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आपदा से निपटने पूर्व विधायक राठौर ने दिया एक लाख 11 हजार का चेक,सौ किवंटल गेंहू, करीब तीन लाख के मास्क सेनेटाईजर भी देंगे

आपदा से निपटने पूर्व विधायक राठौर ने दिया एक लाख 11 हजार का चेक,सौ किवंटल गेंहू, करीब तीन लाख के मास्क सेनेटाईजर भी देंगे

सागर । कोरोना वायरस आपदा से निपटने और लोगो की मदद के लिए लोग खुलकर सामने आ रहे है । कोई खाद्य सामग्री वितरित कर रहा है तो कोई सीधी राशि भी सरकारी फंड में दे रहा है । सागर के बीड़ी उधोगपति राठौर परिवार खुले हाथों सेमदद करने सामने आया है । 
 सागर जिले की बण्डा विधानसभा के पूर्व भाजपा  विधायक  हरवंश सिंह राठौर ने आज कलेक्टर प्रीति मैथिल से भेंट कर  प्रदेश को संकट के समय में मुख्यमंत्री राहत कोष में अपने निजी राशि 1 लाख 11 हज़ार का चेक सागर सौंपा है । चर्चा के दौरान अनाज की बात आई तो 100 किवंटल गेंहू देने की घोषणा भी की।
पूर्व विधायक श्री राठौर ने बताया कि करीब  एक  लाख 15 हजार  रूपये  के  मास्क और करीब पौने दो लाख रुपये के 50  पेटी  सेनेटाइजर भी देने की घोषणा की । जिसे जल्द ही  जिनको जिला प्रशासन को सौंपा जाएगा। राठौर परिवार ने इस तरह करीब छह लाख रुपये की तत्काल मदद की। 
पढ़े: लॉक डाउन । विवाह समारोह स्थगित कर ,जैनधर्म मान्यता से परिणय दीक्षा कर दी विदाई बेटी को

उन्होंने कहा कि राठौर परिवार ने हमेशा लोगो की मदद की है । हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और सीएम शिवराज सिंह ने सभी जनप्रतिनिधियों और समाज सेवियों से मदद का आव्हान किया है । भाजपा हर स्तर पर मदद करेगी और जनता को आपदा से उवारेगी। उन्होंने सभी से अपील की है कि लॉक डाऊन में घर पर ही रहे और निर्देशो का पालन करे।
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लॉक डाउन । विवाह समारोह स्थगित कर ,जैनधर्म मान्यता से परिणय दीक्षा कर दी विदाई बेटी को

लॉक डाउन । विवाह समारोह स्थगित कर ,,जैनधर्म मान्यता से परिणय दीक्षा कर दी विदाई बेटी को

