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एमपी ऑनलाईन कियोस्क के माध्यम से भू-अभिलेख की प्रतिलिपियां 2 मार्च से की जाएगी प्रदाय

एमपी ऑनलाईन कियोस्क के माध्यम से भू-अभिलेख की प्रतिलिपियां 2 मार्च से की जाएगी प्रदाय
सागर । आयुक्त भू-अभिलेख एवं बंदोबस्त म.प्र. ग्वालियर द्वारा भू-अभिलेख प्रति निर्धारित दरों पर भू-स्वामी को प्रदाय करने हेतु एमपी ऑनलाईन को प्राधिकृत सेवा प्रदाता नियुक्त कर, किया गया है जिसके तहत वेब जीआईएस सॉफ्टवेयर के माध्यम से आम नागरिकों को शासन द्वारा निर्धारित दरों पर एमपीऑनलाईन कियोस्क द्वारा भू-अभिलेख की प्रतिलिपियां प्रदाय करने हेतु अधिकृत किया गया है।
इस योजना के व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु शासन द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि यह कार्यवाही 2 मार्च को मध्यप्रदेष के समस्त जिलों में एमपी ऑनलाईन के समस्त कियोस्क पर समारोह पूर्वक प्रारंभ की जावे।
इस कार्यक्रम को जिला स्तरीय कार्यक्रम के रूप में आयोजित किया जाए, जिसमें कलेक्टर एवं अन्य अधिकारी उपस्थित रहेंगे। कलेक्टर द्वारा आवष्यकतानुसार शासकीय अधिकारी कर्मचारियों की ड्यूटी एमपी ऑनलाईन कियोस्क में आयोजन दिनांक को लगाई जाए। इस हेतु एमपी ऑनलाईन के जिला कॉर्डिनेटर समस्त जिले के एमपी ऑनलाईन कियोस्क की सूची कलेक्टर को प्रदाय करेंगे।
कार्यक्रम में स्थानीय जनप्रतिनिधि, मीडिया एवं गणमान्य नागरिकों तथा आमजन को आमंत्रित किया जाए तथा जनप्रतिनिधियों के माध्यम से ही भू-अभिले,ा की प्रतिलिपियां का विवरण किया जाए। शासन द्वारा भू-अभिलेख की निर्धारित दरों में एकसाला, पांच साला खसरा या खाता जमाबंदी, अधिकार अभिलेख, खेवट के लिए, वाजिब-उल-अर्ज, निस्तार पत्रक के लिए, ए-4 आकार में नक्षे की प्रति के लिए प्रथम पृष्ठ के लिए 30 रूपये फीस एवं प्रत्येक अतिरिक्त पेज के लिए फीस 15 रूपये है। शासन द्वारा निर्धारित इन दरों का व्यापक प्रचार-प्रसार  किया जाए तथा नकल वितरण केन्द्रों में इन दरों का फ्लेक्स भी लगाया जाए। जिससे भू-धारकों के हित में शासन द्वारा लिए गए निण्रय का व्यापक प्रचार-प्रसार हो सके।  
साथ ही  वेब जीआईएस सॉफ्टवेयर के माध्यम से कृषकों/भू-धारकों के हितों में चल रही योजनाओं की जानकारी भी इस कार्यक्रम आम जन को प्रदाय की जाए। खसरे में बंधक दर्ज करने हेतु वेब जीआईएस सॉफ्टवेयर में लॉगिन समस्त बैंको को दिए गए है। इस हेतु भूमि-स्वामी को तहसील कार्यालय में आकर बंधक दर्ज करने हेतु आवेदन देने की आवष्यकता नहीं है। नामांतरण, बंटवारा, बंधक के आदेष को खसरे में अमल कर भूमि-स्वामी को अविलंब प्रदाय कि जा सकता है। वेब जीआईएस सॉफ्टवेयर के माध्यम से व्यपवर्तन की सूचना एवं राजस्व भुगतान। भूमि धारकों द्वारा डिजीटली पोर्टल से सीधे ली जा सकती है। यह लिंक एमपी ऑनलाईन पोर्टल पर अनिवार्य रूप से प्रदर्षित की जाना है।
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रतौना आंदोलन के सौ वर्ष पर सागर में व्याख्यान एक मार्च को

