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राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी की जन्मजयंती पर पुष्पांजली अर्पित कर नमन किया

राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी की जन्मजयंती पर पुष्पांजली अर्पित कर नमन किया

सागर। भारतीय जनता पार्टी जिला कार्यालय सागर में जनसंघ एवं भारतीय जनता पार्टी की संस्थापक सदस्य श्रद्धेय राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी की जन्म जयंती पर पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओ द्वारा श्रद्धेय राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजली अर्पित कर नमन किया l  
इस अवसर पर भाजपा जिलाअध्यक्ष गौरव सिरोठिया ने कहा कि -श्रद्धेय राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी केवल एक परिवार की नहीं थीं। एक परिवार से निकलकर वो करोड़ों करोड़ जनता के दिलों में उतर गईं और लाखों-लाख कार्यकर्ताओं के हृदय में समा गईं है l उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन दीन-दुखियों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया था l जनसंघ और भाजपा की विकासयात्रा में उनका अविस्मरणीय योगदान रहा है, उनके ही विचारों व आदर्शो पर चलकर पार्टी लगातार परम वैभव की ओर बढ़ रही है l 
इस अवसर पर जिला महामंत्री श्याम तिवारी, वृंदावन अहिरवार, जिला उपाध्यक्ष जगन्नाथ गुरैया, कमलेश बघेल, प्रदीप राजोरिया, सुषमा यादव, देवेंद्र कटारे, अर्पित पांडे, विक्रम सोनी, श्रीकांत जैन, प्रतिभा चौबे, रेशु चौधरी, चेतराम अहिरवार, राजेश तिवारी, रामू ठेकेदार, हेमंत लारिया, प्रासुक जैन, अंशुल हर्षे, अभिषेक अग्रवाल, गोलू श्रीवास्तव, हेमंत पचोरी, बलवंत राय, शिवम ठाकुर, नीरज चौरसिया, नितिन सोनी, कुलदीप खटीक, संदीप साहू, राहुल वैद्य, शुभम नामदेव, राहुल नामदेव, विनय पांडे, अर्जुन सूर्यवंशी, वैभव यादव, आदित्य नामदेव सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित रहे । उक्त जानकारी जिला मीडिया प्रभारी श्रीकांत जैन ने दी।
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सागर की लाइफ लाइन राजघाट पर नहीं होगा मूर्ति विसर्जन : कलेक्टर दीपक आर्य

सागर की लाइफ लाइन राजघाट पर नहीं होगा मूर्ति विसर्जन  : कलेक्टर दीपक आर्य

सागर । सागर की लाइफ लाइन कही जाने वाली राजघाट बांध पर किसी भी प्रकार की मूर्ति का विसर्जन नहीं होगा। उक्त निर्देश कलेक्टर श्री दीपक आर्य ने दिए। कलेक्टर श्री आर्य ने बताया कि नव दुर्गा उत्सव के द्वारा समापन के अवसर पर कोई भी मूर्ति समिति राजघाट बांध पर मूर्ति विसर्जन न करें।
 उन्होंने बताया कि मूर्ति-विसर्जन हेतु जिला प्रशासन द्वारा भोपाल रोड स्थित बड़ी नदी लेदरा नाका, बन्नाद एवं चितौरा बेवस नदी घाट पर  व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई है। उन्होंने बताया कि राजघाट पर मूर्ति विसर्जन न हो इसके लिए नवीन आरटीओ कार्यालय के पास पुलिस की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई है। उन्होंने निर्देश दिए कि किसी भी स्थिति में राजघाट पर मूर्ति-विसर्जन न हो, क्योंकि यह केवल पेयजल के लिए है।
कलेक्टर श्री आर्य ने समस्त मूर्ति-विसर्जन स्थलों पर पर्याप्त मात्रा में गोताखोर, नाव, बैरिकेटिंग, प्रकाश व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए भी कहा है। उन्होंने यह भी अपील की है कि कम से कम संख्या में समिति संचालक मूर्ति विसर्जन हेतु जाएं। 
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SAGAR : हिन्दू संगठन "दशहरा चल समारोह" निकलवाने के लिए हुए लामबंद , मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया

SAGAR : हिन्दू संगठन "दशहरा चल समारोह" निकलवाने के लिए हुए लामबंद , मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया

सागर। जिले में मंगलवार को शहर के हिन्दू संगठन, नव दुर्गा काली कमेटी, अखाड़ा संचालक, डीजे संचालक, ढोल बाजे वाले कलेक्टर कार्यालय में दशहरा चल समारोह को विधिवत पारंपरिक रूप से निकलवाने के लिए ज्ञापन देने एकसाथ पहुँचे। वहीं इस संबंध में शहर के "जय महाकाल हिन्दू संगठन" के अध्यक्ष सपन ताम्रकार द्वारा बताया गया कि, दशहरा के अवसर पर निकलने वाला "चल समारोह" नगर की अविस्मरणीय स्मृति में से एक है। हमारे शहर के समस्त शहरवासी, साल भर में एक दिन आने वाले इस त्यौहार की प्रतीक्षा करते हैं।
उन्होंने बताया कि, सागर शहर में "कांधे वाली काली" के नाम से प्रसिद्ध शहर की श्री सार्वजनिक दुर्गा महोत्सव समिति पुरव्याऊ टोरी वाली एवं काली जी भैया जी वैद्य बड़ा बाजार को शारदीय नवरात्रि में विराजमान होते हुए 100 वर्षो से ज़्यादा हो चुके हैं, सागर शहर में सनातनी परंपरा को मानने वाला हर व्यक्ति दशहरा के दिन कटरा बाजार क्षेत्र में इन दोनों देवी माई के मिलन की बांट ताकता बैठा रहता है। अध्यक्ष सपन ताम्रकार ने बताया कि, यह हमारी ही श्रद्धा है, जिसके चलते "अहर्निशम्" रूप से सागर शहर का हर व्यक्ति इस पवित्र एवं रौंगटे खड़े कर देने वाले दृश्य का बेसब्री से इंतजार करता है, जब चारों ओर से सिर्फ "चल माई, काली माई" की आवाज़ आती है और पूरा वातावरण श्रद्धालुओं द्वारा की जा रही भक्ति से शुद्ध होकर मैया के जयकारों से गुंजमान हो जाता है।

जय महाकाल हिन्दू संगठन के अध्यक्ष सपन ताम्रकार ने चेतावनी देते हुए कहा कि, मध्यप्रदेश में हो रहे उपचुनावों के क्षेत्रों में भी असंख्य भीड़ देखी जा रही है, साथ ही वहां पर भी कोरोना गाइडलाइन्स का पालन नहीं होता दिख रहा है। वहीं दूसरी ओर जब-जब धार्मिक अनुष्ठानों की बात आती है, तब-तब कोरोना गाइडलाइन की नियमावली जारी कर दी जाती है। यह शासन की दोगली मानसिकता है, अतः इसे सागर शहरवासियों की भावनाओं के साथ बिल्कुल भी ना अपनाएं।

मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपते हुए जय महाकाल हिन्दू संगठन ने प्रशासन से निवेदन किया कि, सनातनी मूल्यों का पालन करते हुए सागर शहर में निकाले जाने वाले दशहरा चल समारोह को विधिवत निकाले जाने की अनुमति प्रदान करें। एवं दुर्गा समितियों का रूट जैसे विगत वर्षों में निर्धारित था (विशेष रुप से पुरव्याऊ काली मां एवं काली जी भैया जी वैद्य ) वही रखा जाएं अन्यथा सभी हिन्दू संगठनों के साथ जय महाकाल हिन्दू संगठन, बजरंग दल, धर्म रक्षा संगठन आदि दशहरा के दिन तीन बत्ती पर आंदोलन करने हेतु विवश रहेंगे।


 
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डॉ राम मनोहर लोहिया के विचारों का किया स्मरण पुण्यतिथि पर

