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वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई के बलिदान दिवस पर याद किया

वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई के बलिदान दिवस पर याद किया

सागर। महान वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई, जिन्हें झांसी रानी के नाम से भी जानते है,आज उनके बलिदान दिवस पर मोतीनगर चौराहे पर उनकी पावन मूर्ति पर पहुंचकर उनकी वीरता और बलिदान को याद किया।
इस मौके पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री भारत सरकार और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष  अरूण यादव के सागर आगमन हुआ,शहर के प्रथम चौराहे पर ही रानी लक्ष्मी बाई की प्रतिमा पर उन्होने भी रानी लक्ष्मी बाई को पुष्पांजलि देकर नमन किया।
 कार्यक्रम में शहराध्यक्ष रेखा चौधरी, प्रदेश उपाध्यक्ष त्रिलोकी कटारे, शहर सेवादल अध्यक्ष सिंटू कटारे, कार्यकारी अध्यक्ष शौकत अली, संभागीय प्रवक्ता संदीप सबलोक, पप्पू गुप्ता,आनंद हैला,अतुल नेमा,वसीम खान,जयदीप यादव, रामगोपाल यादव, फिरदौश कुरैशी, शहबाज कुरेशी,सौरभ खटीक,शिवम उपाध्याय,दीनदयाल तिवारी, बिल्ली रजक,चिमन भाई अंसारी आदि उपस्थित रहे ।

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कोरोना काल के बाद मीडिया की बदलती भूमिका पर संगोष्ठी ★ मीडिया को दृष्टिकोण बदलना चाहिए : जगदीश उपासने

कोरोना काल के बाद मीडिया की बदलती भूमिका पर संगोष्ठी

★ मीडिया को दृष्टिकोण बदलना चाहिए : जगदीश उपासने


महू (इंदौर) । कोरोना के साथ हमें जीने की आदत डालनी होगी. कोरोना ने मीडिया को एकाएक बदल दिया है और मीडिया इस बदलाव के लिए तैयार नहीं था. कोरोना महामारी के लिए विज्ञान तैयार था और यही कारण है कि एक वर्ष के छोटे समय में टीका बन गया.ज् यह बात देश के सुप्रसिद्ध पत्रकार एवं प्रसार भारती भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष श्री जगदीश उपासने ने मुख्य अतिथि की आसंदी से 'कोरोना काल के बाद मीडिया की बदलती भूमिका' विषय पर संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे. इस संगोष्ठी का आयोजन डा. बीआर अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, महू ने किया था. श्री उपासने ने पत्रकारिता में प्रशिक्षण के अभाव की चिंता जाहिर करते हुए कहा कि यह दौर अब विशेषज्ञता का है लेकिन इस महामारी के दौर में हमारे पास प्रशिक्षित पत्रकार नहीं हैं और हमने प्रशिक्षण के बारे में सोचा भी नहीं है. उन्होंने कहा कि मीडिया तदर्थवाद पर चल रहा है. आज जो मुद्दे हैं, उस पर बात कर आगे बढ़ जाओ. उन्होंने कहा कि मीडिया की जवाबदारी थी कि वह वेक्सीनेशन के बारे में समाज को जागरूक करता लेकिन ऐसा नहीं होने की वजह से वेक्सीन को लेकर भ्रम की स्थिति बनी रही. मीडिया को अपना दृष्टिकोण बदलना होगा और सकरात्मक खबरों को प्राथमिकता देना होगी.

संगोष्ठी के आरंभ में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि कोरोना काल में मीडिया में व्यापक बदलाव आया है. उन्होंने प्रिंट मीडिया की विश्वसनीयता को रेखांकित करते हुए कहा कि एक बार छपे शब्दों को हटाया नहीं जा सकता है इसलिए अखबार जिम्मेदार हैं जबकि टेलीविजन में सुविधा है कि वह अगले बुलेटिन में पहली खबर को हटा दे. सोशल मीडिया में भी अपनी पोस्ट को हटाने की सुविधा है. उन्होंने फेकन्यूज की चिंता जताते हुए कहा कि मीडिया साक्षरता अभियान चलाना आवश्यक है. आज फेकन्यूज की वजह से ही टीकाकरण बाधित हो रहा है. उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि समाज के सारे प्रोफेशन में मीडिया एकमात्र प्रोफेशन है जो आत्मवलोकन कर स्वयं की गलती को सुधारने की कोशिश करता है. कोरोना काल में मीडिया की भूमिका सकरात्मक रही है. समाज को प्रेरित करना मीडिया का दायित्व है. 

यूनिसेफ भोपाल में पदस्थ कम्युनिकेशन फॉर डेवलपमेंट श्री संजय सिंह ने कहा कोरोना के बाद अवेयरनेस बढ़ा है लेकिन व्यवहार में बदलाव नहीं आया है. उन्होंने कहा कि फेक न्यूज सोसायटी के पास तेजी से पहुंच जाता है लेकिन सही खबरें नहीं मिल पाती है. एक उदाहरण देते हुए बताया कि मध्यप्रदेश के आदिवासी इलाके में टीकाकरण को लेकर झूठी खबर को आधार बनाकर लोगों ने टीका लगाने से मना कर दिया. इस व्यवहार को बदलने में मीडिया की भूमिका गंभीर है. सही सूचना समाज के दूरस्थ अंचलों में पहुंचे इसकी जवाबदारी मीडिया की है क्योंकि संवाद में वही एकमात्र प्रभावी स्रोत है. उन्होंने कहा कि इस महामारी में ऐसा कोई नहीं बचा है जिन्होंने अपना कोई ना खोया हो. उन्होंने कहा कि मीडिया के कई प्लेटफार्म हैं जहां लोगों को सूचना प्राप्त करने में सरलता हो रही है.
मध्यप्रदेश शासन की रोजगारपरक प्रकाशन रोजगार निर्माण के संपादक श्री पुष्पेन्द्र पाल सिंह ने कहा कि कोरोना काल में मीडिया ने कई कठिन शब्दों को ना केवल सहज बना दिया बल्कि उसे आम बोलचाल के रूप में ले आए. वह फिर सोशल डिस्टेंसिंग हो, क्वांरेंटीन हो, होम आइसोलेशन हो आदि आदि. उन्होंने कहा कि यह मीडिया का प्रभाव है कि लोगों को जागरूक करने और उनकी सहायता करने में मदद की. उन्होंने कहा कि एक अनुमान है कि अगले 20 वर्षों में जितने वेबपोर्टल बनना था, उतने कोरोनाकाल के 15 महीनों में बन गए. यह बदलाव एक अच्छा संकेत है. टेक्रॉलॉजी के साथ विविधता भी देखने को मिली लेकिन वैल्यू को लेकर एक सवाल समाज के सामने खड़ा हो गया. उन्होंने सोशो-इकॉनामिक संकट की ओर भी ध्यान दिलाया और कहा कि स्वयं पत्रकार भी गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. वर्क फ्रॉम होम ने यह बात भी मीडिया में स्थापित कर दी कि अब जिसका सम्पर्क सूत्र मजबूत और विश्वसनीय होगा, उसके लिए अवसर उतने ही उजले होंगे.