 इंदौर। विश्ववयापी कोरोना महामारी के प्रकोप और लॉक डाउन के चलते इंदौर के एक परिवार ने शुभाशीष समारोह बेहद सादगी के साथ आयोजित किया। बिना किसी अतिथि के परिवार सदस्यों ने अपनी बेटी का परिणय घर की चार दिवारी में पूर्ण किया और बेटी को बिदाई दी ।
 इंदौर के एक धर्मनिष्ठ जैन परिवार ने एक माह पूर्व अपनी बेटी के लग्नविधान को पक्का कर लिया था ।  आपातकालीन परिस्थिति के इस नाजुक क्षण में सभी आयोजन निरस्त कर केवल परिवार के चुनिंदा सदस्यों के बीच एक अनूठे अंदाज में परिणय की रस्म अपने ही घर में पूर्ण की।इस अवसर पर परिवार के सदस्यो ने सोशल डिस्टेंशन के साथ इस परिणय की रस्म
आज तीर्थंकर भगवान आदिनाथ के 57 सूत्र के 17 वे क्रम परिणय सूत्र आधार पर  अपनी बेटी का विशिष्ठ अंदाज  में कन्यादान रस्म पूर्ण की ।   इस परिणय में केवल वर वधु के माता-पिता और वधु के भाई की  उपस्थिति के साथ विधिकारक ने परिणय दीक्षा की रस्म पूरी करवाई । 
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इंदौर के धर्मनिष्ठ परिवार के तौर पर अपनी पहचान रखने वाला मारू परिवार  समाज में अपनी विशिष्टता ओर कट्टरता से धर्म साधना के लिए ख्यात है । इस परिवार के सबसे छोटे बेटे जो नाकोडा भैरव के परम उपासक अक्षय जैन ने आचार्य नवरत्नसागर जी महाराज से 17 वर्ष पूर्व अपने बच्चों के परिणय जैन विधान से करने और दिन के लग्न करने का नियम संकल्प लिया था ।जिन्होंने धर्म मान्यतानुसार के साथ परिणय परिकल्पना को पूर्ण किया जबकि इस अनूठे परिणय के साक्षी बनने करीब 40 ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने शामिल होने की स्वीकृति भेजी थी  जो आपातकालीन विपदा के चलते निरस्त कर दी गई थी।  
बताते चले कि अक्षय जैन ने अपनी बेटी किंजल का विवाह मुम्बई में  सेंट्रल गवर्मेन्ट में कार्यरत एप्पील ओरा से किया।  इस परिणय में भगवान आदिनाथ की चौमुखी प्रतिमा जी की वेदी पर विराजित होकर भगवान पार्श्वनाथ दादा , पद्मावती देवी और आधिष्ठायक देव श्री नाकोडा भैरव की स्थापना की गई थी जिसमें  संस्कार वचनों के साथ जिन शासन आगम की मान्यतानुसार श्रावक श्राविका धर्म पथ पर चलकर जीवन को उत्कृष्ठता के साथ निर्व्हन करने की वचनबद्धता के फेरे हुए। इसे परिणय दीक्षा का नाम दिया था। इस पूरे आयोजन को जैन धर्म मान्यताओं के धार्मिक  स्वरूप सृजनित मंडप में को स्वयं परिवारजनों ने तैयार किया। वर-वधू के परिवारजनों परिणय की इस मंगलबेला पर मास्क और सेनिटाइजर का इस्तेमाल करते रहे । इस अनूठे परिणय पर वरमाला में फूल के बजाय मोतियों की माला का इस्तेमाल कर किया । जैन विधिकार श्री रत्नेश मेहता ने यह परिणय जैन शास्त्रों के मंत्रोच्चारित संगीत भक्ति भावना के साथ सम्पन्न करवाया ।

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नगर निगम का विशेष सफाई अभियान जारी, वाहनों एवं व्यक्तियों को किया जा रहा है सेनेटाईज

नगर निगम का विशेष सफाई अभियान जारी,  वाहनों एवं व्यक्तियों को किया जा रहा है सेनेटाईज
सागर। कोरोना वायरस संकमण के बचाव हेतु नगर निगम आयुक्त श्री आर.पी.अहिरवार के निर्देषानुसार प्रारंभ किये गये विशेष सफाई अभियान के तहत् विभिन्न वार्डो में सफाई का कार्य के तहत् नाला सफाई के बाद कचरे एवं मलवे को साफ कराने, कीटनाषक दवाईयों का छिड़काव करने, विभिन्न स्थानों पर चूना लाईन बनाने तथा फागिंग करने का कार्य किया जा रहा है इसके साथ ही नगर निगम की स्वच्छता टीम द्वारा बाहर से आने वाले व्यक्तियों एवं वाहनों को सेनेटाईज किया जा रहा है। साथ ही प्रतिदिन वार्डो में फागिंग करायी जा रही है। रविवार को बाघराज वार्ड स्थित बीड़ी अस्पताल की संपूर्ण सफाई, प्रकाश व्यवस्था, एवं जिला चिकित्सालय में , गौर वार्ड विवेकानंद पार्क, नगर निगम स्टेडियम एवं डी.एन.सी.बी.स्कूल प्रागंण की सफाई, अम्बेडकर बस्ती में फांिगग, कीटनाशक दवाईयों का छिड़काव, इंद्रानगर मेन की सफाई सहित विभिन्न स्थानों पर नालियों की सफाई के बाद कीटनाशक दवाईयांे का छिड़काव एवं चूने की लाईनें की गई। कोरोना वायरस संक्रमण के बचाव हेतु नगर निगम के अधिकारियों द्वारा लगातार लोगों को घरों में रहने के लिये समझाईस दी जा रही है। इसके साथ मोतीनगर चैराहे सहित सभी जोन के अंतर्गत आने वाले वार्डो में लोागें को स्वच्छता टीम द्वारा सिनेटाईज कराने का कार्य निरंतर किया जा रहा है। 

