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मध्यप्रदेश में अलग से महिला शराब दुकान खोलने के मायने

मध्यप्रदेश में अलग से महिला शराब दुकान खोलने के मायने

@अजय बोकिल 

बेशक मध्यप्रदेश में वक्त 'बदलाव' का है, लेकिन वह इतना खुमारी भरा होगा, यह अंदाज कम ही लोगों को होगा। मध्यप्रदेश सरकार की नई शराब नीति से राज्य  के शराबियों तो 'हर्ष' है ही, अब उन महिलाअों में भी 'सुलभ संदेश' गया है। ताजा खबर यह है कि राज्य सरकार महिलाअों की जरूरत के मद्देनजर प्रदेश में महिलाअों के ‍िलए अलग से शराब दुकाने खोलने जा रही है। एक प्रति‍ष्ठित अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक सरकार की कोशिश यही है कि महिलाअों को शराब खरीदने में कोई दिक्कत न हो। शुरु में भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में एक-एक दुकानें खोली जाएंगी। इन पर वाइन और विस्की के वे सभी ब्रैंड्स उपलब्ध होंगे, जो महिलाएं पसंद करती हैं। ये दुकानें मुंबई, दिल्ली और अन्य मेट्रो सिटी की तर्ज पर  खुलेंगी। क्वालिटी बनाए रखने विदेशी शराबों को ही बेचने की इजाजत होगी। जरूरी नहीं कि सारे ब्रांड मप्र में रजिस्टर्ड ही हों। उन पर कोई अतिरिक्त ड्यूटी भी नहीं वसूली जाएगी। उम्मीद यह है कि इससे महंगी शराब का कारोबार बढ़ेगा। लोगों की जिंदगी में सुरूर आएगा और सरकारी खजाना तेजी से भरेगा। खबर में  प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य  सचिव आईसीपी केशरी के हवाले से कहा गया है ‍िक यह सब करने का नेक मकसद सरकार के खाली खजाने को भरना है। इस के लिए सरकार  भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में वाइन फेस्टिवल भी आयोजित करेगी। वाइन ( अंगूरी) के 15 नए आउट लेट भी खुलेंगे। बता दें कि इसके पहले जारी अपनी नई शराब नीति में कमलनाथ सरकार ने सुराप्रेमियों को शराब की 'आॅन लाइन'  उपलब्धता का तोहफा दिया था। हालांकि ये अंगरेजी पीने वालो के लिए ही है। देशी वाले यहां भी पीछे रह गए हैं। 

