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जिला अस्पताल में सरकारी सामग्री को क्षति पहुंचाने या चोरी करने पर होगी एफआईआर : कलेक्टर

जिला अस्पताल में सरकारी सामग्री को क्षति पहुंचाने या चोरी करने पर होगी एफआईआर : कलेक्टर


सागर। 10 जनवरी 2023।अस्पताल में आउट पेशेंट डिपार्टमेंट (ओपीडी) व इन पेशेंट डिपार्टमेंट (आईपीडी) दो अलग-अलग भाग होते हैं। जिला अस्पताल में ओपीडी व आईपीडी की व्यवस्थाओं को अलग-अलग हॉस्पिटल के मानक अनुसार व्यवस्थित करें। ताकि जिला हॉस्पिटल के अंदर भीड़-भाड़ को नियंत्रित कर मैनेजमेंट को दुरुस्त किया जा सके। उक्त निर्देश कलेक्टर सह अध्यक्ष सागर स्मार्ट सिटी लिमिटेड श्री दीपक आर्य ने मंगलवार को दिए। वे कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ श्री चंद्रशेखर शुक्ला के साथ जिला अस्पताल रेट्रोफिटिंग परियोजना कार्यों का निरीक्षण कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में आने वाले रोगी को अधिकांश भर्ती करने की आवश्यकता नहीं होती है और यहाँ मरीजों का आना-जाना लगातार लगा रहता है, जिससे इस क्षेत्र में भीड़-भाड़ लगातार बनी रहती है। जबकि आईपीडी में मरीज एक बार भर्ती होने के पश्चात अधिकतर ठीक होने पर छुट्टी मिलने के बाद ही बाहर आता है और यहाँ भीड़ का कोई काम नहीं होता। उन्होंने कहा हॉस्पिटल भवन के मुख्य गेट के पास ही कैजुअल्टी विभाग को तैयार करें। जिला हॉस्पिटल में ओपीडी व आईपीडी व्यवस्थाओं को अलग-अलग स्थलों पर व्यवस्थित करें। इससे भीड़ को नियंत्रित किया जा सकेगा और ओपीडी को शाम को बंद भी किया जा सकता है, जिससे अस्पताल का बेहतर प्रबंधन किया जा सकेगा। साथ ही इससे मरीजों व उनके परिजनों को उपयुक्त व बेहतर सुविधाएं देने के साथ ही हॉस्पिटल प्रबंधकों को भी सहूलियत होगी। उन्होंने जिला चिकित्सालय में डॉक्टर्स की ड्यूटी आदि की जानकारी लेते हुए कहा कि जिला अस्पताल में ड्यूटी डॉक्टर्स को भी बेहतर सुविधाएं मिलनी चाहिए ताकि वे स्ट्रेस फ्री होकर पूरे मनोयोग से मरीजों का उपचार करें। इसके लिए डॉक्टर्स चैंबर व रूम्स को भी सुव्यवस्थित तरीके से पुनर्विकसित करें। टॉयलेट व ड्रेनेज़ सिस्टम को दुरुस्त करें व स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। कलेक्टर श्री आर्य ने जिला अस्पताल में चल रहे कायाकल्प के कार्य का बारीकी से निरीक्षण कर कहा कि इस परिसर में लगे सभी अनावश्यक झाड़-झाड़ियां आदि तत्काल हटाएं ताकि आसानी से साफ-सफाई की जा सके और परिसर को स्वच्छ रखा जा सके। निरीक्षण के दौरान जिला अस्पताल में नल आदि वस्तुओं की चोरी व तोड़-फोड़ की जानकारी दिए जाने पर उन्होंने कहा कि इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य यहां आने वाले मरीजों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराना है। यदि कोई व्यक्ति उक्त सुविधाओं का दुरूपयोग करते हुए सरकारी सामग्री को तोड़-फोड़कर नुकसान पहुँचाता है या चोरी करता है तो तत्काल उसकी एफआईआर कराकर कड़ी दंडात्मक कार्यवाही कराएं।