पढ़े: डर की महामारी या महामारी का डर..! होम क्वेरेंटाइन में एबीपी न्यूज़ के वीडियो जर्नलिस्ट होमेंद्र देशमुख की कहानी

सागर टेन्ट एसोशियेशन 3 लोडर वाहन माईक एवं अनाऊंसमेंट सिस्टम के 14 अप्रैल तक उपलब्ध करायेगा
सागर। कोरोना वायरस संकमण के बचाव एवं सुरक्षा हेतु सागर शहर के सभी वार्डो में नागरिकों को जागरूक करने के लिये सागर टेंट ऐसाशियेशन ने 3 लोडर वाहन, माईक एवं अनाऊंसमेंट सिस्टम सहित 14 अप्रैल तक प्रातः 7 बजे से रात्रि 9 बजे तक उपलब्ध करायेगा। इन वाहनों से अनाऊंसमेंट के अलावा आवश्यकता अनुसार परिवहन का कार्य भी लिया जायेगा। प्रथम चरण में चांदनी टेंट, एन.आर.टेंट हाऊस एवं र्मा हरसिद्वी फ्लावर तथा शर्मा टेंट पे लोडर वाहन उपलब्ध कराया है जो सोमवार से सागर शहर के विभिन्न वार्डो में अनाऊंसमेंट करेगा। 
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लाकडाउन सेवादल काँग्रेस ने बांटा असहायों को राशन

लाकडाउन सेवादल काँग्रेस ने बांटा असहायों को राशन
सागर। लॉक डाउन के मद्देनजर, रोज कमाने खाने वाले लोग, जिन के पास राशन कार्ड पर्ची या राशन कार्ड उपलब्ध नही है या किसी अन्य कारणों से राशन व्यवस्था नही हो पा रही है, उनके लिये राशन उपलब्ध कराने सागर विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी रहे नेवी जैन ने जरूरतमंद लोगों को अपनी ओर से घर-घर राशन उपलब्ध कराने का अभियान शुरू किया है , जिसके तहत आज सागर शहर के नरयावली नाका वार्ड, और मोहन नगर वार्ड में सेवादल शहर कांग्रेस अध्यक्ष सिंटू कटारे, ब्लाक अध्यक्ष नितिन पचौरी ने, वही छत्रसाल नगर अम्बेडकर वार्ड में पुष्पेंद्र सिंह राजपूत (रानू ठाकुर) ने, मोमिनपुरा भगवानगंज में रशीद राइन एव साजिद राइन ने, कांच मंदिर वविवेकानंद वार्ड में बिली रजक ने , राशन घर घर पोहचकर लोगो की मदद की तो खाली पेट लोगो ने राशन पाकर उन्हें खूब धन्यवाद सहित आशीर्वाद दिया। इस पर नेवी जैन ने  कहा हमारा बी.एस. जैन परिवार 4 पीढ़ियों से    सागर जिले की जनता की सेवा करता आ रहा है, और  ईस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए  जब भी मेरी आव्यशकता होगी में सागर वासियों के सेवा में तत्पर  उपस्तित रहूँगा।
जिला शहर कांग्रेस सेवादल अध्यक्ष सिंटू कटारे और ब्लाक अध्यक्ष नितिन पचौरी द्वारा शहर के नरयावली नाका वार्ड,भगतसिंह वार्ड और मोहननगर वार्ड के अत्यंत निसहाय और कमजोर वर्ग के परिवारों को राशन की व्यवस्था करायी गयी जिनमे दो परिवार ऐसे मिले जो जिला उन्नाव और दमोह के पास के एक गांव के है उनकी भी राशन की व्यवस्था करायी गयी 
राशन ( दाल, आटा) के इतंजाम मे भाई नेवी जैन का विशेष सहयोग रहा ।सेवादल अध्यक्ष द्वारा दूध और बिस्किट का भी वितरण किया गया ।जिसमें राहुल व्यास,आदित्य पटेरिया, नवीन यादव,अंकुर यादव, शैलेन्द्र नामदेव सहित सेवादल परिवार के सदस्यों का विशेष सहयोग रहा।
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डर की महामारी या महामारी का डर..! होम क्वेरेंटाइन में एबीपी न्यूज़ के वीडियो जर्नलिस्ट होमेंद्र देशमुख की कहानी