शराबबंदी पर सरकारों के चोचले ही रहे है

शराबबंदी से शराब के मामले मध्यप्रदेश की सरकारें ( शिवराज के टाइम आंशिक शराबबंदी को छोड़ दें) तो शराबबंदी जैसे राजनीतिक चोचलों में नहीं उलझी। वर्तमान कांग्रेस सरकार भी खाली खजाने को भरने की शराब की ताकत को बखूबी समझती है। शायद इसीलिए उसने शराब जगत में हाशिए पर समझे जाने वाले महिला वर्ग के लिए भी अलग से प्रावधान करने का साहसिक और  दूरदर्शी निर्णय लिया है। क्योंकि सूचनाएं ये हैं कि देश में महिलाअों में शराब, बीयर आदि का शौक बढ़ता जा रहा है। वे अब इस मामले में भी पुरूषों को चुनौती दे रही हैं।  
क्या है आंकड़ा महिलाओं के शराब पीने का
हालां‍कि  मध्यप्रदेश जैसे विकासशील राज्य में कितनी महिलाएं शराब पीती हैं, इसका कोई अलग से आंकड़ा उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन समूचे भारत में महिलाअों में शराब खोरी की लत बढ़ रही है, यह सच है। 'इंडिया टुडे' में पिछले साल छपी एक रिपोर्ट में एक सरकारी सर्वे के हवाले से बताया  गया था कि भारत में 16 करोड़ लोग शराब  के शौकीन हैं। इनमे 10 साल के बच्चों से लेकर 75 साल के बुजुर्ग तक शामिल हैं। अगर राज्यवार तस्वीर देखें  तो मप्र इस मामले में  दूसरे राज्यों से अभी पीछे है। वित्तीय वर्ष 2016 के आंकड़ों को देखें तो मप्र का नंबर  शराब खपत में आठवां था। इस मामले में दक्षिण के राज्य हमसे काफी आगे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक सर्वे रिपोर्ट बताती है कि भारत में शराब की खपत पिछले तीन साल में 38 फीसदी बढ़ी है। 'बिजनेस वायर' पर शाया  इंडियन अल्कोहल कंजंम्पशन रिपोर्ट 2018' के अनुसार देश में मदिरा का बाजार हर साल 8.8 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। 2022 तक देश में तमाम तरह की शराब की खपत 16.8 अरब लीटर हो जाने  की उम्मीद है। 
जहां तक मप्र की बात है कि तो दो साल पहले बिहार में शराबबंदी के हो हल्ले के बीच मध्यप्रदेश में भी शराबबंदी लागू करने का दबाव तत्कालीन शिवराजसिंह सरकार पर बढ़ा था। तब शिवराज सरकार ने नर्मदा और हाइवे के किनारे से शराब की दुकानों को हटाने का नियम भी बनाया था। यानी आंशिक शराबबंदी लागू की थी। लेकिन इसने इससे जाम छलकाने वालों का हौसला घटने के बजाए बढ़ा ही। एक साल में ही राज्य में शराब की बिक्री 27 फीसदी बढ़ गई। सरकारी खजाना भी तेजी से भरने लगा। शराब से वर्ष 2018 में जहां सरकार को शराब बिक्री से  8233 करोड़ रू. मिले थे, वही 2019 में यह कमाई बढ़कर 9600 करोड़ रू. हो गई। कमलनाथ सरकार ने आबकारी से चालू वित्तीय वर्ष में 13 हजार करोड़ रू. का टारगेट रखा है। सरकार को जनता पर भरोसा है। 
हकीकत यही है कि शौकीनो और ‍लतियलों के साथ साथ ‍सरकार भी आमदनी के लिए काफी कुछ शराब के भरोसे है। जितनी बिकेगी, उतनी खनकेगी भी। शराब की लत या शौक समाज और खासकर महिलाअों में क्यों बढ़ रहा है, इस पर अब शोध होने लगा है, क्योंकि महिलाअों का सार्वजनिक रूप से शराब पीना तो भारतीय संस्कृति में वर्जित माना जाता रहा है। लेकिन अब सोच और जीवन शैली तेजी से बदल रही है। महिलाएं बेझिझक शराब खरीदने और पीने लगी है। इसके पीछे आर्थिक-सामाजिक कारण हैं। डब्ल्यूएचअो के सर्वे में देश के कुछ राज्यों में महिलाअोंकी शराबखोरी की जानकारी एकत्रित की गई थी। इसके मुताबिक दिल्ली में जहां 40 पुरूष शराब पीते हैं, वहीं महिलाअों में यह प्रतिशत 20 है यानी‍ कि आधा। कुछ अर्सा पहले बीबीसी की एक रिपोर्ट में  बताया गया था कि पिछली सदी में महिलाएं अपेक्षाकृत कम शराब पीती थीं,  लेकिन 1991 से 2000 के बीच  जन्मी महिलाएं उतनी ही शराब पी रही हैं जितना उनके पुरुष साथी। 21 सदी में यह प्रमाण और बढ़ गया है। इसके दुष्परिणाम भी सामने आ रहे हैं।  हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की एडिक्शन साइकोलॉजिस्ट डॉन सुगरमैन का कहना था कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में कहीं देरी से शराब पीना शुरू करती हैं लेकिन जल्दी ही उसकी चपेट में आ जाती हैं। इसे टेलीस्कोपिंग कहते हैं। महिलाअोंमें शराब के बढ़ते चलन के पीछे सामाजिक दबाव, मानसिक तनाव, कुछ अलग तरह से जीने की चाहत, मौज मस्ती, आर्थिक स्वावलंबन और इस क्षेत्र में भी पुरूषों से बराबरी करने की तमन्ना है। 
लगता है कि मध्यप्रदेश सरकार ने महिलाअों के बदलते मानस और शराब के प्रति आकर्षण को ध्यान में रखते हुए राज्य में उनके लिए अलग से दुकान खोलने की पहल की है। एक अध्ययन के मुताबिक इस मामले में महिलाअोंकी पसंद देशी के बजाए विदेशी दारू है। जैसे कि वाइन, जिन, रम आदि। महिलाअों  का बीयर पीना तो अब चर्चा का विषय भी नहीं रहा।
वैसे लोग शराब कई कारणों से पीते हैं। कुछ लोगों के लिए यह 'दवा' है तो समाज के लिए यह बड़ा 'दर्द'है। इसका विस्तार अब महिलाअोंतक होने से समस्या और जटिल होगी। शराब नीति राजनीति के लिए भी मुफीद होती है। विपक्ष सत्ता पक्ष पर प्रदेश को मदिरा प्रदेश बनाने के आरोप लगाता रहता है तो सरकारें खुद को 'दारू की धुली' साबित करने की कोशिश करती हैं। वैसे भी मप्र सरकार की माली हालत इतनी पतली है कि उसे शराब पर भरोसा रह गया है। सरकार की मजबूरी यह है कि केन्द्र से मिलने वाले साढ़े 14 हजार करोड़ रू. के नुकसान की भरपाई कहां करे। 
हो सकता है सरकार के इस फैसले से सांस्कृतिक शुद्धतावादियों को गहरी ठेस लगे, लेकिन वक्त का  बदलाव जीवन के हर क्षेत्र में है। ऐसे में सरकारों ने सुरापान को हतोत्साहित करने की जगह उसे 'घर घर पहुंचाने'का तय कर लिया है। ऐसे में महिलाअों को अलग दुकानों के ‍जरिए शराब मुहैया कराना महिला सशक्तीकरण की दिशा में उठाया गया कदम है या फिर सरकार महिलाअों में शराबखोरी के बढ़ते ट्रेंड और हवा देना चाहती है, समझना मुश्किल है। शायराना तबीयत में तो यह शराब को शबाब के और करीब लाना है। किसी ने कहा भी है-
न हो शबाब तो कैफियत-ए-शराब कहां
न हो शबाब तो कैफियत-ए-शबाब कहां
अजय बोकिल ,वरिष्ठ संपादक  'राइट क्लिक' ,( 'सुबह सवेरे' में प्रकाशित)
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हनुमान जी की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजय वर्गीय अन्न ग्रहण करेंगे,20 साल बाद