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संगोष्ठी को संबोधित करते हुए देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, स्कूल ऑफ जर्नलिज्म की विभागाध्यक्ष डॉ. सोनाली नरगुंदे ने कहा कि कोरोना काल अभी खत्म नहीं हुआ है और यह कब तक चलेगा, इसका अनुमान लगाना भी मुश्किल है. उन्होंने कोरोना काल में वर्ग संघर्ष के संकट की ओर ध्यान खींचते हुए कहा कि पूंजी और निर्धन के बीच खाई गहरा गई है. यह भविष्य के लिए चेतावनी भरा है और यह समस्या वैश्विक ना बने इसकी ओर ध्यान रखना होगा. उन्होंने प्रिंट मीडिया की विश्वसनीयता का उदाहरण देते हुए कहा कि मीडिया के सारे प्लेटफार्म के बाद भी अखबार में सिंगल कॉलम की खबर छप जाए, इसकी कोशिश होती है. उन्होंने कहा कि मीडिया कभी निर्णायक की भूमिका में ना रहे. डॉ. नरगुंदे ने कोरोना काल में लैंगिग असमानता की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि घरों में झगड़े बढ़े हैं. लोगों में मानसिक तनाव बढ़ा है लेकिन अखबार में खबरें गायब है. उन्होंने कहा कि अधिकांश मीडिया पूंजीपतियों के हाथों में है जिसके चलते कई संकट आते हैं. मीडिया की सकरात्मक भूमिका की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अखबारों ने नए स्तंभ शुरू कर लोगों के अनुभव प्रकाशित किए जिससे दूसरों को भी प्रेरणा मिली.   
संगोष्ठी की अध्यक्ष एवं कुलपति प्रो. आशा शुक्ला ने अपने  उद्बोधन में विषय के बारे में जानकारी दी और विश्वविद्यालय की गतिविधियों के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में मीडिया की भूमिका पर चर्चा करना आवश्यक प्रतीत होता है. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस संगोष्ठी के बाद विशेषज्ञ अपने सुझाव एवं सिफारिश लिखकर भेजेंगे जिसे पुस्तककार में प्रकाशित किया जा सके. उन्होंने अतिथियों का स्वागत करते हुए नेक एवं मीडिया सलाहकार डॉ. सुरेन्द्र पाठक  एवं मीडिया प्रभारी मनोज कुमार ब्राउस को इस सुंदर आयोजन के लिए बधाई दी.
संगोष्ठी की अवधारणा विश्वविद्यालय के नेक एवं मीडिया कंसलटेंट डॉ. सुरेन्द्र पाठक एवं मनोज कुमार ने साकार किया. अपने प्रभावी वक्तव्य के साथ गोष्ठी का सफल संचालन किया. डॉ. पाठक ने कहा कि समाज और मीडिया का अंतर्सबंध है. दोनों एक दूसरे के पूरक हैं अत: समाज विज्ञान विश्वविद्यालय के मंच पर यह विषय सामयिक हो जाता है. मीडिया प्रभारी मनोज कुमार ने संगोष्ठी में उपस्थित विद्वानों एवं संचार विशेषज्ञों का आभार व्यक्त किया. उन्होंने स्मरण दिलाया कि कोरोना के पहले दौर के थमने के बाद जब मजदूर घर वापस जा रहे थे तो मजदूर का एक परिवार इंदौर रूका और जमीन से मिट्टी माथे पर लगाई और मध्यप्रदेश का धन्यवाद कहा कि भूखे पेट को भोजन और नंगे पैर को पहनने के लिए जूते यहीं से मिला था. संगोष्ठी के संयोजन में डीन प्रो. डीके वर्मा, रजिस्ट्रार श्री अजय वर्मा एवं विश्वविद्यालय परिवार का सक्रिय सहयोग रहा.


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ब्लेक फंगस: BMC में इलाज के लिए भेजे अम्फोटेरिसिन बी लिपिड कांपलेक्स इंजेक्शन का हुआ रिएक्शन



ब्लेक फंगस: BMC में इलाज के लिए भेजे अम्फोटेरिसिन बी लिपिड कांपलेक्स इंजेक्शन का  हुआ रिएक्शन

साग़र।  बुन्देलखण्ड मेडिकल कालेज साग़र में ब्लेक फंगस के इलाज में काम आने वाला नया अम्फोटेरिसिन बी लिपिड कांपलेक्स इंजेक्शन का एडवर्स रिएक्शन हुआ है। इसमे मरीजो को उल्टी बुखार जैसी शिकायते सामने आई। उसे डॉक्टरी तत्काल कंट्रोल कर लिया है। पिछले दिनों इस तरह की शिकायत आने पर अम्फोटेरिसिन बी के उपयोग पर रोक लगा दी थी। सरकार ने नए इंजेक्शन भेजे। इसके भी कुछ मरीजो पर रिएक्शन होने की खबर सामने आई है। 