डर की महामारी या महामारी का डर..!

होम क्वेरेंटाइन में एबीपी न्यूज़ के वीडियो जर्नलिस्ट होमेंद्र देशमुख की कहानी
 
'डर'…! यह मात्र एक 'शब्द' है । डरिये नही .., बल्कि 'डर' से जीतना है । 'डर' असल मे एक मनोवैज्ञानिक भाषा-कोष का गढ़ा हुआ शब्द है । 'डर' मजे की भी चीज है । अक्सर लोग पैसे खर्च कर के डरावनी फ़िल्म देखने सिनेमाघरों में जाते थे । "डर" का मजा लेते थे । आजकल डराने वाली फिल्में कम आ रही हैं क्योंकि शायद फ़िल्म वाले और जनता समझती है कि अब वो उतने बेवकूफ नही जो पर्दे पर चल रही चलचित्र को डरने के लिए पैसे खर्च करें ।
एक कहानी सुनी है। एक भूत नगर के चौकीदार से बाहर ही टकरा गया । उसने गांव में आने का कारण पूछा । भूत ने कहा आज मुझे पांच सौ लोगों को मारना है । क्योंकि उसको रोकना मुश्किल था । वह नगर के अंदर चला गया । वापस लौटा तो ,चौकीदार ने पूछा तुम पांच सौ लोगों को मारने आए थे और पंद्रह सौ को मार दिया । यह सरासर नाइंसाफी है !
भूत ने कहा- क्या करूँ मैंने तो पांच सौ ही मारे, लेकिन वहां छुप -छुप कर सब देख रहे थे । वो खुद ही मर गए । उनको मैंने नही , उनके 'डर' ने मारा है । मेरा कोई दोष नही ।
'डर' डरने का नही , असल मे मजा लेने की चीज है । डरावनी फिल्मों का मनोविज्ञान यही कहता है । पर अगर मजा नही ले सकते तो उससे बचने को सावधानी भी तो कहते हैं ।
12 मार्च 2020 को यह वैश्विक महामारी घोषित हुआ । पर मीडिया में होने के और लगातार मास्क लगाए लोगों के चेहरे मुझे डराते नही बल्कि हर पल सावधान करते थे । मामला उतना आसान नही था जितना अखबार और टीवी पर दिखते थे । सब को ऐसे खबर बताते समय एक मर्यादा की भाषा अपनानी पड़ती है । और हम सावधानियों को 'डर-किनार' (दरकिनार) करते जाते हैं । क्योंकि हम समझते हैं कि हम उन डरपोकों में नही जो मास्क लगाए घूम रहे हैं । खुद मीडिया के वीडियो जर्नलिस्ट (कैमरामैन) होने के कारण , साथ काम कर रहे , दिल्ली से आए एक पत्रकार को मैंने दस मार्च को मास्क लगाए देखा । मैं तो पहली फुर्सत मिलते ही एक मास्क खरीद लाया । दो तीन दिन और किसी को लगाते नही देखा तो मैंने भी अपना भी 'डर' पोस्टपोंड कर दिया । लेकिन मैंने किसी से भी हाथ मिलाना बंद कर दिया । केवल नमस्कार ! थोड़ा आपसी दूरी की सावधानी बनाने की कोशिश शुरू कर दी । कभी सीएम हाउस के बाहर, कभी शिवराज चौहान हाऊस, कभी बीजेपी और कभी कांग्रेस कार्यालय ,विधानसभा ,होटलें और एयरपोर्ट । सब जगह भीड़ और तेजी से संक्रमण या वाहक बनने का खतरा । कई बार नमस्कार करने पर मेरा मजाक भी उड़ा । पर मुझे क्या..!

