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छब्बीस ग्यारह की सालगिरह और प्रज्ञा का अठाइस ग्यारह...

छब्बीस ग्यारह की सालगिरह और प्रज्ञा का अठाइस ग्यारह...
ब्रजेश राजपूत/सुबह सवेरे में ग्राउंड रिपोर्ट 
शिवसेना नेता उर्ध्व ठाकरे के सीएम पद पर शपथ लेने के बाद ही अब जाकर महाराष्ट्र में शांति हुयी है वरना पिछले कई दिनों से महाराष्ट्र में चल रही राजनीतिक उठापटक में पूरे देश में शांति छायी ही दिख रही है चौबीस घंटे चलने वाले हिन्दी न्यूज चैनलों को देखने के बाद तो ऐसा ही लग रहा था। दरअसल महाराष्ट्र की राजनीति की उठापटक किसी भी मायने में फिल्मी कहानी से कम नहीं लग रही थी जिसमें सत्ता संघर्ष, परिवार के झगडे, सत्ता पाने की महत्वाकंाक्षा और विश्वासघात सब कुछ था। मुख्यमंत्री प्रदेश का चुना जाना है मगर इज़्ज़त राष्ट्रीय पार्टियों की दांव पर लगी थी शायद यही वजह रही कि  महाराष्ट्र  के चुनाव के बाद के बनते बिगडते समीकरण जनता की रूचि के विषय रहे और चैनल पर पूरे वक्त जगह पाते रहे। मगर इस बनते बिगडते समीकरण के दिनों में एक ऐसा दिन अनदेखा रह गया जिसकी साल भर प्रतीक्षा की जाती है। वो दिन था छब्बीस ग्यारह यानिकी छब्बीस नवंबर दो हजार आठ का वो हमला जिससे पूरी मुंबई दहल उठी थी। ग्यारह साल पहले के इस दिन को जब पाकिस्तान ये आये लश्करे तैयबा के नौ सदस्यों ने मुंबई के छह ठिकानों पर जो अप्रत्याशित हमला किया उसमें दो सौ से ज्यादा लोग मारे गये और तीन सौ से ज्यादा घायल हुये थे। ये हमला देश की वाणिज्य राजधानी और सबसे जिंदा शहर पर था इस हमले के घाव आज ग्यारह साल बाद भी जिंदा हैं। आमतौर पर इस दिन पर शोक सभाएँ होती हैं जिनका तकरीबन सारे चैनल प्रसारण करते हैं मगर इस बार ये दिन इस राजनीतिक उठापटक के बीच बिना याद किये ही गुजर गया। टीवी चैनलों पर इतना जिक्र जरूर आया कि चुनाव के बाद दो दिन के लिये बने मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस छब्बीस ग्यारह के शहीदों के चित्रों पर फूल चढाने तो आये मगर नये और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार उस समारोह से गायब रहकर अपने विधायकों की गिनती में व्यस्त रहे उधर शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी के नेता भी अजित पवार को विरोधी खेमे से तोडने की रणनीति बनाने में ही लगे रहे। छब्बीस ग्यारह को आज यहाँ याद करने की एक वजह ये भी है कि इस हमले से जुडी दो किताबें मेरी शेल्फ में आज भी प्रमुखता से हैं जिनमें से एक किताब मैंने हाल ही में पढकर खत्म की है और उसका नशा आज भी दिमाग से उतरा नहीं है ये दो किताबें हैं एबीपी न्यूज के मेरे साथी पत्रकार जितेंद्र दीक्षित की छब्बीस ग्यारह वो 59 घंटे, एक रिपोर्टर का हलफनामा। और दूसरी किताब है टीवी पत्रकार प्रियदर्शन की जिंदगी लाइव, छब्बीस ग्यारह की वो रात जो कभी खत्म नहीं हुयी। जितेद्र की किताब जहां करीब से देखी सच्चाई है तो प्रियदर्शन ने इस आतंकी घटना की पृप्टभूमि में टीवी