मेडिकल कालेज के मीडिया प्रभारी डॉ उमेश पटेल के अनुसार वर्तमान में हमारे बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के म्यूकार्माइकोसिस वार्ड में 37 मरीज इलाजरत है. आज शासन द्वारा 120 अम्फोटेरिसिन बी लिपिड कांपलेक्स इंजेक्शन भेजे गये.चूँकि इंजेक्शन नए प्रकार के थे अतः एडवर्स रिएक्शन की संभावना को ध्यान में रखते हुए  विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपस्थिति में एक मरीज को इंजेक्शन लगाया गया किसी प्रकार का एडवर्ड्स रिएक्शन ना मिलने पर अन्य 25 मरीजों को इंजेक्शन लगाए गए जिनमें से 23 मरीजों को माइल्ड एडवर्स रिएक्शन जैसे कि माइल्ड फीवर ,वोमिटिंग, शिवेरिंग ,बीपी का घटना -बढ़ना आदि देखने को मिला.चिकित्सकों द्वारा तुरंत इंजेक्शन के इस्तेमाल को रोका गया एवं दवाइयों द्वारा सभी एडवर्स रिएक्शन को कंट्रोल कर लिया गया है.
अधिष्ठाता डॉ आर एस वर्मा सर के निर्देशन में विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा सभी मरीजों का परीक्षण कर निगरानी में रखा गया है.
यहां बता दे पिछले दिनों हुए ऐसे घटनाक्रम में कांग्रेस ने इनकी जांच की मांग की थी। 
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दुबारा बनी सागर कलेक्टर दीपक सिंह की फर्जी फेसबुक आईडी, भेजे मैसेज, मामला साईबर सेल में

दुबारा बनी सागर कलेक्टर दीपक सिंह की फर्जी फेसबुक आईडी, भेजे मैसेज, मामला साईबर सेल में

★  आईएएस दीपक सिंह ने किया सबको आगाह

साग़र। साग़र कलेक्टर दीपक सिंह की एक बार फिर किसी ने फर्जी फेसबुक आईडी बनाकर मेसेजे भजन का ममके सामने आया है। कलेक्टर दीपक सिंह का पिछले महीने भी  ऐसा ही फेसबुक एकाउंट बनाकर पैसे मांगने  का मामला सामने आया था। उन्होंने इसकी जांच के लिए साईबर सेल में मामला दिया था। यह मामला अभी जांच में ही था कि दूसरी दफा फिर किसी हैकर ने क्लोन आईडी बनाकर मेसेजे भेजे। यह भी मामला साईबर सेल को सौंपा गया है। 

आजकल फेसबुक आईडी हैक करके पैसे मांगने की घटनाएं खूब हो रही है। साईबर ठगी में कई हाईप्रोफाईल लोगो की आईडी हैक करके पैसे और अन्य मेसेजे भेजे रहे है। पिछली 21 मई को कलेक्टर दीपक सिंह का ऐसा ही मामला सामने आया था।  किसी ने उनकी  फेंक फेसबुक आईडी बनाकर  लोगो से पैसे मांगने शुरू कर दिया। कलेक्टर ने तत्काल साईबर सेल को मामला सौंपा और लोगो से सतर्क रहने की अपील की थी। जिसकी जांच चल रही है। आज फिर ऐसी खबर मिलने पर कलेक्टर दीपक सिंह ने मामला साईबर सेल के संज्ञान में भेजा। किसी हैकर ने फिर फेसबुक आईडी बनाकर मेसेज भेजे।

पढ़े : पिछले महीने भी बनी थी फर्जी फेसबुक आईडी 
कलेक्टर की फेंक फेसबुकआईडी बनाई और मांगे लोगो से पैसे
★ कलेक्टर दीपक सिंह  ने सतर्क रहने की अपील की और साईबर सेल में सौंपा मामला -


कलेक्टर ने अपनी पर्सनल फेसबुक आईडी पर  मेसेज भी पोस्ट किया है और लोगो से सतर्क रहने की अपील की है।
यह रहा मेसेज 

नकली फेसबुक आईडी से रहे सावधान ! 
संज्ञान में आया है, फेसबुक पर मेरे नाम से दोबारा नकली प्रोफाइल बनाई गई है, कृपया सावधान रहें और किसी भी तरह के आग्रह को स्वीकार ना करें इस नकली (फेक )आईडी को लेकर साइबर क्राइम टीम जांच कर रही है. 

दीपक सिंह (IAS)
कलेक्टर, सागर.




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सप्रे जी पर केंद्रित मीडिया विमर्श के विशेषांक का लोकार्पण 19 जून को ★ केन्द्रीय राज्यमंत्री प्रहलाद पटैल रहेगें मौजूद

सप्रे जी पर केंद्रित मीडिया विमर्श के विशेषांक का लोकार्पण 19 जून को 

★ केन्द्रीय राज्यमंत्री  प्रहलाद पटैल रहेगें मौजूद

दमोह।  प्रखर चिंतक, साहित्यकार, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और लोकमान्य तिलक के विचारों को हिंदी जगत में व्यापकता देने वाले पं. माधवराव सप्रे की 150वीं जयंती के अवसर पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र तथा भारतीय जन संचार संस्थान द्वारा पूरे देश में कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।


इस कड़ी में पहला कार्यक्रम सप्रे जी के जन्म स्थान दमोह जिले के पथरिया में 19 जून को आयोजित होगा। समारोह में भारत सरकार के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल तथा सप्रे संग्रहालय, भोपाल के संस्थापक पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे। इस अवसर पर सप्रे जी के अवदान पर केंद्रित एक प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। 19 जून को ही "माधवराव सप्रे और राष्ट्रीय पुनर्जागरण' विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया जाएगा। 

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इस कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार एवं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष रामबहादुर राय करेंगे। वेबिनार में वरिष्ठ पत्रकार श्री आलोक मेहता, श्री जगदीश उपासने, श्री विश्वनाथ सचदेव, इंदिरा गांधी कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी, भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी एवं माधवराव सप्रे जी के पौत्र डॉ. अशोक सप्रे भी अपने विचार व्यक्त करेंगे।
इस अवसर पर महत्वपूर्ण वैचारिक पत्रिका "मीडिया विमर्श" के माधवराव सप्रे जी पर केंद्रित विशेषांक का लोकार्पण किया जाएगा। पत्रिका का संपादन डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने किया है। सप्रे जी की 150 वी जयंती पर रायपुर, भोपाल, वाराणसी, चेन्नई, नागपुर सहित देश के विभिन्न शहरों में कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे। इस श्रृंखला में एक भव्य कार्यक्रम अगले वर्ष 23 अप्रैल को नई दिल्ली में आयोजित होगा।

