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नगर निगम के पार्षद से लेकर संसद तक पहुंचे तीन नेता, वही नपा अध्यक्ष से शुरुआत की फिर सांसद बने #नगरनिगम_चुनाव_सागर

नगर निगम के पार्षद से लेकर संसद तक पहुंचे तीन नेता, वही नपा अध्यक्ष से शुरुआत की फिर सांसद बने 

#नगरनिगम_चुनाव_सागर


@राहुल सिलाकारी

सागर । राजनैतिक क्षेत्र में आए लोगों के लिए विधायक और सांसद जैसे पद अहम मुकाम रखते है. राजनीति की पाठशाला का ककहरा स्थानीय चुनाव माने जाते है, चाहे वह निकाय के हों या पंचायत. प्रदेश में जल्द ही निकाय चुनाव होने की संभावना हैं. ऐसे में यह दिलचस्प है कि नगर निगम सागर के तीन पार्षद निगम से लेकर  संसद तक का सफर तय कर चुके है. इनमें से दो तो ऐसे है जो एक ही कार्यकाल में पार्षद रहे और फिर चुनाव में भी आमने सामने.नगर निगम सागर अपने इस इतिहास पर गर्व कर सकती है। उसने चार सांसद दिए। 

राजनैतिक क्षेत्र में उतरे लोगों के लिए विधायक या संसद पद पाने की ख्वाहिश होती है. स्थानीय चुनाव राजनीति की पहली सीढ़ी कहे जाते है. बुंदेलखंड अंचल के सागर में यह दिलचस्प है कि नगर निगम में रहे तीन पार्षद बाद में संसद तक पहुंचे.
 उल्लेखनीय है कि वर्तमान सांसद राजबहादुर सिंह पार्षद/ निगमाध्यक्ष रहते हुए ही डेढ़ वर्ष पूर्व सांसद का चुनाव जीते थे।  लेकिन पार्षद रहते हुए सांसद चुने जाने की शुरूआत करीब 3 दशक पूर्व ही हो चुकी थी. 1984 में सागर सांसद के रूप में निर्वाचित हुए कांग्रेस प्रत्याशी नंदलाल चौधरी चुनाव के एक वर्ष पूर्व ही हुए निकाय चुनाव में भगवानगंज वार्ड से पार्षद निर्वाचित हुए थे. पार्षद का यह उनका दूसरा कार्यकाल था, पहली बार वह 1957 में हुए निकाय चुनाव में पार्षद बनकर ही राजनीति में सक्रिय हुए थे, जिसके बाद वह खुरई सुरक्षित विस सीट से विधायक भी रहे.

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ऐसे ही 1983 के निकाय चुनाव में चकराघाट वार्ड से पार्षद चुने गए और बाद में उपमहापौर बने शंकरलाल खटीक 1989 में सांसद निर्वाचित हुए. जिन्होने अपने ही पार्षद साथी और सांसद नंदलाल चौधरी को चुनाव हराया था. तो 2019 के चुनाव में भी एक बार फिर इतिहास दोहराया गया और वृंदावनबाग वार्ड से पार्षद और निगमाध्यक्ष राजबहादुर सिंह को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया जो वर्तमान सांसद है.  

नपाध्यक्ष रहे डालचंद जैन भी बने सांसद

स्थानीय निकायों में राजनीति करने वाले पार्षद ही नहीं बल्कि निगम बनने के पूर्व नपा में अध्यक्ष रहे नेता भी सांसद चुने जा चुके है. 1962 में नपाध्यक्ष के लिए हुए सीधे चुनावों में स्व. डालचंद जैन अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे, जो बाद में 1984 में दमोह लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए थे.

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स्वाथ्यकर्मी भीष्म दुबे की पत्नी ने सम्मानपत्र वापिस किये, शासन से लगाई मदद की गुहार

स्वाथ्यकर्मी भीष्म दुबे की पत्नी ने सम्मानपत्र वापिस किये, शासन से लगाई मदद की गुहार

