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डीपीएस सागर की धमाकेदार जीत,अंडर 17 बालक वर्ग के फाइनल में सेन्ट मेरी स्कूल सागर को हराया

डीपीएस सागर की धमाकेदार जीत,अंडर 17 बालक वर्ग के फाइनल में सेन्ट मेरी स्कूल सागर को हराया

सागर।  डीपीएस सागर में चल रहे सीबीएसई द्वारा आयोजित बॉलीवाल क्लस्टर XII के अडर 17 बालक वर्ग के फाइनल मैच में डीपीएस सागर की टीम ने सेन्ट मेरी स्कूल सागर को
रोमाचक मुकाबले में 25-23, 25-16 से करारी मात दी।
  शुरूवाती मुकाबले में एक बार तो सेन्ट मेरी स्कूल मकरोनिया डीपीएस सागर पर भारी पड़ती नज़र आ रही थी, लेकिन जैसे ही डीपीएस सागर के खिलाड़ियों ने गेयर बदला मुकाबलेको एक तरफा ले गए।
   पहले सेट के बाद दूसरे सेट में सेन्ट मेरी स्कूल सागर मुकाबले में कहीं नजर नहीं आई और डीपीएस सागर की टीमने फाइनल मुकाबला अपने नाम किया । वहीं अंडर -19 में बालक वर्ग के मुकाबले में एडवांस एकेडमी इन्दौर की टीम नेप्रेस्टिज पब्लिक स्कूल इन्दौर को मात दी। तो अंडर 17 बालिका वर्ग के फाइनल मुकाबले में विद्याभूमि छिंदवाड़ा ने एकतरफा मुकाबले में मेक्रोविजन एकेडमी बुरहानपुर की टीम को मात दी। चौके और अंतिम फाइनल मुकाबले में अंडर 17बालिका वर्ग की टीमों में कार्मल कान्वेन्ट स्कूल भोपाल और प्रज्ञा गर्ल स्कूल इन्दौर के मध्य खेला गया जिसमें कार्मलकान्वेन्ट स्कूल भोपाल टीम ने फाइनल मुकाबला अपने नाम किया।
     इससे पहले फाइनल मुकाबले के उद्घाटन सत्र में मुख्य अथिति के रूप में नरयावली विधायक  प्रदीप लारिया,अमृता दिवाकर सीएसपी मकरोनिया सागर, रणजीत सिकरवार आई आई सागर, डीपीएस सागर के संरक्षक महेश बिलहरा,रितुल सराफ, राहुल सराफ निदेशक डीपीएस सागर व अर्चित जैन निदेशक ज्ञान सागर कॉलेज सागर मौजूद रहे।
    परम्परानुसार डीपीएस सागर के प्राचार्य सौमित्र सिंह ठाकुर ने सभी का पुष्पगुच्छ भेंटकर स्वागत किया इसके बादविधायक लारिया ने कोर्ट नं. 1 में खेले जा रहे बॉलीवाल के फाइनल मुकाबले में सर्विस कर शुभारंभ किया। सभीफाइनल विजेता टीमों और रनरअप टीमों को शील्ड, गोल्ड एवं सिलवर मेडल पुरुस्कार प्रदान किए गए।
सीबीएसई बॉलीवाल क्लस्टर XII - 2019 का समापन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ हुआ। जिसमें डीपीएससागर के नौनिहालों ने अपनी रंगारंग प्रस्तुति देकर सभी आगुन्तकों का मन मोह लिया।
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CBSE बॉलीबाल टेनिस क्लस्टर XII के तीसरे दिन 15 मैच हुए संपन्न,गुरुवार को समापन