हनुमान जी की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजय वर्गीय अन्न ग्रहण करेंगे,20 साल बाद

दौर। इंदौर में  पितृ पर्वत पर विराजित पितरेश्वर हनुमान मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव चल रहा है। शुक्रवार को पूर्णाहुति है । जिसमें शामिल होने के लिए वृंदावन से महामंडलेश्वर गुरुशरणानंद और अवधेशानंद गिरी आदि संत महात्मा आ रहे हैं। उनके हाथों 20 साल बाद भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय अन्न ग्रहण करेंगे।पितृ पर्वत पर 72 फीट की अष्टधातु की भगवान हनुमान की प्रतिमा विराजित की गई है। जिस पर करीब 15 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।

वर्षों चला पितृ पर्वत पर प्रतिमा का निर्माण

वर्षों से पितृ पर्वत पर हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित करने का काम किया जा रहा था। 72 फीट ऊंची अष्ट धातु की ये प्रतिमा विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा है। जिसका प्राण प्रतिष्ठा समारोह भी धूमधाम से चल रहा है। 24 फरवरी से शुरू हुए आयोजन की शुक्रवार को पूर्णाहुति होगी। महोत्सव में शामिल होने के लिए आज शाम 7 बजे महामंडलेश्वर जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर अवधेशानंद गिरि महाराज आएंगे। शुक्रवार को वृंदावन के संत महामंडलेश्वर गुरुशरणानंद महाराज व मुरारी बापू हनुमानजी की आराधना कर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देंगे। इस बीच में गुरुशरणानंद महाराज के हाथों भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विजयवर्गीय अन्न ग्रहण करेंगे। वे करीब दो दशक से अन्न नहीं खाते हैं।
संकल्प लिया था पितृ दोष निवारण का
बीस साल पहले इंदौर के मेयर  कैलाश विजयवर्गीय निर्वाचित हुए थे । उसी समय उन्हें किसी महात्मा ने बता दिया कि शहर में पितृ दोष है । जिससे इंदौर का विकास रुका हुआ है. इसके निवारण के लिए पितृ पर्वत पर भगवान हनुमान  की प्रतिमा स्थापित कराने से ये दोष दूर हो जाएगा और तभी उन्होंने ये संकल्प ले लिया कि वे पितृ पर्वत पर हनुमान की सबसे बड़ी प्रतिमा स्थापित कराएंगे और जब तक काम पूरा नहीं हो जाता तब तक अन्न ग्रहण नहीं करेंगे।
 पितृ पर्वत पर हनुमानजी की प्रतिमा विराजित करने का संकल्प लिया था ।जिसके बाद से अन्न त्याग दिया था। तब से वे गेहंू, चावल, मक्का, बाजरा, ज्वार सहित दालों को छोड़ दिया था। वे मोरधन, राजगिरा, साबूदाना और फल खाते थे। मजेदार बात ये है कि विजयवर्गीय के अन्न त्यागने के बाद उनकी पत्नी आशा विजयवर्गीय ने मोरधन के 20 प्रकार के व्यंजन बनाना सीख लिया। बाद में परिवार की अन्य महिलाएं भी इस प्रकार के व्यंजन बनाना सीख गईं। इंदौर से बाहर रहने की स्थिति में विजयवर्गीय सब्जी व फल पर ही आश्रित रहते थे।
सात साल में बनी प्रतिमा
पिछले बीस साल में करीब एक लाख पेड़ यहां पर लगाए गए. इसके बाद भगवान हनुमान की अष्टधातु की प्रतिमा बनना शुरू हुई और ग्वालियर के 125 कारीगरों ने 7 साल में इस प्रतिमा को तैयार किया, जो फरवरी 2020 में स्थापित हो पाई है. इसका प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव 24 फरवरी से चल रहा है, जो कि 3 मार्च खत्‍म होगा. यही नहीं, उस दिन नगर भोज का आयोजन किया गया है