चैनल में काम करने वालों की ऐसी कहानी लिखी है जो तेज गति से भागती है और किताब हाथ से छूटने नही देती। इस कहानी में कुछ सच्चाई है तो अधिकतर कल्पना। मगर 2009 में आयी जितेद्र की किताब दरअसल एक रिपोर्टर की उन तीन दिन की आंखों देखी दास्तान है जिसमें उसने हमले की शुरूआत से लेकर हमले के अंत तक उसकी रिपोर्टिंग की जिसमें उसने अपने सामने लोगों को मरते देखा और इस दरम्यान एकाध बार वो भी मरते मरते बचा। ऐसी घटनाओं की रिपोर्टिंग करना उतना आसान नहीं होता जितनी आसानी से हम अपने घरों के डाइंग रूम में बैठकर देख लेते हैं। टीवी की रिपोर्टिग के दौरान हमें घटनास्थल पर हो रही गतिविधियों तो कैमरामने साथी की मदद से संयत और सुरक्षित होते हुये शूट कर दफतर भेजते ही रहनी होती है साथ ही घटनास्थल से ऐसे मौकों पर लंबे लंबे फोनो देना मतलब फोन पर घटना का ब्यौरा देना और थका देता है। जितेंद्र ने इस किताब की भूमिका में लिखा भी है कि किताब लिखने की एक वजह यह भी है कि अब आतंकवाद कडवी सच्चाई है आने वाले दिनों में इस जैसे या इससे भी दुर्दांत हमले और हो सकते हैं तो ऐसे हालात में इस किताब को पढने के बाद दूसरे टीवी पत्रकार ऐसे हमलों की रिपोर्टिंग ओर बेहतर ढंग से सुरक्षित रहते हुये ओर सुरक्षा एजेंसियों के साथ बेहतर तालमेल कर विश्वसनीय तरीके से रिपोर्टिंग कर पायेगे। इतनी कडवी बात इतनी सच्चाई से कोई टीवी रिपोर्टर ही लिख सकता है। जितेंद्र की ये किताब पढकर वो हमला जिंदा हो उठता है और हमले के ब्यौरे पढ कई बार हम सिहर भी उठते हैं। मुंबई के जिन परिवारों ने अपने तकरीबन ढाई सौ से ज्यादा लोग खोये है उनको याद करने का दिन होता है छब्बीस ग्यारह। उसी छब्बीस ग्यारह की रात को आतंकियों की गोली से मुंबई पुलिस के एक बेहद काबिल अफसर हेमंत करकरे भी शहीद हुये थे। इधर मैं अपने लेपटाप पर बैठकर ग्राउंड रिपोर्ट लिख रहा हूं मेरे सामने टीवी चैनल पर भोपाल से बीजेपी की सांसद प्रज्ञा भारती के संसद में गोडसे के देशभक्त बताने वाले कथित बयानों को लेकर हो रहे हंगामे की खबर भी चल रही है। इस साल मई में लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान प्रज्ञा भारती पहली बार निशाने पर तब ही आयीं थी जब उन्होंने बीजेपी कार्यकर्ताओं की एक बैठक में हेमंत करकरे की शहादत पर सवाल खडे कर उनके बारे में अनर्गल प्रलाप किया था। तब पता चला था कि बीजेपी की ये उम्मीदवार इस कदर वाचाल हैं कि उनको उनकी जबान पर काबू ही नही हैं। चुनाव जीतने के बाद अब वो हेमंत करकरे से और आगे बढकर बापू के हत्यारे का महिमामंडन करने मे लगी हैं वो भी उस संसद में जहंा बैठने का हक महात्मा गांधी ने ही दिलाया है। राप्टपिता और बहादुर पुलिस आफीसर की शहादत पर सवाल उठाने वाले लोग हमारी संसद में आ बैठे हैं ऐसे लोकतंत्र की कल्पना तो बापू ने भी नही की होगी। खैर मुंबई से लेकर दिल्ली  में संसद में बैठे नेता भले ही भूल जायें मगर हम जनता उन छब्बीस ग्यारह के शहीदों के साथ ही हताहत हुये बेगुनाह लोगों को ना भूलें क्योकि इतिहास अपने को दोहराता है। और अपने को भूलने वालों को कभी माफ नहीं करता। 
