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कोरोना अनुकूल व्यवहार का पालन करने वाली दुकानों और संस्थाओं को सम्मानित किया जाएगा - मुख्यमंत्री ★ रेस्टोरेंट पर विशेष चौकसी बरतने की आवश्यकता ★ भीड़ भरे क्षेत्रों में निगरानी के लिए टॉवर लगाए जाएं

कोरोना अनुकूल व्यवहार का पालन करने वाली दुकानों और संस्थाओं को सम्मानित किया जाएगा - मुख्यमंत्री 
★ रेस्टोरेंट पर विशेष चौकसी बरतने की आवश्यकता
★ भीड़ भरे क्षेत्रों में निगरानी के लिए टॉवर लगाए जाएं
★ जारी रहे "रोको-टोको" अभियान
★ कोरोना अनुकूल व्यवहार पर मंत्री समूह की बैठक सम्पन्न
 
भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश में कोरोना अनुकूल व्यवहार को सुनिश्चित करने के लिए शहरी क्षेत्रों में 'सम्मान योजना' तथा 'रोको-टोको' अभियान चलाए जाएंगे, ताकि लोगों को कोविड से बचने के लिए जरूरी सावधानियों के पालन के लिए और अधिक प्रेरित किया जा सके। यह निर्णय मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा कोविड नियंत्रण तथा रोकथाम के लिए गठित मंत्री समूहों की बैठक में लिया गया। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज मंत्रालय में कोरोना अनुकूल व्यवहार के लिए गठित मंत्री समूह को संबोधित कर रहे थे। नगरीय विकास और आवास मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह ने कोरोना के विरूद्ध अपने समूह की ओर से अनुशंसाएँ प्रस्तुत की। बैठक में वित्त, वाणिज्यिक कर मंत्री श्री जगदीश देवड़ा, जल संसाधन मंत्री श्री तुलसी सिलावट भी उपस्थित थे।

सावधानियों का पालन जरूरी

बैठक में तय किया गया कि शहरी इलाकों में दुकानों में सोशल डिस्टेंसिंग सहित कोरोना से बचने के सभी उपायों पर विशेष ध्यान दिया जाए। जो दुकानदार इस दिशा में अच्छा काम करेंगे, उन्हें नगरीय विकास और आवास विभाग की तरफ से सम्मानित किया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कोरोना अनुकूल व्यवहार का पालन करने वाली दुकानों और संस्थाओं को नगरीय निकाय प्रमाण-पत्र जारी कर सम्मानित करें। साथ ही राज्य में 'रोको-टोको' अभियान भी चलाया जाएगा। इसमें राज्य सरकार आम जनता को कोरोना के लिए जरूरी सभी सावधानियों के पालन के लिए जागरूक करेगी। बड़े मेलों और धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजनकर्ताओं की यह जिम्मेदारी रहेगी कि वे कोरोना अनुकूल व्यवहार का पालन सुनिश्चित कराएं। मंत्री समूह द्वारा अनुशंसा की गई कि अधिक भीड़ वाले बाजारों और अन्य स्थानों पर निगरानी टॉवर स्थापित किए जाएं और बिना मास्क लगाए व्यक्तियों और भीड़ लगाने वालों पर जुर्माने की कार्यवाही की जाए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कोरोना संक्रमण के प्रति सजगता के लिए प्रदेश में प्रतिदिन एक लाख तक टेस्ट सुनिश्चित किए जाएं।

रेस्टोरेंट पर विशेष चौकसी बरतने की आवश्यकता

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कोरोना संक्रमण का खतरा अभी गया नहीं है। जन-सामान्य का पार्क, बाजारों, रेस्टोरेंट में आवागमन लगातार बढ़ रहा है। रेस्टोरेंट पर विशेष चौकसी बरतने की आवश्यकता है। पुलिस तथा नगरीय निकायों का अमला यह सुनिश्चित करें कि प्रावधान के अनुसार 50 प्रतिशत क्षमता के आधार पर ही रेस्टोरेंट और होटलों का संचालन हो। इससे अधिक लोग एक समय में होटलों और रेस्टारेंट में मौजूद न रहें।