 
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युवा जुड़े " यंग इंडिया के बोल 2020 " से:प्रवक्ता युवक कांग्रेस

युवा जुड़े "  यंग इंडिया के बोल 2020 " से:प्रवक्ता युवक कांग्रेस 
जबलपुर। मध्यप्रदेश युवा कांग्रेस के प्रदेश महासचिव व प्रवक्ता आशीष चौबे 'यंग इंडिया के बोल 2020' के प्रभारी ने इस कार्यक्रम की प्रक्रिया के बारे में बताते हुए कहा कि इससे युवाओं को जुड़ कर केंद्र सरकार की युवा विरोधी नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज को उठाने के लिए आगे आना चाहिए. 
यह होगी प्रक्रिया –
विषय - भारत में बेरोजगार
आवेदन प्रक्रिया:-
> आवेदन सभी के लिए नि: शुल्क है कोई भी युवा इस भाषण प्रतियोगिता में भाग ले सकता है।
> 18 से 35 वर्ष के आयु वर्ग के लोग, भाषण- जनसंवाद प्रतियोगिता के लिए अपना आवेदन भेज सकते हैं
> "युवा भारत के बोल भाषण प्रतियोगिता 2020" के विजेताओं को मेमेंटोस से सम्मानित किया जाएगा।
> सभी आवेदकों को "भागीदारी का प्रमाण पत्र" दिया जाएगा और विजेता को "उत्कृष्टता का प्रमाण पत्र" दिया जाएगा।
> प्रतियोगिता स्थल आपके अपने राज्य में होगा और अंतिम कार्यक्रम नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा
> भाषण भाषा :- हिंदी, अंग्रेजी और सभी क्षेत्रीय भाषा
> आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 29 फरवरी 2020 है
> अधिक जानकारी के लिए मेल करे - youngindiakebol@gmail.com
> यहां आवेदन करें :- http://bit.ly/SpeechonNRU

कार्यक्रम में प्रमुख रूप से प्रदेश महासचिव एकता ठाकुर, लोकसभा उपाध्यक्ष भानु यादव, लोकसभा महासचिव भरत कोष्टा,  ग्रामीण अध्यक्ष भूपेंद्र सिंग, जिला अध्यक्ष भानु चौहान, ग्रामीण अध्यक्ष पारस जैन, कार्तिक नामदेव, आशुतोष नॉगरिया, अंकुश चौधरी, तपेश यादव, आदेश चौबे, बुरहान अली आदि उपस्थित रहे ।
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आपकी सरकार जन दरबार मे सुनी समस्याएं