ब्रजेश राजपूत, एबीपी न्यूज ,भोपाल
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थाने में आग लगा दो.. वाले मामले में पूर्व काँग्रेस विधायक शकुंतला खटीक सहित सात को सजा

थाने में आग लगा दो.. वाले मामले में पूर्व काँग्रेस विधायक शकुंतला खटीक सहित सात को सजा
भोपाल।एमपीएमएलए मामलों केलिए गठित विशेष अदालत ने शिवपुरी के करैरा से काग्रेस की पूर्व विधायक शकुंतला खटीक सहित
सात लोगों को धरना प्रदर्शन के दौरान पुलिस थाने में आगजनी करने को उकसाने के आरोप में 3 साल की सजा सुनाई है। पूर्व विधायक शकुंतला खटीक ने मंदसौर गोलीकांड के विरोध में पदर्शन किया था । इस दौरान उनका एक वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमे "थाने में आग लगा दो.." जैसा बात कही थी।
अभियोजन अनुसार घटना 8 जून 2017 को करेरा पुलिसथाना, शिवपुरी में हुई थी। कांग्रेस पार्टी द्वारा मंदसौर में हुएगोलीकांड के विरोध में प्रदेशभर में धरना प्रदर्शन किया जारहा था। इसी दरम्यान करेरा पूर्व विधायक शकुंतला खटीक
ने अपने समर्थकों के साथ धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया।विधायक खटीक पूर्व मंत्री शिवराज सिंह चौहान का पुतलादहन कर रही थी तभी पुलिस बल ने वहां आकर अनियंत्रितभीड़ को नियंत्रण में करने के लिए वज्र वाहन से पानी की
बौछार करनी शुरू कर दी।इससे उत्तेजित होकर पूर्व विधायक ने वहां उपस्थित भीड़को उकसाते हुए कहा कि वह थाने में आग लगा दें। उनकी
बातों में आकर वहां उपस्थित उनके समर्थकों ने पुतला दहनकरते अन्य जगह भी आग लगाने का प्रयास किया। पुलिसने मौके पर आग पर काबू न पाया होता तो पुलिस थानेसहित अन्य सरकारी संपत्ती को आग से भारी नुकसान पहुंचता।
  इस मामले में पुलिस ने पूर्व विधायक शकुंतला खटीकसहित 7 कांग्रेस कार्यकर्ताओं के खिलाफ बलवा, आगजनी,आगजनी को उकसाने, शासकीय कार्य में बाधा डालने का मामला दर्ज हुआ था। विशेष न्याय धीश सुरेश सिंह ने आज तीन साल की सजा और 35 हजार के अर्थदंड की सजा सुनाई।
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आंद्रेई स्टेनिन इंटरनेशनल फोटो प्रतियोगिता के विजेताओं की तसवीरों की प्रदर्शनी 5 दिसम्बर तक

आंद्रेई स्टेनिन इंटरनेशनल फोटो प्रतियोगिता के विजेताओं की तसवीरों की प्रदर्शनी 5 दिसम्बर तक
नई दिल्ली।आंद्रेई स्टेनिन इंटरनेशनल फोटो प्रतियोगिता के विजेताओं की तसवीरों की प्रदर्शनी शुक्रवार से 5 दिसम्बर तक चलेंगी ।प्रतियोगिता के इतिहास मे दूसरी बार रोसिया सेगोडन्या समाचार एजेंसी दावरा यूनेस्को के सहयोग से किया जा रहा है ।प्रदर्शनी मे रूस, भारत, दक्षिण अफ्रीका, इटली, अमेरिका, फ्रांस सहित  कई देशों के  सर्वश्रेष्ठ युवा फोटोग्राफरों द्वारा दर्जनों तस्वीरों की प्रदर्शिनी चल रही है ।29 नवंबर से एक रफी मार्ग के एआईएफएसीएस गैलरी में प्रदर्शनी की जा रही है ।
