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सेवादल काँग्रेस ने बांटा 27 परिवारों को राशन

सेवादल काँग्रेस ने बांटा 27 परिवारों को राशन

सागर। बेशक देश कोरोना वायरस से जूझ रहा हो, लेकिन सागर शहर कोरोना वायरस को फाइट दे रहा है और यहां पर सेवादल की फौज वंचितों की सेवा में जुटी है। मतलब कांग्रेस सेवादल का हर सदस्य अपनी क्षमता से बढकर गरीब, लाचार, मजदूर वर्ग की सेवा को समर्पित है। शहर सेवादल अध्यक्ष सिंटू कटारे द्वारा सागर नगर के इतवारी और संतकंवर वार्ड के 15 परिवारों की महिलाओ को राशन सामग्री वितरित करके  उनकी तकलीफ कम करने की कोशिश की। राशन मे आटा-दाल भाई नेवी जैन और बिस्किट-दूध-चावल सेवादल की तरफ से वितरित किया गया।

पढ़िए : सागर का दूसरा पाजिटिव मरीज  हुआ डिस्चार्ज,  मेडिकल स्टाफ ने बरसाए फूल और बजाई तालिया

सेवादल अध्यक्ष सिंटू कटारे का कहना है कि इस दुख की घड़ी में जिस तरह से समाज के लोग, समाजसेवी संस्थाएं आगे आए हैं, यह हमारी संस्कृति की खूबसूरती है। सागर तो वैसे भी दान और त्याग के मामले में इतिहास में दर्ज है। यहां डा.गौर  जैसे कई उदाहरण मौजूद है । उसी पथ पर चलते हुए उन्होंने बताया कि जरूरतमंद की मदद के लिए कांग्रेस सेवादल के सभी कार्यकर्ता पूरी तरह तन मन धन से समर्पित है।
आज सेवादल के इस अभियान मे ब्लाकाध्यक्ष नितिन पचौरी, जयदीप यादव, प्रवीण यादव, नवीन यादव, आकाश नामदेव, मोंटी साहू, शैलेंद्र नामदेव, गोलू सोनी सोरई, अंकुर यादव आदि सदस्य मौजूद थे।

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सागर का दूसरा पाजिटिव मरीज हुआ डिस्चार्ज, मेडिकल स्टाफ ने बरसाए फूल और बजाई तालिया

सागर का दूसरा पाजिटिव मरीज  हुआ डिस्चार्ज,  मेडिकल स्टाफ ने बरसाए फूल और बजाई तालिया

#COVID19_SAGAR

सागर।  सागर में कोरोना के पाँच पॉजिटिव मरीजो में दूसरा मरीज  P2  अनवर को स्वस्थ्य होने पर छुट्टी  मिली।बुन्देलखण्ड मेडिकल कालेज से डिस्चार्ज होते समय पूरे मेडिकल स्टाफ और अधिकारियों ने तालिया बजाकर विदा किया। वही उस पर फूल भी बरसाए। स्वस्थ्य हुए अनवर ने कहा कि छोटी सी गलती से पूरा परिवार मुसीबत में फंस गया। सभी को नियमो का पालन करना चाहिए। पहले कोरोना पाजिटिव  मरीज समीर खान का दोस्त था।  दोनो के टिकटाक वीडियो भी जमकर वायरल हुई थे।  दोनो दोस्त स्वस्थ्य हुए और अपनी गलती भी स्वीकारी ।

पढ़िए: कोरोना काल मे शराबबंदी :"धक्का मारो मौका है"..!
@ होमेन्द्र देशमुख, वीडियो जर्नलिस्ट