सागर। पिछले दिनों जिला अस्पताल में पदस्थ डाटा एंट्री आपरेटर भीष्म दुबे की ड्यूटी के दौरान ही अचानक मौत हो गई थी।किन्तु शासन ने उनको ना तो कोरोना योद्धा माना ना ही कोई शासकीय मदद परिवार को मिली जबकि वो कोरोना मरीजो का ही डाटा अपडेट सुबह से देर रात तक अपनी ड्यूटी में करते थे।प्रशासन के इस तरह के उदासीन रवैये से व्यथित होकर स्व.भीष्म की पत्नी अर्चना दुबे ने कल मंगलवार को युवा ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष पं.भरत तिवारी,शिवसेना नेता पप्पू तिवारी ,परशुराम सेना के अध्यक्ष योगेश दीक्षित के साथ कलेक्ट्रेड पहुंचकर पति के सेवा काल मे प्रशासन से प्राप्त हुए सम्मानपत्र,प्रसंसा पत्र बापिस करते हुए मांग की है कि मेरे पति को कोरोना योद्धा मानते हुये तत्काल सरकार द्वारा निर्धारित आर्थिक मदद की जाए।यहाँ गौरवतल है कि भीष्म दुबे को उनकी शासकीय सेवा में रहते हुये  26मई 2020को तत्कालीन कलेक्टर श्रीमति प्रीति मैथिल नायक ने प्रसंसा पत्र और वर्तमान कलेक्टर दीपक सिंह ने 15अगस्त  स्वतंत्रता दिवस समारोह में सम्मानपत्र दिए थे । जो उनकी पत्नी ने कल प्रशासन को बापिस कर दिए है।27अगस्त को उनकी ड्यूटी के दौरान ही अचानक मौत हो गई थी।



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MP: पुलिस विभाग में 18 रक्षित निरीक्षकों / सूबेदारों के तबादले

MP: पुलिस विभाग में 18  रक्षित निरीक्षकों / सूबेदारों के तबादले

भोपाल। पुलिस मुख्यालय भोपाल ने 18  रक्षित निरीक्षकों / सूबेदारों के तबादले आदेश जारी किए है। 
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गांधी को मानने वाले सन्तोष गांधी ने कलेक्ट्रेट परिसर में पेड़ पर चढ़कर आत्महत्या का किया प्रयास ★ पुलिस प्रताड़ना से थे आहत , पुलिस की समझाईश के बाद माने गांधी

गांधी को मानने वाले सन्तोष गांधी ने कलेक्ट्रेट परिसर में पेड़ पर चढ़कर आत्महत्या का किया प्रयास
★ पुलिस प्रताड़ना से थे आहत , पुलिस की समझाईश के बाद माने गांधी

★ देशद्रोही आंतकवादी जैसे शब्दों से प्रताड़ित होकर किया था आत्महत्या का प्रयास


सागर।( तीनबत्ती न्यूज़. कॉम )।सम्भागीय मुख्यालय सागर पर कलेक्ट्रेट परिसर में उस समय अफरातफरी मच गईं जब अपने आपको गाँधी की विचारधारा के मानने वाले और अक्सर  महात्मा गांधी की वेश भूसा में रहनेवाले सन्तोष गांधी परिसर में लगे एक पेड़ पर चढ़ गए और आत्महत्या की कोशिश की। पुलिस और वहां मौजूद कर्मचारियों की समझाईश के बाद सन्तोष मांन गए और नीचे आ गए। इसके बाद पुलिस ले गई। जब पेड़ पर चढ़े तो रो रो कर अपनी बात कहते नजर आए। मोके पर asp विक्रम सिंह और गोपाल गंज थाना प्रभारी उपमा सिंह सहित अन्य स्टाफ पहुच गया। 

सागर जिले के  गौर झामर थाना क्षेत्र के जमुनिया गांव के रहने वाले  सन्तोश लोधी उर्फ गांधी अपने भाई के मामले में पुलिस प्रताड़ना का शिकार बने। इसकी शिकायत भी उन्होंने प्रशासन से  की है।सन्तोष गांधी गौरझामर क्षेत्र की समस्याओं को लेकर अक्सर गांधीवादी तरीके से उठाते रहते है। कई दफा सम्मानित भी हुए है। स्थानीय मंचो पर गांधी की भूमिका में मौजूद रहते थे। देशभर में इसी तरह घूमते ब्यहि रहते है। 