इतालवी ग्रां प्री विजेता गैब्रिएल सेकोनी द्वारा ली गई फोटोग्राफिक सीरीज़ द व्रीटेड एंड द अर्थ, मनुष्य और प्रकृति के बीच जबरन टकराव के बारे में एक दुखद कहानी बयान करती है। प्रदर्शनि मे कई ज्वलंत छवियों के माध्यम से  सामयिक विषयों को भी उठाया गया है।रोहिंग्या शरणार्थियों और बांग्लादेश के दक्षिणी क्षेत्रों पर अपने प्रवासन द्वारा धीमी गति से विनाश की कहानी कहती तस्वीरें आपको सोचने पर  मजबूर कर देंगी / फ्रांसिस रूसो (फ्रांस) द्वारा उनकी द वुमन ऑफ अरुगम बे की नायिकाएं श्रीलंका की महिलाएं हैं जिन्होंने विंडसर्फ के बारे में जानने का फैसला किया।
शंतनु डे के अनुसार दक्षिण अफ्रीका के जस्टिन सुलिवन की सबसे चौंका देने वाली तस्वीरों में से एक है जिसने माई प्लैनेट श्रेणी में पहला पुरस्कार जीता है । इसमें एक अफ्रीकी हाथी को दिखाया गया है जिसे उत्तरी बोत्सवाना में हाथी दांत के शिकार शिकारियों ने मार दिया था। प्रदर्शन में भारत के चार विजेताओं द्वारा ली गई तस्वीरें शामिल हैं। कोलकाता के पत्रकार और फ्रीलांस डॉक्यूमेंट्री फ़ोटोग्राफ़र देवरचन चटर्जी ने विरोध आंदोलन पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपनी तस्वीर के लिए शीर्ष समाचार श्रेणी में प्रतियोगिता जूरी का पुरस्कार जीता है । अमित मौलिक और अयानवा सिल ने खेल श्रेणी में बेहतरीन और गतिशील चित्रों का योगदान दिया है । कोलकाता में बहुरूपी अभिनेताओं से स्ट्रीट ग्लास कटर तक विलुप्त होने की श्रृंखला के कगार पर उन व्यवसायों को दिखाया है ।
   उद्घाटन से एक दिन पहले, प्रतियोगिता के क्यूरेटर ओक्साना ओलेनिक ने कहा है : "हमें खुशी है कि नई दिल्ली दूसरी बार आंद्रेई स्टेनिन इंटरनेशनल प्रेस फोटो प्रतियोगिता के विजेताओं द्वारा प्रदर्शनी की मेजबानी कर रहा है। प्रतियोगिता के लिए सबमिशन की संख्या से भारत शीर्ष पांच देशों में से एक है, और मुझे उम्मीद है कि हमारी परियोजना में पेशेवरों की दिलचस्पी बढ़ेगी। "प्रदर्शनी 5 दिसंबर तक सप्ताह के दिनों में सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक खुली रहेगी ।
प्रतियोगिता के बारे में
यूनेस्को के लिए रूसी संघ के तत्वावधान में रोसिया सेगोडन्या समाचार एजेंसी द्वारा आयोजित आंद्रेई स्टेनिन इंटरनेशनल प्रेस फोटो प्रतियोगिता का उद्देश्य युवा फ़ोटोग्राफ़रों का समर्थन करना और आधुनिक फोटो जर्नलिज़्म के कार्यों पर जनता का ध्यान आकर्षित करना है। यह उन युवा फ़ोटोग्राफ़रों के लिए एक स्थान है जो प्रतिभाशाली, संवेदनशील और कुछ नया करने के लिए तत्पर हैं। दो भारतीय फोटोग्राफेर्स का परोचे एवं बाइट 
"स्टेनिन प्रतियोगिता ने जिस तरह का प्रदर्शन हमारे सामने लाया वह अद्वितीय है। जब हम अपने समारोह के लिए मास्को गए, तो हमें बहुत सारे शानदार फोटोग्राफरों से मिलने और जुड़ने का मौका मिला। प्रतियोगिता ने हमें फोटोग्राफी की शैली में आने में मदद की ।जिसे हमने चुना है - वृत्तचित्र। जब हम मॉस्को में अन्य अंतरराष्ट्रीय फोटोग्राफरों से मिले तो हमने महसूस किया कि वे अपनी शैली और फोटोग्राफी की शैली से चिपके रहते हैं और पैसे या व्यावसायीकरण के लिए इसे बदलते नहीं हैं।" 
