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मन की सुंदरता, डॉक्टरों के समर्पण और प्रेम की महत्ता को पुर्नस्थापित करता है नाटक 'तुम कितनी ख़ूबसूरत हो' ('अन्वेषण नाट्य समारोह 2021' का दूसरा दिन)

मन की सुंदरता, डॉक्टरों के समर्पण और प्रेम की महत्ता को पुर्नस्थापित करता है नाटक 'तुम कितनी ख़ूबसूरत हो'

('अन्वेषण नाट्य समारोह 2021' का दूसरा दिन)

सागर | मंच पर एक अस्पताल के कमरे का का दृश्य है, जिसके एक पलंग पर एक बहुत ही बीमार लड़की सुगंधा है | उसे शारीरिक से ज्यादा मानसिक पीड़ा है, और यही मानसिक रोग धीरे-धीरे उसके शरीर को भी कमज़ोर करने लगता है | दरअसल सुगंधा को यह भ्रम हो गया है कि वह खूबसूरत नहीं है, और इसलिए लोग उसे महत्व नहीं देते | बाद में अस्पताल के उसी कमरे में लड़की के बगल वाले पलंग पर एक अन्य मरीज उमंग भर्ती होता है | धीरे-धीरे दोनों का परिचय होता है | वह युवक सुगंधा को बातों ही बातों में एहसास कराता है कि वह बहुत सुंदर है, चेहरे की सुंदरता के कोई मायने नहीं होते सिर्फ मन की सुंदरता ही सर्वोपरि है | दोनों के बीच प्रेम के बीज अंकुरित हो जाते हैं | इस तरह सुगंधा का भ्रम दूर होता है, उसकी हालत में सुधार होते होते वह पूर्णत: स्वस्थ हो जाती है | बाद में उमंग वहां से चला जाता है और नाटक के अंत में भेद खुलता है कि वह उमंग कोई मरीज नहीं बल्कि एक नामी डॉक्टर हैं और मरीज के रूप  मैं मनोवैज्ञानिक रूप से सुगंधा का इलाज करने आये थे |
           इस नाटक का अगर बिंदुवार निष्कर्ष निकाला जाए तो तीन बिंदु निकल कर आते हैं | पहला बिंदु दर्शाता है कि चिकित्सा जगत में मरीजों की बीमारी को समझते हुए पूरे समर्पण के साथ डॉक्टरों को और उनके सहयोगियों का काम बहुत महत्वपूर्ण होता है, उसकी कोई क़ीमत नहीं आंकी जा सकती | दूसरा बिंदु यह बताता है कि मन की सुंदरता के आगे शारीरिक सुंदरता का कोई मोल नहीं होता | मन की सुंदरता ही वास्तविक सुंदरता है | तीसरे बिंदु के रूप में यह नाटक प्रेम की सनातन शक्ति को एक बार पुनः स्थापित करता प्रतीत होता है | 
           नाटक को उपस्थित दर्शकों ने पूरे मनोयोग के साथ देखते हुए इसकी भरपूर सराहना  की | नाटक के बीच बीच में सुगंधा के मामा और डॉक्टर के हास्य से भरे संवादों का भी दर्शकों ने भरपूर आनंद उठाया | स्थानीय रविंद्र भवन में जारी 'अन्वेषण नाट्य समारोह 2021' के दूसरे दिन 25 नवंबर को नाटक 'तुम कितनी ख़ूबसूरत हो' का मंचन स्वयं आयोजक संस्था अन्वेषण थिएटर ग्रुप द्वारा किया गया | नाटक का निर्देशन जगदीश शर्मा ने किया | नाटक में मंच पर जिन कलाकारों ने अभिनय किया उनमें मरीज सुगंधा के रूप में करिश्मा गुप्ता, युवक मरीज के रूप में (जो वास्तव में एक डॉक्टर है) कपिल नाहर, सीनियर डॉक्टर के रूप में समर पांडेय, जूनियर डॉक्टर के रूप में प्रवीण कैम्या, सुगंधा के मामा के रूप में रवीन्द्र दुबे कक्का, नर्सों के रूप में समता झुड़ेले और ग्राम्या चौबे, वॉर्ड बॉय के रूप में दीपक राय ने काम किया | नाटक के शुरू में नृत्य आस्था बानो ने प्रस्तुत किया | मंच परे के प्रबंधों में अतुल श्रीवास्तव, सतीश साहू पार्थो घोष, आशीष चौबे, साक्षी पांडे, राहुल सेन, आनंद शर्मा, सन्तोष दांगी, अखिलेश अहिरवार, सक्षम, प्रेम जाट, राजीव जाट, अश्वनी साहू, तरुण सिंह, दीपगंगा साहू, तारिक भाई, मास्टर अयान, ऋषभ सैनी, बृजेश शर्मा, राजाराम सैनी आदि शामिल रहे | मंच संचालन सतीश साहू ने किया 