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एशिया पेसिफिक रीजन मैसेंजर ऑफ पीस वर्चुअल सम्मेलन 2021 में शालिनी जैन का चयन

एशिया पेसिफिक रीजन मैसेंजर ऑफ पीस वर्चुअल सम्मेलन 2021 में शालिनी जैन का चयन

★ एशिया पेसिफिक रीजन मैसेंजर ऑफ पीस वर्चुअल सम्मेलन 2021 चार दिवसीय आयोजन का समापन


सागर।  मैसेंजर ऑफ पीस विश्वव्यापी मुहिम है जिसका मुख्य उद्देश्य आज के नवयुवक और नवयुवतियों को विश्व शांति के कार्य करने के लिए प्रेरित करना है। एशिया पेसिफिक रीजन मैसेंजर ऑफ पीस के 10 वर्ष पूरे होने पर चार दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। जो कि 24 जून से 27 जून तक हुआ। इसमें पूरे भारत से लगभग 481 रजिस्ट्रेशन में से केवल 150 स्काउट गाइड, स्काउट मास्टर, गाइड कैप्टन, रोवर,रेंजर का चयन किया गया गया।जिसमें मध्यप्रदेश की मैसेंजर ऑफ पीस की स्टेट कोऑर्डिनेटर श्रीमती शालिनी जैन का चयन किया गया।

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उद्घाटन समारोह,वीडियो प्रस्तुति (एमओपी का एक दशक)वैश्विक रिपोर्ट,पिछले 10 वर्षों में एमओपी शांति के संदेशवाहक सफलता की कहानियां,बीओजी पर ब्रीफिंग और समूहों में स्थानांतरण,ब्रेकआउट समूह (सीखने का अवसर), जाचना और परखना, एमओपी कार्यक्रम के प्रचार में सोशल मीडिया का उपयोग, परियोजना प्रबंधन,एमओपी रोड शो इनोवेशन,एमओपी कॉफी टेबल बुक प्रमोशन,प्रश्नोत्तरी और आइस ब्रेकर,शांति गतिविधि, एमओपी के अगले दशक की योजना,समापन समरोह आदि जूम ऐप्प पर लाइव चली। इस वर्चुअल सम्मेलन में शासकीय ज्ञानोदय विद्यालय सागर से श्रीमती जैन के चयन होने पर संस्था प्राचार्य डॉ एस. के.चौरसिया सहित विद्यालय परिवार ने बधाई दी।
 
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यह उपभोक्तावादी समय है: गणेश शाहा ★ ‘वसुधैव कुटुंबकंम एवं विश्व शांति एवं सद्भाव’ विषय पर अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार

यह उपभोक्तावादी समय है: गणेश शाहा


 ★ 'वसुधैव कुटुंबकंम एवं विश्व शांति एवं सद्भाव' विषय पर अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार

महू (इंदौर)।. 'वर्तमान समय उपभोक्तावादी समय है. इस काल में संस्कृति और पर्यावरण का लगातार नुकसान हो रहा है. संस्कृति और पर्यावरण की चिंता को हम भूल रहे हैं.'  यह बात नेपाल सरकार के पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री गणेश शाहा  'वसुधैव कुटुंबकंम एवं विश्व शांति एवं सद्भाव' विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार में कही. डॉ. बीआर अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय एवं ग्लोबल पीस फाउंडेशन इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित वेबीनार को संबोधित करते हुए श्री शाहा ने इस बात पर चिंता जतायी कि यह पीढ़ी आईटी और आर्टिफिशयल इंटलीजेंस की पीढ़ी है जो भविष्य के नुकसान को समझ नहीं पा रही है. उन्होंने कहा कि जब मैं विद्यार्थी था तब हमें बताया गया था कि पूंजी का नुकसान कोई बड़ा नुकसान नहीं है, वह पुन: मेहनत से अर्जित किया जा सकता है लेकिन स्वास्थ्य का नुकसान बड़ा नुकसान है और नैतिक रूप से जो नुकसान होता है, उसकी कोई क्षतिपूर्ति नहीं है. गांधीजी द्वारा बताये गए सात पापों का उल्लेख करते हुए उनका कहना था कि वर्तमान की राजनीति सिद्वांत विहीन हो गई है. गांधीजी की बात का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रकृति की इतनी क्षमता है कि वह लोगों की आवश्यकता को पूरी करती है लेकिन लालच को पूरी करने की क्षमता नहीं है. तकनीक ने विकास के नए रास्ते खोले हैं तो भारी नुकसान भी प्रकृति और समाज का हुआ है, इस पर भी चिंता की जानी चाहिए. उन्होंने समाधान के रूप में कहा कि विज्ञान और तकनीक के साथ आध्यात्म का सामंजस्य बिठाकर विश्व शांति और सद्भावना की ओर हम बढ़ सकते हैं. 
ग्लोबल यूर्निवसिटी के कुलाधिपपति डा. मार्कण्डेय राय वेबीनार में बीज वक्तव्य में कहा कि इस थीम के अंतर्गत विश्वविद्यालय को शोध कार्य कराया जाना चाहिए. उन्होंने रंग, जाति और अलग-अलग स्तर पर होने वाले भेदभाव की चिंता करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि हम विश्व शांति और सद्भाव के लिए विवेकानंद के सुझाये गए रास्ते पर चले. उन्होंने विवेकानंद जी का उल्लेख करते हुए कहा कि एक व्यक्ति स्वप्र देखता है तो वह स्वप्र होता है और जब समूह स्वप्र देखता है तो वह साकार हो जाता है. स्वामी परमहंस ने कहा था कि दीन की सेवा ही सच्ची सेवा है. सेवा, प्रेम और आपसी सहयोग को आध्यात्म का मूलमंत्र बताते हुए उन्होंने कहा कि कोई मजहब बैर करना नहीं सिखाता है. उन्होंने कहा कि वसुधैव कुटुंबकम का अर्थ सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास है. वेबीनार के आरंभ में डीन प्रोफेसर डीके वर्मा ने विषय को विस्तार देते हुए ब्राउस की गतिविधियों का परिचय दिया और कहा कि सामाजिक विज्ञान का विश्वविद्यालय होने के कारण हमारी जवाबदारी बहुत बड़ी है. इस विश्वविद्यालय में औपचारिक शिक्षा के साथ शोधपरक शिक्षा पर जोर दिया जाता है. उन्होंने कहा कि आज का वेबीनार इसी शोध का एक प्रकल्प है.
इंटरनेशल ग्लोबल पीस फाउंडेशन (यूएसए)  के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट श्री आयो गोतो  ने कहा कि पूरे विश्व में मनुष्य तनाव में है. किसी के पास भी मन की शांति नहीं है और यही कारण है कि विश्व में शान्ति और सद्भाव के लिये हमें सामूहिक रूप से प्रयास करना होगा। उन्होंने ने कहा कि धर्म, संस्कृति और राष्ट्रीयता से ही शान्ति और सद्भाव उत्पन्न किया जा सकता है। दुनिया के 23 देशों में ग्लोबल पीस फाउंडेशन शान्ति एवं सद्भाव के लिये कार्य कर रहे हैं। भारत में इस दिशा में बेहतर कार्य हो रहा है.
इंटरनेशल ग्लोबल पीस फाउंडेशन फिलीपींस की प्रोग्राम कोआर्डिनेटर सर्लिन थोम्बे ने विश्व शान्ति एवं सद्भाव के लिये समस्या को चिन्हित करते हुए कहा कि  इस समय पहचान का संकट, वैश्विक भ्रष्टाचार, हिंसा और आतंकवाद, आपसी सहयोग की कमी और परिवार  का विघटन है। समाधान बताते हुए उन्होंने कहा कि इस दिशा में युवा वर्ग को प्रेरित करना होगा। अपने रिसर्च के आधार पर उन्होंने बताया कि यूथ लीडरशिप को बढ़ावा, परिवार के विघटन को रोकना, वालियटरी भागीदारी को बढ़ाना तथा शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता का विकास करना आवश्यक है। उन्होंने विश्व शांति एवं सदभाव  का मंत्र प्यार करो और प्यार बांटने को बताया।
इंटरनेशल ग्लोबल पीस फाउंडेशन इंडोनेशिया में जनरल मैनेजर सैनत्या रहमी उत्तमी ने कहा कि वे भारत से प्रेम करती हैं क्योंकि वे योग से प्रेम करती हैं। विश्व शांति एवं सदभाव के लिये उन्होंने कहा कि योग से मन एवं शरीर तंदुरुस्त रहता है और जब मन प्रसन्न होगा तो शांति एवं सद्भाव का वातावरण बनेगा।
बेबीनार की अध्यक्षता कर रहे पर्यावरण विशेषज्ञ संगम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर वीके गोस्वामी ने विश्व शांति एवं सद्भाव के संदर्भ में भारतीय संस्कृति का उल्लेख करते हुए कहा कि शांतिमय समाज की आवश्यकता पूरे विश्व को है. उन्होंने जीवनशैली को सरल बनाने की बात करते हुए शिक्षा व्यवस्था को ठीक करने की जरूरत पर बल दिया. उन्होंने 21 सूत्र का उल्लेख भी विस्तार से किया जिससे समाज में शांति एवं सद्भाव कायम किया जा सकता है. 