शांतनु डे - बांग्लादेश में छात्रवृत्ति पर फोटोग्राफी का अध्ययन किया - "पॉट्रेट" श्रेणी में - "विलुप्त होने के कगार पर नोस्टाल्जिया" शीर्षक से उनकी श्रृंखला के लिए तीसरा स्थान हासिल किया।
 -"फ़ोटोग्राफ़ी एक कलात्मक भाषा है और चित्र में उसकी अपनी धारणा को प्रतिबिंबित करने में सक्षम होने के लिए, फोटोग्राफर को कला का व्याकरण जानना चाहिए। हर कोई हमेशा ध्यान देता है कि जो भी कैमरे के सामने है, कोई भी उस व्यक्ति पर ध्यान नहीं देता जो पीछे से है। स्टीनिन जैसी प्रतियोगिताओं से हमें वैश्विक स्तर पर फोटोग्राफरों को उचित पहचान मिलने में मदद मिलती है। हमें भारत में फोटोग्राफरों के लिए अधिक प्रदर्शनियों और प्रतियोगिताओं की आवश्यकता है।"
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एमपी में 43 परिवहन विभाग में निरीक्षक/सहायक निरीक्षकों/प्रधान आरक्षकों के तबादले

एमपी में 43 परिवहन विभाग में निरीक्षक/सहायक निरीक्षकों/प्रधान आरक्षकों के तबादले
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भाजपा जिला अध्यक्ष के लिए हुई राय शुमारी, तीन तीन नाम लिए पर्चीयो से

भाजपा जिला अध्यक्ष के लिए हुई राय शुमारी,तीन तीन नाम लिए  पर्चीयो से 
सागर। भारतीय जनता पार्टी के संगठन पर्व के तहत बूथ स्तर एवं मंडल स्तर के चुनावों के बाद जिला अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया के लिये पार्टी कार्यालय में पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष निर्वाचन अधिकारी अरविंद भदौरिया ने मंडल अध्यक्ष एवं जिले के प्रतिनिधियों के साथ ही पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों से चर्चा कर रायशुमारी की।
उन्होंने कहा कि बूथ स्तर के एवं मंडल स्तर के चुनाव के बाद भाजपा जिला अध्यक्ष के निर्वाचन प्रक्रिया में भी आंतरिक लोकतंत्र मजबूत रहे इसको लेकर पार्टी ने पारदर्शिता के साथ चयन प्रक्रिया तय की है। सभी मंडल अध्यक्ष एवं जिले के प्रतिनिधिगण जिला अध्यक्ष के उम्मीदवारों के तीन नाम पर्ची में लिखकर अपनी-अपनी राय दें जिसे लिफाफा में बंद करकर भोपाल ले जाया जायेगा। उन्होंने कहा कि सागर जिले के वरिष्ठ नेताओं से वन-टू-वन चर्चा कर जिला अध्यक्ष के उम्मीदवार के संबंध में चर्चा की गयी है एवं जिले के वरिष्ठ नेताओं एवं जन प्रतिनिधियों से भी जिला अध्यक्ष के संबंध में चर्चा की गयी है। भारतीय जनता पार्टी जिला अध्यक्ष की सभी लोगों से रायशुमारी एवं चर्चा के पश्चात् समन्वय बनाकर सर्वसम्मति से अतिशीघ्र भोपाल से घोषणा होगी। बैठक में भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष प्रभुदयाल पटैल ने स्वागत भाषण देते हुये कहा कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र के मजबूती के लिये निर्वाचन प्रक्रिया महत्वपूर्ण है। 
