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नर्स डे : वैक्सीनेशन सेंटर पर नर्सों का सम्मान किया कांग्रेस सेवादल ने

नर्स डे : वैक्सीनेशन सेंटर पर नर्सों का सम्मान किया कांग्रेस सेवादल ने

सागर। शहर सेवादल ने पाली क्लीनिक चमेली चौक की नर्स स्टाफ और रविशंकर स्कूल के वैक्सीनेशन सेंटर पर जाकर नर्सों के बीच उनका मिठाई खिलाकर ,पुष्प माला भेंट कर और पुष्प बरसाकर सम्मान कर नर्स डे मनाया। पाली क्लीनिक और वैक्सीनेशन सेंटर  के पूरे स्टाफ टेक्नीशियन, सफाईकर्मी आदि सभी का सम्मान किया गया इस दौरान शहर सेवादल अध्यक्ष सिंटू कटारे ने देश की सभी नर्सों को नमन करते हुये कहा कि आज दुनियाभर के ज़्यादातर देश कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस इस भयंकर महामारी के बीच ख़ास महत्व रखता है। नर्स अस्पतालों और क्लीनिकों की रीढ़ की हड्डी होती हैं जो अपनी जान जोखिम में डालकर महीनों तक कोविड-19 के लाखों मरीज़ो की देखभाल करती हैं।
इस दौरान अस्पताल की हेड नर्स सेवादल परिवार को धन्यवाद देते हुये भावुक हो गयी।

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तत्पश्चात् सेवादल ने इतवारी वार्ड और 15 परिवारों की महिलाओं को राशन वितरित कर अपने अभियान को आज 12 वें दिन भी आगे बढाया, राशन में आटा-दाल-चावल-दूध-बिस्किट आदि वितरित किया गया। वितरण के दौरान सोशल डिस्टेसिंग को विशेष ध्यान रखते हुये कोरोना से बचने की सावधानियों से भी इन परिवारों को अवगत कराया गया ।
आज के अभियान मे शहराध्यक्ष सेवादल सिंटू कटारे के साथ ब्लाकाध्यक्ष नितिन पचौरी,कल्लू पटैल, जयदीप यादव,प्रवीण यादव,विधाचरण गुप्ता,आकाश नामदेव,अरविंद राजपूत,लकी यादव,अंकुर यादव,विक्की यादव,राहुल सैन,विक्की सैन आदि सेवादल परिवार के सदस्य सहयोगी के रूप में उपस्थित थे।


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कोतवाली थाना की कार्यशैली से प्रभावित लकड़ी टाल मालिक ने कोविड मरीज के अंतिम संस्कार के लिए मुफ्त लकड़ियां देने की घोषणा की

कोतवाली थाना की कार्यशैली से प्रभावित लकड़ी टाल मालिक ने कोविड मरीज के अंतिम संस्कार के लिए मुफ्त लकड़ियां देने की घोषणा की


साग़र। कोरोना काल मे मदद के नए नए रूप देखने मिल रहे है। कोतवाली थाना क्षेत्र की सजगता और सख्ती से भीड़ भाड़ नियंत्रित करने और थाना प्रभारी नवल आर्य की मानवीयता देखकर एक लकड़ी टाल मालिक ने कोविड मरीजो के अंतिम संस्कार के लिए मुफ्त में लकड़ियां देने की घोषणा की है। टाल मालिक सरदार नरेंद्र सिंह अजमानी के अनुसार थाना प्रभारी जिस किसी के लिए अपनी मंजूरी देंगे उनको लकड़ियां उपलब्ध कराएंगे। 

कोरोना काल मे सबसे घने  बस्ती वाले क्षेत्र में पिछले एक हफ्ते में कोरोना संक्रमण की दर में गिरावट आई है। इसका श्रेय कोतवाली थाना पुलिस के8 कार्यशैली को जाता है। थाना प्रभारी नवल आर्य क्षेत्र में लोगो को घर से वाहर नही निकलने और मास्क लगाने का संकल्प भी दिलाते है। वहो लोगो को राशन आदि उपलब्ध कराते है। इसी से प्रभावित होकर लोग कोरोना काल मे थाना के जरिये मदद के लिए सामने आ रहे है। 

लकड़ी के लिए सम्पर्क करें
मोबाइल नम्बर
श्री नवल आर्य ,थाना प्रभारी कोतवाली 
94254 48230