         
अन्वेषण नाट्य समारोह 2021 में 26 नवंबर की प्रस्तुति - 'गांधी ने कहा था'
लेखक - राजेश कुमार
निर्देशन - सादात भारती 
प्रस्तुतकर्ता दल - संप्रेषणा नाट्य मंच कटनी (म. प्र.)
समय - शाम 7:00 बजे से
स्थान - रवीन्द्र भवन सागर
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जितना अधिकारों के प्रति जागरूक हैं, उतना ही अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहें : केन्द्रीय राज्यमंत्री प्रह्लाद पटेल


जितना अधिकारों के प्रति जागरूक हैं, उतना ही अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहें : केन्द्रीय राज्यमंत्री प्रह्लाद पटेल


★ देवरी में 7 करोड़ 75 लाख रूपये की लागत के संयुक्त अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कार्यालय के भवन का लोकार्पण

सागर ।केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण, उद्योग एवं जलशक्ति राज्यमंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने गुरुवार को सागर जिले की देवरी तहसील में संयुक्त अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) कार्यालय के अत्याधुनिक एवं सर्वसुविधायुक्त भवन का लोकार्पण किया। यह भवन 7 करोड़ 75 लाख रूपये की लागत से बनकर तैयार हुआ है। मंत्री श्री पटेल ने इस अवसर पर कहा कि हम आज आजादी की 75वीं सालगिरह मना रहे है। उन्होंने लोगों का आव्हान किया कि जितने अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं, अपने कर्तव्यों के प्रति भी उतने ही जागरूक रहें। हमे अपने प्राकृतिक संसाधनों की चिंता करनी होगी। कार्यक्रम में विषिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व मंत्री एवं देवरी विधायक श्री हर्ष यादव, पूर्व विधायक श्री भानुराणा, कलेक्टर श्री दीपक आर्य सहित अन्य जनप्रतिनिधि और नागरिकगण मौजूद थे।
केन्द्रीय राज्यमंत्री श्री प्रहलाद पटेल ने कार्यक्रम में कहा कि आज हम आजादी की 75वीं सालगिरह मना रहे हैं। हमे अपने संसाधनों की देखभाल करनी होगी। आबादी बढ़ रही है और प्राकृतिक संसाधन उतने ही हैं। जब देष स्वतंत्र हुआ था, तब से लेकर अब तक 3 गुना आबादी बढ़ चुकी है। प्राकृतिक संसाधन नहीं बढ़े। खर्चीली जीवन-षैली में संसाधनों पर दबाव बढ़ा है। पानी का उपयोग बढ़ा है। हमे जल संसाधनों को सहेज कर रखना होगा। जल का संरक्षण करना होगा तभी हम भविष्य की आवष्यकताओं को पूरी कर पायेंगे।
उन्होंने कहा कि 26 नवम्बर को संविधान दिवस मनाते है। डा. भीमराव अम्बेडकर को याद करते हुए उन्होंने कहा कि देष का संविधान 26 नवम्बर 1949 को बनकर तैयार हुआ था और 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ था। जिसे हम गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। उन्होंने कहा कि देवरी में प्रषासनिक भवन बन जाने से आम लोगों को सुविधा होगी। उन्होंने आषा व्यक्त की कि यह भवन अपने उद्देष्य में सफल होगा।
केन्द्रीय राज्यमंत्री श्री पटेल ने कोरोना महामारी का जिक्र करते हुए कहा कि जब कोई आपदा आती है तो हमारी क्षमताओं की परख होती है। उन्होंने कहा कि कोरोना के समय पुलिस विभाग से लेकर डाक्टर, नर्स, स्वास्थ्यकर्मी और अन्य शासकीय कर्मचारियों ने सराहनीय कार्य किया है।
विषिष्ट अतिथि पूर्व मंत्री श्री हर्ष यादव ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आज खुषी का दिन है कि देवरी तहसील में संयुक्त अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) कार्यालय के नव-निर्मित अत्याधुनिक एवं सर्वसुविधायुक्त भवन का लोकार्पण हुआ है। इससे देवरी तहसील के नागरिकों को एक ही छत के नीचे राजस्व संबंधी सुविधाएं मिलेंगी।
इस अवसर पर एसडीएम श्री अमन मिश्रा, एसडीओपी श्री पूजा शर्मा, श्री कैलाष पटेल, श्री अनिल ढिमोले सहित नागरिकगण उपस्थित थे 
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गौर उत्सव : ‘डॉ. गौर के सपनों का सागर और उनका विश्वविद्यालय’ पर परिसंवाद आयोजित ★ रघु ठाकुर, डॉ जी एस चौबे, एसपी व्यास और सुरेश आचार्य ने किया संवाद