आपकी सरकार जन दरबार मे सुनी समस्याएं
सागर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ  कि मंशानुसार  सागर विधानसभा के प्रत्याशी रहे नेवी जैन  ने बाघराज वार्ड में आपकी सरकार "जन-दरबार" का आयोजन किया।  जिसमे वार्ड वासियों ने आवास की किस्तों मे अधिक व्याज कि माफ़ी , कालोनी कि साफ़-सफाई हेतु कर्मचारियों कि स्थाई तैनाती जैसी मांगो से नेवी जैन को अवगत कराया। जिसके निराकरण हेतू आश्वासन देते हुए नेवी जैन ने कहा कि पूर्व की भा.जा.पा सरकार ने आमजन को सिर्फ मुद्दों से भटकाते हुए निजी स्वार्थ कि राजनीति कि है जिस कारण आज आमजन परेशान हो रहे हैं, लेकिन अब प्रदेश में एक सुलझी हुयी जन हितेशी कमलनाथ सरकार है, जो जनता के दुःख दर्द को समझती है और जनता के लिए कार्य करने वाली सरकार है ! हम आपको अपनी सरकार के माध्यम से विश्वास दिलाते है कि आपकी समस्या मेरी समस्या है शीघ्र ही प्रशासन से बात कर हम समस्याओं के निराकरण कि ओर पहुचेंगे यह बात श्री नेवी जैन ने आपकी सरकार "जन-दरवार" के दौरान बाघराज वार्ड कि आवासीय कालोनी निवासियों से उनकी समस्याएँ सुनकर और जानकार कही।
इस अवसर पर रानू राजपूत, नानू पठान ,श्री प्रदीप पाण्डेय ,प्रदीप जैन ,मनोज पवार ,सुधीर जैन ,अनिल चौरसिया ,प्रभा रजक ,नीलेश रजक ,राजेन्द्र नामदेव ,विशाल सोनी ,ज्योति अहिरवार ,फरीदा बेगम एवं कालोनी के अनेक लोग मौजूद थे।
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भारत की परम्परा एवं ज्ञान का आत्मसात ही जीवन जीने का मार्ग : डाॅ. विनय सहस्त्रबुद्धे

भारत की परम्परा एवं ज्ञान का आत्मसात ही जीवन जीने का मार्ग : डाॅ. विनय  सहस्त्रबुद्धे
#भारतीय ज्ञानतंत्र का मूल मंत्र प्रकृति को पुनजीवित करना - डाॅ. राजेन्द्र सिंह

#तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन तथा पारम्परिक चिकित्सा पद्धति का शुभारम्भ

