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कोरोना के नए वेरिएंट का खतरा, नए वैक्सीन और उपचार की संभावनाओं पर देशभर के विशेषज्ञों ने किया मंथन,★ बीएमसी में अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार एवं वर्कशॉप संपन्न



कोरोना के नए वेरिएंट का खतरा, नए वैक्सीन और उपचार की संभावनाओं पर देशभर के विशेषज्ञों ने किया मंथन,
★ बीएमसी में अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार एवं वर्कशॉप संपन्न

सागर।
 बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज सागर में मंगलवार को मध्यप्रदेश के चिकित्सा शिक्षा विभाग के आदेश अनुसार अंतरराष्ट्रीय सेमिनार एवं वर्कशॉप का आयोजन किया गया। बीएमसी के टीबी एवं चेस्ट रोग और माइक्रोबायोलॉजी विभाग के संयुक्त तत्वधान से आयोजित हुए इस सेमिनार में मुख्य तौर पर कोरोना वायरस के वैरीएंट जैसे अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा और ओमिक्रोन से संबंधित जानकारी साझा की गई।

इसके साथ ही कोरोना वायरस के नए वैरीएंट के आने की संभावना के बारे में भी चर्चा की गई। इसके अलावा सेमिनार में नए वैरीअंट के लक्षण और नए ट्रीटमेंट के बारे में भी बात की गई। सबसे जरूरी बात जो इस सेमिनार से संबंधित रही वह विभिन्न प्रकार की उपलब्ध वैक्सीन जो आज के समय में अभी तक जितने भी कोरोना वायरस के वैरीअंट आए हैं उनके विरुद्ध तो असरकारक हैं, लेकिन आने वाले नए वैरीअंट के लिए यह वैक्सीन जो कितनी असरकारक होगी। साथ ही नए वैक्सीन की संभावनाएं कितनी हो सकती हैं, इसके बारे में भी विस्तृत चर्चा की गई।
छतरपुर: 10वीं की ऑफलाइन परीक्षा ने ली जान,तैयारी नहीं थी इसलिए गणित के पेपर से पहले छात्र ने की फांसी लगाकर आत्महत्या
सेमिनार के मुख्य अतिथि प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री माननीय विश्वास सारंग थे। वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में चिकित्सा शिक्षा आयुक्त श्री निशांत बरबड़े, संभाग आयुक्त श्री मुकेश शुक्ला, बीएमसी के  डीन डॉ आरएस वर्मा, सीएमएचओ डॉ. सुरेश बौद्ध, सिविल सर्जन डॉ. ज्योति चौहान और आईएमए के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र चउदा मौजूद रहे। इस सेमिनार के ऑर्गेनाइजिंग चेयरमैन डॉ. तल्हा साद एवं डॉ. अमरदीप राय थे और ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री की भूमिका डॉ. सुमित रावत ने निभाई। सेमिनार में मेडिकल स्टूडेंट और मेडिकल कॉलेज के फैकल्टी की सहभागिता रही।

सेमिनार में देशभर के मेडिकल एक्सपर्ट ने रखे विचार


इस सेमिनार में देश प्रदेश के विभिन्न वरिष्ठ चिकित्सक ने भी अपनी जानकारी साझा की। इसमें प्रमुख तौर पर पीजीआई चंडीगढ़ के वायरोलॉजी के हेड डॉ आरके राठौ और एम्स भोपाल के पूर्व डायरेक्टर डॉ सरमन सिंह, बीएचयू वाराणसी के डॉक्टर ज्ञानेश्वर चौबे और मणिपाल के डॉक्टर किरण जे मुखोपाध्याय थे। इन्होंने कोरोना वायरस के मूल स्ट्रक्चर के संबंध में जानकारी दी। इसके साथ ही एएमयू से डॉक्टर मोहम्मद शमीम  और जबलपुर से डॉक्टर जितेंद्र भार्गव ने विभिन्न प्रकार के वैरीएंट के लक्षण से संबंधित जानकारी दी। एम्स हैदराबाद से डॉक्टर रोहित सलूजा और एम्स भोपाल से डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने कोरोना वायरस के जीनोम सीक्वेंसिंग के संबंध में जानकारी दी।