गौर उत्सव : 'डॉ. गौर के सपनों का सागर और उनका विश्वविद्यालय' पर परिसंवाद आयोजित 

★ रघु ठाकुर, डॉ जी एस चौबे, एसपी व्यास और सुरेश आचार्य ने किया संवाद


सागर. 25 नवंबर.
डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के संस्थापक महान शिक्षाविद् एवं प्रख्यात विधिवेत्ता, संविधान सभा के सदस्य एवं दानवीर डॉ. सर हरीसिंह गौर के 152वें जन्म दिवस के उपलक्ष्य में दिनांक 21 नवंबर से 26 नवंबर तक आयोजित 'गौर उत्सव' के पांचवें दिन विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयन्ती सभागार में 'डॉ. गौर के सपनों का सागर और उनका विश्वविद्यालय' विषय पर परिसंवाद आयोजित हुआ. 
 
डॉ. गौर और मां. सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण, दीप प्रज्जवलन और अतिथियों के स्वागत के उपरान्त विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ. संजय शर्मा ने डॉ. गौर के सागर शहर और शिक्षा के मंदिर के सपने के पीछे के ऐतिहासिक कारणों का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि वे अपने समकालीन विचारकों और संस्थानों से प्रभावित थे. वे सागर ही नहीं पूरे भारत की संस्कृति को बदलना चाहते थे. यह बदलाव शिक्षा के माध्यम से ही होगा, यह मानने वाले डॉ. गौर ने इसके लिए एक विश्वविद्यालय स्थापित करने का प्रण लिया. उनका वह संकल्प एक विश्वविद्यालय के रूप में हमारे सामने है. डॉ. गौर विश्वविद्यालय को समाज निर्मिति के केंद्र के रूप में देखते थे.
 
