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10वां राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव। 14 से 21 अक्टूबर तक मध्यप्रदेश में सागर में 16 और 17 अक्टूबर को

10वां राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव। 14 से 21 अक्टूबर तक मध्यप्रदेश में सागर में 16 और 17 अक्टूबर को
जबलपुर। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयोजित"राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव' अर्थात भारत की विविध सांस्कृतिक विरासत के उत्सव का 10वां चरण मध्य प्रदेश की धरती पर आयोजित हो रहा है। महोत्सव एमपी में 14 से 21 अक्टूबर तक होगा। यह14 से 15अक्टूबर कोसंस्कारधानी जबलपुर के महाकौशल शहीद स्मारक, गोल बाजार, जबलपुर, सागर में  16 से 17अक्टूबर को पीटीसी मैदान, पीली कोठी रोड, सिविल लाइन्स, सागर और 20 से 21
अक्टूबर को शासकीय ठाकुर रणमंत सिंह कॉलेज ग्राउंड, सिविल लाइन्स, रीवा में होगा।
  
         केंद्रीय राज्य मंत्री प्रह्लाद पटेल ने बताया कि अभी तक महानगरों में ये आयोजन होते थे । अब दूसरे क्रम के शहरों में इसके आयोजन होंगे। राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव में प्रख्यात कलाकार जैसे सुरेश वाडकर, विश्व मोहन भट्ट,रोन मजमदार. प्रीती पटेल मालिनी अवस्थी और अनराधा पौडवाल आदि अपनी कला
प्रस्तुत करेंगे तथा "माटी के लाल' अंतर्गत प्रतिभावान स्थानीय कलाकारों को भी अपनी
कला पेश करने का सुअवसर मिलेगा।

संस्कृति मंत्रालय के प्रमुख फेस्टीवल के रूप में राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव की शुरूआत2015 में की गई थी। नवंबर 2015 में राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव की शानदार सफलता के
बाद देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दिखाने के इरादे से इसे विविध आयाम जैसे
हस्तशिल्प, भोजन, चित्रकारी, मूर्तिकला, प्रदर्शन कला, लोक जनजातीय, शास्त्रीय व
समकालीन विधाओं को एक स्थान पर दिखाने का निर्णय लिया गया।
                 अभी तक संस्कतिमंत्रालय द्वारा 9 राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव आयोजित किये जा चुके हैं। जिसमें से 2 दिल्लीव 2 कर्नाटक और एक एक उत्तरप्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड व नार्थ ईस्ट मेंआयोजित हुये हैं। आगामी 14 से 21 अक्टूबर को होने वाले 10वें राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सवकार्यक्रम में मध्यप्रदेश के लोग साक्षी बनेगें।राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव में 21 राज्यों की कला संस्कृतियां सम्मिलित होगी। जिससेविशेषकर युवाओं में अपने देश की ऐतिहासिक संपन्न स्वदेशी संस्कृति की भव्यता से जुड़ावपैदा होगा और जनमानस को भारतीय संस्कृति की विविधता व समृद्व ऐतिहासिक विरासतके दर्शन होगें। साथ ही इस महोत्सव में कलाकारों को अपनी कला, कलाकौशल और
शिल्प को प्रदर्शित करने तथा कलाकृतियों और अन्य पारंपरिक वस्तुओं की बिक्री के माध्यम
से अपनी आजीविका अर्जित करने का भी अवसर प्रदान होगा।
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बस स्टैंड।युवाओं की मेहनत रंग लाई,बदली तस्वीर,स्वच्छ्ता के बाद सुंदरता दिखी

बस स्टैंड।युवाओं की मेहनत रंग लाई,बदली तस्वीर,स्वच्छ्ता के बाद सुंदरता दिखी

सागर । बस स्टैंड के हर कोने में गंदगी और असुविधाओं को देखते हुए, सागर के युवाओं ने पिछले रविवार को चालू किया गया स्वच्छ सागर अभियान, आज भी जारी रखा। पिछले हफ्ते बस स्टैंड के अंदर सफाई करने के बाद, आज युवाओं ने बस स्टैंड के मुख्य द्वार की सफाई कर, बुंदेली संस्कृति की कलाओं को बस स्टैंड की दीवारों पे विभिन्न चित्रों के माध्यम से एक खूबसूरत सागर की झलक दिखाने का प्रयास किया साथ ही एक सेल्फी पॉइंट भी तैयार किया है।