आज  कोविड हॉस्पिटल बुन्देलखण्ड मेडिकल कालेज में खुशियों का क्षण था। दूसरा मरीज ठीक होकर विदा हुआ। इस मौके पर डीन डॉ जी इस पटेल सहित पूरा स्टाफ  मौजूद था। रेड  कार्पेट पर जैसे  मरीज बाहर निकला तो सभी ने तालिया बजाकर स्वागत किया और  फूल बरसाए और उपहार भी दिए।वही मरीज ने अभी का हाथ जोड़कर आभार जताया ।
मेडिकल कालेज के कोविड हॉस्पिटल के प्रमुख डॉ उमेश पांडे के अनुसार  दूसरे मरीज की उसकी बाद कि रिपोर्ट नेगेटिव आई है। इसलिए छुट्टी हुई। वही मरीज ने कहा कि छोटी से गलती से इतनी बड़ी परेशानी हुई। सभी की मदद से आज स्वस्थ्य हुआ। आज कोरोना हार गया हिंदुस्तान जीत गया। उसने कहा कि सभी को मास्क पहनना चाहिए । घर पर रहे स्वस्थ्य रहे। सरकार के नियमो का पालन करे। सागर में अभी तीन पाजिटिव मरीजों का इलाजे जारी है। ये सभी दूसरे मरीज के परिजन है। 
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कोरोना काल मे शराबबंदी :"धक्का मारो मौका है"..! @ होमेन्द्र देशमुख, वीडियो जर्नलिस्ट


कोरोना काल मे शराबबंदी :"धक्का मारो मौका है"..!

@ होमेन्द्र देशमुख, वीडियो जर्नलिस्ट
 

शराब सरकार की जरूरत है या समाज की ? यह जानना आवश्यक है । शराब बंदी वाले राज्यों में शराब बिकना तो बंद हो गया है पर शराब पीना बंद नही हुआ है । लेकिन शराबबंदी की एक अच्छी बात यह है कि राज्य में अगर शराब अधिकृत रूप से बिकेगा नही तो जनता पब्लिकली इसका सेवन नही कर सकती । अगर वह सेवन परिवहन या शराब पीकर पड़े रहने की शिकायत आएगी तो उस पर एफ आई आर होगी, केस बनेगा और जांच होगी कि इसको शराब मिला कहाँ से । तो पीने वाला और बेचने वाला दोनो अपराधी साबित होगा ।  उससे उन दोनो पर अवैध शराब  पीने रखने परिवहन और बेचने का आरोप लगेगा । वैसे ही जैसे बारूद कहीं पकड़ायेगा तो बेचने वाले को ढूंढा जाता है । उससे पीना बंद नही होगा लेकिन पुलिस के डर से सार्वजनिक पीना कम होगा । 
शराबबंदी की योजना और सरकार का संकल्प तभी पूरा औऱ सफल होगा जब,  पहले -इसे लागू करने के साथ कानून में संसोधन भी किया जाय । 
दूसरे - कि पुलिस को अधिकार मिलने के बाद उस पर भी बेलगाम और भ्रष्ट होने की स्थिति और आरोप लगने पर उनको कड़ी सजा का प्रावधान हो । जब तक पुलिस और आबकारी के लोग अवैध शराब पर अंकुश नही लगाएंगे । कोई राज्य शराबबंदी को सफल नही बना सकता ।
छत्तीसगढ़ में पुलिस को अभी भी एक डर समझा जाता है 
 अगर शराबबंदी होती है तो थाने कचहरी के चक्कर के डर से तीस प्रतिशत लोग शराब पीने से दूर हो जाएंगे । दूसरा काम समाज को करना होगा 
 शराब के केस में फंसे बन्धु से सामाजिक दूरी की सजा आदि के प्रवधान कर इसे समाजिक रूप से नियंत्रित किया जा सकता है । तीसरा काम ग्राम पंचायत करे , कि एक बार कोर्ट में शराब के केस में सजा होने पर सरकारी योजना के लाभ से दूर किया जाय । चौथी बात - किसी युवा को शराब के किसी भी केस पर कोर्ट से सजा के बाद नौकरी और व्यावसायिक लोन से दूर या वंचित कर दिया जाय । 