बीएमसी में वायरोलॉजी विभाग के हेड डॉ सुमित रावत ने भी विभिन्न प्रकार की जीनोम सीक्वेंसिंग में प्रैक्टिकल तौर पर आने वाली परेषानियों से संबंधित जानकारी दी। टीबी एवं चेस्ट रोग विभागाध्यक्ष डॉ तल्हा साद और एएमयू के डीन डॉक्टर राकेश भार्गव ने कोरोना वायरस के विभिन्न प्रकार के वैरीअंट के भिन्न-भिन्न इलाज से संबंधित जानकारी साझा की। सेमिनार के बाद दोपहर 2 बजे से वर्कशॉप का भी आयोजन किया गया। वर्कशॉप में एम्स भोपाल से डॉक्टर आशीष व्यास,  डॉक्टर सुधीर गुप्ता और एम्स भोपाल से डॉ अनिरुद्ध सिंह मौजूद रहे। इन्होंने विभिन्न प्रकार के जीनोम सीक्वेंसिंग के संबंध में बताया।

मंच संचालन डॉ. मनीष जैन और डॉ. नेहा सोनी ने किया। इस दौरान डॉ प्रवीण खरे, डॉ. सर्वेश जैन, डॉ. संजय जैन, डॉ सुशील गौर, डॉ. पुण्य प्रताप सिंह, डॉ. शोहेब अख्तर, डॉ. मानसी गुप्ता, डॉ. रुचि अग्रवाल, डॉ. रश्मि उप्पल,  डॉ सुरेंद्र महौर, डॉ नीलू जैन, वायरोलॉजी लैब के वैज्ञानिक  रोबिन शर्मा और नीतू मिश्रा, डॉ. प्रांजल नेमा, डॉ. अनुश्री, डॉ. प्रतिमा वर्मा आदि चिकित्सक और लैब टेक्नीशियन, अखिल जैन, विकास जैन, अमित शर्मा, ओमप्रकाश झा, जितेंद्र त्रिपाठी, अरविंद रघुवंशी आदि मौजूद थे। 
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छतरपुर: 10वीं की ऑफलाइन परीक्षा ने ली जान,तैयारी नहीं थी इसलिए गणित के पेपर से पहले छात्र ने की फांसी लगाकर आत्महत्या

छतरपुर: 10वीं की ऑफलाइन परीक्षा ने ली जान,तैयारी नहीं थी इसलिए गणित के पेपर से पहले छात्र ने की फांसी लगाकर आत्महत्या


छत्तरपुर।  छतरपुर में 17 साल के एक कक्षा-10 के छात्र ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उत्कृष्ट विद्यालय (एक्सीलेंस स्कूल) का यह छात्र कथित तौर पर गणित के परचे की तैयारी नहीं कर सका था। इस वजह से डिप्रेशन में आकर उसने गणित के परचे से पहले ही अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। 

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छतरपुर के हनुमान टोरिया के पीछे शिव कॉलोनी में 17 साल के सुमित ताम्रकार ने सोमवार रात को फांसी लगा ली। सुमित का मंगलवार को गणित का पेपर था, जो उसे सिंचाई कॉलोनी स्थित सरस्वती स्कूल के केंद्र पर देना था। छात्रों के परिजनों का कहना है कि लॉकडाउन में ऑनलाइन पेपर हुए। उस दौरान छात्रों को नकल की आदत पड़ गई है। अचानक ही सरकार ने नियमों में बदलाव किया तो छात्र डिप्रेशन में आ गए। अच्छे से पढ़ाई नहीं कर सके और इसी के चलते सुमित ने सुसाइड किया है। 
सुमित के परिजनों का कहना है कि वह पढ़ाई में अच्छा था। ऑनलाइन पढ़ाई घर पर ही करता था। सरकार ने दसवीं बोर्ड की परीक्षा का पैटर्न बदला और ऑफलाइन किया तो वह डिप्रेशन में आ गया। देर रात परिजनों ने सुमित को समझाइश भी दी थी, लेकिन वह ज्यादा ही घबरा गया था। सुबह पता चला कि उसने आत्महत्या कर ली है।
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ग्रीन इकॉनमी को बढावा देने बुनियादी ढांचा और कौशल विकास पर काम किया जाएगा★ संयुक्त राष्ट्र की पांच एजेंसियों का समूह पेज करेगा सागर में काम