अरविंद भदौरिया ने आज सुबह जिले के समस्त मंडल अध्यक्षों एवं जिले के प्रतिनिधियों की बैठक लेकर उनसे पर्ची के माध्यम से 3-3 उम्मीदवारों के नाम लेकर लिफाफे में बंद किये तत्पश्चात् सागर जिले के लगभग 30 वरिष्ठ नेताओं से जिला अध्यक्ष को लेकर वन-टू-वन चर्चा कर रायशुमारी ली। तत्पश्चात् जिले के निर्वाचन अधिकारी अरविंद भदौरिया ने सागर जिले के वरिष्ठ नेताओं एवं जनप्रतिनिधियों से भी चर्चा की। 
बैठक का संचालन जिले के महामंत्री अनुराग प्यासी एवं आभार शैलेष केशरवानी ने व्यक्त किया। 
ये रहे बैठक में
बैठक और रायशुमारी एवं वरिष्ठ नेताओं में चर्चा करने वालो में प्रमुख रूप से पूर्व मंत्री खुरई विधायक  भूपेन्द्र सिंह, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष प्रदीप लारिया, सांसद राजबहादुर सिंह, सागर विधायक शैलेन्द्र जैन, महापौर अभय दरे, पूर्व सांसद लक्ष्मीनारायण यादव, पूर्व विधायक श्रीमति सुधा जैन, नारायण प्रसाद कबीरपंथी, भानूराणा, हरिराम सिंह ठाकुर, डाॅ. सुशील तिवारी, राजेन्द्र सिंह मोकलपुर, प्रदीप पाठक, गोविंद जड़िया, तेजी सिंह राजपूत, डाॅ. सुखदेव मिश्रा, रामअवतार पांडे, सुधीर यादव, राजेन्द्र सिंह घोषी, राजकुमार सिंह बरकोटी, रामकुमार साहू, अरविंद तोमर, लक्ष्मण सिंह, डाॅ. वीरेन्द्र पाठक, पंकज मुखारया, राजकुमार जैन, अनुराग प्यासी, वैभवराज कुकरेले, शैलेष केशरवानी, प्रदीप राजौरिया, श्याम तिवारी, नवीन भट्ट, गौरव सिरोठिया, रामेश्वर नामदेव, उमेश हरदया, जगन्नाथ गुरैया, अर्पित पाण्डे, विक्रम सोनी, मनीष चैबे, रीतेश मिश्रा, बंटी शर्मा, राजकुमार सिंह धनौरा, कपिल कुशवाहा, दिलीप नायक, आफीसर यादव, प्रेमचंद बड़कुल, राजकुमार सतभैया, विवेक मिश्रा, उमेश जैन, देवपाल सिंह लोधी, अमित नायक, ईश्वर नायक, गोविंद पटैल, भरत सेमरा, सुधीर यादव, मनोज तिवारी, मनोज जैन, संदीप जैन, बुंदेल सिंह मानकी, कैलाश राजपूत, संजय चैरसिया, कमल सिंह दुधवारा, रामलखन सिंह, अमित राय, गोविंद पटैल, हरिशंकर राठौर, मनीष गुरू, राजकुमार बघेल, हरिशंकर कुशवाहा, पुष्पेन्द्र सिंह तोमर, दीपेश जैन, नारायण लोधी, मनीष पटैल, प्रवीण जैन, संतोष लोधी, शुभम तिवारी, मनीष पटैल, मुकेश कटारे, नत्थू सिंह यादव, ओमप्रकाश कुर्मी, प्रवीण जैन, धर्मेन्द्र पटैल, पुष्पेन्द्र सिंह तोमर, सुरेश कपस्या, श्याम सुंदर मिश्रा, नरेन्द्र ठाकुर, रत्नेश सिंह, भैयाराम लोधी, विनय मिश्रा, रविन्द्र अवस्थी, हीरालाल खटीक, वृन्दावन अहिरवार, यश अग्रवाल, नितिन सोनी, नितिन अहिरवार, ब्रजमोहन पाठक, निकेश गुप्ता, कपिल उपाध्याय, वृन्दावन अहिरवार, रीतेश तिवारी, संदीप साहू, अंशुल हर्षे, प्रशांत देवलिया, रामशास्त्री, सोनल सोनी, सहित बड़ी संख्या में अपेक्षित श्रेणी के भाजपा के पदाधिकारी एवं वरिष्ठ नेताओं ने बैठक में उपस्थित होकर एवं निर्वाचन अधिकारी मान. अरविंद भदौरिया से भाजपा जिला अध्यक्ष के निर्वाचन को लेकर वन-टू-वन चर्चा की। उक्ताशय की जानकारी भारतीय जनता पार्टी के संभागीय मीडिया प्रभारी प्रदीप राजौरिया ने  दी।  