श्री नरेन्द्र सिंह अजमानी
8959383111
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SAGAR : किल कोरोना सर्वे 193245 घरों का सर्वे, 902057 व्यक्तियों में सर्दी,खॉंसी,बुखार के 8051 मरीज मिले

SAGAR : किल कोरोना सर्वे 193245 घरों का सर्वे, 902057 व्यक्तियों में सर्दी,खॉंसी,बुखार के  8051 मरीज मिले 

सागर।डॉ.एस.आर.रोशन जिला टीकाकरण अधिकारी सागर ने बताया कि जिले में किल कोरोना सर्वे दिनाकं 7 मई से चल रहा है। अभी तक सर्वे दल द्वारा 193245 घरों का सर्वे किया गया जिसमें 902057 व्यक्तियों की जानकारी दल द्वारा ली गई जिसमें सर्दी,खॉंसी,बुखार (आईएलआई) के 8051 मरीजों को खोजा गया मेडीसिन किट में दी गई दवा को कितने दिन, कब कौन सी दवा खाना, की जानकारी की पर्ची रखी गई ताकि किसी प्रकार की परेशानी न हो ।
 सर्वे दल द्वारा घर-घर जाकर प्रत्येक सदस्यों का थर्मल स्क्रीनर से तापमान को मापा जाना एवं आक्सीमीटर से आक्सीजन का लेवर की जांच करना तत्पश्चात कोई संर्दी,खॉंसी ,बुखार से पीड़ित मिलते है। तो प्रपत्र में जानकारी ली जाकर उपचार हेतु मेडीसिन किट प्रदान की जा रही है। आवश्यकता पड़ने पर मरीज को होम आईसोलेट करना या कोविड केयर सेंटर पर भेजने की व्यवस्था की जा रही है।
      आमजन से अपील है कि सर्वे दल जब आपके घर आये तो तुरंत जांच कराये मोबाईल नं. सही दर्ज करायें ताकि आवश्यकता पडने पर संपर्क किया जा सकते । कोरोना संक्रमण की चैन को तोड़नें हेंतु किल कोरोना सर्वे द्वारा मंद लक्षण वाले व्यक्तियों को फीवर क्लीनिक में भेजना या आवश्यकता अनुसार होम आईसोलेट करना तथा ऐसे व्यक्ति जिसके घर में पर्याप्त जगह नहीं है तो उन्हे कोविड केयर सेंटर में भर्ती किया  जाना ताकि ग्राम/वार्ड में संक्रमण की चैन को   हम सब मिलकर तोडे । 
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SAGAR: आयुष्मान योजना के तहत अभी तक 18 कोविड मरीज भर्ती , हॉस्पिटल में ही बन सकते है कार्ड

SAGAR: आयुष्मान योजना के तहत अभी तक 18 कोविड मरीज भर्ती , हॉस्पिटल में ही बन सकते है कार्ड


सागर।  मुख्यमंत्री कोविड उपचार योजना के तहत समस्त पात्र हितग्राहियों को लाभ मिले एवं पंजीकृत अस्पतालों के द्वारा पात्र हितग्राहियों का निःशुल्क उपचार किया जाए इस संबंध में मुख्य सचिव श्री इक़बाल सिंह बैस की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक आयोजित की गई। बैठक में प्रदेश के समस्त जिला कलेक्टर्स मौजूद थे। सागर से कलेक्टर श्री दीपक सिंह ने इस बैठक में भाग लिया।