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क्या है  मामला

सन्तोष गांधी के बड़े भाई जाहर सिंह को गौरझामर पुलिस जुए के मामले में पकड़ ले गई थी। उसमें छुड़ाने सन्तोष गांधी पहुचा था। सन्तोष के अनुसार  जब वह अपने भाई के मामले में गौरझामर  थाने में  गया तो उसे आतंकवादी कहा और अपमानित किया है। पहले भी पुलिस उसे प्रताड़ित करती रही है। इससे परेशान  होकर आत्महत्या  करने की कोशिश की।उसने  थाना प्रभारी संगीता सिंह और पुलिस कर्मी अभिषेक चौहान पर कार्यवाही सम्बन्धी आवेदन भी दिया है। 

उधर asp विक्रम सिंह का कहना है कि सन्तोष गांधी ने जो भी शिकायत है। उसकी जांच कराऊंगा और दोषियों पर कार्यवाही होगी। आज गौरझामर पुलिस के कारण आक्रोश में आकर पेड़ पर चढ़ गए थे। 


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बनारस-इंदौर  बस टकराई खड़े ट्राला से, तीन की मौत 22 घायल, बस के हिस्से को काटकर निकाला घायलों को -


वही गौरझामर टीआई संगीता सिंह ने सन्तोष गांधी के लगाए आरोपो को निराधार बताया। टीआई  संगीता सिंह के मुताबिक जुआ में कुछ लोगो को पकड़ा था। संदेही के तौर पर सन्तोष के भाई  जाहर सिंह को लाया गया था। जाहर सिंह पर आपराधिक किस्म का है। कुछ मामले भी दर्ज है । जब भी कोई कार्यवाही की बात आती है तो सन्तोष बचाने आ जाता है। थाने में सन्तोष से बाहर बैठने को कहा गया था । किसी तरह की अभद्रता नही की गई है। 


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पूर्व मंत्री बृजेन्द्र सिंह राठौर को नेता प्रतिपक्ष बनाये जाने की मांग, बुन्देलखण्ड अंचल के विधायकों और नेताओं ने भेजे पत्र

पूर्व मंत्री बृजेन्द्र सिंह राठौर को नेता प्रतिपक्ष बनाये जाने की मांग, बुन्देलखण्ड अंचल के विधायकों और नेताओं ने भेजे पत्र


सागर। एमपी विधानसभा में  नेता प्रतिपक्ष पद को लेकर बुन्देलखण्ड अंचल से  वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री  बृजेन्द्र सिंह राठौर को बनाये जाने की मांग उठने लगी है। इस अंचल के विधायको और पदाधिकारियों ने बाकायदा पार्टी हाईकमान के  पत्र भेजे है। विधानसभा का शीतकालीन सत्र 28 दिसंबर को होने जा रहा है। इसके चलते  नेता प्रतिपक्ष की कवायद भी तेज हो गई है। इस पर अभी तक तक कांग्रेस में सहमित नहीं बन पाई है।

दरअसल बुन्देलखण्ड अंचल से भाजपा से  केंद्रीय मन्त्रि  के अलावा वर्तमान में खजुराहो वीडी शर्मा  प्रदेश अध्यक्ष है। वही गोपाल भार्गव नेता प्रतिपक्ष रह चुके है।  इस अंचल के कांग्रेसियों को लगता है कि पार्टी से नेता प्रतिपक्ष जैसा पद मिलना चाहिए।ताकि पार्टी की मजबूती बनी रहे। 

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बुंदेलखंड अंचल से  छत्तरपुर जिले  की महराजपुर विधानसभा से विधायक नीरज दीक्षित ,सागर जिले के बण्डा के विधायक तरवर सिंह लोधी, निवाड़ी  दमोह, टीकमगढ आदि क्षेत्रों के कई  कांग्रेस पदाधिकारीयो और  स्थानीय जन प्रतिनिधियो ने एकजुट होकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर मांग की है कि इस बार नेता प्रतिपक्ष, बुंदेलखण्ड से बनाया
जाए। अधिकांश नेताओं ने पूर्व मंत्री बृजेन्द्र सिंह राठौर को इस पद के लिए सही ठहराया है। 

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एक चौथाई बचे डॉ गौर विवि में स्थाई कर्मचारी ,एक दशक से नहीं हुई नई नियुक्तियां ★गत वर्ष होने वाली नियुक्तियां अंतिम समय में हुई निरस्त,दैवेभो कर्मियों के भरोसे चल रहा कार्य