ग्रीन इकॉनमी को बढावा देने बुनियादी ढांचा और कौशल विकास पर काम किया जाएगा
★  संयुक्त राष्ट्र की पांच एजेंसियों का समूह पेज करेगा सागर में काम
सागर। 21 फरवरी 2022
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम, संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन और संयुक्त राष्ट्र संस्थान प्रशिक्षण और अनुसंधान इन पांच एजेंसियों का समूह पार्टनरशिप फॉर एक्शन ऑन ग्रीन इकॉनमी (पेज) शहर में ग्रीन इकॉनमी को बढावा देने के लिए बुनियादी ढांचा और कौशल विकास पर काम करेगा। सोमवार को पेज के प्रतिनिधियों ने सागर स्मार्ट सिटी में सीईओ श्री राहुल सिंह राजपूत की अध्यक्षता में इस संबंध में आवश्यक बैठक आयोजित की।
बैठक में पेज के प्रतिनिधियों ने बताया कि यह संगठन गरीबी उन्मूलन, रोजगार और सामाजिक समानता बढाने, आजीविका और पर्यावरण प्रबंधन को मजबूत करने और विकास को बनाए रखने के लिए काम करता है। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश के सागर, सतना और उज्जैन में इसके एजेंडा पर काम किया जाना है। इसके तहत संस्थानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे कौशल विकास हो सके और ग्रीन इकॉनमी को बढावा देने के लिए बुनियादी ढांचा तैयार हो सके। 

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इस दौरान इंजीनियर प्रकाश चौबे, रेमकी, एमपीईबी और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के अधिकारी, स्मार्ट सिटी के इंजीनियर्स आदि मौजूद थे।
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कुण्डलपुर और बांदकपुर को पवित्र क्षेत्र बनाया जायेगा- मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ★वमुख्यमंत्री ने आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से आर्शीवाद लिया



कुण्डलपुर और बांदकपुर को पवित्र क्षेत्र बनाया जायेगा- मुख्यमंत्री शिवराज सिंह 
★वमुख्यमंत्री ने आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से आर्शीवाद लिया


दमोह । मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान धर्म पत्नी श्रीमती साधना सिंह के साथ आज कुण्डलपुर पंचकल्याणक महा-महोत्सव में बड़े बाबा के दर्शन करने पहुँचे। उन्होंने बड़े बाबा के दर्शन, पूजन -अर्चन के
 पश्चात विद्यासागर जी महाराज का आर्शीवाद लिया। लोक निर्माण मंत्री श्री गोपाल भार्गव, सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योग मंत्री श्री ओम प्रकाश सखलेचा, पूर्व मंत्री श्री जयंत मलैया ने भी विद्यासागर जी महाराज का आर्शीवाद लिया। मुख्यमंत्री एवं उनकी धर्म पत्नी पंचकल्याणक महोत्सव में इंद्र एवं इंद्राणी के रूप में उपस्थित हुए। आयोजित कार्यक्रम में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुये मुख्यमंत्री  ने कहा कि कुण्डलपुर और बांदकपुर को पवित्र क्षेत्र बनाया जायेगा । यहाँ मांस -मदिरा जैसी वस्तुएं प्रतिबंधित रहेंगी।


मुख्यमंत्री  ने कहा कि आचार्य श्री ने भटकी हुई मानवता को राह दिखाने का काम किया है। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, गौ-सेवा जैसे क्षेत्र में प्रेरणादायक कार्य किये है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि  आने वाली पीढ़िया इस बात का विश्वास नहीं कर पायेंगी कि संत विद्यासागर जी महाराज जैसे महान संत व्यक्ति भी इस धरती पर रहे हैं।   श्री चौहान ने बताया कि उन्हें जब भी कभी कोई समस्या सामने आती है तो आचार्य श्री के स्मरण से उन्हें उसका समाधान मिल जाता है। वे यहां मुख्यमंत्री के रूप में नहीं बल्कि एक शिष्य के रूप मे आये है। यहाँ पर स्वर्ग जैसा दृश्य है। आचार्य श्री के दर्शन से ऐसा संतोष और आनंद मिलता है ,जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता है।