उन्होंने समीक्षा बैठक में निर्देश दिए कि अस्पताल परिसर से अनावश्यक निर्माण को हटाएं व व्यवस्थित पार्किंग आदि तैयार करें। सीवर सिस्टम आदि सहित हॉस्पिटल परिसर को प्रत्येक ओर से सुव्यवस्थित करें। जिन वार्डों में रेट्रोफिटिंग कार्य किया जा रहा है, वहाँ टॉयलेट व्यवस्था, वॉटर सप्लाई, खिड़कियों पर मच्छर जाली, पेंट आदि को विशेष ध्यान से दुरुस्त करें। हॉस्पिटल किचिन को सर्वसुविधायुक्त बनाने के लिए प्लान करें। हॉस्पिटल कॉरिडोर को स्वच्छ व आवागमन के लिए फ्री बनाएं ताकि मरीजों को व्हीलचेयर व स्ट्रेचर आदि से लाने ले-जाने में आसानी रहे। 
उन्होंने कहा कि जिला अस्पताल में दूर-दूर से मरीज व उनके परिजन इलाज के लिए आते हैं। हमें उनकी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अस्पताल का कायाकल्प करना हैं। जिससे उन्हें यहां इलाज के दौरान आसानी से सुविधाओं का लाभ मिल सके। अस्पताल में सभी जगह आवश्यकता अनुसार साइनेजेस लगाने का भी कार्य प्रारम्भ करें ताकि आगंतुकों को अनावश्यक भटकना न पड़े, वे अपनी जरूरत के हिसाब से अस्पताल के उपयुक्त स्थल तक आसानी से पहुंच सकें और सुविधाओं का लाभ पा सकें।निरीक्षण व समीक्षा बैठक के दौरान स्मार्ट सिटी और पीएमसी के इंजीनियर्स व निर्माण एजेंसी के प्रतिनिधि मौजूद रहे।



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एडिटर: विनोद आर्य
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+91 94244 37885

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आंगनवाड़ी ,स्कूल में अंडा वितरण ,अहिंसक समाज को करे विरोध:आचार्य निर्भय सागर

आंगनवाड़ी ,स्कूल में अंडा वितरण ,अहिंसक समाज को करे विरोध:आचार्य निर्भय सागर 

सागर। आहार जीने के लिए है खुद को कब्रिस्तान बनाने के लिए नहीं। मांसाहारी व्यक्ति चलता फिरता कब्रिस्तान है ।आज कुछ हिंसक ताकतें देश के बच्चों ,महिलाओं की रगों में अंडा परोस कर क्रूरता व बर्बरता की ओर धकेलने का दुस्साहस कर रही हैं ,जो बहुत ही गलत है ।अंडा मांसाहार है। स्कूलों ,आगनबाडी आदि में इसके वितरण का अहिंसक समाज  पुरजोर विरोध करें ताकि हमारी बाल पीढ़ी के अंदर हिंसक तत्व प्रवेश ना कर सकें ।
उक्त उद्गार आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज ने बाहुबली कॉलोनी जैन धर्मशाला सभागार में व्यक्त किए।आचार्य श्री ने कहा मांगना सबसे बड़ी दरिद्रता है ,आज समाज में विवाह शादियों में दहेज मांगने की जो परंपरा बढ़ती जा रही है वह बेहद गलत है समाज के मध्यमवर्गीय परिवार इसमें पिस रहे हैं सोचिये जिसने अपनी बेटी तुम्हें दी है उसने अपना सबकुछ तुम्हे दे दिया है।आप भिखारी नहीं बने बल्कि जो कुछ बिना मांगे मिले सहर्ष स्वीकार करे और इस दहेज़ जैसी कुप्रथा को बढ़ावा नहीं दे।
आचार्य श्री ने बताया धर्म संस्कृति देश परिवार सब महिला नारी स्त्री के ऊपर टिका हुआ है यदि महिला का आचरण श्रेष्ठ होगा तो वह बच्चों को श्रेष्ठ संस्कृति अनुरूप संस्कार दे पाएगी और यदि महिला ही ब्यूटीपार्लर फैशन और नौकरी में व्यस्त हो जाएगी तो परिवार को कौन संभालेगा मात्र धन ही सब कुछ नहीं है नारी का व्यवहार खानपान मधुर वचन और कार्यकुशलता से ही उसके व्यक्तित्व का पता चलता है। श्रेष्ठ नारी वही है जो निम्न बताए गए 6 गुणों को धारण करती है।
(1) कार्य करने में मंत्री के समान (2)वचन बोलने में दासी के समान 
(3)भोजन कराते समय माता के समान 
(4)शयन करते समय देवांगनाके समान 
(5)धर्म के अनुकूल आचरण करने वाली हो
(6)क्षमा मांगने वाली,क्षमा करने वाली हो।
इन 6 गुणों से युक्त नारी कुल को तारने वाली होती है।
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होम्योपैथिक चिकित्सकों को मार्डन मेडीसन प्रशिक्षण की उठी मांग ,जैव चिकित्सा अवशिष्ट प्रबंधन पर सेमीनार