सागर। डाॅ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय, सागर  के  स्वदेशी ज्ञान अध्ययन केन्द्र एवं  मानव विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वाधान में तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन  स्वदेषी ज्ञान एवं प्रामाणिक प्रथायें विषय पर केंद्रित तथा पारम्परिक चिकित्सा पद्धति शिविर का शुभारम्भ  किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डाॅ. विनय प्रभाकर सहस्त्रबुद्धे, अध्यक्ष, भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद्,  राज्यसभा सदस्य तथा स राज बहादुर सिंह, सांसद एवं शैलेन्द्र जैन, विधायक, भारत के जल पुरूष डाॅ. राजेन्द्र सिंह, अध्यक्षता कुलपति प्रो. राघवेन्द्र पी. तिवारी, अधिष्ठाता प्रो. आर. पी. मिश्रा एवं अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के समन्वयक प्रो. काशी कैलाश नाथ शर्मा ने दीप प्रज्वलन, माँ सरस्वती व डाॅ. गौर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके किया। 
मुख्य अतिथि डाॅ. विनय प्रभाकर सहस्त्रबुद्धे ने स्वदेशी ज्ञान एवं प्रामाणिक प्रथायें पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह भारत की ऋषियों, मनीषियों के द्वारा किये गए लिपिबद्ध, वेद, उपनिषद एवं वैदिक संस्कृति की उपज है जिसे हम विस्मृत कर चुके थे, आज उन्हें पुनः पुनर्जीवित कर शोध के साथ स्थापित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हम सभी शिक्षा को बाहर से प्राप्त कर रहे हैं जिस कारण हम आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि मर्गेटर मेप 16 ई. से पूरे विश्व में उपयोग में लाया जा रहा है। विकासशील देश उसको बड़ा करके दिखाते हैं। वहीं दक्षिण तरफ के देश उनके वर्गमान की तुलना में छोटा करके देखते हैं। उन्होंने बताया कि अग्रोनोपीटर ने एक मैप बनाया, जिसके हर देश को उसके वर्गमान के दिखाया गया। हर देश की तुलना दूसरे देशों से की जाये, तो समान ही निकलेंगे। इससे मर्गेटर मेप की तुलना स्वतः समाप्त हो जाती है। पीटर के मैप को यूनोस्को, यूनीसेफ एवं अन्य संस्थाओं ने आजमाया और धीरे-धीरे प्रचलित हुई जिससे यह साबित हो जाता है कि जो पहले प्रचलित हो चुकी थी, उसे आज के हिसाब से सुधारा जा सकता है और इससे हरेक देश की पारम्परिक ज्ञान शामिल हैं। उन्होंने बताया कि तेहरान के एक सम्मेलन में वहाँ के राष्ट्राध्यक्ष ने बताया कि उपनिषद् हमारे यहाँ बढ़ाया जाता है और व्याख्यान कराये जाते हैं। क्या यह भारत में हो रहा है। उन्होंने कहा कि अपने ज्ञान और परम्पराओं को आत्मविश्वास के साथ अनुभव से सहेजना पड़ेगा। भारत में ऐसे बहुत से मनीषी हुए हैं जिन्होंने भारत की परम्पराओं, ज्ञान को आत्मसात कर जीवन को जीने के लिए मार्ग दिखाया है जिनमें महात्मा बुद्ध प्रमुख हैं। व्यक्ति को स्वयं आत्म दीपो भवः बनना पड़ेगा। 
वैज्ञानिक पक्ष मजबूत करना होगा:सांसद राजबहादुर
सांसद राज बहादुर सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय के स्वदेशी ज्ञान अध्ययन केन्द्र द्वारा जो भी प्रकल्प शुरू किये गये हैं इससे वैज्ञानिक पक्ष उजागर होगा तथा लोग लाभान्वित होंगे। उन्होंने कहा कि नाड़ी वैद्य हमारे उपचार की प्राचीन विधा है। वहीं दूसरी ओर कृषि, कला, जल, भूमि संरक्षण, जैव विविधता, वन प्रबन्धन यह हमारी स्वदेशी ज्ञान अध्ययन वैज्ञानिक पक्ष को जोड़कर विश्व में स्थापित कर सकेगा।
आयोजन की सोच सराहनीय विधायक जैन
 विधायक शैलेन्द्र जैन ने कहा कि स्वदेशी ज्ञान एवं प्रचलित परम्पराएँ, चिकित्सा पद्धतियाँ वैज्ञानिक कसौटियों पर खरी उतरती हैं। विश्वविद्यालय द्वारा इस पर शोध के क्षेत्र में कदम रखा है, जो कि सराहनीय है। 
विलुप्त होती औषधियों का संरक्षण होगा:कुलपति प्रो तिवारी
अध्यक्षता कर रहे कुलपति राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी ने कहा कि हमारे पूर्वज द्वारा अपने अनुभवों पर प्रयोग करके जीवन को जीने के लिए आवश्यक औषधियों को उजागर किया था। वह विलुप्त होती जा रही थीं, उनके अनुभवजनित ज्ञान को वैज्ञानिक प्रामाणिकता देकर संरक्षित कर जनमानस के सामने उजागर करने के लिए स्वदेशी ज्ञान अध्ययन केन्द्र की स्थापना विश्वविद्यालय में की गई है जिसमें एक पहलु स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ चिकित्सा पद्धतियों का शिविर मनमानस के साथ लगाया गया है। इसमें विदेश के विद्वान आये हुए हैं, जो कि परम्परागत चिकित्सा पद्धतियों को भी प्रदर्शित करेंगे। 
55 चिकित्सको का लगेगा शिविर
सम्मेलन के समन्वय प्रो. काशी कैलाश नाथ शर्मा ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि देश-विदेश के लगभग 55 पारम्परिक चिकित्सकों का गौर समाधि प्रांगण में तीन दिवसीय शिविर चलेगा जिसमें वैज्ञानिक शोध पत्रों के लिए 45 विद्धान सम्मिलित हो रहे हैं। जिनमें विदेश के पारम्परिक चिकित्सक श्रीलंका के अशोक करूणारथना एवं ववेला अप्पूहामलेज, युगांडा के डाॅ. यहाया सेकेज्ञा तथा दक्षिण अफ्रीका के हसन ओ. काया शामिल हुए हैं।
जलवायु परिवर्तन से पीड़ित:जलपुरुष राजेन्द्र सिंह