एक चौथाई बचे  डॉ गौर विवि में स्थाई कर्मचारी ,एक दशक से नहीं हुई नई नियुक्तियां
★गत वर्ष होने वाली नियुक्तियां अंतिम समय में हुई निरस्त,दैवेभो कर्मियों के भरोसे चल रहा कार्य


सागर । डॉ हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय वर्तमान में कुलपति, रजिस्ट्रार से लेकर अन्य प्रमुख पदों पर प्रभारी के भरोसे चल रहा है तो विवि में कर्मचारियों की स्थिति और भी खराब हो चुकी है. पूर्व की अपेक्षा में अब विवि में एक चौथाई नियमित कर्मचारी ही बचे है. उनमें भी आने वाले वर्ष में करीब 20 प्रतिशत सेवानिवृत हो जायेगें. पूर्व में विवि प्रशासन द्वारा भर्ती के लिए शुरू की गई प्रोसेस कोर्ट व अन्य कारणों के चलते पूरी नहीं हो सकी.

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   डॉ हरीसिंह गौर विवि में एक समय जबकि मुख्य कार्यालय सहित विभिन्न विभागों में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की संख्या करीब 1300 के लगभग होती थी. आज की स्थिति में केंद्रीय विवि बनने के बाद विवि में कुल 490 स्थाई कर्मचारी शेष रह गए है.  मालूम हो कि पिछले दो दशक से विवि में कर्मचारियों की नियुक्तियां तो हुई ही नहीं यहाँ कार्यरत दैवेभो कर्मी भी नियमित नहीं हो सके है.
   हालत यह है कि जहाँ पहले विवि में एक हजार से अधिक नियमित कर्मी हुआ करते थे अब उसके एक चौथाई ही बचे है. लंबे समय से विवि में कर्मचारी नियुक्ति को लेकर मांग उठती रही है. जिसमें दैवेभोकर्मियों को भी नियमित करने की मांग शामिल रही. गत वर्ष तत्कालीन कुलपति प्रो. आरपी तिवारी द्वारा कर्मचारियों की नियुक्ति को लेकर कार्रवाई शुरू की गई. इसकी परीक्षा भी हो गई लेकिन ईसी में रिजल्ट खुलने के पूर्व ही यह विवादों में घिर गई. तो साथ ही इसे लेकर कुछ लोग हाईकोर्ट में भी चले गए, जिसके बाद यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी.
    बहरहाल बीते करीब एक दशक से विवि में नियमित कर्मचारियों की संख्या लगातार घटती जा रही है. हालत यह है कि इस वर्ष जहाँ करीब दो दर्जन से अधिक नियमित कर्मी रिटायर हो चुके है. तो 2021 में 36 कर्मी सेवानिवृत्त हो जायेगें. जानकारी के अनुसार वर्तमान में विवि में 243 कर्मचारी न्यूनतम वेतनमान यानि संविदा पर कार्यरत है जिनमें से कुछ तो 20 से अधिक वर्षों से दैवेभो के रूप में ही अपनी सेवाएं दे रहे है. बताया जाता है कि विवि को केंद्रीय दर्जा दिए जाने के बाद चतुर्थ श्रेणी वर्ग का पद समाप्त कर दिया गया है.
 इस मामले में विवि कर्मचारी संघ अध्यक्ष संदीप बाल्मिकी का कहना है कि प्रबंधन द्वारा कर्मचारी नियुक्ति के मामले में ठोस कार्रवाई न करने के कारण कई ऐसे कर्मचारी है जिन पर वर्कलोड काफी ज्यादा है, तो जो दैवेभो दो दशक से अधिक से अपनी सेवाएं दे रहे है, उन्हें नियमित किया जाना चाहिए. मामले में विवि रजिस्ट्रार से बात करने के लिए कॉल किया तो मोबाईल रिसीव नहीं हुआ.

यहां बता दे कि  विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती स्थापना वर्ष पर आयोजित कार्यक्रम में तत्कालीन व्हीसी शिवकुमार श्रीवास्तव ने दैवेभोकर्मियों को नियमित किए जाने की सौगात तो दी लेकिन बाद में यह मामला कोर्ट में जाने के बाद संबंधित कर्मी नियमित नहीं हो सके, जिनमें से अधिकांश अब दैवेभो के रूप में ही सेवानिवृत्त हो चुके है.

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