होम्योपैथिक चिकित्सकों को मार्डन मेडीसन प्रशिक्षण की उठी मांग, जैव चिकित्सा अवशिष्ट प्रबंधन पर  सेमीनार 

# पूर्व मंत्री सुरेंद्र चोधरी और जिलापंचायत प्रतिनिधि राजीव हजारी को दिया ज्ञापन

सागर। होम्योपैथिक चिकित्सा से जुड़े विभिन्न डॉक्टरों द्वारा  जैव चिकित्सा अवशिष्ठ प्रबंधन पर एक कार्यशाला के साथ-साथ संभागभर के होम्योपैथिक डॉक्टरों की लंबित मांगों को लेकर एक सेमीनार आयोजित किया गया।इस मौके पर  मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन पूर्व मंत्री सुरेन्द्र चौधरी तथा जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि युवा नेता राजीव हजारी को सौंपा गया। इस अवसर पर सुरेन्द्र चौधरी ने कहा कि होम्योपैथिक चिकित्सक बहुत अच्छा कार्य कर रहे है और उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए शासन से बहुत अपेक्षाएं भी है। उनकी विभिन्न मांगों को शासन स्तर तक पहुंचाने के प्रयास किये जायेंगे। 
विशिष्ठ अतिथि राजीव हजारी ने होम्योपैथिक चिकित्सकों को नए वर्ष की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि जितने भी बड़े हॉस्पिटल है उनमे ंहोम्योपैथिक चिकित्सक की महत्वपूर्ण भूमिका है, प्राथमिक उपचार से लेकर सभी तरह के ट्रीटमेंट होम्यापैथिक चिकित्सक कर रहे है। एमडी, एमएस डॉक्टर जहां मरीजों को महज मसबिरा एवं सलाह देने का कार्य कर रहे है होम्योपैथिक डॉक्टर सेवा भाव से कार्य कर मेडीकल क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। होम्योपैथिक चिकित्सक संघ की विभिन्न मांगें लंबे समय से लंबित है। और उन्हें नेशनल हेल्थ पॉलिसी में भी शामिल किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो शासन की योजनाओं के साथ-साथ स्वास्थ्य क्षेत्र में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। होम्योपैथिक चिकित्सकों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थ करने एवं आयुष विंग में चिकित्सकों को पद स्थापित करने एवं उन्हें मार्डन मेडीसिन का प्रशिक्षण देने की नियमावली बनाने सहित अन्य मांगों को प्रदेश सरकार के समक्ष रखेंगे जिससे उनकी लंबित समस्याओं का निराकरण हो सकें। 
संघ के अध्यक्ष लखन पटेल ने भी संघ की विभिन्न मांगों को अतिथियों के समक्ष रखा और अतिथियों का स्वागत करते हुए मार्गदर्शन की अपेक्षा की। इस अवसर पर होम्योपैथिक चिकित्सक संघ द्वारा जैव चिकित्सा अवशिष्ठ प्रबंधन पर कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें अवशिष्ठ प्रबंधन को लेकर उपस्थित डॉक्टरों द्वारा अपने-अपने विचार रखे गये। 
ये रहे मौजूद
कार्यक्रम में डॉ. दिवाकर मिश्रा, डॉ. लखन पटेल, डॉ. विकास पटेल, डॉ. भूपेन्द्र यादव, डॉ. लक्ष्मी पवार, डॉ. इनाम खान, डॉ. दिशा श्रीवास्तव, डॉ. पाण्डेय सहित संभागभर से आये होम्योपैथिक चिकित्सक शामिल हुए। 
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क्या आपको ब्लड प्रेशर है ? ध्यान रखे,ठंड में साइलेंट किलर है ब्लडप्रेशर : डॉ राजेन्द्र चउदा