रतौना आंदोलन के सौ वर्ष पर सागर में  व्याख्यान  एक मार्च को 
सागर। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल द्वारा रतौना आंदोलन के सौ वर्ष पूर्ण होने पर दिनांक 01 मार्च 2020 को रवीन्द्र भवन सागर में व्याख्यान का आयोजन किया जा रहा है। इस व्याख्यान के मुख्य वक्ता दैनिक भास्कर के सेंट्रल सेटेलाइट एडिटर शिव कुमार विवेक होंगे। विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ  अधिवक्ता चतुर्भुज सिंह राजपूत एवं वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. सुरेश आचार्य के साथ समाजसेवी अब्दुल रफीक गनी उपस्थित रहेंगे। समारोह की अध्यक्षता माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति दीपक तिवारी करेंगे। 
इस मौके पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन पर केंद्रित गांधी दर्शन एवं पोस्टर प्रदर्शिनी भी लगाई जाएगी।इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरीटेज, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन, श्यामलम कला संस्था तथा रंग के साथी संस्था इस आयोजन के सहयोगी संस्थान होंगे। कार्यक्रम स्थल  रवीन्द्र भवन सागर में इन संस्थाओं के प्रतिनिधियों द्वारा रतौना आंदोलन और गांधी जी पर केंद्रित पोस्टर निर्माण भी किए जाएंगे। प्रबुद्धजनों से समारोह में भागीदार होने का आग्रह है। 
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पति ही निकला पत्नी का हत्यारा, मासूम बेटे ने बोला मम्मी को पापा ने मारा

पति  ही निकला पत्नी का हत्यारा, मासूम बेटे ने बोला मम्मी को पापा ने मारा

सागर।सागर जिले के देवरी में कई हत्या का पुलिस ने खुलासा कर लिया है । इसमे पति ने ही पत्नी की हत्या  की थी। घरेलू विवादों के चलते यह घटना घटी। पुलिस अधिक्षकमित सांघी ने मीडिया के सामने वारदात का खुलासा किया। पति प्रकाश अहिरवार द्वारा अपनी पत्नी तुलसा उर्फ सवीता अहिरवार उम्र 30 साल को लोहे की राड से हत्या की थी। 

पलिस अधीक्षक अमित सांघी ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महोदय  विक्रम सिंह के मार्गदर्शन मे दिशा निर्देश देते हये पुलिस टीम का गठन किया जिसम अनुविभागीय अधिकारी  अजीत पटेल, निरीक्षक रामेश्वर ठाकुर थाना प्रभारी देवरी, उनि लखन राज, उनि टेकाम, उनिवीणा विश्वकर्मा, आरक्षक  हेमन्त रजक, आरक्षक रावत, आरक्षक राजीव तोमर, आरक्षकनरसिंह ठाकर, आरक्षक प्रेमजीत, आरक्षक निशीत मिश्रा,आरक्षक मुकेश, महिला आरक्षक बीना घोडायल को लगाया गया। जिनके अथक प्रयास से घटना का खुलासा चन्द घटों में किया गया।