डॉ राम मनोहर लोहिया के विचारों का किया स्मरण पुण्यतिथि पर

सागर । सागर के संजय ड्राइव स्थित लोहिया पार्क में डॉ राम मनोहर लोहिया की पुण्यतिथि मनाई गई कार्यक्रम के शुभारंभ में डॉक्टर लोहिया जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर डॉक्टर लोहिया अमर रहे के गगनभेदी नारे लगाए गए ।
सर्व-दलीय नागरिक संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉक्टर बद्री प्रसाद ने कहा कि लोहिया के विचारों की आज समाज को बेहद आवश्यकता है,जातिगत-भेदभाव,आर्थिक-असमानता एवं दुनिया को शांति का संदेश देने जैसे विचारों की आज प्रसांगिकता है, उन्होंने कहा कि शीघ्र ही मोर्चे का प्रतिनिधिमंडल डाक्टर हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के सागर के कुलपति से मिलकर लोहिया जी के साथ-साथ गांधी जी एवं जयप्रकाश जी पीठ अध्ययन हेतु बनाये जाने की मांग करेगा ।
इसी बात को अभी मोर्चा के संरक्षक श्री रघु ठाकुर जी ने भी अपनी यात्रा के दौरान उठाया था। उन्होंने डॉक्टर लोहिया जी की सब क्रांतियों का उल्लेख किया और श्रद्धांजलि दी,
देवरी क्षेत्र के पूर्व विधायक सुनील जैन ने भी अपने संबोधन में डॉक्टर लोहिया के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला और कहा कि नई पीढ़ी को डॉक्टर लोहिया को पढ़ना और समझना बेहद आवश्यक है । कार्यक्रम को ड्राइंग और विद्यालय के प्रोफेसर अभय सिंघई,अतुल मिश्रा पंकज सिंघई आदि ने भी संबोधित किया कार्यक्रम का संचालन राम कुमार पचौरी ने किया,धन्यवाद सेवा दल के अध्यक्ष सिंटू कटारे ने माना। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से श्री महेश भाई राम किशन चौरसिया अतुल तोमर,श्री राम सेवा समिति के विनोद तिवारी,अंशुल ठाकुर, सिटी एंथोनी,कपिल पचौरी,नितिन पचौरी,अंकुर यादव,मिथुन घारू तथा नगर निगम के कर्मचारी सहित कई लोग उपस्थित थे।

 
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परंपरागत देवी आराधना गरबा 300 वर्षों के संस्कारों का निर्वहन ★ गुजराती ब्राह्मण बाज खेड़ावाल समाज, सागर का आयोजन

परंपरागत देवी आराधना गरबा 300 वर्षों के संस्कारों का निर्वहन 

★ गुजराती ब्राह्मण बाज खेड़ावाल समाज, सागर का आयोजन


सागर । महराजा छत्रसाल के शासन काल में गुजरात से मध्य प्रान्त में बस गए ब्राह्मण  परिवारों की पंद्रहवीं पीढ़ी, लगभग 300 वर्षों के बाद भी गुजरात की देवी आराधना परंपराओं का निर्वहन श्ऱद्धा पूर्वक करती आ रही हैं ।
मुगल काल में गुजरात में बढ़ते धर्मान्तरण के दबाव से बचने और स्वधर्म निर्वहन करते रहने के लिए शुरुआती दौर में पन्ना और इसके बाद हटा,दमोह, सागर,जबलपुर आदि स्थानों में आकर बस गए गुजराती ब्राह्मण, बाज खेड़ावाल गुजराती कहलाते हैं ।


एक समय में इन नगरों में गुजराती परिवारों की संख्या उल्लेखनीय थी । प्रदेश के  विभिन्न प्रशासनिक सामाजिक क्षेत्रों में ये परिवार सम्मानजनक स्थिति में रहे। कालांतर में सौ प्रतिशत शिक्षित और दहेज मुक्त इन परिवारों की युवा पीढियों ने महानगरों का रुख किया।
सीमित बच रहे ये गुजराती ब्राह्मण परिवार, गुजरात से विस्थापन के लगभग 300 वर्ष बाद भी देवी आराधन के अपने परंपरागत गरबों का श्रद्धा पूर्वक निर्वहन करते आ रहे हैं । सागर, चकराधाट स्थित श्री मल्ली माता मंदिर, और गुजराती समाज भवन, में ये परिवार शारदेय नवरात्रि में एकजुट होकर श्रद्धा पूर्वक दैनिक देवी आराधन में लीन होते हैं । स्थानीय नागरिक भक्ति भाव से की जा रही प्रस्तुतियों को देख कर मंत्रमुग्ध  हो जाते हैं  ।विगत वर्षों में कोविड संक्रमण प्रोटोकाल से आंशिक राहत मिलने पर ये परिवार पुनः श्रद्धा पूर्वक इन देवी आराधना के गरबों और दैनिक पूजन अर्चन में आ जुटे ।