क्या आपको ब्लड प्रेशर है ? ध्यान रखे,ठंड में साइलेंट किलर है ब्लडप्रेशर :डॉ राजेन्द्र  चउदा
सागर। ब्लड प्रेशर गंभीर बीमारी है। इससे बचने के उपायों / सतर्कताओ केबारे में बता रहे है : डॉ राजेन्द्र चउदा। जानते है क्या है यह बीमारी।
क्या है ब्लड प्रेशर( उच्च रक्तचाप ) ?
जब सिसटोलिक (Systolic) ब्लड प्रेशर 130 mmHg एवं डॉयस्टोलिक (Diastolic) *ब्लड प्रेशर 85 mmHg से ज़्यादा हो।उस स्थिति को उच्च रक्तचाप (Hypertension)कहते हैं।
अगर आप को ब्लड प्रेशर की बीमारी है तो ठंड के मौसम में थोड़ा सावधान रहने की आवश्यकता है।क्योंकि ब्लड प्रेशर को साइलेंट किलर भी कहते हैं।महिलाओं की तुलना में पुरुष वर्ग ज़्यादा प्रभावित होता है
ब्लड प्रेशर का कैसे पता चलता है ?
ब्लड प्रेशर बढ़ने से सिरदर्द , चक्कर आना , चलने में साँस फूलना , सीना दर्द , घबराहट , नाक से खून आना , आँखों में धुंधलापन आना , लकवा आदि की समस्या हो सकती है।
जब आप पहली बार ब्लड प्रेशर की जाँच कराएँ.
पहली बार अगर बी.पी. ज़्यादा आये तो घबराएँ नहीं ।कई बार डाक्टर को देखकर भी BP बढ़ जाता है।(White Coat Hypertension)तीन दिन लगातार अगर बी.पी. बढ़ा मिलता है , तब उच्च रक्तचाप का इलाज शुरू करते हैं।
#बी.पी. चेक कराने के आधा घंटे पहिले से चाय का: डॉ राजेन्द्र चउदाफ़ी ना लें एवं  धूम्रपान भी ना करें।
ब्लड प्रेशर बढ़ने के कारण हैं
अधिकांश लोगों में सभी जाँच कराने के बावजूद बी.पी. बढ़ने का कोई कारण नहीं मिलता।
आनुवांशिक : अगर माँ बाप को बी.पी. की बीमारी है तो बच्चों को इसकी सम्भावना 20 से 25% ज़्यादा बढ़ जाती है।
#तनाव, मोटापा , अधिक मात्रा में नमक का सेवन , गुर्दे की बीमारी , शराब का अत्यधिक सेवन , व्यायाम न करना, थॉयरायड एवं एड्रिनल ग्लेन्ड की बीमारी , तथा कुछ दवाइयाँ जैसे कोर्टिसोन (स्टेरोयड) , गर्भनिरोधक दवाओं का सेवन, दर्द निवारक दवा आदि के सेवन से भी बी.पी. बढ़ जाता है।
#श्वाँस की एवं जोड़ों के दर्द की कुछ आयुर्वेदिक पुड़ियाँ प्रचलित हैं..इनमें कोर्टिसोन (स्टेरोयड) होता है , जिससे हाई बी.पी. एवं शुगर की बीमारी हो जाती है।
उच्च रक्तचाप का S फ़ोर्मूला  क्या है ?
उच्च रक्तचाप से बचने के लिए Salt , Sugar, Stress , Smoking , Sedentary Life , Sprit (Alcohol ) का त्याग करना पड़ेगा।
क्या कहते हैं आँकड़े ?
#शहर एवं गाँव के लगभग 25% लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं।
#हार्ट अटैक से होने वाली लगभग 24% मोतें एवं लकवा (ब्रेन हेमोरेज) से होने वाली लगभग 57% मोतें सिर्फ़ और सिर्फ़ ब्लड प्रेशर की बज़ह से होती हैं।अतः आप अपने ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें।BP को ज़्यादा न बढ़ने दें.
क्योंकि हर 2 mm ब्लडप्रेशर के घटाने से हार्ट अटैक एवं लकवा से होने वाली मृत्यु को 6 से 10% तक कम कर सकते हैं।
तथा केवल 8 mm  डॉयस्टोलिक BP कम करने से हार्ट अटैक को 29% तक एवं लकवा की सम्भावना को 46% तक कम कर सकते हैं।
ब्लड प्रेशर से होने वाले ख़तरे 
आपको अपना ब्लड प्रेशर तो कंट्रोल करना ही है ।साथ में इस बात की निगरानी भी रखना है कि आपके शरीर के मुख्य अंग जैसे ..हार्ट , गुर्दे (Kidney) , आँख , दिमाग़ एवं शरीर की धमनियाँ ब्लड प्रेशर से प्रभावित तो नहीं हो रहीं हैं।
1.ब्लड प्रेशर से हार्ट की माँसपेशियाँ मोटी हो जाती हैं..BP नियंत्रित ना रहने पर हार्ट अटैक एवं हार्ट फ़ेल्यर की सम्भावना बहुत ज़्यादा हो जाती है।
2.लकवा एवं ब्रेन हेमोरेज का मुख्य कारण अनियंत्रित बी.पी. होता है....केवल 10 mm सिसटोलिक बी.पी. बढ़ने से 74% ब्रेन हेमोरेज एवं 43% लकवा की सम्भावना अधिक हो जाती है।
3.ब्लड प्रेशर गुर्दे के ख़राब होने के मुख्य कारणों में से एक है।
4.बी.पी. बढ़ने से आँख़ो के पर्दे की ख़राबी , आँख में लकवा , एवं आँखों में खून तक उतर आता है जिससे अंधापन हो सकता है।अतः बी.पी. के मरीज़ों का नियमित परीक्षण ज़रूरी है।
बी.पी.की बीमारी के घरेलू उपचार क्या हैं 
1.वज़न को संतुलित रखना ।
2.संतुलित आहार , प्रोटीन युक्त भोजन (दूध , दही , पनीर , दालें , अंडे का सफ़ेद  भाग ), अंकुरित अनाज़।
3.हाई फ़ाइबर युक्त भोजन जैसे गेहूँ , ज्वार , बाजरा , ओट्स , हरी पत्तेदार ,रेशेदार सब्ज़ियाँ , सलाद  एवं फल का नियमित सेवन करें.।
4.ओमेगा 3 वाले भोज्य पदार्थ जैसे सरसों , अलसी , बादाम , अखरोट , फ़िश लाभकारी होते हैं ।
5.स्वस्थ रहने के लिए 7 घंटे की पर्याप्त नींद ज़रूरी है।
6.नियमित दिनचर्या , तनाव मुक्त जीवन शैली , योग - व्यायाम , प्राणायाम , मेडिटेशन फ़ायदेमंद है।
7.सुबह का घूमना : 30 से 40 मिनिट्स प्रति दिन हफ़्ते में 5 दिन ज़रूरी है।
8.शराब हफ़्ते में 2 बार छोटे छोटे पेग ले सकते हो ।इससे ज़्यादा नहीं ।
ये ग़लतियाँ ना करें
1.फ़ास्ट फ़ूड ..मेगी , पास्ता , बर्गर , पिज़्ज़ा  ना खायें।
2.खाने में नमक,शक्कर एवं मेंदा  का इस्तेमाल कम करें।
3.वसा (चर्बीयुक्त) भोजन , कड़ाई के तले पदार्थ जैसे समोसा , कचोरी , आलू टिक्की , ब्रेड पकोड़ा आदि से दूर रहें।
4.डढ़ेल तेल एवं उसमें बने पदार्थ अति नुक़सानदायक हैं।
5.मिठाई का कम से कम उपयोग करें।
6.बीड़ी सिगरेट ( धूम्रपान ) से दूर रहें।
7.शराब के अधिक सेवन से बचें।
8.दवाएँ अचानक बंद ना करें..लाइफ़ ईस्टाइल बदलने से एवं वज़न कम करने से दवाओं की मात्रा को कम तथा कई बार बंद भी किया जा सकता है..अपने मन से दवा बंद ना करें।
9.ब्लड प्रेशर की जाँच करवाते समय दवा खाना बंद ना करें...दवा खाते खाते ही BP की जाँच होना चाहिए।
आपके अच्छे स्वास्थ्य की कामना के साथ। कृपया डॉक्टर से परामर्श /परीक्षण के बाद ही इलाज शुरू करे।
डॉ. राजेन्द्र चउदा.MD
सीनियर मेडिसिन विशेषज्ञ,सागर 
•ब्लड प्रेशर •डॉयबिटीज • हृदय रोग
•थॉयरायड • इकोकार्डियोग्राफ़ी
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तम्बाकू दुकानों से नही बिकेंगी चाकलेट/कैंडी आदि,तम्बाकू नियंत्रण कानून का पालन करने कमेटी का गठन होगा: कमिश्नर