पढ़िए : बीड़ी निर्माण और विक्रय को लेकर राहत, कोविड 19 के सतर्कता सम्बन्धी आदेश का करना होगा पालन
 https://www.teenbattinews.com/2020/05/19.html


इन सब उपायों से यह केवल सरकार की नही अपितु समाज की पाबंदी होगी और समाज बचेगा । परन्तु इसकी पहल तो पहले सरकार को ही करनी पड़ेगी । वह शराबबंदी की जिम्मेदारी सामाजिक जागरूकता के झुनझुने को पकड़ाकर अपना पल्ला झाड़ती है यह मात्र बहाना है । मप्र में जब कमलनाथ की कांग्रेस सरकार शराब की उपदुकाने खोल रही थी तब वर्तमान मुख्यमंत्री ने विपक्ष की ओर से कड़ा एतराज दिखाया था । वो शराबबंदी का फैसला समाज की जागरूकता पर छोड़ने की बात कह देते हैं । 
अभी अच्छा मौका था । सरकारों  को यह शराबबंदी लागू करना चाहिए था । नए नीलामी नही हुए थे । अगर कहीं हुए भी हों तो इसकी फीस वापसी की जा सकती थी । फाइनेंसियल ईयर की समाप्ति थी । शराबबंदी के 45 दिन का शानदार अनुभव था । कोरोना के फैलाव में शराब की मजबूत भूमिका बन सकती है । यह बहुत बड़ा खतरा है ।  इस समय इसे बंद करने से सरकार की हर तरफ यहां तक कि स्वास्थ्य से जुड़ी संगठनों और संस्थाएं इन सरकारों की तारीफ भी करती ।  
शराबियों से पुलिस परेशान नही होती ये तो इनके लिए कभी कभी  बड़े काम के कर्ता भी साबित होते हैं । अवैध की कमाई । अवैध को वैध करने का गणित और तस्करी में कई बार पुलिस के निचले कर्मचारियों की गिरफ्तारी होते रहते हैं  पर सह भी पुलिस से ऐसे लोगो को मिलता रहता है । ऐसे आरोप हमेशा लगते रहते हैं ।
पढ़िए : मैंने यमराज को कोरोना पर सवार होते आते देखा है....
 ब्रजेश राजपूत /ग्राउंड रिपोर्ट
 https://www.teenbattinews.com/2020/05/blog-post_3.html


छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी आखिर कब लागू कर पाएगी, इसको लेकर कोई ठोस रणनीति नहीं दिख रही है । कोरोना का lockdown एक अच्छा मौका था जो उसके हाथ से निकल गया । कांग्रेस सरकार की इस ढुलमुल नीति को लेकर प्रमुख विपक्षी दल भाजपा विधानसभा के पिछले साल बजट सत्र के दौरान सदन में सरकार को घेर रही थी 
 शराबबंदी को लेकर एक तरफ छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार चुप बैठी रही तो वहीं प्रदेश के लोग सबसे अधिक शराब पीने में जुटे रहे ।
छत्तीसगढ़ विधानसभा में पेश किए गए आंकड़ों और कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 35 फीसदी से अधिक लोग शराब पीते हैं, जो इस मामले में दूसरे राज्यों से अव्वल है । शराब पीने के मामले में दूसरे नंबर पर त्रिपुरा और तीसरे नंबर पर पंजाब के लोग हैं ।शराब के मामले में छत्तीसगढ़ आबादी में अपने से चार गुना बड़े महाराष्ट्र से भी दोगुनी ज्यादा कमाई कर रहा है ।महाराष्ट्र की आबादी 11.47 करोड़ है, जबकि शराब से कमाई करीब 10546 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष है वहीं हमारे छत्तीसगढ़ की आबादी 2.55 करोड़ है और यहां शराब से कमाई साल 2018-19 में लगभग 4700 करोड़ रुपए हुई है । केवल शराब से हुई इस कमाई को आबादी से भाग दें तो छत्तीसगढ़ में शराब की खपत प्रति व्यक्ति 1843 रुपए प्रतिदिन की है । महाराष्ट्र में यह आंकड़ा 919 रुपए प्रति व्यक्ति है, लेकिन यहाँ के आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने  पिछले साल  1अप्रैल से शराब की 50 दुकाने बंद करके अपनी पीठ थपथपवा ली थी ।