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ब्रजेश राजपूत/सुबह सवेरे में ग्राउंड रिपोर्ट

पड़ोसियों के घर आना जाना यहां तक कि जाते-आते बातें करना बंद कर दिया क्योंकि 3 बीएचके अपार्टमेंट के दो फ्लैट के दरमियां दूरी एक फ़ीट भी नही थी ।ऐसे मे आमने-सामने बात करने का सवाल ही नही , ऊपर से मप्र की राजनीति और सत्ता-बदल के संग्राम में रोज अलसुबह निकलने और देर रात वापसी की अनियमित थकान भरी दिनचर्या ।
मुझे पता था , पड़ोसियों की नजर में मैं गलत कर रहा हूं ,यह शिकायत किसी दिन आएगी । पर मैं कारण बता कर पैनिक नही फैलाना चाहता था । मैंने गलतफहमी दूर करने की जिम्मेदारी मेरी पत्नि को दे दी पर शायद ही उनसे संतुष्ट हों .. मुझे परवाह भी नही थी क्योंकि लगता था , ज्यादा मेल-मिलाप से मैं ही उन तक वाइरस फैलाने का अपराधी बन सकता था ।
लगातार , तेज होती भीड़भाड़ वाली राजनैतिक गतिविधियों के बीच मीडिया कवरेज के कारण मैंने शायद पंद्रह मार्च को घर मे अपना कमरा और बिस्तर अलग कर लिया । वापस जाकर कपड़े अलग रखना । फिर बाद में रोज खुद साफ करना ,आदत बन गई थी । खैर, एक दिन बाद सेनेटाइजर खरीद कर गाड़ी में रख लिया । पर, बड़े कंजूसी भी करते रहे । मास्क और सेनेटाइजर सील बंद शोभा बढ़ा रहे थे । उन्नीस मार्च को मुख्यमंत्री कमलनाथ के निवास पहुँचते पहुँचते आखिर सेनेटाइजर का बोतल खोल ही लिया । लगा इतने बड़े आदमी को हमारी वजह से कोई खतरा नही होना चाहिए । मैं इतना सतर्क रहा कि सबसे दूर अलग बैठा ,अपने बजाय मेरे क्रम के पहले , जो माइक उनके गिरेबान को छू रही थी उसे बिना निकाले मैंने उसी से अपना भी काम चला लिया ।
सेफ डिस्टेन्स और सेल्फ अवेर्नेस, डर नही ! डर की जीत है । पर अवेर्नेस और सावधानी ही इस महामारी का बचाव है यह पूरी तरह इस दिन तक समझ मे आ चुका था । वापस आफिस आने पर मेरे वरिष्ठ ब्रजेश जी ने मुझे एक मास्क दिया कि उनके किसी शुभचिंतक ने भेजा है । मुफ़्त का मास्क था हमने तो तुरंत पहन लिया ।
दूसरे दिन मुख्यमंत्री निवास में बहुप्रतीक्षित और रहस्य से भरी प्रेसवार्ता थी । पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के निवास मास्क पहन कर पहुँचा मैं अकेला इंसान था ,वहां बगीचे में बैठे लोग मुझे देख कर बुदबुदाने लगे और बाहर से आये उस ग्रुप का लीडर उन्हें आवाज बुलंद कर समझाने लगा कि ये सब वहम है हम गांव के लोगों को डरने की जरूरत नही । बिल्कुल वैसे ही जैसे अंधेरी रात किसी सुनसान गली में हम हनुमान चालीसा पढ़ने लग जाते हैं । असल मे हनुमान चालीसा हमें बचाए न बचाए बल्कि उस सूनेपन में हमे अपने ही आवाज का साथ मिल जाया करता है ।
सायरन बजा हाथ धोने का, कलेक्टर ने की शुरुआत,सागर में हर तीन घण्टे में बजेगा