मुख्यमंत्री  ने कहा कि कुण्डलपुर में बना बड़े बाबा का मंदिर अद्भुत है ।यह ऐसा मंदिर है, जिसे देख कर आँखे चकाचौंध हो जाती है। इस पवित्र धरती पर पूरी दुनिया से लोग आकर बड़े बाबा के दर्शन कर लाभ लेंगे। उन्होंने कहा कि यहां की पहाड़ियो पर वृक्षारोपण कर  हरा- भरा बनाया जायेगा। उन्होंने  अधिकारियो को इस संबंध में योजना तैयार करने के निर्देश भी दिये।   

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       मुख्यमंत्री ने कहा कि जैसा विद्यासागर महाराज जी ने हमेशा कहा है कि शिक्षा मातृ -भाषा में होना चाहिए। राज्य सरकार इसी साल से एक मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेज में हिन्दी माध्यम से शिक्षा देगी इंजीनियरिंग कॉलेज में हिन्दी माध्यम से शिक्षा देगी। शिक्षा के साथ ही स्वरोजगार पर बल दिया जायेगा। कक्षा छठवी से व्यवसायिक शिक्षा भी दी जायेगी। मुख्यमंत्री  ने कहा कि गौ-सेवा के कार्य में समाज को भी आगे आना होगा। उन्होंने लोगो से अनुरोध किया कि बेटा और बेटी को एक बराबर माने, किसी तरह का भेदभाव न करे। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में लाड़ली लक्ष्मी योजना से स्थिति में बदलाव आया है । पहले वर्ष 2012 में एक हजार बेटों पर 912 बेटियाँ जन्म लेती थी, अब एक हजार बेटों पर 956 बेटियां जन्म ले रही है।  कुण्डलपुर की पहाड़ियो को हरा- भरा करने के  लिये  वृक्षारोपण की योजना बनाई जायेगी।

 मुख्यमंत्री ने लोगो से पर्यावरण सुधार के लिये वृक्षारोपण का भी अनुरोध किया।
 इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने आचार्य श्री द्वारा लिखित प्रसिद्ध पुस्तक मूकमाटी के जर्मन अनुवाद का विमोचन भी किया। कुण्डलपुर पहॅुचने पर महामहोत्सव समिति के सदस्यों ने मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रीगण का सम्मान किया और स्मृति- चिन्ह भेंट किये।

 इस अवसर पर पूर्व मंत्री डॉ रामकृष्ण कुसमरिया, वेयरहाउस एवं लॉजिस्टिक कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष राहुल सिंह लोधी, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री शिवचरण पटेल, हटा विधायक श्री पीएल तंतुवाय, जबेरा विधायक श्री धर्मेंद्र लोधी, भाजपा जिला अध्यक्ष श्री प्रीतम सिंह लोधी, ब्रह्मचारी श्री विनय भैया, सांसद प्रतिनिधि श्री नरेन्द्र बजाज, सर्वश्री देवेन्द्र सेठ, संतोष सिंघई, संदेश जैन, डाँ सवांत सिंघई, सुधीर सिंघई, नवीन निराला, अजीत मोदी, महेन्द्र जैन सहित अन्य जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री श्री चौहान का आत्मीय स्वागत किया।
इस अवसर पर कमिश्नर श्री मुकेश शुक्ला, आईजी श्री अनुराग, डीआईजी श्री विवेकराज सिंह, कलेक्टर श्री एस. कृष्ण चैतन्य, पुलिस अधीक्षक श्री डीआर तेनीवार, सीईओ जिला पंचायत अजय श्रीवास्तव और बड़ी संख्या में देश के कोने-कोने से आये श्रद्धालु मौजूद थे।     
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आने वाले समय मे स्नातक स्तर पर समस्त विषयों का अध्ययन होगा प्रारंभ : उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव★नरयावली महाविद्यालय का भूमिपूजन कार्यक्रम हुआ , 4 करोड़ 34 लाख की लागत से बनेगा

