डॉ गौर पुण्य तिथि: पुस्तक चर्चा,कवि संम्मेलन और प्रतियोगिताओं का आयोजन
सागर। डा. हरिसिंह गौर की सत्तरवींं पुण्यतिथि
पर अनेक संस्थायो द्वारा उनका स्मरण किया गया। इस मौके पर विवि में गौर समाधि पर श्रद्धांजलि और भजन संध्या का आयोजन किया गया। वही शहर में स्थित गौर अध्ययन केंद्र में "ये सागर है" पुस्तक पर चर्चा, कवि संम्मेलन और चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन हुआ और पुरस्कारों का वितरण हुआ।
तीनबत्ती स्थित डॉ गौर प्रतिमा पर मोमबत्ती जलाकर श्रद्धांजलि दी गई।
पुस्तक पढ़कर सागर को समझा:कमिश्नर शर्मा
"ये सागर है "पुस्तक पर चर्चा करते हुए संभागायुक्त आनंद शर्मा ने कहा कि इस पुस्तक को पढ़ने के बाद मैं डा. गौर और सागर शहर को बेहतर समझ पाए हैं। जिस तरह महात्मा गांधी को ट्रेन से निकाले जाने पर उन्होंने अंग्रेजों को देश से ही निकाल दिया था ठीक इसी प्रकार सागर से कालेज बाहर ले जाकर डा. गौर को पढ़ने से महरूम करने पर वे पूरा विश्वविद्यालय ही सागर ले आए। संभागायुक्त शर्मा ने कहा कि इससे स्पष्ट होता है कि बड़े व्यक्तित्वों कि खासियत है कि वे कुछ अलग और बड़ा सोचते हैं। प्रभारी कुलपति प्रो. पीके राय ने कहा कि पूर्वछात्र परिषद एवं डेलीगेसी को इसके लिए साधुवाद करते हैं कि उन्होंने पुण्यतिथि पर गौर स्मरण की रुकी हुई परंपरा को बड़े स्तर पर आयोजन के साथ पुनः प्रारंभ किया है।
कार्यक्रम मे संयुक्त संचालक जनसंपर्क भोपाल अशोक मनवानी ने कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए कहा कि अगले वर्ष वे भोपाल में डा. गौर जयंती व पत्रकारिता के शिक्षक स्व. भूवनभूषण देवलिया की पुण्यतिथि का संयुक्त आयोजन बड़े स्तर पर करेंगे।
पुस्तक चर्चा में भाग लेते हुए पत्रकारिता विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं 'ये सागर है' के संपादक डा. सुरेश आचार्य ने बताया कि यह किताब 42 दिनों के अल्प समय में प्रकाशित हुई जिसमें पत्रकारिता विभाग के पूर्व छात्रों डा. रजनीश जैन, डा. राकेश शर्मा व अभिषेक यादव के लेखों का भी महत्वपूर्ण योगदान है।पुस्तक चर्चा में भाग लेते हुए पूर्वछात्र परिषद के अध्यक्ष डा. रजनीश जैन ने कहा कि डा गौर न होते तो विश्वविद्यालय, पत्रकारिता विभाग और यह पुस्तक भी नहीं होती। पुस्तक चर्चा में पं. शुकदेव तिवारी, डा. महेश तिवारी, श्रीमती कविता शुक्ला ने भी भाग लिया। कार्यक्रम में शहर के गणमान्य नागरिक कवि, साहित्यकारों ,पत्रकारों के साथ विशेष रूप से भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार राकेश अग्निहोत्री भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन शैलेंद्र ठाकुर ने किया, आशीष भाई जी ने आभार प्रदर्शन किया।
कवि संम्मेलन रहा डॉ गौर पर केंद्रित
डॉ.हरीसिंह गौर की पुण्यतिथि पर गौर अध्ययन केन्द्र सागर द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों की श्रृंखला में डॉ.गौर के जीवन पर केन्द्रित कवि सम्मेलन का आयोजन वरिष्ठ कवि निर्मल चंद निर्मल की अध्यक्षता,पं.शुकदेव प्रसाद तिवारी के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ। संचालन गीतकार डॉ.श्याम मनोहर सिरोठिया ने किया।इस अवसर पर डॉ. अनिल जैन,आर. के.तिवारी, डॉ.चंचला दवे,वृंदावन राय सरल, वीरेन्द्र प्रधान,डॉ. गजाधर सागर,श्रीमती निरंजना जैन,सुश्री देवकी भट्ट नायक,पी.आर. मलैया,टी.आर.त्रिपाठी, ऋषभ समैया जलज, डॉ.श्याममनोहर सीरोठिया,डॉ.गजाधर सागर, के.एल.तिवारी अलबेला,लक्ष्मीनारायण चौरसिया एवं निर्मल चंद निर्मल ने अपनी कविताओं के माध्यम से डॉ. गौर के अवदान को स्मृत करते हुए श्रद्धांजली दी।उमा कान्त मिश्र व कुंदन पाराशर ने सभी कवियों व अतिथियों का पुष्पहार पहनाकर स्वागत किया।
गौर अध्ययन केंद्र के अध्यक्ष डॉ.सुरेश आचार्य ने सभी कवियों का शाल व श्रीफल भेंटकर अभिनंदन किया।केन्द्र समन्वयक डॉ.प्रदीप तिवारी ने आभार प्रदर्शन किया।
इसके साथ ही चित्रकला प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। शाम को तीनबत्ती स्थित डॉ गौर की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि दी गई।
विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ हरीसिंह गौर की पुण्यतिथि पर भजन कार्यक्रम
डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के में विश्विद्यालय के संस्थापक डॉ हरीसिंह गौर की पुण्यतिथि पर विश्विद्यालय परिवार ने उनको विनम्र श्रद्वाजली अर्पित की। डॉ हरीसिंह गौर की पुण्यतिथि के अवसर पर विश्वविद्यालय द्वारा भजन कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रारंभ में प्रो. पी के राय , कर्नल राकेश मोहन जोशी, विश्वविद्यालय परिवार के सदस्यों ने डॉ गौर की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर कार्यक्रम में प्रो. पी के राय , कर्नल राकेश मोहन जोशी, डॉ. सुरेश आचार्य, प्रो. ए. पी. दुबे, डॉ. दिवाकर सिंह राजपूत, प्रो.आर पी मिश्रा, डॉ. आर. एन यादव, डॉ.जी एल. पुण्डतांबेकर, प्रो . ए.न. शर्मा डॉ. आनंद तिवारी, दीपक सिंघई, संदीप बाल्मीकि , जयंत जैन, प्रवीण राठौर, रनवीन ठाकुर, दीपक गुप्ता, विवेक मेहता, मुकेश चौरसिया, मशकूर अहमद, मनीष पुरोहित, नागेश दुबे, अर्चना मेहता, बड़ी संख्या में शिक्षक एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।