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ग्लोबल पीस फाउंडेशन भारत चेप्टर के ट्रस्टी डा. चांद भारद्वाज ने कहा कि विज्ञान एवं आध्यात्म का गहरा अंतर्सबंध स्थापित किया जाना चाहिए. उन्होंने कॉसमॉस में व्यवस्था को मैटर, यूनिवर्सल माइंड, लॉ ऑफ नेचर की आध्यात्मिक व्याख्या करते हुए विज्ञान एवं आध्यात्म संबंध को स्पष्ट किया और इस पर पाठ्यक्रम की विषय-वस्तु तैयार करने का सुझाव दिया. 
नाइजीरिया से धर्मगुरु जोसफ जॉन हयाब ने कहा कि पहली जरुरत है कि हम दूसरों को सुनने की आदत डालें और उनके अच्छे विचारों को अपनी जीवन शैली में शामिल करें। शांति एवं एकता के लिये परस्पर सहयोग का रवैया अपनाएं। उन्होंने अहंकार को खत्म करने पर जोर देते हुए कहा कि परम्परागत ढंग से इसका समाधान तलाशा जा सकता है ।
ब्राऊज में नेक एवं मीडिया सलाहकार डॉ सुरेन्द्र पाठक ने पीस एंड हारमोनी के संदर्भ को भारतीय परंपरा से जोड़ते  हुए कहा कि अनादि काल से चली आ रही वैदिक परम्परा में इसका समाधान ज्ञान, विवेक, और विज्ञान के समन्वय  से सुझाया गया है। श्रुति-स्मृति परम्परा का विस्तार से उल्लेख करते हुए डॉ पाठक ने कहा कि नैतिक नेतृत्व और आध्यात्मिक विवेक और सांस्कृतिक एकता के सूत्र षड दर्शन और भक्ति परंपरा में भरा पड़ा है .  ऋषि मुनियों ने  वसुधैव कुटुंबकम का अर्थ सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय बताया है ।
वेबिनार के अंत में बीआर अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर आशा शुक्ला ने अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वे विश्वविद्यालय की शोधपीठ के द्वारा इस कार्य को आगे ले जाएंगी और ऐसे वेबीनार की शृंखला संचालित करेंगी उन्होंने कहा कि ब्राउज का उद्देश्य शांति, सद्भाव और सामाजिक समरसता पर शोधपरक अध्ययन को बढ़ावा देना है. अभी 11 पीठ कार्य कर रहे हैं और अन्य विषयों के 9 मानद पीठ को मंजूरी मिल गई है. शीघ्र ही इन पर कार्य आरंभ होगा जिसमें विश्व शांति एवं सद्भाव के लिए भी पीठ की स्थापना की गई है. वेबिनार का संचालन नेपाल से ध्रुवा प्रसाद लेमिचने  ने किया।


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व्यापारी अपनी दिनचर्या में कोविड अनुकूल व्यवहार अपनाएँ, व्यापारियों को पुरस्कार देने की योजना: मंत्री भूपेंद्र सिंह

