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सुश्री मेधा पाटकर का अनशन खत्म

मेधा पाटकर का धरना ख़त्म
एनबीए नेता सुश्री मेधा पाटकर का अनशन खत्म



बड़वानी ।नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता सुश्री मेधा पाटकर ने आज रात मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि पूर्व मुख्य सचिव एस.सी. बैहार से चर्चा के बाद अपना अनशन और धरना आंदोलन खत्म किया। सुश्री पाटकर ने श्री बेहार के हाथों नीबू पानी पीकर अपना अनशन खत्म किया। सुश्री पाटकर के साथ अनशन पर बैठे नर्मदा बचाओ आंदोलन के अन्य छह कार्यकर्ताओं, जिनमें चार महिलाएँ हैं, ने भी अपना अनशन खत्म किया।

सोमवार की देर शाम मुख्यमंत्री  कमल नाथ के प्रतिनिधि के रूप में बड़वानी जिले के छोटा बड़दा आये पूर्व मुख्य सचिव श्री बैहार ने धरना स्थल पर पहुँचकर सुश्री पाटकर और उनके साथियों से चर्चा कर उन्हें मुख्यमंत्री के संदेश और सरदार सरोवर परियोजना के जल स्तर को कम करवाने के प्रयासों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। श्री बैहार ने सुश्री पाटकर एवं डूब प्रभावितों से भी चर्चा कर पूरी जानकारी ली। उन्होंने अनुरोध किया कि सुश्री पाटकर और अन्य साथी अपने स्वास्थ्य एवं मध्यप्रदेश सरकार पूर्ण समर्थन को देखते हुए अपना अनशन और धरना समाप्त कर दें। इसके बाद तय हुआ कि सुश्री पाटकर और साथी 9 सितम्बर को भोपाल में एनवीडीए के पदाधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। बैठक में उनके मुद्दों का निराकरण नहीं होने पर भोपाल में धरने का निर्णय लेंगे।

सुश्री पाटकर और उनके साथी विगत 25 अगस्त से अनशन और धरना आंदोलन पर थे।
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चार पीढियों से पर्यावरण को बचाने बांटते है मिट्टी की गणेश मूर्ति



चार  पीढियों से पर्यावरण को  बचाने बांटते है मिट्टी की गणेश मूर्ति  


सागर। । धार्मिक दृष्टि और पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिहाज से मिटटी  की प्रतिमा  का महत्व है।पर्यावरण संकट से बचने की बात तो आज गाँव से लेकर विश्व मंच पर भी होती है जागरूकता अभियान भी चलाये जाते है कई बार सरकार इसका बीड़ा उठाती है तो कभी कभार एक आम आदमी भी बड़ी पहल अकेले ही करता है। ऐसा ही कुछ किया है सागर के ताम्रकर परिवार ने जो  चार  पीढियों से पर्यावरण को  बचाने हर गणेश उत्सव पर मिट्टी की गणेश मूर्ति को बांटते है।  आज गणेश चतुर्थी पर पूरे   श्रध्दा  भाव से मिटटी के गणेश लेने श्रद्धालु उमड़े। आज सुबह से करीब दो हजार मूर्ति बांट चुके है।

                          सागर के इतवारा बाजार के स्वर्गीय रामेस्वर ताम्रकार का परिवार यह काम कर रहा है। उनके बेटे और मोहल्ला के लोग मिलकर भगवान गणेश की मूर्ती बनाते है। यह  परिवार  मिटटी की आकर्षक और पूर्ण अकार की भगवान श्री गणेश की  प्रतिमा को बनाकर निःशुल्क  श्रदालुओ को बाँटते  है।  यह संख्या हजारो में होती है।   जिससे गणेश विशर्जन के कारण पर्यावरण दूषित न हो और उत्सव का रंग भी बना रहे।मिटटी के गणेश को बांटकर ये परिवार पर्यावरण को सहेजने का काम पिछले 100 साल से कर रहा है। गणेश मूर्ती लेने के लिए घर के पास मंदिर में    लम्बी कतार आज के दिन लगी ।  इनके पास  पहले एक पीतल का साँचा था मिटटी के गणेश की बढती मांग के कारण अब तीन सांचे बनवा लिए ,ताकि अधिक से अधिक संख्या में लोग गणेश प्रतिमा को ले सके ।  

                         सांचे में शुद्ध काली मिटटी    को डालते है और गणेश जी की मूर्ती निकलती है। श्री गणेश की बैठी हुई यह मूर्ती होती है। पुरे स्वरूप में गणेश जी है ,इसमें रिध्धि और सिध्धि और चूहा सब बना हुआ है। मिटटी के ये गणेश दस दिन तक ज्यो के त्यों बने रहते है।   लोग पुरे श्रद्धा भाव से इसे ले जाते है।  सबसे  बड़ी  बात यह है की इनका कोई पैसा नहीं लिया जाता है . 