आने वाले समय मे स्नातक स्तर पर समस्त विषयों का अध्ययन होगा प्रारंभ : उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव

★नरयावली महाविद्यालय का भूमिपूजन कार्यक्रम  हुआ , 4 करोड़ 34 लाख की लागत से बनेगा

सागर 21 फरवरी 2022 । नई शिक्षा नीति से रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। आने वाले सत्र से महाविद्यालय में समस्त विषयों का अध्ययन भी प्रारंभ किया जाएगा। उक्त विचार उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने नरयावली विधानसभा क्षेत्र के नरयावली  में 4 करोड़ 34 लाख 78 हजार की लागत से बनने वाले भवन के भूमिपूजन के अवसर पर मुख्य  व्यक्त किए। इस अवसर पर सांसद श्री राजबहादुर सिंह, विधायक श्री प्रदीप लारिया, पृथ्वीपुर विधायक श्री शिशुपाल सिंह, श्रीमती तृप्ति बाबू सिंह, श्रीमती कमला यादव, श्री गुलाब सिंह राजपूत, श्री प्रभु दयाल पटेल, उच्च शिक्षा के अतिरिक्त संचालक श्री जीएस रोहित, डॉ अमर जैन, उमाकांत स्वर्णकार, सर्वेश्वर उपाध्याय, डॉ भावना यादव, नरयावली उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्य महेंद्र प्रताप तिवारी, श्री संतोष गुरु सहित जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक एवं छात्र-छात्राएं मौजूद थे।

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उच्च शिक्षा मंत्री श्री यादव ने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 सेस्वरोजगार के साथ-साथ रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे एवं आने वाले समय में समस्त महाविद्यालयों में स्नातक स्तर पर अध्ययन प्रारंभ किए जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत विज्ञान विषय का छात्र कला संकाय एवं कला संकाय का छात्र विज्ञान संकाय की परीक्षा दे सकेगा । उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति से सारे विकास के रास्ते छात्र ,-छात्राओं के लिए खुलेंगे। इसके लिए मैं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान का आभार व्यक्त करता हूँ । मंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार सभी महाविद्यालयों के भवन बनाने का कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार उच्च शिक्षा एवं स्कूल शिक्षा के लिए अच्छे से अच्छे प्रयास कर रही है।


सांसद श्री राजबहादुर सिंह ने कहा कि शिक्षा को कभी खरीदा नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि पढ़ाई का कोई विकल्प नहीं है,आप सभी  पढ़ाई करें। बाकी का कार्य शासन स्तर पर किया जा रहा है । उन्होंने कहा कि नरयावली के संवेदनशील विधायक श्री प्रदीप लारिया द्वारा जो विकास कार्य किए जा रहे हैं वे सागर संभाग के लिए  उल्लेखनीय हैं। उन्होंने कहा कि विधायक श्री लारिया के प्रयासों से ही आज नरयावली विधानसभा विकासशील विधानसभा में शामिल हो रहा है ।
विधायक श्री प्रदीप लारिया ने कहा कि डॉ हरिसिंह गौर ने अपनी कमाई से विश्वविद्यालय की स्थापना कर न केवल सागर बल्कि पूरे मध्य प्रदेश का  देश में नाम स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के केंद्रीय विश्वविद्यालय बनने से बुंदेलखंड के छात्र -छात्राओं के लिए प्रवेश में परेशानियों का सामना करना पड़ता है । उन्होंने कहा कि डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में बुंदेलखंड के छात्र- छात्राओं के लिए आरक्षण मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सागर में केंद्रीय विश्वविद्यालय के बाद अब सागर में एक राज्य स्तरीय विश्वविद्यालय की अत्यंत आवश्यकता है ।इसके लिए समुचित स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं ।श्री लारिया
ने नरयावली एवं मकरोनिया स्नातक कॉलेज को स्नातकोत्तर कॉलेज में परिवर्तित करने की आवश्यकता भी जताई । उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत समस्त कॉलेजों में तो रोजगार विषय प्रारंभ किए जाएं जिससे छात्र-छात्राओं को पढ़ाई के तत्काल पश्चात रोजगार प्राप्त हो सके । कार्यक्रम में एक करोड़ 79 लाख 69 हजार रुपए की लागत से तैयार की जा रही नल-जल योजना का मंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा भूमिपूजन किया गया ।