पढ़िए : कोरोना देवदूतों का बनेगा  सागर में मंदिर, अनूठे मंदिर निर्माण की रखी गई आधार शिला 
 https://www.teenbattinews.com/2020/05/blog-post_33.html


शराबबंदी को लेकर छत्तीसगढ़  बीजेपी, भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार को सदन में घेर रही थी  और अब बाजू के मप्र की भाजपा सरकार शराबबंदी को समाज में जागरूकता का काम बता रही है । छत्तीसगढ़ के बीजेपी के ही पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का कहना है कि कांग्रेस ने अपने जनघोषणा पत्र में पूर्ण शराबबंदी का जनता से वादा किया था, लेकिन उस वादे को वह भूल गई है । सरकार शराब बंद तो नहीं कर रही है, उल्टे 13 .62 करोड़ रुपये की रोज की कमाई को दबा कर मौन साध कर बैठ गई है । बल्कि उल्टे दुकानें बढ़ाने की कोशिश में लगी रही है 
  छत्तीसगढ़ के आबकारी विभाग के आंकड़ों के हिसाब से प्रदेश में अभी 701 शराब दुकानें संचालित हैं । इनमें से 377 देशी शराब बेचती हैं और 324 दुकानों से विदेशी शराब बेची जाती है । इन दुकानों से लगभग 40 करोड़ का लेनदेन रोज होता है ।
मप्र में प्रतिदिन की कमाई लगभग 30 करोड़ का अनुमान है ।
यह सब तो एक मोटा मोटा अनुमान है । इतने दुकानों के बाद कहीं अवैध या ब्लैक का व्यापार नही होता यह कोई यकीन नही करेगा । अफसरों नेताओं को तोहफों की बतसात भी ऐसे ही अवैध धंधों से होती है चाहे कोई भी राज्य हो । राजनैतिक पार्टियों को चंदे बड़े आयोजनों और बड़े नेताओं के दौरों के समय यही शराब व्यापारी सूटकेस भी पहुचाते हैं । ऐसे में सरकारों और राजनीतिक दलों सहित इन विभागों से जुड़े लोगों के लिए शराब का व्यापार और शराब और शराबी एक चारागाह ही है । मप्र में सरकार और छत्तीसगढ़ में 
विपक्षी दल भाजपा के दांत अगर दिखाने के नही तो यह शराब बंदी को लागू करवाने का उसके लिए भी अच्छा मौका है । केंद्र से वह इसके भरपाई के लिए मदद भी ले सकती है । कोरोना का अच्छा बहाना भी है ।
हालांकि 4 मई से छत्तीसगढ़ और 5 मई से मध्यप्रदेश के कई जिलों में शराब की दुकानें खुल रही हैं ।

45 दिन शराब न पीकर जनता ने यह बता दिया है कि  'शराब के बिना वह जिंदा रह सकते हैं
लेकिन शराब की दुकानें खोल कर क्या सरकार ने यह बता दिया कि " शराब के बिना सरकारें जिंदा नहीं रह पाएगी।"

पर देर अभी भी नही हुई है ।
इसलिये सभी शराब के विरोधी दल, समाज, संगठन ,बुद्धिजीवी ध्यान दें..
"धक्का मारो मौका है"

आज बस इतना ही..!