ये है घटना 

राहल पिता महेश बंसल निवासी संजय नगर देवरी ने थाना पर आकर सूचना दिया किइसके पडोस मे रोने की आवाज सुनने पर यह प्रकाश अहिरवार के घर गया तो वहा पर देखा कि एक कमरे में प्रकाश अहिरवारकी पत्नि तुसला बाई उर्फ सवीता अहिरवार विस्तर में पड़ी थी उसके सिर में गंभीर चोट लगी थी सिर फटा हुआ था जो खूननिकलकर जमीन पर फैला हुआ था तो राहल द्वारा थाना पर सूचना देने पर मर्ग क्रमांक 07/20 धारा 174 जाफी कायम कर जांच की गई। दौरान जांच के शव का पंचनामा कार्यवाही के दौरान मृतिका के पिता गौतम अहिरवार ने बताया कि मुझे पुलिसद्वारा सूचना मिलने पर मैं देवरी आया तो देवरी मे मेरी बच्ची बिस्तर मे मृत अवस्था मे मिली सिर कुचला हुआ था। कमरे मेचारो तरफ खून के छीटे दीवालों पर एवं दरवाजे के पीछे तरफ खून लगा हुआ था। जब पुलिस पीएम कराने ले जा रही थी। तवदामाद प्रकाश अहिरवार ने रो कर इसे बताया कि मेरे से गलती हो गई मेरी और तलमा की रात को लडाई हो गई थी तो मैनेसोते समय तुलसा को सिर में लोहे की राड मार दी थी जिसमे बह खत्म हो गई थी। जो मौके पर प्रार्थी गौतम अहिरवार निवासीनन्दे पिपरिया की रिपोर्ट पर अपराध क्रमांक 0/20 धारा 302 ताहि की देहाती नालमी मौके पर आरोपी मतिका के पति प्रकाशअहिरवार के विरूध कायम कर विवेचना की गई।दौरान विवेचना के प्रकाश पिता करन अहिरवार उम्र 38 माल निवासी संजय नगर देवरी को हिरासत मे लेकरपूछताछ की गई तो पहले प्रकाश अहिरवार पुलिस को किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा रात मे चोरी करने के उदेश्य से घर मे घुस कर पत्नी के जाग जाने पर उसके साथ गंभीर चोट पहुचा कर उसकी हत्या कर देना बताया एवं स्वयं बड़ी बच्ची वर्षा के साथ दूसरे  कमरे मे सोते रहा बताया एवं घटना के संबंध में कोई जानकारी नहीं होना बताया इसी तरह की बातों से गुमराह करता रहा।

पत्नी से आये दिन झगड़ा होता था

 घटना के संबंध मे बताया कि मेरी पत्नी तुलसा उर्फ सवीता अहिरवार मुझसे छोटी-छोटी बातो को लेकर लड़ती रहती थी तथा मुझ पर शक करती थी और जादू टोना करती थी। गत बे रात अगरबत्ती लगा कर पूजा-पाठ करती थी। पूरी रात टी.व्ही. देखती थी। रात बे रात कही भी उठ कर चली जाती थी। बिना पूछे अपने मायके चली जाती थी। जिस कारण प्रतिका का पति बहुत अधिक परेशान हो चुका था। आरोपी की पनि प्रतिका की पत्रि 6-7 दिन पहले बिना बताये अपने मायके चली गई थी जो घटना के एक दिन पूर्व ही वापस लौटी थी जो आरोपी ने प्रतिका से मायके जाने का उचित कारण पूछा तो जिस पर से दोनो मे विवाद हो गया था उसी विवाद पर से आरोपी ने रात में ही मृतिका के साथ सोते समय लोहे की राड बजनी करीवन 5-6 किलो से सिर में मार कर हत्या कर देना बताया पुलिस से डर के कारण वहा से भाग गया। जिसे दौरान तलाशकर पूछताछ की गई।

छोटे बेटे ने बताया मम्मी को पापा ने मारा

सबसे छोटे बच्चे मंजय उम्र 4 वर्ष द्वारा पापा प्रकाश ने मम्मी को मारने की बात बताई ।एफएसएल अधिकारी टीम एवं डॉग द्वारा प्रकाश की ओर बार-बार जाना एवं इशारा करना भी आरोपी प्रकाश अहिरवार के संदेह के घेरे मे आना बाद मे आरोपी ट कर उसके मसुर को पूरी घटना बताना। थाना चलने की कहने पर वहा मेंभाग जाना। उपरोक्त सम्पूर्ण कार्यवाही मे सराहनीय कार्य करने वाले स्टाफ को श्रीमान पुलिस अधीक्षक  नगद पुरूष्कार से पुरूष्क्रत करने की घोषणा की गई है।

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आदिवासियों का परम्परा एवं ज्ञान से विमुख होने के घातक परिणाम आ रहे हैं - प्रो. गौतम क्षत्रिय


आदिवासियों का परम्परा एवं ज्ञान से विमुख होने के घातक परिणाम आ रहे हैं - प्रो. गौतम क्षत्रिय

#तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन तथा पारम्परिक चिकित्सा पद्धति शिविर
सागर। डाॅ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर (म.प्र.) में स्वदेशी ज्ञान अध्ययन केन्द्र एवं  मानव विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के प्रभारी प्रो. काशी कैलाश नाथ शर्मा ने बताया कि आज चार तकनीकी सत्रों के अन्तर्गत 24 शोधपत्र पढ़े गये जिनमें प्रो. गौतम क्षत्रिय मानव विज्ञान विभाग, दिल्ली ने अपने शोध पत्र परम्परागत स्वास्थ्य प्रथाओं एवं भारतीय आदिवासियों के स्वास्थ्य में बदलाव विषय पर केन्द्रित शोधपत्र में कहा कि भारत में 703 आदिवासी समुदाय हैं जिनमें 75 अति पिछड़ी जनजातियाँ हैं। 90 हजार ग्रामों में 50 प्रतिशत आदिवासियों की आबादी है। यह मूलधारा से बिलकुल अलग हैं। प्रत्येक की परम्परागत स्वास्थ्य पद्धतियाँ हैं। इनकी एक सामाजिक संरचना है। इनका एक मुखिया होता है जिसके निर्णय को सभी मानते हैं। अंधविश्वासी हैंै। भूतप्रेतों पर विश्वास रखते हैं। ये लोग अपनी बीमारियों का उपचार मूल भावनाओं से जुड़ी जड़ी-बूटियों से करते हैं। इनमें कुपोषण, उदर रोग आज के समय में अत्यधिक हानिकारक सिद्ध हो रही हैं। उन्होंने कहा कि अपनी संस्कृति से हटकर आधुनिकता के प्रभाव में आने के कारण इन्हें हृदय रोग व मोटापा एक चिन्तीय स्थिति उत्पन्न कर रही है। आदिवासियों के परम्परागत स्वास्थ्य उपचार पद्धतियाँ इन बीमारियों को ठीक करने में सक्षम नहीं हैं। उनके स्वास्थ्य सम्बन्धी नये आचरण तथा परम्परा एवं ज्ञान से विमुख होने के घातक परिणाम आ रहे हैं। हमें जरूरत है कि इस पर चिन्तन करें एवं शोध करके उन्हें नई दिशा देंवे। 
प्रो. अभिषेक घोष, पंजाब विश्वविद्यालय, चण्डीगढ़ ने अपने शोधपत्र में कहा कि आदिवासियों का ज्ञान पौराणिक है। उसे विकसित समाज के लोग उपयोग करके अपना लेते हैं। उनकी धरोहर उपयोग करते वक्त भूल जाते हैं कि यह उनकी देन है। उनके इस ज्ञान को वैज्ञानिक रूप में शोध करके अपनी बौद्धिक सम्पदा लेते हैं जिनमें दवाई कम्पनियाँ एवं मार्केट भी सम्मिलित है। जैसे आदिवासियों की जड़ी-बूटियाँ उनमें पाये जाने वाले तत्व, जिस रोग में वे उपयोग करते हैं, उसे दवा के रूप में विकसित करके अपना टेªडमार्क लगा लेते हैं। तब मूल व्यक्ति जहाँ का तहाँ रह जाता है। उन्होंने कहा कि टेक्सटाइल-कपड़ा, क्रोप, कृषि से जुड़ी खाद्य सामग्रियाँ वनोपज प्रमुख हैं। उन्होंने झारखण्ड के उराॅव, मुण्डा, संथाल, चेरव, असुर, बिहोर जनजातियों के बीच शोध कार्य सम्पन्न किया है जिसमें पाया कि उनके अनाजों में कई तरह के चावल देखने में आये हैं जिनका बोउनी एवं कटनी का समय अलग-अलग है। प्रत्येक का स्वाद अलग-अलग है। जिनकी अलग-अलग खाद्य सामग्रियाँ बनाई जाती थी, आज लुप्त हो रही हैं। कुछ चावल तो बासमती चावल से ज्यादा खुशबूदार देखने को मिले हैं, परन्तु आज बाजार के दबाव में वह आधुनिक बीजों के रोपण करने के कारण विलुप्त होते चले जा रहे हैं। यह एक चिन्तन का विषय है। मानव विज्ञान विभाग के शोधार्थी हर्षदीप सिंह धंजल ने अपने शोधपत्र में बताया कि भारत का स्वदेशी ज्ञान मानव कल्याण के लिए अति महत्वपूर्ण आयाम है। बिडम्बना है कि यह ज्ञान विलोपित होने की कगार पर है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में स्वदेशी ज्ञान के संरक्षण के लिए गहन शोध होने की आवश्यकता है। 
इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में देश-विदेश के विद्वानों में प्रमुख रूप से प्रो. बी.के. तिवारी, मेघालय, प्रो. के.सी. मल्होत्रा, प्रो. ए. एन. शर्मा, नोएडा, प्रो. सी.एस.एस. ठाकुर, जबलपुर, प्रो. सी. के. तिवारी, प्रो. ए.पी. दास, अरूणाचल प्रदेश, प्रो. ए.के. दास, असम, डाॅ. सर्वेन्द्र यादव, श्रीलंका के पारम्परिक चिकित्सक अशोक करूणारथना एवं ववेला अप्पूहामलेज, युगांडा के डाॅ. यहाया सेकेज्ञा तथा दक्षिण अफ्रीका के हसन ओ. काया उपस्थित थे। 
नाड़ी वेद्यो ने किया इलाज
