स्वदेशी व्यापार , स्वदेशी उपहार एवं स्वदेशी
त्योहार ही स्वदेशी अभियान का संकल्प: विनोद नेमा
सागर। देश को आत्मनिर्भर बनाने में स्वदेशी अभियान की अहम भूमिका है। वर्तमान हालातो में इसकी जरूरत है। यह बात महाकोशल प्रांत के स्वदेशी अभियान के संयोजक विनोद नेमा और सागर के सुशील भार्गव ने आज मीडिया से चर्चा में कही।
उन्होंने बताया कि स्वतंत्रता और स्वाभिमान का आधार आत्मनिर्भरता है। वर्तमान में भारत एवं पूरा विश्व कोरोनावायरस महामारी केसंकटकाल से गुजर रहा है। चीन के पूरे विश्व में एकाधिकार स्थापित करने के प्रयासों से जो परिस्थितियां निर्मित हुई है, आज उसने पूरे विश्व को सोचने पर मजबूर कर दिया है। जहां एक तरफ कोरोना के संकट से पूरा विश्व जूझ रहा है, वही भारत भी अपनी राष्ट्र की सीमाओं के अंदर कोरोना वायरस से जूझने में लगा हुआ था। उसी समय चीन ने हमारी सीमाओं पर अतिक्रमण करने का दुस्साहस किया। उसके इस दुस्साहस का प्रमुख आधार हमारे कुछ क्षेत्रों में चीन आधारित निर्भरता जिसमें दवाओं के आवश्यक घटक, मूल तत्व (API) तथा हमारे स्वास्थ्य क्षेत्र में लगने वाली अति आवश्यक बहुत छोटी-छोटी चीजें जैसे ग्लवस, सर्जिकल मास्क, पी पीई किट का चीन से आयात होना जिसमें पी पीई किट जैसी चीजों की आवश्यकता तो हमारी शत-प्रतिशत चीन पर ही निर्भर थी। इसके अतिरिक्त
वेंटीलेटर जैसे महत्वपूर्ण मेडिकल उपकरणों पर भारत विदेशों पर आश्रित था। चीन की सोची समझी रणनीति के अंतर्गत उसने भारत की सीमाओं पर दबाव बढ़ाया। भारत अपने राष्ट्रवासियों के स्वास्थ्य की समस्याओं में उलझा हुआ था उसी समयसीमा पर आकर हमसे संघर्ष करने के लिए खड़ा हुआ। चीन ने इस अवसर पर अपनी विस्तारवादी नीति को लागू करने का
प्रयास किया परंतु हमारे राष्ट्र के जागरूक, सक्षम नेतृत्व ने न सिर्फ राष्ट्र के अंदर की सारी समस्याओं से संघर्ष करते हुए दोतीन माह के अंदर बड़े स्तर पर तैयारी कर भारत को अनेक क्षेत्रों में तत्काल आत्मनिर्भर बनाने की स्थिति में लाकर खड़ा किया, और सीमाओं पर भी चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया जिससे चीन पीछे हटने पर विवश हुआ। इन सारी परिस्थितियों कोहमारे वर्तमान नेतृत्व ने एवं समाज के सुधी लोगों ने विचार किया कि भारत को आगे किसी भी संघर्ष में खड़ा होना है तो उसकेलिए आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा।
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उन्हीने जारी बयान में कहा कि स्वदेशी अभियान समाज को जन जागरण के माध्यम से व्यापक अभियान छेड़ कर प्रेरित करने का प्रयत्न कर रहा है। भारत सोने की चिड़िया कहा जाता था। उस समय हमारी समाज की व्यवस्था में सबसे छोटी इकाई हमारा ग्राम था। उस समय
ग्राम भी आत्मनिर्भर था। हमको ग्राम से बाहर जाने की आवश्यकता नहीं थी। मूलभूत आवश्यकताएं हमारी ग्राम से ही पूरी हो जाया करती थी। पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का एक तिहाई हिस्सा भारत के द्वारा संचालित होता था। हमको पुनः उसी आत्मनिर्भर समाज और विश्व की आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाला भारत बनाने की दिशा में प्रयास करना है। इसके लिए स्थानीय उत्पाद, स्थानीय कामगारों द्वारा बनाई चीजों के प्रोत्साहन की ओर बढ़ना पड़ेगा।