 CBSE बॉलीबाल टेनिस क्लस्टर XII के
तीसरे दिन 15 मैच हुए संपन्न, गुरुवार को समापन
सागर।  डीपीएस सागर में चल रहे सीबीएसई द्वारा आयोजित बॉलीवाल क्लस्टर XII में आज 15 मैच संपन्न कराये गए।
बुधवार को खेले गए 10 प्री-क्वाटर, 4 क्वाटर व 1 सेमीफायनल मैच खिलाया गया। मैचों का परिणाम इसप्रकार रहा- अंडर 19 बालक वर्ग की टीमों कार्मल कान्वेन्ट रतनपुर व प्रेस्टिज पब्लिक स्कूल इन्दौर के मध्य खेला गया
जिसमें प्रेस्टिज पब्लिक स्कूल विजेता रहा । दूसरा मैच चौइथराम स्कूल इन्दौर और चावरा स्कूल नरसिंहपुर के मध्य हुआ।जिसमें चावरा स्कूल नरसिंहपुर विजेता रहा। तीसरा मैच वात्सल्य स्कूल सागर व सेन्ट जोसेफ बण्डा के बीच हुआ जिमसेंसेन्ट जोसेफ बण्डा की टीम विजयी रही। चौथा मैच ज्ञान गंगा स्कूल जबलपुर व होली फैमिली स्कूल खुरई के बीच हुआजिसमें ज्ञान गंगा स्कूल जबलपुर विजेता रहा। पांचवा मैच एकलव्य मॉडल स्कूल छिंदवाड़ा व न्यू एज पब्लिक स्कूल
गाडरवारा के मध्य खेला गया जिसमें न्यू एज पब्लिक स्कूल गाडरवारा विजेता रहा । छटवां मैच विद्यासागर स्कूल इन्दौरऔर कोलम्बिया कान्वेन्ट स्कूल इन्दौर के बीच हुआ जिसमें कोलम्बिया कान्वेन्ट स्कूल इन्दौर विजेता रहा। सातवाँ मैचकश्यप विद्यापीठ धार और एडवांस एकेडमी इन्दौर के बीच हुआ जिसमें एडवांस एकेडमी इन्दौर विजयी रहा।
अडर 17 बालक वर्ग में प्री-क्वाटर फाइनल मैच में रामकृष्ण पब्लिक स्कूल अनुपपुर और सेन्ट मेरी स्कूल सागरके बीच टक्कर हुई जिसमें सेन्ट मेरी स्कूल सागर की टीम विजेता रही।वहीं मारथाम ज्ञान ज्योति स्कूल सिहोरा ने विद्याभूमि
स्कूल छिंदवाड़ा को मात दी। इसके बाद दसवाँ मैच दिल्ली पब्लिक स्कूल सागर और सेन्ट्रल एकेडमी रीवा के मध्यरोमंचक मैच खेला गया दोनों ही टीमों ने जोरदार मुकाबला किया । काटे की इस टक्कर में दिल्ली पब्लिक स्कूल सागर
ने सेन्ट्रल एकेडमी रीवा को सीधे सेटो में 25-21, 25-21 से मात देकर धमाकेदार जीत हासिल की।वही अंडर 17 बालिका वर्ग में सेन्ट मेरी चेम्पियन स्कूल इन्दौर ने डीपीएस छिंदवाड़ा को परास्त किया। तो वहींविद्याभूमि पब्लिक स्कूल छिंदवाड़ा ने आरबीएस पब्लिक स्कूल मुरैना को हराया। विद्यासागर स्कूल ने आर्मी पब्लिकस्कूल सागर को मात दी और माइक्रो विजन एकेडमी बुरहानपुर टीम ने रामकृष्ण विद्यापीठ अनूपपुर की टीम को हराया।
गुरूवार को शेष सभी सेमीफाइनल मैच और फाइनल मैच संपन्न कराए जाएँगें तथा समारोह पूर्वक कार्यक्रम कासमापन होगा।
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Doping : भारतीय खिलाड़ी प्रतिबंधित दवाओं के सेवन में लिप्त नही - डॉ सिमोना पिचनी