डॉ. गौर की आंतरिक छवि विराट थी- कुलाधिपति 

कुलाधिपति प्रो. बलवंतराय शांतिलाल जानी ने कहा कि डॉ. गौर स्वप्नद्रष्टा थे. उनके सपनों के बारे में जानने के लिए सबसे पहले उनके अन्तः ह्रदय को जानना होगा. ऊपरी तौर पर हम उनके बारे में बहुत सी बातें जानते हैं लेकिन उनकी आंतरिक छवि विराट थी. वे समय के अनुकूल नए ज्ञान और सृजन के प्रति सचेत थे. वे जानते थे कि भौतिक युग में ग्रामीण संस्कृति को बढ़ावा नहीं मिलेगा. इसीलिये उन्होंने एक विश्वविद्यालय के लिए ग्रामीण परिवेश चुना ताकि समकालीन विचारों के साथ यह विश्वविद्यालय अद्यतन ज्ञान का केंद्र बने. आने वाले समय में यह विश्वविद्यालय नवाचार के प्रयोग के माध्यम से साहित्य, संस्कृति, परम्परा के महत्त्व की स्थापना का विश्वस्तरीय केंद्र बनेगा.    
  

मनुष्य को लोकतांत्रिक और प्रगतिशील बनाने वाली शिक्षा के हिमायती थे डॉ. गौर- रघु ठाकुर 

प्रसिद्ध समाजवादी चिन्तक रघु ठाकुर ने कहा कि डॉ. गौर ने गरीबी का निकट से अनुभव किया था. उन्होंने इस पूरे अंचल को विकास के रास्ते पर लाने के लिए विश्वविद्यालय को आधार बनाया. उन्होंने शहर और विश्वविद्यालय को पूरी दुनिया से जोड़ने के लिए विमानन मंत्रालय को हवाई अड्डा बनाने के लिए ज्ञापन दिया. रेल सुविधाओं को अद्यतन करने के लिए ज्ञापन दिए. वे सागर को देश की उप राजधानी बनाना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने कई पत्राचार किये जिसमें तर्कसंगत बातों से तत्कालीन सरकार को सहमत करने का प्रयास किया. सागर में टेक्नीकल एजुकेशन के लिए कॉलेज और विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए भी उन्होंने पत्र लिखे. विकास के जितने भी मापदंड हो सकते हैं, वे सागर को सबसे परिपूर्ण करना चाहते थे. उनका सपना सागर को आत्मनिर्भर बनाने का सपना था. उनका मानना था कि लोग पढ़कर केवल डिग्री न हासिल करें बल्कि लोकतांत्रिक व्यवहार भी सीखें. वे मानते थे कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो लोकतांत्रिकता और प्रगतिशीलता के रास्ते पर व्यक्ति को ले जाए और विश्वविद्यालय इसका केंद्र बने. वे हिन्दू धर्म और परम्पराओं का नवजागरण चाहते थे. महिलाओं की शिक्षा और उनके अधिकारों के लिए उन्होंने बहुत से काम किये. वे ऐसी शिक्षा के हिमायती थे जो केवल सूचना प्रदान करने तक सीमित न हो बल्कि विवेक भी जुड़ा हो.
 
डॉ. गौर के जन्म का दशक प्रतिभाओं के जन्म का दशक है- डॉ. चौबे 

ख्यातिलब्ध चिकित्सक डॉ. जी एस चौबे ने कहा कि डॉ. गौर का जन्म जिस दशक में हुआ, वह देश में प्रतिभाओं के जन्म का दशक था. 1861 में जन्मे रवींद्र नाथ ठाकुर को नोबल पुरस्कार से नवाजा गया. 1863 में जन्में स्वामी विवेकानंद के विचारों और कार्यों ने ने पूरी दुनिया में भारत को विश्वगुरु के रूप में स्थापित किया. 1869 में जन्मे गांधीजी ने सत्य और अहिंसा के रास्ते पर पूरे देश को चलने की प्रेरणा दी और अप्रतिम त्याग का परिचय दिया. 1870 में जन्मे डॉ. गौर ने अपना सर्वस्व धन दानकर विद्या के एक मंदिर की स्थापना की. ऐसा उदाहरण पूरी दुनिया में कहीं नहीं मिलेगा.  
 