सभी युवाओं ने बताया कि सागर को स्वच्छ और सुंदर बनाने का हम सबका प्रयास जारी रहेगा एवं हम सभी इसी दृणनिश्चय के साथ सागर को स्वच्छ और सुंदर बनाकर मध्यप्रदेश और भारत के अग्रणी शहरों में लाकर रहेंगे। इसके अलावा इन युवाओं ने शहरवासियों से निवेदन किया है कि, सागर शहर के सभी लोग, अपने अपने इलाको में हफ्ते में एक बार रोज़ दो घण्टे शहर को दें तथा शहर को सुंदर बनाने में अपना योगदान दें।  इस अभियान में शुभम श्रीवास्तव, प्रशांत श्रीवास्तव, मनीष कश्यप, पंकज श्रीवास्तव, प्रदीप पांडे, कौस्तुभ पचौरी, प्रवीण साहू, शिवम श्रीवास्तव (मोना), सूर्यप्रकाश दुबे, प्रज्ज्वल भारद्वाज, प्रशांत साहू, अनुराग, अशोक आठ्या (पेंटर) एवं नितिन शुक्ला शामिल हुए

                          
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"बुंदेलखंड की आंचलिक पत्रकारिता में स्थानीय पत्रकारों का योगदान "पर हुआ शोध अध्ययन।


"बुंदेलखंड की आंचलिक पत्रकारिता में स्थानीय पत्रकारों का योगदान "पर हुआ शोध  अध्ययन
चित्रकूट ।  महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में पत्रकारिता और जनसंचार माध्यमों को लेकर हुए एक शोध में बुंदेलखंड की आँचलिक पत्रकारिता के यथार्थ  का अध्ययन  हुआ है। यह  कार्य  बुंदेलखंड की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की पत्रकारिता से जुड़े नरेंद्र कुमार अरजरिया ,टीकमगढ़,मध्यप्रदेश ने शोधप्रविधि के मापदंडों और गुणवत्ता के मानकों को अपनाते हुए किया है। 
          महात्मा ग़ांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो नरेश चंद्र गौतम ने  पत्रकारिता और जनसंचार छेत्र के लब्धप्रतिष्ठ विद्द्वानो के मूल्यांकन  ,उनके समक्ष आकर्षक प्रस्तुति और सफल मौखकी परीक्षा - परिणाम के बाद पत्रकार नरेंद्र कुमार अरजरिया को पी एच डी  परीक्षा उत्तीर्ण करने का प्रमाण पत्र प्रदान किया है। मध्यप्रदेश के महामहिम राज्यपाल और विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति लाल जी टंडन ग्रामोदय विश्वविद्यालय के आगमी  दीक्षात समारोह में डॉ नरेन्द्र कुमार अरजरिया को सार्वजनिक रूप से पी एच डी की उपाधि  प्रदान करेंगे।इस समारोह में डॉ अरजरिया की वात्सल्यमयी बुजुर्ग माँ उपस्थित रहकर उनके स्वर्गीय पिताश्री का   प्रतिनिधित्व भी करेगीं।ज्ञातव्य है कि डॉ नरेंद्र अरजरिया ने बुंदेलखंड की आँचलिक पत्रकारिता और कार्यरत पत्रकारों पर अनुसंधान कार्य अपने स्वर्गीय पिताश्री की भावना और उनके आदेश पर  प्रख्यात जनसंचार वैज्ञानिक एवं प्राध्यापक डॉ वीरेंद्र कुमार व्यास के सफल निर्देशन में  किया है। पत्रकारिता के अंतरराष्ट्रीय विद्द्वान डॉ अर्जुन तिवारी ने डॉ अरजरिया के शोध कार्य की सराहना करते हुए सुझाव दिया है कि इसका प्रकाशन  किया जाना चाहिए।डॉ अरजरिया ने बताया कि बुंदेलखंड की पत्रकारिता बड़ा कठिन और श्रमसाध्य कार्य है।आंचलिक पत्रकार शोषित और सामंती ताकतों से लगभग प्रत्येक दिन संघर्ष करता है।डॉ अरजरिया के अनुसार बुंदेलखंड की आंचलिक पत्रकारिता पर यह पहला शोध हैं।जिसमे मध्यप्रदेश के 06 जिले  और उत्तरप्रदेश के 7 जिले शामिल थे।
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पटवारियों की हड़ताल खत्म,राजस्व मंत्री से चर्चा के बाद