दिग्विजय सिंह के पीछे पीछे हम मुख्यमंत्री निवास के द्वार पहुचे ,एक पुलिसाधिकारी ने मुझे इशारे से अपनी गाड़ी के पास बुलाया और अपने पीछे आकर हॉउस में प्रवेश करने सब को लेकर आने कहा । मैंने उनसे बात करते उनकी गाड़ी को हाथ लगा दिया उन्होंने तुरंत मुझे दूर हटने कहा और अपने पास से सेनेटाइजर निकाल कर मेरे हथेली पर उड़ेल दिया । और सतर्क रहने कहा । असल मे मैं थोड़ा डर गया ..! पर उसी क्षण फिर सतर्क भी हो गया । मेरे चेहरे पर मास्क लगा ही था । नमस्कार और डिस्टेन्स के साथ जितना सम्भव था , अंदर सबकुछ सावधानी बरतने की कोशिश की ।
इस्तीफे अगले दिन कोई खबर नही थी पर आफिस के लिए एक सेनेटाइजर का बॉटल छोड़ वापस घर आ गया । अगले दिन सवा छः बजे सुबह से रविवार जनता कर्फ्यू से निकल कर दोपहर लौट घर पर घण्टी बजाने का इंतज़ार कर रहे थे । आधे घण्टे पहले ही एक वरिष्ठ पत्रकार के सुपुत्री के इस महामारी के संक्रमण की खबर आ गई । हमारे वरिष्ठ ने मुझे फोन कर आगाह किया । वह उससे बड़ी खबर थी । उस युवती के पिता को भी शक के दायरे में लेकर आइसोलेट कर लिया जो एक पत्रकार हैं और वह सी एम हाऊस के उस बड़ी पत्रकार वार्ता में हम सब के साथ उपस्थित थे ।
हमने ऑफिस को बता दिया ,कहीं बाहर मत निकलो किसी से न मिलो घर मे भी सतर्क रहो । काटो तो खून नही ! इतना सुने और निढाल बैठ गए । अब शंख बजने लगे, पांच बज चुके थे। जिस घण्टी ताली और थाली बजाने को धूमधाम से कवर करने वाले थे वो नाद हमारे अपने मन को झकझोरने लगे । पर असल मे ये नाद सकारात्मक ऊर्जा लिए होते हैं ,उसका फायदा मुझे भी मिला और मैं शांत अकेले, कमरे में जाकर बैठ गया ।
ये मेरे क्वेरेंटाइन का पहला दिन था । मैंने घर के उसी कमरे से सब को बता दिया कि मुझसे और दूर रहें ।
बात क्वेरेन्टाइन की नही बात सम्भावित खतरे की थी । घर मे और ज्यादा डिटेल नही बताया । मैं नही जानता कि मेरी पत्नी ने क्या सोचा, बच्चे ने क्या सोचा । सब टीवी पर चल रहे भोपाल के पहले संक्रमित युवती की ब्रेकिंग न्यूज़ में खो चुके होंगे । अब बाकी सावधानियों के साथ हाल में डिस्टेन्स मेंटेन कर खाना खाना ,मेरी थाली अलग धुलवाना ,जूठन न छोड़ना आदि शुरू हो गया ।
अब तो संदेही पत्रकार के रिपोर्ट का बेसब्री से इंतज़ार था । दिन में दो बार फोन करते, सुबह अख़बारों में ढूंढते ,दोस्तो से पूछते । बेचैनी भरे , उम्मीद के तीन दिन और तीन रातें बीत गए । जबलपुर और इंदौर सहित देश भर के आंकड़े आते तो भोपाल का नाम नही होने पर थोड़ा सुकून पाते । 25 तारीख की सुबह पत्नी ने कमरे के बाहर दस्तक दी ,पड़ोसी अपने से बात नही करने का कारण पूछ रहे , आप दरवाजे के पास आकर बता दीजिए । हां-ना करते मैंने बता ही दिया कि भोपाल की पहली पाज़िटिव लड़की के पिता पत्रकार हैं इसलिए मैं आप सब से डिस्टेन्स मेंटेन कर रहा हूँ । अब बताने को एक सटीक कारण था ।