(होमेन्द्र देशमुख, वीडियो जर्नलिस्ट ,एबीपी न्यूज़ भोपाल)


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पीएम केयर फंड से राज्यो को राशि मिले, ताकि वित्तीय संकट कम हो सके राज्यो के: मोतीलाल वोरा

पीएम केयर फंड  से राज्यो को राशि मिले, ताकि वित्तीय संकट कम हो सके राज्यो के: मोतीलाल वोरा

नईदिल्ली। काँग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष और वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदेव को पत्र लिखा है । उसमें कहा है कि समस्त विश्व में कोविड-19 के संक्रमण के कारण हुई अप्रत्याशित लॉकडाउन मेंन केवल अविकसित एवं विकासशील देशों को, अपितु संसाधन बहुल देशों को भीआर्थिक संकट का सामना करना पड़ा है।
संघीय व्यवस्था में केन्द्रीय राजस्व को केन्द्र सरकार द्वारा एकत्र किया जाता हैऔर निश्चित अनुपात में राज्यों को बांटा जाता है। इस प्रकार प्राप्त धन राज्य सरकार केराजस्व का एक बड़ा हिस्सा होता है। वर्तमान में आये लॉकडाउन के कारण भारत सरकार का जीएसटी व अन्य करों का संग्रह न के बराबर रहा, जिससे न सिर्फ केन्द्र
सरकार तकलीफ में आई, बल्कि सारी राज्य
सरकारों को भी तंगी का सामना करनापड़ा।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने वर्तमान अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए देश - विदेश सेआ रहे दान को एकत्र करने के लिए प्रधानमंत्री केयर फण्ड की स्थापना की।

पढ़िए : हम नाराज हो जेहे तो बचहे का... गोपाल भार्गव
भार्गव जी नाराज हो  या न हो मनाने की क्षमता मुझमें  नही...गोविन्द राजपूत

हमारे देशवासियों ने, जैसाकि वे ऐसी परिस्थितियों में हमेशा करते आये हैं, बढ़चढ़कर दान दिया। काफी धन एकत्र हुआ है, हालांकि वह इतना नहीं है कि अकेले कोविद-19 की लड़ाई में पूरा पड़ सके। लेकिन यह फण्ड भारत सरकार को कुछ राहत देता है। चूंकि संघ और राज्य – दोनों को आर्थिक तंगी हुई है जिसमें राज्यों को ज्यादा
कष्ट हुआ। पूर्व सांसद एवं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय महासचिव मोतीलाल वोरा ने आज दिनांक 4 मई, 2020 को प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदीको पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि पीएम केयर फण्ड में से राज्य सरकारों को भीउचित अनुपात में धन उपलब्ध कराया जाये जिससे कि उनके वित्तीय संकट का निवारणकुछ हद तक हो सके।

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लॉक डाउन में बेसहारा घायल गायों का ईलाज करा रहा धर्म रक्षा संगठन

लॉक डाउन में बेसहारा घायल गायों का ईलाज करा रहा धर्म रक्षा संगठन

सागर। लॉक डाउन चल रहा है जहाँ लोगो को इस संकट की घड़ी में घर से निकलना खतरे से कम नहीं है। वही धर्म रक्षा संगठन गौ रक्षा कमांडो फोर्स के गौ भक्त अपनी जान को खतरे में डालकर सागर शहर में बीमार घायल गायों के लिये घरों से बाहर निकलकर  डॉक्टरों की मदद से पहुँचकर ईलाज कर रहे है। चाहे वह नाले में गिरे नंदी बैल हो या फिर गौमाता हो, तुंरत सूचना मिलने पर तत्काल गौ भक्तो की टीम पहुँचकर निकालकर डॉ. की मदद से ईलाज करती है, ऐसे लगभग सागर शहर के हर जगह टीम पहुँचकर अपने कर्तव्यों का पालन करती है। धर्म रक्षा संगठन के अध्यक्ष सूरज सोनी ने बताया कि पिछले कई दिनों से लॉक डाउन के चलते गायो की हालत बहुत बुरी हो गई है। 

पढ़िए: बीड़ी निर्माण और विक्रय को लेकर राहत, कोविड 19 के सतर्कता सम्बन्धी आदेश का करना होगा पालन