 पटवारियों की हड़ताल खत्म,राजस्व मंत्री  से चर्चा के बाद 

 भोपाल ।एमपी में पटवारियों की हड़ताल खत्म हो गई। राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत  ने कहा कि प्रदेश में इस बार अतिवृष्टि से किसान परेशान है यह समय पटवारियों के लिए आंदोलन का नहीं किसानों के खेत में जाकर फसलों के हुए नुकसान का आकलन करने का है। जहां तक आपकी बात है उसके लिए मैं आपकी मांगों के लिए मुख्यमंत्री जी को पत्र लिख रहा हूं मंत्री जी की इस बात को 
पटवारी संघ ने बात को समझा कि प्रदेश में अतिवृष्टि हुई है ऐसे में सरकार के साथ ही इस आपदा में पटवारी भी खड़े है ।
  पटवारियों ने मन्त्री की  बात मानकर हड़ताल खत्म कर दी और आज से ही वह किसानों  के फसलों का आकलन करने निकल पड़े।
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बुंदेली लोकगीत और भजन दशहरा पर, जूनियर जानी लीवर आएंगे

बुंदेली लोकगीत और भजन दशहरा पर, जूनियर जानी लीवर आएंगे
सागर | बुंदेली लोकगीत एवं भजनसंध्या का हर साल कटरा बाजारनमकमंडी में होने वाला आयोजन इसबार 8 अक्टूबर को रात 9 बजे से
शुरू होगा। आयोजक सुशील साहू ,शिव शंकर मिश्रा और रामेश्वरणामदेव ने बताया कि इस दफा विशेष आकर्षण मंसूरीजूनियर जॉनी लीवर होंगे। जो दर्शकोंको अपनी प्रस्तुति से हंसाएंगे। इसकेअलावा अन्य कलाकारों में रईस खानशशि कपूर, जयसिंह राजा, सुनीलसमैया, असलम खान, वेद पस्तोर,अखिल जैन, ऋषि विश्वकर्मा, शहीदखान, रामकिशन रजक, भगवानसिंह आठिया, मानसिंग पाल, अनीतादांगी, आशा ठाकुर, वीणा पंडित,आशी मुंबई, तनिशा मुदगल मुंबई,रेखा, कवि दीप्ति, नैना, गीता ठाकुर,ऐश्वर्या दुबे आदि कलाकार भी अपनीप्रस्तुति देंगे। हास्य कार्यक्रम के साथही लोकनृत्यों की भी प्रस्तुति होगी।
      समारोह के अतिथि मंत्री गोविंद सिंहराजपूत एवं हर्ष यादव, पूर्व गृह मंत्रीभूपेंद्र सिंह, सांसद राजबहादुर सिंह,विधायक शैलेंद्र जैन, महापौर अभयदरे, पूर्वसांसदलक्ष्मीनारायण यादव,एसवीएन के एमडी डॉ. अनिलतिवारी, महेश साहू, रामअवतार पांडे,अजय दुबे, हीरा सिंह, रेखा चौधरी,प्रभुदयाल पटेल आदि होंगे।
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नष्ट फसलों का मुआवजा नहो देना पड़े इसलिए जानबूझकर कराई पटवारियों की हड़ताल,सर्वे प्रभावित: नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव

 नष्ट फसलों का मुआवजा नहो देना पड़े इसलिए जानबूझकर कराई पटवारियों की हड़ताल,सर्वे प्रभावित: नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव   
सागर । एमपी में पटवारियों की हड़ताल ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है । नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने इसे अतिवर्षा से खराब हुई फसलों के सर्वे मुआवजे से जोड़ा है और आरोप लगाया कि मन्त्री से जानबूझकर हड़ताल कराई कि सर्वे का काम प्रभावित हो ।
         उन्होंने एक बयान में कहा कि प्रदेश के एक मंत्री ने लगता है जानबूझ कर ऐसा बयान दिया कि पटवारी हड़ताल पर चले गए। जिससे किसानों की नष्ट हुई फसलो का सर्वे कार्य प्रभावित हो रहा है ।किसान परेशान है अभी तक न राहत राशि ही मिली न ही कर्ज माफ हुआ है । उन जानबूझकर किया गया है ।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की नीतियों ओर वादा ख़िलाफियो से प्रदेश का किसान परेशान है खरीफ की फसल नस्ट हो जाने से उन्हें खाने के लाले पड़े है दर्जनों किसानों ने आत्महत्या कर ली है ।अभी हाल ही में बीना तहसील के करौंदा गांव में किसान ने आत्महत्या की है ।सरकार अब जल्द से जल्द पटवारियों की हड़ताल समाप्त करवायेओर अपने वादे पूरे करे।

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650 हितग्राहियों को विभिन्न योजनाओं में 25 करोड़ रूपये के ऋण वितरित

650 हितग्राहियों को विभिन्न योजनाओं में 25 करोड़ रूपये के ऋण वितरित
सागर। वित्तीय सेवायें विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा निर्देशित ग्राहक आउट रिच कार्यक्रम का आयोजन  सेन्ट आरसेटी सागर के परिसर में किया गया। जिसमें सागर जिले का अग्रणी बैंक, सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया के तत्वाधान में सागर जिले के 21 बैंको, गैर वित्तीय संस्थानों, नाबार्ड, जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र तथा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ने अपनी सहभागिता दी।
कार्यक्रम के पहले दिन सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ के फील्ड जनरल मैनेजर एवं राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी म.प्र. के अध्यक्ष  एस.डी. माहुरकर, सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया सागर क्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक  एस.के.सिन्हा, स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया के सहायक महाप्रबंधक  सतीश फुलवानी, यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया के सहायक महाप्रबंधक  आर.के. यादव एवं वरिष्ठ समाज सेवी एवं उद्यमी श्रीमति मीना ताई पिम्पलापुरे ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम का दीप प्रज्जवलित कर शुभारंभ किया। दूसरे दिन कार्यक्रम में डिप्टी कलेक्टर सुश्री अमृता गर्ग मौजूद रहीं।
इस कार्यक्रम में वित्तीय/बैंकिंग साक्षरता एवं सामाजिक सुरक्षा से जुडे योजनाओं के विभिन्न पहलुओं को आयोजन में आए हुए सम्माननीय ग्राहकों के साथ साझा किया गया एवं लगभग सारे वित्तीय संस्थाओं ने डिजिटल एवं केशलेस बैंकिंग पर विशेष महत्व दिया तथा ग्राहकों द्वारा उठाए गए शंकाओं, सवालों का तत्काल निराकरण किया गया।
इस कार्यक्रम में शामिल हुए वित्तीय संस्थाओं द्वारा कार्यक्रम के दौरान मौके पर ही तत्काल 650 हितग्राहियों को लगभग रूपये 25 करोड़ रूपये के ऋण विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत ऋण वितरण किया गया। इस कार्यक्रम में सेन्ट आरसेटी सागर ने विभिन्न ट्रेडों को दिये जाने वाले प्रशिक्षण के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देकर अपनी सहभागिता दी।  इसी कडी में डिजीटल बैंकिंग के तहत सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया सागर द्वारा टैब बैंकिंग के द्वारा तत्काल बचत खाता खोलकर एवं सेन्ट डीजी पे के द्वारा आधार कार्ड आधारित भुगतान का भी लाइव प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम का समापन सागर जिले के अग्रणी जिला प्रबंधक श्री धनन्जय शर्मा द्वारा आये हुए अतिथियों एवं सम्मानीय ग्राहकों का आभार व्यक्त कर किया गया।          
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कहानी दो हुबहू जुडवां हमशक्लों की