सागर । नेशनल डोपिंग सेन्टर  इटली में वैज्ञानिक डॉ सिमोना पिचनी ने इस बात की सराहना की है  कि भारत के खिलाड़ी डोपिंग और अन्य   प्रतिबंधित दवाओं में लिप्त नही है। लेकिन आने वाले समय में भारत के सामने भी यह समस्या होगी इसलिये उसे अभी से तैयार रहना चाहिये।
उन्होंने डॉ हरीसिंह गौर विवि सागर  के रसायन शास्त्र विभाग में डोपिंग एवं खेल में प्रतिबंधित दवाओं के बारे में शुरू किए गए ज्ञान कोर्स में यह बात कही ।यह कार्यक्रम  एम.एच.आर.डी द्वारा प्रायोजित  है। 
       डोपिंग शब्द खेल जगत में एक बहुत ही भयाभय षब्द है,जो कि यह बताता है कि खेल प्रतियोगिता में खिलाडी़ द्वारा प्रतिबंधित दवाओं का सेवन किया गया है। जब वह खिलाड़ी डोपिंग ऐजेन्सी द्वारा पकड़ा जाता है तो वह अपने केरियर एंव देष की छवि को धूमिल करता है। 
इस की अध्यक्ष्ता कर रहे विष्वविद्यालय के कुलपति  प्रो0 आर.पी. तिवारी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत ने विश्व एंव देश को महान खिलाड़ी दिये है। जिन्होने अपनी शारिरिक क्षमता से देश  का नाम रोशन किया है। उन्हीने  इस ज्ञान कोर्स पर प्रसन्नता जताते हुये कहा कि इस विषय को  शोध के क्षेत्र में भी आगे बढ़ना चाहिये।
प्रो0 फरीद खान ने रसायन षास्त्र विभाग की उपलब्धियों एवं वर्तमान में चल रहे कार्यो के बारे में बताया। प्रो0 ए0 एन0 शर्मा डीन आॅफ एकेडेमिक अफेयर्स ने ज्ञान कोर्स की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। विवि के ज्ञान समन्वयक प्रो0 देवाषीश बोस ने डाॅ. सिमोना पिचनी की उपलब्ध्यिों के बारे में बताया।धन्यवाद प्रस्ताव डाॅ. राद्यवैया एवं मंच संचालन ज्ञान कोर्स काॅर्डिनेटर डाॅ. अभिलाशा दुर्गवंशी के द्वारा किया गया।
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दंगल : देश भर से आएंगे पहलवान, 21 को



सागर.   झांसी रोड स्थित रानीपरा में श्री महालक्ष्मी जी के पावन पर्व पर 21 सितंबर को श्री राम अखाड़ा रानीपुरा की और से विराट दंगल का आयोजन किया जा रहा है।

 आयोजक अखिल भारतीय ग्वाल महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष -दुलारे उस्ताद ने बताया कि कुश्ती में सागर, बीना, झांसी,ललितपुर, इंदौर, बनारस के पहलवान शामिल होंगे।  इसमें खलीफाओं और उस्तादों का सम्मान किया जाएगा।

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संभागीय शालेय क्रिकेट टूर्नामेंट का शुभारंभ

संभागीय शालेय क्रिकेट टूर्नामेंट का शुभारंभ


















सागर ।  शालेय संभाग स्तरीय अडंर 14 एंव 17 वर्ग बालक ग्रुप क्रिकेट टूर्नामेंट का शुभारंभ सागर जिले के देवरी में  नोबल कालेज की प्राचार्य डॉं. पूर्वा जैन ने किया। टूर्नामेंट का उद्घाटन  मैच सागर नगर एवं सागर जिले की टीमों के बीच खेला गया जिसमें खिलाडि़यों ने।अपनी खेल प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
         कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नोबल कालेज प्राचार्य एवं सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. पूर्वा जैन ने कहा कि कहा कि खेल ना सिर्फ शारीरिक तंदरूस्ती बल्कि मन की चुस्ती के लिए भी आवश्यक है। डॉ. पूर्वा जैन ने खिलाडि़यों से परिचय प्राप्त कर एंव टॅास करा के मैच का शुभारंभ किया। देवरी नगर पालिका अध्यक्ष मंयक चौरसिया ने कहा कि नोबल पब्लिक स्कूल देवरी नगर में एकमात्र ऐसा स्कूल है जो पढ़ाई के साथ साथ अन्य गतिविधियों को भी महत्व देता है। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ शिक्षक जसवंत रजक एंव वीरेन्द्र जैन ने किया। टूर्नामेंट का पहला मैच अडंर 14 में सागर जिला एंव सागर नगर की टीमों के बीच खेला गया जिसमें सागर नगर ने जीत दर्ज की। इसी वर्ग के एक अन्य मैच में टीकमगढ़ एवं सागर नगर के बीच हुए मुकाबले में सागर नगर ने विजय हासिल की। अडंर 17 में हुए मुकाबलों में सागर जिला और टीकमगढ़ जिला के बीच हुए मुकाबले में टीकमगढ़ के बल्लेबाजों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन कर जीत हासिल की। एक अन्य मुकाबले में सागर नगर को हराकर पन्ना ने अपनी जीत का खाता खोला।इस अवसर पर देवरी जनपद अध्यक्ष सुश्री आँचल आठिया, जिला क्रीड़ा अधिकारी संजय दादर, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी आर.के. जैन, प्राचार्य  शरद विश्वकर्मा, रवि जैन एंव गिरीष मेहरा थे। नोबल पब्लिक स्कूल संचालक योगेन्द्र सिंह ठाकुर, जनपद सदस्य राजकुमार लोधी, उपसरपंच बलराम लोधी और स्कूल के प्रभारी प्राचार्य दिलीप राय भी उपस्थित थे। इस प्रतियोगिता को सफलता पूर्वक सम्पन्न कराने में एस.के. विश्वकर्मा, एस.के. गुप्ता, प्रहलाद लोधी, राजेन्द्र सिंह राजपूत, कुलदीप डिम्हा, सतीष हालवी, सुनील सिंह राजपूत, अवधेश किरार, प्रमोद चौबे, हेमंत पाठक, अशोक विश्वकर्मा, अंकित राठौर, रूपक रिछारिया, देवेन्द्र मिश्रा, भुवानी लोधी, शिवराज पटेल, अविनाश मेहरा आदि की सराहनीय भूमिका है।
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ताईक्वांडो खेल में सागर के खिलाडि़यों ने जीते 11 पदक