गौर समाधि प्रांगण में पारम्परिक चिकित्सा शिविर में सागर के नागरिकों, विद्यार्थियों एवं शिक्षकों एवं अधिकारियों ने अपना उपचार करवाया, जिनमें आँखों के उपचार हेतु 200 लोगों का पंजीयपन एवं अन्य रोगों पर 450 लोगों ने उपचार करवाया। साथ ही लगभग दो हजार लोगों ने आयुर्वेदिक परम्परागत पद्धतियों का अवलोकन किया और वैद्यों से जड़ी-बूटियों के नुख्से जाने। आयुर्वेद संजीवनी केन्द्र, भोपाल के वैद्य एम.एस. मकरानी व संतोष चैधरी पातालकोट ने भारत की प्राचीन पद्धति अलागूकर्म (लोटा पद्धति) से अनेक लोगों का उपचार करते हुए बताया कि यह परम्परा हमने अपने गुरू शारदा प्रसाद त्रिपाठी, बाबा नागनाथ, जबलपुर से सीखी तथा उन्हें हिमाचल के अनानन्द महाराज जी सिखाई थी। उन्होंने कहा कि बढ़ती उम्र के कारण शरीर में वात बढ़ने से अनेक प्रकार के दर्द आ जाते हैं जिससे साइटिका (ग्रहदसी), संधिवात, शीतवात जैसे रोग आ जाते हैं। इन रोगों के कारण शरीर में दर्द बढ़ जाता है तथा लीवर के बिगड़ने के कारण चर्मरोग प्रकट हो जाते हैं। वे बताते हैं कि यह पद्धति दो भागों में विभाजित है-एक अग्नि पद्धति और दूसरी जल पद्धति। इससे दूषित वायु निकल जाती है तथा दबी हुई नस खुल जाती हैं। साथ ही कुछ आयुर्वेदिक औषधियाँ भी उपचार के रूप में देते हैं, जिनमें साइटिका के लिए केओकंद, वनसिंघाड़ा, अश्वगंधा, विधारामूल, रासना, रासनाबत्ती, समभालू का सम्मिश्रण चूर्ण देने से रोगों से मुक्त हो जाता है। लीवर के बिगड़ने पर भूतवृक्ष की छाल, पुनर्वा, भूआँँवला, पित्तपोपड़ा घास की चूर्ण देते हैं तथा फंगल इंफेक्शन में वैसलीन, मोम देशी, सफेद मिर्च का रस एवं सफेद सुरमा जैसी औषधियों को मिलाकर एक मलहम तैयार करते हैं जिन्हें लगाने से चर्मरोग समाप्त हो जाते हैं। जब लोटा पद्धति से इलाज करते हैं तो उनके निकालने के बाद अरण्डी का तेल, सतअजवाइन, नीलगिरी वृक्ष के फल से बना हुआ तेल लगाते हैं। औजार के रूप में अपने साथ वह ठप्पा (छैनी), हथौड़ी, सारूक वृक्ष की लकड़ी का शूल (रूल) को शरीर पर चलाते हैं तो सभी दर्द से मुक्ति मिलती है। उनका कहना है कि इस वृक्ष की लकड़ी में कुछ ऐसे रासायनिक तत्व हैं जो दर्द का हरण कर लेते हैं। वैद्य लोमश कुमार वच्छ, कोरबा, छत्तीसगढ़ ने नाड़ी के माध्यम से वात रोग, एलर्जी, पथरी, धातु दोष, प्रमेह, मधुमेह जैसे प्रमुख रोगों की चिकित्सा करते देखे गये। उन्होंने उपचार के रूप में सुधा हरिद्रा, श्यामा तुलसी चूर्ण, गिलोय, विदारी कन्द, फेट कन्द, माल कायनी, बिहारी कन्द, कुउ कन्द, कंठ करंज, नागर मौथा, भुईचम्पा, अनन्तमूल, सफेद मूसली, काली मूसली के बने हुए चूर्णों को भी उपचार में दी। वहीं छत्तीसगढ़ के वैद्य तिलकराम केवरते ने रोगों में दमा, मधुमेह, उच्च रक्त चाप, मिर्गी, पथरी, पीलिया, बबासीर, उदर विकार, कैंसर की बीमारियों के लिए भी आयुर्वेदिक दवाओं से उपचार किया। इस प्रकार आँखों, कमर, जोड़ों का दर्द एवं असाध्य बीमारियों के भी उपचार किये। वहीं आँख सम्बन्धी रोगों छत्तीसगढ़ के वैद्य एवं उनके सहायक वैद्यों ने सैकड़ों लोगों ने अपनी आँखों में दवा डलवाकर उपचार किया। साथ ही अन्य वैद्यों में वैद्य श्रीमती कलावती पटेल, वैद्य ईसाक अली हकीम, वैद्य राघवेन्द्र सिंह राय, टीकमगढ़, वैद्य शुक्ला प्रसाद ध्रवे, बिलासपुर, वैद्य विक्रम सिंह झिझोरिया, वैद्य त्रिभुवन सिंह कंवर, वैद्य तिलकराम केवरते ने अपने परम्परागत तरीकों से सागर नगर के सैकड़ों लोगों ने उपचार करवाया। 
इस चिकित्सा शिविर में प्रमुख रूप से अधिष्ठाता प्रो. आर. पी. मिश्रा, संयुक्त कुलसचिव संतोष सहगौरा, सहायक कुलसचिव आर. के. पाल, ए. लक्ष्मी, डाॅ. सुखदेव मिश्रा, अजय परमार, बीनू राना एडव्होकेट, उमेश सिंह क्योलारी, मेडिकल आॅफिसर डाॅ. महेश्वरी, डाॅ. वन्दना गुप्ता, डाॅ. सोनिया कौशल, डाॅ. अरिबम बिजयासुन्दरी देवी, डाॅ. सर्वेन्द्र यादव सहित अनेक शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे। 