कहानी दो हुबहू जुडवां हमशक्लों की 

@ब्रजेश राजपूत
सुबह सवेरे में ग्राउंड रिपोर्ट 

वैसे मैं गया तो था भोपाल कलेक्टर तरूण पिथोडे से मिलने जो किसी बैठक के सिलसिले में पुलिस कंटोल रूम आये हुये थे। वो सामने सोफे पर बैठे थे और मुझे बता रहे थे कि पटना और पुणे में पानी गिरा तो हाहाकार मचा मगर भोपाल में औसत से सत्तर फीसदी ज्यादा बारिश होने के बाद भी हल्ला नहीं हुआ। उनसे बात खत्म कर मैंने पीछे मुंह घुमाया था ही कि हैरान रह गया। एक जैसी शक्ल सूरत और कपडे वाले दो लोग एक ही सोफे पर अगल बगल में बैठे थे। पहले तो एक पल को झटका सा लगा कि सब कुछ सही देख रहा हूं या आंखों का ये धोखा हो रहा है। मगर अगले ही पल अपने को संभाला और फिर दोनों को गौर से उपर से नीचे तक देखने लगा तो मेरी हैरानी देखकर वहीं बैठे एसएसपी इरशाद वली बोले अरे परेशान मत हो ये भोपाल की बडी चर्चित जुडवां जोडी हैं। पहली बार इनको देखकर सबको झटके लगते हैं। 
       अरे भैया झटके नहीं हमें देखकर कई दफा लोग सदमे में आ जाते हैं, एमपी नगर के अपने आफिस में अगल बगल में एक जैसे कपडे पहनकर बैठे गौरव शर्मा और सौरभ शर्मा ये हमें बता रहे थे। ये किस्सा सौरभ ने बताया कि एक बार वो किसी अफसर से मिलने सरकारी दफतर में पहुंचा उसी वक्त एक और व्यक्ति उसी अधिकारी से मिलने जा रहा था मैंने और उसने एक साथ रजिस्टर पर एंटी की, मैं सीढियों से दो मंजिल चढा मगर वो लिफट से उस अफसर के पास पहंुचा जहां पहले से ही गौरव मौजुद था कमरे में एंटी करते ही जैसे ही उस व्यक्ति ने गौरव को देखा तो सीना पकडकर धम्म से सोफे पर बैठ गया ओर जब तक सौरभ सीढियों से उस कमरे में आ नहीं गया उसकी सांस उपर नीचे होती रही। वो ये देखकर हैरान था कि जिस व्यक्ति को वो सीढियों पर छोडकर आ रहा है वो मुझसे पहले कैसे इस कमरे में मौजूद है। हंसते हंसते हुये गौरव सौरभ ने कहा कि वो बोल भर नहीं रहा था मगर उसके हाव भाव ऐसे ही थे जैस कोई जिंदा भूत देख लिया हो। ऐसे एक नहीं कई किस्से हैं। भिंड के बस स्टेंड मोहल्ले के अस्पताल वाले शर्मा जी के ये दोनों लडके गौरव शर्मा और सौरभ शर्मा बचपन से ही अपनी मिलती जुलती शक्ल सूरत और कपडों के कारण चर्चा में रहते आये हैं। सलमान खान की जुडवां फिल्म का ये असर रहा कि स्कूल में कितनी भी शरारत करो टीचर मारते नहीं थे क्योंकि उस फिल्म में बताया गया था कि एक जुडवां भाई को मारो तो दूसरे को भी चोट लगती है बस फिर क्या था खूब उधम करो। सारे शिक्षकों ने एक दूसरे को जुडवां फिल्म का किस्सा सुना दिया था ऐसे में अपना बचपन अच्छे से गुजरा, कक्षा के दूसरे दोस्तों की ठुकाई होती मगर अपन भिंड के स्कूल में पिटाई से बचते रहे।