इसी दिन दोपहर 1 बजे उस इंतज़ार का कड़वा फल आ ही गया । दनादन ब्रेकिंग पटकने लगी वाट्सअप फेसबूक टीवी चैनल सब जगह । मेरे परिसर के पांचों फ्लैट की टीवियों से आवाज गूंजने लगी 'भोपाल में पत्रकार पॉज़िटिव ..!' पत्नी ने अपने डर को छुपाने का बहाना करते बनावटी और कुटिल मुस्कान लेते आकर पूछा – आप भी उस दिन सीएम हाउस में थे ना..!
ये सवाल का जवाब उनको भी पता था ..फिर भी पत्नी ने मुझसे हां करवा ही लिया..!
अब वो फ़्लैश बैक में याद करने लगीं ..धन्यभाग ..! जो आप अलग रह रहे थे ,छोटी मोटी लापरवाही हुई थी लेकिन वो इस वाइरस के सतर्कता की श्रेणी में नही आते थे ।
वरिष्ठ, मित्र ,कंट्रोल रूम और कलेक्टर साहब से बात हुई और हम होम क्वेरेंटाइन के आगे अब हम ऑफिसियली रूम क्वेरेंटाइन में चले गए ।
सेल्फ क्वेरेंटाइन की पहली रात एक बजे तक आई फोन के नोट में लिखे सारी डायरी पर नजर डालते रहे । कब कहाँ किससे मिले क्या सावधानी बरते, कितने समय और कब और किसने मेरे सामने छींक मारी..
जी..! पिछले 19 मार्च से मेरी निजी और सार्वजनिक गतिविधियों का मेरे फोन पर लेखा जोखा था । सब सुरक्षित जानकर लात तान सो गए । बा-मुश्किल एक नींद सोए ही थे कि रात लगभग तीन बजे ही आंख खुल गई ,एक शंका मन मे आई और फोन के नोट्स को फिर चेक करने लगे । क्या पता मुख्यमंत्री निवास के उस प्रसिद्ध पत्रकार-वार्ता में कहीं उन संक्रमित पत्रकार और महामारी के भोपाल से दूसरे पीड़ित से कहीं भीड़ में टकरा ही गए हों । थोड़ी ठंड सी लगने लगी , गला चुभने सा लगा । सांस फूलने सी लगी ..! थर्मामीटर मांगने पत्नी को जगाया , 98.4 डिग्री .. धत्त तेरे की सारा मन का वहम था । पत्नी ने डांटा देख नही रहे बाहर बारिश हो रही .. एक चादर और ले लो और चुपचाप सो जाओ ..!
देर सुबह कानों में आवाज गूंजी ..चाय बनाऊं या और सोओगे ..?
चाय पी , योगा किया और क्वेरेन्टाइन के बाद पहली सुबह पर एक भारी दिन चढ़ने लगा । दोपहर तीन बजे फिर बारिश शुरू हो गई और फिर चुपके से थर्मामीटर दबा कर बैठ गए । अब तो माप 94.7 डिग्री था । शाम की चाय के बाद किसी प्रवचन में 'डर' के भूत की कहानी सुनी और शायद मेरे मन से वह डर का भूत भी भाग गया ..! असल मे हमें उसी 'डर' से जीतना है ।  कहते हैं 1920 में भी महामारी फैली थी तब भी इसी डर ने लोगों को ज्यादा मारा था । महामारियों में यह 'डर' बड़ा नकारात्मक परिणाम देता है , शब्द ही ऐसा है ।  अब जो डरावनी फिल्में देखने को जागरूक जनता थियेटर में नही जाती वह इस डर से भला क्यों डरेगा ।
तो आप भी मान लीजिए, आजकल डरने का नही ल डर का मजा ले कर उसे जीतने के दिन हैं ।
वैसे रामसे ब्रदर्स इन दिनों कौन सा फ़िल्म बना रहे आप को पता है क्या..?