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बारिश में लगाए यें प्लांट, ताकि मिले भरपूर ऑक्सीजन ★प्रीति द्विवेदी

बारिश में लगाए यें प्लांट, ताकि मिले भरपूर ऑक्सीजन

★प्रीति द्विवेदी

भोपाल। कोरोना ने किस कदर हम सभी की जिंदगी में कोहराम मचाया है इससे तो सभी वाकिफ हैं। इस दौरान जो सभी जरूरी चीज रही है वो है प्राण वायु यानि की ऑक्सीजन। जिसके लिए हर तरफ हाहाकार मची। बारिश का मौसम शुरू हो चुका है तो ऐसे में क्यों न हम कुछ ऐसे पौधों के बारे में जानें जो हमारे घर की सुंदरता तो बढ़ाते ही हैं साथ ही साथ भरपूर ऑक्सीजन भी देते हैं। इन पौधों को ज्यादा केयर की जरूरत भी नहीं होती। यह मौसम भी पर्याप्त अनुकूल होता है इन्हें लगाने के लिए। 
   घर में ऑक्सीजन देने वाले इंडोर प्लांट्स को रखना बेहतर विकल्प है। पौधों को घर के अंदर रखने से न केवल हवा की गुणवत्ता में सुधार होता है, बल्कि आप मानसिक तौर पर खुद को स्वस्थ महसूस करते हैं। घर बैठे ऑक्सीजन लेने का ये वो तरीका है, जो आपकी जेब पर भारी नहीं पड़ेगा और आपका स्वास्थ्य भी बनाए रखेगा। 
तो आइए ऐसे रूम प्लांट्स के बारे में जानते हैं, जो न केवल वातावरण में ऑक्सीजन बढ़ाते हैं बल्कि बेंजीन, फॉर्मेल्डिहाइड, जाइलीन, टोलुइन और ट्राईक्लोरोएथिलीन जैसे हानिकारक रसायनों को सोख भी लेते हैं।

तुलसी — 

हर भारतीय घर में तुलसी का पौधा जरूर होता है। इसे घर में रखने से घर में अच्छा स्वास्थ्य और भाग्य आता है। माना जाता है कि तुलसी के पौधे को घर के अंदर रखा जाए, तो ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ जाती है। ये दिनभर में 20 घंटे ऑक्सीजन तो देता ही है साथ ही साथ यह हवा से कार्बन ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों को भी अवशोषित करता है। 

रोजाबैंबू — 

रोजाबैंबू का पौधा हवा से टोल्यूनि को हटाता है। टोल्यूनि तीखी गंध वाला रंगहीन तरल होता है। जब टोल्यूनि हवा में फैलता है, तो यह नाक, आंख और गले में जलन जैसे हानिकारक प्रभाव डालता है। अन्य पौधों की तरह इसका काम भी हवा में पाए जाने वाले बेंजीन, फॉर्मलडिहाइड जैसे विषाक्त पदार्थों को फिल्टर करना है। घर में बैंबू प्लांट रखने से ऑक्सीजन लेवल काफी बढ़ जाता है।

एलोवेरा — 

एलोवेरा ऐसा पौधा है, जो आमतौर पर लगभग हर घर में लगा मिल जाएगा। आुयर्वेद में भी इसके फायदों का जिक्र किया गया है। ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए इसे घर में रखना बहुत जरूरी है क्योंकि इसकी पत्तियों में वातावरण में मौजूद बेंजीन और फॉर्मलडिहाइड को अब्जॉर्ब करने की बेहतरीन क्षमता है। चूंकि यह पौधा धूप में पनपता है, इसलिए इसे घर में ऐसी जगह पर रखना चाहिए जहां पर्याप्त धूप आती हो।

स्पाइडर प्लांट — 

स्पाइडर प्लांट घर के अंदर की हवा को स्वच्छ रखने के लिए बेहतरीन पौधा है। इस सुंदर पौधे की देखभाल करना काफी आसान है। ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए यह एक अच्छा इंडोर प्लांट है। इसे रिबन प्लांट के नाम से भी जानते हैं। यह पौधा कार्बन मोनोऑक्साइड, बेंजीन और फॉर्मलडिहाइड को छानकर हवा की क्वालिटी में सुधार करता है। इतना ही नहीं, ज्यादातर लोग हैप्पी वाइब्स और स्ट्रेस को मैनेज करने के लिए इस पौधे को घर में लगाते हैं। इसे आप घर के लिंविंग रूम में रखें और हफ्ते में मात्र एक बार पानी दें।

एरिका पाम — 

एरिका पाम हवा को शुद्ध करने वाले ऑक्सीजन प्लांट्स में से एक है। यह इंडोर प्लांट आपके आसपास हवा में मौजूद खतरनाक गैसों को अब्जॉर्व कर लेता है। इस पौधे की खासियत है कि ये कम रोशनी और कम पानी में भी रह सकता है। नासा के अनुसार, घर के अंदर कंधे के बराबर के चार एरिका प्लांट रखे जाएं, तो अच्छा होता है। यह पौधा केवल ऑक्सीजन की आपूर्ति ही नहीं करता, बल्कि बच्चों और भ्रूण के संपूर्ण विकास में भी सहायक है।

स्नेक प्लांट — 

स्नेक प्लांट को नासा द्वारा हवा को शुद्ध करने और फॉर्मलडिहाइड, बेंजीन, नाइट्रोजन ऑक्साइड, जाइलीन और ट्राइक्लोरोइथाइलीन जैसे विषाक्त पदार्थों को अवशोषित करने के लिए मान्यता दी गई है। इसमें ऑक्सीजन को लाने और कार्बनडाई आक्साइड को अवशोषित करने की बेहातरीन क्षमता होती है। इस पौधे की खासियत है कि यह रात के समय में ऑक्सीजन का उत्पादन ज्यादा करता है। इसे आप चाहें, तो अपने बेडरूम या फिर किचन में भी रख सकते हैं।

