता, सेवा और सामाजिक उत्तरदायित्व का प्रेरक उदाहरण बनकर इतिहास में दर्ज हो गया। शाम 5:00 बजे तक कुल रक्त संग्रह 175 यूनिट हुआ जो जिला अस्पताल के ब्लड बैंक भेजा गया है जिससे जरूरतमंदों का इलाज किया जा सके ।

कुलपति को डॉ. गोर साहब का छायाचित्र किया भेंट


भूपेंद्र सिंह गौर मूर्ति मित्र मंडली की तरफ से डॉक्टर हरी सिंह गौर विश्वविद्यालय के कुलपति को डॉ. गौर साहब की का छायाचित्र भेंट किया साथ में भूपेंद्र सिंह विधायक खुरई एवं राकेश चौबे, बापू दुबे, श्याम दुबे, शरद जैन, सुरेंद्र तिवारी, जितेंद्र राजपूत, संजू केसरवानी, देव कुमार तिवारी  देवेंद्र परिहार, और प्रेम नारायण पूर्वी शुभम प्रतीक सहित आमजन उपस्थित रहे ।

______________

 _______________


____________________________

___________
Editor: Vinod Arya
संपादक :विनोद आर्य
________
+91 94244 37885
________
तीनबत्ती न्यूज़. कॉम की खबरे पढ़ने   सोशल मीडिया प्लेटफार्म से जुड़ने  लाईक / फॉलो करे




Share:

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

www.Teenbattinews.com

Archive