तम्बाकू दुकानों से नही बिकेंगी चाकलेट/कैंडी आदि,तम्बाकू नियंत्रण कानून का पालन करने कमेटी का गठन होगा: कमिश्नर 
सागर । कमिष्नर सागर संभाग  आनंद कुमार शर्मा ने संभाग के समस्त कलेक्टर्स, आयुक्त नगर निगम एवं नगर पालिका एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत को निर्देषित किया है कि जिलास्तरीय तम्बाकू नियंत्रण समिति की नियमित बैठक एवं तम्बाकू नियंत्रण कानून की धारा 4,5,6 व 7 के परिपालन को सुनिष्चित करने के लिये जिला स्तर पर प्रवर्तन दल का गठन जिला एवं विकासखण्ड स्तर पर किया जाये। नियंत्रण कानून की धाराओं के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु नियमित अन्तराल पर मुहिम चलाकर चालानी कार्यवाही एवं अर्थदण्ड किया जाये।
 श्री शर्मा ने निर्देष दिये कि जिला प्रषासन स्तर पर एसडीएम/डिप्टी कलेक्टर को तम्बाकू नियंत्रण के लिये नोडल अधिकारी नामाकिंत किया जाये। उन्होंने नगर निगम/नगर पालिका में तम्बाकू नियंत्रण के लिये प्रषासनिक स्तर के अधिकारी को नोडल अधिकारी नामांकित किया जाये। जिला स्वास्थ्य समिति की समीक्षा बैठक के दौरान यह भी सुनिष्चित करें कि नोडल अधिकारी/मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तम्बाकू नियंत्रण की गतिविधियों को प्रस्तुत करें। तम्बाकू उत्पाद की दुकानों को लायसेंस दिया जाये और लायसेंस की शर्तों में तम्बाकू नियंत्रण की धारा 5,6 व 7 का पूर्ण रूप से पालन करने की शर्त लिखी जाये तथा यह भी सुनिष्चित किया जाये कि किसी भी जिले में कोई भी तम्बाकू उत्पादन की दुकान बिना लायसेंस के संचालित न हो। तम्बाकू उत्पादन की दुकानों से अन्य सामान जैसी  चाकलेट, कैन्डी आदि न बेची जाये।                           
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Doping : भारतीय खिलाड़ी प्रतिबंधित दवाओं के सेवन में लिप्त नही - डॉ सिमोना पिचनी