डॉ. गौर के सपनों ने सागर को विश्वपटल पर स्थापित किया- प्रो. व्यास 

वरिष्ठ शिक्षाशास्त्री एवं वैज्ञानिक प्रो. एस पी व्यास ने कहा कि डॉ. गौर के व्यक्तित्व को शब्दों में उतारना बड़ा ही कठिन कार्य है. उनके सपने के अनुरूप बहुत से मंगल कार्य किये जा रहे हैं. यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है. डॉ. गौर के सद्प्रयासों से महिलाओं के लिए वकालत का रास्ता खुला. वे एक व्यक्ति नहीं विचार थे. विश्वविद्यालय की स्थापना करके एक छोटे से ग्रामीण इलाके को विश्वपटल पर सम्मान दिलाने वाले वे पहले व्यक्ति थे. उनका व्यक्तित्व संत का व्यक्तित्व था. उनके जन्म दिवस के अवसर पर हमें यह प्रण लेना होगा कि हम हर दिन की शुरुआत उनके संकल्पों के अनुरूप कार्य करने से करेंगे. अनुशासित रहकर इस शिक्षा के केंद्र को एक नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए सदैव श्रमशील रहेंगे.
 
डॉ.गौर के सपनों के अनुरूप अपनी सामाजिक भागीदारी सुनिश्चित करेगा विश्वविद्यालय- कुलपति  





कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि डॉ. गौर के जीवन संघर्ष और उनके अवदानों की चर्चा सुनते हुए मुझे उनका समकालीन परिदृश्य दिखाई दे रहा है. डॉ. गौर बेहद अभाव की स्थिति से निकलकर उच्च शिखर पर पहुँचने वाले महान व्यक्तित्व थे. आज लोग अपने परिवार और बच्चों के लिए पूंजी इकट्ठा करते हैं. लेकिन डॉ. गौर ने परिवार के साथ-साथ समाज के लिए एक बड़ा हिस्सा भी रखा और एक अद्भुत शिक्षा का केंद्र हमें विरासत में मिला है. हमारी यह जिम्मेदारी है कि हम उनके अवदानों को याद करते हुए उनके संकल्पों को पूरा करने में अपनी ऊर्जा लगाएं. उन्होंने हाल ही में हुए विभिन्न संस्थाओं के साथ हुए अकादमिक अनुबंधों की चर्चा करते हुए कहा कि हम नए-नए पाठ्यक्रमों के माध्यम से ऐसी पीढ़ी तैयार करेंगे कि आने वाले समय में यह विश्वविद्यालय अपने शिखर पर पहुंचेगा. ग्रामीण विकास, स्किल डेवलेपमेंट पाठ्यक्रमों के जरिये हम आदर्श गाँव भी बनायेंगे. समाज और समुदाय की बेहतरी के लिए भी विश्वविद्यालय अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेगा. डॉ. गौर ने विश्वविद्यालय के रूप में जो बीजारोपण किया है हम उनके संकल्पों और सपनों के अनुरूप इसे हरा-भरा बनाएंगे. उन्होंने कहा कि जल्द ही गौर म्यूजियम बनकर तैयार होगा. उन्होंने अपील की कि जिनके पास भी उनसे जुडी हुई वस्तुएं हों वे विश्वविद्यालय को सौंपकर अपना योगदान दें ताकि म्यूजियम के माध्यम से वे वस्तुएं सभी के लिए उपलब्ध हो पायें. 
 