किसी के घायल होने तो किसी के नाले में गिरने की सूचनाएं निरंतर प्राप्त हो रही है।  जिला कार्यवाहक नीलेश प्रजापति ने बताया कि ईलाज के साथ हम गौ भक्त रोज शहर की गायो को भूसा सानी बनाकर खिलाते रहे है। शाम को जाकर पूरा शहर  कबर करते है। 
वही नगर अध्यक्ष आकाश प्रजापति ने बताया कि हम गौ भक्त रोज पहले खेत से बरसीन बाजरा तोड़कर लाते है फिर उसे काटकर  भूसा, सानी, नमक, चापर मिलाकर गाड़ी करके गायो को खिलाते है। विगत दिवस कुछ लोगो के खेत में फूल, गोबी, ककड़ी मिल गई थी जो हमने गायो के लिये खिलाई। जब तक लॉक डाउन चलता रहेगा ये गौ भक्त सेवा में लगे हुए है। संतु पोपटानी, विक्रम, आयुष साहू, पुष्पराज ठाकुर, मनीष साहू, प्रदीप पांडे, सचिन, अम्मू रैकवार, आशुतोष, गजेंद्र, नितिन, शिवा, कृष्ण, शैलेन्द्र, अभिनाष, विकी, निक्की राय, शैलू सेन, नीलू पटैल गौ वंश की सेवा में लगातार कार्य कर रहे है। 
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कोरोना काल मे शराबबंदी :"धक्का मारो मौका है"..! @ होमेन्द्र देशमुख, वीडियो जर्नलिस्ट

कोरोना काल मे शराबबंदी :"धक्का मारो मौका है"..!

@ होमेन्द्र देशमुख, वीडियो जर्नलिस्ट 

शराब सरकार की जरूरत है या समाज की ? यह जानना आवश्यक है । शराब बंदी वाले राज्यों में शराब बिकना तो बंद हो गया है पर शराब पीना बंद नही हुआ है । लेकिन शराबबंदी की एक अच्छी बात यह है कि राज्य में अगर शराब अधिकृत रूप से बिकेगा नही तो जनता पब्लिकली इसका सेवन नही कर सकती । अगर वह सेवन परिवहन या शराब पीकर पड़े रहने की शिकायत आएगी तो उस पर एफ आई आर होगी, केस बनेगा और जांच होगी कि इसको शराब मिला कहाँ से । तो पीने वाला और बेचने वाला दोनो अपराधी साबित होगा ।  उससे उन दोनो पर अवैध शराब  पीने रखने परिवहन और बेचने का आरोप लगेगा । वैसे ही जैसे बारूद कहीं पकड़ायेगा तो बेचने वाले को ढूंढा जाता है । उससे पीना बंद नही होगा लेकिन पुलिस के डर से सार्वजनिक पीना कम होगा । 
शराबबंदी की योजना और सरकार का संकल्प तभी पूरा औऱ सफल होगा जब,  पहले -इसे लागू करने के साथ कानून में संसोधन भी किया जाय । 
दूसरे - कि पुलिस को अधिकार मिलने के बाद उस पर भी बेलगाम और भ्रष्ट होने की स्थिति और आरोप लगने पर उनको कड़ी सजा का प्रावधान हो । जब तक पुलिस और आबकारी के लोग अवैध शराब पर अंकुश नही लगाएंगे । कोई राज्य शराबबंदी को सफल नही बना सकता ।
छत्तीसगढ़ में पुलिस को अभी भी एक डर समझा जाता है 
 अगर शराबबंदी होती है तो थाने कचहरी के चक्कर के डर से तीस प्रतिशत लोग शराब पीने से दूर हो जाएंगे । दूसरा काम समाज को करना होगा 
 शराब के केस में फंसे बन्धु से सामाजिक दूरी की सजा आदि के प्रवधान कर इसे समाजिक रूप से नियंत्रित किया जा सकता है । तीसरा काम ग्राम पंचायत करे , कि एक बार कोर्ट में शराब के केस में सजा होने पर सरकारी योजना के लाभ से दूर किया जाय । चौथी बात - किसी युवा को शराब के किसी भी केस पर कोर्ट से सजा के बाद नौकरी और व्यावसायिक लोन से दूर या वंचित कर दिया जाय । 