गरबेरा डेजी — 

वैसे तो कई लोग इसे घर की सजावट के लिए इस्तेमाल करते हैं लेकिन रंग-बिरंगे फूलों वाला यह पौधा ऑक्सीजन भी देता है। नासा के स्वच्छ वायु अध्ययन के अनुसार गरबेरा डेजी हवा से फॉर्मलडिहाइड, बेंजीन और ट्राइक्लोरोइथाइलीन को साफ करता है। यह रात में ऑक्सीजन छोड़ता है और कार्बनडाईआक्साइड को अवशोषित करता है। इसे सीधी धूप की जरूरत होती है इसलिए आप इसे घर में किसी ऐसी जगह पर रखें, जहां कुछ घंटे धूप आती हो।

ड्रैगन ट्री

इस प्‍लांट को रेड-एज ड्रैसेनिया भी कहते हैं। यह हमेशा हरा-भरा रहने वाला पौधा है। यह पौधा बेनजेन, फॉर्मेल्डिहाइड, जाइलीन, टोलुइन और ट्राईक्लोरोएथिलीन को सोख लेता है।  इस पौधे को सूरज की रोशनी की भी जरूरत होती है। इसलिए इसे ऐसी जगह भी रखा जा सकता है जहां धूप आती हो। इसमें नमी के अनुसार पानी की जरूरत होती है। आप इस पौधे को बालकनी या लिविंग रूम में ऐसी जगह पर रख सकते हैं जहां धूप आती हो।

पीपल का पेड़ — 

हिंदु धर्म में पीपल, तो बौद्ध धर्म में इसे बोधी ट्री के नाम से जानते हैं। कहते हैं कि इसी पेड़ के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्‍त हुआ था। पीपल का पेड़ 60 से 80 फीट तक लंबा हो सकता है। यह पेड़ सबसे ज्‍यादा ऑक्‍सीजन देता है। इसलिए पर्यावरणविद पीपल का पेड़ लगाने के लिए बार-बार कहते हैं।

बरगद का पेड़ — 

इस पेड़ को भारत का राष्‍ट्रीय वृक्ष भी कहते हैं। इसे हिंदू धर्म में बहुत पवित्र भी माना जाता है। बरगद का पेड़ बहुत लंबा हो सकता है और यह पेड़ कितनी ऑक्‍सीजन उत्‍पादित करता है ये उसकी छाया कितनी है, इस पर निर्भर करता है।

नीम का पेड़ — 

एक और पेड़ जिसके बहुत से फायदे हैं वो है नीम का पेड़। इस पेड़ को एक एवरग्रीन पेड़ कहा जाता है और पर्यावरणविदों की मानें तो यह एक नैचुरल एयर प्‍यूरीफायर है। ये पेड़ प्रदूषित गैसों जैसे कार्बन डाई ऑक्‍साइड, सल्‍फर और नाइट्रोजन को हवा से ग्रहण करके पर्यावरण में ऑक्‍सीजन को छोड़ता है। इसकी पत्तियों की संरचना ऐसी होती है कि ये बड़ी मात्रा में ऑक्‍सीजन उत्‍पादित कर सकता है। ऐसे में हमेशा ज्‍यादा से ज्‍यादा नीम के पेड़ लगाने की सलाह दी जाती है। इससे आसपास की हवा हमेशा शुद्ध रहती है।

अशोक का पेड़

अशोक का पेड़ न सिर्फ ऑक्‍सीजन उत्‍पादित करता है बल्कि इसके फूल पर्यावरण को सुंगधित रखते हैं और उसकी खूबसूरती को बढ़ाते हैं। यह एक छोटा सा पेड़ होता है जिसकी जड़ एकदम सीधी होती है। पर्यावरणविदों की मानें तो अशोक के पेड़ को लगाने से न केवल वातावरण शुद्ध रहता है बल्कि उसकी शोभा भी बढ़ती है। घर में अशोक का पेड़ हर बीमारी को दूर रखता है। ये पेड़ जहरीली गैसों के अलावा हवा के दूसरे दूषित कणों को भी सोख लेता है।

अर्जुन का पेड़ — 

अर्जुन के पेड़ के बारे में कहते हैं कि यह हमेशा हरा-भरा रहता है। इसके बहुत से आर्युवेदिक फायदे हैं। इस पेड़ का धार्मिक महत्‍व भी बहुत है और कहते हैं कि ये माता सीता का पसंदीदा पेड़ था। हवा से कार्बन डाई ऑक्‍साइड और दूषित गैसों को सोख कर ये उन्‍हें ऑक्‍सीजन में बदल देता है।

जामुन का पेड़

भारतीय अध्‍यात्मिक कथाओं में भारत को जंबूद्वीप यानी जामुन की धरती भी कहा गया है। जामुन का पेड़ 50 से 100 फीट तक लंबा हो सकता है। इसके फल के अलावा यह पेड़ सल्‍फर ऑक्‍साइड और नाइट्रोजन जैसी जहरीली गैसों को हवा से सोख लेता है। इसके अलावा कई दूषित कणों को भी जामुन का पेड़ ग्रहण करता है।

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मनी प्लांट — 

बेहद कम रोशनी में कमरों में आसानी से बढ़ने वाला मनी प्लांट भी तेजी से ऑक्सीजन बनाता है। नासा के अनुसार मनी प्लांट वातावरण से बेंजीन, फॉर्मेल्डिहाइड, जाइलीन, टोलुइन और ट्राई क्लोरो एथिलीन जैसे विषैले रसायनों को भी सोख लेते हैं। अपने इन गुणों के बावजूद मनी प्लांट बच्चों और पालतू जानवरों के लिए विषैले होते हैं। इसके पत्ते खाने से उल्टी-दस्त, मुंह और जीभ पर सूजन हो सकती है। घर में एक शख्स के लिए 18 इंच ऊंचा पौधा ठीक रहता है। मनी प्लांट को सीधी धूप की जरूरत नहीं होती। इसे भी सप्ताह में केवल एक बार पानी देने की जरूरत होती है। इसे किसी भी कमरे में, लेकिन बच्चों और पालतू जानवरों की पहुंच से दूर रखना चाहिए।