सागर । नेशनल डोपिंग सेन्टर  इटली में वैज्ञानिक डॉ सिमोना पिचनी ने इस बात की सराहना की है  कि भारत के खिलाड़ी डोपिंग और अन्य   प्रतिबंधित दवाओं में लिप्त नही है। लेकिन आने वाले समय में भारत के सामने भी यह समस्या होगी इसलिये उसे अभी से तैयार रहना चाहिये।
उन्होंने डॉ हरीसिंह गौर विवि सागर  के रसायन शास्त्र विभाग में डोपिंग एवं खेल में प्रतिबंधित दवाओं के बारे में शुरू किए गए ज्ञान कोर्स में यह बात कही ।यह कार्यक्रम  एम.एच.आर.डी द्वारा प्रायोजित  है। 
       डोपिंग शब्द खेल जगत में एक बहुत ही भयाभय षब्द है,जो कि यह बताता है कि खेल प्रतियोगिता में खिलाडी़ द्वारा प्रतिबंधित दवाओं का सेवन किया गया है। जब वह खिलाड़ी डोपिंग ऐजेन्सी द्वारा पकड़ा जाता है तो वह अपने केरियर एंव देष की छवि को धूमिल करता है। 
इस की अध्यक्ष्ता कर रहे विष्वविद्यालय के कुलपति  प्रो0 आर.पी. तिवारी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत ने विश्व एंव देश को महान खिलाड़ी दिये है। जिन्होने अपनी शारिरिक क्षमता से देश  का नाम रोशन किया है। उन्हीने  इस ज्ञान कोर्स पर प्रसन्नता जताते हुये कहा कि इस विषय को  शोध के क्षेत्र में भी आगे बढ़ना चाहिये।
प्रो0 फरीद खान ने रसायन षास्त्र विभाग की उपलब्धियों एवं वर्तमान में चल रहे कार्यो के बारे में बताया। प्रो0 ए0 एन0 शर्मा डीन आॅफ एकेडेमिक अफेयर्स ने ज्ञान कोर्स की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। विवि के ज्ञान समन्वयक प्रो0 देवाषीश बोस ने डाॅ. सिमोना पिचनी की उपलब्ध्यिों के बारे में बताया।धन्यवाद प्रस्ताव डाॅ. राद्यवैया एवं मंच संचालन ज्ञान कोर्स काॅर्डिनेटर डाॅ. अभिलाशा दुर्गवंशी के द्वारा किया गया।
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Sebaceous Horn Surgery :सर पर निकल आया ४ इंच का सींग ,जानिये कैसे मिली इससे मुक्ति बुजुर्ग को