 द्वितीय सत्र में जल पुरूष डाॅ. राजेन्द्र सिंह ने कहा कि भारत में आजादी से पहले धरती पर पर्याप्त पानी और जंगल था। आजादी के 72 वर्ष बाद 10 गुना जल एवं 08 जंगल की गिरावट आयी है। जिसके कारण आज हम सभी जलवायु परिवर्तन से पीड़ित हैं। बीमार हैं तथा वैश्विक स्तर पर इसके उन्मूलन के लिए संघर्षरत हैं। इसका उन्मूलन तरूण भारत संघ ने अनुभव के आधार पर समाधान दिया है। उन्होंने बताया कि भारत के लोग भगवान शब्द का प्रयोग भ से भूमि, ग से गगन, व से वायु, अ से अग्नि तथा न से नीर के रूप प्रतिपादित करते हैं। नीर के बिना यह प्रकृति टिक नहीं सकती। नीर ही उन चार तत्वों को जोड़ने का कार्य करता है। यही कारण है कि भारत के लोग नीर, नारी और नदी का सम्मान करते हैं। क्योंकि नीर प्रकृति को चलाता है। नदी से जीवन में प्रवाह आता है एवं नारी दूसरे के जीवन का सृजन करती है। परन्तु आज जल का व्यापार 50 हजार करोड़ पर पहुँचा है। भारत की ज्ञान परम्पराएँ प्रभावी हैं। हमारे ज्ञान के लिए विज्ञान जीवन के अनुभवों से आत्मा में व्यवहार में धड़के और तब ज्ञान निकले। ज्ञान के अर्जित करके स्वतः अनुभूति को बोलने लगता है। हम जब कार्य करते हैं तो मस्तिष्क तथा आत्मा को जोड़कर ज्ञान बनता है। ज्ञान साधना चाहता है। यह कक्षा में पढ़ने से सम्भव नहीं है। ज्ञान सृजन करती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि 365 जिला जल से 72 प्रतिशत अभाव से जूझ रहे है। यह नीति आयोग का डाटा है। भारत के लोगों के लिए 28 प्रतिशत पानी बचा है। धरती के दरारों को देखें तो महसूस होता है कि रिजर्व पानी का उपयोग करने लगे हैं। नदियाँ सूख रही हैं। कुछ नदियाँ नालों में परिवर्तित हो गई जिनमें गंगा, यमुना, कावेरी शामिल हैं। उन्होंने जल को रिचार्ज करने की विधि स्पष्ट करते हुए बताया कि सनातन का कार्य नित्य नूतन निर्माण करना है। जो कि अनादि काल तक बना रहता है। सनातन पुनर्जीवन सभी के लिए धरती एवं प्राणियों के लिए था। भारतीय ज्ञानतंत्र का मूल मंत्र प्रकृति को पुनजीवित करना है। भारत को पुनः विश्व गुरू बनाना है तो विकास के रास्ते से नहीं, बल्कि सनातन एवं पुनर्जीवन से बनाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि हमारे बुजुर्ग पेड़ों को देखकर बता देते थे कि धरती में पानी का स्तर क्या है। उनमें जल उपयोग की दक्षता थी। उन्होंने बताया कि राजस्थान में हमने सूखे क्षेत्र को हरित धरती में बदला है। 
द्वितीय सत्र में गौर समाधि प्रांगण में पारम्परिक चिकित्सा शिविर का शुभारम्भ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राघवेन्द्र पी. तिवारी, अधिष्ठाता प्रो. आर. पी. मिश्रा एवं प्रभारी प्रो. काशी कैलाश नाथ शर्मा ने वैद्यों के साथ रिबन काटकर किया। इस अवसर पर अतिथियों ने पीड़ितों की परम्परागत चिकित्सा का निरीक्षण करते हुए आमंत्रित वैद्य लोमश कुमार वच्छ, कोरबा, छत्तीसगढ़ ने नाड़ी के माध्यम से वात रोग, एलर्जी, पथरी, धातु दोष, प्रमेह, मधुमेह जैसे प्रमुख रोगों की चिकित्सा करते देखे गये। उन्होंने उपचार के रूप में सुधा हरिद्रा, श्यामा तुलसी चूर्ण, गिलोय, विदारी कन्द, फेट कन्द, माल कायनी, बिहारी कन्द, कुउ कन्द, कंठ करंज, नागर मौथा, भुईचम्पा, अनन्तमूल, सफेद मूसली, काली मूसली के बने हुए चूर्णों को भी उपचार में दी। वहीं छत्तीसगढ़ के वैद्य तिलकराम केवरते ने रोगों में दमा, मधुमेह, उच्च रक्त चाप, मिर्गी, पथरी, पीलिया, बबासीर, उदर विकार, कैंसर की बीमारियों के लिए भी आयुर्वेदिक दवाओं से उपचार किया। इस प्रकार आँखों, कमर, जोड़ों का दर्द एवं असाध्य बीमारियों के भी उपचार किये। 
इनका हुआ सम्मान
इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए विश्वविद्यालय की ओर से शाल, श्रीफल एवं स्पमण चिन्ह देकर सम्मानित किया गया जिनमें डाॅ. राजेन्द्र सिंह, प्रो. सुरेश व्यास, प्रो. के. सी. मल्होत्रा, प्रो. संजय जैन, डाॅ. रवीन्द्र शर्मा, प्रो. गौतम क्षत्रिय, प्रो. ए. पी. दास, प्रो. ए. के. दास, डाॅ. एस. एच. एन. रिजी को सम्मानित किया गया। उद्घाटन सत्र में शोधपत्रों की लघु संक्षेपिका का विमोचन किया गया।
संचालन डाॅ. सर्वेन्द्र यादव और डाॅ. सोनिया कौशल ने किया। आभार प्रो. उमेश कुमार पाटिल ने व्यक्त किया। 
ये रहे उपस्थित
इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से प्रा.े आर. पी. त्रिवेदी, प्रो. श्रीकमल शर्मा, प्रो. अरूण पलनेटकर, प्रो. उदय कुमार जैन, पूर्व कुलपति, डाॅ. अजय तिवारी, कुलाधिपति, एस.व्ही. एन. विश्वविद्यालय, प्रो. पी. पी. सिंह, प्रो डी. के. नेमा, प्रो. एम. एल. खान, प्रो. नागेश दुबे, प्रो. ए. एन. शर्मा, प्रो. एच. थाॅमस, प्रो. अर्चना पाण्डेय, डाॅ. निवेदिता शर्मा, डाॅ. कल्पना शर्मा, प्रो. पी. के. खरे, प्रो. पी. के. राय, प्रो. जी. एल. पुनताम्बेकर, योगाचार्य विष्णु आर्य, सुनील देव, बीनू राना एडव्होकेट, नारायण प्रसाद कबीरपंथी, डाॅ. सुखदेव मिश्रा, सुधीर यादव, कुलसचिव कर्नल राकेश मोहन जोशी, संयुक्त कुलसचिव संतोष सहगौरा, प्रो. सी.एच.एस. ठाकुर, प्रो. दिवाकर शर्मा, डाॅ. निवास मिश्र, प्रो. अरूण शांिडल्य, प्रो. राजेश गौतम, डाॅ. अरिबम बिजयासुन्दरी देवी, डाॅ. बी. अनुरागी, डाॅ. सी. सतीश कुमार, डाॅ. हेमन्त पाटीदार, डाॅ. प्रभाकर चतुर्वेदी सहित अनेक शोधार्थी एवं प्रतिभागी उपस्थित थे। 
टीएलसी भवन का लोकार्पण
सांसद डॉ विनय सहस्त्रबुद्धे ने विवि परिसर में नवनिर्मित टीएलसी भवन का लोकार्पण किया। यह 294 लाख रुपये की लागत से बनाया गया है।