हां ये जरूर हुआ कि कभी सडक पर गौरव के हिस्से की पिटाई सौरभ को खानी पडी। गौरव के दोस्त का झगडा हुआ तो झगडा कर गौरव भाग गया रह गया मैं तो मुझे गौरव समझकर पीट दिया सौरभ ने हंसकर बताया। आमतौर पर जुडवां बच्चों को बचपन में ही एक जैसे कपडे पहनाये जाते हैं मगर बचपन की ये आदत गौरव सौरभ में बडे तक कायम हैं। दोनों एक जैसे ही हुबहू कपडे पहनकर निकलते हैं। शर्ट , पेंट, जूते, घडी, पेन और हाथों में पहनने वाली अंगूठियो के नग तक दोनों के एक जैसे हैं। चेहरा मोहरा और कद काठी तो भगवान ने दोनों को समान दी हुयी है साथ ही बालों में आ रही सफेदी भी तकरीबन एक जैसी है। इसका असर ये होता है कि इनको देखने वाला तुरंत धोखा खाकर सदमे में आने को उतावला हो जाता है। फर्क बस यही है कि एक भाई इंजीनियर तो एक डाक्टर है मगर कंपनी दोनों मिलकर आईटी साल्यूशन की चला रहे हैं। और एक साथ एक कंपनी में काम करना ही लोगों की उलझन का कारण बनता है। दफतर में काम करने वाले लोग तो चकित हो ही जाते हैं पहली या दूसरी बार में बडे अफसर भी नहीं मानते कि कोई दूसरा जुडवां भी होगा जब तक मिला ना दिया जाये और इस बीच में एक दो एपिसोड ऐसे हो जाते हैं कि सदमे की नौबत आ जाती हैं। 
एक जैसे दिखना और एक जैसे कपडे पहनना ही हमारी पहचान है ये कहते हैं इंजीनियर गौरव तो डाक्टर सौरभ कहते हैं कि यही हमारी टीआरपी है, यही हमारी सेलेब्रिटी हैं कि जहंा जाते हैं वहंा हमारी ही चर्चा होने लगती है सडक पर चलते कोई हमे राम श्याम कहता है तो कोई लव कुश मगर हमें सब अच्छा लगता है किसी बात का हम बुरा नहीं मानते क्योंकि चीन में जुडवां लोगों को भगवान के भेजे विशेष लोग माना जाता है तो हम भी मानते हैं कि हम सबसे अलग हैं विशेष हैं। मगर इन जुडवां भाइयों की कहानी में एक टिवस्ट और है कि उनकी बीबियां भी जुडवां हैं और वो भी हुबहू एक जैसा दिखती हैं। गौरव सौरभ ने बताया कि हमने अपनी जल्दी होने वाली शादी टालने के लिये किसी सजातीय जुडवां बहनों से ही शादी करने की अजीब सी शर्त रखी और शिवपुरी की सोनी मोनी से गौरव सौरभ की तीन साल पहले शादी भी हो गयी। ये जुडवां लडकियां भी बचपन से एक साथ ही रहीं हैं और एक साथ रहने के सपने देखती थीं इसलिये अब ये चारों रोहित नगर में एक साथ ही रहते हैं और जुडवां होने को एंजाय करते हैं। मगर जैसे सडक चलते लोग आपको देखकर चक्करघिन्नी होते हैं क्या आपकी पत्नियों को कभी सदमे की हालत नहीं बनी। नहीं कभी कभार हो जाता है मगर साथ साथ रहते रहते हम दोनों के फर्क समझ में आने लगते हैं मगर हां शुरूआत में थोडी दिक्कत आती थी। शर्माते हुये गौरव सौरभ ने बताया। मगर दिक्कत क्या आयी ? ये हमने जान बूझकर नहीं पूछा। 

ब्रजेश राजपूत, एबीपी न्यूज, भोपाल
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