ताईक्वांडो खेल में सागर के खिलाडि़यों ने जीते 11 पदक

सागर।स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की 65वी राज्य स्तरीय ताईक्वांडो खेल प्रतियोगिता में सागर  खिलाड़ियों ने 11 पदक हासिल किए। विदिशा जिले में आयोजन  हुआ था। जिसमे सागर संभाग के खेल परिसर के 18 खिलाडि़यों ने भाग लेकर सागर संभाग का प्रतिनिधित्व किया। ताईक्वांडो प्रतियोगिता अंडर-14,17,19 वर्ग में खेली गई। 
               ताईक्वांडो खेल प्रतियोगिता में अंडर 19वर्ग में खेल परिसर के प्रषिक्षण प्राप्त कर रहे गौरव गोदरे ने जिला सागर से, अंडर 17 वर्ग में रागनी मोर्य ने स्वर्ण पदक प्राप्त कर खेल प्रतियोगिता में म0प्र0 ताईक्वांडो टीम का प्रतिनिधि करने हेतु जगह बनाई। 
            अर्जुन सिंह रावत, विक्रम अवार्डी-अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी एवं ताईक्वांडो कोच ने  बताया गया कि खिलाडि़यों की 18 माह की कड़ी मेहनत में खिलाडि़यों ने अच्छा परिणाम दिया। 
       प्रतियोगिता में पदक विजेता खिलाडि़यों में  गौरव गोदरे  अंडर -19, स्वर्ण पदक,
रागनी मोर्य-  अंडर- 17, स्वर्ण पदक ,दीपेष पाण्डेय- अंडर- 17,रजत पदक ,श्रुत जैन   - अंडर-19, रजत पदक,दिपिका तायडे- अंडर -17, रजत पदक मानसी कोरी- अंडर- 17,कास्य पदक ,कनिस्का साहू- अंडर- 17,कास्य पदक ,अबिका केषरवानी- अंडर-17, कास्य पदक ,दिपांषी खटीक- अंडर-19,कास्य पदक ,निखिल सेन-अंडर-19,कास्य पदक ,रीमा ठाकुर - अंडर-19,कास्य पदक है।
            इन सभी खिलाडि़यों के राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्षन करने एवं मेडल जीतने तथा राष्ट्रीय षालेय क्रीड़ा प्रतियोगिता में शामिल होने पर खेल और युवा कल्याण अधिकारी  राजेन्द्र कोष्टा एवं  संजय दादर, षिक्षा विभाग के जिला क्रीड़ा अधिकारी  द्वारा बधाई दी गई तथा विभागीय कर्मचारियों  महेन्द्र सिंह राजपूत, चंदन मोरे, अंजली सिंह ठाकुर,  रंजीत बैन, श्री प्रेमनेती राय, श्रीमती संगीता  सिंह, श्रीमती सीमा चक्रवर्ती,श्री मंगल सिंह यादव, श्रीमती आदि ने भी खिलाडि़यों एवं प्रषिक्षक  अर्जुन रावत को बाधाई दी।
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हाकी के जादूगर ध्यानचंद की याद