डॉ. गौर द्वारा स्थापित कल्पवृक्ष की कीर्ति पताका फहराना हमारा कर्तव्य- प्रो. सुरेश आचार्य 

वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. सुरेश आचार्य ने कहा कि पूरे बुंदेलखंड में डॉ. हरीसिंह गौर 'गौर बब्बा' के नाम से जाने जाते हैं. यह यहाँ के लोगों का उनके प्रति अगाध प्रेम है और यह रिश्ता बड़ा ही नायाब है. उनके द्वारा स्थापित इस विश्वविद्यालय की रक्षा, इसकी समृद्धि, वृद्धि और इसकी कीर्ति पताका चारों ओर फहराना हम सबका कर्तव्य है. आज के आधुनिक युग में लोग अंधाधुंध संपत्ति इकठ्ठा कर विलासितापूर्ण जीवन जीने में संलग्न हैं लेकिन डॉ. गौर ने एक-एक पैसा जोड़कर विश्वविद्यालय के रूप में एक कल्पवृक्ष लगाया जिसमें देश भर के लोग अध्ययन करने के लिए आते हैं. इस विश्वविद्यालय में बहुत कुछ अद्भुत है. 1970 में उनकी जन्म शताब्दी मनाई गई थी जिसमें शहर से एक बहुत बड़ा जुलूस विश्वविद्यालय में आया था. आज भी यह परम्परा जारी है. यह उनके प्रति श्रद्धानवत होने का अवसर है.  
 
सर्वश्रेष्ठ एनसीसी कैडेट को सम्मानित करने के लिए डॉ. ललित मोहन ने राशि दी


कार्यक्रम में डॉ. ललित मोहन ने एक लाख एक सौ पचीस रूपये का चेक कुलाधिपति प्रो. बलवंतराय शांतिलाल जानी को सौंपा. इस राशि से आगामी वर्षों में विश्वविद्यालय के सर्वश्रेष्ठ एनसीसी कैडेट को गौर जयन्ती के अवसर पर सम्मानित किया जाएगा. डॉ. ललित मोहन विश्वविद्यालय में दस वर्षों तक एनसीसी अधिकारी रह चुके हैं. उत्कृष्ट कार्य एवं सेवा के लिए उन्हें महानिदेशक प्रशंसा पदक भी मिल चुका है. 
 
कार्यक्रम का मॉडरेशन और आभार ज्ञापन कुलसचिव संतोष सोहगौरा ने किया. इस कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, शिक्षक, कर्मचारी और विद्यार्थी और सागर शहर के अनेक सम्माननीय नागरिकगण उपस्थित थे. 
 
बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ के तहत महिला समाज ने किया आयोजन  

विश्वविद्यालय की महिला समाज ने ग्राम पथरिया स्थित माध्यमिक विद्यालय में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के तहत स्कूली बच्चों के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया. महिला समाज की अध्यक्ष डॉ. रत्ना शुक्ला ने इस अभियान के तहत आयोजित कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए कहा कि आज बेटियों का अनुपात हर क्षेत्र में बढ़ रहा है. इसे और अधिक सशक्त बनाए जाने की आवश्यकता है. शिक्षा के माध्यम से हम बेटियों को एक सुनहरा भविष्य दे सकते हैं. इसके लिए हम सबको मिलकर प्रयास करना चाहिए.  




 
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि बेटी तभी बचेगी जब बेटी पढ़ेगी. शिक्षा एक ऐसा हथियार है जिसको प्राप्त कर लेने के बाद बेटियाँ स्वयं आत्मनिर्भर हो जाती हैं और परिवार चलाने में सक्षम हो जाती हैं. आज हर क्षेत्र में बेटियाँ आगे हैं. कोई भी क्षेत्र उनसे अछूता नहीं है. बस बेटियों को सपने देखने की जरूरत है. एक बार पढ़कर बढ़ने का संकल्प ले लिया फिर कोई भी रास्ता उनके लिए कठिन नहीं है. कार्यक्रम में विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजित बच्चों को पुरस्कृत किया गया. इस अवसर पर प्राचार्य श्रद्धा दुबे ने उनके विद्यालय में शिक्षा की स्थिति और उसमें बालिकाओं के श्रेष्ठ प्रदर्शन की जानकारी दी. सभी बच्चों को पाठ्य सामग्री और फल वितरित किया गया. कार्यक्रम का संचालन महिला समाज की सचिव रेणु शुक्ला ने किया. आभार प्रदर्शन ओमिका सिंह ने किया. इस अवसर पर डॉ. ऋतु यादव, ब्रिजेश दुबे, रीना बासु, त्रिवेणिका रे सहित महिला समाज की सभी पदाधिकारी, सदस्य और विद्यालय के शिक्षक और बच्चे उपस्थित थे.                
26  नवंबर 2021 को आयोजित कार्यक्रम 