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दोनो सांसद सागर में लेकिन नही मिले कांग्रेसियों को , सांसद कार्यालय पर चिपकाया ज्ञापन, पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच हल्की झड़प

 दोनो सांसद सागर  में लेकिन नही मिले कांग्रेसियों को , सांसद कार्यालय पर चिपकाया ज्ञापन, पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच हल्की झड़प

सागर। मध्यप्रदेश के विकास में भेदभाव को लेकर  सांसद कार्यालय के  समक्ष प्रदर्शन करने के पहले ही पुलिस ने बेरिकेट्स लगाकर रोक लिया । इस दौरान कांग्रेसियों ने जमकर प्रधानमंत्री के खिलाफ नारेबाजी की और पुलिस के साथ धक्का धूमी भी की । इसके बाद कांग्रेसियों ने भाजपा सांसद राजबहादुर सिंह के  कार्यालय पहुचकर उनके बाहर ज्ञापन नुमा पोस्टर चिपका दिया। इस दौरान भारी पुलिसबल तैनात रहा।
दोनो सांसद थे सागर में लेकिन नही मिल सके
सागर जिले से दो  सांसदो  का प्रतिनिधित्व है ।दमोह सांसद  केंद्रीय राज्य मंत्री प्रह्लाद पटेल और सागर सांसद राजबहादुर  दोनो के क्षेत्रों में सागर जिले के विधानसभा क्षेत्र आते है । यह संयोग ही था दोनो सांसद  आज ही सागर में विभिन्न कार्यक्रमो में शिरकत करते रहे । लेकिन कांग्रेसजन पार्टी हाईकमान की भेदभाव वाली बात नही पहुचा सके । उधर केंद्रीय राज्यमंत्री प्रह्लाद पटेल से  सुबह ही दमोह में कांग्रेसियों ने मुलाकात की और अपनी बात रखी।

इस मामले में जिलाध्यक्ष हीरा सिंह का कहना है कि पार्टी हाईकमान के निःर्देश कार्यालय पर ही पहुचकर प्रदर्शन के थे। वही शहर अध्यक्ष रेखा चोधरी के अनुसार सांसद राजबहादुर सिंह  से समय मांगा था लेकिन कोई जवाब नही मिला।
पैदल मार्च करते हुए पहुचे कांग्रेसी
केंद्र की मोदी सरकार द्वारा प्रदेश की कांग्रेस सरकार से भेदभाव पूर्ण जनविरोधी नीतियों को लेकर जिला कांग्रेसअध्यक्ष  हीरा सिंह राजपूत एवं रेखा चौधरी के नेतृत्व में बस स्टैंड से पैदल मार्च करते मोदी सरकार के सांसदों मंत्रियों को कुंभकरण की नींद से जगाने के लिए ढोलक गाजे-बाजे के साथ प्रदर्शन किया।
 कार्यक्रम में प्रमुख रूप से वरिष्ठ कांग्रेस युवा कांग्रेस पार्षद गण महिला कांग्रेस सभी प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों से अनेक कांग्रेस जन शामिल रहे।
ये रहे प्रदर्शन में शामिल
प्रदर्शन में शामिल कांग्रेसियों में कुलदीप बाँझल, जितेंद्र चावला, नरेश जैन, कमलेश बघेल,अमित राम जी दुबे,त्रिलोकी कटारे,सिंटू कटारे ,विजय साहू, सुरेंद्र चोबे, मुन्ना चोबे,संदीप सबलोक,आनंद तोमर, शेलेन्द्र तोमर, कैलाश सिंघई,राजू वैध ,अवधेश तोमर, संजय मोंटी यादव,महेश जाटव,द्वारका चोधरी,निखिल चौकसे,जितेंद्र रोहन, इल्ले सरदार,सीमा चोधरी,रंजीता राणे,हेमलता , राकेश राय, रवि यादव,मुकेश खटीक,मुकुल शर्मा,फहीम, पम्मा भाईजान, रूपेश यादव सहित अनेक कार्यकर्ता मौजूद थे।




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