हॉकी के जादूगर पर ही जादू चला,ध्यानचंद की टीम एक गोल से हारी
         
                                                                                                                          जबलपुर। मेजर ध्यानचंद निर्विवाद रूप से हॉकी के सर्वश्रेष्ठ सर्वकालिक खिलाड़ी माने जाते हैं। १९३६ के बर्लिन ओलिम्पिक में तो ध्यानचंद के विलक्षण खेल ने हॉकी के चहेतों को असमंजस में डाल दिया था। तभी से लोगों ने उन्हें हॉकी का जादूगर कहना शुरू कर दिया। किन्तु इसके अगले ही वर्ष पचमढ़ी में सतपुड़ा क्लब ने जिस बखूबी से ध्यानचंद की टीम को परास्त किया, वह भी कम चौंकाने वाली बात नहीं थी। गोया उस मैच में जादूगर पर ही जादू चल गया हो। जबलपुर एवं मध्यप्रदेश के वरिष्ठ क्रीड़ा समीक्षक और खेल पितामह माने जाने वाले बाबूलाल पाराशर ध्यानचंद के समकालीन हॉकी खिलाड़ी रहे हैं। भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी रहे बाबूलाल पाराशर लम्बे समय तक मध्यप्रदेश क्रीड़ा परिषद के सदस्य व उपाध्यक्ष भी रहे। वे अपने जमाने के अच्छे सेंटर हॉफ माने जाते थे। बाबूलाल पाराशर का निधन 23 जुलाई 1993 को जबलपुर में हुआ। स्मरणीय है कि बाबूलाल पाराशर के नेतृत्व में ही सतपुड़ा क्लब ने ध्यानचंद की टीम पर अपूर्व विजय दर्ज की थी। इस मैच का विवरण स्वर्गीय पाराशर से बातचीत के आधार पर यहां प्रस्तुत किया गया है।
             सन्‌ 1937 में बाबूलाल पाराशर की नियुक्ति पचमढ़ी में हुई थी। यह एक महत्वपूर्ण मिलेट्री स्टेशन था और फिर उच दिनों तो वहां हॉकी का अच्छा खासा प्रचार था। करीब चार प्रथम श्रेणी के हॉकी मैदान थे और 6 पलटन की टीमें थीं। सबसे तगड़ी टीम इंडियन ग्रुप थी। सतपुड़ा क्लब के नाम से जानी जाने वाली सिविलियन टीम एक ही थी। जिसमें ज्यादातर पलटन के कैंप फ्लोअर यानी भिश्ती, मोची, दर्जी आदि थे। इसके अलावा कुछ विद्यार्थी, स्वयं बाबूलाल पाराशर, एक नायाब तहसीलदार और एक पुलिस हेड कांस्टेबल टीम में थे।
               उन दिनों पचमढ़ी में चार-चार माह के मिलेट्री आर्म्स कोर्स हुआ करते थे। जिसके अंतर्गज पलटन के अंग्रेज तथा हिन्दुस्तानी कमीशंड और नॉन कमीशंड अफसर प्रशिक्षण के लिए भेजे जाते थे। इस तरह नया कोर्स शुरू होते ही चार महीने का कार्यक्रम बन जाता था, जिसमें सब मैच लीग पद्धति के आधार पर खेले जाते थे। ध्यानचंद तब पलटन