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कार्यक्रम में मंत्री श्री मोहन यादव द्वारा मंत्र उच्चारण के साथ भूमिपूजन किया गया, तत्पश्चात कन्या पूजन हुआ । कार्यक्रम में स्वागत भाषण एवं कार्यक्रम का प्रतिवेदन  प्रभारी प्राचार्य डॉ अखिलेश सिंह द्वारा प्रस्तुत किया गया। अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा डॉ जी एस रोहित द्वारा समस्त अतिथियों का पुष्प गुच्छ से स्वागत किया गया। कार्यक्रम का संचालन श्री राजकुमार उदैनिया एवं डॉक्टर अमर जैन ने किया। आभार डॉक्टर भावना यादव ने माना।
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मातृभाषा से ही राष्ट्र की समृद्धि संभव है : प्रो. वृषभ प्रसाद जैन★ अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर आयोजन

मातृभाषा से ही राष्ट्र की समृद्धि संभव है : प्रो. वृषभ प्रसाद जैन

★ अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर आयोजन



सागर. 21 फरवरी. डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के जवाहरलाल नेहरू ग्रंथालय सभागार में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर ‘हमारी मातृभाषाएं’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया. प्रख्यात भाषाविद और चिन्तक प्रो. वृषभ प्रसाद जैन मुख्य वक्तव्य देते हुए कहा कि भाषा हमें पहचान देती है और पहचान बनाती है. व्यक्तित्व निर्माण में मातृभाषा भाषा एक महत्त्वपूर्ण कारक है. उन्होंने वर्तमान समय में मातृभाषा की स्थिति को देखते हुए चिंता व्यक्त की और कहा कि   आज़ादी के बाद के वर्षों में यह पहचान धूमिल होती जा रही है और भाषायी परतंत्रता बढ़ी है.  केवल हिन्दी ही नहीं बल्कि तमिल, मलयालम, तेलगू जैसी तमाम भाषाओं की स्थिति एक जैसी है. भारतीय भाषाओं का व्याकरणकोश अंग्रेजी भाषा से प्रभावित है. हम अभी तक भारतीय भाषाओं के व्याकरण और शब्दकोष निर्माण में पीछे हैं. आज नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में  मातृभाषा में शिक्षा देने की बात की जा रही है. भाषायी स्वतन्त्रता के साथ आर्थिक स्वतन्त्रता भी जुडी हुई है. इस बात को उन्होंने आंकड़ों और उदाहरणों के माध्यम से समझाया. उन्होंने कहा कि भारत में सबसे समृद्ध शहर मुंबई है. इसका एकमात्र कारण वहां की मातृभाषा है. भारतीय भाषा के फॉण्ट निर्माण का काम आज विदेशी कम्पनियां कर रही हैं. भाषायी रूप से समृद्ध होने के बावजूद हम भारतीय भाषाओं के फॉण्ट निर्माण में भी पीछे हैं. भाषाओं की समृद्धि से ही राष्ट्र की समृद्धि का सपना देखा जा सकता है. उन्होंने कई उदाहरणों के जरिये मातृभाषा की पहचान करने के तरीके भी बताये. उन्होंने कहा कि भाषा के बिना मनुष्यता अधूरी है.