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कमिश्नर आनंद शर्मा का अभिनंदन एवं विदाई समारोह संपन्न

कमिश्नर आनंद शर्मा का अभिनंदन एवं विदाई समारोह संपन्न
सागर। कमिश्नर सागर के रूप में पदस्थ रहे बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी और सागर में अपने अल्प कार्यकाल में ही अपनी विशिष्ट कार्यशैली एवं मृदुल व्यवहार से लोकप्रिय रहे श्री आनंद शर्मा आई.ए.एस.के उज्जैन कमिश्नर के रूप में पदस्थापना होने पर उनका अभिनंदन एवं विदाई समारोह  आयोजित किया गया। आयोजक संस्था पं. पी.एन.भट्ट ज्योतिष शोध एवं समाज सेवार्थ ट्रस्ट सागर के तत्वावधान में आयोजित हुए इस कार्यक्रम में नगर की विभिन्न संस्थाओं द्वारा श्री शर्मा को विदाई दी गई।कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीमंत धर्मेंद्र सेठ अध्यक्ष पारसनाथ ब्रह्मचर्य जैन गुरुकुल खुरई ने की।इस अवसर पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शिवशंकर केसरी,सरस्वती वाचनालय ट्रस्ट के सचिव पं.शुकदेव प्रसाद तिवारी,बुंदेलखंड हिंदी साहित्य एवं संस्कृति विकास मंच सागर के महामंत्री मणीकांत चौबे एवं नगर की प्रतिष्ठित संस्था श्यामलम् के अध्यक्ष उमा कान्त मिश्र को उनके द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में दिए गए योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का प्रारंभ मां सरस्वती के पूजन अर्चन व दीप प्रज्ज्वलन पश्चात एम.डी. त्रिपाठी द्वारा सरस्वती वंदना से हुआ। प्रसिद्ध लोक गायक शिवरतन यादव ने ईसुरी की चौकड़िया का गायन कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। आयोजक संस्था के अध्यक्ष पी एन भट्ट ने स्वागत उद्बोधन देते हुए श्री शर्मा के सागर कमिश्नर के रूप में अल्पावधि कार्यकाल को उत्कृष्ट बताते हुए उन्हें एक संवेदनशील और जनप्रिय प्रशासनिक अधिकारी बताया। उन्होंने कहा कि आज जिन संस्थाओं का सम्मान इस मंच से किया जा रहा है वे सभी विगत कई वर्षों से दूसरों का सम्मान करते रहे हैं। ऐसे व्यक्तियों को सम्मानित कर मैं संतुष्टि
और गौरव का अनुभव करता हूं।
सर्वप्रथम श्यामलम् संस्था की ओर से कमिश्नर श्री शर्मा का अभिनंदन संरक्षक प्रोफ़ेसर सुरेश आचार्य,अध्यक्ष उमाकांत मिश्र,सचिव कपिल बैसाखिया,कुंदन पाराशर व रमाकांत शास्त्री ने शाल,श्रीफल व पुष्पहार एवं अभिनंदन पत्र भेंट कर किया।डॉ.नलिन जैन ने काव्य अभिनंदन पत्र का वाचन किया। तदुपरांत आयोजक संस्था के सभी सदस्यों द्वारा श्री शर्मा का शाल, श्रीफल, पुष्पहार व अभिनंदन पत्र भेंट कर उनका स्वागत किया गया। अध्यक्ष पं. पी.एन.भट्ट ने अभिनंदन पत्र का वाचन किया।इसके अलावा तुलसी अकादमी,म.प्र.लेखक संघ,हिंदी उर्दू मजलिस, सरस्वती वाचनालय एवं पुस्तकालय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संघ बुंदेलखंड हिंदी साहित्य संस्कृति मंच, मध्य प्रदेश हिंदी साहित्यकार सम्मेलन आदि संस्थाओं द्वारा भी कमिश्नर शर्मा को सम्मान पूर्वक विदाई दी गई।