वीपिंग फिग — 

वीपिंग फिग महारानी विक्टोरिया के समय से ही काफी पसंद किया जाने वाला रूम प्लांट है। प्राकृतिक अवस्था में यह 20 मीटर तक ऊंचे हो सकते हैं। दरअसल, इनके तनों से ही जड़ें निकलने लगती हैं, जब यह जड़ लटकते हुए जमीन तक पहुंच जाती हैं तो खुद एक अतिरिक्त तना बन जाती है। इसकी पत्तियां नीचे लटकती हुई ऐसी दिखती हैं जैसे आंसू टपक रहे हों। यह घर की हवा में मौजूद फॉर्मेल्डिहाइड, जाइलीन और टोलुइन को सोख लेता है। यह कार्बन डाइऑक्साइड को भी तेजी से सोखकर ऑक्सीजन रिलीज करते हैं। गमले या जमीन में इसकी जड़ें बहुत तेजी से फैलती हैं। यह बगीचे या मिट्टी के गमले को नुकसान पहुंचा सकती है। इससे पालतू जानवरों को एलर्जी भी हो सकती है। इस पौधे को आराम भी चाहिए होता है यानी आमतौर पर सर्दियों में सूख जाए, तो भी इसे पानी या खाद नहीं दी जाती। इसे बालकनी या लिविंग रूम में ऐसी जगह रखना चाहिए जहां सूरज की रोशनी आती हो।


घरों में पौधे लगाने के फायदे

घर के भीतर कई तरह के परागण, धूल और यहां तक कि अच्छे से अच्छा पेंट भी हवा की गुणवत्ता पर असर डालते हैं। ऐसे में घर के भीतर ऐसे पौधे लगाना बढ़िया विकल्प है, जो एयर प्यूरिफायर की तरह काम करते हुए ऑक्सीजन का स्तर बनाए रखते हैं। ऐसे पौधों को ऑक्सीजन फैक्ट्री भी कहा जा सकता है। ये हवा को शुद्ध करने के साथ ही मानसिक तनाव को कम करने में भी मददगार हैं। यानी कोरोना काल में ये पौधे सबसे बढ़िया काम कर सकते हैं।

पौधे चुनते समय रखें इन बातों का ध्यान
पौधों का चयन करते समय इस बात का ध्यान रखें कि ऐसे पौधे लें जो तेजी से बढ़ते हों। ये पौधे ज्यादा से ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड कंज्यूम करते हैं। यानी ज्यादा ऑक्सीजन छोड़ते हैं। साथ ही इन्हें मौसम के हिसाब से चुना जाना चाहिए। इसके अलावा इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि पौधों में किसी तरह की कोई बीमारी या फंगल संक्रमण न हो। कोरोना के दौर में ब्लैक फंगस जैसी बीमारी तेजी से फैल रही है, ऐसे में स्वस्थ पौधे लेना और उन्हें स्वस्थ बनाए रखना ही सही है।

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पीएम स्वनिधि योजना एवं स्वनिधि से संमृद्वि योजना के क्रि सागर मध्यप्रदेश के चयनित 9 शहरों में अव्वल




पीएम स्वनिधि योजना एवं स्वनिधि से संमृद्वि योजना के क्रि सागर मध्यप्रदेश के चयनित 9 शहरों में अव्वल


साग़र । कोरोना महामारी की रोकथाम हेतु लगाए गए लॉकडाउन के कारण प्रभावित हुए रेहड़ी और पटरी वालों (छोटे स्ट्रीट वेंडर्स) को अपना खुद का काम नए सिरे से शुरू करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा 10000 रूपये तक का लोन मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना( स्ट्रीट वेंडर्स आत्म निर्भर निधि योजना) अंतर्गत नगर पालिक निगम के द्वारा सागर के पात्र स्ट्रीट वेंडर्स को 10000 रूपये तक का ब्याज मुक्त लोन बैंकों के माध्यम से दिलाया रहा है।  
स्वनिधि से संमृद्वि योजना के तहत मध्यप्रदेश के 09 शहरों क्रमशः (इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, खंडवा, बुरहानपुर, उज्जैन, सागर, गुना, छतरपुर) का पायलट आधार पर चयन किया गया है। इस योजना अंतर्गत 1 लाख से 10 लाख तक की जनसंख्या वाले शहरों में नगर पालिक निगम सागर ऋण वितरण कर लाभ दिलाने में मध्यप्रदेश के चयनित 9 शहरों में प्रथम स्थान पर है। इसके साथ ही स्वनिधि से संमृद्वि योजना में भी सागर मध्यप्रदेश के चयनित अन्य 9 शहरों में प्रथम स्थान पर है। सागर में पीएम स्वनिधि के सभी लाभार्थियों की सामाजिक एवं आर्थिक जानकारी एकत्र कर डाक्यूमेंट तैयार किये जा रहे है और उनके परिवारों को भारत सरकार की अन्य 9 योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है।
जिसके अंतर्गत पीएम स्वनिधि के लाभार्थियों एवं उनके परिवार जनों में से पीएम सुरक्षा बीमा योजना के लिए 2906 नागरिकों ने आवेदन किये और 2788 नागरिकों को हितलाभ दिया जा चुका है। इसी प्रकार पीएम जीवन ज्योति योजना में 2036 नागरिकों ने आवेदन किये और 1953 नागरिकों को, पीएम जन धन योजना में 74 नागरिकों में से 73 नागरिकों को, वन नेशन वन राशन कार्ड योजना में 2430 नागरिकों में से 2221 नागरिकों को, पीएम श्रमयोगी मनधन योजना में 2297 नागरिकों ने आवेदन किये और सभी 2297 ही नागरिकों को, कंस्ट्रक्शन कार्यो हेतु रजिस्ट्रेशन योजना में 174 नागरिकों ने आवेदन किये और सभी 174 नागरिकों को, इनके परिवारों की महिला सदस्यों द्वारा जननी सुरक्षा योजना में किये गए 54 आवेदनों मे से 50 महिलाओं को एवं पीएम मातृ वंदना योजना आदि के अंतर्गत लाभान्वित किया गया है। उक्त सभी योजनाओं अंतर्गत सागर शहर के कुल 9972 लोगों द्वारा दिये गये आवेदनों में से 9556 लोगों को लाभान्वित किया गया है।