इस शारदेय नवरात्र में समाज के युवा मण्डल ने गरबों में नए प्रयोग किए पर गरबों के आध्यात्मिक भक्तिभाव स्वरूप और देवी आराधना पक्ष को ही केन्द्र में रखा गया है । इस शारदेय नवरात्र में मंदिर में जहाँ परंपरागत गरबे हो रहे हैं , वहीँ समाज के उत्साही युवाओं ने देवी आराधना के आध्यात्मिक पक्ष को अपना कर इन गरबों को नया पर शुचिता पूर्ण स्वरूप दिया है । दैनिक आरती पूजन, हवन आदि मंदिर के पुजारी श्री शत जी करा रहे हैं ।क्ति मिश्रा पंडित जी करा रहे हैं  ।
 


गुजराती बाज खेड़ावाल ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष  संदीप भाई मेहता का कहना है की बदलते परिवेश गुजरात सहित देश और दुनिया में देवी आराधना नृत्य गरबों का स्वरूप बदला है । धर्मानुरागी समाज, गरबों में धर्म भाव पक्ष की कमी को देख कर व्यथित होते रहे है । मनोरंजन केन्द्रित गरबा नाइट्स पंडालों की कथित विसंगतियों से दुःखी हैं । सुखद संतोष है कि हमारे समाज के परिवारों  की पंद्रह से अधिक पीढ़ियों ने गुजरात से विस्थापन की तीन शताब्यिों के बाद भी गरबों में धर्म प्रधानता अक्षुण्य रखी है । हम देवी आराधना के परंपरागत भक्ति पक्ष का ही निर्वहन करते आ रहे हैं।

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वयोवृद्घ साहित्यकार, लेखक, अधिवक्ता कामरेड महेंद्र फुसकेले का निधन, अंतिम संस्कार कल बुधवार को

वयोवृद्घ  साहित्यकार, लेखक,  अधिवक्ता कामरेड महेंद्र फुसकेले का निधन, अंतिम संस्कार कल बुधवार को

सागर । सागर के वयोवृद्घ साहित्यकार, कवि, लेखक और  अधिवक्ता महेंद्र फुसकेले का आज मंगलवार की सुबह   निधन हो गया। वे 89 वर्ष के थे । कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे।  उनकी  अंतिम यात्रा  कल बुधवार की सुबह कटरा नमकमंडी स्थित निवास नरयावली नाका स्थित मुक्तिधाम पहुंचेगी। जहां पर अंतिम संस्कार होगा।  वे अपने पीछे पत्नी, एक पुत्र अधिवक्ता पेट्रिस फुसकेले तीन पुत्रियों सहित भरा पूरा परिवार छोड गये हैं। श्री फुसकेले का जन्म बडाबाजार  सागर में दो फरवरी 1934 को हुआ था । सागर के जैन स्कूल में स्कूली पढाई पूरी करने के बाद उन्होने सागर विश्व विधालय से बीए,एमए , एलएलबी की पढाई पूरी की।  1996 में जिला अधिवक्ता  संघ के प्रेसीडेंट रहे। सागर की प्राचीन जैन स्कूल के सचिव रहे।  1955 में सागर में श्री फुसकेले ने  भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की थी। एटक के राष्ट्रीय पदाधिकारी रहे श्री फुसकेले सागर विश्वविधालय के कुल सांसद और शासन द्वारा विद्वत परिषद के सदस्य मनोनीत किये गये थे। उन्होने 14 पुस्तकों का लेखन किया। जिनमें उपन्यास, निबंध संग्रह , कहानी संग्रह  शामिल हैं । प्रमुख रूप से मैं तो उसईं अतर में भीगी, तेंदू के पत्ता में देवता, कबूलापुल, आत्महंता का पुरूष, फूलवंती शामिल हैं । जिनमें से कबूलापुल कहानी संग्रह को ऑल इंडिया विश्वविधालय प्रतियोगिता में  श्री फुसकेले को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ था।  उनका  प्रकारांतर  और दशांग नाम से साप्ताहिक कॉलम सागर और भोपाल से प्रकाशित  समाचार पत्रों में नियमित प्रकाशित हुआ। बच्चों की सांइस के प्रति रूचि को लेकर भी लेखन कार्य किया।
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