26 नवंबर प्रात: 08.00 बजे तीन बत्ती स्थित गौर मूर्ति पर विश्वविद्यालय की कुलपति  प्रो. नीलिमा गुप्ता द्वारा गौर प्रतिमा पर माल्यार्पण और उद्बोधन के पश्चात 08 :30 बजे तीन बत्ती, कटरा से विश्वविद्यालय परिसर के लिए पर शोभा यात्रा प्रस्थान करेगी. विश्वविद्यालय के गौर प्रांगण में सुवह 11.00 बजे से आयोजित मुख्य समारोह आयोजित होगा जिसमें मुख्य अतिथि मध्यप्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह, नगरीय विकास एवं आवास विभाग होंगे. कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता का सारस्वत उद्बोधन होगा. कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलाधिपति प्रो. बलवंतराय शांतिलाल जानी करेंगे. सायं 06.00 बजे 1971 के भारत पाक युद्ध में विजय के 50 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में भारतीय सेना के 'विक्टरी फ्लेम' का विश्वविद्यालय में स्वागत किया जायेगा. सायं 06 :30 पर विश्वविद्यालययीन विद्यार्थियों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति होगी. 
 
 
 
 
 
 
 
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नागपुर के पांच युवा बाइकर्स 4500KM मोटरसाइकिल अभियान पर नेपाल के लिए रवाना हुए,आएंगे सागर

नागपुर के पांच युवा बाइकर्स 4500KM मोटरसाइकिल अभियान पर नेपाल के लिए रवाना हुए,आएंगे सागर

नागपुर। नागपुर के पांच युवा बाइकर्स  मोटरसाइकिल अभियान  पर नेपाल रवाना हुए। अभियान को ग्रुप कैप्टन बसंतकुमार पांडे (सेवानिवृत्त ) ने जीरो माइल  से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। अभियान दल 14 दिनों में नागपुर से नेपाल और वापस नागपुर तक 4500 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करेगा। अभियान दल का नेतृत्व उत्कर्ष पांडे द्वारा किया जा रहा ।अन्य सवाबाइकर्स अभिजीत सोलंकी, दर्शन सरोदे, मुकेश राणा, नील लकड़ा, श्रुतिग वानखेड़े हैं ।


यह अभियान मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड नेपाल से होकर गुजरेगा।
यह दल हल्द्वानी के पास बनबसा-भीमदत्त सीमा से नेपाल में प्रवेश करेगा और काठमांडू होते हुए वापस सोनौली सीमा से भारत में प्रवेश करेगा। दल 08 दिसंबर 2021 को वापस नागपुर पहुंचेगा अभियान दल अपना पहला नाइट हाल्ट सागर, मध्य प्रदेश में करेगा।

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डॉ गौर की प्रदर्शनी लगाई गयी माध्यमिक गांधी कन्या शाला कटरा, सागर में