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कलेक्टर श्री दीपक सिंह ने बताया कि, आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत पात्र हितग्राहियों को निःशुल्क उपचार की सुविधा दी गई है। इस योजना के अंतर्गत सागर के 9 निजी अस्पतालों को भी पंजीकृत किया गया है। वर्तमान में सागर ज़िले में क़रीब 15 लाख 82 हज़ार पात्र हितग्राही हैं जिससे सागर की लगभग 50 प्रतिशत जनसंख्या आयुष्मान योजना के तहत पात्र है।
कलेक्टर श्री दीपक सिंह ने बताया कि, वर्तमान में सागर ज़िले में क़रीब 2 हज़ार मरीज़ उपचाररत हैं इनमें से लगभग 15 सौ व्यक्ति होम आइसोलेशन में रह रहे हैं जबकि 5 सौ व्यक्ति विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हैं। कलेक्टर श्री दीपक सिंह ने बताया कि अस्पतालों में भर्ती ऐसे मरीज़ जो आयुष्मान कार्डधारी हैं, उन्हें इस योजना के तहत लाभ दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि यदि कोई कोरोना संक्रमित व्यक्ति अस्पताल में भर्ती होता है और उसका आयुष्मान कार्ड नहीं है तो संबंधित अस्पताल तत्काल कार्ड बना सकता है और संबल कार्डधारी, राशन , पात्रता पर्ची के आधार पर संबंधित का इलाज शुरू कर सकता है।
उन्होंने बताया कि आयुष्मान योजना के तहत निजी अस्पतालों में अधिक से अधिक पात्र आयुष्मान कार्ड धारियों को भर्ती कर इलाज की सुविधा उपलब्ध कराएँ। इस संबंध में आयुष्मान मित्र तैनात करें एवं जनता की सुविधा को जागरूक करें। कलेक्टर श्री दीपक सिंह ने बताया कि आज दिनांक तक सागर में कुल 18 व्यक्ति आयुष्मान योजना के तहत लाभ लेकर भर्ती हैं।

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पायलोनेफ्राइटिस बीमारी से पीड़ित वैष्णवी की सफल सर्जरी, तीन दिन में डिस्चार्ज होकर पहुंचेगी घर : शैलेन्द्र जैन

पायलोनेफ्राइटिस बीमारी से पीड़ित वैष्णवी की सफल सर्जरी, तीन  दिन में डिस्चार्ज होकर पहुंचेगी घर :  शैलेन्द्र जैन

सागर |  शहर के बाघराज वार्ड स्थित छत्रसाल नगर कॉलोनी निवासी बिटिया वैष्णवी सोनी जो कि किडनी की गंभीर बीमारी (पायलोनेफ्राइटिस) से पीड़ित होने की सूचना जैसे ही विधायक शैलेंद्र जैन को लगी थी बिटिया के घर पहुंचे और उसके स्वास्थ्य की पूरी जानकारी ली और उसके इलाज का पूरा आश्वासन  परिवार को दिया था  
उल्लेखनीय है कि बिटिया के पिता ऑटो चालक है और उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है कि वे बिटिया का अपने खर्चे पर इलाज करा सकें इसके बाद विधायक जैन ने सागर श्री अस्पताल प्रबंधन से चर्चा कर बेटी वैष्णवी के इलाज मैं रियायत देने का आग्रह किया इसे प्रबंधन ने स्वीकार किया प्रारंभिक जांच के बाद यह निष्कर्ष निकला की बेटी वैष्णवी का ऑपरेशन कर इन्फेक्शन को दूर किया जाएगा डॉ. चंद्रकांत मुन्जेवार (यूरोलोजिस्ट) ने बिटिया वैष्णवी की पूर्ण जाँच के बाद पाया की उनके अपर पोल किडनी के नॉन फंक्शनल टी. बी के कारण थी तथा सर्जरी के दौरान यूट्रास (बायीं साइड) में स्ट्रेकचर है जिसकी सर्जरी लगभग दो माह के बाद किया जाएगा | 

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विधायक जैन ने बताया कि बिटिया वैष्णवी 3 दिन पश्चात अपने घर वापस आ जाएगी और लगभग 2 माह बाद एक छोटी सर्जरी डॉक्टर मुंजेवार के अनुसार और की जाएगी जिसके बाद बिटिया पूर्णत स्वस्थ होगी।
उल्लेखनीय है कि बिटिया वैष्णवी के इलाज में प्रारंभिक रूप से जांचों में ₹50000 का खर्च आया था जिसे विधायक जैन और सागर श्री अस्पताल प्रबंधन ने संयुक्त रूप से वहन किया था और सर्जरी में लगभग ₹160000 का खर्च आया है ₹70000 मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान  से एवं शेष ₹90000 की राशि का वहन विधायक जैन और सागर की अस्पताल प्रबंधन ने किया है।


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टीकाकरण चाही गई व्यवस्था होनी चाहिए या थोपी गई' , जानिये वैक्सीनेशन से कैसे बनते हैं कीर्तिमान ★ होमेन्द्र देशमुख, वीडियो जर्नलिस्ट

टीकाकरण चाही गई व्यवस्था होनी चाहिए या थोपी गई' , जानिये वैक्सीनेशन से कैसे बनते हैं कीर्तिमान