चैतन्य सोनी, नवदुनिया :साभार



 सागर।

आपने कहानियों में यूनिकार्न यानि एक सींग वाले घोड़े के बारे में सुना होगा। इंग्लिश फ़िल्म हेलबॉय में भी एक कैरेक्टर दिखाया गया है, जिसके दो सींग हैं... मगर असल जिंदगी में भी एक इंसान ऐसा है जिसके सिर के बीचोंबीच एक सींग निकल आया।  सागर जिले में रहली के पटना बुजुर्ग गांव में 74 साल से श्यामलाल यादव के सिर पर बीचो-बीच 4 इंच से बड़ा सींग निकल आया था। सींग बिल्कुल असली और ठोस था। मेडिकल साइंस में यह अभी तक का दुर्लभ मामला है। पिछले दिनों श्यामलाल का ऑपरेशन किया गया जिसके बाद उन्हें इस सींग से मुक्ति मिल गई है।

रहली के पटना बुजुर्ग गांव के श्यामलाल यादव बीते 5 साल से सिर पर सींग लेकर घूम रहे थे। वैसे तो उन्हें सींग से कोई खास परेशानी नहीं थी, लेकिन असहज जरूर लगता था। श्यामलाल बताते हैं कि करीब 5 साल पहले उन्हें सिर में जोरदार चोट लग गई थी, उसके कुछ दिनों बाद सीग निकलने लगा था। कई डॉक्टरों को दिखाया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ तो श्यामलाल ने स्थानीय बाल काटने वाले नाई से कई दफा सींग को उगने के साथ ही ब्लैड से कटवा दिया। लेकिन सींग बार-बार फिर निकल आया। सींग को लेकर श्यामलाल बताते हैं कि वे मेडिकल कॉलेज, भोपाल, नागपुर तक गए और वापस आ गए। उन्हें भरोसे का डॉक्टर नहीं मिल सका, न वे डॉक्टरों की बातों पर भरोसा कर सके। वापस आकर सागर के भाग्योदय तीर्थ अस्पताल में डॉ. विशाल गजभिये से मिलकर समस्या बताई जहां पिछले दिनों ऑपरेशन कर उन्हें सींग से मुक्ति दिलाई गई