वर्तमान में प्लास्टर ऑफ़  पेरिस  और  केमिकल  रंगो का प्रचलन है।  इसी की मूर्तिया बनाई जाती है।  जो पर्यावरण को  बुरी तरह से  प्रदूषित कर रही है। इस परिवार के शंकर ताम्रकार ने बतया की पिछली  चार  पीढ़ियों से यह परम्परा चली आ रही है।  मिटटी की ये मूर्ति शुद्ध होती है।  पानी में भी ये आसानी से घुल जाती है। करीब चार से पांच हजार की संख्या में  निशुल्क केला के पत्ते पर वितरित करते है।  बाटने के पहले इनको   मंदिरों में पूजा के लिए भेजते है उसके बाद सभी को देते है। 




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पाँचवा स्तंभ ।अब तो गणेश जी सद्बुद्धि दें ताकि दुनिया बन सके पर्यावरण मित्र

Eco-Friendly: गणेश जी बनाने के पहले दुनिया बने पर्यावरण मित्र


  • ब्रजेश त्रिपाठी


आजकल सोसल मीडिया से लेकर सब दूर हेश टेग के साथ साथ बॉक्स आइटम में लिखा आ रहा है.. "इको फ्रेंड गणेश जी.."अब मूढ़ मति कलजुगी संसार को श्री गणेश जी सद्बुद्धि दें कि दुनिया इकोफ्रेंड बने न कि प्रभु श्री गणेश जी.. श्री गजानन महाराज तो सनातन काल से प्रकृति उपासना के साक्षात वाहक है..!!!
           फूल चढ़े दूब चढ़े और चढ़े मेवा..यह सब प्रकृति से तादाम्य का ही सुर है प्रभु को सेवा में पूजन अर्चन में पर्यावरण ही प्रिय है..शादी व्याह - तिलकोत्सव लेकर स्थानीय पूजन में गाय के गोबर की रचना भी प्रकृति पूजन का सबसे बड़ा प्रतीक है.. मायावी संसार खुद तो सुधरना नही चाहता उल्टे प्रभु स्वरूप को लेकर ज्ञान पेल रहा है..!!!
         तिलक महाराज ने भी श्री गणेशोत्सव परम्परा में सनातनी स्वरूप और प्रतीकों को ही बनाये रखा था.. यह स्वरूप ही सालो साल सजता आया है लेकिन मार्केट ने इसमे घुसपैठ करके केमिकल गिरी को चमका दिया है..!!!
          माटी पूजन हमारी अमिट  थाती रही है..भूमि पूजन के बिना कोई भी पूजन परम्परा का शुभारम्भ ही नही होता क्योकि जीवन का आरम्भ और अंत उसी में समाहित है ..लेकिन अब मिट्टी के बजरिकरण(रेत सीमेंट) के चलते शुद्ध मिट्टी भी दूभर हो गई है..!!!
       हमने अकेली माटी या गाय का गोबर ही नही खोया है बल्कि अपनी प्रकृति से ही खिलवाड़ की है इस खेल के चलते ही मूर्ति कारों को प्लास्टर ऑफ पेरिस जैसे कृत्रिम आसान उपायों को आजमाने की मोहलत मिली और रंगीन चकाचौन्ध ने इस मोहलत को अंधाधुंध धंधे में बदल दिया नतीजा हमारे सामने है..!!!
      इस नतीजे का कुछ घटिया लोगों ने आस्था विरोध के रूप में ऐसा दुष्प्रचार किया कि वह विसर्जन के समय की तस्वीरों को सोशल मीडिया पर धर्म पर चटखारे लेकर पोस्ट करने लगे जबकि यह निहायत ही गैर जिम्मेदाराना कृत्य है क्योकि इसके लिए आस्था नही बल्कि मुनाफाखोरी की भूख की   लपलपाहट दोषी है..!!!
         आज जब प्रायोजित रूप से हमारे पर्व, उत्सवधर्मिता को निपट कुत्सित लोगों की गैंग के द्वारा हर स्तर पर हतोसाहित करने का अभियान सनातन चेतना को कुंद करने के उद्देश्य से चलाया जा रहा हो तब हम सबको अपने प्रतीकों के प्रति ज्यादा सचेत रहने की जरूरत है और इसे हम सनातन तरीकों से ही हासिल कर सकते हैं न कि केमिकल्स रंग रोगन से..!!!
    धर्म की जय हो.. अधर्म का नाश हो.. प्राणियों में सद्भाव हो.. विश्व का कल्याण हो..गौ माता की जय हो ..हर हर महादेव के जयकारे के साथ ..घर घर मे श्री गणेश कीजिये ..जय श्री गणेश..आप सभी को श्री गणेश उत्सव की अग्रिम बधाई ..!!!

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