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SAGAR : सात योजनाओं के लिए की गई भूमि आवंटित, बस स्टैंड को तिली में मिली जमीन

SAGAR : सात योजनाओं के लिए की गई भूमि आवंटित, बस स्टैंड को तिली में मिली जमीन

सागर । साग़र में सात योजनाओंके लिए जमीन आवंटित की गई है। इसमे  जिला एवं सत्र न्यायाधीश सागर तिलीमाफी के कुटुम्ब न्यायालय एवं श्रम न्यायालय नवीन भवन निर्माण , नगर पालिक निगम सागरखास नगर निगम सागर के नवीन बस स्टेण्ड विस्थापन हेतु तिलीमाफी सागर में,  जिला शिक्षा अधिकारी सागर तिलीमाफी में दिव्यांग बालक / बालिका छात्रावास निर्माण , बुन्देलखण्ड चिकित्सा महाविद्यालय सागर में 250 एमबीबीएस एवं 50 पीजी  शीट्स वृद्धि हेतु चिकित्सा शिक्षा विभाग को आवंटित किये जाने , उद्यमियों को उनकी परियोजना एवं आवश्यकतानुसार औद्योगिक ईकाईयों की स्थापना हेतु ,ढाना मिलिट्री स्टेशन  , महाप्रबंधक जिला व्यापार एवं बाछलौन उघोग केन्द्र सागर , कर्नल एडमिनिस्ट्रेटिव कमांडेट जसराज मैं स्टेशन हेड क्वार्टर ढाना सागर  मैं भूमि आवंटित की गई है ।


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नहीं भुलेंगे वो भयावह दो महीने... ★ ब्रजेश राजपूत

नहीं भुलेंगे वो भयावह दो महीने...


★ ब्रजेश राजपूत

( एबीपी न्यूज़ का ब्लॉग )

खबर एक - भोपाल के भदभदा विश्राम घाट के सचिव मम्तेष शर्मा ने बताया कि 14 जून को उनके श्मशान घाट पर कोरोना प्रोटोकॉल के तहत एक भी अंतिम संस्कार नहीं हुआ। कोरोना से दम तोड़ने वाले स्टैंड पर तीन महीनों बाद ऐसा सन्नाटा रहा।

खबर दो - एमपी के स्वास्थ्य विभाग के 14 जून के कोविड मीडिया बुलेटिन में प्रदेष के 52 जिलों में से सिर्फ तीन जिलों में ही दो अंकों में मरीज दिख रहे थे। बीस जिलों में एक भी मरीज नहीं सामने आये। 
खबर तीन  - एमपी में 14 अप्रैल को एक दिन में ही पांच लाख दस हजार लोगों को कोविड का टीका लगा और वैक्सीनेशन के डेढ़ सौ दिन पूरे होने वाले दिन अब तक एक करोड तैंतालीस से लोगों को टीका लग चुका है। 
 