होमेन्द्र देशमुख, वीडियो जर्नलिस्ट 


उत्तर पूर्वी बिहार में नेपाल से बहकर आने वाली कोसी नदी मधुबनी सहरसा और दरभंगा जिले के हजारों एकड़ जमीन को रेत और दलदली मैदान में बदलती रही है । असम में ब्रम्हपुत्र की तरह बिहार में कोसी नदी की बाढ़ से इस क्षेत्र के लोगों का गहरा नाता है । सपाट जमीन पर फैली वही कोसी, पहले उन्हें बाढ़ से तबाह करती है और फिर वही बाढ़ इस क्षेत्र को उपजाऊ जमीन, पीने का जल और जीवन देती है । वहां का जनजीवन मैदानी इलाकों में तालाब की भांति खेतों गांवों मैदानों में फैली कोसी के आँचल और उसके इर्दगिर्द ही अपनी आजीविका जीती है ।  तालाबों झीलों कहीं नाले बन कर नस-नस की तरह फैले जल के स्रोत ही यहां के पीने के पानी का भी कभी स्रोत था , जिसने यहां की ग्रामीण आबादी को पोलियो जैसा भयंकर अभिशाप दिया था । जलजनित वायरस से होने वाले इस रोग ने तब यहां भयंकर महामारी का रूप ले लिया था ।
सन 2003 में  केंद्रीय और बिहार राज्य  स्वास्थ्य अधिकारियों की टीम में शामिल एक युवा डॉक्टर ने जब अपने एम्बेसेडर कार से उतर कर कोसी नदी के ऐसे ही बैक वाटर वाले खुले जल-स्रोत से एक पनिहारिन को पानी भरते देखा तो वह , उस महिला के और करीब पहुच गए । गांव की वह औरत तैरते खरपतवार को हटाकर पीने का पानी भर रही थी और किनारे उसका मासूम बच्चा शौच कर रहा था । बच्चे के शौच के कुछ अंश,  बेशक ! बहकर उसके पानी के घड़े में ही वापस भर रहा था । 
उस युवा डॉक्टर के लिये वह बड़ा शॉकिंग था क्योंकि शौच मिले उस पानी के दो बूंद भी पोलियो के "दो बूंद" पर भारी पड़ रहा था । 
 लेकिन जाहिर है बिहार के अधिकारियों के लिए पिछड़े इलाके में शामिल इस क्षेत्र के लिए वह सामान्य बात थी । और गांव गांव शहर शहर पिछले कुछ सालों से चल रहे उस 'दो बूंद' के पोलियो 'वैक्सीन' का कोई विशेष फायदा नही मिल रहा था । 

वह युवा डॉक्टर थे मप्र में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मप्र एन एच आर एम के वर्तमान उप संचालक स्वास्थ्य सेवाएं, और मप्र में "प्रभारी कोविड वैक्सीनेशन" डॉ संतोष शुक्ला ।

जल-जन्य महामारी पोलियो के यहां फैलाव और बिहार के अति पिछड़े इस क्षेत्र को पोलियो से बचाने का सूत्र डॉक्टर शुक्ला के हाथ लग गया । और केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय में सहायक आयुक्त राष्ट्रीय टीकाकरण के दायित्व को निभाते उन्होंने चंद महीनों में इस क्षेत्र को पोलियो मुक्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । 

डॉ संतोष शुक्ला ने इसके पिछले साल 2002 में  ही विश्व भर मे सबसे ज्यादा पोलियो से प्रभावित उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ मऊ और गाजीपुर में पोलियो प्रभावित क्षेत्रों में 500 मीटर और 5000 मीटर के पैकेट बनाकर 48 घण्टों में विशेष वैक्सीनेशन कर चंद महीनों में पोलियो से इन क्षेत्रों को जड़ उखाड़ फेंका था । केंद्रीय स्वाथ्य मंत्रालय में डॉ संतोष शुक्ला को इस नई नई जिम्मेदारी ने अपने खास शैली और रिसर्च के साथ बनी रणनीति ने अप्रत्याशित सफलता दिलाई और मंत्रालय में उनका महामारी इरिडिकेशन का  काम बढ़ गया । 