डॉ गौर की  प्रदर्शनी लगाई गयी माध्यमिक गांधी कन्या शाला कटरा, सागर में
सागर । शहर की सबसे पुरानी माध्यमिक शाला 1864 सन् से संचालित है जिसमें डॉ. सर हरीसिंह गौर की 152 वीं जयंती की पूर्व संध्या पर एकीकृत शास. माध्यमिक गांधी कन्या शाला कटरा सागर में गौर साहब के जीवन पर आधारित छायाचित्रों की प्रदर्शनी छटवीं कक्षा के विद्यार्थियों द्वारा लगाई गई। कक्षा शिक्षिका श्रीमती अलका जैन ने पहले गौर साहब के बारे में कक्षा छटवीं के विद्यार्थियों ने उनकी जीवनी के बारे में बताया और कहा कि यदि गौर साहब सागर में विश्वविद्यालय की स्थापना नहीं करते तो यहाँ पर शिक्षा का स्तर तो बिल्कुल शून्य ही रहता । सागर शहर पर उनके द्वारा किये गये इस उपकार को सारे शहर के जनमानस को मानना चाहिए और गौर साहब की जन्म जयंती पर हम सभी को गौरमूर्ति स्थित गौर प्रतिमा पर माल्यार्पण अवश्य करना चाहिए। इस अवसर पर स्कूल की अन्य शिक्षिकायें भी उपस्थि थी। 

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बनारस में भी मनाई गयी डॉ गौर जयंती, आनलाईन हुई परिचर्चा

बनारस में भी मनाई गयी डॉ गौर जयंती, आनलाईन हुई परिचर्चा

 बनारस। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में कार्यरत सागर विश्वविद्यालय के पुरा छा़त्र एवं सागर विश्वविद्यालय में पूर्व में कार्यरत शिक्षक, शहर में रहने वाले सागर विश्वविद्यालय से शिक्षित गणमान्य नागरिकों ने बनारस में गौर जयंती की पूर्व संध्या पर डॉ. हरिसिंह गौर का अवदान विषय पर परिचर्चा का आयोजन आफलाईन एवं आनलाईन मोड में किया.
विषय प्रवर्तन काशी हिन्दू युनिवेर्सिटी में कार्यरत सागर विश्वविद्यालय के पुरा छा़त्र समिति के समन्वय बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में पदस्थ डिप्टी लाइब्रेरियन डा0 संजीव सराफ ने किया । आपने बताया कि
 काशी में भी विगत 13 वर्षों से पुराछात्रों द्वारा गौर जयंती का आयोजन किया जा रहा है।
 परिचर्चा की अध्यक्षता विधि संकाय काशी हिंदू विश्वविद्यालय  के प्रो. धर्मेन्द्र कुमार मिश्रा जी ने की। उन्होने डॉ गौर के विधि के क्षेत्र में उनके योगदान पर प्रकाश डालते हुए बताया कि डॉ गौर ने संविधान प्रारूप समिति में भी अपना योगदान दिया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ आर एन सिंह ने डॉ गौर के संस्मरणों पर चर्चा की और डॉ गौर को भारत रत्न प्रदान किये जाने की मांग के लिए ज्ञापन प्रदान किये जाने की बात कही।  आयोजन संयोजक डॉ विवेकानंद जैन ने डॉ गौर पर कविता के माध्यम से सभी का स्वागत किया। कार्यक्रम में प्रो0 प्रत्यूष शुक्ला, डा0 नवलकुमार मिश्रा, प्रो0  हेमंत मालवीय, श्री रघुवीर अवस्थी, डा0 नीरज खरे, डा0 ओमप्रकाश सिंह, सुरेन्द्र कुमार जैन, मनीष शास्त्री, अंकित दांगी प्रमुख है। कार्यक्रम का संचालन आयोजन सचिव डॉ. राम कुमार दांगी ने किया।

 डॉ संजीव सराफ ने बताया कि प्रति वर्ष अनुसार वाराणसी में गौर जयंती पर बुंदेलखंड के पूज्य संत गणेश प्रसाद वर्णी जी की प्रेरणा से भदैनी स्थित स्याद्वाद महाविद्यालय के जैन घाट पर दीपदान का आयोजन किया जाएगा ।
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