में सैनिक थे और इसी कोर्स में शामिल होने के लिए पचमढी आए थे। वे इंडियन ग्रुप टीम की ओर से खेला करते थे। इसके पहले बाबूलाल पाराशर ने ध्यानचंद का खेल सर्वप्रथम 1931 में ऑल इंडिया रजिया सुल्तान टूर्नामेंट के दौरान कुरबाई में देखा था। इस टूर्नामेंट में भारत की मशहूर टीमें जैसे गवर्नमेंट कॉलेज लाहौर (जिसमें लालशाह बुखारी, दारा जफर आदि खिलाड़ी थे), मानबदर स्टेट, जहां प्रसिद्ध ओलिम्पिक शाहबुद्दीन मसूद और मोहम्मद हुसैन थे, सुविखयात खिलाड़ी ध्यानचंद और रूप सिंह से सुसज्जित झांसी हीरोज की टीमें भाग लिया करती थीं। फाइनल में झांसी हीरोज और मानबदर स्टेट के मध्य एक संघर्षमय मुकाबला हुआ। अभी दर्शक अपनी जगह पर बैठ भी नहीं पाए थे कि ध्यानचंद ने विलक्षण फुर्ती के साथ बुली ऑफ से पहला गोल ठोंक दिया। मानबदर के जाने माने लेफ्ट इन जॉनी पिंटो मात्र एक गोल ही कर सके, जिनके बारे में ऐसा कहा जाता था कि वे रूप सिंह से भी बेहतर खिलाड़ी थे। ध्यानचंद ने इसके अलावा तीन गोल और किए। टूर्नामेंट के श्रेष्ठ खिलाड़ी को स्वर्ण पदक प्रदान किया जाता था। परन्तु कुरबाई के नवाब ने यह कह कर कि ध्यानचंद जैसे महान्‌ खिलाड़ी के लिए एक स्वर्ण पदक मामूली इनाम है, उनका सम्मान शाही खिल्लत दे कर किया। इसके अतिरिक्त स्वर्गीय पाराशर ने ध्यानचंद का खेल भोपाल में ही 1932 और ओलिम्पिक टीम के साथ में भी देखा था।बाबूलाल पाराशर ने बताया कि ध्यानचंद का अप्रतिम खेल देख कर उनके मन में भी विचार आया कि काश ध्यानचंद के विरूद्ध खेलने का मौका मिले और फिर वे कैसे स्वयं प्रदर्शन कर पाते हैं। अंततः उन्हें 1937 में पचमढ़ी में मौका मिला। स्वर्गीय पाराशर ने बताया कि ध्यानचंद का खेल सचमुच लाजवाब होता था। उनका खेल खिलाड़ी भावना से ओतप्रोत रहता था। व्यक्तिगत प्रदर्शन का तो उनमें नामो निशान तक नहीं था। यही कारण है कि कई बार स्वयं गोल करने में सक्षम होते हुए भी वे गेंद झट आसपास के दूसरे खिलाड़ी को थमाकर गोल करवा देते थे। उनके खेल की यही खूबी थी कि वे या तो खुद गोल कर सकते थे अथवा राइट इन या लेफ्ट इन के खिलाडि यों को पास दे कर गोल करवा लेते थे। गेंद ध्यानचंद को मिली कि नहीं उनमें बिजली की सी फुर्ती आ गई। कभी यदि वे विपक्षी खिलाडि यों से घिर जाते थे, तो पीछे सेंटर हॉफ को पास देते थे या फिर ऐसे खिलाड़ियों को पास देते जो सुरक्षित स्थान पर खड़ा हो।