सींग काटकर माथे की चमड़ी लगाकर प्लास्टिक सर्जरी

श्यामलाल यादव की सर्जरी करने वाले सीनियर सर्जन डॉ. विशाल गजभिये ने बताया कि सींग की लंबाई करीब 4 इंच थी, मोटाई भी पर्याप्त थी। सीटी स्कैन में यह देखा गया कि सींग सिर में कितने अंदर तक था। जब कंफर्म हो गया कि न्यूरो सर्जन की आवश्यकता नहीं पड़ेगी तो ऑपरेशन किया गया। सींग को काटने के बाद खाली जगह को बंद करने के लिए माथे के ऊपरी हिस्से की चमड़ी निकालकर प्लास्टिक सर्जरी की गई है। अब दोबारा यह नहीं उभरेगा।

 डॉ. गजभिये के अनुसार यह दुर्लभ केस है। मेडिकल साइंस में इसे सेवेसियस हार्न कहा जाता है। सिर में बालों की ग्रोथ के लिए प्राकृतिक रूप से सेवेसियस ग्लैंड (ग्रंथि) होती है। इससे द्रव्य रिलीज होते हैं, जिससे बाल चमकदार बनते हैं। यह ग्रंथि बंद होने से यह द्रव्य जमता रहा और सींगनुमा आकार में सिर के ऊपर निकल आया।


दुर्लभ केस है, मेडिकल जर्नल में प्रकाशित करने भेजा है

ये दुर्लभ मामला अध्ययन का विषय है। इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशन के लिए भेज रहा हूँ। मेडिकल साइंस के कोर्स में शामिल करने के लिए भी भेज रहे हैं। मेरे जीवन का पहला मामला है। बहुत ही रेयर केस है। सेवेसियस हार्न की हिस्ट्री कहीं नहीं मिली।

- डॉ. विशाल गजभिये, वरिष्ठ सर्जन
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Heart Failure: से बढ़ रहा है मरने वालों का आंकड़ा

Heart Failure : Causes hike in death rate.


सागर । ए.पी.आई.की सागर शाखा ने  हार्ट  फेल्योर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया।  कार्यक्रम के मुख्य वक्ता भोपाल गांधी मेडिकल कॉलेज से पधारे इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर आरके सिंह थे। उन्होंने हार्ट  फेल्योर की विभीषिका के बारे में विस्तार से बताया की एक सर्वे के अनुसार भारत में हार्ड फेलियर के कारण होने वाली मौतों का आंकड़ा बहुत ज्यादा है।
         कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ जी.के.दुबे ने बताया कि हार्ट फेल्योर या दिल की विफलता तब होती है जब हृदय शरीर की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त रूप से पंप करने में असमर्थ हो जाता है। सचिव डॉ प्रदीप चौहान ने बताया कि इस बीमारी के रोगी को साँस की तकलीफ, अत्यधिक थकान और पैरों में सूजन आ सकती है।डॉ अमिताभ जैन ने बताया कि हार्ट फेल्योर या दिल की विफलता हृदयाघात, उच्च रक्तचाप, अनियंत्रित धड़कन, अत्यधिक मद्यपान या किसी संक्रमण के कारण हो सकती है। डॉ अनुराग जैन ने बताया कि हार्ट फेल्योर और हार्ट अटैक तथा कार्डियक अरेस्ट में काफ़ी अंतर है। हृदयाघात में हृदय के उस हिस्से की मायोकार्डियल मांसपेशियां पूरी तरह से मर जाती हैं, जहाँ की रक्त ले जाने वाली कॉरोनरी धमनी 100% अवरुद्ध हो गई है। कार्डियक अरेस्ट में किसी भी अन्य कारण से ब्लड फ़्लो पूरी तरह से रुक जाता है। इनके विपरीत हार्ट फेल्योर में रोगी औषधियों के सहारे लंबे समय तक जीवित रह सकता है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ आर के सिंह ने बताया कि आरनी ग्रुप की एक दवा सक्यूबिट्रिल एवं वेलसेटरान इस बीमारी में सबसे कारगर है। कार्यक्रम का संचालन ए.पी.आई. सचिव डॉ प्रदीप चौहान ने किया। आयोजन में भारी संख्या में चिकित्सक उपस्थित थे।
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