पढ़िए : बीड़ी निर्माण और विक्रय को लेकर राहत, कोविड 19 के सतर्कता सम्बन्धी आदेश का करना होगा पालन

इन सब उपायों से यह केवल सरकार की नही अपितु समाज की पाबंदी होगी और समाज बचेगा । परन्तु इसकी पहल तो पहले सरकार को ही करनी पड़ेगी । वह शराबबंदी की जिम्मेदारी सामाजिक जागरूकता के झुनझुने को पकड़ाकर अपना पल्ला झाड़ती है यह मात्र बहाना है । मप्र में जब कमलनाथ की कांग्रेस सरकार शराब की उपदुकाने खोल रही थी तब वर्तमान मुख्यमंत्री ने विपक्ष की ओर से कड़ा एतराज दिखाया था । वो शराबबंदी का फैसला समाज की जागरूकता पर छोड़ने की बात कह देते हैं । 
अभी अच्छा मौका था । सरकारों  को यह शराबबंदी लागू करना चाहिए था । नए नीलामी नही हुए थे । अगर कहीं हुए भी हों तो इसकी फीस वापसी की जा सकती थी । फाइनेंसियल ईयर की समाप्ति थी । शराबबंदी के 45 दिन का शानदार अनुभव था । कोरोना के फैलाव में शराब की मजबूत भूमिका बन सकती है । यह बहुत बड़ा खतरा है ।  इस समय इसे बंद करने से सरकार की हर तरफ यहां तक कि स्वास्थ्य से जुड़ी संगठनों और संस्थाएं इन सरकारों की तारीफ भी करती ।  
शराबियों से पुलिस परेशान नही होती ये तो इनके लिए कभी कभी  बड़े काम के कर्ता भी साबित होते हैं । अवैध की कमाई । अवैध को वैध करने का गणित और तस्करी में कई बार पुलिस के निचले कर्मचारियों की गिरफ्तारी होते रहते हैं  पर सह भी पुलिस से ऐसे लोगो को मिलता रहता है । ऐसे आरोप हमेशा लगते रहते हैं ।
पढ़िए : मैंने यमराज को कोरोना पर सवार होते आते देखा है....
 ब्रजेश राजपूत /ग्राउंड रिपोर्ट

छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी आखिर कब लागू कर पाएगी, इसको लेकर कोई ठोस रणनीति नहीं दिख रही है । कोरोना का lockdown एक अच्छा मौका था जो उसके हाथ से निकल गया । कांग्रेस सरकार की इस ढुलमुल नीति को लेकर प्रमुख विपक्षी दल भाजपा विधानसभा के पिछले साल बजट सत्र के दौरान सदन में सरकार को घेर रही थी 
 शराबबंदी को लेकर एक तरफ छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार चुप बैठी रही तो वहीं प्रदेश के लोग सबसे अधिक शराब पीने में जुटे रहे ।
छत्तीसगढ़ विधानसभा में पेश किए गए आंकड़ों और कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 35 फीसदी से अधिक लोग शराब पीते हैं, जो इस मामले में दूसरे राज्यों से अव्वल है । शराब पीने के मामले में दूसरे नंबर पर त्रिपुरा और तीसरे नंबर पर पंजाब के लोग हैं ।शराब के मामले में छत्तीसगढ़ आबादी में अपने से चार गुना बड़े महाराष्ट्र से भी दोगुनी ज्यादा कमाई कर रहा है ।महाराष्ट्र की आबादी 11.47 करोड़ है, जबकि शराब से कमाई करीब 10546 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष है वहीं हमारे छत्तीसगढ़ की आबादी 2.55 करोड़ है और यहां शराब से कमाई साल 2018-19 में लगभग 4700 करोड़ रुपए हुई है । केवल शराब से हुई इस कमाई को आबादी से भाग दें तो छत्तीसगढ़ में शराब की खपत प्रति व्यक्ति 1843 रुपए प्रतिदिन की है । महाराष्ट्र में यह आंकड़ा 919 रुपए प्रति व्यक्ति है, लेकिन यहाँ के आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने  पिछले साल  1अप्रैल से शराब की 50 दुकाने बंद करके अपनी पीठ थपथपवा ली थी ।