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राष्ट्रीय अस्मिता का द्योतक: अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस,★प्रो. नीलिमा गुप्ता ,कुलपति ,डॉ गौर विवि सागर का विशेष आलेख


सांस्कृतिक मूल्य, परंपरा एवं इतिहास को एक सूत्र में बांधती है भाषा- प्रो. नीलिमा गुप्ता 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. नीलिमा ने कहा कि मनुष्य अपने जन्म से ही भाषा का प्रयोग शुरू कर देता है. पैदा होने के बाद सबसे पहला शब्द वह ‘माँ’ सीखता है. इसलिए इस शब्द से उसको अलग नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि यूनेस्को ने मातृभाषा दिवस मनाने का प्रावधान किया. भारत 19500 भाषाओं से समृद्ध देश है जिसमें 121 भाषाएँ केवल दस हज़ार लोगों तक सीमित है, जिनके द्वारा वे बोली जाती हैं. इस तरह 22 प्रमुख भाषाएँ जो भारत के लोग बोलते हैं उन्हें संविधान में शामिल किया गया. मातृभाषा की महत्ता बताते हुए उन्होंने कहा कि नोबेल पुरस्कार से ज़्यादातर उन्हीं लोगों को सम्मानित किया गया है जिन्होंने अपना कार्य मातृभाषा में किया है. सांस्कृतिक मूल्य, परंपरा एवं इतिहास इन तीनों को भाषा ही बाँध कर रखती है. 

उन्होंने आकड़ों के माध्यम से विश्व में हिंदी भाषा की स्थिति पर बात रखते हुए कहा कि आज दो तिहाई आबादी हिंदी समाचार पत्र पढ़ रही है व विश्व भर के सिनेमाघरों में हिंदी सिनेमा प्रदर्शित होती है. कोविडकाल के दौरान जब सभी चीज़ों का डिजिटलीकरण हुआ उसके साथ हिंदी भाषा की भी तकनीक में सहभागिता बढ़ी है. गूगल के आकड़ों के अनुसार वर्ष 2024 तक हिंदी में मोबाइल उपयोगकर्ताओं की संख्या अंग्रेज़ी से ज्यादा रहेगी. अपने उद्बोधन के अंत में उन्होंने हिंदी भाषा की विविधता को सरलता से समझाया और सभी को मातृभाषा के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए संकल्पित होने का संदेश दिया.

भाषा विज्ञान और हिन्दी विभाग की अध्यक्ष प्रो. चन्दा बेन ने स्वागत वक्तव्य दिया और कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के पश्चात एकीकरण के कारण भाषा के रूप में भारतेंदु युग के सभी भाषाविदों का अहम योगदान रहा है. उन्होंने त्रिभाषा सूत्र के माध्यम से बात रखते हुए कहा कि प्राथमिक शिक्षा हमारी मातृभाषा में होनी चाहिए. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने भाषा संबंधों को अधिक प्रगाढ़ बनाने का प्रावधान किया है. छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. अम्बिकादत्त शर्मा ने विषय प्रवर्तन किया और कहा कि इस वर्ष मातृभाषा दिवस आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में आया है. आज़ादी के तीन सोपान होते हैं जिन्हें पार करके आजादी पाई जा सकती है. पहला- राजनीतिक परतंत्रता से मुक्ति, दूसरा-वैचारिक स्वराज और तीसरा-भाषायी स्वराज की प्राप्ति. भाषायी स्वराज मातृभाषा को महत्त्व देकर ही प्राप्त किया जा सकता है. उन्होंने प्रसिद्ध कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर और बलवंत गार्गी के बीच वार्तालाप का उद्धरण देते हुए मातृभाषा के महत्त्व के रेखांकित किया.

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व्याख्यान के उपरांत मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय स्तर पर आयोजित ‘आत्मनिर्भरता में मातृभाषा का योगदान’ विषय पर निबंध प्रतियोगिता एवं ‘बहुभाषिकता भारत के लिए वरदान है’ विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता में विजयी प्रतिभागियों को मुख्य समारोह में पुरस्कृत किया गया. कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ राजेंद्र यादव ने किया एवं आभार डॉ आशुतोष ने ज्ञापित किया. आयोजन में प्रो. बीआई. गुरु, प्रो. नवीन कांगो, प्रो. निवेदिता मैत्रा, प्रो. उमेश पाटिल, डॉ राकेश सोनी, डॉ अलीम खान, डॉ हिमांशु, विवेक विसारिया, डॉ  शशि सिंह, डॉ. अरविन्द, डॉ मुकेश साहू सहित कई शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे.

 

 

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