        प्रमुख वक्ता प्रो.सुरेश आचार्य ने ज्योतिष शास्त्र का महत्व प्रतिपादित करते हुए पं.पी एन भट्ट की साधना को अनुकरणीय कहा साथ ही उनके द्वारा आयोजित इस सम्मान समारोह की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
कार्यक्रम के केंद्र बिंदु मुख्य अतिथि श्री आनंद शर्मा कमिश्नर उज्जैन ने अपने उद्बोधन में सागर में बिताए हुए समय को अपने जीवन के स्मरणीय कॉलखंड के रूप में रेखांकित करते हुए कहा कि मैं अपने स्वागत से अभिभूत हूं।उन्होंने पं.पी.एन. भट्ट द्वारा किए जा रहे ज्योतिष शोध तथा समाज एवं साहित्य के हित में किए जा रहे कार्यों को अद्भुत व प्रेरणास्पद बताया। उन्होंने अपने उज्जैन स्थानांतरण का विवरण बड़े रोचक ढंग से श्रोताओं के समक्ष रखा। साहित्य प्रेमी और कवि ह्रदय कमिश्नर शर्मा ने इस अवसर पर स्वरचित कविता का पाठ भी किया। अध्यक्षीय उद्बोधन में श्रीमंत धर्मेंद्र सेठ ने कार्यक्रम को गरिमामय बताते हुए उल्लेखित किया कि शासकीय अधिकारियों के स्थानांतरण पर इस स्तर के विदाई और सम्मान कार्यक्रम होते रहना चाहिए। इस तरह के आयोजनों में साहित्यिक सांस्कृतिक संस्थाओं की उपस्थिति संबंधित अधिकारी की लोकप्रियता को प्रमाणित करती हैं।
कवि वृंदावन राय सरल और पूरन सिंह राजपूत ने काव्य पाठ किया।
कार्यक्रम का गरिमा अनुरूप संचालन बृज बिहारी उपाध्याय ने किया।आभार प्रदर्शन करते हुए अंबर चतुर्वेदी चिंतन ने शायर वसीम बरेलवी  के शेर "जहां भी जाएगा रोशनी लुटाएगा, किसी चिराग का अपना मकां नहीं होता" से कमिश्नर शर्मा के कार्यकाल को याद किया।
इस अवसर पर डॉ.महेश तिवारी, सेठ सुरेश जैन,डॉ.सुशील तिवारी,डॉ.राजेश दुबे,रामनाथ यादव, प्रदीप पाठक,सुबोध मलैया,श्याम तिवारी,नितिन शर्मा, डॉ. शैलेष आचार्य,विमल जैन,नेवी जैन,प्रदीप पांडे,यू.बी.एस.गौर,प्रदीप राय,इं.एस. आर.सिंह,श्रीमती शैलबालासुनरया,अर्चना तिवारी,अनीता शर्मा,अदिति भट्ट,शैलेन्द्र भट्ट,सरदार गुरुदेव जग्गी,अरुण मोदी एडवोकेट खुरई,अनिल शर्मा,आर.एस. मिश्रा,डॉ.विनोद तिवारी,हरीश खत्री सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
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एक भारत श्रेष्ठ भारत के तहत नागालैंड के विद्यार्थी जानेंगे बुन्देलखण्ड की कला सँस्कृति को