पढ़िए : कोरोना देवदूतों का बनेगा  सागर में मंदिर, अनूठे मंदिर निर्माण की रखी गई आधार शिला 
शराबबंदी को लेकर छत्तीसगढ़  बीजेपी, भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार को सदन में घेर रही थी  और अब बाजू के मप्र की भाजपा सरकार शराबबंदी को समाज में जागरूकता का काम बता रही है । छत्तीसगढ़ के बीजेपी के ही पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का कहना है कि कांग्रेस ने अपने जनघोषणा पत्र में पूर्ण शराबबंदी का जनता से वादा किया था, लेकिन उस वादे को वह भूल गई है । सरकार शराब बंद तो नहीं कर रही है, उल्टे 13 .62 करोड़ रुपये की रोज की कमाई को दबा कर मौन साध कर बैठ गई है । बल्कि उल्टे दुकानें बढ़ाने की कोशिश में लगी रही है 
  छत्तीसगढ़ के आबकारी विभाग के आंकड़ों के हिसाब से प्रदेश में अभी 701 शराब दुकानें संचालित हैं । इनमें से 377 देशी शराब बेचती हैं और 324 दुकानों से विदेशी शराब बेची जाती है । इन दुकानों से लगभग 40 करोड़ का लेनदेन रोज होता है ।
मप्र में प्रतिदिन की कमाई लगभग 30 करोड़ का अनुमान है ।
यह सब तो एक मोटा मोटा अनुमान है । इतने दुकानों के बाद कहीं अवैध या ब्लैक का व्यापार नही होता यह कोई यकीन नही करेगा । अफसरों नेताओं को तोहफों की बतसात भी ऐसे ही अवैध धंधों से होती है चाहे कोई भी राज्य हो । राजनैतिक पार्टियों को चंदे बड़े आयोजनों और बड़े नेताओं के दौरों के समय यही शराब व्यापारी सूटकेस भी पहुचाते हैं । ऐसे में सरकारों और राजनीतिक दलों सहित इन विभागों से जुड़े लोगों के लिए शराब का व्यापार और शराब और शराबी एक चारागाह ही है । मप्र में सरकार और छत्तीसगढ़ में 
विपक्षी दल भाजपा के दांत अगर दिखाने के नही तो यह शराब बंदी को लागू करवाने का उसके लिए भी अच्छा मौका है । केंद्र से वह इसके भरपाई के लिए मदद भी ले सकती है । कोरोना का अच्छा बहाना भी है ।
हालांकि 4 मई से छत्तीसगढ़ और 5 मई से मध्यप्रदेश के कई जिलों में शराब की दुकानें खुल रही हैं ।

45 दिन शराब न पीकर जनता ने यह बता दिया है कि  'शराब के बिना वह जिंदा रह सकते हैं ।
लेकिन शराब की दुकानें खोल कर क्या सरकार ने यह बता दिया कि " शराब के बिना सरकार मर जाएगी।
पर देर अभी भी नही हुई है ।
इसलिये सभी शराब के विरोधी दल, समाज, संगठन ,बुद्धिजीवी ध्यान दें..

 "धक्का मारो मौका है"

आज बस इतना ही..!

(होमेन्द्र देशमुख, वीडियो जर्नलिस्ट ,एबीपी न्यूज़ भोपाल)

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