(लेखक होमेन्द्र देशमुख,एबीपी न्यूज़ भोपाल के वीडियो जर्नलिस्ट है)
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गृहस्थ संत सही दद्दाजी की पत्नी कुंती देवी पंचतत्व में विलीन, नम आंखों से लोगों ने दी अंतिम विदाई

गृहस्थ संत सही दद्दाजी की पत्नी कुंती देवी पंचतत्व में विलीन, नम आंखों से लोगों ने दी अंतिम विदाई
सागर।  गृहस्थ संत पं.देवप्रभाकर शास्त्री दद्दाजी की धर्मपत्नी श्रीमती कुंती देवी छोटी जिज्जी आज पंचतत्व में विलीन हो गयी।उनका देर रात्रि में दुखद निधन हो गया था।  सरकार द्वारा  पारित आदेश सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए दद्दा धाम कटनी में ही अंतिम संस्कार किया गया।  बड़े भैया डॉ अनिल त्रिपाठी ने उनकी पार्थिव देह को मुखाग्नि दी। आचार्य पूरन लाल जी शास्त्री,  कालिका प्रसाद पांडे ने पूरे विधि विधान के साथ अंतिम संस्कार डॉ अनिल त्रिपाठी से कराया ।सुबह 10बजे  डॉ सुनील त्रिपाठी जी के निवास से अंतिम यात्रा शुरू हुई
गमगीन था  शिष्य परिवार
जिज्जी शिष्य परिवार के सदस्यों को एक सूत्र में पिरोयी थी  रिश्तेदार व शिष्य परिवार की महिलायें गमगीन थी और रो रही थी। परिवार का भी रो रोकर बुरा हाल था। सभी लोग सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए डॉ अनिल त्रिपाठी डॉ सुनील जी त्रिपाठी नीरज त्रिपाठी संतोष पांडे  पूर्व मंत्री संजय पाठक सभी को सांत्वना दे रहे थे।दद्दा शिष्य मंडल सागर से डा.सुखदेव मिश्रा. वीरेन्द्र गौर. सुरेन्द्र सुहाने. उत्तम सिंह ठाकुर. राजकुमार तिवारी. शांतिस्वरूप दुबे. राजेन्द्र सुहाने. सुशील सुहाने. निकेश गुप्ता.संजीव श्रीवास्तव. अजय गर्ग.अज्जू साहू.मोहन कुशवाहा.शुभम तिवारी. कपिल तिवारी सहित बडी संख्या में गुरू भाई ने अंतेष्टि में शामिल हुए ।
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