एक भारत श्रेष्ठ भारत के तहत नागालैंड के विद्यार्थी जानेंगे बुन्देलखण्ड की कला सँस्कृति को
सागर। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तत्वावधान में डॉ हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर में "एक भारत श्रेष्ठ भारत "के तहत सांस्कृतिक परिषद का आयोजन 1 मार्च से 6 मार्च तक होगा। इसको लेकर व्यापक तैयारियां की जा रही है। इसके तहत नागालैंड विवि का 50 सदस्यीय दल यहां आएगा।
इसके समन्वयक डॉ राकेश सोनी और अधिष्ठाता छात्र एवम युवक कल्याण प्रो ए डी शर्मा ने आज मीडिया को बताया कि एक भारत श्रेष्ठ भारत  के तहतगोल्डन जुबली हॉल में आयोजित कार्यक्रम में नागालैंड विश्वविद्यालय से 50 छात्र और छात्राएं अपने क्षेत्र की संस्कृति का परिचय देगें और दिखाएंगे।
सागर में यूनिवर्सिटी के छात्र छात्राएं कला और संगीत विभाग में जोर शोर से तैयारियों में लगे हुए है जो अपनी बुंदेलखंड की कलाओं और परंपराओं का व्याख्यान करेगें।पांच दिन के इस कार्यक्रम में देश भर से अतिथि शामिल होंगे और करीब 5 हजार विद्यार्थियों के आने की संभावना है । इसमें बुन्देली कला सँस्कृति ,खानपान,खेल, इतिहासिक धरोहरो आदि से परिचय कराया  जाएगा। वही उनकी कला संस्कृतियो को भी जानने का मौका मिलेगॉ। शहर में निकलनेवाली यात्रा का जगह जगह स्वागत किया जाएगा। 
तैयारियों को लेकर हुई बैठक
 भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के आयोजन " एक भारत श्रेष्ठ भारत"STUDENT EXCHANGE कार्यकम के तहत नांगालैण्ड विश्वविद्यालय एवं डॉ. हरीसिंह गौर वि.वि. के छात्र स्थानीय संस्कृति के अध्यन के आयोजन में स्थानीय कलाओं एवं स्थानीय खेलकूद गतिविधियों में सहभागीता कर संस्कृति के आदान प्रदान हेतू विभिन्न गतिविधियों सहभागिता करेंगे। इस संबंध में कुलपति प्रो. आर पी तिवारी  ने विश्वविद्यालय छात्र परिषद एवं अन्य छात्रों के साथ बैठक आहूत की। बैठक में कार्यकम के विभिन्न पहलुओं पर विस्तारसे चर्चा की गई।
उक्योजन का उद्धघाटन 01 मार्च को दोपहर 2:30 बजे पर वि.वि. के स्वर्ण जयंती सभागारमें कुलपति प्रो. आर पी तिवारी के करकमलों से होगा। बैठक में प्रो. ए डी शर्मा अघ्षिठाता छात्र कल्याण सांस्कृतिक परिषद के समन्वयक डॉ. रोकेश सोनी डॉ. विवेक जायसवाल, डॉ. संजय शर्मा, डॉ. आशुतोष मिश्रा, डॉ. अल्ताफ मुलानी, डॉ. विजया सुन्दरी एवं छात्र छात्रायें सम्मिलित थे।
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