डॉ शुक्ला ने यहां 'रिंग इम्युनाइजेशन' पद्धति अपनाई और देश में पोलियो के लिए सुर्खियों का दाग और उसे धोने के लिए चैलेंज बने  उत्तरप्रदेश के  इन क्षेत्रो में ग्रामीण क्षेत्रों में पीड़ित से 500 मीटर से 5 किमी और शहरी क्षेत्रों में  50 मीटर से 500 मीटर तक के पैकेट बनाए और 48 घण्टों में टारगेटेड आबादी का वैक्सीननेशन करवाया । इस नवाचार पद्धति को तब "महामारी प्रत्युत्तर टीकाकरण" नाम दिया गया ।
इस आशातीत सफलता से अभिभूत डॉ शुक्ला को अगले साल बिहार सरकार के अधिकारियों के  साथ कोसी नदी से लगे उन्ही जिलों में पोलियो के उन्मूलन के  लिए काम करने की जिम्मेदारी सौंपी गई और वह उन क्षेत्रों के दौरे पर निकले थे , जो बिहार में देश का एक और बड़ा पोलियो प्रभावित क्षेत्र था और पोलियो उन्मूलन के दो बूंद लेने के बावजूद यहां  लगातार केस आने का कारण किसी को समझ नही आ रहा था ।

कहते हैं -'एक चित्र सौ शब्द समान' ।  तब डॉ शुक्ला ने उस मां बेटे की बोलती तस्वीरें केंद्र सरकार और WHO को भेजा तो यहां  इम्यूनाइजेशन की कोशिशों  को मिल रहे असमान्य  झटकों को समझने में समय नही लगा । उनके इसी रिपोर्ट को आधार मानकर पूरे देश मे पुनः  गम्भीर श्रेणी के ऐसे 107 ब्लॉक को चिन्हित किया गया जहां पोलियो को केवल टीकाकरण से ही नही बल्कि पीने के साफ पानी, सड़क और बिजली के अतिरिक्त इंतजाम  कर  वैक्सीनेशन की बहुत महत्वपूर्ण स्ट्रेटजी बनाई गई । यह सम्भवतः विश्व मे नया रहा होगा । उस नए स्ट्रेटजी के साथ डॉ शुक्ला ने अपने एक साल पहले अपनाए उत्तरप्रदेश के पैटर्न पर ही बिहार के दरभंगा में अभियान चलवाया और उसे जल्द  पोलियो से मुक्त क्षेत्र बना दिया ।

यह अनुभवी अधिकारी इस समय मप्र में इस समय कोविड वैक्सीनेशन का कमान सम्हाले हुए हैं  जो मप्र राष्ट्रीय स्वाथ्य मिशन NHRM में उप संचालक रहते मप्र कोविड इम्यूनाइजेशन के प्रभारी भी हैं ।
19 नवंबर 1985 को देश मे UPI का जन्म हुआ तब पोलियो से बुरी तरह प्रभावित सागर जिले  के टीकाकरण अधिकारी के पद पर उन्होंने मप्र सरकार के चिकित्सा सेवा को ज्वाइन किया । मप्र के इसी सागर जिले से अपने नौकरी की शुरुआत करने वाले  इस अधिकारी को आज देश मे  सबसे वरिष्ठ 'इन सर्विस इम्यूनाइजेशन विशेषज्ञ अधिकारी' के रूप में जाना जाता है । 
भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरी की अपनी पढ़ाई करते-करते ही स्टूडेंट संतोष शुक्ला को तब भोपाल में फैली बड़ी माता (small Pox) के इरिडिकेशन (उन्मूलन)में वालिंटियर के रूप में काम करने का अनुभव  किसी महामारी के  वैक्सीनेशन से उन्मूलन का पहला अनुभव था ।
1985 में देश के 16 जिलों में पोलियो की जबरदस्त रोगी मिले जिसमें मप्र का सागर भी एक था । डॉ शुक्ला यहां अपने पेशे में, इस दूसरी महामारी के उन्मूलन में लग गए ।  यह लंबा अनुभव काम आया और उन्हें केंद्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग में जाकर काम करने का भी मौका मिला ।  उत्तरप्रदेश और बिहार की घटनाएं उन्ही दिनों के थे।
2011 में वापस मध्यप्रदेश लौटे डॉ शुक्ला को 2015 में गर्भवती माता और नवजात के टिटनेस के टीके पर काम करने का बड़ा अवसर मिला । पिछले तीन चार सालों से वे प्रदेश में खसरा के उन्मूलन के लिए पहले चरण में ढाई करोड़ बच्चों को टीका लगवा चुके हैं और उन्हें उम्मीद है कि 2023 तक मध्यप्रदेश को खसरा मुक्त कर देंगे । इसी बीच अचानक आए वैश्विक महमारी कोरोना से मध्यप्रदेश को  वैक्सीनेशन से इरिडिकेशन का दायित्व उन्हें सौपा गया है ।
डॉ शुक्ला का कहना है कि उत्तरप्रदेश में अपने नेतृत्व में किये उसी ''रिंग इम्यूनाइजेशन'' और ''महामारी प्रत्युत्तर टीकाकरण'' के पैटर्न को मध्यप्रदेश के  कोविड इम्यूनाइजेशन में भी कुछ जगह अपनाया है और उनका दावा है कि कोविड इरिडिकेशन में वही पैटर्न कारगर साबित होगा । इस पैटर्न में शहरी क्षेत्र में 500 लोगों को और ग्रामीण क्षेत्रों में 5 किमी का पैकेट बनाकर आवागमन रोक कर इम्यूनाइजेशन किया जा सकता है । 
अपने दायित्वों के इतर डॉ संतोष शुक्ला का कहना है कि लॉकडाउन और कोरोना कर्फ्यू के बजाय  उन क्षेत्रों को इंटरनल  लॉक फ्री किया जाना चाहिए जहां की आबादी में कोई कोरोना नही है ।  पैकेट आधारित वैक्सीनेशन की तरह पैकेट आधारित इरिडिकेशन भी करना होगा उनका दावा है कि जिसको वह अपना रहे हैं । 
उनका कहना है कोरोना एक आतंकी वायरस है । कोई भी वायरस हवा में रहेगा ही । हम उसे पूरी तरह नष्ट नही कर सकते लेकिन उस वायरस से लड़ाई के बजाय हमे उससे बचने या उसकी हमले के प्रवृत्ति को समझ कर स्वयं में कड़ाई  वाले नियम बरतनी होंगे । इसके लिए वह उसी "एस एम एस"- सेनेटाइजर मास्क और सोशल डिस्टेन्स पर आकर अपनी बात खत्म  करना चाहते हैं ..