व्यापारी अपनी दिनचर्या में कोविड अनुकूल व्यवहार अपनाएँ, व्यापारियों को पुरस्कार देने की योजना:  मंत्री भूपेंद्र सिंह

कोविड अनुकूल व्यवहार को लेकर मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह की व्यापारियों से अपील...
सागर। मध्य प्रदेश शासन के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह ठाकुर ने कोरोना की संभावित तीसरी लहर से सबको बचाने के लिए प्रदेश के व्यापारियों से अपील की है। उन्होंने आग्रह किया है कि, होटलों में 50þ की क्षमता में बैठक व्यवस्था करें, दुकानों में अनावश्यक भीड़ न हो इसके लिए कूपन व्यवस्था लागू करें।बिना मास्क के दुकानों में एंट्री ना दें और ना ही सामान विक्रय करें
उन्होंने आग्रह किया है कि बिना मास्क के ना ही दुकानों में एंट्री दें और न ही सामान विक्रय करें। भोजन, नाश्ता, दूध, मिठाई आदि की होम डिलीवरी की व्यवस्था सुनिश्चित करें।नगरीय विकास मंत्री श्री ठाकुर ने कहा कि, सभी व्यापारी संघ जिम्मेदारी से अपनी भूमिका निभाएं और कोविड अनुकूल व्यवहार की पालन करें। ग्राहकों से भी कोविड अनुकूल व्यवहार की पालन करवाएं। उन्होंने कहा कि, कोविड अनुकूल व्यवहार करने वाले  व्यापारियों को पुरुस्कार दिए जाने की योजना भी तैयार की जा रही है।
इसके साथ ही कोविड अनुकूल व्यवहार न करने पर चालानी कार्रवाई भी की जा सकती है। 


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आचार्य श्री विधासागर जी का सलकनपुर से बुधनी की ओर हुआ विहार

आचार्य श्री विधासागर जी का सलकनपुर से बुधनी की ओर हुआ विहार

सागर। आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का ससंघ विहार लगातार चल रहा है आज विहार के सातवे दिन आचार्य श्री की आहार चर्या अन्नपूर्णा गार्डन सलकनपुर में हुई और दोपहर 3:45 बजे उनका बिहार बुधनी की ओर हो गया। 
मुनि सेवा समिति के सदस्य मुकेश जैन ढाना ने बताया सलकनपुर से बुधनी की दूरी 23 किमी है और बुधनी से 18 किमी पहले रात्रि विश्राम ग्राम बाया में हो रहा है।
बुधनी से होशंगाबाद 8 किमी है और वहां से फिर दो रास्ते आएंगे पहला रास्ता बाबई, सोहागपुर, पिपरिया, बनखेड़ी, गाडरवारा, करेली होकर जबलपुर जाता है जिसकी दूरी लगभग बुधनी से 282 किमी होगी जबकि बुधनी से शाहगंज बकतरा, बाड़ी, बरेली उदयपुरा, तेंदूखेड़ा, राजमार्ग चौराहा, बेलखेड़ा, शाहपुरा भीटोनी होते हुए जबलपुर की दूरी लगभग 285 किमी है।


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जबकि बुधनी से बकतरा शाहगंज बाड़ी बरेली बमोरी सिलवानी जैसीनगर होकर सागर की दूरी 205 किमी है।
उल्लेख नहीं है किस चीज जुलाई तक वर्षा कालीन चातुर्मास की स्थापना होना है यदि जबलपुर में चातुर्मास होता है तो आचार्य श्री के आशीर्वाद से पूर्णायु आयुर्वेदिक चिकित्सालय जो चल रहा है उसे और विस्तार करने की योजना समाज की है इसके लिए समाज वहां पर प्रयासरत है।