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किशोर न्याय अधिनियम के संबंध में कार्यशाला का आयोजन

किशोर न्याय अधिनियम के संबंध में 
कार्यशाला का आयोजन
सागर। पुलिस कंट्रोल रूम में किशोर न्याय अधिनियम के संबंध में एक दिवसीय
कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें किशोर न्याय अधिनियम के प्रमख प्रावधानों की
जानकरी जिलेभर के वाल कल्याण पलिस अधिकारियों को दी गयी। कार्यशाला में पलिस
अधीक्षक  अमित सांघी, एएसपी  प्रबीण कमार एवं विक्रम सिंह उपस्थित रहें।
पुलिस अधीक्षक  द्वारा बालको से संबंधित अपराधों की विवेचना में रखने वाली
सावधानियों के विषय में बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों को निर्देशित किया। कार्यशाला में
सहा. जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन द्वारा बालकों के साथ होने वाले अपराध के
बारे में जानकारी दी गयी एवं सहा. जिला लोक अभियोजन अधिकारी  अमित जैन द्वारा
किशोर न्याय अधिनियम के प्रमुख प्रावधानों तथा बालकों द्वारा अपराध किये जाने की दशा में
अपनाई जाने वाली प्रकिया एवं देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बालक तथा विधि
का उलंघन करने वाले बालक के विषय में बताया गया। कार्यशाला में चाइल्ड हेल्प लाईन केसदस्यों द्वारा चाइल्ड हेल्प लाईन के बारे में जानकारी दी गयी एवं बताया गया कि यदि
किसी बालक को देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता हों तो उन्हें टोल फ्री नम्बर 1098 परसूचित किया जा सकता है। कार्यशाला में सागर जिले में कार्यरत एन.जी.ओ. के प्रतिनिधी
द्वारा बालिकाओं एवं महिलाओं के लिए हेल्प लाईन नम्बर 180030002852 के संबंध में बतायागया।

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