बाबूलाल पाराशर के अनुसार उनकी टीम सतपुड़ा क्लब को ध्यानचंद की टीम के विरूद्ध चार या पांच बार खेलने का अवसर आया। यद्यपि पहले मैच में बराबरी की टीम होने के बावजूद भी ध्यानचंद की टीम ने उन्हें 7-0 से हराया, तथापि एक दो मैच खेलने के बाद पाराशर की टीम ने उनके खेल का सूक्ष्मता से भली-भांति अध्ययन कर लिया और आगे के मैचों में गोलों का अंतर क्रमशः कम होने लगा।

वर्ष 1937 में नवम्बर माह के अंतिम सप्ताह में अंग्रेज उच्च सेनाधिकारी ध्यानचंद का खेल देखने खास तौर से पचमढी आए। एक प्रदर्शन मैच होने वाला था। मैदान पर अच्छी भीड थी। पचमढी के करीब-करीब सभी हॉकी प्रेमी नागरिक उपस्थित थे। पलटन के समर्थकों को पूरा विश्वास था कि उनकी टीम आसानी से विजय दर्ज कर लेगी, मगर उस दिन पाराशर की टीम भी बहुत उत्साह से खेली।

'बुली ऑफ' के साथ ही सतपुड़ा क्लब के सेंटर फॉरवर्ड सल्लू ने आनन-फानन में ध्यानचंद की टीम के विरूद्ध एक गोल दाग दिया। यहां सल्लू के संबंध में बताना उचित होगा कि वह एक भिश्ती था और देखने में वह बिल्कुल हॉकी खिलाड़ी नहीं लगता था। इतना अपढ और पिछड़ा था कि जीवन में कभी रेल भी नहीं देखी थी। सल्लू जमीन पर टिप्प मार कर विरोधी खिलाड़ी को स्टिक के ऊपर से गेंद उचकाते हुए सीधे आगे बढ ता था। इस गोल के पश्चात्‌ ध्यानचंद के खेल में तेजी आ गई। आर्मी पलटन के अफसर और जवानों में भी जोश आ गया। उन्होंने सतपुड़ा टीम को आमतौर पर और ध्यानचंद की टीम को खासतौर पर चिल्ला-चिल्ला कर गोल करने के लिए उत्साहित करना शुरू कर दिया। पाराशर ने बताया ''उस दिन का मुझे यही याद है कि चारों तरफ बैठे दर्शकों की आवाज से मैदान गूंज उठा था। ध्यानचंद ने गोल करने की भरसक कोशिश की और गोल करने या कराने के हर संभव हुनर अपनाए, लेकिन हमने सब विफल कर दिए। दस मिनट बाद सल्लू ने फिर दूसरा गोल करके सबको आश्चर्य में डाल दिया।''
मध्यांतर के पश्चात्‌ ध्यानंचद येन-केन प्रकारेण गोल करने के लिए आमादा हो गए। पाराशर कहते हैं कि वैसे तो ध्यानचंद का खेल बहुत साफ-सुथरा रहता था, लेकिन उस मैच में एक-दो बार उन्होंने बाबूलाल पाराशर को गिरा दिया और बाद में सॉरी भी कहते गए, क्योंकि इस दौरान चार माह साथ-साथ रहने और खेलने के कारण दोनों अच्छी तरह से परिचित थे। बड़ी मुश्किल से ध्यानचंद अपनी टीम के लिए एकमात्र गोल बना सके। वैसे तो अंत तक गोल करने की कोशिश करते रहे, पर और गोल करने में सफल नहीं हुए। इस तरह सतपुड़ा टीम ने ध्यानचंद की टीम पर 2-1 गोल से विजय प्राप्त की। कुल मिला कर उस दिन सतपुड़ा टीम के खिलाडि यों ने बहुत बढि या प्रदर्शन किया था। हरेक खिलाड़ी ने अपना दायित्व बखूबी निभाया था। खेल के पश्चात्‌ सेनाधिकारियों ने भी सतपुड़ा टीम के सदस्यों की काफी तारीफ की। ध्यानचंद भी सतपुड़ा टीम से प्रभावित हुए बिना नहीं रहे। जब सल्लू ने अपनी टीम के लिए दूसरा गोल किया किया तो ध्यानचंद कहने लगे-''वाह साहब! आज तो सतपुड़ा टीम कमाल कर रही है। इस छोटी- सी जगह में इतने अच्छे खिलाड़ी कहां से भर लिए।''

बाबूलाल पाराशर ने बताया कि इस रोमांचकारी विजय से पचमढ़ी में हर्षोल्लासमय वातावरण निर्मित हो गया। उस दिन इस विजय की खुशी में एक विशाल जुलूस निकाला गया। आज भी पचमढी के बुजुर्ग हॉकी प्रेमी इस बात की चर्चा करते हैं कि किस तरह इस छोटे से नगर के खिलाडियों ने उस महान्‌ खिलाड़ी के खेल का अनुशरण किया और वह गौरवशाली विजय अर्जित की थी, जो नवयुवक खिलाड़ियों के लिए प्रेरणास्पद है। यहां यह स्मरणीय है कि सेंटर हॉफ बाबूलाल पाराशर का खेल काफी प्रभावपूर्ण रहा। स्वयं ध्यानचंद ने उनके खेल से प्रभावित हो कर झांसी हीरोज की तरफ से बेटन कप हॉकी प्रतियोगिता (कलकत्ता) में खेलने का प्रस्ताव रखा था, किन्तु पर्याप्त अवकाश न मिलने के कारण यह संभव न हो पाया। यहां यह उल्लेखनीय है कि ध्यानचंद की मशहूर पुस्तक 'गोल' के पृष्ठ 83 के द्वितीय परिच्छेद में भी इस मैच का वर्णन मिलता है।
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