माता जी पहुंची सागर

आर्यिका माताजी भाग्योदय पहुंची सागर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज की  शिष्या आर्यिका ऋजुमति माताजी आर्यिका अनंतमति माताजी और आर्यिका प्रभावनामति माताजी  तीनों संघ भाग्योदय तीर्थ पहुंचे जहां पर मुनि श्री समयसागर महाराज के दर्शन किए और परिक्रमा की 29 जून की आहार चर्या भाग्योदय तीर्थ, सागर में संपन्न होगी तीनों संघों में 32 माता जी है। आर्यिका रिजुमति माताजी का बिहार अभाना से खुरई की ओर चल रहा है जहां पर वर्षा कालीन चातुर्मास होगा जबकि अनंत मति माताजी नेहा नगर में विराजमान थी कुछ समय के लिए भाग्योदय तीर्थ में विराजमान रहेंगी।

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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की श्रृंखला में वेबीनार का आयोजन ‘ ‘हैप्पी लाइफ के लिए योग जरूरी- डॉ. फडक़े

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की श्रृंखला में वेबीनार का आयोजन
' 'हैप्पी लाइफ के लिए योग जरूरी- डॉ. फडक़े

महू (इंदौर).। 'हैल्दी लाइफ स्टाइल के लिए जरूरी है जीवनशैली का सुनियोजित ढंग से प्रबंध करना । देर रात तक जागना और देर तक सुबह उठना स्वास्थ्य जीवन के लिए अनुचित है.' । सुपरिचित आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. आशीष फडक़े अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर 'हैल्दी लाइफ स्टाइल ' विषय पर डॉ. बी.आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित वेबीनार को संबोधित करते हुए यह बात कही।  डॉ. फडक़े ने कहा कि स्वस्थ्य जीवन के लिए प्रतिदिन आधे घंटे योग करना आवश्यक है और योग ही मनुष्य को तनाव से दूर रखता है. । उन्होंने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय में योग का पाठ्यक्रम संचालित है अत: अधिकाधिक लोग योग सीखें और जीवन को स्वस्थ्य बनायें।
डॉ. फडक़े ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्वास्थ्य की परिभाषा में फिजीकल, मेंटल और सोशल को शामिल किया है. उन्होंने कहा कि जरूरी है कि 7 घंटे से अधिक सोने का अर्थ है स्वयं बीमारी को न्यौता देना है अत: जीवन प्रबंधन सीखना होगा क्योंकि संतुलित व्यवहार होने से शरीर स्वास्थ्य का निर्माण होता है। डॉ. फडक़े ने कहा तनाव के बारे में चर्चा करते हुए समाज को खासतौर पर युवाओं को तनाव मुक्त रहने का सुझाव दिया. डॉ. फडक़े का मानना था कि व्याधि से बड़ा संकट उसके निदान का है और हम भारत के लोग भाग्यशाली हैं कि हमारी संस्कृति और पुराणों में इस बात का समाधान का उल्लेख है। आज की भागमभाग और अधिक पा लेने की चाहत ने जीवन को तनावमय बना दिया है इसलिए जरूरी है कि हम अपनी जरूरतों को कम करें और जीवन को सुखमय बनायें. उन्होंने आयुर्वेद और योग के अंतर्सबंध का भी गहराई से चर्चा की। वेबीनार में उन्होंने कुछ प्रैक्टिल करा कर लोगों की जिज्ञासा शांत करने की कोशिश के साथ दर्शकों के सवाल के जवाब दिया. प्रश्रोत्तर सेशन रोचक और ज्ञानवर्धक रहा। 
वेबीनार के आरंभ में डॉ मनीषा सक्सेना ने विशिष्ट वक्ता डॉ. आशीष फडक़े का परिचय देकर स्वागत किया। उन्होंने डॉ. फडक़े और वेबीनार से जुड़े लोगों को विश्वविद्यालय की गतिविधियों का परिचय दिया। कार्यक्रम की अवधारणा एवं संचालन-समन्वयक डॉ. अजय दुबे ने किया। कुलपति डॉ. आशा शुक्ला ने वेबीनार के लिए अतिथि डॉ. फडक़े का आभार माना. अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की श्रृंखला में 28 जून को सायं 4 बजे से  'भक्ति योग एवं ध्यान' विषय पर सुप्रतिष्ठित प्रसूति विशेषज्ञ डॉ. शिरीष पटवर्धन पुणे का विशेष व्याख्यान आयोजित है।
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