अभियान का दिखा असर , जनजागरण जाारी
इस अभियान में इच्छा से देशी, जरूरत से स्वदेशी, मजबूरी में विदेशी की भावना को लेकर इस अभियान को आगे बढ़ाया गया। हमने पिछले होली उत्सव में देखा है कि चीन से आयात होने वाले रंग एवं पिचकारी जैसी चीजों का बाजार 80 प्रतिशत तक कम हुआ जो जन जागरण के कारण सम्भव हो पाया। इसलिए अभियान के तहत आग्रह किया गया कि स्वदेशी व्यापार , स्वदेशी उपहार , एवं स्वदेशी त्योहार। इसी श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए दीपावली के इस महान पर्व पर समाज में व्यापक स्तर पर जन जागरण का प्रयास किया जा रहा है। चीन अपने पूरे व्यापार का लगभग 1/5 हिस्सा दीपावली के अवसर पर भारत से करता है। त्योहार हमारा पर दिवाली चीन के व्यापारी मनाते हैं। हम विदेशी ऑनलाइन कंपनियों की सामग्री ना खरीद कर हमारे छोटे-छोटे कामगार,
फुटपाथ पर,एवं फेरी लगाकर सामान बेचनेवालों को बढ़ावा दे जिससे इनके भी घरों में दिवाली खुशहाली वाली हो। इसलिए समाज से आग्रह है कि स्वदेशी वस्तुएं खरीदें और स्थानीय उत्पाद एवं व्यापारियों को बढ़ावा दें।
महाकोशल में 15 जून 2020 से स्वदेशी अभियान आरंभ हुआ। कोरोना के कारण अधिकतम कार्यक्रम सोशल मीडिया के
माध्यम से प्रारंभ किये। 15 जून से 22 जून तक स्वदेशी संकल्प को लेकर डिजिटल हस्ताक्षर अभियान चलाया जिसमें 60,000 लोग इस अभियान से जुड़े। 22 जून से 25 जून तक गलवान घाटी में हमारे वीर सैनिकों के बलिदान होने पर प्रांत के प्रत्येक जिले में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किए गए और विरोध स्वरूप चीनी वस्तुओं की होली जलाई एवं संकल्प दिलाया कि हम चीन की बनी वस्तुओं का प्रयोग नहीं करेंगे।
पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से 23 जून हरियाली तीज से 30 जुलाई तक वृक्षारोपण का कार्यक्रम तय किया जिसमें वृक्षारोपण के लिए स्थान चिन्हित कर हजारों की संख्या में पौधे रोपे गए एवं उनका रखरखाव के लिए पालकत्व का संकल्प लिया गया। 3 अगस्त रक्षाबंधन उत्सव पर हर हाथ में स्वदेशी राखी हो ऐसा संकल्प लिया जिसमें स्व-सहायता समूह एवं परिवार में
माताओ द्वारा राखी निर्माण कर उनके विक्रय की योजना बनी एवं कुछ स्थानों पर स्वदेशी राखी के स्टॉल भी लगवाए। 22 अगस्त गणेश उत्सव पर मिट्टी एवं गोबर की गणेश की प्रतिमा बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया जिससे अधिकतम स्थानों पर लोगों ने घरों पर गणेश प्रतिमाएं बनाकर स्थापित की।
दीपाली पर स्वदेशी अपनाए
उन्होंने कहा कि आगामी दीपोत्सव में भारतवासी हमारे शत्रु देश चीन से बनने वाले पटाखे, बिजली के सामान एवं सजावट की वस्तुएं हो या अन्य उपयोग आने वाली सामग्री उपयोग न करें, इस हेतु आगे भी अनेककार्यक्रम स्वदेशी अभियान द्वारा जारी रहेंगे। अभियान से जुड़े सभी कार्यकर्ता सारे समाज से और अधिक संकल्प शक्ति से इस दिशा में आगे बढ़ने का निवेदन करते हैं।
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