अंततः , इम्यूनाइजेशन अभियान के प्रभारी के बतौर उनका मानना है  कोरोना खत्म नही होगा न ही उसे खत्म कर सकते है। वातावरण या किसी खास वस्तु में विद्यमान किसी  वायरस को खत्म नही किया जा सकता उसे समूल खत्म करने उस से लड़ने के बजाय उसके हमले होने के पहले अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को विकसित करना ही इम्यूनाइजेशन है । 
भोपाल में 1975 के अपने पहले टीकाकरण अभियान में सिखाया गया था कि इम्यूनाइजेशन थोपी गई व्यवस्था नही बल्कि लोगों द्वारा चाही गई आवश्यकता होनी चाहिए ,यह आज बहुत महत्वपूर्ण बात है । और सरकारें चाहती हैं कि जनता खुद वैक्सीनेशन के प्रति जागरूक हों और बढ़ चढ़ कर आगे आएं ।

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डॉ सन्तोष शुक्ला..
2005 में केंद्रीय सरकार के एक प्रतिनिधि मंडल का  रवांडा में प्रतिनिधित्व किया ।
वर्ष 2008 में महाराष्ट्र के गन्ना क्षेत्र में रात्रिकालीन अंडर फ्लडलाइट टीकाकरण प्रारंभ कराया, जिससे हजारों किमी में फैले खेतिहर मजदूरों के बच्चों के टीकाकरण का नायाब तरीका निकाला।
2009 में  पंजाब में लुधियाना के नरकीय जीवन यापन करते हुए चाल में रह रहे गरीब बच्चों का  टीकाकरण सुनिश्चित कराया।
2010 में जालंधर और  अमृतसर के शहरी क्षेत्र के गली-गली ,मुहल्ले-मुहल्ले की कार्य योजना बनाई , जिससे पंजाब भी पोलियो-मुक्त हो सका।
2011 में बंगाल के 'आखरी केस' हेतु 7 जिलों का सर्विलांस ऑडिटर की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई।

2014 के पोलियो विक्ट्री के जश्न में रैपिड रेस्क्यू टीम सदस्य हैसियत से विशेष रूप से शामिल हुए ।
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 होमेन्द्र देशमुख, वीडियो जर्नलिस्ट,एबीपी न्यूज़, भोपाल 

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