ऊपर लिखी ये तीन खबरें जानलेवा महामारी कोविड के नियंत्रण में आने की ओर इशारा कर रहीं है। इस साल की शुरुआत से ही कोविड दबे पांव आया या कहें कि वो गया ही नहीं था। मगर उसने कहर बरपाया साल के पिछले दो महीने में। आप क्या ये दो महीने भुला पाएंगे शायद नहीं। नये वित्त वर्ष के पहले महीने यानी अप्रैल के टेबल कैलेंडर की तारीखें हम पढ ही रहे थे मुंबई से कोविड के पैर पसारने की खबरें आने लगीं। मुंबई के पहले हफ्ते में कोरोना से 166 तो आखिरी हफ्ते में 490 लोगों ने दम तोडा। अप्रैल का महीना खत्म होते होते मुंबई में कोरोना के केस निकले सवा दो लाख से ज्यादा और मरने वालों की संख्या थी तकरीबन डेढ़ हजार। 
हमारा मध्यप्रदेश  महाराष्ट्र से लगा जरूर था और इन खबरों के बाद सरकार ने महाराष्ट्र से आने वाली बसों का आना जाना बंद कर दिया। मगर अप्रैल के दूसरे हफ्ते की शुरू होते ही हालत बेकाबू होने लगी। कोरोना केस आने की रफतार यूं बढी कि दो लाख एक्टिव केस एमपी में सिर्फ अप्रैल में ही आ गये। पिछले महीने की अपेक्षा ये चालीस फीसदी से ज्यादा की रफतार थी। इन नये आ रहे केस को संभालने के लिए अस्पतालों में बिस्तरों की मारामारी शुरू हो गयी थी। हमारे दोस्तों, रिश्तेदारों के फोन भोपाल, इंदौर और जबलपुर में किसी भी अस्पताल में मरीजों को भर्ती कराने के आने लगे। पहचान के डॉक्टर फोन तो हमारे उठा रहे थे मगर उनका पहला वाक्य होता था हॉस्पिटल में बेड की बात छोड कर कुछ भी बोलो अस्पताल फुल हैं। सच ये था कि कोरोना का कोई भी मरीज दो हफते से पहले ठीक हो नहीं पाता था इसलिये जो एक बार अस्पताल में आ गया तो फिर उसका बेड कम से कम दो हफ्ते के लिए बुक हो जाता था। अपने संपर्कों के दम पर किसी को अस्पताल में भर्ती कराना जंग जीतने जैसा काम हो गया था। इसके बाद शुरू हुआ अस्पतालों में आक्सीजन की तंगी का बुरा सपना। जिस भोपाल शहर में मेडिकल आक्सीजन की खपत सिर्फ अस्सी मीट्रिक टन रोज होती थी वो कुछ दिनों में ही दोगुनी हो गयी। उस पर कोढ में खाज ये कि आक्सीजन दूसरे प्रदेशों से ही आती रही है। इसलिये आक्सीजन को दूसरे प्रदेष से लाने और अस्पतालों तक पहुंचाने में सरकार लगी रही। सबसे बुरा होता है किसी मरीज  अस्पताल में दम तोड़ देना। और ये हुआ कई जगहों पर कई बार कभी भोपाल तो कभी इंदौर तो कभी शहडोल अस्पतालों में आयी आक्सीजन की तंगी ने अस्पतालों में हालत मौत के बना दिये और बडी मेहनत से अस्पतालों तक लाये गये कोविड मरीज दम घुट कर मर गये। अस्पताल में बिस्तर आक्सीजन के बाद दवा यानिकी रामबाण बना दिये गये इंजेक्शन रेमडेसिवीर की मारामारी ने भी इतिहास रच दिया। दवा बाजारों के बाहर रेमडेसिवीर के लिये ऐसी लंबी कतारें लगी जो हमने कभी अपने बचपन में शक्कर और मिट्टी के तेल के लिये राशन की दुकानों के बाहर लगी देखीं थीं। अस्पताल आक्सीजन और रेमडेसिवीर की तमाम परेशानियों के बीच मई का महीना आते ही मौतों ने तांडव दिखाया। जिन रिश्तेदारों और दोस्तों और परिचितों को आप हमने बड़ी मुश्किलों के बीच अस्पतालों में भर्ती कराकर आये थे और उनकी सलामती की रोज भगवान से दुआ मांगते थे अब उनकी मौत की खबरें आने लगीं थी। दिल्ली इंदौर भोपाल के शमशान घाट अब खबरें उगल रहे थे। रोज यहां तडके सुबह से देर रात तक चलने वाली चिताएं की तस्वीर अखबारों के पहले पन्नों पर जगह पा रहीं थीं। हम सबने अपने करीबी मित्रों रिश्तेदारों को खाना शुरू कर दिया था। सुबह उठकर फेसबुक या व्हाट्सएप चेक करना किसी बुरी खबर के सामना करने से ही होता था। 15 मई के बाद कोई दिन ऐसा नहीं छूट रहा था जब अपने करीबियों के बिछड़ने का समाचार ना सुनना पडा हो। भोपाल में मेरे घर के पचास मीटर की परिधि में एक हफ्ते में चार अपने वालों ने दम तोडा। इतना दुख दर्द शोक पीड़ा का सामना हमने कभी अब तक की जिंदगी में नहीं किया था। मौत के आंकड़े सरकार कुछ और सच्चाई कुछ कह रही थी। चेन्नई में रहने वाली डाटा जर्नलिस्ट रूकमनी एस ने पिछले साल की जन्म मृत्यु का हिसाब रखने वाले विभाग सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के आंकडों की तुलना कर बताया कि एमपी में पिछले महीनों के मुकाबले अप्रैल मई में तीन गुना ज्यादा मौतें हुयी हैं। ये सभी कोरोना से तो नहीं है मगर इनमें से सत्तर से अस्सी फीसदी कोरोना से ही हुयी होगी ऐसा अंदाजा है। 
दो महीने बाद अब मौतें थम रहीं है, भदभदा घाट में कोरोना प्रोटोकॉल की चिताएं कम जल रही हैं, अस्पताल में कोरोना के मरीज कम आ रहे हैं और कोरोना के टीकाकरण में तेजी आयी है। उम्मीद है ये दिन अब लंबे चलेंगे। मगर इसके लिये जरूरी है कि हम ये सोचें कि कोरोना गया नहीं है वो यहीं है हमारे साथ हमारे आस पास हमें और हमारे वालों को फिर जकडने के लिये। 

★ ब्रजेश राजपूत, एबीपी न्यूज , भोपाल
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जिला अस्पताल में व्यक्ति पर पेट्रोल डालकर आग लगाने से हुई मौत का मामला ★ कांग्रेस ने कलेक्टर - एस.पी को ज्ञापन सौंपकर मजिस्ट्रियल जांच की उठाई माँग

जिला अस्पताल में  व्यक्ति पर पेट्रोल डालकर आग लगाने से हुई मौत का मामला

★ कांग्रेस ने कलेक्टर - एस.पी को ज्ञापन सौंपकर मजिस्ट्रियल जांच की उठाई माँग

सागर । जिला अस्पताल परिसर में गत बुधवार की रात्रि में एम.एल.सी कराने आए अनुसूचित जाति वर्ग के काकागंज निवासी श्री दामोदर कोरी पर पेट्रोल डालकर आग लगाकर मौत के घाट उतारने की घटना की मजिस्ट्रियल जांच कर जिम्मेवारों पर कार्यवाही की मांग को लेकर कांग्रेसजनों ने म.प्र. कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री श्री सुरेन्द्र चौधरी के नेतृत्व में  कलेक्टर श्री दीपक सिंह व पुलिस अधीक्षक श्री अतुल सिंह को ज्ञापन सौंपा। पूर्व मंत्री श्री सुरेन्द्र चौधरी ने पुलिस व प्रशासन पर तीखा प्रहार करते हुये कहा कि प्रशासनिक लापरवाही का लाभ उठाते हुए घटना को अंजाम दिया गया हैं इसके लिये पुलिस व प्रशासन अपने उत्तरदायित्व से नही बच सकता। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो थाना मोतीनगर, गोपालगंज, और सिटी कोतवाली पुलिस अपने -अपने क्षेत्राधिकार का बहाना बनाकर कार्यवाही करने से बचती नजर आई वही दूसरी ओर जिला अस्पताल के अमले व सुरक्षा गार्डस आदि की गैर मोजूदगी के साथ ही बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा सुविधाएं होने के बावजूद पीड़ित को  प्रशासन द्वारा इलाज के लिये छतरपुर भेजा गया जहाँ इलाज के आभाव में उसकी मौत हो गई। श्री चौधरी ने चेतावनी दी हैं कि निश्चित समय सीमा में कार्यवाही न होने की दशा में कांग्रेस पार्टी आंदोलन को वाध्य होगी जिसका सम्पूर्ण उत्तर दायित्व शासन / प्रशासन का होगा। इस दौरान मुख्य रूप से म.प्र. कांग्रेस के सचिव राकेश राय, जिला कांग्रेस पि. वर्ग के अध्यक्ष शरद राजा सेन, युवा कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष अशरफ खान, अनिल कुर्मी, बलराम साहू, मुकेश खटीक,अबरार सौदागर, संदीप चौधरी आदि मौजूद थे।

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