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मन की सुंदरता, डॉक्टरों के समर्पण और प्रेम की महत्ता को पुर्नस्थापित करता है नाटक 'तुम कितनी ख़ूबसूरत हो' ('अन्वेषण नाट्य समारोह 2021' का दूसरा दिन)

मन की सुंदरता, डॉक्टरों के समर्पण और प्रेम की महत्ता को पुर्नस्थापित करता है नाटक 'तुम कितनी ख़ूबसूरत हो'

('अन्वेषण नाट्य समारोह 2021' का दूसरा दिन)

सागर | मंच पर एक अस्पताल के कमरे का का दृश्य है, जिसके एक पलंग पर एक बहुत ही बीमार लड़की सुगंधा है | उसे शारीरिक से ज्यादा मानसिक पीड़ा है, और यही मानसिक रोग धीरे-धीरे उसके शरीर को भी कमज़ोर करने लगता है | दरअसल सुगंधा को यह भ्रम हो गया है कि वह खूबसूरत नहीं है, और इसलिए लोग उसे महत्व नहीं देते | बाद में अस्पताल के उसी कमरे में लड़की के बगल वाले पलंग पर एक अन्य मरीज उमंग भर्ती होता है | धीरे-धीरे दोनों का परिचय होता है | वह युवक सुगंधा को बातों ही बातों में एहसास कराता है कि वह बहुत सुंदर है, चेहरे की सुंदरता के कोई मायने नहीं होते सिर्फ मन की सुंदरता ही सर्वोपरि है | दोनों के बीच प्रेम के बीज अंकुरित हो जाते हैं | इस तरह सुगंधा का भ्रम दूर होता है, उसकी हालत में सुधार होते होते वह पूर्णत: स्वस्थ हो जाती है | बाद में उमंग वहां से चला जाता है और नाटक के अंत में भेद खुलता है कि वह उमंग कोई मरीज नहीं बल्कि एक नामी डॉक्टर हैं और मरीज के रूप  मैं मनोवैज्ञानिक रूप से सुगंधा का इलाज करने आये थे |
           इस नाटक का अगर बिंदुवार निष्कर्ष निकाला जाए तो तीन बिंदु निकल कर आते हैं | पहला बिंदु दर्शाता है कि चिकित्सा जगत में मरीजों की बीमारी को समझते हुए पूरे समर्पण के साथ डॉक्टरों को और उनके सहयोगियों का काम बहुत महत्वपूर्ण होता है, उसकी कोई क़ीमत नहीं आंकी जा सकती | दूसरा बिंदु यह बताता है कि मन की सुंदरता के आगे शारीरिक सुंदरता का कोई मोल नहीं होता | मन की सुंदरता ही वास्तविक सुंदरता है | तीसरे बिंदु के रूप में यह नाटक प्रेम की सनातन शक्ति को एक बार पुनः स्थापित करता प्रतीत होता है | 
           नाटक को उपस्थित दर्शकों ने पूरे मनोयोग के साथ देखते हुए इसकी भरपूर सराहना  की | नाटक के बीच बीच में सुगंधा के मामा और डॉक्टर के हास्य से भरे संवादों का भी दर्शकों ने भरपूर आनंद उठाया | स्थानीय रविंद्र भवन में जारी 'अन्वेषण नाट्य समारोह 2021' के दूसरे दिन 25 नवंबर को नाटक 'तुम कितनी ख़ूबसूरत हो' का मंचन स्वयं आयोजक संस्था अन्वेषण थिएटर ग्रुप द्वारा किया गया | नाटक का निर्देशन जगदीश शर्मा ने किया | नाटक में मंच पर जिन कलाकारों ने अभिनय किया उनमें मरीज सुगंधा के रूप में करिश्मा गुप्ता, युवक मरीज के रूप में (जो वास्तव में एक डॉक्टर है) कपिल नाहर, सीनियर डॉक्टर के रूप में समर पांडेय, जूनियर डॉक्टर के रूप में प्रवीण कैम्या, सुगंधा के मामा के रूप में रवीन्द्र दुबे कक्का, नर्सों के रूप में समता झुड़ेले और ग्राम्या चौबे, वॉर्ड बॉय के रूप में दीपक राय ने काम किया | नाटक के शुरू में नृत्य आस्था बानो ने प्रस्तुत किया | मंच परे के प्रबंधों में अतुल श्रीवास्तव, सतीश साहू पार्थो घोष, आशीष चौबे, साक्षी पांडे, राहुल सेन, आनंद शर्मा, सन्तोष दांगी, अखिलेश अहिरवार, सक्षम, प्रेम जाट, राजीव जाट, अश्वनी साहू, तरुण सिंह, दीपगंगा साहू, तारिक भाई, मास्टर अयान, ऋषभ सैनी, बृजेश शर्मा, राजाराम सैनी आदि शामिल रहे | मंच संचालन सतीश साहू ने किया 

         
अन्वेषण नाट्य समारोह 2021 में 26 नवंबर की प्रस्तुति - 'गांधी ने कहा था'
लेखक - राजेश कुमार
निर्देशन - सादात भारती 
प्रस्तुतकर्ता दल - संप्रेषणा नाट्य मंच कटनी (म. प्र.)
समय - शाम 7:00 बजे से
स्थान - रवीन्द्र भवन सागर
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